Wednesday, August 31, 2016

छापे की खबर से टॉप-एन-टाउन और मालिकों का नाम गोल..?

यह रही विश्वसनीयता के दैनिक भास्कर के दावे की हकीकत...!
Toc News
खुद को देश का सबसे विश्वसनीय अख़बार घोषित करना अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनने की कहावत को ही चरितार्थ करता है. दैनिक भास्कर में पहले पेज पर मत्थे के साथ यह दावा लिखा रहता है की आप पढ़ रहे हैं देश का सबसे विश्वसनीय और नंबर १ अख़बार..! नंबर-१ का दावा तो फिर भी ठीक है पर विश्वसनीयता का फैसला तो कम से कम पाठकों पर छोड़ देना चाहिए. यह तब और जरूरी हो जाता है जब विश्वसनीयता की आपकी डींग की अक्सर पोल खुलती रहती है.

अब आइसक्रीम में राजधानी के जानेमाने ब्रांड टॉप-एन-टाउन के मालिको रमानी बंधुओं भोपाल सहित १८ ठिकानों पर ३० अगस्त को पड़े आयकर छापों को ही ले लीजिए. इस ब्रांड ने ना सिर्फ भोपाल और मध्यप्रदेश बल्कि कुछ अन्य प्रदेशों में भी कामयाबी के साथ पाँव पसार रखे हैं. उन पर पड़े छापे की अख़बारों में प्रकाशित खबर पर नजर डालते हैं. दैनिक भास्कर ने खबर अन्दर के पेज पर छापी है जिसमें ना तो टॉप-एन-टाउन के नाम का उल्लेख है और ना ही मालिको रमानी बंधुओं का जिक्र. इससे सामान्य पाठक को यह पता ही नहीं चल रहा है छापा आखिर किस आइसक्रीम ब्रांड पर पड़ा है. इसके बरक्स पत्रिका और नवदुनिया [नईदुनिया] ने पहले पेज पर खबर छापी है और हेडिंग में ही टॉप-एन-टाउन का नाम है.

दैनिक भास्कर के नंबर-१ के दावे पर कोई विवाद नहीं है और तभी उसमे गले-गले तक ठसाठस विज्ञापन भरे रहते हैं. इससे अक्सर ख़बरों और विज्ञापनों का अनुपात गड़बड़ा जाता है जिसका खामियाजा पाठकों को भुगतना पड़ता है और वह कई प्रमुख खबरों से महरूम रह जाता है. ऐसे में यह सवाल उठना  लाजमी है की क्यों खबर में टॉप-एन-टाउन और रमानी बंधुओं का जिक्र करने से परहेज किया गया..? इसके बाद तो अख़बार को विश्वसनीयता की डींग हांकना बंद कर देना चाहिए. [दैनिक भास्कर, पत्रिका और नवदुनिया की कतरनें]




किसका दोष और जिम्मेदार कौन?

संजय सक्सेना
यह सही है कि हर काम सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, लेकिन जब अरबों रुपए सरकार किसी सुविधा पर खर्च  कर रही हो, और फिर भी हर दूसरी जगह लोगों को उसी सुविधा से वंचित रहना पड़े, जान पर बन आए, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? यह सवाल बार-बार मस्तिष्क में कौंध रहा है। न तो समाज आगे आ पा रहा और सरकार आदेश, निर्देश, जांच और कार्रवाई के जाल में उलझ कर रह गई है।
भिंड में एंबुलेंस नहीं मिलने पर जिला अस्पताल आने के लिए परिजन प्रसूता को लेकर ऑटो से रवाना हुए। अस्पताल के रास्ते में ऑटो में प्रसव हो गया। प्रसूता और नवजात को जिला अस्पताल लाया गया। महिला के पति ने आरोप लगाया कि उसने एंबुलेंस के लिए कई बार फोन किया, लेकिन फोन उठा नहीं तब मजबूरी में ऑटो किराए पर कर प्रसूता को लेकर आए। इस मामले में हद तो तब हो गई, जब अस्पताल परिसर में मैटरनिटी स्टाफ ने ऑटो के बाहर ही नवजात का नाल काटा।

मीडिया के सजग होने और सोशल मीडिया का गांव-गांव तक प्रसार होने का ही परिणाम है कि अब कहीं कुछ भी नहीं छिपा सकते। रोजाना कोई न कोई ऐसी खबर आ रही है, जो दिल को दहला देती है। कानून व्यवस्था की बदहाली तो अपनी जगह है, कहीं रास्ते में प्रसव हो रहा है, तो कहीं अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। मध्यप्रदेश में अरबों रुपए स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर खर्च किए जा चुके हैं, और भी किए जा रहे हैं। ढेर सारे विज्ञापनों के माध्यम से प्रचार किया जा रहा है कि सरकार हर  गांव तक पहुंच गई है। किसी भी गांव में प्रसूता हो, जननी एक्सप्रेस उसे अस्पताल पहुंचाएगी। अस्पताल में प्रसव के लिए पहुंचाने का खर्च भी सरकार उठाएगी। लेकिन मध्यप्रदेश में जननी एक्सप्रेस सुविधा हो या सरकारी अस्पतालों की एंबुलेंस, सेवा  बहुत ही खराब स्थिति में है।

जननी एक्सप्रेस  को लेकर तो यह बताया जा रहा है कि यह सेवा ठेके पर चल रही है और ठेकेदार को समय पर पैसा नहीं चुकाया जा रहा है। यह खामी सरकार की हुई, लेकिन होता यह है कि किसी छोटे कर्मचारी पर कार्रवाई कर इतिश्री कर ली जाती है। जबकि होना यह चाहिए कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी तक को कारण बताओ नोटिस मिलना चाहिए। ऊपर सख्ती नहीं होगी, तो नीचे भी सुधार नहीं होगा। अस्पतालों में लापरवाही की यह अकेली खबर नहीं है, रोज आ रही हैं, संख्या बढ़ रही है। इसलिए, क्योंकि गाज किसी छोटे कर्मचारी पर गिर कर रह जाती है।

और जहां तक हमारे समाज की बात है, तो समाज का दिल भी अब ऐसी घटनाओं से नहीं पसीज रहा है। सड़क पर प्रसव होता है, तो होता रहे। कोई तड़प रहा हो, तड़पता रहे, दम तोड़ दे। मौत के बाद अकेला व्यक्ति शव को ढोता रहे। आदि..इत्यादि..। हम खुद असंवेदनशील हो गए हैं, और सरकार तो वैसे भी गूंगी, बहरी और अंधी हुआ करती हैं।

जनता से लेकर मंत्री तक जूझ रहे हैं बिजली बिल की समस्या से

अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल । यूँ तो प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सरकार बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर ही सत्त पर काबिज हुई थी लेकिन आज भाजपा शासनकाल के १२ वर्ष गुजर जाने के बाद भी  बिजली की समस्या आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है, ना तो उसमें सुधार हुआ है और ना ही लोगों को सरकारी दावे के बावजूद २४ घंटे बिजली मिल पा रही है, 

हाँ यह जरूर है कि बिजली की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार द्वारा इस दौरान करोड़ों रुपये खर्च विभिन्न बिजली सुधार योजनाओं के नाम पर खर्च किये लेकिन इसके बावजूद भी बिजली समस्या से प्रदेश की जनता को न तो निजात मिल पाई और हाँ यह जरूर है कि इस दौरान बिजली विभाग में भ्रष्टाचार पनपता जा रहा है स्थिति यह है कि विद्युत विभाग में अब उच्च अधिकारियों से लेकर लाइनमैन तक लक्ष्मी दर्शन के फेर में लग गए हैं बिजली विभाग अपनी अव्यवस्थाओं को छुपाने के लिए लोगों को अनाप-शनाप बिल थमाने में लग गई है और इस समस्या से जहां राज्य का जनमानस तो जूझ ही रहा था, अब राज्य के मंत्री भी इसके चपेट में आ गये, तभी तो राज्य के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्गम राज्यमंत्री संजय पाठक की बिजली बिल के मामले को लेकर इन दिनों सुर्खियों में हैं

