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Saturday, October 18, 2025

मध्यप्रदेश के दो पत्रकारों के लिए अगर सवाल पूछने की कीमत गिरफ्तारी हो, तो संविधान किताबों में रह जाएगा, ज़मीन पर नहीं


मध्यप्रदेश के दो पत्रकारों के लिए अगर सवाल पूछने की कीमत गिरफ्तारी हो, तो संविधान किताबों में रह जाएगा, ज़मीन पर नहीं


अभिमनोज

राजस्थान पुलिस द्वारा मध्य प्रदेश के दो पत्रकारों आनंद पांडेय और हरीश दिवेकर की गिरफ्तारी ने पूरे देश में एक बार फिर उस प्रश्न को जीवित कर दिया है कि क्या सत्ता के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले पत्रकारों के साथ राज्य मशीनरी निष्पक्ष रह पाती है?

मामला सतह पर भले ही “उगाही” और “झूठी खबरें फैलाने” का प्रतीत होता हो, पर इसकी तह में कई ऐसे कानूनी और संवैधानिक प्रश्न छिपे हैं जो न केवल इस गिरफ्तारी की वैधता बल्कि हमारे लोकतांत्रिक ढांचे की आत्मा तक को झकझोरते हैं।न्यायालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि लोकतंत्र में आलोचना से निपटने का तरीका सूचना का दमन नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित सुनवाई और प्रमाण प्रस्तुत करना है। लोकतंत्र की सच्ची रक्षा तभी संभव है जब सत्ता और सवाल दोनों अपनी मर्यादाओं में रहें। पत्रकार सवाल पूछता है और यही उसका कर्तव्य है।यदि सवाल पूछने की कीमत गिरफ्तारी बन जाए, तो संविधान केवल किताबों में रह जाएगा, ज़मीन पर नहीं। यह सिर्फ दो पत्रकारों की गिरफ्तारी का मामला नहीं, बल्कि संविधान की साख और लोकतंत्र की आत्मा की परीक्षा है।

दोनों पत्रकार, जो द सूत्र नामक यूट्यूब चैनल चलाते हैं, के खिलाफ राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के कार्यालय की ओर से एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी। आरोप है कि उन्होंने दीया कुमारी के विरुद्ध भ्रामक खबरें प्रसारित कर आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कोशिश की। शिकायत में कहा गया कि उन्होंने यह प्रसारित किया कि दीया कुमारी ने कथित रूप से सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा किया है और सरकार इस पर मौन है। यह शिकायत नरेंद्र सिंह राठौर (निवासी नागौर, वर्तमान में जयपुर) द्वारा दर्ज कराई गई थी, जबकि कुछ रिपोर्टों में जिनेश जैन का नाम भी सामने आया है। एफआईआर दर्ज होते ही राजस्थान पुलिस ने मध्य प्रदेश पहुंचकर दोनों पत्रकारों को हिरासत में लिया और उन्हें जयपुर ले आई।

देखने में यह कार्रवाई सामान्य प्रतीत होती है, लेकिन जब इसे भारतीय संविधान और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता( BNSS) की धाराओं के आलोक में परखा जाए, तो पूरी प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्नचिह्न उभरते हैं। पहली दृष्टि में यह मामला BNSS की धारा 35 तथा संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के उल्लंघन की ओर संकेत करता है।

गिरफ्तारी से पहले कोई प्रथम सूचना नोटिस (Notice of Appearance) जारी नहीं किया गया, न ही ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत हुआ जिससे यह सिद्ध हो सके कि तत्काल गिरफ्तारी अपरिहार्य थी। जब कोई अपराध “गैर-गंभीर” श्रेणी में आता है और आरोपी सहयोग के लिए उपलब्ध है, तो पुलिस को BNSS की धारा 35 के तहत पहले नोटिस देना अनिवार्य है। लेकिन यहां ऐसा प्रतीत होता है कि गिरफ्तारी सीधे राजनीतिक प्रभाव के आधार पर की गई - जो संविधान की भावना के पूर्णतः: विपरीत है।

कानूनी दृष्टि से सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या राजस्थान पुलिस को मध्य प्रदेश की सीमा में इस प्रकार की गिरफ्तारी करने का अधिकार था, और क्या उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के संबंधित प्रावधानों का पालन किया? जब किसी राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में कार्रवाई करती है, तो उसे स्थानीय पुलिस को अग्रिम सूचना देना अनिवार्य होता है। यह प्रावधान न्यायिक पारदर्शिता और आरोपी के अधिकारों की रक्षा के लिए है। उपलब्ध रिपोर्टों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं कि मध्य प्रदेश पुलिस को गिरफ्तारी से पहले या दौरान औपचारिक रूप से सूचित किया गया। यदि यह सत्य है, तो यह न केवल प्रक्रियात्मक खामी है बल्कि संघीय ढांचे और न्यायिक अनुशासन का उल्लंघन भी है।

इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट नहीं कि गिरफ्तारी के समय दोनों पत्रकारों को उनके अधिकारों - गिरफ्तारी के कारण जानने और वकील से परामर्श के अधिकार (Article 22(1)) -की जानकारी दी गई या नहीं। यदि यह अधिकार उनसे छीना गया, तो यह सीधे-सीधे मौलिक अधिकारों के हनन की श्रेणी में आता है।

पुलिस ने इस मामले को “साइबर अपराध” और “उगाही” के एंगल से जांचने की बात कही है, लेकिन अब तक कोई डिजिटल साक्ष्य या लिखित प्रमाण सार्वजनिक नहीं किए गए। यदि आरोपित वीडियो या रिपोर्ट तथ्यहीन थे, तो सबसे पहले संबंधित प्लेटफ़ॉर्म से कंटेंट टेकडाउन नोटिस जारी किया जाना चाहिए था। सीधे गिरफ्तारी का अर्थ केवल यही निकाला जा सकता है कि राज्यसत्ता आलोचना को अपराध मान रही है।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में दुराशय पूर्ण मंशा (Mala Fide Intent) की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि किसी लोकसेवक के विरुद्ध खबर प्रसारित करने पर बिना जांच के सीधे गिरफ्तारी होती है, तो यह प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार स्पष्ट किया है कि “लोकतंत्र में सत्ता की आलोचना देशद्रोह नहीं, बल्कि नागरिक अधिकार है।” (देखें -Romesh Thapar vs State of Madras, 1950; Shreya Singhal vs Union of India, 2015)।

हाई कोर्ट के समक्ष यह प्रश्न उठाया जाना चाहिए कि क्या यह कार्रवाई प्रेस-स्वतंत्रता के हनन का उदाहरण है? क्या “मानहानि” और “उगाही” जैसे आपराधिक आरोपों की आड़ में आलोचनात्मक पत्रकारिता को दबाने का प्रयास किया गया? संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध केवल तभी लगाए जा सकते हैं जब वे विधि द्वारा युक्तिसंगत हों लेकिन इस गिरफ्तारी में युक्तिसंगतता का कोई ठोस आधार नहीं दिखता।

