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मुंबई। अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के भाई दीपक निकालजे को केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है। निकालजे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के टिकट पर सातारा जिले की फलटन सीट से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन उनका चुनाव चिह्न कमल होगा। वह बीजेपी के चुनाव चिन्ह 'कमल' के निशान पर ही चुनाव मैदान में उतरेंगे।
दीपक को फल्टन विधानसभा से टिकट दिया गया है। दरअसल भाजपा ने अपने कोटे से 6 सीटें आईपीआई को दी हैं और सभी आरपीआई के प्रत्याशी बीजेपी के चुनाव चिन्ह कमल के निशान पर ही चुनाव मैदान में उतरेंगे।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) ने छोटा राजन के भाई को आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है. अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का भाई दीपक निखालजे महाराष्ट्र की फलटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. बता दें, RPI राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का सहयोगी है.
खबरों के मुताबिक दीपक निखालजे चेंबूर सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, हालांकि आरपीआई ने उन्हें फलटन से टिकट दिया. अठावले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में छह सीटें मिली हैं. गौरतलब हो, लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी और शिवसेना के अलावा महाराष्ट्र में एनडीए के किसी भी सहयोगी दल को कोई सीट नहीं मिली थी. उस दौरान कहा गया था कि इन पार्टियों तो विधानसभा में ज्यादा सीटें दी जाएंगी.
वहीं गौतम सोनवाने शिवाजी नगर के मानखुर्द से चुनाव लड़ेंगे, जबकि मोहन फड़ को पथरानी में पथरी से मैदान में उतारा गया है. राजेश पवार नांदेड़ के नायगांव से महाराष्ट्र चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी और शिवसेना ने पहले छोटे दलों को सीटें दी और उसरी घोषणा की उसके बाद दोनों दलों के बीच विधानसभा चुनावों के लिए सीटों का बंटवारा हुआ.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए दोनों दलों के बीच हुए बंटवारे के अनुसार बीजेपी 164 और शिवसेना 124 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं बीजेपी से साफ तौर पर कहा है कि मुख्यमंत्री पद उन्हें ही चाहिए जबकि शिवसेना अध्यक्ष के बेटे आदित्य ठाकरे भी चुनावी मैदान में कूद चूके है और उनके लिए मुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है.
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मोदी सरकार 2 बनने के बाद वो सरकारी आंकड़ें सामने आ रहे हैं जो अबतक छुपाए गए थे या सरकार ने उसे बाहर नहीं आने दिया। रिजर्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों से जुड़ी धोखाधड़ी के 71,500 करोड़ रुपये के 6,800 से अधिक मामले दर्ज किए गए। यही नहीं इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में 41,167 करोड़ रुपये के ऐसे 5,916 मामले सामने आए थे।
ये खुलासा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि, वाणिज्यिक बैंकों और कुछ वित्तीय संस्थाओं ने 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 8,801 मामलों की सूचना दी है।
देश के सबसे केंद्रीय बैंक ने बताया कि, धोखाधड़ी वाली राशि में 73 प्रतिशत की बढोत्तरी दर्ज की गई है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 11 वित्तीय वर्षों में 2.05 लाख करोड़ रुपये की भारी धनराशि की बैंकों से धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए।
बता दें कि वित्त वर्ष 2008-09 में 1860.09 करोड़ के 4,372 मामले सामने आए थे। इसके बाद के वित्त वर्ष यानि 2009-10 में 1,998.94 करोड़ के 4,669 मामले दर्ज किए गए थे। ये आंकड़ा मोदी सरकार में बढ़कर वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 में क्रमशः 18,698.82 करोड़ रुपये और 23,933.85 करोड़ रुपये मूल्य के 4,693 और 5,076 मामले सामने आए।
