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Thursday, June 25, 2020

एक परिवार ऐसा भी जिसके बच्चे बेघर होने को हैं मजबूर, दर दर की ठोकरे खाने मजबूर नन्हे मासूम चार बच्चे

एक परिवार ऐसा भी जिसके बच्चे बेघर होने को हैं मजबूर, दर दर की ठोकरे खाने मजबूर नन्हे मासूम चार बच्चे

TOC NEWS @ www.tocnews.org
ब्यूरो चीफ बालाघाट // वीरेंद्र श्रीवास 83196 08778
मां को सर पर से उठा छाया तो पिता अस्पताल में भर्ती, शासन की नहीं है इनपर निगाहें

बालाघाट । शासन द्वारा प्रतिवर्ष बैगा आदिवासीयो के नाम पर बैगा ओलंपिक का आयोजन कर करोङो रूपये फूंक दिये जा रहे है परन्तु यथार्थ मे उन्ही बैगा बच्चों की देखभाल करने और उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है ! 

जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र परसवाङा मे एक परिवार ऐसा भी है जहां एक ही परिवार के चार बच्चे दर बदर की ठोकरे खाने को मजबूर है शासन की मंशा अनुरूप गरीब आदिवासीयो के लिए अनेकों योजनायें चलाई जा रही है बावजूद इसके अब भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र परसवाङा  मे ऐसे परिवार है जहां के बच्चों को दो वक्त की रोटी तो क्या तन ठकने के लिए एक छोटा कपङा भी नसीब नही हो रहा है ।गौरतलब है कि इन बच्चों के देखरेख करने वाली मां एक माह पहले अपने दुधमुंहे बच्चे को जन्म देने के बाद मौत हो गयी तो वही बच्चों के पिता जंगल में लकङी लेने गया तो रीछ के हमले में दोनो पैर अपना तोङवा चुका है जिसका इलाज अस्पताल में चल रहा है..अब हालात यह है कि पङोसी की मेहरबानी रही तो बच्चो को दो वक्त का खाना नसीब हो जाता है नहीं तो भूखे ही नंगे बदन सोने पर मजबूर है।
जनपद पंचायत परसवाड़ा अंतर्गत आने वाले वनग्राम कुकड़ा में एक बैगा परिवार के चार बच्चे ऐसे हैं जिनकी देखरेख करने वाला तो दूर उनके पास तन ढकने के लिए कपड़ा भी नसीब नहीं हो पा रहा है ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा है कि इन तीनों बच्चों की उम्र बहुत कम कम है एक 7 वर्ष, 5 वर्ष, 3 वर्ष और एक तो मात्र एक महीने का ही है जिसे ग्रामीणों द्वारा अपने घर पर ही रख कर दूध पिला कर जैसे तैसे उनकी देखभाल कर रहे हैं वर्तमान समय में इन चारों नन्हे बच्चों की देखरेख करने वाला भी कोई नहीं है !

बच्चों के पिता के दोनो टांग टुटने से ग्रामीणो ने दी पनाह

उल्लेखनीय है कि  ग्राम कुकड़ा के ग्रामीणों का कहना है कि चारों बैगा बच्चों के पिता इंदरजीत एक आम जो रोजमर्रा के जीवन यापन के लिए गांव से ही लगे जंगल में गए हुए थे संध्याकाल जंगल में ही रीच के हमले से बचाव के लिए वह एक पेड़ पर चढ़ गए जिसे पेड़ पर चढ़ते देख रीच भी पेड़ पर चढ़ गया जिससे पेड़ पर चढ़े इंदल सीने पेड़ से लगभग 20  फीट की ऊंचाई से जमीन पर छलांग लगा दी नीचे गिरते ही उनकी दोनों टांगे टूट गई इंदल सिंह के रात्रि काल तक घर नहीं लौटने पर जब ग्रामीणों ने खोजबीन प्रारंभ की तो जंगल में ही एक पेड़ के नीचे रात्रि तकरीबन 11:00 बजे बांस का एक गट्ठा पढ़ा हुआ ग्रामीणों ने देखा, जिसे देख ग्रामीणों को लगा कि आसपास ही होगा।

