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स्वास्तिक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर |
Represent by : रेवांचल टाइम्स विशेष फॉलोअप रिपोर्ट, जबलपुर
विजयनगर क्षेत्र स्थित स्वास्तिक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को लेकर लगातार उठ रहे विवादों के बीच अब नगर निगम जबलपुर के आधिकारिक दस्तावेज़ों से बड़ा खुलासा हुआ है।
लोक सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में नगर निगम भवन शाखा ने स्पष्ट किया है कि “स्वास्तिक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को अस्पताल संचालन हेतु कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) या अनुमति पत्र जारी नहीं किया गया है।”
लोक सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत 14 अगस्त 2025 को दायर आवेदन में यह पूछा गया था कि
> “क्या नगर निगम, अग्निशमन विभाग एवं भवन शाखा द्वारा स्वास्तिक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, आईटीआई रोड श्रीधाम कॉलोनी के सामने स्थित अस्पताल को संचालन हेतु कोई एन.ओ.सी. प्रदान की गई है?”
इस पर नगर निगम भवन शाखा ने अपने उत्तर पत्र क्रमांक-भ.शा./2025-26/642 दिनांक 22.09.2025 में कहा कि —
> “नगर निगम भवन शाखा द्वारा उक्त अस्पताल को संचालन हेतु किसी प्रकार की एन.ओ.सी./अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।”
लोक सूचना अधिकारी का जवाब
लोक सूचना अधिकारी (नगर निगम जबलपुर) द्वारा 24 सितंबर 2025 को दिए गए उत्तर में कहा गया कि भवन शाखा से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त अस्पताल के पास नगर निगम की स्वीकृति नहीं है।
इस प्रकार, सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आवेदन का निस्तारण करते हुए “प्रकरण निरस्त किया गया” उल्लेख किया गया है।
अस्पताल संचालन पर उठे नए सवाल
नगर निगम के इस जवाब के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि स्वास्तिक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर बिना वैध अनापत्ति प्रमाण पत्र के संचालित किया जा रहा है।
यह स्थिति म.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1956, म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 तथा स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों का सीधा उल्लंघन है।
पहले भी लगे थे गंभीर आरोप
इससे पहले रेवांचल टाइम्स ने अपनी विशेष रिपोर्ट में खुलासा किया था कि
स्वास्तिक हॉस्पिटल ने गलत खसरा नंबर दर्शाकर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से नक्शा स्वीकृत कराया, परंतु वास्तविक निर्माण अन्य भूमि पर किया गया।
इसके अलावा —
फायर सेफ्टी मार्ग एवं पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई,
सार्वजनिक रास्ता बंद कर भारी मशीनें लगाई गईं,
ध्वनि व वायु प्रदूषण फैलाने वाले कम्प्रेशर खुले में लगाए गए।
इन सबके कारण नागरिकों का आवागमन बाधित हो गया है और आसपास के रहवासी लगातार परेशानी झेल रहे हैं।
RTI में प्राप्त उत्तर के अनुसार, यदि अस्पताल के पास नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग तथा फायर विभाग की अनुमति नहीं है, तो अस्पताल संचालन अवैध माना जाएगा।
कानूनी रूप से यह निम्न अधिनियमों का उल्लंघन है —
1. म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 — धारा 30, 33, 34
2. म.प्र. भूमि विकास नियम, 1984 — नियम 31, 42, 43
3. भारतीय न्याय संहिता, 2023 — धारा 318, 336, 338, 340
4. वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम, 1981 — धारा 21, 22
5. Noise Pollution Rules, 2000 — नियम 3, 4
शिकायत अब उच्च स्तर तक पहुँची
मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्रालय, नगर निगम आयुक्त, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित 11 विभागों को भेजी गई है।
शिकायत में यह माँग की गई है कि —
अस्पताल के स्वीकृत नक्शे व वास्तविक निर्माण की जाँच की जाए,
अवैध निर्माण को निरस्त कर रास्ता खुलवाया जाए,
प्रदूषण फैलाने वाली मशीनें हटाई जाएँ,
और दोषियों पर आपराधिक कार्रवाई की जाए।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
नगर निगम के आधिकारिक दस्तावेज़ों में “NOC जारी न होने” का खुलासा प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
अगर बिना अनुमति कोई निजी अस्पताल वर्षों से संचालित हो रहा है, तो यह जिम्मेदारी तय करना जरूरी है कि निगरानी और कार्रवाई किस स्तर पर रोकी