अपनी आदत के अनुसार विद्युत विभाग ने उनके कटनी स्थित मकान का बिल दो लाख रुपए का थमा दिया, विद्युत विभाग द्वारा दिये गये दो लाख के बिजली बिल को देखकर संजय पाठक को विद्युत विभाग से यह कहना पड़ा कि उनके घर के बिजली प्वाइंट को देख लें और ठीक से आंकलन करें कि इतना बिजली बिल आने का कारण क्या है। हालांकि मंत्री महोदय ने तो विद्युत विभाग के अधिकारियों से अपने अधिकारियों से अपने घर के लंबे चौड़े बिजली बिल को देखकर यह कह दिया लेकिन सवाल यह उठता है कि आम जन की तो विद्युत विभाग के अधिकारियों की दहशत और अंधेरगर्दी के चलते कहने की हिम्मत नहीं है,

शायद यही वजह है कि विद्युत विभाग में अब अधिकारियों के साथ मारपीट करने जैसी घटनाएं आयेदिन बड़ रही हैं तो वहीं इस समस्या से राज्य के विधायक से लेकर मंत्री तक जूझ रहे हैं और वह आये दिन विभाग के अधिकारियों को जूते मारने से लेकर तरह-तरह की धमकियां देते नजर आ रहे हैं इन सब घटनाओं को देखकर यह साफ दिखाई देता है कि मप्र विद्युत मण्डल में कहीं न कहीं कुछ न कुछ तो है, जिसकी  वजह से राज्य का हर शख्स परेशान है और उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। इस सब स्थित को देखकर दिग्विजय ङ्क्षसह के शासनकाल की लोगों को याद आने लगी है,

उस समय भी विद्युत आपूर्ति को लेकर आयेदिन विद्युत विभाग के अधिकारियों और कार्यालयों में हंगामों की खबरें आम थीं तो आज भाजपा शासनकाल के १२ वर्ष बाद भी इस समस्या ने दूसरा रूप ले लिया और जहां एक ओर विद्युत विभाग के चौबीस घंटे विद्युत उपलब्ध कराने के दावे से तो लोगों को मुक्ति नहीं मिल पाई लेकिन अनाप-शनाप बिजली बिल की समस्या से हर कोई जूझ रहा है सवाल यह उठता है कि जब लोगों का बिल उनकी यहां लगे मीटरों की खपत के अनुसार दिया जाता है तो आखिर यह बिल अनाप-शनाप क्यों बन रहे हैं। इस बात को लेकर एक सवाल खड़ा होता है कि या तो यह बिजली विभाग द्वारा लगाये गये मीटर अनाप शनाप रीडिंग करते हैं या घरों में खपत होने वाली बिजली से ज्यादा यह मीटर तेज दौड़ते हैं। हालांकि राज्य में बिजली के मीटरों को लेकर सदन से लेकर सड़क तक कई बार हंगामा खड़ा हो चुका है

लेकिन इसके बाद भी न तो विद्युत विभाग अपनी अव्यवस्थाओं में सुधार करने के लिये तैयार है और न ही बिजली, पानी और सड़क की समस्या से मुक्ति दिलाने के वादे के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा के सत्ताधीश इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं मगर यह जरूर है कि भाजपा के विधायक से लेकर मंत्री तक विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली से परेशान हैं और कई भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि विद्युत विभाग के अधिकारियों और लाईनमैनों के साथ पिटाई करने जैसी धमकियां देने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है,

जब हर कोई विद्युत विभाग की अव्यवस्थाओं से पीडि़त और पीडि़त लोगों की समस्या विद्युत विभाग के अधिकारियों द्वारा दूर नहीं की जाती है तो हर पीडि़त जन अपने जनप्रतिनिधि के पास गुहार लगाता है और वह नाराज होकर जनता के सामने अपनी बहादुरी दिखाने में पीछे नहीं रहते और उसी जनता की  सहानुभूति बटोरने के लिए वह विद्युत विभाग के अधिकारियों के अनाप-शनाप शब्दों का उपयोग करने के साथ-साथ धमकियां देने और जूतों से पिटाई करने जैसी बात कह जाते हैं। जहाँ तक विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली का सवाल है तो राज्य की प्रशासनिक सेवाओं की तरह इस विभाग का भी वही ढर्रा है और उसमें सुधार आने का नाम नहीं ले रहा है,

 यदि यही स्थिति रही तो प्रदेश की जनता और उनके जनप्रतिनिधियों का आक्रोश एक दिन क्या रंग लाएगा यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन यह जरूर है कि प्रदेश की भाजपा सरकार में भी पूर्व कांग्रेसी शासनकाल की तरह बिजली विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में असंतोष पनप रहा है, यदि समय रहते इसमें सुधार नहीं किया गया तो भविष्य में इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं, जिसको लेकर राज्य की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है क्योंकि विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली से आम जनता से लेकर मंत्री तक और भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधियों तक सभी परेशान हैं। 

राज्य में हर जगह मुख्यमंत्री खड़ी करना चाहते हैं कई यूनियन कार्बाइड

अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल। प्रदेश में उद्योग एवं विकास की दुहाई देने की होड़ में लगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शायद राज्य की राजधानी में हुई यूनियन काबाईड की वह भीषणतम दुर्घटना का स्मरण नहीं हो रहा, जिसकी पीढ़ा आज राजधानी के लाखों गैस पीडि़त भाग रहे हैं लेकिन वर्षों पूर्व हुई इस घटना से आज जहां पीडि़त और सत्तापक्ष दोनों परेशान हैं कि आखिर इस समस्या का समाधान आज तक नहीं किया जा सका, यूनियन कार्बाइड के हादसे के शिकार अकेले वह पीडि़त ही नहीं हैं बल्कि राज्य शासन भी है

जिसे उन पीडि़तों को आयेदिन कोई न कोई समस्या से जूझना पड़ता है, लेकिन लगता है कि राज्य के विकास की दौड़ में लगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को न तो यूनियन कार्बाइड की वह घटना याद आ रही है और न ही उन पीडि़तों की जो वर्षों बाद आज भी इस समस्या से जूझ रहे हैं इसके बाद भी वह अमेरिकी कंपनियों से राज्य में उद्योग लगाने के लिए उनकी मान मनौव्वल करने में जुट हुए हैं,

यही नहीं यूनियन कार्बाइड ने एक झटके में लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था लेकिन शिवराज सिंह चौहान तो उस कोकाकोला कम्पनी को राज्य में खोलने का आमंत्रण दे रहे हैं जिसके उत्पाद को लेकर तरह-तरह के खुलासे आयेदिन हो रहे हैं। उक्त कम्पनी के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा इसका खुलासा भी किया गया कि कोकाकोला में लेटरिन साफ करने वाली तेजाब से कई घातक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है और यह लोगों के लिये धीमे जहर का काम करता है।

उस कोकाकोला कम्पनी को प्रदेश में उद्योग लगने के लिये शिवराज सिंह मान मनौव्वल करने लगे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विकास की दौड़ को साकार करने के उद्देश्य से कई बार मुख्यमंत्री और उनके परिजनों के साथ-साथ अधिकारियों की एक टीम लम्बे समय से निवेशकों को मनाने के नाम पर सैर सपाटे करती रही है लेकिन उसके परिणाम इतने वर्षों में क्या सामने आए इस बात का भी खुलासा होना चाहिए और यह भी साफ होना चाहिए कि निवेश के नाम पर किये गये सैर सपाटे के बाद राज्य में कितने विदेशी कंपनियों ने निवेश किया और अभी तक किती कंपनियों से एमओयू हुए और कितनों ने मध्यप्रदेश में निवेश किया। जबकि इन विदेशी निवेशकों द्वारा प्रदेश के तमाम लोगों कोक निवेश के नाम पर झटका भी दिया गया जिसका जीता जागता उदाहरण है

ग्वालियर का एक मामला जिसमें विदेशी निवेशकों द्वारा ग्वालियर के कई व्यापारियों को करोड़ों का चूना लगाया गया और वह आज भी उस समस्या से जूझ रहे हैं। यह उल्लेखनीय है कि जिस अमेरिका की मुख्यमंत्री और उनकी मण्डली निवेश के नाम पर कई बार सैर-सपाटा कर चुकी है उसी अमेरिकी सीनेट की एक महिला अधिकारी द्वारा इस बात का भी खुलासा किया गया था कि भारत में वही विदेशी कंपनियां उद्योग लगा सकती हैं जिनके संबंध राजनेताओं से हों?अमेरिकी सीनेट के महिला के इस तरह के बयान के बाद लोग इस लाख टके के सवाल की खोज में लगे हुए हैं कि क्या सच में कोई भी विदेशी कंपनी भारत में उद्योग तभी लगा सकती है जब यहां के राजनेताओं से उनके संबंध हों तो लोग इस बात की खोज में लगे हुए हैं कि राजनेताओं के संबंध लोगों से कैसे होते हैं इससे तो आमजन भलिभांति परिचित हैं

