( फरियादी ने न्यायलय में लगाया केस)
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इंदौर ।इन दिनों शहर में होने वाले साइबर अपराध के प्रति पुलिस कितनी संवेदनशील है इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला। बाणगंगा थाना छेत्र निवासी गोपाल मेहता पिता प्रभु लाल मेहता द्वारा आईटी एक्ट सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66ए धारा 66बी धारा 66 सी धारा 66इ के तहत एक रिपोर्ट लिखित में साइबर थाना साइबर सेल इंदौर को प्रेषित की जिस पर पुलिस ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया गया। फरियादी ने रजिस्टर्ड डाक द्वारा उक्त शिकायत आवेदन पुनः साइबर सेल शाखा पर प्रेषित किया तो वह डाक लिफाफा फरियादी के पास इस टिप्पणी के साथ वापस आ गया कि कार्यालय यहां पर मौजूद नहीं है।
जिसपर फरियादी ने पुनः थाने पर जाकर कार्यालय का सही नाम लेकर उन्हें रजिस्टर ए डी के द्वारा शिकायत आवेदन प्रेषित किया और इस बार तो हद यह हो गई कि पुलिस ने उक्त रजिस्टर ए डी लिफाफा फरियादी का नाम देखकर लेने से ही इनकार कर दिया ।
मजबूरन फरियादी ने अपने अधिवक्ता पंकज वाधवानी के माध्यम से एक निजी परिवाद दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी श्री प्रवीण शिवहरे के न्यायलय में धारा 66 ए से 66 इ के अंतर्गत प्रस्तुत किया और साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) का आवेदन भी संलग्न किया है, जिसमें फरियादी ने न्यायालय से गुहार की है कि मामला संज्ञेय प्रकृति का है जिस पर पुलिस को एफआईआर दर्ज कर अनुसंधान करने के लिए निर्देश दिया जाए ।
यह हे मामला
फरियादी गोपाल मेहता ने बताया कि उनका एक पारिवारिक विवाद अपनी पत्नी के साथ चल रहा है उनके ससुर द्वारा फरियादी के आयकर विवरणी को प्राप्त करने के लिए अपने मोबाइल नंबर पर फ़र्ज़ी तरीके से फरियादी के पासवर्ड और आइडेंटिटी से बुलवा दी जोकि कंप्यूटर जगत में हैकिंग और प्राइवेसी भंग करने के अपराध के तहत अनुयोज्य है आरोपी द्वारा फर्जी तरीके से अन्य व्यक्ति की id और पासवर्ड अपने मोबाइल नंबर पर मंगवाना एक गंभीर अपराध है जिसकी शिकायत फरियादी ने साइबर शाखा इंदौर में की थी
ऐसे मालूम पड़ा
फरियादी को अपने मोबाइल पर आयकर विभाग से प्राप्त मैसेज sms के जरिए यह जानकारी में आया कि फरियादी का पासवर्ड आई डी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बुलवा लिया गया है जब उस व्यक्ति की जानकारी ली गई तो वह और कोई व्यक्ति नहीं फरियादी के ससुर निवासी भिंडर राजस्थान निकले।
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इंदौर ।इन दिनों शहर में होने वाले साइबर अपराध के प्रति पुलिस कितनी संवेदनशील है इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला। बाणगंगा थाना छेत्र निवासी गोपाल मेहता पिता प्रभु लाल मेहता द्वारा आईटी एक्ट सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66ए धारा 66बी धारा 66 सी धारा 66इ के तहत एक रिपोर्ट लिखित में साइबर थाना साइबर सेल इंदौर को प्रेषित की जिस पर पुलिस ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया गया। फरियादी ने रजिस्टर्ड डाक द्वारा उक्त शिकायत आवेदन पुनः साइबर सेल शाखा पर प्रेषित किया तो वह डाक लिफाफा फरियादी के पास इस टिप्पणी के साथ वापस आ गया कि कार्यालय यहां पर मौजूद नहीं है।
जिसपर फरियादी ने पुनः थाने पर जाकर कार्यालय का सही नाम लेकर उन्हें रजिस्टर ए डी के द्वारा शिकायत आवेदन प्रेषित किया और इस बार तो हद यह हो गई कि पुलिस ने उक्त रजिस्टर ए डी लिफाफा फरियादी का नाम देखकर लेने से ही इनकार कर दिया ।
मजबूरन फरियादी ने अपने अधिवक्ता पंकज वाधवानी के माध्यम से एक निजी परिवाद दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी श्री प्रवीण शिवहरे के न्यायलय में धारा 66 ए से 66 इ के अंतर्गत प्रस्तुत किया और साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) का आवेदन भी संलग्न किया है, जिसमें फरियादी ने न्यायालय से गुहार की है कि मामला संज्ञेय प्रकृति का है जिस पर पुलिस को एफआईआर दर्ज कर अनुसंधान करने के लिए निर्देश दिया जाए ।
यह हे मामला
फरियादी गोपाल मेहता ने बताया कि उनका एक पारिवारिक विवाद अपनी पत्नी के साथ चल रहा है उनके ससुर द्वारा फरियादी के आयकर विवरणी को प्राप्त करने के लिए अपने मोबाइल नंबर पर फ़र्ज़ी तरीके से फरियादी के पासवर्ड और आइडेंटिटी से बुलवा दी जोकि कंप्यूटर जगत में हैकिंग और प्राइवेसी भंग करने के अपराध के तहत अनुयोज्य है आरोपी द्वारा फर्जी तरीके से अन्य व्यक्ति की id और पासवर्ड अपने मोबाइल नंबर पर मंगवाना एक गंभीर अपराध है जिसकी शिकायत फरियादी ने साइबर शाखा इंदौर में की थी
ऐसे मालूम पड़ा
फरियादी को अपने मोबाइल पर आयकर विभाग से प्राप्त मैसेज sms के जरिए यह जानकारी में आया कि फरियादी का पासवर्ड आई डी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बुलवा लिया गया है जब उस व्यक्ति की जानकारी ली गई तो वह और कोई व्यक्ति नहीं फरियादी के ससुर निवासी भिंडर राजस्थान निकले।
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