स्पेशल स्टोरी : वीडियो पर क्लिक करके देखें पूरी वीडियो ख़बर - 

कोमल यादव, पङोसी, सन्नो बाई पङोसी रिश्तेदार
खोजबीन करने पर पेड़ के नीचे ही जख्मी हालत में ही इंदल दिखाई पड़ा जिसे ग्रामीणों की मदद से रात्रि में ही ग्राम में लाया गया जिसके पश्चात 108 की मदद ग्रामीणों ने लेनी चाही परंतु ग्राम चीनी से ग्राम कुकड़ा तक की सड़क की खस्ताहाल जर्जर सङक होने के चलते एवं रात्रि कॉल होने के चलते 108 की सहायता नहीं मिल पाई ! ग्रामीणों द्वारा प्रातः काल इंदल को 108 की सहायता से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परसवाड़ा लाया गया !  जहाँ  प्राथमिक उपचार किया गया ! ग्रामीणो द्वारा बताया जा रहा है कि उसके दोनों पैर टूट जाने के चलते जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया !ग्रामीणो द्वारा बताया जा रहा है कि उक्त बैगा परिवार में इन चार बच्चों का एक ही लालन पालन करने वाला उनका पिता ही  है जो वर्तमान में जख्मी हालत में अस्पताल में ही है जिसकी दोनों टांगे टूट गई हैं ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा है कि उसे भी स्वस्थ होने में तकरीबन 2 से 6 माह तक भी समय लग सकता है !

बिते माह हुआ बच्चों की माता का देहांत

ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा है कि वनग्राम कुकड़ा के चार बैगा बच्चों की माता लगभग महीने भर पहले अपनी चौथी संतान को जन्म देने के  तीन-चार दिनों के पश्चात इस दुनिया से चल बसी ! ऐसी दशा में ग्राम कुकड़ा के इस बैगा परिवार के चारों नन्हे बच्चों की देखरेख करने वाला भी वर्तमान में कोई नहीं है ! इन चारों बैगा बच्चों का कोई घर नहीं है नाही इनके खाने पीने की ही कोई व्यवस्था की जा सकी है ना ही इन बच्चों के पास तन ढकने भर के लिए कपड़ा है ऐसे में माता   के गुजरने एवं पिता के जख्मी हो जाने के बाद बच्चों की देखरेख के लिए भी कोई नहीं है बारिश के इस मौसम में निर्वस्त्र ही यह बच्चे इधर उधर दिनभर खेलते रहते हैं !  वर्तमान समय मे कोरोना वायरस संक्रमण के चलते आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूल भी बंद है जिसके चलते बालकों को विद्यालय से भी मिड डे मील या पूरक पोषक आहार नहीं मिल पा रहा ! आंगनबाड़ी केंद्र या स्कूल खुले हुए होते तो संभव था कि बच्चों के लिए कुछ ना कुछ व्यवस्था हो जाती !

ग्रामीणों ने दी बच्चों को पनाह

ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा है कि चारों बच्चों के पिता वर्तमान में अस्पताल में पड़े हुए हैं ऐसे में इनके दूर के रिश्तेदार होने के खातिर एक परिवार ने अपने घर पर चारों बच्चों को पनाह दे रखा है जिनके द्वारा उन्हें जैसे तैसे दो वक्त का भोजन ही दिया जा रहा है परंतु अब इस परिवार के सदस्यों का भी कहना है कि दूर के रिश्तेदार होने के चलते हम सप्ताह भर इनकी देखरेख कर सकते हैं परंतु बारिश के मौसम में हम जब काम करने के लिए इधर उधर चले गए तो ऐसे में इन बच्चों के साथ कुछ हुआ तो कौन इनकी जवाबदारी लेगा वहीं ग्रामीणों का कहना है कि 4 बच्चों में एक बच्चा तो केवल एक माह भर का है जिसे जैसे तैसे हम प्रति दिवस दूध पिलाकर पाल रहे हैं ! रोज रोज कहां से दुध खरीदे ! जैसे तैसे हम जंगल जाकर ही अपना पेट भर पा रहे है ऐसे मे हम कब तक इस तरह इन बच्चों की देखरेख करते रहेंगे ! हम घर में नहीं रहे और कोई अप्रिय घटना इन बच्चों के साथ घट गई तो बेवजह ही हम परेशान होंगे !  ऐसे में इन नन्हें चारो बैगा आदिवासी बच्चों की व्यवस्था शासन द्वारा किए जाने की मांग ग्रामीणों द्वारा की जा रही है !