यह भी गौर करने योग्य है कि पुलिस ने कहा है कि आरोपियों को 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश किया गया, परंतु क्या यह प्रक्रिया न्यायिक निगरानी में हुई या केवल औपचारिकता पूरी की गई? यदि अदालत में पुलिस ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी, तो यह गिरफ्तारी अवैधानिक (Illegal Detention) की श्रेणी में आएगी।

यदि यह सचमुच उगाही या ब्लैकमेलिंग का मामला होता, तो पुलिस को फॉरेन्सिक ऑडिट, बैंक लेनदेन और संचार रिकॉर्ड जैसे प्रमाण प्रस्तुत करने चाहिए थे। इनके अभाव में यह कार्रवाई केवल भय का वातावरण बनाने का प्रयास प्रतीत होती है।

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। जब शिकायत उनके कार्यालय से दर्ज हुई है, तो आरोपों के तथ्य स्पष्ट होने चाहिए थे। बयान की अनुपस्थिति इस बात का संकेत है कि यह कार्रवाई प्रशासनिक स्तर पर ही संचालित की गई , जो न्यायिक दृष्टि से कमजोर कड़ी है।

यदि यह मामला हाई कोर्ट के समक्ष आता है, तो अदालत को यह देखना होगा कि क्या यह गिरफ्तारी “आवश्यकता” के बजाय “दमन” का प्रतीक है। सुप्रीम कोर्ट ने Arnesh Kumar vs State of Bihar (2014) में स्पष्ट कहा था कि गिरफ्तारी तभी की जा सकती है जब यह जांच के लिए अपरिहार्य हो अन्यथा यह मनमानी कार्रवाई मानी जाएगी।

पत्रकारिता के क्षेत्र में यह घटना भय और असुरक्षा का संकेत देती है। यदि कोई पत्रकार किसी प्रभावशाली व्यक्ति पर सवाल उठाए और परिणामस्वरूप पुलिस कार्रवाई का सामना करे, तो यह लोकतंत्र के लिए गहरी चेतावनी है।

कानूनी रूप से यह मामला प्रेस-स्वतंत्रता बनाम सत्ता नियंत्रण की खींचतान का नया अध्याय बन सकता है। हाई कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य-सत्ता की सीमाएँ तय रहें और कानून का उपयोग दमन के उपकरण के रूप में न हो। यदि यह सिद्ध होता है कि गिरफ्तारी बिना उचित प्रक्रिया के की गई, तो यह अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन माना जाएगा ,जो किसी भी लोकतांत्रिक शासन में अस्वीकार्य है।

कानून और लोकतंत्र का संतुलन यह नहीं कहता कि पत्रकारिता को निरंकुश स्वतंत्रता मिले, बल्कि यह कहता है कि आलोचना को अपराध न माना जाए। हर रिपोर्ट और हर सवाल लोकतंत्र की जड़ है; अगर उसे दबाया गया, तो लोकतंत्र की आत्मा का ह्रास होगा।

इसलिए आवश्यक है कि हाई कोर्ट इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच (Judicial Scrutiny) करे, पुलिस की कार्रवाई की वैधता की समीक्षा करें और यह स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे कि भविष्य में किसी पत्रकार के विरुद्ध कार्रवाई से पहले कानून के सभी प्रावधानों का पालन किया जाए।

यह गिरफ्तारी पहली दृष्टि में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 35 (जिसमें गिरफ्तारी से पहले नोटिस का प्रावधान है) और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के उल्लंघन की ओर संकेत करती है:

BNSS धारा 35 का उल्लंघन:

गिरफ्तारी से पहले प्रथम सूचना नोटिस जारी न करना प्रक्रिया का सीधा उल्लंघन है। जब अपराध "गैर-गंभीर" श्रेणी में आता है और आरोपी जांच में सहयोग के लिए उपलब्ध है, तो पुलिस को BNSS की धारा 35 के तहत नोटिस जारी करना अनिवार्य है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस अनिवार्य कदम को दरकिनार कर गिरफ्तारी सीधे राजनीतिक प्रभाव के आधार पर की गई, जो संविधान की भावना के विपरीत है।

अंतरराज्यीय गिरफ्तारी की वैधता:

क्या राजस्थान पुलिस ने मध्य प्रदेश में गिरफ्तारी करते समय BNSS की धारा के प्रावधानों (अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के लिए स्थानीय पुलिस को सूचित करना) का पालन किया? यदि मध्य प्रदेश पुलिस को औपचारिक रूप से अवगत नहीं कराया गया, तो यह न केवल प्रक्रियात्मक खामी है, बल्कि संघीय ढांचे और न्यायिक अनुशासन की अवमानना भी है।

मौलिक अधिकारों का हनन:

गिरफ्तार पत्रकारों को उनके अधिकारों (गिरफ्तारी के कारण जानने और कानूनी सलाहकार से परामर्श का अधिकार) की जानकारी दी गई या नहीं? यदि यह अधिकार छीना गया, तो यह सीधे-सीधे संविधान के अनुच्छेद 22(1) के उल्लंघन की श्रेणी में आता है।

आलोचना को अपराध मानना:

बिना ठोस डिजिटल साक्ष्य या लिखित प्रमाण सार्वजनिक किए, आलोचनात्मक रिपोर्टिंग को "साइबर अपराध" और "उगाही" बताना केवल एक ही अर्थ रखता है- राज्यसत्ता आलोचना को अपराध मान रही है।

दमन का प्रतीक:

सुप्रीम कोर्ट ने Arnesh Kumar vs State of Bihar (2014) मामले में स्पष्ट किया था कि गिरफ्तारी केवल तभी की जानी चाहिए जब वह जांच के लिए अपरिहार्य हो। यदि जांच के लिए आरोपी का सहयोग पर्याप्त है, तो गिरफ्तारी अंतिम विकल्प होना चाहिए, न कि प्रथम प्रतिक्रिया। इस मामले में, गिरफ्तारी "आवश्यकता" के बजाय "दमन" का प्रतीक प्रतीत होती है।

न्यायिक नजीर की अवमानना:

सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि "लोकतंत्र में सत्ता की आलोचना देशद्रोह नहीं, बल्कि नागरिक अधिकार है।" (जैसे: Romesh Thapar vs State of Madras, 1950)। यदि किसी लोक सेवक के खिलाफ खबर प्रसारित करने पर बिना तथ्य जांचे सीधी गिरफ्तारी होती है, तो यह "प्रेस की स्वतंत्रता" पर गंभीर आघात है।

राजस्थान पुलिस की यह कार्रवाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर प्रहार है। अब यह न्यायपालिका के विवेक पर है कि वह इस आग को न्याय से बुझाती है या सत्ता की चुप्पी से इसे और भड़कने देती है। न्यायालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि लोकतंत्र में आलोचना से निपटने का तरीका सूचना का दमन नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित सुनवाई और प्रमाण प्रस्तुत करना है। यदि सवाल पूछने की कीमत गिरफ्तारी बन जाए, तो संविधान केवल किताबों में रह जाएगा, ज़मीन पर नहीं। यह सिर्फ दो पत्रकारों की गिरफ्तारी का मामला नहीं, बल्कि संविधान की साख और लोकतंत्र की आत्मा की परीक्षा है।

Friday, October 10, 2025

अब पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करना आसान नहीं, किसी भी पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का पत्रकार को लेकर अहम फैसला. सरकार की आलोचना के लिए किसी पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट अभिषेक उपाध्याय की याचिका में कोर्ट नेआदेश में लिखा कि पत्रकार को उसके विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1) से सुरक्षित हैं.

