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परिचय - कोई भी स्त्री या पुरुष जब दूसरे लिंग के प्रति आर्कषण महसूस करने लगता है तो उसी समय से सेक्स उनके लिए एक बहुत ही खास विषय बन जाता है। उनके मन में सेक्स के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ जाती है और शादी से पहले यह लोग सेक्स करने से भी पीछे नहीं हटते। सेक्स करने में जितना आनंद मिलता है उतनी ही उसके प्रति संवेदनशीलता बनी रहती है। इसी वजह से चाहे स्त्री हो या पुरुष दोनों में ही सेक्स के प्रति हमेशा एक भूख सी रहती है वह ज्यादा से ज्यादा सेक्स का मजा लेना चाहता है।
ऐसे बहुत से लोग हैं जो सेक्स का मजा लेना चाहते हैं लेकिन सेक्स करते समय वह कुछ ही देर में ठंडे हो जाते हैं। ऐसे मामलों में उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि उन्हें शीघ्रपतन का रोग है। ऐसे लोग वैसे तो पूरी तरह से स्वस्थ होते हैं लेकिन दिमागी रूप से बीमार हो जाते हैं। उनके मन में यह विचार भी आने लगते हैं कि अगर मैं संभोगक्रिया के समय अपने पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाता तो वह मुझसे नफरत करने लग सकता है या मुझे छोड़कर जा सकता है।
यह एक ऐसी दिमागी समस्या है जिसके कारण आज लगभग हर वर्ग का व्यक्ति परेशान है। संभोगक्रिया के समय जब पुरुष का वीर्य निकल जाता है तभी उसकी संभोगक्रिया और संतुष्टि का चक्र पूरा हो गया मान लिया जाता है क्योंकि चरम आनंद के साथ ही वीर्य के निकलने का संबंध भी जुड़ा है लेकिन इसके बाद भी पुरुष की अंदर की प्यास नहीं बुझती। इसी वजह से वह अंदर ही अंदर शर्मिंदगी से घुटता रहता है।
यह कोई रोग नहीं है इसमें अगर पुरुष सही तरह से और सही तरीके से संभोग करे तो वह इस क्रिया को इच्छा के अनुसार बढ़ा सकता है। इसके लिए उसे किसी तरह की दवा आदि न खाकर और उल्टे-सीधे नीम हकीमों के चक्कर में न पड़कर सिर्फ कुछ खास बातों की ओर ध्यान देने की जरुरत है।
संभोग करते समय जल्दबाजी न करें-
संभोग करते समय किसी भी तरह की जल्दी करना या हड़बड़ाहट मचाना जल्दी वीर्यपात का कारण बनता है। किसी भी पति और पत्नी के बीच सेक्स संबंध सिर्फ खानापूर्ति के लिए या किसी भी काम को जल्दी से निपटाने के मकसद से नहीं होने चाहिए। ऐसे बहुत से व्यक्ति होते हैं जो संभोग करते समय तुरंत ही पूरे जोश में आ जाते हैं। उनकी उत्तेजना समय से पहले ही चरम सीमा तक पंहुच जाती है और जल्दी ही उनका वीर्यपात हो जाता है। कुछ समय में ही पुरुषों की ऐसी आदत से उनकी पत्नियां भी परेशान रहने लगती हैं क्योंकि उनको भी अपने पति की आदत से सेक्स में पूरी तरह से संतुष्टि नहीं मिल पाती है। इसलिए पुरुषों को संभोग करते समय किसी तरह की जल्दबाजी न करके धैर्यपूर्वक इस क्रिया को करनी चाहिए। इससे न सिर्फ पुरुष इस क्रिया को लंबा और संतुष्टि के साथ कर सकता है बल्कि स्त्री को पूरी तरह से यौन संतुष्टि मिलती है।
उत्तेजना पर ध्यान-
पुरुष को अगर अपनी संभोगक्रिया को काफी देर तक करना चाहता है तो उसे अपनी उत्तेजना का खासतौर पर ध्यान रखना जरूरी है। संभोगक्रिया के समय उत्तेजना का बढ़ना और काफी समय तक रहना पुरुष की शारीरिक क्रियाओं पर निर्भर करता है। जैसे ही महसूस हो कि शरीर में उत्तेजना बढ़ रही है, लिंग सख्त होता जा रहा है तो उसी समय अपनी शारीरिक क्रियाएं बंद कर देनी चाहिए, एकदम से शांत हो जाए। इससे बढ़ी हुई उत्तेजना सामान्य होने लगती है। अगर उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाती है और शारीरिक आघात जारी रहते हैं तो वीर्य को निकलने से रोक पाना संभव नहीं हो पाता। इसलिए उत्तेजना को ज्यादा नहीं बढ़ने देना चाहिए।
