प्रतिनिधि//अहद अहमद सिद्दीकी(शहजादे) (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
से सम्पर्क 99362 94019401
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इलाहाबाद। साधन सहकारी समिति लि. जादीपुर खजुरी कोरांव जनपद इलाहाबाद जो कोरांव के एफ. एस. एस. लि. के बाद दूसरे नम्बर पर समिति से जुड़े किसानों की सेवा में व विभाग के मार्ग दर्शन पर काम करने के लिये प्रसिद्ध है, परन्तु उ.प्र. सहकारी समितियां के जनपद और प्रदेसीय अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उदासिनता के चलते समिति की 2 -3 वर्श से प्रस्तावित नयी बिल्डिंग के निर्माण कार्य की मंजूरी अभी तक प्रदान नहीं हो सकी।
उल्लेखनीय है कि उक्त सा.सह. समिति जादीपुर खजुरी में वार्षिक व्यवसाय टर्न ओवर लगभग 24 लाख है। इस सोसाइटी में 1800 किसान काश्तकार सदस्य है। नियमित खुलते व किसानों की सेवा में तत्पर रहने वाली इस समिति का यह आलम है कि 2 वर्श पूर्व उ.प्र. भंछारागार निगम इलाहाबाद से इफ्को की खाद लादकर आयी ट्रक ने उक्त घटिया किस्म के बने भवन से खाद अनलोडिंग करते समय दिवार से टकरा गयी थी और भरभरा - भरभरा कर उक्त बिल्डिंग ढह गयी थी। जिसकी सूचना सा.स.स.लि. जादीपुर खजुरी के अध्यक्ष कृष्णाकान्त पाण्डेय व तत्कालीन ग्राम प्रधान खजुरी इन्द्रजीत सिंह पटेल ने सक्षम अधिकारियों को दी थी। समिति के ए. आर. इलाहाबाद एन.वी. सिंह आदि अफसरों ने भवन निर्माण कार्य हेतु धन मंजूर कराने व अग्रिम कार्यवाही का आश्वासन किया था लेकिन अभी तक भवन न बनने से समिति के कर्मचारियों, अध्यक्ष सदस्य आदि किसानों को घोर परेशानियां उठानी पड़ रही है। अध्यक्ष श्री पाण्डेय ने बताया कि उत्सन्त जर्जर भवन में खाद रखना सुरक्षा करना खतरे से खाली नहीं है। किसी भी समय कोई दुर्घटना घट सकती है। इस समिति के पूर्व अध्यक्ष गजानन्द सिंह ने भी बताया कि सरकार और विभागीय अधिकारियों की मूकदर्शकता के चलते यह भवन न बनना दुर्भाग्य पूर्ण है। अवशेष भवन के ढहने से उत्पन्न किसी किसानों पर कर्मी की मौत का जिम्मेदार कौन होगा? श्री सिंह ने भी नये भवन के निर्माण की वकालत की। समिति के सचिव आादि कर्मचारियों ने बताया कि उक्त भवन के भवन के अभाव में रख रखाव काफी प्रभावित है। ए.डी.के. एफ.एस.एस. कोरांव छविनाथ राम यादव ने कहा कि भवन के निर्माण हेतु कोई कोर कसर नहीं छोड़ा गया है। समिति के अध्यक्ष कृष्णा कान्त पाण्डेय ने बताया कि मेरा पूरा प्रयास रहता है कि समिति व किसानों की उपेक्षा न होने पावे। लेकिन संवाधित अधिकारियों की मूकदर्शकता के चलते काम काज में प्रसिद्ध समिति का भवन न बनना चर्चा का विशय बना है। इस बावत एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यदि इसमें कोई अम्बेडकर के नाम पर पार्क का प्रस्ताव गया होता तो संग दिल हो गयी प्रदेश सरकार शायद पार्क के साथ - साथ किसानों की समिति का भवन जहां जहां भी जर्जर एवं ध्वस्त हुए है वहां वहां भवन निर्माण हेतु बजट आ गया होता।
उल्लेखनीय है कि उक्त सा.सह. समिति जादीपुर खजुरी में वार्षिक व्यवसाय टर्न ओवर लगभग 24 लाख है। इस सोसाइटी में 1800 किसान काश्तकार सदस्य है। नियमित खुलते व किसानों की सेवा में तत्पर रहने वाली इस समिति का यह आलम है कि 2 वर्श पूर्व उ.प्र. भंछारागार निगम इलाहाबाद से इफ्को की खाद लादकर आयी ट्रक ने उक्त घटिया किस्म के बने भवन से खाद अनलोडिंग करते समय दिवार से टकरा गयी थी और भरभरा - भरभरा कर उक्त बिल्डिंग ढह गयी थी। जिसकी सूचना सा.स.स.लि. जादीपुर खजुरी के अध्यक्ष कृष्णाकान्त पाण्डेय व तत्कालीन ग्राम प्रधान खजुरी इन्द्रजीत सिंह पटेल ने सक्षम अधिकारियों को दी थी। समिति के ए. आर. इलाहाबाद एन.वी. सिंह आदि अफसरों ने भवन निर्माण कार्य हेतु धन मंजूर कराने व अग्रिम कार्यवाही का आश्वासन किया था लेकिन अभी तक भवन न बनने से समिति के कर्मचारियों, अध्यक्ष सदस्य आदि किसानों को घोर परेशानियां उठानी पड़ रही है। अध्यक्ष श्री पाण्डेय ने बताया कि उत्सन्त जर्जर भवन में खाद रखना सुरक्षा करना खतरे से खाली नहीं है। किसी भी समय कोई दुर्घटना घट सकती है। इस समिति के पूर्व अध्यक्ष गजानन्द सिंह ने भी बताया कि सरकार और विभागीय अधिकारियों की मूकदर्शकता के चलते यह भवन न बनना दुर्भाग्य पूर्ण है। अवशेष भवन के ढहने से उत्पन्न किसी किसानों पर कर्मी की मौत का जिम्मेदार कौन होगा? श्री सिंह ने भी नये भवन के निर्माण की वकालत की। समिति के सचिव आादि कर्मचारियों ने बताया कि उक्त भवन के भवन के अभाव में रख रखाव काफी प्रभावित है। ए.डी.के. एफ.एस.एस. कोरांव छविनाथ राम यादव ने कहा कि भवन के निर्माण हेतु कोई कोर कसर नहीं छोड़ा गया है। समिति के अध्यक्ष कृष्णा कान्त पाण्डेय ने बताया कि मेरा पूरा प्रयास रहता है कि समिति व किसानों की उपेक्षा न होने पावे। लेकिन संवाधित अधिकारियों की मूकदर्शकता के चलते काम काज में प्रसिद्ध समिति का भवन न बनना चर्चा का विशय बना है। इस बावत एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यदि इसमें कोई अम्बेडकर के नाम पर पार्क का प्रस्ताव गया होता तो संग दिल हो गयी प्रदेश सरकार शायद पार्क के साथ - साथ किसानों की समिति का भवन जहां जहां भी जर्जर एवं ध्वस्त हुए है वहां वहां भवन निर्माण हेतु बजट आ गया होता।
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