 कि नेता भले ही जनता अपने आपको जनता का सेवक होने का ढिंढोरा पीटें लेकिन पहले वह अपना हित देखता है और इसी तरह के जनता के सेवक के ढिंढोरे के बाद यूनियन कार्बाइड भी एक जीता-जागता उदाहरण है कि राजनेताओं के संबंध होने के नाते उसी यूनियन कार्बाइड के दुष्परिणाम आज भी राजधानी के लोग भुगत रहे हैं, तो यही नहीं जिस यूनियन कार्बाइड के हादसे का दर्द लोग आज भी झेल रहे हैं उसी यूनियन कार्बाइड से राज्य के राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियों ने कितना चंदा कब-कब लिया इस बात का भी खुलासा हो सकता है और इस विदेशी कंपनी यूनियन कार्बाइड से राज्य के कितने नेताओं का संबंध रहा और इसके क्या परिणाम हुए इससे भी लोग परिचित हैं

लेकिन मजे की  बात यह है कि इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदेशी कंपनियों को मध्यप्रदेश में स्थापित करने की पहल करने में लगे हुए हैं पता नहीं उनकी इस पहल के क्या परिणाम होंगे यह तो भविष्य बताएगा लेकिन यह जरूर है कि यदि भगवान न करे कि किसी भी विदेशी कम्पनी से यूनियन कर्बाइड जैसी घटना घटित हुई तो जिस तरह से आज भी भोपाल के गैस पीडि़त लोग न्याय के लिये अमेरिका और भारतीय न्यायालयों तक में गुहार लगा रहे हैं इसके बाद भी उन्हें आज तक न्याय नहीं मिल रहा है, इस तरह का इतिहास इस प्रदेश् में दोहराया जाए, विकास की इस होड़ में मुख्यमंत्री को इसका भी ध्यान रखना चाहिए।    

आईबीएन चैनल का बड़ा खुलासा। भाजपा शासित राज्यों में सबसे ज्यादा बूचड़खाने।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा मीट निर्यातक देश।

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पॉलिटिक्स बीफ की, पॉलिसी बूचड़खाने की, RTI से सामने आया BJP सरकारों का हैरान करने वाला सच!

नई दिल्‍ली। बीफ को भारतीय राजनीति का केंद्रीय मुद्दा बना देने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिए आरटीआई के जरिए हुआ एक खुलासा असहज स्थिति पैदा कर सकता है। पता चला है कि देश में चल रहे डेढ़ हजार से भी ज्यादा बूचड़खानों में से अधिकतर बीजेपी शासित राज्यों में ही चल रहे हैं। भारत मांस निर्यात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया है जबकि अपनी चुनावी कैंपेन में ‘गुलाबी क्रांति’ को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तत्कालीन मनमोहन सरकार को घेरते नजर आते थे।

मुंबई में इस समय पर्यूषण पर्व को लेकर मीट और मछली की दुकानें बंद करा दी गई हैं लेकिन वही महाराष्ट्र देश में मांस उत्पादन में नंबर वन है और वहां सबसे अधिक बूचड़खाने चल रहे हैं। दिलचस्‍प बात यह है कि मांसाहार को लेकर नॉर्थ ईस्‍ट की ओर सबसे ज्यादा उंगलियां उठती हैं जबकि वहां सबसे कम स्‍लाटर हाउस हैं। जानकार इसे लेकर पार्टी और सरकार के रवैये पर सवाल उठा रहे हैं और इसे कथनी-करनी का अंतर करार देते हैं।

फरीदाबाद निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता रविंद्र चावला ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पशुपालन, डेयरी और मत्‍स्‍य पालन विभाग में आरटीआई डालकर पूछा था कि किस राज्‍य में कितने स्‍लॉटर हाउस हैं। उनमें पशुओं के काटने के नियम क्‍या हैं। इसका जो जवाब आया वह हैरान करने वाला था। क्योंकि मांसाहार को भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताने वाली भाजपा के शासन वाले राज्‍यों में सबसे ज्‍यादा स्‍लॉटर हाउस हैं। देश भर में कुल 1623 स्‍लॉटर हाउस बताए गए हैं जिनमें से 675 तो भाजपा के शासन वाले राज्‍यों में हैं। अकेले महाराष्ट्र में ही 316 कसाईखाने हैं। 285 इकाइयों के साथ यूपी दूसरे नंबर पर है लेकिन ऐसे टॉप टेन राज्यों में महाराष्ट्र को छोड़कर भाजपा शासित तीन और राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब शामिल हैं।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सार्वजनिक रूप से बयान दे चुके हैं कि बीफ खाने वाले उनके राज्य में न आएं लेकिन 21 जिले वाले इस छोटे से राज्य में भी 36 बूचड़खाने चल रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह क्षेत्र गुजरात में भी 38 इकाइयों में पशुओं का मांस निकालने का काम किया जाता है। रवींद्र चावला का कहना है कि अपने आपको पशु प्रेमी बताने वाली पार्टी के शासन वाले राज्‍यों में सबसे ज्‍यादा स्‍लाटर हाउस की संख्‍या हैरान करती है। टॉप टेन राज्‍यों में चार भाजपा के ही हैं। दरअसल, सत्‍ता में बैठे लोगों की कथनी और करनी में भारी अंतर है।

सामाजिक कार्यों के लिए पदमश्री से सम्‍मानित ब्रह्म दत्त का कहना है कि हिंदुत्‍व के एजेंडे पर तो भाजपा सत्‍ता में आती है, कुर्सी मिलने के बाद बिजनेस हित देखती है इसीलिए वह कसाईखानों को बंद करने में नाकाम रही है। यह तो और ताज्‍जुब की बात है कि उनके शासन वाले राज्‍यों में स्‍लॉटर हाउस ज्‍यादा हैं जिनके संगठनों ने पशु वध को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा रखा है।