वातावरण का ध्यान-
संभोगक्रिया करते समय वातावरण का भी खासतौर पर ध्यान देना पड़ता है। संभोगक्रिया में पूरी तरह आनंद और संतुष्टि तब तक नहीं मिल पाती जब तक इस क्रिया को बिना किसी डर के और निश्चिंत होकर न किया जाए। शादी के बाद सोने के लिए पति और पत्नी के लिए अलग से कमरे की व्यवस्था कर दी जाती है फिर भी कई बार इस व्यवस्था में अचानक किसी तरह की रुकावट आ जाती है तो ऐसे में उन्हें सेक्स संबंध नहीं बनाने चाहिए। कई बार पति-पत्नी अपने कमरे में आकर संभोगक्रिया करने लगते हैं तभी उन्हें अगर कोई आवाज दे देता है तो उस समय उनकी सेक्स संबंधों के दौरान बनी मानसिकता को तेज आघात पहुंचता है और यही जल्दी वीर्यपात का कारण बनता है। अगर पति और पत्नी अपने कमरे में आते हैं तो उन्हें तुरंत ही संभोगक्रिया में नहीं लग जाना चाहिए। कमरे में आते ही सबसे पहले आपस में किसी भी टाँपिक को लेकर बातें आदि करने लग जाएं। जैसे ही लगे कि अब घर में सब लोग सो गए हैं तब संभोगक्रिया करने के लिए तैयार हो जाए। कमरे में हरे रंग या आसमानी रंग का बल्ब जलाकर संभोगक्रिया करने से आनंद मिलता है।
संभोगक्रिया के समय विभिन्न आसनों का प्रयोग हानिकारक है-
संभोगक्रिया के समय बहुत से पुरुष अपनी बीवियों को सेक्स के अलग-अलग आसनों को प्रयोग करने की प्रयोगशाला बना देते हैं। पुरुष अक्सर किताबों या फिल्मों में सेक्स करने के अलग-अलग तरीकों को देखकर अपनी पत्नी के साथ भी उसी तरह सेक्स करने के लिए जोर डालते हैं। लेकिन सेक्स करने के यह तरीके या आसन जो दिखाए जाते हैं उनको करना लगभग नामुनकिन होता है। इन अलग-अलग आसनों को करते समय या संबंध बनाते समय पुरुष इस कदर उत्तेजित हो जाते हैं कि उसके लिए संबंध बनाए रखना मुश्किल हो जाता है जिसकी वजह से वे शीघ्र स्खलित हो जाते हैं। पत्नी को भी ऐसा महसूस होता है कि उसका पति तो उसे किसी खिलौने की तरह प्रयोग कर रहा है जिसके कारण वह शारीरिक और दिमागी रूप से पीड़ित रहने लगती है। वैसे भी सेक्स संबंधों का जितना आनंद सामान्य आसन से मिलता है उतना अलग-अलग आसनों का प्रयोग करने से नहीं मिलता। बहुत से विद्वानों का कहना है कि जो व्यक्ति सामान्य आसनों का प्रयोग करके सेक्स संबंधों का आनंद उठा रहा है उन्हें भूलकर भी अलग-अलग आसनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके लिए सबसे अच्छा आसन है कि संभोगक्रिया के समय पत्नी को नीचे और पति को उसके ऊपर लेटना चाहिए। इस आसन को करते समय पुरुष का लिंग बहुत ही आसानी के स्त्री की योनि में प्रवेश कर जाता है और पुरुष संभोग के समय स्त्री के चेहरे के भावों को पढ़ सकता है। विराम के समय स्त्री के शरीर पर निश्चल लेटने से एक अनोखा सुख प्राप्त होता है।
