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मध्य प्रदेश में फर्जी फैकल्टी का सबसे बड़ा माफिया है श्री राम शिक्षण समूह ! |
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जबलपुर . इंजीनियर विज्ञान और गणित का उपयोग करके दुनिया को बेहतर बनाने के लिए रचनात्मक और व्यावहारिक समाधान प्रदान करते हैं। इंजीनियर डे की पूर्व संध्या पर त्रिपुरी टाइम्स की टीम ने लीजेंटरी ऑफ इंजीनियर्स डॉ आरएल शिवहरे और अंशुमन शुक्ला से बात की।
उन्होंने बहुत ही स्पष्टता से कहा कि फैकल्टी इंजीनियरिंग कॉलेज का अनिवार्य पार्ट है। शासन के द्वारा निर्धारित गाइडलाइन का पालन सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के इंजीनियरिंग कॉलेज को करना चाहिए। आरजीपीवी को कॉलेज की मान्यता देने और समाप्त करने का अधिकार है। श्री राम इंजीनियरिंग कॉलेज में अगर फैकेल्टी नहीं है या डॉक्यूमेंट में फेक फैकल्टी जलेट कर मान्नता ली गई है-तो इसकी मान्यता समाप्त की जानी चाहिए। केवल इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि मान्यता देने के लिए निरीक्षण कर गलत रिपोर्ट देने वाले प्रोफेसर्स या अधिकारी और मान्यता देने वाले कुलगुरु और रजिस्ट्रार के खिलाफ भी कार्रवाई होन्स पाहिए। आपको बता दें कि गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कलिज से सेवानिवृति के पश्चात डॉ आमएल शिवहरे ने अनेक इंजीनियरिंग कॉलेजों में सेवाएं दी एवं मार्गदर्शन किया है और अनुमन मुक्ता इंस्टीट्यूट आफ इंजिनियर्स के अध्यक्ष एवं ऑल एमपी इंजीनियरिंग कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं।
फर्जी फैकेल्टी का महाघोटाला उजागर
गौरतलब है कि श्री राम शिक्षण समूह के द्वारा 10 कॉलेज संचालित किए जा रहे हैं। उपरोक्त कॉलेज की मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रबंधकों ने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर फैकेल्टी दशाई है, जिसमें अधिकांश नाम फर्जी है। त्रिपुरी टाइम्स ने उपरोक्त कॉलेज की फर्जी फैकेल्टी के महाघोटाले को उजागर किया है। आपको बता दें कि श्रीराम शिक्षमा समूह के द्वारा संचालित 10 कॉलेज में आठ कॉलेज की मान्यता आरजीपीवी भोपाल से है एवं 2 कॉलेज श्रीराम इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एवं श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की मान्यता रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से ली गई है। रिपुरी टाइम्स की टीम श्री राम शिक्षण समूह के द्वास संचालित सभी कॉलेज की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। फजीवांडा सत्यापित होने के बाद ही हम खबर प्रकाशित कर रहे हैं। फर्जी फैकल्टी में एक और नाम एसोसिएट प्रोफेसर एमआर सिंह का है।
फर्जी फैकल्टी के खजाने से निकला एक और नगीना
श्रीराम शिक्षण समूह के फर्जी फैकल्टी के खजाने से निकला एक और नगीना एमआर सिंह को श्रीराम इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर दिखाया जा रहा है। 27 अगस्त 2025 की फैकल्टी लिस्ट में जो हमने आरजीपीवी की आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त की है। उनकी नियुक्ति की तारीख 12 सितंबर 2011 दिखाई जा रही है। अब चमत्कार वह है कि उनका नाम 26 जून 2025 की फैकल्टी लिस्ट में नहीं था। उनका नाम हमारे खुलासों के बाद जोड़ा गया है। आरजीपीवी की वेबसाइट पर उनकी प्रोफाइल में ईमेल आईडी भी संदिग्ध है।
- नाम किसी का मोबाइल न किसी का
- श्री राम कॉलेज के प्रबंधकों ने बड़े ही शातिर तरीके से फर्जी
- एसिस्टेंट प्रोफेसर मधुलिका चौहान के नाम पर दर्ज है लैब असिस्टेंट राजेन्द्र तिवारी का मोबाईल नं
फेकान्टी क्रिएट की है। फर्जी फैकल्टी में भी नाम किसी का और मोबाइल नंबर किसी का किया है कोई थी फिकल्टी में कनेक्ट ना हो सके, लेकिन चिपुरी टाइम्स की टीम ने फीड़ा पकड़ लिया है। एसोसिएट सिकेर सिंह के नाम के आने किसी अन्य महिला का मोबाइल नंबर दर्ज है। ताकि कोई भी बाहरी माँस फैकल्टी से कनेक्ट हो सके।
आज मियाद हो रही खत्म
त्रिपूरी टाइम्स की खबर काव्यापकता दिख रहा है। ले सोमवार को श्री राम कॉलेज में स्थित नगई थी, जब मध्य प्रदेश सरकार की उच्च शिक्षा विभाग की टीम भडि सत्यापन करने पहुंची। अतिरिक्त संचालक उन्नति जबलपुर सांभार डॉ पंजाबराव चति एवं प्राचार्य लीड कॉलेज जबलपुर डॉ अल्केच निरीक्षकया एवं जानकारी प्राप्त की। राय शिक्षणसमूह के संचालकों को उस समय भी आग, जब टीम कोड 28 के सह फैकल्टी की जानकारी मांगी और जया करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था जिसकी निगद आज खत्म हो रही है। ज
हर गतिविधि पर नजर
त्रिपुरो टाइम्स की टीम श्रीराम शिक्षण समूह के द्वारा कॉलेजों को हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। और फजीबाई का डाटा सत्यापित होते ही हम खबर प्रकाशित कर आमजन एवं जिम्मेदारों तक पहुंच रहे है। त्रिपुरी टाइम्स को जांच जारी है बने
आनन-फानन में हटाए कई फर्जी नाम
श्री राम शिक्षण समूह के द्वारा संचलिड 10 कॉलेज में फर्जी फैकल्टी की जांच त्रियुरी वाम्स को टीम कर रही है। फर्जी फैकेल्टी को हम तथों केसरकर ने पूर्व में आनन-फानन में कई कीं नाम हटाए और दिखायेका फैकल्टी रिक्वायरमेंट का विज्ञापन निकाला। सुझे से प्रान जनकारी अनुसार उन्होंने फिर से कई फनी नाम अपडेट कर दिए गए हैं। त्रिपुरी टइन्स की टीम अपडेट नामों की भी जांच कर रही है। जिसका खुलासा आगामी में किया जाए।
आरजीपीवी ने दिया अभयदान ?
फर्जी फैकल्टी के लगातार हो रहे खुलासे के बाद ने जांच में पापा कलेज के उस फैकल्टी नहीं में। पूरा उसके के मान्यतासमकर फैकल्टी इयूको सत्य करने महोने का समय लिया जाना अनेक वसा के प्रश्न खड़े कर रहा है। डॉक्यूमेंट क्रिएट कर संबात लेना यह अपने आप में बहुत बड़ा अपराधिक जुर्म है। फौला डॉक्यूमेंट किट करवा लेने के मामले में भीषात में विधायक आरिफ के आदेश से FIR दर्ज हो चुकी है।विका कहना है इनके खिलाफ तत्काल एफआईआर कई जाए। तो क्या इस मामले में थे कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई होगी? कुलगुरु और कोशिश का है


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