ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों प्रमुख से सम्पर्क : 98265 40182
अफसरों और पंप मालिको की लूट, सरकार की छूट, उपभोक्ता बेबस
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अफसरों और पंप मालिको की लूट, सरकार की छूट, उपभोक्ता बेबस
अम्बिकापुर। अंम्बिकापुर के अधिसंख्य पेट्रोल पम्प मिलावटी पदार्थो की सप्लाई का केन्द्र बन गए है। मिलावट के साथ-साथ उपभोक्ताओं को कम पेट्रोल देकर प्रतिदिन हजारों रूपये अवैध तरीके से कमाए जा रहें हैं। पेट्रोलियम पदार्थो की इस धांधली में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कम्पनियों के आला अफसरों की पेट्रोल पम्प मालिक से मिली भगत जगजाहिर है। माप तौल विभाग के अधिकारी भी मोटी रकम मिलने पर हेराफेरी में शमिल हो जाते है अपनी जेबें भरने के लिए सरकारी अधिकारी तथा पेट्रोल पम्प मालिक वाहन धारकों को लूट रहें हैं। पम्प मालिकों की लूट-खसोट के आगे उपभोक्ता बेबस है। लोगो का कहना है कि पेट्रोल पम्पों से शुद्व ईधन मिलने की उम्मीद रखना व्यर्थ है। अम्बिकापुर तथा आस पास के लोगां ने एक स्वर में कहा कि पम्पों पर घटिया पेट्रोल मिलता ही है, मात्रा भी कम होती है। घटिया पेट्रोल से वाहन आए दिन खराब हो जाते है।
जब जनसाधारण को इतनी बेरहमी से लूटा जा रहा हो, ऐसे में सरकार की चुप्पी से लोग हैरत में है।ं देश में इस समय चार तेल कम्पनीयां सार्वजनिक क्षेत्र में हैं। अंम्बिकापुर में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में इन्हीं चार तेल कम्पनियों के रिटेल पम्प स्टेशन हैं। इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, हिन्दुस्तन पेट्रोलियम और आईबीपी ने मिलकर पेट्रोल पम्पों पर निगरानी के लिए एक पूल बनाया हैं पूल के अधिकारियों का कर्तव्य पम्प स्टेशनों से निकलने वाले पेट्रोलियम पदार्थो की गुणवत्ता की समय-समय पर जांच करने के साथ-साथ मात्रा पर नजर रखना है। लेकिन वास्तवा में क्या होता है, यह भुक्तभोगी उपभोक्ताओं से अधिक और कोई नहीं जान सकता। प्रत्येक पेट्रोल पम्प पर लिखा होता है कि कोई भी शिकायत अमुक अधिकारी से करें। जिस कम्पनी का पेट्रोल पम्प होता है, उसके अधिकारी का नाम बड़े अक्षरों में लिखा होता है लेकिन उससे सम्पर्क करना आसाना बात नहीं। लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में पेट्रोल मिलाए जाने वाले साल्वेंट की शिकायत कहां की जाए, यह उन्हें पता नहीं। तेल कम्पनियों को प्रत्येक पम्प पर एक ऐसा फोन नम्बर अवश्य लिखना चाहिए जिस पर 24 घंठे सम्पर्क किया जा सके। जब कम्पनी अपने पम्प को 24 घंटे खुलें रखने की इजाजत दे सकती है तो उन्हें ग्राहकों की शिकायत सुनने के लिए भी हर समय एक व्यक्ति को तैनात रखना चाहिए, ताकि पेट्रोल पम्प मालिकों पर लगाम कसी जा सकें।