भ्रष्टाचार,प्याज के ऑसू भाजपा में सड़ॉन्ध , रिश्ता पुराना है।

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 भोपाल (पं.एस.के.भारद्वाज)पुराने बुद्धिजीवी और राजनेता सब जानते है कि भाजपा और प्याज का जन्म से ही  रिश्ता है। भाजपा के लोगो में एक विशेषगुण विद्यमान है कि ये जब विपक्ष में होते है तो आम जनता का पक्ष सत्ता के सामने तर्क सहित जोरदार तरीके से रखते है ,उसका असर भी होता है और और चहुॅओर प्रशंसा भी मिलती है। परन्तु जैसे ही भाजपा अकेले  अथवा किसी सहयोगी दल के साथ सत्तीन होती है,तो ये वर्षो तक मन और आचरण में से ये बात नही निकाल पाती कि हम विपक्ष की भूमिका में नही है बल्कि सत्ताधारी दल है और हमारी जिम्मेदारी व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करके लोक कल्याण के लिए काम करना है। अर्थात ये एक ऐसा राजनीतिक दल है जब विपक्ष में रहता है तो जनकल्याण की बातें करता है और सत्ता में होता है तो एक दूसरे की टॉग खीचने और अवैध तरीके से धनसंचय की योजनाओं में लिप्त लोगों और समूहो के साथ परोक्ष रूप से शामिल होकर स्वयं जनता की दृष्टि में दलाली दल और बलशाली भ्रष्टाचारी दल बन कर रह जाता है। पूर्व में कई वार इतिहास अपने आप में ऐसी पुनरावृत्ति कर चुका है। भारतीय जनता पार्टी का प्याज से जन्म का ही नाता रिश्ता है। बात पुरानी है। सत्तर के दशक में जेपी आन्दोलन के बाद भारत में श्रीमती इंदिरा गॉन्धी के इमाजेंसी कानून से क्रुद्ध कुपित होकर जब गैर कॉग्रसी सरकार बनी थी,उस समय एक नया दल बना था। नाम था जनता पार्टी। जनता पार्टी का उदय मतलब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राजनीतिक दल के दीपक को श्री लाल कृष्ण आडवानी और श्री अटल विहारी बाजपेयी एवं उनके सहयोगी साथियों द्वारा बुझाकर सत्ता हासिल करने के लिए नये दल जनता पार्टी के रूप में उदय। इस सत्ताधारी दल में वे सभी लोग शामिल थे जो कांग्रेस के खिलाफ थे । अर्थात सवर्ण मुस्लिम दलित वगैरह वगैरह । स्वाभाविक है जब भिन्न भिन्न वर्ग,धर्म के लोग सत्ता सुख भोगने के उद्देश्य से एकमंच पर सवार होंगे तो ज्यादा दिन तक पटरी नहीं बैठ सकती , हुआ भी ऐसा ही । दिखाने के लिए भले ही एक बने रहे मगर अन्दर खाने अपनी अपनी महत्वाकांक्षाऐं खूब हिलोरे मार रही थी । तत्कालीन समूह में पुराने जनसंघी अपने आप को सवर्ण समाज का अगुवा सिद्ध करने में लगे थे ,तो चौ.चरण सिंह जाट और किसानों के नेता,तो वही बाबू जगजीवनराम जैसे जो स्वयं दलितों  के सौम्यवादी नेता बनकर उभरे तो बीपी सिंह दबंगराजे रजवाड़े, रियासत वाले ठाकुर नेता होकर । उसी भीड़ में दलितवादी मायावती और समाजवादी मुलायम ङ्क्षसंह जैसे नेताओं का उदय भी हुआ। इसी आपस की महत्वाकांक्षी राजनीति में ये  सभी जनता को भूल गये और जनता बेरोजगारी महंगाई प्रशासन की लूट भ्रष्टाचार और अत्याचार से तंग आ गई । परिणामत: मध्यावती चुनाव हुए और श्रीमती इंदिरा गॉधी का चुनावी मुद्दा था खाद्य पदार्थो पर बेहताशा महंगाई और प्याज प्रचार का नमूना। नतीजा श्रीमती इंदिरा गॉधी की प्रभावी तरीके से बिना किसी सहयोगी दल के बिना किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के फंड के सहयोग से सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ पुन:  वापसी। इधर जनता पार्टी में विघटन और भारतीय जनता पार्टी का उदय हो गया। इसके बाद श्रीमती इंदिरा गॉधी के जीवित रहते जनसंघ विचार धारा के लोग अथवा साथी सत्ता में वापसी का सपना भी ही देख पाये। श्रीमती इंदिरा गॉधी की हत्या के बाद एक वार देश की जनता ने अटल विहारी बाजपेयी की अगुवायी में बहुदलीय सत्ता सौपी। इस बार भी यही हुआ ये सत्ता में आते ही इतने मदमस्त हो गये कि इन्होने इन्डिया शाइन का नारा लगाते हुए फील गुड का गाना गाने लगे। जबकि जनता महंगाई भ्रष्टाचार से परेशान थी। नतीजा ये हुआ कि कॉग्रेसियो ंने इसे मुद्दा बनाया और प्याज से बना  हार पहन कर समाज में आ गये परिणामत: देश की जनता ने सत्ताधारी बहुदलीय समूह जिसे एन.डी.ए कहा जाता है उसे नकार कर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
   गत चुनावों में भी केन्द्र और राज्य में सरकार भाजपा के जनता के मनमाफिक काग्रेस के खिलाफ विरोध करने के कारण सत्ता सैपी है। जिसमें महंगाई भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा रहे है। मगर यही मुद्दे भाजपा के गले ही हड्डी बनते चले जा रहे है। जनता इनके विरोध से तो खुश थी मगर इनके प्रशासन से तंग आ चुकी है। कोई हल नही है। कोई उपचार नही, कोई समाधान नही है सिवाय असहनीय भ्रष्टाचार ,सरकार पोषित अपराध और माई के लाल मामा के शिष्टाचारी गुन्डई रूपी शासन के आतंक से ।
   आज के परिवेश में भी देखा जाय तो लक्षण कुछ इसी प्रकार के संकेत दे रहे है कि जल्दी ही इतिहास पुन. एक बार पुनर्रावृत्ति करेगा और जनाक्रोश का आधार होगा महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार और शासन प्रशासन का अत्याचार। ये भी हो सकता है कि इसका भविष्य का प्रतीक भी प्याज ही बने। बैसे भी म.प्र. में प्याज एक प्रशासन के लिए गले की हड्डी बन चुका है और शासन को संकेत दे चुका है कि तुम्हारे पास कोई की व्यवस्था नही है  न ही आधार भूत नीति। पिछले 10-12 सालों के लम्बे अन्तराल के बाद स्वयं के द्वारा क्रय की गई प्याज के लिए भी राज्य में भंडार गृह /शीतगृह नही है। पूरे म.प्र. में 9.5 लाख टन की क्षमता भर के लिए मात्र 212 शीत गृह है। सरकार के पास इतना भी संरक्षित धन नही है कि आपात काल में किसानों का भुगतान बिना कर्ज लिए अपने राजकोष से कर सके। पूरे म.प्र. में एक भी फूड प्रोसेसिंग फर्म या कंपनी नही है जो 50 हजार कुन्तल प्याज भी खरीद सके। सब कुछ कर्ज और दूसरे राज्यों पर निर्भर है। ब्याज और घाटे की भरपाई जनता कर रही है। वित्त मत्री इस कर्ज को विकास का सिद्धान्त बता रहे है तो स्वयं मुख्यमंत्री किसानों को दी जाने वाली राहत बता रहे है। जून 20016 में खरीदी गई एक लाख चार हजार कुन्टल प्याज में करोंडों की राशि में जो सड़ॅध मार रही है। वह किस राजनीतिक अथवा प्रशासनिक परफ्यूम से कम होगी अथवा कोई तन्त्र साधना करनी पड़ेगी  किसी को कुछ नही सूझ रहा है। जबकि इसके मूल शुद्धिकरण  के लिए चुनावी यज्ञशाला सजने में बहुत समय शेष है। हमतो इसे भाजपा के लिए राजनीतिक भविष्य की सड़ांन्ध मान रहे है। साभार - स्वराज

सस्ती कीमत में 5 स्टार एसी, कूलर भी बेचेगी म.प्र. सरकार

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बिजली बचाने के लिए सरकार अब कम बिजली खपत वाले एसी और कूलर भी बेचने की तैयारी कर रही है। यानी एलईडी बल्ब, ट्यूबलाइट और पंखे के बाद एसी-कूलर भी कम कीमत में बिकेंगे। ये उपकरण बिजली कंपनी की बजाए उपकरण अक्षय ऊर्जा शॉप और डाक घरों से बेचे जाएंगे। एलईडी बल्ब की तरह ही 5 स्टार रेटिंग वाले एसी कम कीमत पर उपभोक्ताओं के लिए उपलब्धा कराए जाएंगे।

केन्द्र से एनर्जी एफिसियंसी सर्विस लिमिटेड (ईईएसएल) की निगरानी में बिजली बचत को लेकर सस्ती दर पर इलेक्ट्रानिक्स उपकरण बेचे जा रहे हैं। मप्र में अभी 85 रुपए में एलईडी बल्ब बेचे जा रहे हैं। सितम्बर से ट्यूबलाइट और पंखे भी मार्केट में उपभोक्ता के लिए आ रहे हैं। एलईडी ट्यूबलाइट और पंखे कम बिजली में चलने वाले हैं। इनकी बाजार से कीमत भी कम होने का दावा किया जा रहा है। ट्यूबलाइट की कीमत 220 रुपए और पंखा करीब 1150 रुपए में मिलेगा।

20 हजार हो सकती है कीमत

5 स्टार रेटिंग वाले एसी-कूलर 50 फीसदी कम दाम पर मिलने की उम्मीद जाहिर की जा रही है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक उपभोक्ता को 40 हजार कीमत वाले एसी 20 हजार रूपये में बेचे जाएंगे। मौजूदा समय में 5 स्टार रेटिंग वाले एसी की कीमत बहुत ज्यादा है। प्रदेश में अक्षय ऊर्जा शॉप और डाक घरों के जरिए उपकरण बिकेंगे।

एक मां को अपने मासूम की जान बचाने के लिए 10 किमी पैदल चलना पड़ा


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रतलाम. मंगलवार को ऐसे मामले सामने आए, जो साबित करते हैं मानवीयता मर गई है। एक मां को अपने मासूम की जान बचाने के लिए 10 किमी पैदल चलना पड़ा। मजबूर मां को देख तो सब रहे थे पर दिल किसी का नहीं पसीजा। आखिर  बच्चे की जान चली गई।

जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर गांव गांगाखेड़ी की अयोध्या बाई अपने सात साल के बीमार बेटे रोहन के इलाज के लिए उसे कंधे पर उठाकर 10 किमी पैदल चल रतलाम के बाल चिकित्सालय पहुंची। उसने रास्ते में कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। चार घंटे तक पैदल चलकर जब वह रतलाम के बाल चिकित्सालय पहुंची तो यहां भी उसे समय पर इलाज नहीं मिला। अंतत: बच्चे ने दम तोड़ दिया। महिला का आरोप है कि नर्सों ने डॉक्टर को समय पर नहीं बुलाया इसलिए उसके बच्चे की मौत हो गई। रोहन को सुबह बुखार आया और झटके आने लगे थे। 

पत्नी का शव कंधे पर उठाए दाना माझी रिपोर्टर की आलोचना का जवाब



प्रस्तुत - टीओसी न्यूज
ओड़िशा के कालाहांडी जिले में अपनी पत्नी का शव कंधे पर उठाए दाना माझी और उनके साथ उनकी रोती हुई बेटी की तस्वीर जब

सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो पहले लोगों ने केंद्र और राज्य सरकारों पर इसके लिए अपना गुस्सा जाहिर किया। लेकिन जब माझी

से सहानुभूति की लहर बैठने लगी तो सोशल मीडिया पर कुछ लोग घटना की तस्वीर दुनिया के सामने लाने वाले पत्रकार की

 लानत-मलानत करने लगे। इन आलोचकों का आरोप था कि सरकारी अस्पताल और जिला प्रशासन ने अमानवीयता दिखाई तो उनकी तस्वीर

उतारने वाले वाले पत्रकार ने भी इंसानियत नहीं दिखाई, वो भी बस उनकी तस्वीर लेता रहा। ऐसी आलोचनाओं को मद्देनजर ओड़िशा

टीवी (ओटीवी) ने अपने पत्रकार के पक्ष में पूरे मामले का ब्योरा साझा किया है। ओटीवी के ब्योरे से साफ पता चलता है कि

दाना माझी की तस्वीर सामने लाने वाला पत्रकार अजित सिंह हीरो हैं, न कि विलन।
ओटीवी के अनुसार उसके भवानीपटना के संवाददाता अजित सिंह के प्रयासों के चलते दाना माझी को आखिरकार ऐम्बुलेंस मिल सकी और

उनकी पत्नी के शव को माझी के गांव पहुंचाया गया। माझी की 42 साल की पत्नी अमंगादेई की मौत भवानीपटना के सदर अस्पताल

में टीबी के कारण हो गई थी। ऐम्बुलेंस की व्यवस्था न होने के माझी शव को अपने कंधे पर लेकर अपने गांव जाने लगे। माझी ने

करीब 12 किलोमीटर दूरी तय करी ली थी उसके बाद उन्हें मदद मिल पाई।
आलोचकों की जानकारी के लिए ओटीवी ने पूरी घटना का विवरण पेश करते हुए ये भी बताया है कि पत्रकार ने माझी की मदद के लिए

किन-किन अधिकारियों और नेताओं से मदद मांगी थी। ओटीवी ने बताया है कि सिंह को बुधवार सुबह अपने सूत्र से सूचना मिली तो

वो अपनी बाइक से शगड़ा गांव गए जहां उन्हें माझी उनके गांव की तरफ जाते दिखे। माझी के कंधे पर उनकी पत्नी का शव था और

उनकी बेटी उनके पीछे-पीछे रोते हुए चल रही थी। सिंह ने दो घंटे से पैदल चल रहे माझी और उनकी बेटी को सांत्वना दी और

ढांढस बधाया। चैनल के अनुसार स्थानीय लोगों ने सिंह की मदद की जबकि जिलाधिकारी समेत तमाम सरकारी अधिकारी मामले को

एक-दूसरे पर टाल रहे थे।ओटीवी के अनुसार जब सिंह ने कालाहांडी के जिलाधिकारी डी ब्रंदा को फोन किया तो उन्होंने सीडीएमओ

को ऐम्बुलेंस की व्यस्था करने के लिए कहा। जब उन्होंने सीडीएमओ से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, “मेरा फ़ोन नॉट-रीचेबल

था। इसलिए मुझे कॉल नहीं आई होगी।” हालांकि उन्होंने सिंह की सारी बात सुनी और कहा कि वो एडीएमओ से जरूरी कार्रवाई

करने के लिए कहेंगे। सिंह ने जब लांजीगढ़ के विधायक बालाभद्र माझी को फोन करके मामले की जानकारी दी तो उन्होंने अपने

सहायक गोबिंद पधानी को वहीं भेजा लेकिन फिर ऐम्बुलेंस नहीं पहुंची। आखिरकार पत्रकार ने बालाजी मंदिर सुरक्षा समिति के एक

पदाधिकारी को फोन किया तो उन्होंने ऐम्बुलेंस भेजी। एक स्थानीय कारोबारी प्रमोद कुमार खमारी ने ऐम्बुलेंस में पेट्रोल

भराने के लिए पैसे दिए थे। ऐंबुलेंस आने के बाद माझी को राहत मिली। उनका गांव मेलघर वहां से 50 किलोमीटर दूर था।
जिस पत्रकार को अपना दायित्व निभाने और घटना को दुनिया के सामने लाने के लिए तारीफ मिलनी चाहिए थी उसे ही लोगों ने बगैर

जाने-समझे निंदा का पात्र बना दिया। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है लेकिन आजकल इस स्तम्भ में दीमक

लगने के मामले अक्सर सामने आते हैं। ओड़िया पत्रकार ने न केवल पत्रकारिता का धर्म निभाया बल्कि वो इंसानियत के पैमानों

पर भी खरा उतरा। अपने रोजमर्रा के पेशे में कितने लोग ऐसा कर पाते हैं?

पैसे नहीं तो बच्चे पैदा क्यों करते हो:

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RTE एडमिशन मांगने आई महिला से अफसर ने कहा

देवास। हर मंगलवार होने वाली जनसुनवाई में गरीबों के साथ कैसा व्यवहार होता है इसकी बानगी आज देवास में देखने को मिली। अपनी समस्या को लेकर आई एक पीड़ित महिला जिला शिक्षा अधिकारी तारा परमार के व्यवहार से दुखी हो कर फूट फूट कर रोने लगी, थोड़ी देर बाद महिला बेहोश तक हो गयी जिसे एसडीएम् धीरज श्रीवास्तव ने संभाला।
दरअसल कविता नाम की महिला आज जनसुनवाई में पहुंची और जिला पंचायत सीईओ अभिषेक सिंह से अपने ढाई साल के बच्चे के लिए किसी स्कूल में एडमिशन करवाने की मांग की, जिस पर अभिषेक सिंह ने उसे वहीँ बैठी जिला शिक्षा अधिकारी तारा परमार के पास भेज दिया।
महिला ने वहां बताया की उसके पति ने उसे छोड़ दिया है और वो अपने माँ बाप के पास रहती है और अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ना चाहती है पर उसके पास पैसे नहीं हैं। इसके बाद आरोप है की जिला शिक्षा अधिकारी ने उसे कह दिया की एडमिशन के पैसे नहीं हैं फिर भी ना जाने कहाँ से बच्चे पैदा कर के आ जाते हैं।
यह सुन कर महिला वहीँ रोने लगी और बेहोश हो गयी बाद में मीडिया के आ जाने के बाद उसे वहां से रवाना करवा दिया गया। घटना के बाद जनसुनवाई का संचालन कर रहे जिला पंचायत सीईओ अभिषेक सिंह ने भी जिला शिक्षा अधिकारी से मामले की जानकारी ली और बच्चे का किसी सरकारी विद्यालय में एडमिशन करवाने के निर्देश दिए।