ये हैरान करने वाले आंकडें चुनाव के बाद सामने आ रहे हैं। मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही बैंकों से घोटाला लगभग 38 गुना ज्यादा है। लेकिन मोदी सरकार लगातार इसके मुँह फेरे हुए है। गौरतलब है कि नीरव मोदी विजय माल्या के मामले भी इसी से जुड़े हुए हैं।
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ये हैं कांग्रेस की मांग-
आरोपी चिन्मयानंद के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा तत्काल दर्ज किया जाए।
रेप पीड़िता को तुरन्त जेल से रिहा किया जाए।
पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार सुनिश्चित करे।
मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए ताकि तत्काल प्रभाव से आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो।
शाहजहांपुर की पीड़ित छात्रा को इंसाफ दिलाने के लिए कांग्रेस 30 सितम्बर को शाहजहांपुर से लखनऊ तक शुरू होने वाली पदयात्रा का नाम 'न्याय यात्रा' रखा गया है। यह जानकारी देते हुए पार्टी विधानमंडल दल की उपनेता आराधना मिश्रा 'मोना' ने पत्रकारों को बताया कि पीड़िता के पिता हरीश चन्द्र शर्मा ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पत्र लिख कर मदद मांगी है। उन्होंने आरोपी चिन्मयानंद के खिलाफ आपराधिक मुकदमा धारा-376 का दर्ज करा कर कठोर कार्यवाही कराने की बात कही है।
आराधना मिश्रा ने आरोप लगाया कि बलात्कार के आरोपी भाजपा के पूर्व केन्द्रीय मंत्री चिन्मयानंद की प्रदेश सरकार पूरी मदद कर रही है। पीड़िता को न्याय दिलाने के बजाए उसके विरुद्ध ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए क्रास केस कर उसे गिरफ्तार करा दिया गया ताकि मुकदमें को कमजोर किया जा सके। सरकार उस व्यक्ति को बचाने में पूरी ताकत लगा रही है जिसके ऊपर पहले भी वर्ष 2011 में बलात्कार का मुकदमा दर्ज हो चुका है।
उन्होंने कहा कि पदयात्रा 30 सितंबर को शाहजहांपुर में सुबह शहीद स्मारक से शुरू होकर उचैलिया में रात्रि विश्राम करेगी। एक अक्तूबर को उचैलिया से चलकर लखीमपुर में रात्रि विश्राम करेगी। दो अक्तूबर को लखीमपुर से चलकर महोली और तीन अक्तूबर को सीतापुर में रात्रि विश्राम करेगी।
चार अक्तूबर को सीतापुर से चलकर कमलापुर सीतापुर, पांच को कमलापुर, छह को अटरिया में रात्रि विश्राम करेंगे। छह अक्तूबर को लखनऊ की सीमा में प्रवेश करेगी और मड़ियांव में रात्रि विश्राम करने के पश्चात सात अक्तूबर को लखनऊ में यात्रा का समापन होगा।
आराधना मिश्रा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता इस यात्रा में भाग लेंगे। राष्ट्रीय नेता भी कहीं-कहीं शामिल होंगे। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव इस यात्रा में शामिल होंगीं।
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यौन उत्पीड़न मामले में फंसे बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पीड़िता और उसके परिवार ने एसआईटी को चिन्मयानंद के खिलाफ एक-दो नहीं, बल्कि 43 वीडियो सौंप दिए हैं और स्वामी को 'ब्लैकमेलर' कहा है।
सूत्रों के मुताबिक, पीड़िता ने कहा, “चिन्मयानंद ने ही नहाते समय का मेरा (पीड़िता) वीडियो अपने विश्वासपात्र से तैयार करवाया था। वीडियो हाथ लगते ही चिन्मयानंद ने मुझे ब्लैकमेल कर हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया।”
चिन्मयानंद कांड : पीड़िता ने एसआईटी को सौंपे 43 वीडियो, स्वामी को बताया ‘ब्लैकमेलर’
सूत्रों ने बताया कि फिलहाल एसआईटी ने पीड़ित पक्ष की तरफ से मुहैया कराए गए वीडियो और बाकी अन्य तमाम सीलबंद चीजों को फॉरेंसिक टीम के हवाले कर दिया है, ताकि 23 सितंबर को जब एसआईटी मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट के साथ हाईकोर्ट की निगरानी पीठ के सामने पेश हो, तब वहां वह सब कुछ साफ-साफ बता सके।
इस बीच, पीड़िता और उसके परिवार ने शनिवार को मीडिया से कहा है कि स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ जो सबूत पीड़ित पक्ष ने इकट्ठे किए थे, उनमें से काफी हद तक हटा-मिटा दिए गए हैं। अभी तक हालांकि पीड़िता एसआईटी जांच पर भरोसा जता रही थी।
यह खबर पीड़िता और उसके परिवार को कहां से मिली? इस सवाल का माकूल जवाब पीड़ित पक्ष के पास नहीं था। उन्होंने बस इतना कहा, “एसआईटी क्या कर रही है, हमें सब मालूम चल रहा है।”भला एसआईटी इतने विवादित जांच की प्रगति रिपोर्ट को हाईकोर्ट की पीठ के सामने ले जाने से पहले ही उसके बारे में पीड़ित पक्ष को क्यों रही है? यह सवाल आसानी से गले नहीं उतर रहा है।
