
TOC NEWS
शिलाजीत पत्थरों की शिलाओं से पैदा होता है इसीलिए इसे शिलाजीत कहते हैं। ज्येष्ठ और आषाढ़ के महीनों में सूर्य की प्रखर किरणों से अत्यन्त तप्त होकर लाल हो चुकी पर्वत शिलाओं से निकला हुआ लाख की तरह पिघला हुआ जो द्रव्य बहता है उस रस को इकट्ठा किया जाता है, यही शिलाजीत है। हालांकि कुछ आधुनिक विद्धान इसे द्रव्य न मानकर पर्वतीय वनस्पतियों से निकला रस मानते हैं। उनकी राय में यह पर्वत शिलाओं के बीच से बहता हुआ आता है, इसलिए इसे शिलाजीत कहा जाता है। जो भी हो शिलाजीत की शुद्धता और उपलब्धता सदैव जटिल प्रश्न रही है। लेकिन यदि असली और शुद्ध शिलाजीत उपलब्ध हो जाता है तो यह बड़ी उपलब्धि होती है और यौन रोगियों के लिए तो यह रामबाण साबित होता है।
शिलाजीत के चार प्रकार

8 महारस में से एक है शिलाजीत
शिलाजीत 8 महारस में से एक रस माना गया है। यह धातुओं का सार रूप होता है। इसमें रस, उप रस, पारा, रत्न और लोहे के गुण पाए जाते हैं। मधुमेह के लिए तो शिलाजीत को आयुर्वेद ने वरदान माना है। शिलाजीत को योगवाही, मलछेदन करने वाला, कफ, चरबी, पथरी, मूत्र कृच्छ, क्षय, श्वास, बवासीर, पीलिया, मिर्गी, उन्माद, सूजन, उदर रोग और पेट के कीड़ों का नाश करने में सहायक द्रव्य माना गया है। चरक संहिता में कहा गया है कि पृथ्वी पर ऐसा कोई रोग नहीं है, जिन्हें उचित समय पर उचित योगों के साथ विधिपूर्वक शिलाजीत का प्रयोग करके नष्ट न किया जा सके। स्वस्थ्य मनुष्य भी यदि शिलाजीत का विधिपूर्वक सेवन करता है तो उसे उत्तम बल प्राप्त होता है। प्रमुख रूप से 8 बीमारियों में शिलाजीत के योगों का उचित सेवन रामबाण साबित होता है, लेकिन शर्त शिलाजीत की शुद्धता की रहती है।
प्रमेह रोग में लाभकारीः
शिलाजीत का उपयोग मूत्र रोग, प्रमेह और मधुमेह के लिए सर्वाधिक उपयोगी साबित हुआ है। दो रत्ती शिलाजीत एक चम्मच शहद और एक चम्मच त्रिफला चूर्ण तीनों को मिलाकर प्रातः सूर्योदय से पहले चाटकर सेवन करने से प्रमेह रोग नष्ट होता है।
मूत्र विकार में उपयोगीः
पेशाब में रूकावट, पीड़ा, जलन और प्रमेह दूर करने के लिए छोटी इलाइची और पीपल का सम भाग मिलाया हुआ चूर्ण एक चम्मच तथा शिलाजीत के साथ सेवन करने से मूत्र विकार दूर भागते हैं।
मधुमेह में रामबाणः
मधुमेह रोग के इलाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आपकी तासिर शिलाजीत के उपयोग के अनुकूल है अथवा नहीं, क्योंकि शिलाजीत का सेवन पित्त प्रधान प्रकृति के लिए सर्वथा वर्जित बताया गया है। ऐसी सावधानियों का ध्यान रखते हुए यदि मधुमेह का रोगी निरन्तर और उचित मात्रा में शिलाजीत का सेवन करता है और जब उसके शरीर में लगभग 5 सेर मात्रा में शिलाजीत पहुंच जाती है तो मधुमेह का रोग जड़ से समाप्त हो जाता है।
बहु मूत्र रोग का उपचारः