इसके बाद सिर्फ विपरीत रति वाले आसन को ही अच्छा माना गया है। इस आसन में पति नीचे लेटता है और पत्नी उसके ऊपर लेटती है। इसमें शरीर संचालन स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर कर सकते हैं। इस आसन में भी सारी स्थितियां पहले आसन के ही जैसी होती हैं लेकिन विराम के समय आराम का सुख स्त्री को ही मिलता है। इन दोनों आसनों की खासियत यह है कि इसमें जब तक संभोगक्रिया चलती है तब तक बिना किसी परेशानी के चलती है। दूसरे किसी आसन में यह सुविधा नजर नहीं आती है। बाकी सारे आसनों में जो कमी नजर आती है वह यह है कि उनमें संभोग और विराम काल में स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के सीने से लगकर आनंद नहीं उठा पाते। दूसरे आसनों में लिंग योनि में इतनी आसानी से प्रवेश नहीं कर पाता जितनी आसानी से पहले वाले आसन में हो जाता है। कई बार लिंग को योनि में प्रवेश कराने से पुरुष की उत्तेजना इतनी बढ़ जाती है कि योनि में प्रवेश के साथ ही पुरुष का वीर्य निकल जाता है। इसके लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि जो व्यक्ति शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त होता है उन्हें पहले वाले आसन में ही संभोग करना चाहिए।
संभोगक्रिया में अपने आप पर काबू रखें-
सेक्स और संयम का आपस में बहुत ही गहरा संबंध है। बिना संयम के संभोगक्रिया चल ही नहीं सकती। वैसे भी कहते है कि संयम ही सेक्स की धुरी है और संयम हर क्रिया में बहुत जरूरी है। युवा वर्ग के लिए संयम रखना बहुत जरूरी है। बहुत से व्यक्ति जब देखते हैं कि घर में कोई नहीं है तो वह तुरंत ही मौके का फायदा उठाकर अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाना चाहते हैं और तुरंत ही जल्दबाजी में संबंध लेते हैं। पत्नी भी इस चीज का विरोध नहीं कर पाती। इस प्रकार संबंध बनाते समय पुरुष की उत्तेजना शुरुआती दौर में ही चरम की स्थिति तक पंहुच जाती है। फिर किसी के आ जाने का डर उसे सबकुछ जल्दी-जल्दी करने पर मजबूर कर देती है। ऐसे समय में पुरुष का नाता संयम से बिल्कुल टूट जाता है और वीर्य जल्दी ही निकल जाता है। इसके अलावा और भी कई मौके आते हैं जब पति अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने का मौका छोड़ना नहीं चाहता जिसके कारण व्यक्ति शीघ्र स्खलन का शिकार हो जाता है। इसलिए थोड़े से मजे के चक्कर में अपने आपको शीघ्र स्खलन का रोगी न बनने दें। अगर इस स्थिति को संभाला नहीं जाता तो संभोग के नाम पर पुरुष सिर्फ स्खलन की क्रिया ही पूरी करेगा। इसमें स्त्री को संतुष्टि सिर्फ नाम के लिए ही मिल पाती है। इसलिए सेक्स के समय संयम के महत्व को समझना बहुत जरूरी है।
सांसों को सयंमित रखें-
संभोग करते समय सांसों की गति को सयंमित रखकर चरम की तरफ तेजी से बढ़ती हुई उत्तेजना को कम किया जा सकता है। उत्तेजना के बढ़ने पर जब आपको महसूस हो कि आपके न चाहते हुए भी आपका वीर्यपात होने को है तो उसी समय अपनी शारीरिक गतिविधियों को बंद कर देना चाहिए। शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें और आंखे बंद करके लंबी सांस भरें। सांस को एकदम से बाहर नहीं छोड़ना चाहिए। जितना समय सांस को लेने में लगे उससे दुगने समय तक सांस को रोककर रखना चाहिए। सांस को छोड़कर फिर थोड़ी देर तक रुकना चाहिए। इसके बाद दुबारा जितनी लंबी सांस ले सकते हैं लें। सांस लेकर कुछ देर तक रुकें और फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़े। 2-3 बार ऐसा करने से बढ़ी हुई उत्तेजना धीरे-धीरे कम होने लगती है। ऐसा करने में अगर व्यक्ति सफल हो जाता हो तो उसके सेक्स संबंधों के समय में बढ़ोत्तरी होती जाती है।
प्राक-क्रीड़ा को लंबा न खींचे-