चिन्मयानंद कांड : पीड़िता ने एसआईटी को सौंपे 43 वीडियो, स्वामी को बताया ‘ब्लैकमेलर’
सूत्रों के अनुसार, पीड़िता ने खुद के नहाते समय के वीडियो (कथित तौर पर स्वामी द्वारा बनवाया गया) के अलावा और भी तमाम आपत्तिजनक वीडियो जांच एजेंसी को सौंपे हैं।
हालांकि पीड़िता के इन बयानों की पुष्टि के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह से लेकर राज्य पुलिस प्रवक्ता और एसआईटी का नेतृत्व कर रहे महानिरीक्षक नवीन अरोड़ा तक कोई बात करने को तैयार नहीं है।
पुलिस के इन आला अधिकारियों से यह जानने के लिए भी संपर्क करने की कोशिश की कि क्या लड़की की शिकायत पर (सात दिन बाद भी) एसआईटी ने एफआईआर में दुष्कर्म की धारा जोड़ दी है? लेकिन किसी की भी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। एसआईटी पहले से ही पूरे प्रकरण में मुंह बंद किए हुए है। उसका कहना है, “जांच की निगरानी इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय विशेष पीठ कर रही है।”
गौरतलब है रि मामले का भंडाफोड़ होने के शुरुआती दौर से ही पीड़ित परिवार यूपी पुलिस पर स्वामी चिन्मयानंद की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने का आरोप लगाने लगा रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इतने हाईप्रोफाइल मामले में नियमानुसार प्रतिदिन पुलिस-ब्रीफिंग की भी मीडिया उम्मीद लगाए बैठी थी, लेकिन पुलिस ने पहले दिन से लेकर शनिवार तक पूरे प्रकरण में एक भी अधिकृत जानकारी मीडिया को नहीं दी है।
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चिन्मयानंद के नाम के आगे स्वामी लगता है. वह बेहद ताकतवर हैं. केंद्र सरकार में एक जमाने में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं. कई आश्रम, कालेज के अलावा बेशुमार संपत्ति के मालिक हैं. उनके शौक बड़े निराले हैं. वे रोजाना तेल मालिश कराते हैं. वे महिलाओं या लड़कियों से तेल मालिश कराना ज्यादा पसंद करते हैं. बात जब तक सहमति से करने-कराने की होती है, तो कोई बात नहीं. पर अगर जिनसे तेल लगवाया जा रहा है, वह चिन्मयानंद के कालेज की छात्रा हो, साथ ही आरोप लगा रही हो कि चिन्मयानंद उस जैसी बहुत सी लड़कियों का जीवन बर्बाद कर चुके हैं, तो मामला गंभीर हो जाता है.
ऐसा भी नहीं है कि ये आरोप कोई पहली बार लगा हो. आठ साल पहले चिन्मयानंद की एक शिष्या ने बड़े गंभीर आरोप लगाए थे. उसने भी कहा था कि स्वामी जी शराब पीकर महिलाओं से तेल लगवाते हैं. ये मामला सुर्खियों में भी आया लेकिन अपने ताकत के बल पर स्वामी ने सब कुछ दबवा दिया. कहा जाता है कि योगी सरकार में स्वामी चिन्मयानंद की खूब चलती है. यही वजह है कि हाल ही में कानून की छात्रा द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद भी स्वामी चिन्मयानंद का बाल तक बांका नहीं हुआ.
छात्रा ने स्वामी चिन्मयानंद के नंगे होकर तेल मालिश कराने का वीडियो 31 जनवरी 2014 को खुफिया कैमरे लगे चश्मे से रिकार्ड किया.
पर अब लग नहीं रहा कि स्वामी चिन्मयानंद के आगे के दिन आराम से कटेंगे. छात्रा ने अपने आरोपों में अपने पास शोषण-उत्पीड़न के जिन प्रमाणों-सुबूतों के होने की बात कही है, उसका एक हिस्सा लीक हो चुका है. यूं भी कह सकते हैं कि इसे रणनीतिक तौर पर लीक करा दिया गया है. सभी मीडिया हाउसेज के पास स्वामी चिन्मयानंद की वो क्लीपिंग पहुंच चुकी है जिसमें वह नंगे होकर छात्रा से तेल लगवा रहे हैं. आइए जानते हैं इन क्लीपिंग्स में क्या खास बात है और इसे कैसे रिकार्ड किया गया.
इन क्लीपिंग्स को देखने से पता चलता है कि जो क्लिप्स लीक कराए गए हैं, वे सभी एक ही दिन के रिकार्ड किए हुए हैं, 31 जनवरी 2014 को. मतलब पांच साल पहले यह वीडियो रिकार्ड किया गया था.
सवाल ये भी उठता है कि अब तक इन वीडियोज को क्यों संभाल कर रखा गया था और जब रिकार्ड किया गया था तभी क्यों नहीं इन वीडियोज के जरिए स्वामी पर आरोप लगाए गए? ऐसे सवाल उठना स्वाभाविक है. जाहिर है, इसका जवाब छात्रा ही दे सकती है. पर आरोप जब भी सप्रमाण लगे तो उसकी जांच होनी ही चाहिए.
