Represent By - TOC NEWS // अरुण पटेल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबसे सत्ता संभाली है उस समय से ही वे लगातार यह दावा करते रहे हैं कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे और खेती लाभ का धंधा बनेगी। लेकिन राजधानी भोपाल में मेधावी छात्र-छात्राओं को लेपटाप के लिए राशि वितरित करने वाले समारोह में अचानक उनका यह कहना कि खेती अब लाभ का धंधा नहीं रही है, इसलिए कारोबार के जगत में आयें और अडानी-अम्बानी बनने की कोशिश करें। उन्होंने चाहे जिस संदर्भ में यह बात कही हो लेकिन इसको लेकर सवाल उठाये जाने लगे हैं और सबसे तल्ख टिप्पणी करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि अब प्रदेश में खेती नहीं रेत लाभ का धंधा हो गया है। किसानों को लेकर जुलाई माह में राजनीति गरमायेगी तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसके साथ ही रेत के अवैध उत्खनन का मामला भी जोरशोर से उठायेगी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि खेत और रेत में मध्यप्रदेश की सियासत और राजनीति लम्बे समय तक उलझी रहेगी।
जून माह से मध्यप्रदेश में किसान आंदोलित हैं और मंदसौर में किसान आंदोलन के हिंसक हो जाने के बाद पुलिस गोलीचालन में 6 किसानों की मौत होने के बाद से किसानों के बीच अपना आधार बढ़ाने की होड़ राजनीतिक दलों में लग गई है। किसानों की आत्महत्या का सिलसिला भी नहीं थम रहा है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का दावा है कि पिछले 24 दिन में 53 किसानों ने आत्महत्या कर ली है। किसानों के बीच जहां भाजपा किसान संदेश यात्रा निकाल रही है जो कि 6 जुलाई को समाप्त होगी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने रीवा से इसका आगाज किया था और विधायक एवं भाजपा नेता सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में किसान संदेश यात्रा निकाल रहे हैं। इसमें किसानों की उपस्थिति बहुत कम देखी जा रही है। देवास में 28 जून को जिस किसान संदेश यात्रा का शुभारंभ नंदकुमार सिंह चौहान ने किया था उसकी तुलना में उसी दिन विंध्य क्षेत्र के सिंगरौली में किसानों की समस्याओं को लेकर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने जो किसान सभा की उसमें उपस्थिति काफी अधिक थी। तीन दिन विंध्य क्षेत्र में ही अजय सिंह ने अलग-अलग स्थानों पर किसान सभाएं कीं जिसमें बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।
एक तरफ तो भाजपा की कोशिश यह है कि किसान संदेश यात्रा के माध्यम से किसानों के बीच फिर से शिवराज की छवि में निखार लाया जाए तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की कोशिश यह है कि किसानों की समस्याओं को लेकर उसका निराकरण होने तक आंदोलन छेड़ा जाए और शिवराज सरकार की छवि में किसान आंदोलन से जो कमी आई है उसमें फिर निखार न आने पाये। कांग्रेस का कहना है कि जब तक किसानों का कर्ज माफ नहीं होगा तथा स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के अनुसार फसल का मूल्य नहीं दिया जाएगा उस समय तक उनका अभियान निरन्तर जारी रहेगा। कांग्रेस सड़क से लेकर संसद तक सरकार की घेराबंदी करेगी। विधानसभा के मानसून सत्र में इस मुद्दे को लेकर सरकार पर जोरदार हमला करने के लिए नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की अगुवाई में कांग्रेस विधायक दल ने कमर कस ली है। कांग्रेस ने जुलाई माह के पहले दिन से किसान स्वाभिमान यात्रा का आगाज कर दिया है जिसका 10 जुलाई को भिण्ड जिले के लहार में एक मेगा-शो के तहत विशाल किसान महापंचायत के रूप में समापन होगा। 6 जुलाई को मंदसौर जिले के पिपल्यामंडी से भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसान मुक्ति यात्रा प्रारंभ की जाएगी जिसका समापन 18 जुलाई को दिल्ली में होगा।