कुदरत ने स्त्री के शरीर को इस प्रकार का बनाया है कि उसे देखते ही पुरुष के शरीर में उत्तेजना बढ़ने लगती है। शादी से पहले अगर कोई व्यक्ति किसी लड़की से संबंध नहीं बनाता तो स्त्री के शरीर को छूने की और देखने की लालसा उसमें बढ़ती रहती है। ऐसा ही बिल्कुल स्त्री के साथ भी होता है। पुरुष स्त्री के शरीर को देखता है़ उसके अंगों को सहलाता है, आलिंगन करता है, उसके शरीर को चूमता है आदि। इसी के साथ वह चाहता है कि स्त्री भी उसके उसके शरीर के साथ वैसा ही करे जैसा वह करता है और वह स्त्री को ऐसा करने के लिए उकसाता है यही प्राक-क्रीड़ा होती है। इन सभी क्रियाओं में स्त्री इतनी ज्यादा उत्तेजित नहीं होती जितना कि पुरुष हो जाता है। स्त्री के शरीर से छेड़छाड़ करने से या अपने गुप्तांग को स्त्री के हाथों से छुआने से, संभोग करने से पहले ही पुरुष की उत्तेजना इतनी तेज हो जाती है कि वह स्त्री के साथ संभोग करने से पहले ही अनिंयत्रित उत्तेजना का शिकार होकर ठंडा पड़ जाता है जिसके कारण स्त्री भी अपनी संभोग करने की इच्छा को मन में ही दबाकर रह जाती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि शारीरिक उत्तेजना को ज्यादा लंबा न खींचे। प्राक-क्रीड़ा संभोग करने की क्रिया को शुऱू करने का एक जरुरी हिस्सा है लेकिन इसी में ही अपनी ऊर्जा को खर्च नहीं कर देना चाहिए।
इस बारे में एक बात ध्यान रखना और भी जरूरी है कि पुरुष को स्त्री से अपने गुप्तांग को उत्तेजित नहीं करना चाहिए क्योंकि संभोगक्रिया करने के लिए स्त्री को तैयार होने में थोड़ा समय लगता है जबकि पुरुष उससे जल्दी उत्तेजित हो जाता है। संभोगक्रिया में लिंग मुंड की बहुत ही खास भूमिका होती है। लिंग मुंड की त्वचा बहुत ही संवेदनशील होती है। स्त्री द्वारा इसे ज्यादा छूने से संभोग करने से पहले ही व्यक्ति की उत्तेजना चरम सीमा पर पंहुचने लगती है। जब संभोग किया जाता है तो पुरुष आगे बढ़ने के स्थान पर वहीं ढेर हो जाता है। जिन लोगों की उत्तेजना बहुत तेजी से भड़कती है उन्हें शारीरिक छेड़छाड़ से बचना चाहिए। अगर पुरुष इस बात का ध्यान रखें तो सेक्स संबंधों के दौरान मिलने वाले आनंद की सीमा को बढ़ाया जा सकता है।
कुछ महान लोगों का मानना है कि जिस व्यक्ति की कामशक्ति कमजोर है उन्हें प्राक-क्रीड़ा से बचना चाहिए लेकिन ऐसा करने से स्त्री को सेक्स के लिए दिमागी रूप से तैयार होने में थोड़ी परेशानी महसूस हो सकती है। इसलिए ऐसे व्यक्तियों को प्राक-क्रीड़ा के समय अपने सारे कपड़े नहीं उतारने चाहिए। कुछ समय तक स्त्री के शरीर के अंगों से छेड़छाड़ करके काम चलाया जा सकता है। जब संबंध बनाने हो तभी अपने आखिरी कपड़े को उतारना चाहिए और सेक्स में लीन हो जाना चाहिए। अगर शुरू में ही सारे कपड़े उतार दिये जाते हैं तो स्त्री के शरीर से लिंग आदि की रगड़ लगने से उसकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है जिसके कारण जल्द ही वीर्यपात हो जाता है। संभोग करते समय कमरे में ज्यादा रोशनी न करके हल्की रोशनी वाला बल्ब लगाना चाहिए।
संभोग के समय गंदी बातें न करें-
संभोगक्रिया के समय काफी लोगों की आदत होती है कि वह इस दौरान अश्लील और उत्तेजना बढ़ाने वाली बातें करते हैं और अपनी पत्नी से भी चाहते हैं कि वह भी उसी प्रकार की बातें करें। इससे एक तो पुरुष को मजा आता है और साथ ही उसकी उत्तेजना भी बढ़ने लगती है। इससे संभोग करने से पहले ही वह इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि कुछ करने से पहले ही उनका वीर्यपात हो जाता है। इसलिए संभोग करने से पहले न तो खुद अश्लील बातें करें और न ही पत्नी को ऐसा करने के लिए उकसाएं।