वीडियो में डेट-टाइम रिकार्ड है. डेट तो 31 जनवरी 2014 है और समय रात के नौ से ग्यारह बजे के बीच का दर्ज है. पर ऐसा लगता है कि खुफिया कैमरे की डिवाइस में समय की सेटिंग सही नहीं है. वक्त सुबह नौ से ग्यारह के बीच का प्रतीत होता है क्योंकि वीडियो में चिड़ियों के बोलने की आवाजें हैं, खिड़की से काफी रोशनी आ रही है. एक वीडियो में लड़की पूछती है कि आपको कुछ देना तो नहीं है. तब स्वामी चिन्मयानंद पूछते हैं कि क्या. तब वह जवाब देती है- जैसे मंजन या कुछ और.
तो ये जो मंजन की बात है, यह सुबह होने का ही सुबूत है.
छात्रा ने चश्मे वाले खुफिया कैमरे से वीडियो शूट किया है. जिस वक्त स्वामी चिन्मयानंद तेल लगवाते हुए पेट के बल लेट जाते हैं उस समय छात्रा काफी सहज होकर चश्मे से रिकार्ड करती है. वह कभी कभी चश्मे को निकाल कर दूर टेबल पर रख देती है ताकि फ्रेम में वह खुद भी आ सके. ज्यादातर वक्त छात्रा चश्मा पहने ही रहती है. यही वजह है कि जब वह वाशरूम जाती है तो आइने में उसका चेहरा उसका चश्मा रिकार्ड करता है. इन तस्वीरों को आप नीचे देख सकते हैं जो वीडियो क्लिप्स में से स्क्रीनशाट लेकर बनाए गए हैं.
नीचे के वीडियो लड़की ने खुफिया कैमरे लगे चश्मे को आंखों पर पहनकर रिकार्ड किया है. इन तस्वीरों में वो तेल भी दिख रहा है जिससे चिन्मयानंद की मालिश हो रही है. चार पांच वीडियो क्लिप्स में जो कुछ खास बातें हैं उसमें एक ये भी है कि पूरे वीडियो में कोई अश्लील संवाद नहीं है. चिन्मयानंद छात्रा से उसके खो गए महंगे मोबाइल फोन के बारे में पूछ रहे हैं. उसकी परीक्षा को लेकर पूछ रहे हैं. किस विषय का पहला पेपर है, यह पूछने पर लड़की बताती है, क्रिमिनलोजी. मतलब साफ है कि लड़की कानून की पढ़ाई कर रही है. एक दफे चिन्मयानंद पूछते हैं कि तुम ब्रा क्यों नहीं पहनती हो. तो लड़की कहती है कि पहनती हूं. इस पर वह कहते हैं कि लटक जाएगा. तुम्हें अपने शरीर पर ध्यान देना चाहिए. पूरे वीडियो से ऐसा लगता है कि दोनों लोग बिलकुल सहज हैं. एक मालिश करने में, दूसरा मालिश कराने में.
ऐसा लगता है कि वीडियो के जो अंश लीक कराए गए हैं, उसके अलावा भी ढेर सारे वीडियोज हैं. छात्रा ने चिन्मयानंद पर रेप के भी आरोप लगाए हैं. जाहिर है, उसके पास इसके भी प्रमाण वीडियो में मौजूद होंगे. छात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस में दावा भी किया है कि उसके पास पूरे सुबूत हैं और वह वक्त आने पर इसे सामने रख देगी. ऐसे में कहा जा सकता है कि चिनमयानंद की फेवर की केंद्र व राज्य सरकारें होने के बावजूद उनका इस मामले में बच पाना मुश्किल है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा केस को सीधे अपनी निगरानी में लेने से ये चर्चा आम है कि कहीं चिन्मयानंद का हाल आसाराम जैसा वाला न हो जाए कि एक बार अंदर गए तो फिर निकल पाना मुश्किल हो!
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नई दिल्ली: पूर्व BJP सांसद स्वामी चिन्मयानंद (Swami Chinmayanand) की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. अब शाहजहांपुर की छात्रा ने चिन्मयानंद (Chinmayanand) पर रेप का आरोप लगाया है. शाहजहांपुर की छात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि बीजेपी (BJP) नेता चिन्मयानंद ने बलात्कार किया और एक वर्ष तक प्रताड़ित किया.
छात्रा ने दिल्ली में जीरो एफआईआर दर्ज करवाई है. वहीं, छात्रा ने आरोप लगाया कि शाहजहांपुर पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही. बता दें कि पिछले महीने एक वायरल वीडियो में चिन्मयानंद पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाने वाली एलएलएम की छात्रा आज पहली बार मीडिया के सामने आई.
छात्रा ने बताया कि उसने पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री पर बलात्कार का भी आरोप लगाते हुए कहा कि वह मामले की जांच कर रही एसआईटी को भी यह बात बता चुकी है. एसआईटी ने रविवार को करीब 11 घंटे तक उससे पूछताछ की थी. युवती के मुताबिक उसने जांच दल को बताया है कि स्वामी चिन्मयानंद ने उसके साथ बलात्कार और एक वर्ष तक उसका शारीरिक शोषण भी किया है. उसने दावा किया कि यह रिपोर्ट दिल्ली के लोधी रोड थाने में जीरो क्राइम नंबर पर दर्ज करके शाहजहांपुर भेज दी गई है, मगर स्थानीय पुलिस बलात्कार और शारीरिक शोषण की रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही है.