नही है बच्चों का घर, ना कोई व्यवस्था

राष्ट्रीय मानव कहे जाने वाले इन बैगा आदिवासी बच्चों के पास वर्तमान में ना ही कोई घर है, ना कोई देखभाल करने वाला है, ना खाने की ही कोई व्यवस्था है, ना ही तन ढकने के लिए इनके पास मीटर भर कपड़ा ही है  यहां के ग्रामीणों ने बताया कि चारों बैगा बच्चों के पिता इंदल सिंह द्वारा जैसे तैसे पाल पन्नी लगाकर गर्मी में इधर उधर गुजर बसर जीवन यापन किया जा रहा  था ! आवास योजना के तहत दिया गया इनका घर टूट चुका है ! घर गिर जाने के बाद गांव में इधर उधर जैसे तैसे रह रहे थे ऐसे में बच्चों की माता के निधन के बाद पिता ने ही जैसे तैसे बच्चों का पालन पोषण किया हैं वर्तमान में टूटे हुए घर के समीप ही एक बांस की झोपड़ी तैयार की जा रही थी तभी बच्चों के पिता के पैर दूर जाने से वे अस्पताल में पड़े हुए हैं !  आवास के संदर्भ में ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में आवास योजना का लाभ इंदल सिंह को दिया गया था परंतु मकान निर्माण महज औपचारिकताओं में पूर्ण करने के चलते आज बच्चो के परिवार का मकान जमींदोज हो चुका है और बैगा जाति की यह नन्हे बालक बेघर होकर इधर उधर जीवन यापन करने मजबूर हैं !

शासन की योजनाओं का नही मिल रहा लाभ

बैगा आदिवासियों के नाम पर सरकार द्वारा बहुत सी  महत्वाकांक्षी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है ऐसे में इन बैगा आदिवासीयो को शासन की योजनाओं का कितना लाभ मिल पाया है इनकी परिस्थितियां ही बतला रही हैं  राष्ट्रीय मानव कहे जाने वाले इन आदिवासी गांव के बच्चों के पास वर्तमान में तन ढकने के लिए भी कपड़ा नहीं है परंतु फिर भी इनकी सुध लेने वाला कोई नही है ! यूं तो बैगा आदिवासियों के नाम पर शासन द्वारा करोड़ों खर्च किये जाते हैं परंतु यथार्थ में बैगा आदिवासी परिवार हाल बेहाल होकर ही जीवन गुजारने को मजबूर हो रहे हैं शासन द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजनाओं का उन्हें कोई भी लाभ नहीं मिल पा रहा है!
हालाकि जब इस मामले में बालाघाट कलेक्टर दीपक आर्य से जब चर्चा किया गया तो उनका कहना है कि महिला बाल बिकास अधिकारी को मौके पर भेजा गया है....तत्कालिक तौर पर बच्चो को देखभाल करने के लिये गांव के पङोसी रिश्तेदारो को कहा गया है ..हिला सशक्तिकरण अधिकारी सुश्री वंदना धूमकेती को निर्देशित किया गया है कि वे इंदलसिंह को 10 हजार रुपये की राशि शीघ्र उपलब्ध करायें और उसके चारों बच्चों के रहने एवं पालन पोषण की उचित व्यवस्था करायें।
जनपद पंचायत परसवाड़ा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को भी निर्देशित किया गया है कि वे कुकड़ा के इंदलसिंह के लिए आवास की व्यवस्था करायें।कलेक्टर द्वारा स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों को भी निर्देशित किया गया है कि वे इंदलसिंह को बेहतर उपचार दिलायें, जिससे वह जल्द ठीक हो सके।  ऐसे में जब शासन द्वारा बैगा परिवारों को सहूलियत देने एवं संरक्षण देने के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं यह अब देखने वाली बात होगी कि वन ग्राम कुकड़ा में घर से बेघर हो रहे इन बैगा आदिवासी बच्चों की व्यवस्था शासन द्वारा कैसे की जाती है !