संभोगक्रिया के समय किसी भी प्रकार की उत्तेजना बढ़ाने वाली बातें करने के स्थान पर विराम के समय पत्नी से ऐसी बातें करें जिनका कि सेक्स से कोई संबंध न हो। ऐसा करने से एक तो बढ़ती हुई उत्तेजना कम होती है और दूसरा जल्दी वीर्यपात होने का डर नहीं रहता तथा दूसरी बातों के कारण स्त्री भी रुचि लेकर बातचीत में साथ देगी। ऐसी बातें करने से आत्मीयता बढ़ती है। अगर कोई व्यक्ति सेक्स संबंधों को ज्यादा नहीं खींच पाते तो कहीं न कहीं उसका कारण अश्लील और उत्तेजना बढ़ाने वाली बातचीत हो सकती है।
संभोगक्रिया के समय नशीले पदार्थों के सेवन से बचे-
बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर नशीले पदार्थों का सेवन करके सेक्स किया जाए तो यह क्रिया ज्यादा समय तक और आनंदमय हो जाती है। यही सोचकर वह इसे करने के लिए शराब, भांग, गांजा, अफीम या दूसरी किसी तेज चीज का सेवन करते हैं। लेकिन इससे बस थोड़ी देर के लिए ही उत्तेजना पैदा होती है और जितनी तेजी से पैदा होती है उतनी ही तेजी से खत्म हो जाती है। नशा करके सेक्स करने वालों की कामशक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है और उनकी ऊर्जा समय से पहले ही समाप्त हो जाती है। इसके अलावा नशा करके सेक्स करने वालों का बर्ताव भी जानवरों जैसा हो जाता है। उसमें अच्छा-बुरा पहचान करने की क्षमता खत्म हो जाती है और वह अपनी पत्नी को जानवरों की तरह नोचने लगता है। पत्नी अपने पति के इस व्यवहार से प्रताड़ित होकर संभोगक्रिया का आनंद लेने के बजाय अपने आपको पति से पीछा छुड़ाने के उपाय ढूंढती रहती है। इसलिए मन से ऐसे विचारों को तुरंत ही निकाल देना चाहिए कि नशा संभोग करने की शक्ति को बढ़ाता है।
तनावमुक्त रहे-
आज के समय में हर इंसान किसी न किसी तनाव से घिरा हुआ है चाहे वह तनाव खाने से संबंधित हो, सोने से संबंधित हो, दिमाग से संबंधित हो या शरीर से संबंधित हो। यही तनाव व्यक्ति की सेक्स पाँवर पर भी असर डालता है। व्यक्ति का कोई भी काम तनाव की हालत में हो सकता है लेकिन संभोगक्रिया तनाव के साथ नहीं हो सकती। अगर किसी व्यक्ति को बहुत ज्यादा तनाव होता है तो उसका शारीरिक संबंधों की तरफ ध्यान ही नहीं होता। अगर वह किसी प्रकार से अपने आपको इन संबंधों के लिए तैयार कर लेता है तो उसका शरीर साथ नहीं देता, अगर जैसे-तैसे शरीर को तैयार कर लिया जाता है तो जल्दी वीर्यपात हो जाने के कारण संभोगक्रिया का पूरा मजा खराब हो जाता है। इस समस्या से आज के समय में बहुत से युवक ग्रस्त हैं वह खुद मानते हैं कि इसका सबसे बड़ा कारण तनाव होता है। तनाव उनकी जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन गया है कि बाहर निकलने का नाम ही नहीं लेता।
चिकित्सा-
* एक लौंग को चबाकर उसकी लार को लिंग के पिछले भाग पर लगाने से संभोग करने की शक्ति तेज हो जाती है।
* लगभग 10-10 ग्राम सफेद प्याज का रस और शहद, 2 अंडे की जर्दी और 25 मिलीलीटर शराब को एक साथ मिलाकर रोजाना शाम के समय लेने से संभोगशक्ति बढ़ जाती है।