केवल सरकार की आलोचना के लिए किसी पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए।


सुप्रीमकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करना अब आसान नहीं

दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया जाना चाहिए। यह फैसला पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए दिया गया है।

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क्या है पूरा मामला

पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के खिलाफ यूपी पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पत्रकार को उसके विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1) से सुरक्षित है।

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सरकार की आलोचना के लिए किसी पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए।– पत्रकारों को उनके विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता प्राप्त है।– लोकतंत्र में मीडिया की स्वतंत्रता आवश्यक है, और सरकार की आलोचना को अपराध नहीं माना जा सकता।

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पत्रकारों के लिए राहत

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पत्रकारों की स्वतंत्रता के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है। यह आदेश सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ दायर मुकदमों पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Monday, September 22, 2025

पत्रकारों के लिए बड़ी खबर : समूह स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर जीएसटी की दरें यथावत, देखें प्रीमियम स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम दर, ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 27 सितंबर 2025

पत्रकारों के लिए बड़ी खबर : समूह स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर जीएसटी की दरें यथावत, देखें प्रीमियम स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम दर, ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 27 सितंबर 2025

  • पत्रकार स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना 2025-2026
  • प्रदेश के पत्रकार, फाटाग्राफर एवं कमरामन का स्वास्थ्य एव दुघटना समूह बामा का सुरक्षा

पत्रकारों के लिए स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना की अंतिम तिथि बढ़ा कर 27 सितम्बर की, गत वित्त वर्ष 2024 की भांति प्रीमियम देना होगा

संचार प्रतिनिधियों के लिये स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 27 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है। सभी पत्रकार साथियों से आग्रह किया गया है कि निर्धारित समय तक आवेदन कर योजना का लाभ जरूर लें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनसम्पर्क विभाग द्वारा संचालित संचार प्रतिनिधियों के लिए स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना में वर्तमान वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भी पत्रकारों से गत वित्त वर्ष 2024-25 की तरह ही प्रीमियम लिया जायेगा।

व्यक्तिगत बीमा पर जीएसटी से छूट, समूह बीमा पर यथावत

केंद्र सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म्स के तहत व्यक्तिगत जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी शून्य कर दिया है। वहीं समूह स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर जीएसटी की दरें यथावत हैं।

पत्रकार स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना के नियम

*स्वास्थ्य बीमा रुपये 4 लाख और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा रुपये 10 लाख का होगा। साथ ही स्वास्थ्य बीमा 2 लाख रुपये और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा 5 लाख रुपये का भी विकल्प होगा। पत्रकार 4 लाख अथवा 2 लाख रुपये का बीमा करवा सकते हैं। 21 से 70 वर्ष की उम्र के संचार प्रतिनिधि इसके पात्र होंगे। पूर्व से बीमित पत्रकार 70 वर्ष की उम्र के बाद भी योजना के पात्रता होंगे।

*बीमा एक साल के लिये किया जायेगा। 60 वर्षतक के संचार प्रतिनिधि की वार्षिक बीमा प्रीमियम का 75 प्रतिशत और 61 से 65 वर्ष की संचार प्रतिनिधियों की बीमा प्रीमियम का 85 प्रतिशत भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा।

*पति, पनि, बच्चों (अधिकतम 25 वर्ष के तीन अविवाहित) एवं माता- पिता को निर्धारित प्रीमियम देने पर, योजना में शामिल किया जा सकेगा।

*बीमा पॉलिसी में पहले से विद्यमान सभी बीमारियाँ शामिल होंगी।

*जनसंपर्क संचालनालय के अधिमान्य पत्रकारों के साथ ही संचार संस्थान का फार्म 16 एवं पी.पी.एफ. कटौत्री की स्लिप देने वाले पत्रकारों को भी अधिमान्यता श्रेणी में पात्रता होगी।

*मध्यप्रदेश के मूल निवासी नई दिल्ली में कार्यरत पत्रकारों को भी योजना में पात्रता होगी। बीमा के लिये किये गये आवेदन-पत्र के साथ संलग्न प्रपत्र गलत पाये जाने पर किसीभी स्तर पर बीमा समाप्त किया जा सकेगा।

*गैर अधिमान्य पत्रकारों के लिये 50 प्रतिशत प्रीमियम पत्रकार द्वारा और 50 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा दिया जायेगा।

*इस श्रेणी में दैनिक समाचार-पत्र के चार, साप्ताहिक पाक्षिक मासिक पत्र-पत्रिका और इलेक्ट्रॉनिक एवं जनसंपर्क संचालनालय डी.ए.व्ही.पी. में पंजीकृत वेब मीडिया के दो-दो प्रतिनिधियों को योजना में पात्रता होगी। इसमें निर्धारित संख्यानुसार प्रथम प्राप्त 4/2 आवेदनों पर ही विचार किया जायेगा। आर.एन. आई. में रजिस्टर्ड नियमित पत्र-पत्रिकाओं के प्रतिनिधि पात्र होंगे।

*65 वर्ष सेअधिक उम्र के संचार प्रतिनिधियों का पूरा बीमा प्रीमियम राज्य सरकार द्वारा देय होगा।

*पॉलिसी के तहत बीमा कंपनी के चिन्हित अस्पतालों में इलाज की कैशलेस व्यवस्था होगी जिसके लिये पत्रकारों को ई-कार्ड, ई-मेल के माध्यम से भेजा जायेगा । अस्पताल में इलाज के दौरान पत्रकारों को आधार कार्ड ले जाना जरूरी होगा।

*योजना का विवरण, प्रीमियम तालिका जनसंपर्क की वेबसाइट www.mpinfo.org में उपलब्ध है। प्रीमियम को NEFT कर यू.टी.आर. नंबर की जानकारी सहित अन्य पूरी जानकारी ऑनलाइन htttps://mdindiaonline.com/mpgovt/loginpage.aspx लिंक पर उपलब्ध फार्म में भरनी होगी। फार्म ऑफ लाइन नहीं लिये जायेंगे। अधिमान्यता प्राप्त और गैर-अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों के अलग अलग फार्म हैं। निर्धारित फार्म ही भरें।

*तालिका में पत्रकार पति-पत्नि एवं बच्चों का प्रीमियम जोड़कर दिया गया है। माता-पिता का प्रीमियम अलग से तालिकानुसार जोड़ना होगा।


पत्रकार स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना, प्रीमियम स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम दर

पत्रकार स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना, प्रीमियम स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम दर




पत्रकार स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना, प्रीमियम स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम दर


Monday, September 1, 2025

आइसना पत्रकार संगठन ने पुलिस अधीक्षक को पत्रकार सुनील सेन पर हमला करने वालो के खिलाफ ज्ञापन सौंपा


