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जबलपुर। 10 अगस्त। केंद्रीय सूचना एवँ प्रसारण मंत्रालय के अधीन डायरेक्टोरेट आफ एडवरटाइजिंग एंड बीविज्युअल पब्लिसिटी डिपार्टमेंट द्वारा बनाई गई नई विज्ञापन नीति को मप्र उच्च न्यायालय में चुनोती दी गई है। एक्सप्रेस मिडिया सर्विस की ओर जहीर अंसारी द्वारा दायर रिट पिटीशन पर प्रारम्भिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधिपति श्री राजेन्द्र मेनन एवँ न्यायाधिपति श्री अनुराग श्रीवास्तव की युगलपीठ ने सेक्रेटरी सूचना एवँ प्रसारण मंत्रालय तथा डायरेक्टर एडवरटाइजिंग एंड विज्युअल पब्लिसिटी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। पिटीशनर की ओर से अधिवक्ता अभिजीत अवस्थी पैरवी कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि डीएवीपी द्वारा बनाई गई नई विज्ञापन नीति में न्यूज एजेंसी के रूप में केवल यूएनआई, पीटीआई और हिंदुस्तान समाचार को शामिल किया गया। जो असंवैधानिक है। समाचार पत्रों को बाध्य किया जा रहा है इन्हीं समाचार एजेंसियों की सेवाएं लें। ईएमएस न्यूज एजेंसी पिछले 20 सालों से देश के सैकड़ों समाचार पत्रों को अपनी सेवाएं दे रही है। यही नहीं कई राज्य सरकारें भी ईएमएस न्यूज एजेंसी की सेवाएं सशुल्क ले रही हैं। याचिका में यह मुद्दा भी उठाया गया है कि यूएनआई, पीटीआई एवँ हिंदुस्तान समाचार प्रायवेट एजेंसियां हैं इन्हें शासकीय स्तर पर लाभ पहुंचाने अख़बारों को बाध्य किया जा रहा है। समाचार पत्र यदि इनकी सेवाएं न लेंगे तो उनके 15 नम्बर कट जायेंगे। याचिका में मांग की गई है कि डीएवीपी में एजेंसियों का एनरोलमेंट प्रक्रिया पारदर्शी करने, भाषाई न्यूज एजेंसी को शामिल करने एवँ समाचार पत्रों को किसी विशेष एजेंसी की सेवाओं के लिए विवश न करने का आदेश दिया जाये।
Report by EMS
जबलपुर। 10 अगस्त। केंद्रीय सूचना एवँ प्रसारण मंत्रालय के अधीन डायरेक्टोरेट आफ एडवरटाइजिंग एंड बीविज्युअल पब्लिसिटी डिपार्टमेंट द्वारा बनाई गई नई विज्ञापन नीति को मप्र उच्च न्यायालय में चुनोती दी गई है। एक्सप्रेस मिडिया सर्विस की ओर जहीर अंसारी द्वारा दायर रिट पिटीशन पर प्रारम्भिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधिपति श्री राजेन्द्र मेनन एवँ न्यायाधिपति श्री अनुराग श्रीवास्तव की युगलपीठ ने सेक्रेटरी सूचना एवँ प्रसारण मंत्रालय तथा डायरेक्टर एडवरटाइजिंग एंड विज्युअल पब्लिसिटी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। पिटीशनर की ओर से अधिवक्ता अभिजीत अवस्थी पैरवी कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि डीएवीपी द्वारा बनाई गई नई विज्ञापन नीति में न्यूज एजेंसी के रूप में केवल यूएनआई, पीटीआई और हिंदुस्तान समाचार को शामिल किया गया। जो असंवैधानिक है। समाचार पत्रों को बाध्य किया जा रहा है इन्हीं समाचार एजेंसियों की सेवाएं लें। ईएमएस न्यूज एजेंसी पिछले 20 सालों से देश के सैकड़ों समाचार पत्रों को अपनी सेवाएं दे रही है। यही नहीं कई राज्य सरकारें भी ईएमएस न्यूज एजेंसी की सेवाएं सशुल्क ले रही हैं। याचिका में यह मुद्दा भी उठाया गया है कि यूएनआई, पीटीआई एवँ हिंदुस्तान समाचार प्रायवेट एजेंसियां हैं इन्हें शासकीय स्तर पर लाभ पहुंचाने अख़बारों को बाध्य किया जा रहा है। समाचार पत्र यदि इनकी सेवाएं न लेंगे तो उनके 15 नम्बर कट जायेंगे। याचिका में मांग की गई है कि डीएवीपी में एजेंसियों का एनरोलमेंट प्रक्रिया पारदर्शी करने, भाषाई न्यूज एजेंसी को शामिल करने एवँ समाचार पत्रों को किसी विशेष एजेंसी की सेवाओं के लिए विवश न करने का आदेश दिया जाये।
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