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उज्जैन नगरी के श्रद्धालु सहित देशभर से आये बाबा महाकाल के भक्त निहाल हो गए. पूरे सवारी मार्ग पर पुलिस ने महाकाल के भक्तो को प्रसाद के रूप में खूब चांटे मारे और जीभरकर कर गालिया दी। चलो अच्छा भी हुआ महाकाल दर्शन के नाम पर सवारी में पीटने आये लोगो के कारण पुलिसवालों के हाथ भी साफ हो गए. भैया लाइव पिटाई की तो बात ही कुछ और है. पुलिसवालों ने इसका मजा भी सवारी देखने आये लोगो को दिला दिया. फिल्मो में पुलिसवाला जब गुंडागर्दी करने वाले लोगो को मारता है तो हमारी रक्षक पुलिस का भी खून खोलता है. पुलिस का सिंघम रूप भी महाकाल सवारी में देखने को मिला।
अगर कोई मरगिल्ला सा आम आदमी जो पगला जय महाकाल करता भीड़ में घुसने की कोशिश करता नजर आया तो सारे सिंघमो ने मिलकर क्या लात ठूसे मारे है के महाकाल की पालकी तो नहीं यमराज भगवान जरूर दिखने लगे। मेरा मानना है कि पुलिस ने सही भी किया जब पता है के महाकाल पुलिस की प्रायवेट प्रोपर्टी है. तो फिर क्यों मरते है उनके दर्शन के लिए. महाकाल के दर्शन लोग न कर सके इसके लिए श्रद्धालुओ को पुलिस ने खूब धकियाया, ६ फ़ीट से भी अधिक ऊँचे बेरिकेटिंग कर दी ताकि किसी श्रद्धालु को पालकी नहीं दिख जाये. व्यवस्था की सख्ती ऐसी की रस्सो का ऐसा घेरा बनाया के कोई उसे छु भी ले तो उसे ऐसा धक्का देते है के वो नाली में गिरे चाहे बेरिकेटिंग पर गिरकर ही मर जाये. इतना कुछ होने पर भी पुलिस की गलती है क्या बताओ और जबरन पुलिस पर आरोप लगाते है.
उज्जैन नगरी के श्रद्धालु सहित देशभर से आये बाबा महाकाल के भक्त निहाल हो गए. पूरे सवारी मार्ग पर पुलिस ने महाकाल के भक्तो को प्रसाद के रूप में खूब चांटे मारे और जीभरकर कर गालिया दी। चलो अच्छा भी हुआ महाकाल दर्शन के नाम पर सवारी में पीटने आये लोगो के कारण पुलिसवालों के हाथ भी साफ हो गए. भैया लाइव पिटाई की तो बात ही कुछ और है. पुलिसवालों ने इसका मजा भी सवारी देखने आये लोगो को दिला दिया. फिल्मो में पुलिसवाला जब गुंडागर्दी करने वाले लोगो को मारता है तो हमारी रक्षक पुलिस का भी खून खोलता है. पुलिस का सिंघम रूप भी महाकाल सवारी में देखने को मिला।
अगर कोई मरगिल्ला सा आम आदमी जो पगला जय महाकाल करता भीड़ में घुसने की कोशिश करता नजर आया तो सारे सिंघमो ने मिलकर क्या लात ठूसे मारे है के महाकाल की पालकी तो नहीं यमराज भगवान जरूर दिखने लगे। मेरा मानना है कि पुलिस ने सही भी किया जब पता है के महाकाल पुलिस की प्रायवेट प्रोपर्टी है. तो फिर क्यों मरते है उनके दर्शन के लिए. महाकाल के दर्शन लोग न कर सके इसके लिए श्रद्धालुओ को पुलिस ने खूब धकियाया, ६ फ़ीट से भी अधिक ऊँचे बेरिकेटिंग कर दी ताकि किसी श्रद्धालु को पालकी नहीं दिख जाये. व्यवस्था की सख्ती ऐसी की रस्सो का ऐसा घेरा बनाया के कोई उसे छु भी ले तो उसे ऐसा धक्का देते है के वो नाली में गिरे चाहे बेरिकेटिंग पर गिरकर ही मर जाये. इतना कुछ होने पर भी पुलिस की गलती है क्या बताओ और जबरन पुलिस पर आरोप लगाते है.
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