दोपहिए वाहन इस मिलावट से बहुत अधिक प्रभावित हो रहे हेैं। स्कूटर में पेट्रोल के साथा मिश्रित मोबिल ऑयल की मात्रा दो प्रतिशत से कम होती है। पेट्रोल और मोबिल ऑयल मिश्रित होने का दावा किया जाता है लेकिन जानकार बतातें हैं कि इसमें मोबिल ऑयल की मात्रा दो प्रतिशत से कम होती है। पेट्रोल और मोबिल ऑयल का मिश्रण ठीक अनुपात में न होने का सीधा असर स्कूटर पड़ता है। इंजन जल्दी खराब हो जाते हैं। वाहन धारक अपना खराब स्कूटर लेकर जब मैकेनिक के पास जाता है तो मैकेनिक भी उसे सलाह देता है कि दो प्रतिशत मोबिल ऑयल मिश्रित न होने से यह गड़बड़ी हो रही है मैकेनिक अलग से मोबिल ऑयल डालने की सलाह वाहन धारकों को देता हैं। अधिकतर पेट्रोल पम्प मालिकों ने एक अलग रवैया अपना रखता है वह टूटी मिक्स खराब बताकर अलग से मोबिल ऑयल डालने वाले पम्प पर जाने के लिए कहते हैं। दोनो तरह के पम्प एक ही स्टेशन पर उपलब्ध रहते हैं लेकिन अलग से मोबिल ऑयल डालने वाली मशीन से घटिया किस्म का मोबिल ऑयल सप्लाई किया जाता है इससे पेट्रोल पम्प मालिक अधिक मुनाफा कमाते हैं। वैसे तो क्वालिटी की जांच, मात्रा की जांच, नकद रसीद, मुफ्त हावा मुफ्त पेय जल/ रेडियडर जल, सुझाव/शिकायत पुस्तिका ग्राहक के अधिकार बताए गए हैं लेकिन वास्तव में ऐसा कूछ नहीं हैं। अगर उपभोक्ता हाथ धोकर पीछे पड़ जाए तो क्वालिटी की जांच प्रयोगशाला में भेज दी जाती है। वहों से गुणवक्ता हमेशा उत्तम हीे आती है। मात्रा की जांच तभी हो सकती है जब या तो वाहन धारक अपने स्कूटर या कार की टंकी खाली ले जाए टेंक फूल करने के लिए कि उपभोगता झुंझलाकर अपना वाहन आगे बढ़ा देता है। टायरों में हवा का प्रबंध सभी पम्प स्टेशनों पर संतोषजनक नहीं है शाम होते ही हवा भरने वाला गायब हो जाता है। ग्राहको का मुफ्त पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था पेट्रोल पम्प पर नहीं है शिकायत पुस्तिका के दर्शन तो कुछ गिने चुने पेट्रोल पम्पों पर ही होते है। अब जब पम्पों पर मात्रा और रकम दर्शाने वाली मशीन लगी है। तब भी पम्प कर्मचारी बचे पैसे वापस करने में आनाकानी करते है। अगर वाहन में 100 रूपये का पेट्रोल डालने के लिए कहा जाए तो कर्मचारी निकटतम पाइंट तक जाकर पेट्रोल बंद देता है। ग्राहक के एक बार में 20 से 35 पैसे तक वापस नहीं किए जाते, जबकि पेट्रोल पम्प वाले मीटर में पांच पैसे अधिक आने पर अहसान सा जताते है। पम्प कर्मचारियों का व्यवहार भी ठीक नहीं होता है।
जब जनसाधारण को इतनी बेरहमी से लूटा जा रहा हो, ऐसे में सरकार की चुप्पी से लोग हैरत में है।ं देश में इस समय चार तेल कम्पनीयां सार्वजनिक क्षेत्र में हैं। अंम्बिकापुर में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में इन्हीं चार तेल कम्पनियों के रिटेल पम्प स्टेशन हैं। इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, हिन्दुस्तन पेट्रोलियम और आईबीपी ने मिलकर पेट्रोल पम्पों पर निगरानी के लिए एक पूल बनाया हैं पूल के अधिकारियों का कर्तव्य पम्प स्टेशनों से निकलने वाले पेट्रोलियम पदार्थो की गुणवत्ता की समय-समय पर जांच करने के साथ-साथ मात्रा पर नजर रखना है। लेकिन वास्तवा में क्या होता है, यह भुक्तभोगी उपभोक्ताओं से अधिक और कोई नहीं जान सकता। प्रत्येक पेट्रोल पम्प पर लिखा होता है कि कोई भी शिकायत अमुक अधिकारी से करें। जिस कम्पनी का पेट्रोल पम्प होता है, उसके अधिकारी का नाम बड़े अक्षरों