आइसना पत्रकार संगठन ने पुलिस अधीक्षक को पत्रकार सुनील सेन पर हमला करने वालो के खिलाफ ज्ञापन सौंपा

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जबलपुर . पत्रकार सुनील सेन पर हुए हमले के विरोध में पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत ज्ञापन सौपा है संदिग्ध आरोपी की गिरफ्तारी न होने से नाराज पत्रकार संगठन "ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन" ( आइसना ) ने पुलिस अधीक्षक जबलपुर को ज्ञापन सौंपा ।

जबलपुर शहर के गढ़ा थाना क्षेत्र में रात एक कैमरामैन पत्रकार सुनील सेन पर जानलेवा हमला किया गया। हमलावरों ने रात लगभग 1 बजे पत्रकार को रास्ते में घेरकर खबर हटाने का दबाव बनाया और इनकार करने पर बेरहमी से पिटाई की। घायल पत्रकार को तत्काल स्थानीय लोगों की मदद से निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद से पत्रकार समुदाय में भारी आक्रोश है।

जानकारी के अनुसार पत्रकार सुनील सेन, मेडिकल क्षेत्र से एक न्यूज़ कवर कर अपने घर लौट रहे थे। तभी पिसनहारी की मड़िया के पास स्थित पेट्रोल पंप के समीप, नीले रंग की स्विफ्ट कार में सवार चार से पांच युवकों ने उनका रास्ता रोका। आरोपियों ने पत्रकार को घेर लिया और किसी खबर को लेकर नाराजगी जताते हुए गाली-गलौज करने लगे। जब पत्रकार ने उनकी बात मानने से इनकार किया तो आरोपियों ने मिलकर उनकी जबरदस्त पिटाई कर दी।

शोर सुनकर स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे, जिसके बाद हमलावर मौके से फरार हो गए। क्षेत्रीय लोगों की मदद से घायल पत्रकार को अस्पताल पहुंचाया गया और मामले की सूचना गढ़ा थाना पुलिस को दी गई। थाने के प्रभारी पुलिस अधिकारी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और प्राथमिक जांच शुरू की।

सूत्रों के मुताबिक, हमले की वजह एक स्थानीय डॉक्टर से जुड़ी खबर को बताया जा रहा है, जिससे संबंधित लोग पत्रकार पर खबर हटाने का दबाव बना रहे थे। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपियों की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।


पत्रकार संगठन "ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन"
 ( आइसना )

इस घटना के बाद पत्रकारिता जगत में रोष की लहर है। पत्रकार संगठन "ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन" ( आइसना ) ने प्रशासन से मामले में त्वरित गिरफ्तारी और पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है। मांगो को लेकर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन ( आइसना ) के प्रदेश अध्यक्ष एवं टाइम्स ऑफ क्राइम न्यूज़ चैनल के संपादक विनय जी डेविड, ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन के संगठन महामंत्री एवं देवांश भारत समाचार पत्र के संपादक प्रशांत वैश्य, पत्रकार राहुल सक्सेना, पीवीसी न्यू संचालक कुणाल सिंह एवं संवाददाता राज गुलाटी, आयुष्मान के जबलपुर जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह परिहार, साधना न्यूज़ से संवाददाता पंकज विश्वकर्मा एवं पदाधिकारी आदि मौजूद रहे।


Tuesday, August 19, 2025

सक्सेना वर्ल्ड फोटोग्राफिक डे पर इंद्रधनुष फोटो एक्जीबिशन का हुआ शुभारंभ, कला के संवर्धन में सदैव आगे रही है संस्कारधानी : कलेक्टर दीपक

 


कला के संवर्धन में सदैव आगे रही है संस्कारधानी : कलेक्टर दीपक 

कला के संवर्धन में सदैव आगे रही है संस्कारधानी : कलेक्टर दीपक

जबलपुर. कलेक्‍टर श्री दीपक सक्‍सेना के मुख्‍य आतिथ्‍य में आज रानी दुर्गावती कला वीथिका में फोटो एग्जिबिशन इंद्रधनुष का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर कलेक्‍टर श्री सक्‍सेना ने कहा कि संस्कारधानी सदैव कला के संवर्धन में आगे रही है। यह छायाचित्र प्रदर्शनी भी इसका सुंदर उदाहरण है। वरिष्ठ छायाकार शेखर दुबे ने कहा कि पुराने फोटो स्टूडियो में फोटो खिंचवाना कभी गौरव की बात हुआ करती थी।

पर्यावरणविद जगत फ्लोरा ने कहा कि यहां प्रदर्शित फोटोग्राफ्स हमारे शहर की प्राकृतिक सुंदरता को दिखाती है। जबलपुर को बड़ा पर्यटन स्थल बनाने में ऐसे फोटोग्राफ्स बड़ी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि ई बर्ड एप में जबलपुर पूरे प्रदेश में सबसे आगे हैं। कवियित्री बाबुषा कोहली ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

वर्ल्ड फोटोग्राफिक डे पर आयोजित इंद्रधनुष में 22 फोटोग्राफर्स के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। इस एक्जीबिशन प्रकृति के विविध रंगों से सजी है। जो वन्य जीव-जंतु, पक्षियों व प्रकृति के चित्र मंत्रमुग्ध कर देते हैं। एक्‍जीबीशन का संचालन रंगकर्मी आशुतोष द्विवेदी ने तथा आभार प्रदर्शन रंगकर्मी विवेक पाण्डेय ने किया।

Thursday, July 24, 2025

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और जाने-माने फिल्म समीक्षक अजित राय का निधन


वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और जाने-माने फिल्म समीक्षक अजित राय का निधन

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वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और जाने-माने फिल्म समीक्षक अजित राय का निधन हो गया है। उन्होंने लंदन में अंतिम सांस ली। अजित राय के निधन की खबर से पत्रकारिता, सिनेमा और रंगमंच जगत में शोक की लहर है।

अजित राय दशकों से हिंदी पाठकों को देश-दुनिया के रंगमंच, कला और विश्व सिनेमा से जोड़ते रहे। उनकी कलम ने न केवल सिनेमा की समीक्षा की, बल्कि उसकी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परतों को भी उजागर किया। वे रायपुर फिल्म फेस्टिवल से लेकर कान्स जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों तक लगातार सक्रिय रहे और भारत का प्रतिनिधित्व करते रहे।

किसी छोटे कस्बे के मंच से लेकर दुनिया के सबसे बड़े फिल्म आयोजनों तक उनकी उपस्थिति और रिपोर्टिंग ने हिंदी सिनेमा-जगत को वैश्विक नजरिया दिया। वे सिर्फ आलोचक नहीं थे, एक संवेदनशील अध्येता और युवा प्रतिभाओं के संरक्षक भी थे। कई युवा पत्रकारों, लेखकों और फिल्म छात्रों को उन्होंने प्रेरित किया और आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया।