लड़की ने कहा कि जांच दल को सारी बातें बताने के बाद भी चिन्मयानंद को गिरफ्तार नहीं किया गया है. उसने बताया कि इससे पहले जब उसके पिता ने चिन्मयानंद के खिलाफ शारीरिक शोषण के आरोप में मुकदमे की तहरीर दी थी तब मुकदमा दर्ज करना तो दूर, जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने उसके पिता को धमकी देते हुए चिन्मयानंद के रसूख का हवाला दिया और बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा. छात्रा ने कहा कि उसके पास सारे साक्ष्य मौजूद हैं. वह कॉलेज हॉस्टल के जिस कमरे में रहती थी उसे सील कर दिया गया है. उसे मीडिया के सामने खोला जाए. सही समय आने पर साक्ष्य (वीडियो क्लिप) भी पेश किया जाएगा.
छात्रा ने कहा कि उसने अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए ही अपना वह वीडियो वायरल किया था, जिसमें उसने चिन्मयानंद से जान का खतरा बताया था. स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह की ओर से दर्ज कराए गए पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगे जाने के मामले में कथित पीड़िता ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए. चिन्मयानंद ने जो आरोप लगाया है वह फर्जी है. एक सवाल के जवाब में छात्रा ने बताया कि उसके साथ दिल्ली के होटल में देखा गया संजय सिंह नामक युवक उसका भाई है.
मालूम हो कि पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद के कॉलेज स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में एलएलएम की छात्रा ने 24 अगस्त को एक वीडियो वायरल किया था, जिसमें उसने चिन्मयानंद पर आरोप लगाया था कि उसने उसकी तथा कई अन्य लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर दी है. इसके साथ ही उसने अपने और अपने परिवार की जान का खतरा बताया था. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने चिन्मयानंद के खिलाफ अपहरण और जान से मारने की धमकी की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया था.
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केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि केन्द्र की मंशा सिर्फ असम से ही नहीं बल्कि पूरे देश से सभी घुसपैठिये को बाहर निकालने की है।
पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) की चौथी बैठक को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने इस क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से अलग-थलग कर दिया था।
शाह बोले- देशभर से निकालेंगे घुसपैठिए
उन्होंने कहा, ''हमारी मंशा न केवल असम से बल्कि पूरे देश से घुसपैठियों को बाहर करने की है। शाह ने आरोप लगाया, ''कांग्रेस की सरकारों ने पूर्वोत्तर में संघर्ष का बीज बोया था। पार्टी ने पूर्वोत्तर की ओर ध्यान नहीं दिया और उसके कारण उग्रवाद पनपा। यह पार्टी (कांग्रेस) हमेशा फूट डालो और शासन करो की नीति में विश्वास करती है।
पूर्वोत्तर में नागरिकता विधेयक को लेकर शंकाएं हैं- शाह से बोले मेघालय के सीएम
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सोमवार को कहा कि पूर्वोत्तर में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर शंकाएं हैं और उनसे आग्रह किया कि विधेयक दोबारा लाने से पहले क्षेत्र के सभी राज्यों को विश्वास में लें।
पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) के चौथे सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगमा ने पूछा कि क्या विधेयक को दोबारा लाने से पहले केन्द्र राज्यों के साथ चर्चा को दरकिनार करेगा। संगमा ने पूछा, '' विधेयक के बाद क्या होगा? क्या बांग्लादेश से लोग आते रहेंगे? क्या लगातार प्रवाह के लिए कोई समय सीमा है? पूर्वोत्तर में हमें बहुत सी शंकाएं हैं?