Tuesday, August 30, 2016

प्रशासनिक तबादले की सूची जारी, एमबी ओझा आयुक्त उच्च शिक्षा बने

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एमबी ओझा आयुक्त उच्च शिक्षा
अविनाश लवानिया कलेक्टर होशंगाबाद
अनिल सुचारी कलेक्टर विदिशा
एसएनएस चौहान कलेक्टर सिंगरौली
आशीष सक्सेना कलेक्टर झाबुआ
आर आर भोंसले कलेक्टर नरसिंहपुर
ओपी श्रीवास्तव कलेक्टर शिवपुरी
आशीष सिंह निगमायुक्त उज्जैन
संकेत भोंडवे कलेक्टर उज्जैन
रमेश भंडारी कलेक्टर छतरपुर
आईरिन सिंथिया कलेक्टर पन्ना
सीबी चक्रवर्ती उप सचिव मप्र शासन
कविंद्र कियावत सचिव मप्र शासन
मसूद अख्तर संचालक लोक स्वास्थय
ज्ञानेश्वर पाटिल अपर सचिव मप्र शासन
राजीव चंद्र दुबे, अपर सचिव, मप्र शासन
प्रमोद गुप्ता, अपर आयुक्त राजस्व, सागर
बाबूसिंह जामौद, कलेक्टर, अशोकनगर
अरुण कुमार तोमर, सचिव, राजस्व, ग्वालियर
राजीव शर्मा, उप सचिव, मप्र शासन
अलका श्रीवास्तव, कलेक्टर, शाजापुर
अरुणा गुप्ता, प्रबंध संचालक, मप्र कोओपरेटिव फेडरेशन
शशांक मिश्रा, कलेक्टर, बैतूल
दीपक सिंह कलेक्टर बुरहानपुर

कलेक्टर महोदय के तबादला के विरोध में जन आक्रोश रैली

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नरसिहपुर. राम मंदिर से कलेक्ट्रेट तक नारेबाजी करते हुये
पहुँचे ,डिप्टी कलेक्टर महोदय द्वारा कलेक्टर महोदय द्वारा स्वयं ट्रांसफर चाहे जाने सम्बन्धी विज्ञप्ति सुनाई गई जनता ने धोखा करार दिया ,कलेक्टर महोदय से मिलने पर अड़ गये ,कुछ समय बाद सी ई ओ मेडम आयीं उन्होने वही विज्ञप्ति का बताकर समझाने का प्रयास किया ।

जुलूस ने कलेक्टर निवास का रुख किया ,महोदय जी गेट पर मिलने आयॆ उन्होने कहा मेंने स्वयं ट्रांसफर की माँग की है लेकिन जनता ने कहा यह धोखा है आप माँग नहीँ कर सकते जीलेवासीयो की आपका तबादला रुकवाने की माँग जोर पकड़ने पर आपसे दबाव में लिखाया गया प्रतीत होता है ,उन्होने कल दिनांक 30/8/2016 को ऑफिस में 10 बजे मिलने का समय दिया है ।

कल जन सुनवाई में भी कलेक्टर महोदय का ट्रांसफर रुकवाने आवेदन दिये जायेंगे ,कलेक्टर साहब भोपाल में उप सचिव रहते लीव पर विदेश जा सकते है तो नरसीहपुर कलेक्टर रहते हुये भी जा सकते हैं ।मुख्यमंत्री जी की सी एम हेल्प लाइन 181 यदि वास्तव में प्रभाव शील है तो दस हजार से ज्यादा शिकायत की गई और लोगों को शिकयत नम्बर तक देना बंद कर दिया जिसकी रिकार्डिंग उपलब्ध हैं ,कल जनसुनवाई में भी देने वाले हैं जो आपकी नजर में है ,कलेक्टर साहब से ट्रांसफर वापिस लेने एवं शासन से तबादला रद्ध करने माँग जारी रहेगी जिसमें ंर्सिहपुर जिले के साथ अपना सालीचौका ग्रुप भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ रहेगा 

सरकार ने माना-टीवी पर झूठ बोल कर सामान बेच रहे हैं बाबा रामदेव!.

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​नई दिल्ली : टीवी पर विज्ञापनों में बाबा रामदेव जो दावे करते हैं वो एक के बाद एक झूठे निकल रहे हैं. न तो बाबा का दंतमंजन सब से ज्यादा है न फ्रूट जूस के बारे में किए गए दावे सही हैं.  विज्ञापनों में किए गए दावे कितने झूठे हैं इसका अंदाजा संसद में दिए गए बयान सो लगाया जा सकता है. बाबा को मिलीं सरकार को मिली 33 शिकायतों में से 25 सही निकली हैं.

राज्यवर्धन सिंह राठौर ने लोकसभा में बताया कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के विज्ञापनों को लेकर उनके पास 33 शिकायतें मिली हैं। इनमे से पाया गया है कि 25 शिकायतों में नियमों का उल्लंघन किया गया है। गौरतलब है कि टेलीविज़न चैनलों को विज्ञापन देने के मामले में पतंजलि सबसे आगे है। शायद इसीलिए मीडिया ने इस मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया.

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने पाया कि 21 में से 17 विज्ञापनों में एडवरटाइजिंग काउंसिल ऑफ़ इंडिया के नियमों तो तोडा गया है। विज्ञापन में ASCI के नियम तोड़ने वालों पर FSSAI कार्रवाई करता है।

इससे पहले एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) ने अब पतंजलि आयुर्वेद के उत्पाद ‘दंतकांति’ को उनका सबसे ज्यादा बिकने वाला उत्पाद तो बताया लेकिन साथ ही यह भी साफ किया कि उसके विज्ञापन पूरी तरह से भ्रामक हैं। उनके मुताबिक एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ने पतंजलि के सरसों तेल, फ्रूट जूस और पशु चारे के विज्ञापनों को भी गलत पाया है।

हिन्दू देवी के चेहरे पर जूता पहने लात मार फोटो वाइरल


भाईयों इस समय एक तस्वीर फेसबुक पर वायरल हो रही है. एक लड़का हिन्दू देवी के चेहरे पर जूता पहने पैर को लगा रखा है. यह बहुत बुरा कार्य है कृत्य माफी के लायक नही है. कौन है ये अभी तक पहचान नही हो सकी. अगर कोई इसे पहचानता हो तो इस अपराध के लिए इसे कानून के हवाले जरुर करें. पत्रकार संगठन आइसना इस घृणित काम का विरोध करता है.

ठेकेदार ने इंजीनियरों से सांठगांठ कर लिया करोड़ों का भुगतान

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भोपाल।एनवीडीए की इंदिरा सागर परियोजना में भी गड़बड़झाला का मामला प्रकाश में आया है। परियोजना की मुख्य नहर 96.030 किमी से 107. 330 किमी तक डब्ल्यूबीएम रोड, लाइनिंग कार्य और मिट्टी कार्य कागजों पर पूर्ण दर्शाकर ठेकेदार मेसर्स करण डेवलपमेंट सर्विसेस प्रा.लि. को शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया गया। इसके अलावा सुरक्षा निधि का एक करोड़ 84 लाख 87 हजार रुपए भी अनुबंध की शर्तों के विपरीत रिलीज कर दिया। एनवीडीए ने इस मामले की जांच इतनी मंथर गति से की कि एक दोषी तत्कालीन ईई एनके तिवारी तो सेवानिवृत्त हो गए और वर्तमान ईई यूके पटसारिया की जांच संबंधित फाइल मुख्य अभियंता सनावद रोहित रंजन ने दबा रखी है।

इंदिरा सागर परियोजना खरगोन की मुख्य नहर 96.030 से 107.330 किमी तक के डब्ल्यूबीएम रोड और मिट्टी और लाइनिंग के अपूर्ण निर्माण कार्य को पूरा बताकर ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया। ठेकेदार करण डेवलपमेंट सर्विसेस प्रालि. को लाभ पहुंचाने की मंशा से तत्कालीन कार्यपालनयंत्री एनके तिवारी और वर्तमान कार्यपालन यंत्री यूके पटसारिया ने एमबी (मेजरमेंट बुक) में छेड़छाड़ कर कार्य को पूर्ण बताया। यही नहीं, एनवीडीए के दोनों इंजीनियरों ने एक करोड़ 84 लाख और 87 हजार रुपए की सुरक्षा निधि भी तत्काल रिलीज कर दी, जबकि सुरक्षा निधि की राशि कार्य पूरा होने के छह बाद रिलीज होनी चाहिए थी। दिलचस्प पहलू यह है कि एनवीडीए के उपाध्यक्ष रजनीश वैश्य की समीक्षा बैठक में भी मुख्य नहर की डब्ल्यूबीएम रोड, मिट्टी के कार्य और लाइनिंग कार्य को अपूर्ण बताया गया था। बावजूद इसके, इंजीनियरों ने ठेकेदार को भुगतान कर दिया।