जिस प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किसानों की समस्याओं को लेकर राजधानी भोपाल में सत्याग्रह किया था और उसका समापन एक विशाल किसान महापंचायत के रूप में खलघाट में हुआ था। उसी तर्ज पर प्रदेश भर में जो किसान स्वाभिमान यात्राएं कांग्रेस द्वारा निकाली जा रही हैं उनका समापन भिण्ड के लहार में एक प्रभावी विशाल किसान महापंचायत में होगा। इस अवसर पर कांग्रेस के सभी बड़े नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सत्यव्रत चतुर्वेदी, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, विवेक तन्खा आदि उपस्थित रहेंगे। इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस के वे चेहरे जो कांग्रेस की सरकारों के दौरान महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं लेकिन अब उम्रदराज और पूछपरख नहीं होने के कारण अपने घरों तक सिमट गए हैंं उन्हें भी इस मंच पर लाने की कांग्रेस कोशिश कर रही है ताकि वह एकजुटता का संदेश दे सके। अटेर विधानसभा उपचुनाव के समय ज्योतिरादित्य सिंधिया और डॉ. गोविंद सिंह के बीच जो केमेस्ट्री बनी थी वह भोपाल में सत्याग्रह के दौरान भी देखने को मिली और दोनों की नजदीकियां चम्बल-ग्वालियर संभाग की राजनीति में कांग्रेस की मजबूती के लिए संजीवनी का काम रही हैै। लहार में भी सिंधिया-सिंह की जोड़ी ही इस आयोजन की असली सूत्रधार है और डॉ. गोविंद सिंह के विधानसभा क्षेत्र में 10 जुलाई को जो आयोजन हो रहा है उसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि यह कांग्रेस का आयोजन रहे और इसमें सभी बड़े नेता एक साथ शिरकत करें। अब कांग्रेस 2018 तक इसके बाद अन्य स्थानों पर भी ऐसे आयोजन करती रहेगी जो प्रदेश कांग्रेस के बैनर तले होंगे और उसमें सभी बड़े नेता एक मंच पर नजर आयेंगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और प्रभारी महासचिव मोहन प्रकाश ने ऐलान किया है कि किसानों की कर्जमाफी, फसलों का उचित मूल्य, किसानों पर लगाये गये सभी मुकदमें वापस लेने जैसी विभिन्न मांगों को लेकर 1 जुलाई से 10 जुलाई तक किसान स्वाभिमान यात्राएं निकाली जायेंगी जो प्रदेश के हर गांव में जायेंगी। शिवराज सरकार की किसान विरोधी नीतियों का पर्दाफाश करते हुए मंदसौर जिले में पुलिस गोलीचालन में मारे गये किसानों को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी। लहार के साथ ही 10 जुलाई को प्रदेश के सभी तहसील और विधानसभा क्षेत्रों के मुख्यालयों पर भी किसान स्वाभिमान यात्राओं का समापन होगा। अरुण यादव का कहना है कि किसानों की लड़ाई कांग्रेस पूरी ताकत से लड़ेगी और उनकी मांगों की पूर्ति के लिए उनके साथ मिलकर संघर्ष करेगी।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति 6 जुलाई को पिपल्यामंडी मंदसौर से किसान मुक्ति यात्रा इस नारे के साथ निकालेगी कि “खुशहाली को दो आयाम, ॠण मुक्ति और पूरे दाम’’। किसान मुक्ति यात्रा का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए समन्वय समिति के नेता सांसद राजू शेट्टी, बी.एम. सिंह पूर्व विधायक उत्तरप्रदेश और पूर्व विधायक मध्यप्रदेश डॉ. सुनीलम् ने कहा कि किसानों की लागत से डेढ़ गुने समर्थन मूल्य पर सभी कृषि उत्पादों की खरीदी और किसानों की कर्जमुक्ति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर देश के किसानों के बीच जनजागृति पैदा की जाएगी। मंदसौर गोलीकांड के दोषी अधिकारियों पर हत्या के मुकदमें दर्ज करने, मृतक किसानों को शहीद का दर्जा देने एवं सभी किसानों पर लादे गए मुकदमों को वापस लेने की मांग भी की है। किसान मुक्ति यात्रा 6 जुलाई को उन सभी गांवों से निकाली जाएगी जहां के किसान शहीद हुए हैं। शहीदों के लिए किसानों द्वारा बनाये जाने वाले शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद पिपल्यामंडी में शहीद किसान स्मृति महापंचायत आयोजित की जाएगी। इसमें गोलीचालन का एक माह पूरा होने पर शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। किसान मुक्ति यात्रा महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और उत्तरप्रदेश होते हुए फरीदाबाद के रास्ते 18 जुलाई को दिल्ली पहुंचेगी। जिस संघर्ष समिति के बैनर तले यह यात्रा निकाली जा रही है उसका गठन 20 राज्यों के 130 किसान संगठनों ने इसी वर्ष 16 जून को किया था।
एक तरफ किसानों की समस्याओं को लेकर पूरे प्रदेश में राजनीति गर्म है तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री चौहान द्वारा नर्मदा नदी में उत्खनन पर पूरी रोक लगाये जाने के बाद भी चोरी-छिपे रात के साये में रेत का अवैध परिवहन हो रहा है। एक ही नम्बर के चार-चार डम्पर एक की रायल्टी चुकाकर परिवहन करते हुए पकड़े गए हैं जिससे भी यह मामला गर्मा गया है। प्रदेश के विभिन्न अंचलों में खनिज माफिया जिस प्रकार अधिकारियों पर हावी होने की कोशिश कर रहा है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में खेती की समस्याओं के साथ ही रेत तथा अन्य खनिजों के अवैध उत्खनन को लेकर विपक्ष सरकार की घेराबंदी पूरी ताकत से करेगा।
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