* लगभग 5 बादाम की गिरी, 7 कालीमिर्च और 2 ग्राम पिसी हुई सोंठ तथा जरूरत के अनुसार मिश्री को एक साथ मिलाकर पीस लें और फंकी लें। इसके ऊपर से दूध पी लें। इस क्रिया को कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से संभोगक्रिया के समय जल्दी वीर्य निकलने की समस्या दूर हो जाती है।
* उड़द की दाल को पानी में पीसकर पिट्ठी बनाकर कढ़ाई में लाल होने तक भून लें। इसके बाद गर्म दूध में इस पिसी हुई दाल को डालकर खीर बना लें। अब इसमें मिश्री मिलाकर किसी कांसे या चांदी की थाली में परोसकर सेवन करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है। इस खीर को लगभग 40 दिनों तक प्रयोग करने से लाभ होता है।
वीर्य को बढ़ाना-
* इमली के बीजों को पानी में छिलका उतरने तक भिगो लें। इसके बाद इन बीजों का छिलका उतारकर चूर्ण बना लें। इसके लगभग आधा किलो चूर्ण में इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। इसमें से लगभग 2 ग्राम चूर्ण को लगभग 40 दिनों तक नियमित रूप से फांकने के बाद ऊपर से दूध पीने से वीर्य गाढ़ा होता है और शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है।
* बरगद के पके हुए फलों को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को 5 ग्राम की मात्रा में रोजाना शाम को दूध के साथ लेने से एक सप्ताह के बाद ही वीर्य गाढ़ा होना शुरू हो जाता है। इस चूर्ण को लगभग 40 दिनों तक सेवन किया जा सकता है।
* लगभग आधा किलो देशी फूल की कच्ची कलियों को डेढ़ लीटर पानी में डालकर उबाल लें। पानी उबलने के बाद जल जाने पर इस मिश्रण को बारीक पीसकर 5-5 ग्राम की गोलियां बनाकर एक कांच के बर्तन में रखकर ऊपर से ढक्कन लगा दें। इसमें से 1 गोली को रोजाना सुबह के समय दूध के साथ लेने से संभोग करने की शक्ति बढ़ती है और वीर्य भी मजबूत होता है।
* लगभग 10 ग्राम बिदारीकंद के चूर्ण को गूलर के रस में मिलाकर चाट लें। इसके ऊपर से घी मिला हुआ दूध पीने से जो व्यक्ति संभोग क्रिया में पूरी तरह से सक्षम नहीं होते उनके शरीर में भी यौन शक्ति का संचार होने लगता है।
* देशी फूल की तुरंत उगी अर्थात नई कोंपलों को सुखाकर और पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 6 ग्राम की मात्रा में फांककर ऊपर से मिश्री मिला हुआ दूध पीने से वीर्य पुष्ट होता है। इसके अलावा इसका सेवन करने से पेशाब के साथ वीर्य का आना और स्वप्नदोष जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।
* चिरौंजी, मुलहठी और दूधिया बिदारीकंद को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 1 सप्ताह तक लेने से और ऊपर से दूध पीने से वीर्य के सारे दोष दूर होते हैं और वीर्य बढ़ जाता है।
* सोंठ, सतावर, गोरखमुंडी, थोड़ी सी हींग और देशी खांड को एक साथ मिलाकर सेवन करने से लिंग मजबूत और सख्त होता है और बुढ़ापे तक ऐसा ही रहता है। इसके अलावा इसको लेने से वीर्य बढ़ता है और शीघ्रपतन जैसे रोग दूर हो जाते हैं। इस चूर्ण का सेवन करते समय गुड़ और खट्टे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
* सिंघाड़े के आटे का हलुआ, उड़द और चने की दाल का हलुआ, अंडों की जर्दी का गाय के घी में तैयार किया हुआ हलुआ, मेथी और उड़द की दाल के लडडू, आंवले की चटनी, गेहूं, चावल, बराबर मात्रा में जौ और उड़द का आटा और उसमें थोड़ी सी पीपल को डालकर तैयार की गई पूडि़यां और नारियल की खीर आदि का सेवन करने से हर तरह के धातु रोग नष्ट हो जाते हैं, वीर्य पुष्ट होता है और संभोग करने की शक्ति बढ़ती है।