अजित राय के तमाम मित्रों और सहयोगियों ने उन्हें मिलनसार और आत्मीय व्यक्तित्व के रूप में याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है और ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति देने व उनके परिजनों को यह अपार दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर एक पोस्ट कर अजित राय को श्रद्धंजलि दी है। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ‘वरिष्ठ पत्रकार, मशहूर फिल्म समीक्षक अजीत राय जी के आकस्मिक निधन की खबर मिली।विश्वास नहीं हो रहा। उनसे पुराना आत्मीय संबंध रहा। कुछ माह पहले ही एक आयोजन में उनसे मुलाकात हुई थी। अजीत जी की आत्मा की शांति की कामना।

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Sunday, July 6, 2025

रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकार सुप्रिया पाठक एवं कैमरामैन श्याम के साथ बुरी तरह की मारपीट

 


रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकार सुप्रिया पाठक एवं कैमरामैन श्याम के साथ बुरी तरह की मारपीट 

TIMES OF CRIME @ https://timesofcrime.com/

दिल्ली. लोकल यूट्यूब चैनलों द्वारा दिल्ली में अवैध अतिक्रमणकारियों द्वारा हज़ारों एकड़ सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा करने की रिपोर्टिंग के चलते ही यह अवैध कब्जों और झुग्गी कारोबार उजागर हुआ है, कल इन्ही पत्रकारों पर हमला हो गया.


कल शाम सीमापुरी बंगाली बस्ती, जहां बंगलादेशी घुसपैठियों की भारी बसावट है, 200 फुटा रोड के समीप सरकारी जमीन पर हुए अवैध अतिक्रमण की रिपोर्टिंग करने गए All India  News की रिपोर्टर सुप्रिया पाठक एवं कैमरामैन श्याम के साथ बुरी तरह मारपीट की गई।  उपद्रवी भीड़ कैमरा एवं माइक भी लेकर भाग गई.... रिपोर्टर सुप्रिया पाठक को पैरों में गहरी चोट आई है जिससे वो चलने में असमर्थ हैं। दोनो पत्रकार GTB Hospital में हैं...

रिपोर्टर सुप्रिया पाठक और कैमरामैन श्याम के पैर में गंभीर चोट लगी थी - वे मुश्किल से खड़े हो पा रहे थे। पत्रकार साथी उन्हें तुरंत इलाज और एमएलसी (मेडिको-लीगल केस) पंजीकरण के लिए अस्पताल ले गए। हालांकि, रात 8 बजे से सुबह 3 बजे तक एमएलसी प्रक्रिया के दौरान सहायता के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी उपलब्ध नहीं था। पत्रकारों के मित्र अस्पताल में इधर-उधर भटकते रहे, बार-बार डॉक्टरों से प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह करते रहे, लेकिन बेहद धीमी और गैर-जिम्मेदार प्रबंधन का सामना करना पड़ा....

FIR में यह तक उल्लेख नहीं किया गया कि अवैध कब्जाधारक हमलावरों ने कैमरा और माइक के साथ-साथ रिपोर्टर और कैमरामैन का मोबाइल फोन भी छीन लिया था - हमलावरों के बजाय पीड़ित से पूछताछ की गई। 

हमें खुद से ये सवाल पूछने चाहिए:

  1. अगर गैर कानूनी गतिविधियों और अवैध कब्जों की मीडिया द्वारा रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकारों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, तो आम आदमी न्याय की उम्मीद कैसे कर सकता है?
  2. जब राष्ट्रवादी आवाज़ों के खिलाफ़ उग्र और राष्ट्रविरोधी भीड़ द्वारा हिंसा की बात आती है, तो हमारे अपने अधिकारी चुप या निष्क्रिय क्यों रहते हैं?
  3. यह धीमी, पक्षपातपूर्ण व्यवस्था कब तक गुंडों की रक्षा करेगी और सच्चाई को चुप कराएगी?

Friday, February 21, 2025

आइसना पत्रकार संगठन करेगा पत्रकार के अलावा अनेक प्रतिभाओं का सम्मान 23 फरवरी को



नरसिंहपुर विगत 8 वर्षों से आइसना पत्रकार संगठन पत्रकारों सहित अनेक प्रतिभाओं का करता रहा है सम्मान! इसे लेकर फिर इस बार 23 फरवरी को मां नर्मदा के तट बरमान में अनेक प्रतिभाओं का सम्मान किया जायेगा!

जिसमें  पत्रकार,, और अनेक वर्षों से हॉकी खेल रहे 65बर्ष के खिलाड़ी, और कुछ समाजसेवियों का हर वर्ष की भांति इस वर्ष कार्यक्रम में कुछ बदलाव की गई, पहले स्मृति चिन्ह के साथ सम्मान किया जाता था,, इस बर्ष स्मृति चिन्ह और शाल दोनों के साथ सम्मानित किया जायेगा,कार्यक्रम के उपरांत प्रतिभाओं के सम्मान में भोजन का आयोजन भी बरमान के एक रेस्टोरेंट में किया गया, 

जिसमें आइसना पत्रकार संगठन के समस्त अतिथि,और उसमें अनेक समाजसेवी भी शामिल रहेंगे , इस बार कार्यक्रम में अनेक नेशनल चैनल से संभागीय ब्यूरो और कुछ अखबारों के संपादक भी सम्मिलित होंगे जो अपने हाथों से प्रतिभाओं को सम्मानित करेंगे, कार्यक्रम में मुख्य रूप से संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनय डेविड और प्रदेश के अनेक पदाधिकारी भी कार्यक्रम मैं अतिथि के तौर पर सम्मिलित रहेंगे!

Sunday, February 16, 2025

राष्ट्रीय पत्रकार संगठन आइसना की जबलपुर कमेटी गठित



जबलपुर । ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना की जबलपुर कार्यकारिणी 2025-26 का संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय जी डेविड के मुख्य आतिथ्य एवं संगठन के प्रदेश महामंत्री प्रशांत वैश्य और पुलिस ब्यूरोक्रेट्स न्यूज के प्रधान संपादक कुनाल सिंह ठाकुर की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ जिसमें संस्कारधानी के पत्रकारों को सदस्यता दी गई ।

साथ ही जबलपुर कार्यकारिणी के जिलाध्यक्ष के पद पर पुष्पेंद्र सिंह परिहार को नियुक्त किया गया, जिला उपाध्यक्ष के पद पर ऋषि रजक को नियुक्त किया गया, तरुण भारद्वाज को जिला सचिव, विजय बलेचा को जिला महासचिव, वाजिद खान को जिला मीडिया प्रभारी के पद पर एवं अधिवक्ता राजीव वर्मा को संगठन के कानूनी सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया।


इस अवसर पर जबलपुर कार्यकारिणी के सदस्यों में राज गुलाटी, प्रेरित सिंह, डॉ गीता पांडे, ख़ीव सिंह, शुभम रजक, शकील बेग ,निसार खान ,अनिकेत बेन,आदर्श भाटिया आदि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के शुभारंभ में संगठन सदस्यों के द्वारा विनय जी डेविड का पुष्पहार से स्वागत किया गया जिसके उपरांत श्री डेविड ने उपस्थित सदस्यों एवं मनोनीत कार्यकारिणी पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुये संगठन के बारे में जानकारी दी तथा शहर में संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिये उठाये जाने वाले कदमों तथा पत्रकारों के हित में कार्य करने को लेकर मार्गदर्शन देते हुये प्रेरित किया।

सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं बधाई आप सभी दोस्त साथी शुभकामनाएं दे सकते

Sunday, September 15, 2024

झोलाछाप डॉक्‍टरों द्वारा किये जा रहे अनैतिक चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय को प्रतिबंधित करने कलेक्‍टर ने जारी किया आदेश


झोलाछाप डॉक्‍टरों द्वारा किये जा रहे अनैतिक चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय को प्रतिबंधित करने कलेक्‍टर ने जारी किया आदेश

जबलपुर // विनय जी. डेविड 9893221036

जबलपुर। झोलाछाप चिकित्‍सकों एवं गैर मान्‍यताधारी व्‍यक्तियों द्वारा किये जा रहे अनैतिक चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय को नियंत्रित करने के लिए कलेक्‍टर दीपक सक्‍सेना ने जिले में संचालित अमानक क्‍लीनिक एवं चिकित्‍सकीय स्‍थापनाओं को प्रतिबंधित करने की कार्यवाही के निर्देश अनुभागीय दंडाधिकारियों, विकासखंड चिकित्‍सा अधिकारियों, सिविल अस्‍पतालों के प्रभारी अधिकारियों एवं शहरी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के प्रभारियों को दिए है। 

 इस बारे में जारी आदेश में कलेक्‍टर श्री सक्‍सेना ने कहा है कि अपात्र व्‍यक्तियों द्वारा फर्जी चिकित्‍सकीय डिग्री अथवा सर्टिफिकेट का प्रयोग कर झोलाछाप चिकित्‍सकों के रूप में अमानक चिकित्‍सकीय पद्धतियों का उपयोग कर रोगियों का उपचार किया जा रहा है। उन्‍होंने आदेश में अनुभागीय दंडाधिकारियों, विकासखंड चिकित्‍सा अधिकारियों, प्रभारी अधिकारी सिविल अस्‍पताल रांझी, मनमोहन नगर एवं सिहोरा तथा शहरी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के प्रभारियों को निर्देश दिए है कि अपात्र व्‍यक्तियों अथवा झोलाछाप चिकित्‍सकों द्वारा किये जा रहे अनैतिक चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय को नियंत्रित करने हेतु अमानक क्‍लीनिक व चिकित्‍सकीय स्‍थापनाओं को तत्‍काल प्रतिबंधित किया जाये। 

 श्री सक्‍सेना ने कहा है कि बिना उचित पंजीयन के अमानक चिकित्‍सकीय संस्‍थाओं का संचालन मध्‍यप्रदेश उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्‍थापनाएं (रजिस्‍ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 की धारा 3 का उल्‍लंघन है एवं ऐसा करना दण्‍डनीय अपराध है। इसके लिए 3 वर्ष का कारावास एवं 50 हजार रूपये के जुर्माने से दंडित भी किया जा सकता है। उन्‍होंने बिना वैधानिक डिग्री प्राप्‍त किये अपने नाम के आगे डॉक्‍टर की उपाधि का इस्‍तेमाल करने वाले चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय करने वाले व्‍यक्तियों के विरूद्ध भी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। 

 कलेक्‍टर ने झोलाछाप एवं अपात्र व्‍यक्तियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी निर्धारित प्रपत्र में मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य कार्यालय के नोडल अधिकारी नर्सिंग होम डॉ. आदर्श विश्‍नोई को उपलब्‍ध कराने के निर्देश भी अनुभागीय दंडाधिकारियों, विकासखंड चिकित्‍सा अधिकारियों, प्रभारी अधिकारी सिविल अस्‍पताल रांझी, मनमोहन नगर एवं सिहोरा तथा शहरी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के प्रभारियों को दिए हैं।

Tuesday, May 23, 2023

41वें स्थापना दिवस पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन ( आइसना ) के उत्तर प्रदेश प्रांतीय सम्मेलन का हुआ आयोजन, उपमुख्यमंत्री ने किया पत्रकारों को सम्मानित


ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना के लखनऊ सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक जी का सम्मान करते आइसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिव शंकर त्रिपाठी जी एवं उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद जुगल किशोर जी के साथ मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष विनय जी डेविड

विनय जी डेविड // 9893221036

लखनऊ, ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन ( आइसना )  का 41वां प्रांतीय सम्मेलन 22 मई 2023 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित लोक निर्माण विभाग के विश्वेश्वरैया सभागार में वार्षिक महान सम्मेलन पूर्व सांसद एवं आइसना के प्रांतीय अध्यक्ष जुगल किशोर एवं सुश्री आरती त्रिपाठी महामंत्री आइसना एवं सदस्य पी सी आई के सहयोग से संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए पदाधिकारियों व सदस्यों ने भाग लिया। हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली के साथ-साथ दक्षिण भारत के पदाधिकारी भी भारी संख्या बल के साथ सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार स्वतंत्र मिश्रा द्वारा किया गया। आइसना के उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सांसद जुगल किशोर ने एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव शंकर त्रिपाठी का स्वागत किया। प्रांतीय सम्मेलन में आए विशिष्ट अतिथि मंत्री जितिन प्रसाद, आइसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव शंकर त्रिपाठी व राष्ट्रीय महामंत्री आरती त्रिपाठी (सदस्य, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया) और यूपी के प्रदेश अध्यक्ष आइसना व पूर्व सांसद जुगल किशोर ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विभिन्न राज्यों से आए पदाधिकारियों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आइसना के प्रांतीय सम्मेलन में विनय जी. डेविड (प्रांतीय अध्यक्ष, मध्य प्रदेश आइसना), प्रशांत वैश्य (प्रांतीय संगठन महामंत्री, मध्य प्रदेश आइसना), श्रीराम (साउथ इंडिया अध्यक्ष) गिरीश चंद्र शर्मा (अध्यक्ष, हरियाणा प्रदेश), पंडित संजीब नारायण दास (अध्यक्ष असम प्रदेश), संदीप कुमार दफ्तुआर (बिहार प्रदेश अध्यक्ष), सुनील कुमार पांडेय (मंत्री नई दिल्ली), मैरियन (तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष), लखनऊ से संजीव पाहवा, आर.के.सिंह, अरविंद त्रिपाठी, अरविंद द्विवेदी, अमन सिंह, सुनीता सिंह, अमित सिंह, रीति सिंह आदि देश के कोने-कोने से आए पदाधिकारियों व सदस्यों ने भाग लिया। 

कार्यक्रम के समापन पर सभी सदस्यों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में सभी प्रदेश अध्यक्ष, कार्यकारिणी के सदस्य एवं पदाधिकारी भारी संख्या में सम्मिलित हुए।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक

आइसना के योगदान को सराहा और दिया हर संभव मदद का भरोसा

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने विभिन्न प्रदेशों से आए पदाधिकारियों व उत्तर प्रदेश के समस्त पदाधिकारियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में पहुंचे उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि योगेंद्र मिश्रा व शिव शंकर त्रिपाठी ने कड़ी मेहनत करके छोटे अखबारों को एक मंच पर संगठित करने का कार्य किया और पहला सम्मेलन दिल्ली के मावलंकर हाल में हुआ। 