ठेकेदार से सांठगांठ

जांच प्रतिवदेन में कहा गया है कि एनके तिवारी तत्कालीन कार्यपालन यंत्री, एसके खजरे तत्कालीन सहायक यंत्री (मैदानी क्रमांक-2),एचएन मलगाया उपयंत्री का ठेकेदार से सांठगांठ थी। यही कारण रहा कि एनवीडीए के अधिकारियों ने अपूर्ण कार्य को पूर्ण बताकर 23 अक्टूबर 10 को पूर्ण भुगतान कर दिया और उसकी सुरक्षा निधि की राशि भी रिलीज कर दी। प्रतिवेदन में कहा गया है कि वर्तमान कार्यपालन यंत्री यूके पटसारिया ने भी ठेकेदार की मदद की और प्रभारी खनिज शाखा खरगोन को रायल्टी नहीं बकाया का प्रमाण-पत्र जारी कर दिया।

... इसलिए ठेकेदार ने काम से खींचे

हाथ करण डेवलपमेंट सर्विसेस प्रा लि. ने प्रतिस्पर्धा की दौड़ में कम दर पर ठेका तो ले लिया था, किन्तु जब जेब से पैसा लगाने की नौबत आई तो घाटे का सौदा देखकर ठेकेदार ने अधूरे काम को अधिकारियों की सांठगांठ से मेजरमेंट बुक में पूरा दर्शाकर अंतिम भुगतान सुरक्षा निधि को भी वापस ले लिया।

इन अधिकारियों ने की थी जांच

अधीक्षण यंत्री नर्मदा विकास मंडल क्रमांक-7 खरगोन तथा मंडल कार्यालय में कार्यरत केएस रावत सहायक यंत्री, ओम प्रकाश सूर्यवंशी अधीक्षक, दामोदर महाजन सहायक वर्ग-एक, एमके टेलर मानचित्रकार एवं आरके गुप्ता ने अपूर्ण कार्यों और उसके भुगतान की जांच की थी।

भोपाल में स्थित टॉप एन टाउन के दो दर्जन ठिकानों पर आयकर का छापा

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भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मंगलवार सुबह आयकर विभाग ने शहर के टापेन टाऊन ग्रुप के सभी स्थानों पर छापामार कार्रवाई की है| यह कार्रवाई भोपाल की आईटी इन्वेस्टीगेशन विंग ने की है|
प्राप्त जानकारी के अनुसार भोपाल के नई मार्केट स्थिति टॉप एन टाउन पर आयकर विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छापा मारा| शहर में स्थित टॉप एन टाउन के सभी स्थानों पर यह कार्रवाई चल रही है| टीएनटी आइसक्रीम का शहर में बड़ा कारोबार है| जिसमे टैक्स चोरी की सूचना विभाग को मिलती रही है| जिस पर आज करवाई करते हुए आयकर की टीम ने दुकान और गोदाम पर कार्रवाई की, करीब दो दर्जन ठिकानों पर छापा मारा गया है| कार्रवाई अभी चल रही है|आयकर टीम को बड़ी कर चोरी के खुलासे के कुछ दस्तावेज जब्त कने में सफलता मिली है फ़िलहाल जाँच पड़ताल जारी है

मंत्री को बिजली विभाग ने दिया करन्ट, थमाया ढाई लाख का बिल

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कटनी| मध्य प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री और देश के धनाढ्य पाचवे मंत्री  संजय पाठक ने बिजली विभाग के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है| विजली विभाग द्वारा खपत से अधिक बिल आने पर वो नाराज हैं और उन्होंने इससे सम्बंधित शिकायत के लिए एस ई
को पत्र लिखा है|
प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राज्यमंत्री संजय पाठक ने बिजली विभाग के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की है| क्षेत्र में लोगों का खपत से अधिक बिल आने पर उन्होंने जांच के लिए एस ई  को पत्र लिखा है| उनके घर का बिल ही 2.50लाख रुपये आया, जो पहले औसत बिल 40 से 50 हजार रुपए आता था| बिजली विभाग की लापरवाही के चलते उन्होंने यह पत्र लिखा है|

पुलिस बनी सिंघम, आम श्रद्धालुओ को दिए चांटे-चांटे

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उज्जैन नगरी के श्रद्धालु सहित देशभर से आये बाबा महाकाल के भक्त निहाल हो गए. पूरे सवारी मार्ग पर पुलिस ने महाकाल के भक्तो को प्रसाद के रूप में खूब चांटे मारे और जीभरकर कर गालिया दी। चलो अच्छा भी हुआ महाकाल दर्शन के नाम पर सवारी में पीटने आये लोगो के कारण पुलिसवालों के हाथ भी साफ हो गए. भैया लाइव पिटाई की तो बात ही कुछ और है. पुलिसवालों ने इसका मजा भी सवारी देखने आये लोगो को दिला दिया. फिल्मो में पुलिसवाला जब गुंडागर्दी करने वाले लोगो को मारता है तो हमारी रक्षक पुलिस का भी खून खोलता है. पुलिस का सिंघम रूप भी महाकाल सवारी में देखने को मिला।

अगर कोई मरगिल्ला सा आम आदमी जो पगला जय महाकाल करता भीड़ में घुसने की कोशिश करता नजर आया तो सारे सिंघमो ने मिलकर क्या लात ठूसे मारे है के महाकाल की पालकी तो नहीं यमराज भगवान जरूर दिखने लगे। मेरा मानना है कि पुलिस ने सही भी किया जब पता है के महाकाल पुलिस की प्रायवेट प्रोपर्टी है. तो फिर क्यों मरते है उनके दर्शन के लिए. महाकाल के दर्शन लोग न कर सके इसके लिए श्रद्धालुओ को पुलिस ने खूब धकियाया, ६ फ़ीट से भी अधिक ऊँचे बेरिकेटिंग कर दी ताकि किसी श्रद्धालु को पालकी नहीं दिख जाये. व्यवस्था की सख्ती ऐसी की रस्सो का ऐसा घेरा बनाया के कोई उसे छु भी ले तो उसे ऐसा धक्का देते है के वो नाली में गिरे चाहे बेरिकेटिंग पर गिरकर ही मर जाये. इतना कुछ होने पर भी पुलिस की गलती है क्या बताओ और जबरन पुलिस पर आरोप लगाते है. 

क्रशि विभाग की ट्रांफर लिस्ट जारी



शिवसेना ने रमेश साहू को सभी पदों से किया निष्काषित

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क्या होगा शिवसेना के नाम पर गौरखधंधा करने वालों का !
नीमच-पिछले कई दिनों से शिवसेना में काफी खींचतान चल रही थी । एक और प्रदेश प्रमुख ठानेश्वर ने पार्टी के जयचन्दों को बाहर का रास्ता दिखाने की ठान रखी थी । वहीं शिवसेना जैसे हिंदूवादी संगठन के नाम पर प्रदेश में रमेश साहू के चेले चपाटों ने जमकर आतंक मचा रखा था । नीमच में भी यही हाल था , अपने आपको शिवसेना का जिला प्रमुख बताने वाले भगत नायक एवं स्वयं भू प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रंजन स्वामी और इनके चेले चपाटों ने शिवसेना के नाम पर जिले में आतंक का माहौल बना दिया था ।

जहाँ हिन्दू हितों की बात करने वाले संगठन के नाम पर हिन्दुओ की ही जमीनों पर कब्जा जमाने में लगी थी स्वामी और नायक की जुगल जोड़ी । वहीं कुछ दिन पूर्व इनके द्वारा प्रेस कांफ्रेंस कर शिवसेना के ही पदाधिकारियों पर गम्भीर आरोप लगाए थे और शिवसेना छोड़ने की धमकी तक दे डाली थी । दूसरी और और कहीं दाल नहीं गलने पर अपने आपको शिवसेना का पदाधिकारी बता अवैध रूप से नियुक्तियां भी कर रहे थे । प्रदेश संगठन सहित राष्ट्रिय स्तर पर इनकी इन अवैध गतिविधियों की शिकायत भी हुई और उसका नतीजा यह निकला की शिवसेना के नाम पर दो नम्बर का काम करने वालो को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया । प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए प्रदेश प्रमुख ठानेश्वर महादेव ने यह सुचना जारी करी की शिव सेना के नाम का दुरूपयोग करने वाले साहू को सभी पदों से निष्काषित कर दिया गया है और अब कोई शिवसैनिक इनके निर्देशों का पालन नहीं करेगा ।