लिंग को मजबूत करना-
* सुअर की चर्बी और शहद को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर लिंग पर लेप करने से लिंग में मजबूती आती है।
* हींग को देशी घी में मिलाकर लिंग पर लगा लें और ऊपर से सूती कपड़ा बांध दें। इससे कुछ ही दिनों में लिंग मजबूत हो जाता है।
* भुने हुए सुहागे को शहद के साथ पीसकर लिंग पर लेप करने से लिंग मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है।
* जायफल को भैंस के दूध में पीसकर लिंग पर लेप करने के बाद ऊपर से पान का पत्ता बांधकर सो जाएं। सुबह इस पत्ते को खोलकर लिंग को गर्म पानी से धो लें। इस क्रिया को लगभग 3 सप्ताह करने से लिंग पुष्ट हो जाता है।
* शहद को बेलपत्र के रस में मिलाकर लेप करने से हस्तमैथुन के कारण होने वाले विकार दूर हो जाते हैं और लिंग मजबूत हो जाता है।
* रीठे की छाल और अकरकरा को बराबर मात्रा में लेकर शराब में मिलाकर खरल कर लें। इसके बाद लिंग के आगे के भाग को छोड़कर लेप करके ऊपर से ताजा साबुत पान का पत्ता बांधकर कच्चे धागे से बांध दें। इस क्रिया को नियमित रूप से करने से लिंग मजबूत हो जाता है।
* बकरी के घी को लिंग पर लगाने से लिंग मजबूत होता है और उसमें उत्तेजना आती है।
* बेल के ताजे पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर लगाने से लिंग में ताकत पैदा हो जाती है।
* धतूरा, कपूर, शहद और पारे को बराबर मात्रा में मिलाकर और बारीक पीसकर इसके लेप को लिंग के आगे के भाग (सुपारी) को छोड़कर बाकी भाग पर लेप करने से संभोग शक्ति तेज हो जाती है।
* असगंध, मक्खन और बड़ी भटकटैया के पके हुए फल और ढाक के पत्ते का रस, इनमें से किसी भी एक चीज का प्रयोग लिंग पर करने से लिंग मजबूत और शक्तिशाली बनता है।
* पालथ लंगी का तेल, सांडे का तेल़, वीर बहूटी का तेल, मोर की चर्बी, रीछ की चर्बी, दालचीनी का तेल़, आधा भाग लौंग का तेल, 4 भाग मछली का तेल को एकसाथ मिलाकर कांच के चौड़े मुंह में भरकर रख लें। इसमें से 8 से 10 बूंदों को लिंग पर लगाकर ऊपर से पान के पत्ते को गर्म करके बांध लें। इस क्रिया को लगातार 1 महीने तक करने से लिंग का ढीलापन समाप्त हो जाता है़, लिंग मजबूत बनता है। इस क्रिया के दौरान लिंग को ठंडे पानी से बचाना चाहिए।
जानकारी-
लिंग की मालिश या लेप करते समय एक बात का ध्यान रखें कि लिंग के मुंह के नीचे सफेद रंग का बदबूदार मैल जमा हो जाता है। इस मैल को समय-समय ठंडे पानी से धोकर साफ करते रहने चाहिए।
कामशक्ति बढ़ाने वाली मलहम-
* हीरा हींग को शुद्ध शहद में मिलाकर लिंग पर लेप करने से शीघ्रपतन का रोग जल्दी दूर हो जाता है। लिंग पर इस मलहम अर्थात लेप को लगाने के बाद शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगी अपनी मर्जी से स्त्री के साथ संभोग करने का समय बढ़ा सकता है।
* 10 ग्राम दालचीनी का तेल और 30 ग्राम जैतून के तेल को एक साथ मिलाकर लिंग पर लेप करते रहने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है, संभोग करने की शक्ति बढ़ती है। इस क्रिया के दौरान लिंग को ठंडे पानी से बचाना चाहिए।
* काले धतूरे की पत्तियों के रस को टखनों पर लगाकर सूखने के बाद संभोग करने से संभोगक्रिया पूरी तरह से और संतुष्टि के साथ संपन्न होती है।
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