पेशाब का बार-बार आना, रात को भी पेशाब करने के लिए उठना, एकसाथ भारी मात्रा में पेशाब होना बहु मूत्र रोग के लक्षण है। इस व्याधि को दूर करने के लिए शिलाजीत, बंग भस्म, छोटी इलाइची के दाने और वंश लोचन इन चारों को समान मात्रा में लेकर शहद के साथ मिलाकर दो-दो रत्ती के गोलियां बना ली जाए तथा सुबह-शाम दो-दो गोली गरम दूध के साथ या गोखरू के काढे के साथ सेवन करने से बहु मूत्र, मूत्र कृच्छ, सरकरा और प्रमेह आदि व्याधियां नष्ट हो जाती है तथा शरीर पुष्ट, सुडोल और शक्तिशाली बनता है।
यौन-दुर्बलता से निजातः
यौन शक्ति की कमी, इन्द्रिय की शिथिलता और शीघ्रपतन जैसे यौन विकार और दुर्बलताओं को दूर करने के लिए शिलाजीत का सेवन मिश्री मिले आधा सेर दूध के साथ नियमित रूप से करने से सारी शिकायतें दूर हो जाती है।
स्वप्न दोष का इलाजः
आज कल अधिकांश युवक स्वप्न दोष से पीड़ित रहते हैं। ऐसे रोगियों को यह नुस्खा तैयार कर लेना चाहिए। शिलाजीत 20 ग्राम, बंग भस्म 20 ग्राम, लौह भस्म 10 ग्राम और अभ्रक भस्म 6 ग्राम सबको खरल में डालकर अच्छी तरह घोंटकर मिला लें और दो-दो रत्ती की गोलियां बना लें। एक गोली सुबह मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करें। यदि शाम को भी लेना चाहे तो भोजन के दो-तीन घण्टे बाद लें। स्वप्न दोष और शीघ्रपतन दर करने के लिए यह उत्तम दवा है।
उच्च रक्तचाप पर नियंत्रणः
शिलाजीत उच्च रक्तचाप के रोग में अत्यन्त लाभकारी है। काली सारिवा 5 ग्राम और मुलेठी 10 ग्राम 2 कप पानी में डालकर काढा बनाए। जब पानी आधा कप बचे तब उतारकर छान लें। इस काढे़ के साथ शिलाजीत की दो-दो रत्ती वाली एक-एक गोली का सुबह-शाम सेवन करें। रात्रि को पंच सकार चूर्ण या स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण एक चम्मच मात्रा में पानी के साथ सेवन करके पेट साफ रखें। एक सप्ताह में रक्तचाप सामान्य हो जाता है। इस प्रयोग से लकवे के रोगियों को भी लाभ होता है।
दिमागी ताकतः
दिमागी कार्य ज्यादा करने वाले सामान्यतः कुछ समय बाद दिमागी थकान महसूस करते हैं और निढाल हो जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए एक चम्मच मक्खन का शिलाजीत के साथ सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इससे दिमागी ताकत बढ़ती है और दिमागी थकान तो बिल्कुल भी नहीं होती है।
विशेष सावधानियां
शिलाजीत एक लाभकारी और पौष्टिक द्रव्य है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसका सेवन सर्वथा वर्जित बताया गया है। प्रमुख रूप से पित्त प्रधान प्रकृति वालों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। पित्त प्रकोप हो, आंखें लाल रहती हो, जलन होती हो और शरीर में गरमी बढ़ी हुई हो तो शिलाजीत का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही खानपान का संतुलन इसमें अति आवश्यक बताया गया है। शिलाजीत का सेवन करने के तीन घण्टे बाद भोजन या किसी ठोस पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। इन उपायों के साथ शुद्ध शिलाजीत बहुत ही लाभकारी साबित होता है।
No comments:
Post a Comment