मुदकी (हैप्पी): पाकिस्तान की कोटलखपत जेल से रिहा होकर आज अपने पैतृक गांव फिड्डे में पहुंचे सुरजीत सिंह का गांव निवासियों द्वारा स्वागत किया गया। तलवंडी भाई चौक से लेकर गांव तक एक बड़े जलूस की शक्ल में उसे उसके घर तक पहुंचाया गया। जलूस के आगे लोग ढोल की थाप पर नाचते हुए देखे गए। करीब 70 वर्ष की आयु होने पर भी सुरजीत के चेहरे पर रौनक थी, वह बात-बात पर ठहाके लगाकर हंस रहे थे।  इस मौके पर पुलिस तथा सिविल प्रशासन का कोई भी उच्च अधिकारी उपस्थित नहीं था।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वह जासूस था और भारतीय एजैंसियों के लिए जासूसी के मकसद से ही पाकिस्तान गया था। उसने दावा किया कि वह अपने इन 31 वर्षों का भारत सरकार से हिसाब लेगा, क्योंकि उसे पता चला है कि भारत सरकार आर्थिक सहायता के नाम पर उसके परिवार को मात्र 350 रुपए ही मासिक देती रही है। सुरजीत ने बताया कि पाकिस्तान में जेल में रहते हुए उसके वहां अच्छे-अच्छे लोगों से संबंध थे व उसके साथ जेल में अच्छा व्यवहार किया जाता रहा है।
उसने कहा कि जेल में रहते हुए वह 2 बार यू.पी.ए. चेयरपर्सन सोनिया गांधी से फोन पर बात कर चुका है। उसने खुलासा किया कि वह पहले खुफिया एजैंसियों के सम्पर्क में आने पर भारत के लिए जासूसी करता रहा। उसने माना कि वह कई बार पाकिस्तान गया और वापस आया लेकिन 1981 में आखिरी बार जब पाकिस्तान गया तो पकड़ा गया। इस मौके पर उसकी पत्नी हरबंस कौर भी खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी।   सुरजीत के गांव पहुंचने से पहले घर में मौजूद उसकी पुत्रवधू सर्बजीत कौर से बात करने पर उसने कहा कि वह आज बेहद खुश है कि उसके पिता समान ससुर घर वापस आ रहे हैं। उनके घर आने पर कैसा महसूस हो रहा है, पूछने पर उसने कहा कि उसके पास खुशी जाहर करने के लिए शब्द नहीं हैं।