उन्होंने अनुरोध किया कि केन्द्र सभी हितधारकों को बुलाकर इस पर चर्चा करे और मामले पर सर्वसम्मति पर पहुंचे। संगमा ने केन्द्रीय गृह मंत्री से कहा, '' हम छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। तो क्या विधेयक स्थानीय कानूनों की अनदेखी करेगा? कृपया हमें बुलाएं और पूर्वोत्तर के लोगों के हितों को देखें। हमारी शंकाएं दूर करें। मुझे विश्वास है कि आप (शाह) हमारी शंकाओं को दूर करेंगे।
नागरिकता विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आये वहां के अल्पसंख्यक (हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी) शरणार्थियों को सात साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। मौजूदा प्रावधानों के तहत यह समय सीमा 12 साल है। यह विधेयक आठ जनवरी को लोकसभा में पारित हुआ था। हालांकि यह राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया है।
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा: 8305895567
नगर पालिका अध्यक्ष अशोक मालवीय की याचिका पर हाईकोर्ट का सीएमओ को नोटिस 15 अक्टूबर तक देना होगा जवाब।
नगर पालिका अध्यक्ष अशोक मालवीय और सीएमओ सतीश मटसेनिया के बीच चल रहा विवाद अब हाईकोर्ट की दहलिज पर जा पहुंचा है । मंगलवार को हाईकोर्ट ने नगर पालिका अध्यक्ष अशोक मालवीय की याचिका को मंजूर करते हुए प्रदेश के प्रमुख सचिव नगरी प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव आयुक्त सीएमओ को नोटिस जारी कर पुरे मामले में 15 अक्टूबर तक जवाब तलब करने को कहा है।
*नगर पालिका नागदा का मामला मध्य प्रदेश का पहला ऐसा मामला होगा जिसमें एक चुनी हुई परिषद को सीएमओ के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा है ।*
सतीश मटसेनिया ने नागदा सीएमओ का चार्ज जब से संभाला है तभी से अध्यक्ष और सीएमओ के बीच तालमेल नहीं बैठ पाया है यही कारण है कि पिछले 8 महिने से नगर के बहुत से कार्य प्रभावित हुए पडें है।
8 अगस्त को नगर पालिका की पीएसी की बैठक में सीएमओ के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का निर्णय लिया गया था ।
26 अगस्त को याचिका दायर की गई। मामले में 30 अगस्त को न्यायालय ने व शासन ने परिषद ने दोनों पक्षों को सुना है। मंगलवार को परिषद की ओर से नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा दायर की गई अर्जी को हाईकोर्ट में स्वीकार कर संबंधित के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया है।
पीएसयू परिषद के निर्णय की अवहेलना करने का है आरोप
विधायक के इशारे पर करते है काम सीएमओ । नगर पालिका अध्यक्ष अशोक मालवीय ने पत्रकार वार्ता रख कर यह भी आरोप लगाया है कि सीएमओ सतीश मटसेनिया कांग्रेसी विधायक दिलिप सिंह गुर्जर के इशारे पर शहर विकास कार्यों में अवरोध बन कर खड़े हो गए हैं नियमानुसार नगरपालिका सीएमओ को परिषद युपी आई सी द्वारा स्वीकृत कार्यों को सात दिन के भीतर अमल में लाने का प्रावधान है लेकिन दो दर्जन से ज्यादा ऐसे कार्य हैं जो पीएसयू परिषद द्वारा स्वीकृत किए जाने के बाद भी महीनों से नगरपालिका सीएमओ द्वारा अमल में नहीं लाया गया है। लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़े कार्य को भी सीएमओ वरिष्ठ अधिकारी के मार्गदर्शन मांगने के बहाने से हटाने का काम कर रहे हैं। इसी वजह से हमें न्यायालय की शरण में जाने पर मजबूर होना पड़ा है।
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नई दिल्ली : लंबे समय से बिमार चल रहे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन से राजनीतिक गलियारों में मातम पसर गया है। दिल्ली के एम्स अस्पताल में अरुण जेटली ने शनिवार दोपहर 12 बज कर 7 मिनट पर अंतिम सांस ली और फिर दुनिया छोड़ कर चले गए।
उनके निधन के बाद देश भर के लोगों को साथ ही तमाम नेता राजनेता अपना-अपना दुख प्रकट कर रहे हैं। उनके निधन की खबर आते ही दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर के शोक व्यक्त किया। सिसोदिया ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ नेता श्री अरुण जेटली जी के निधन की खबर सुन कर गहरा झटका लगा है। मैं उन्हें कई सालों से जानता था। वो हमेशा से ही एक जानकार और ईमानदार व्यक्ति थे। हमें उनकी याद आएगी। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली एक नजर उनके सफर पर
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को निधन हो गया।उन्हें शुक्रवार (9 अगस्त) सुबह 11 बजे चेकअप के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था। जेटली लंबे समय से बीमार थे और इसी वजह से उन्होंने मोदी सरकार 2.0 में शामिल होने से मना कर दिया था। केंद्र में जब मंत्रीमंडल की शपथ होनी थी, उसके पहले ही जेटली ने पत्र लिखकर पीएम मोदी से मंत्रीपरिषद में न शामिल करने की अपील की थी।
पैर में था सॉफ्ट टिशू कैंसर