में लिखा होता है लेकिन उससे सम्पर्क करना आसाना बात नहीं। लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में पेट्रोल मिलाए जाने वाले साल्वेंट की शिकायत कहां की जाए, यह उन्हें पता नहीं। तेल कम्पनियों को प्रत्येक पम्प पर एक ऐसा फोन नम्बर अवश्य लिखना चाहिए जिस पर 24 घंठे सम्पर्क किया जा सके। जब कम्पनी अपने पम्प को 24 घंटे खुलें रखने की इजाजत दे सकती है तो उन्हें ग्राहकों की शिकायत सुनने के लिए भी हर समय एक व्यक्ति को तैनात रखना चाहिए, ताकि पेट्रोल पम्प मालिकों पर लगाम कसी जा सकें।
दोपहिए वाहन इस मिलावट से बहुत अधिक प्रभावित हो रहे हेैं। स्कूटर में पेट्रोल के साथा मिश्रित मोबिल ऑयल की मात्रा दो प्रतिशत से कम होती है। पेट्रोल और मोबिल ऑयल मिश्रित होने का दावा किया जाता है लेकिन जानकार बतातें हैं कि इसमें मोबिल ऑयल की मात्रा दो प्रतिशत से कम होती है। पेट्रोल और मोबिल ऑयल का मिश्रण ठीक अनुपात में न होने का सीधा असर स्कूटर पड़ता है। इंजन जल्दी खराब हो जाते हैं। वाहन धारक अपना खराब स्कूटर लेकर जब मैकेनिक के पास जाता है तो मैकेनिक भी उसे सलाह देता है कि दो प्रतिशत मोबिल ऑयल मिश्रित न होने से यह गड़बड़ी हो रही है मैकेनिक अलग से मोबिल ऑयल डालने की सलाह वाहन धारकों को देता हैं। अधिकतर पेट्रोल पम्प मालिकों ने एक अलग रवैया अपना रखता है वह टूटी मिक्स खराब बताकर अलग से मोबिल ऑयल डालने वाले पम्प पर जाने के लिए कहते हैं। दोनो तरह के पम्प एक ही स्टेशन पर उपलब्ध रहते हैं लेकिन अलग से मोबिल ऑयल डालने वाली मशीन से घटिया किस्म का मोबिल ऑयल सप्लाई किया जाता है इससे पेट्रोल पम्प मालिक अधिक मुनाफा कमाते हैं। वैसे तो क्वालिटी की जांच, मात्रा की जांच, नकद रसीद, मुफ्त हावा मुफ्त पेय जल/ रेडियडर जल, सुझाव/शिकायत पुस्तिका ग्राहक के अधिकार बताए गए हैं लेकिन वास्तव में ऐसा कूछ नहीं हैं। अगर उपभोक्ता हाथ धोकर पीछे पड़ जाए तो क्वालिटी की जांच प्रयोगशाला में भेज दी जाती है। वहों से गुणवक्ता हमेशा उत्तम हीे आती है। मात्रा की जांच तभी हो सकती है जब या तो वाहन धारक अपने स्कूटर या कार की टंकी खाली ले जाए टेंक फूल करने के लिए कि उपभोगता झुंझलाकर अपना वाहन आगे बढ़ा देता है। टायरों में हवा का प्रबंध सभी पम्प स्टेशनों पर संतोषजनक नहीं है शाम होते ही हवा भरने वाला गायब हो जाता है। ग्राहको का मुफ्त पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था पेट्रोल पम्प पर नहीं है शिकायत पुस्तिका के दर्शन तो कुछ गिने चुने पेट्रोल पम्पों पर ही होते है। अब जब पम्पों पर मात्रा और रकम दर्शाने वाली मशीन लगी है। तब भी पम्प कर्मचारी बचे पैसे वापस करने में आनाकानी करते है। अगर वाहन में 100 रूपये का पेट्रोल डालने के लिए कहा जाए तो कर्मचारी निकटतम पाइंट तक जाकर पेट्रोल बंद देता है। ग्राहक के एक बार में 20 से 35 पैसे तक वापस नहीं किए जाते, जबकि पेट्रोल पम्प वाले मीटर में पांच पैसे अधिक आने पर अहसान सा जताते है। पम्प कर्मचारियों का व्यवहार भी ठीक नहीं होता है।
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