इसके बाद से अनवरत कार्यक्रम चलता रहा और देश के सारे छोटे एवं मध्यम अखबार एक धागे में बंधते चले गए। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन द्वारा दिए गए 6 सूत्रीय मांग पत्र को जिम्मेदार लोगों तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि स्याही से लेकर कागज तक की महंगाई इतना आसमान छू रही है, ऐसी परिस्थिति में छोटे अखबारों का संचालन बहुत ही चुनौती भरा कार्य है। छोटे व मध्यम अखबारों से वह बातें सामने आती हैं जो बड़े अखबारों की पहुंच से बाहर होती हैं। गांव की गलियों से निकली आवाज लखनऊ और दिल्ली की सत्ता के गलियारों तक पहुंच कर आंदोलन बन जाती है, यह छोटे और मध्यम अखबारों की ही देन है। आइसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पदाधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए बधाई देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार अखबारों को हर संभव मदद मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने आइसना की राष्ट्रीय महामंत्री व प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की सदस्य आरती त्रिपाठी व राष्ट्रीय अध्यक्ष आइसना शिव शंकर त्रिपाठी के साथ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद जुगल किशोर का विशेष आभार व्यक्त किया।

पत्रकारों को एकजुट होकर अपने अधिकार की लड़ाई लड़ना होगा : विनय जी. डेविड

ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आइसना के उत्तर प्रदेश के प्रांतीय सम्मेलन में विनय जी. डेविड ( प्रांतीय अध्यक्ष, मध्य प्रदेश आइसना ) ने कहा कि देश के सभी लघु मध्यम समाचार पत्र पत्रिकाओं एवं पत्रकारों को एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई लड़ना चाहिए, पत्रकारों के अधिकार का देश की सभी सरकारों को ध्यान रखना चाहिए, देश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए, प्रदेश सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए इस कानून को जल्द से जल्द लागू होना चाहिए, विनय डेविड ने मध्य प्रदेश सरकार से मध्य प्रदेश के लघु समाचार पत्र-पत्रिकाओं को प्रतिमाह एक निर्धारित राशि का विज्ञापन प्रदान किए जाने एवं मध्यप्रदेश के पत्रकारों एवं उनके परिवार के जीवन यापन के लिए एक सुनिश्चित राशि प्रतिमाह प्रदान करने की मांग उठाई, आइसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिव शंकर त्रिपाठी एवं महासचिव एवं प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की सदस्य सुश्री आरती त्रिपाठी ने मांगों का समर्थन करते हुए शीघ्र भारत सरकार और प्रदेश की सरकारों से इन मांगों को पूरा करने के लिए प्रयास किए जाने मंजूरी दी।

विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे मंत्री जितिन प्रसाद ने आइसना के कर्तव्य परायणता को सराहा

अखबारों को हर संभव मदद करने का दिया भरोसा

विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे मंत्री जितिन प्रसाद ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अपनी कड़ी मेहनत के साथ अखबारों की महत्वपूर्ण भूमिका भी होती है, गांव से निकली आवाज ही दिल्ली की सत्ता के गलियारों तक पहुंचती है। अधिकारियों और नेताओं की जवाबदेही तय करना चौथे स्तंभ का प्रमुख कर्तव्य है, जिसे आज के समय में लघु एवं मध्यम अखबार ही पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। ऐसे अखबारों को सरकार द्वारा हर संभव मदद मिलनी चाहिए। इन अखबारों को हमारी तरफ से हर संभव मदद मिलती रहेगी। अखबार के पन्नों और स्याही की महंगाई का जिक्र करते हुए छोटे एवं मध्यम अखबारों के संघर्षों को सराहा और अखबार के पन्नों से सोशल मीडिया तक पहुंचे अखबारों की खबरों का आभार व्यक्त किया।

आइसना राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक को 6 सूत्रीय मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव शंकर त्रिपाठी व अन्य पदाधिकारियों के साथ संगठन के प्रांतीय सम्मेलन में पहुंचे बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को 6 सूत्री मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। पत्रकारों की सुरक्षा हेतु उत्तर प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने के साथ-साथ पत्रकारों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा व पांच लाख रुपए तक के इलाज की मुफ्त सुविधा जैसी मूलभूत सुविधाओं को राज्य सरकार के द्वारा मुहैया कराए जाने की बात भी रखी गई। जिसे उपमुख्यमंत्री ने राज्य सरकार तक संगठन की मांगों को पहुंचाने की बात कहते हुए इन्हें पूरा करने का भरोसा भी दिलाया।

आइसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव शंकर त्रिपाठी समाचार पत्रों की बिकट समस्याओं जैसे विज्ञापन नहीं मिलना जीएसटी लगना आरएनआई में समस्याओं का शीघ्र समाधान न होना सरकार का विज्ञापन बजट प्रति वर्ष कम करना पत्रकारों को आर्थिक मदद ना देना, सुरक्षा न देना आदि समस्याओ से अवगत कराया और इन समस्याओं के समाधान करने के लिये सरकार को ज्ञापन दिया। इसके बाद सरकार की तरफ़ से पूर्ण आश्वासन जितिन प्रसाद और उपमुख्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने देने की घोषणा कर दी। 

पूर्व सांसद जुगल किशोर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर रत्न से सम्मानित

स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन के प्रांतीय सम्मेलन में आइसना के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद जुगल किशोर को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर रत्न से सम्मानित किया गया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पद चिन्हों पर चलने वाले पूर्व सांसद जुगल किशोर ने अपने जीवन में बाबा साहब के मूल सिद्धांतों को संजोने का पूरा प्रयास किया है।

Monday, April 17, 2023

भविष्य की आहट : देश के लिए घातक है अपराधियों का महिमा मण्डन


भविष्य की आहट : देश के लिए घातक है अपराधियों का महिमा मण्डन

भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिय

चर्चित व्यक्ति को नेतृत्व देने की पुरातन परम्परा रही है। प्रतिभा, योग्यता और समर्पण के आधार पर चर्चाओं का वातावरण सकारात्मकता का पर्याय हुआ करता था। वर्तमान समय में सकारात्मकता को नकारात्मकता ने पछाड दिया है। वातावरण निर्माण हेतु प्रायोजित कार्यक्रमों का दौर शुरू हो गया है। लाभ के अवसरों के लिए आपसी समझौतों की श्रंखला अब नित नई ऊंचाइयां छूने लगीं हैं। इन कार्यक्रमों को विभिन्न माध्यमों से आम आवाम तक पहुंचाने वाले समूह को आधुनिक भाषा में पीआर ग्रुप का नाम दिया गया है। 