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का इलाज एम्स में एंडोक्रिनोलोजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टरों की निगरानी में चल रहा था। वहीं इससे पहले पिछले साल ही जेटली का किडनी प्रत्यारोपण हुआ था। इसके बाद उन्हें बाएं पैर में सॉफ्ट टिशू कैंसर हो गया था। जेटली इसकी सर्जरी के लिए इसी साल जनवरी में अमेरिका गए। इस दौरान रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
जीवन परिचय
अरुण जेटली का जन्म 28 दिंसबर 1952 को महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर में हुआ था। अरुण जेटली ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल नई दिल्ली से पूरी की और इसके बाद वह स्नातक करने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स चले गए। अरुण जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता जेटली से शादी कर ली। उनके दो बच्चे है, बेटे का नाम रोहन और बेटी का नाम सोनाली है।
पिता के नक्शेकदम पर चले जेटली
अरुण जेटली के पिता एक वकील थे। जेटली ने भी पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए स्नातक करने के बाद 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई करने के बाद अरुण जेटली ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत करना शुरू कर दिया। इसके बाद जेटली देश प्रसिद्ध वकीलों की सूची में शामिल में हो गए। जनवरी 1990 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायलय ने वरिष्ठ अधिवक्ता नामित कर दिया। इससे पहले 1989 में वीपी सिंह के प्रधानमंत्रीकाल में अरुण जेटली को अपर सॉलिसिटर जनरल बनाया गया था। इसके बाद अरुण जेटली कई बड़े मुकदमों में पेश हुए।
छात्र जीवन में राजनीति में शामिल हुए
अरुण जेटली ने बहुत ही कम उम्र में ही राजीति की पाठशाल में दाखिला ले लिया था। 22 साल की उम्र में जब वह स्नातक कर रहे थे, उस दौरान उन्हें 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन का अध्यक्ष चुन लिया गया था। इसके बाद वह विभिन्न युवा मोर्चा के संघठनों से जुड़े रहे। जेटली को बाद में दिल्ली एबीवीपी का अध्यक्ष और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया था।
कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
जेटली 1991 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बनें और फिर 1999 के आम चुनाव से पहले बीजेपी ने उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बना दिया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। समय बीतता गया और जेटली की पकड़ बीजेपी में मजबूत होती गई। वह लगातार अपने कुशल कार्यशैली की वजह से बीजेपी संघठन में उच्च पदों पर बढ़ते चले गए।
वाजपेयी सरकार में मंत्रीपरिषद में हुए शामिल
अरुण जेटली को पहली बार मंत्रीपरिषद में शामिल होने का मौका अटल बिहारी वाजपेयी के तीसरे शासनकाल में मिला। उन्हें पहली बार एनडीए सरकार में 13 अक्टूबर 1999 को सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया। इसके साथ ही जेटली को विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की भी जिम्मेदारी सौंपी गई।
समय गुजरने के साथ ही जेटली राजनीतिक तौर पर मजबूत होते गए। 2000 में उन्हें राज्यमंत्री से पदौन्नति करके कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान उन्हें कानून, न्याय और कंपनी मामलों के साथ जहाजरानी मंत्रालय का कैबिनेट मंत्री बनाया। जेटली को बाद में , वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का भी मंत्री बनाया गया। सरकार के साथ ही जेटली की पदौन्नति संगठन में भी होती गई। पहले उनहें राष्ट्रीय प्रवक्ता और फिर 2004 में महासचिव बना दिया गया।
विपक्ष के नेता के रूप में बनाई अलग पहचान
2004 से 2014 तक एनडीए केंद्र की सत्ता से बाहर रही। 2009 में जेटली को राज्यसभा में विपक्ष के नेता बनाया गया और इस दौरान वह बीजेपी का पक्ष राज्यसभा में मजबूती से रखते रहे। हालांकि, राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद पर रहते हुए जेटली ने महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था।
पीएम मोदी के खास मंत्रियों में शुमार
राजनीतिक पंडितों की मानें तो अरुण जेटली ने नरेंद्र मोदी को दिल्ली की सियासत में दाखिल कराने में अहम भूमिका निभाई। गुजरात से लाकर और कैसे दिल्ली में मोदी बीजेपी के पीएम चेहरा बने, उसमे जेटली का अहम रोल रहा। इसका फायदा उन्हें सरकार आने के बाद 2014 में मिला,जब केंद्र में उन्हें वित्त के साथ कॉर्पोरेट मामलों का भी मंत्री बनाया गया। इसके बाद वह कुछ समय के लिए रक्षा मंत्री भी रहे। वन नेशन वन टैक्स यानी जीएसटी को लाने में भी जेटली ने अहम भूमिका निभाई।
संकटमोचक की भूमिका में जेटली
केंद्र की मोदी सरकार के फैसलों पर जब भी सवाल उठे, तो उस वक्त जेटली सबसे पहले आगे आकर बचाव करते थे। वह चाहे 'एक देश एक कर यानी वन नेशन वन टैक्स' (जीएसटी) की बात रही हो या फिर नोटबंदी के बाद सरकार की हो रही आलोचना। जेटली हर मोर्चे पर मोदी सरकार का बचाव करने के लिए आगे खड़े रहे है। वहीं जब कांग्रेस और समूचा विपक्ष राफैल सौदे में भ्रष्टाचार की बात कह रहा था और मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा था, तो उस वक्त भी जेटली थे, जिन्होंने न सिर्फ मुखर होकर सरकार का बचाव किया बल्कि इसके फायदे भी देश को समझाए।