गुरु निपटा अब चेलों का क्या होगा !
वर्तमान परिस्थितियों को देखकर यह स्पष्ट हो गया है कि शिवसेना के नाम का दुरूपयोग करने वाले साहू को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, ऐसे में अब पूरे प्रदेश में यह चर्चा जोरों पर है कि दो नम्बर का काम करने वालो के गुरु की तो छुट्टी हो गई अब चेलो का भी नम्बर लगने वाला है । दुकानदारी बन्द होने का भय चेलो को जबरदस्त तरीके से सता रहा है और उनके लटके चहरे यह बता रहे है कि अब पूरे प्रदेश भर में शिवसेना ने सफाई अभियान छेड़ दिया है और दो नम्बरियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है ।

भाजपा विधायक के लक्झरी बंगले का बिजली बिल 700 रुपए महीना

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भोपाल। यूं तो बिजली कंपनियां किसी को माफ नहीं करतीं। यदि आप बिल ना चुकाएं तो जेल भेज दिया जाता है। बिल कम आए तो पूरी टीम चली आती है। जो पाइंट्स आपने वक्त जरूरत के लिए लगवा रखे हैं उनका लोड भी जोड़ दिया जाता है, लेकिन यही बिजली कंपनी सतना के भाजपा विधायक शंकरलाल तिवारी पर बड़ी मेहरबान है। एसी, टीवी, फिज्र, वाशिंग मशीन वाले लक्झरी बंगले में उन्हें केवल 700 रुपए महीने का बिल भेजा जा रहा है। वो भी तिवारीजी ने 40 महीने से नहीं चुकाया लेकिन बिजली डिस्कनेक्ट नहीं की।

भाजपा के वयोवृद्ध, संस्कारवान, धर्म परायण एवं नियमों का पालन करने वाले अनुशासित विधायक शंकरलाल तिवारी की मदद के लिए बिजली कंपनी के अधिकारियों ने एक तोड़ निकाला। उनका मीटर खराब कर डाला। फिर से कभी ठीक ही नहीं किया। पिछले 40 महीने से 700 रुपए की एवरेज बिलिंग की जा रही है। विधायक महोदय इसे भी जमा नहीं करा रहे। बकाया चालू है और बिजली भी चालू है। कनेक्शन काटा नहीं गया।

अब ये मामला सुर्खियों में आ गया है। उंगलियां विधायक के संस्कारों और बिजली कंपनी के अफसरों पर उठ रहीं हैं। जो कंपनी एक आम आदमी को 1500 रुपए महीने का बिल भेजती है। एवरेज बिलिंग के नाम पर मनमानी रकम जमा करा रही है वही कंपनी भाजपा विधायक पर इतनी मेहरबान क्यों है। सतना में इसे लेकर हंगामा जारी है।

Monday, August 29, 2016

दैनिक भास्कर ने जैन महापर्व पर 9 दिन प्रात: 5:30 पर सामुहिक बलात्कार करने का न्यौता दिया

भोपाल से विनय जी. डेविड की रिर्पोट..
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भास्कर सतना ने जैन महापर्व पर 9 दिन प्रात: 5:30 पर सामुहिक बलात्कार करने का न्यौता दिया

भगवान ही बचाये एेसी खबरों के खिलने वाले और छापने वालों से जो खुलेआम पूरे 9 दिन प्रात: 5:30 पर सामुहिक बलात्कार करने की जानकारी दी है. इस खबर को पढ़कर इस पर किसी को भी विश्वास नही होगा परंतु यह सत्य है कि यह खबर भास्कर सतना ने अपने समाचार पत्र दिनांक 28 अगस्त 2016 यानी की आज ही प्रकाशित की है. प्रकाशित खबर बेहद शर्मसार करने वाली है.

आपको बता दे कल से श्वेतांबर जैन समाज का पर्यूषण महापर्व 29 अगस्त से शुरू होगा। इस मौके पर 8 दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। पर्युषण महापर्व मात्र जैनों का पर्व नहीं है, यह एक सार्वभौम पर्व है। पूरे विश्व के लिए यह एक उत्तम और उत्कृष्ट पर्व है, क्योंकि इसमें आत्मा की उपासना की जाती है। पर्युषण महापर्व आध्यात्मिक पर्व है, इसका जो केन्द्रीय तत्त्व है, वह है-आत्मा। आत्मा के निरामय, ज्योतिर्मय स्वरूप को प्रकट करने में पर्युषण महापर्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अध्यात्म यानि आत्मा की सन्निकटता। यह पर्व मानव-मानव को जोड़ने व मानव हृदय को संशोधित करने का पर्व है, यह मन की खिड़कियों, रोशनदानों व दरवाजों को खोलने का पर्व है।

यह पर्व अहिंसा और मैत्री का पर्व है। अहिंसा और मैत्री के द्वारा ही शांति मिल सकती है। आज जो हिंसा, आतंक, आपसी-द्वेष, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार जैसी ज्वलंत समस्याएं न केवल देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए चिंता का बड़ा कारण बनी हुई है और सभी कोई इन समस्याओं का समाधान चाहते हैं।
परन्तु जो जानकारी सतना भास्कर ने छापी है इससे जैन समाज को ठेस जरुर लगेगी, और यह कृत्य किसी भी तरह मांफ किये जाने वाला नही हैं.
भोपाल से जैन समाज के अजय जैन ने समाज की प्रतिष्ठा पर भारी चोट पहुंचने के षड़यत्र की घोर निंदा की है. और कहा की एेसी हरकत करने वालों के खिलाफ जल्द न्यायलय में प्रकरण दर्ज करवाने का कहा है

दैनिक भास्कर ने जैन महापर्व पर 9 दिन प्रात: 5:30 पर सामुहिक बलात्कार करने का न्यौता दिया

भोपाल से विनय जी. डेविड की रिर्पोट..
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भास्कर सतना ने जैन महापर्व पर 9 दिन प्रात: 5:30 पर सामुहिक बलात्कार करने का न्यौता दिया

भगवान ही बचाये एेसी खबरों के खिलने वाले और छापने वालों से जो खुलेआम पूरे 9 दिन प्रात: 5:30 पर सामुहिक बलात्कार करने की जानकारी दी है. इस खबर को पढ़कर इस पर किसी को भी विश्वास नही होगा परंतु यह सत्य है कि यह खबर भास्कर सतना ने अपने समाचार पत्र दिनांक 28 अगस्त 2016 यानी की आज ही प्रकाशित की है. प्रकाशित खबर बेहद शर्मसार करने वाली है.

आपको बता दे कल से श्वेतांबर जैन समाज का पर्यूषण महापर्व 29 अगस्त से शुरू होगा। इस मौके पर 8 दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। पर्युषण महापर्व मात्र जैनों का पर्व नहीं है, यह एक सार्वभौम पर्व है। पूरे विश्व के लिए यह एक उत्तम और उत्कृष्ट पर्व है, क्योंकि इसमें आत्मा की उपासना की जाती है। पर्युषण महापर्व आध्यात्मिक पर्व है, इसका जो केन्द्रीय तत्त्व है, वह है-आत्मा। आत्मा के निरामय, ज्योतिर्मय स्वरूप को प्रकट करने में पर्युषण महापर्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अध्यात्म यानि आत्मा की सन्निकटता। यह पर्व मानव-मानव को जोड़ने व मानव हृदय को संशोधित करने का पर्व है, यह मन की खिड़कियों, रोशनदानों व दरवाजों को खोलने का पर्व है।

यह पर्व अहिंसा और मैत्री का पर्व है। अहिंसा और मैत्री के द्वारा ही शांति मिल सकती है। आज जो हिंसा, आतंक, आपसी-द्वेष, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार जैसी ज्वलंत समस्याएं न केवल देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए चिंता का बड़ा कारण बनी हुई है और सभी कोई इन समस्याओं का समाधान चाहते हैं।
परन्तु जो जानकारी सतना भास्कर ने छापी है इससे जैन समाज को ठेस जरुर लगेगी, और यह कृत्य किसी भी तरह मांफ किये जाने वाला नही हैं.
भोपाल से जैन समाज के अजय जैन ने समाज की प्रतिष्ठा पर भारी चोट पहुंचने के षड़यत्र की घोर निंदा की है. और कहा की एेसी हरकत करने वालों के खिलाफ जल्द न्यायलय में प्रकरण दर्ज करवाने का कहा है

आइसना का प्रांतीय सम्मेलन छतरपुर में हुआ सम्पन्न झलकियां 28.08.2016

आइसना का प्रांतीय सम्मेलन छतरपुर में हुआ सम्पन्न झलकियां २८ अगस्त २०१६ 










































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