व्यक्तिगत संबंधों को व्यापक बनाने के लिए अब विशेषज्ञों की तलाश की जाने लगी है। राजनैतिक धरातल से लेकर वित्तीय संस्थानों तक ने अपने विस्तार के लिए पीआर स्पेशलिस्ट्स की फौज नियुक्त कर ली है। इनसे हटकर अपराधियों, असामाजिक तत्वों और षडयंत्रकारियों ने तो संचार माध्यमों के लिए विधिवत व्यक्तिगत तंत्र ही विकसित कर लिया है। स्वधीनता संग्राम के दौर में धरती से जुडे राष्ट्र भक्तों का बलिदान भी गोरों के षडयंत्र का शिकार हो गया था। उस दौर में भी पैसों की चमक, लालच के दावानल और सत्ता के सम्मान ने इच्छित व्यक्यिों को देश का लोकप्रिय नेता घोषित करवा दिया गया था। 

तब षडयंत्र के तहत अंग्रेजी पत्रों में व्यक्ति विशेष के लिए आलेख, समाचार और  उनकी कथित जीवन गाथायें प्रकाशित करवायी जातीं थीं। लोलुप लोगों को व्यक्ति विशेष के पक्ष में वातावरण निर्मित करने के काम में लगा दिया जाता था, जो चौराहों से लेकर चौपालों तक पहुंचकर उसकी प्रशंसा में मनगढन्त कहानियों सुनाता और समाज में उसे चर्चा का विषय बना देता था। धीरे-धीरे उसके वक्तव्यों को कालीदास के इशारों में बदलकर विदुषी विद्योत्मा बनी आवाम के समक्ष परोसा जाता ताकि समाज उस पैरासूट नेता को वास्तविक नेतृत्व प्रदान कर दे। कठपुतली को जीवित शरीर के भ्रम के रूप प्रस्तुत किया गया। अन्त: देश में जब राष्ट्र भक्तों का दबाव बढने लगा, आम आवाम स्वाधीनता के लिए कफन बांधकर खडी हो गई तो गोरों ने अपनी कठपुतलियों को नेता बनाकर पेश किया। 

वार्ता के लिए उन्हें ही आमंत्रित किया और दिखाने शुरू कर दिये देशवासियों को सब्जबाग। इतिहास की गवाही ने एक बार फिर वर्तमान को व्यथित करना शुरू कर दिया है। अतीक, शाइस्ता, असद, गुलाम, अशरफ, अमृतपाल, जोगा जैसों की नकारात्मकता को सुुर्खियां मिलने लगीं। उनके पक्ष में कमर कसकर खडे लोगों की बातों को महात्व दिया जाने लगा। किसी लोकप्रिय जन कल्याणकारी समाजसेवी की तरह उनकी जीवन गाथायें, विश्राम करने के स्थान, सहयोगियों की जमात जैसे कारक आज चारों ओर छाये हुए हैं। नकारात्मकता को समाप्त करने में लगे लोगों पर प्रश्नचिन्ह अंकित करने का फैशन चल निकला है। सत्य को कोसकर असत्य को स्थापित करने का कारोबार तो दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति करने लगा है। विचार मंथन के माध्यम से पेश किये जाने वाले कार्यक्रम समाज को तोडने में महात्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 

सोची समझी योजना के तहत चलने वाले कृत्यों को सामान्य ढंग से होने वाली गतिविधियों की तरह प्रस्तुत करने की पटकथा तो पहले ही लिखी जा चुकी है। कभी कश्मीर में सेना के जवानों पर वहां के आतंकियों के थप्पड पडते थे और थप्पड मारे वालों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर राष्ट्र भक्त फौजियों पर मामले दर्ज किये जाते थे, जबाब मांगे जाते थे, आत्मरक्षा में उठाये गये कदमों को अपराध बनाकर न्याय की चौखट पर दस्तक दी जाती थी। ऐसे लोलुप भितरघातियों की जमात अब आतंक की इबारत बनने की हसरत पालने वालों के चारों ओर सुरक्षा कवच लगा रही है। सरेआम हत्या करने वालों के साथ खडे लोगों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। अनेक घरों के चिरागों को बुझाने वालों के दीये पर हवा को लगते अपराधियों ने अपने संरक्षणदाताओं के साथ मिलकर मुल्क की फिजां में जहर घोलने का काम शुरू कर दिया है। 

इस जहर की चर्चा भी प्रमुखता से की जाने लगी है। पीआर के विशेषज्ञों को मैदान में उतार दिया गया है। अपराध की कहानियां सुना सुनाकर आम आवाम में दहशत पैदा करने वाले अपने विदेशी आकाओं के इशारों कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं। राजनीति के पंडितों से लेकर अपराध के जल्लादों तक ने समय के साथ करवट बदल ली है। दहशत के आकाओं को उनकी जाति विशेष के लिए संरक्षक की भूमिका में दिखाया जाने लगा हैं। अपराध से जुटायी गई धन-सम्पत्ति से राजनीति के दरवाजे पर दस्तक देने का क्रम भी चल निकला है। सत्ता का मुखिया बनने वाला व्यक्ति भी अपनी जाति के लिए लचीला रुख अख्यितार करता है। अन्य सशक्त जातियों को नस्तनाबूत करने की मुहिम भी पर्दे के पीछे से निरंतर चलाता है। दूसरी ओर पार्टी के लिए धन संग्रह करने में अपराध जगत की महात्वपूर्ण भूमिका भी तेजी से बढ जा रही है। 

पार्टियों की चंदा राशि को सूचना के अधिकार की सीमा से बाहर रखा गया है। इसी तरह निजिता की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी और मौलिक अधिकारों की दुहाई जैसी व्यवस्थायें देश को कोढ में खाज देने का काम स्वाधीनता के बाद से निरंतर कर रहीं हैं। पंजाब में सत्ता बदलते ही खालिस्तान के नारे बुलंद होने लगे। खास दलों की सरकारों वाले राज्यों में धार्मिक उन्माद चरम सीमा पहुंचता जा रहा है। व्यक्तिगत हितों पर आदर्श, सिध्दान्त और नीतियों की हत्यायें हो रहीं है। लोगों की महात्वाकांक्षायें अब आसमान छूने लगीं हैं। दल बदलकर इच्छित लक्ष्य की पूर्ति में जुडे लोगों ने स्वयं को जाति विशेष, सम्प्रदाय विशेष तथा क्षेत्र विशेष का कथित ठेकेदार घोषित कर दिया है। ऐसे लोगों को अपने पक्ष में लाने के लिए खद्दरधारियों की टोलियां जुटीं है ताकि आने वाले चुनावों में सत्ता का सिंहासन मिल सके। 

देश के लिए घातक है अपराधियों का महिमा मण्डन, परन्तु संचार माध्यमों के चन्द मठाधीशों को किन्हीं कारणों से यह सब दिखाई नहीं दे रहा है। यही फर्क है धृतराष्ट्र और गांधारी के अंधेपन में। एक तो सत्ता के लालच में अंधा है तो दूसरा वैभव की प्रचुरता के पीछे पागल होकर अंधे का अंधा बनकर अनुशरण कर रहा है। ऐसे में देश के राष्ट्र भक्त नागरिकों को ही आगे आने होगा, तभी बूंद-बूंद पानी से गागर भर सकेगी और पुन: प्राप्त किया जा सकेगा विश्व गुरु का सम्मान। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।

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