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नई दिल्ली . आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को सीबीआई ने राउज ऐवेन्यू कोर्ट में पेश कर 5 दिन की सीबीआई रिमांड में भेज दिया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की डेढ़ घंटे दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया।
इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चिदंबरम के लिए 5 दिन की रिमांड मांगते हुए कहा था कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, इसलिए उनसे अभी और पूछताछ किए जाने की जरूरत है। मेहता ने कहा कि चिदंबरम खासे चतुर हैं और वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे।
सीबीआई ने कोर्ट से कहा कि इस केस में ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब सिर्फ चिदंबरम दे सकते हैं। इसलिए उन्हें रिमांड पर दिया जाए। इसके बाद चिदंबरम के वकील के तौर पर कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए कहा कि मामले के अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। उन्होंने कोर्ट में कहा, 'FIPB को मंजूरी देने वालों में 6 सरकारी सचिव थे, सीबीआई ने उनमें से किसी को अरेस्ट नहीं किया। चिदंबरम ने कल 24 घंटे की मोहलत मांगी क्योंकि वह सोए नहीं थे। कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले की जांच पूरी हो गई है, चार्जशीट का ड्राफ्ट तैयार है, लेकिन उसे पेश नहीं किया गया।
सीबीआई पर रात को बेवजह अरेस्ट करने का आरोप लगाते हुए सिब्बल ने कहा कि एजेंसी ने चिदंबरम से रात में कोई पूछताछ नहीं की। उनसे सुबह 11 बजे से सवाल पूछे गए। कुल 12 सवाल उनसे पूछे गए थे। सिब्बल के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने चिदंबरम का पक्ष रखते हुए कहा कि इस मसले में FIPB पर फैसला लेने वाले 6 अधिकारी ही पकड़ से बाहर हैं। सिंघवी ने कहा कि सीबीआई आखिर इतनी बेचैन क्यों है और क्यों उन्हें अचानक गिरफ्तार करने पर आमादा है। सिंघवी ने कहा कि इस मामले में सीबीआई गलत तरीका अपना रही है, चिदंबरम उसके मन-मुताबिक जवाब नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने उनसे 2018 में पूछताछ की थी और फिर उन्हें फोन तक नहीं किया।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चिदंबरम यहां मौजूद हैं और उन्हें भी बोलने का मौका दिया जाए। हालांकि जज ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सिंघवी की मांग का विरोध करते हुए कहा कि नियमों का पालन किया जाना चाहिए। पी. चिदंबरम के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्हें बोलने देने की मांग की। एसजी तुषार मेहता के विरोध के बाद भी उन्हें बोलने का मौका मिला। चिदंबरम ने कहा कि कृपया आप सवालों और जवाबों को देखिए। ऐसा कोई सवाल नहीं है, जिसका मैंने जवाब न दिया हो। आप ट्रांस्क्रिप्ट पढ़िए। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मेरा बाहर कहीं कोई खाता है, मैंने कहा नहीं। उन्होंने पूछा कि क्या मेरे बेटे का विदेश में कोई खाता है, मैंने कहा, हां।
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नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंति पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि उनकी कल्पना का भारत अनेकता और एकता को एक साथ रखने वाला भारत था. सोनिया गांधी ने कहा कि राजीव जी ने खेती में भी विज्ञान और तकनीक का उपयोग करके देश को सशक्त बनाया
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बृहस्पतिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर परोक्ष रूप से निशाना साधा और कहा कि राजीव गांधी को विशाल बहुमत मिला था लेकिन उन्होंने इस ताकत का इस्तेमाल लोगों को डराने-धमकाने के लिए कभी नहीं किया। सोनिया ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की।
उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर इशारों में निशाना साधते हुए कहा, "राजीव गांधी विशाल बहुमत से जीत कर आए थे लेकिन उन्होंने इसका इस्तेमाल लोगों को डराने धमकाने के लिए नहीं किया।" सोनिया की यह टिप्पणी पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि में आई है। दरअसल, सीबीआई ने चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया से संबंधित मामले में बुधवार रात को गिरफ्तार कर लिया।
चिदंबरम ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को झूठा करार दिया और कहा कि वह आशा करते हैं कि जांच एजेंसियां कानून का सम्मान करेंगी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के योगदान को याद करते हुए सोनिया ने कहा, "राजीव गांधी मजबूत, सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प रखते थे।" कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर देश के कोने-कोने तक जाकर यह संदेश दिया कि भारत की विविधता का उत्सव मनाकर ही देश को मजबूत बना सकते हैं।"
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