Sunday, June 21, 2020

गीली जमीन पर सो रही वृद्ध महिला को पहुंचाये वृद्धा आश्रम, छोड़ गए थे अपने तो राइनो ने ली सुध

गीली जमीन पर सो रही वृद्ध महिला को पहुंचाये वृद्धा आश्रम, छोड़ गए थे अपने तो राइनो ने ली सुध

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जिला ब्यूरो चीफ रायगढ़  // उत्सव वैश्य : 9827482822 
रायगढ़. दिनांक 20-06-2020 की रात्रि करीब 20.15 बजे थाना कोतरारोड़ अन्तर्गत ग्राम जोरापाली से कॉलर ने एक वृद्ध महिला को रोड़ किनारे गीली जमीन पर सोते हुए देखकर डॉयल 112 को कॉल कर सूचना दिया।
इवेंट कोतरारोड़ राइनो को मिलने पर, ERV कोतरारोड़ में कार्यरत आरक्षक  सन्नी मालाकर, ERV वाहन के चालक सुरेश सारथी के साथ मौके पर पहुंचे । एक घर के सामने रोड किनारे गीली जमीन पर  वृद्ध महिला उम्र करीब 75 वर्ष सोयी हुई थी । राइनो स्टाफ वृद्ध महिला को उठाये और ERV वाहन में बिठाये ।
पूछताछ किये तो अपना नाम रामबाई बिलासपुर की रहने वाली बताई, कहां आयी हो पूछने पर अपने रिस्तेदार के घर आना बतायी । राइनो स्टाफ द्वारा आसपास के घरों में  महिला के संबंध में  पूछताछ किये तो कोई उसे पहचाना नहीं । तब राइनो स्टाफ उसे पहाड़ मंदिर के पास स्थित वृद्धा आश्रम छोड़कर आये ।

Saturday, June 20, 2020

फादर्स डे पर विशेष : बेटी की जान बचाने बाप ने लिया दस लाख का कर्ज, दो साल से कर रहा बेटी की देखभाल

फादर्स डे पर विशेष : बेटी की जान बचाने बाप ने लिया दस लाख का कर्ज, दो साल से कर रहा बेटी की देखभाल

 ANI  NEWS INDIA  @ http://aninewsindia.com
ब्यूरो चीफ मुलताई, जिला बैतूल // राकेश अग्रवाल 7509020406 
मुलतार्ई। आज के समय में जहां कुछ लोग बेटियों को बोझ समझते है और गर्भ में ही उनकी हत्या कर दी जाती है, मुलताई ब्लाक के ग्राम सेमझिरा निवासी टेकराम के लिए उसकी बेटियां ही उसकी दुनिया है।
टेकराम के बुलंद हौसलों की बदौलत ही आर्थिक परिस्थति खराब होने पर भी दस लाख का कर्ज लेकर बेटी की जान बचा ली। टेकराम की बेटी मयूरी के शरीर का एक हिस्सा वैसे आज भी लकवाग्रस्त है, लेकिन मयूरी जीवित है, उसके पिता के लिए यही बहुत है।
दो साल पहले मुलताई के फव्वारा चौक पर कक्षा 12 वीं की छात्रा मयूरी फरकाड़े को एक मानसिक विक्षप्त युवक ने सिर पर लकड़ी मारकर घायल कर दिया था। इस छात्रा को गंभीर हालत में नागपुर में भर्ती करवाया लगभग चार महीने तक उपचार करवाया गया था। छात्रा के उपचार के लिए उसके पिता टेकराम ने दस लाख का कर्ज लिया और बेटी की जान बचाई, पिछले दो सालों से पिता अपनी बेटी की देखभाल कर रहा है और मजदूरी करके कर्ज भी चुका रहा है, लेकिन उसे इस बात की खुशी हैे कि उसकी बेटी की जान तो बच गई।
टेकराम ने बताया कि उस समय लोगों ने भी उसकी मदद की। जिसके चलते उसे जनसहयोग से साढ़े तीन लाख रुपए मिले, दो लाख रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष से मिले, वहीं डेढ़ लाख रुपए विधि लोक सेवा आयोग से मिले थे। मयूरी के उपचार में कुल 17 लाख रुपए का खर्च आया था। ऐसे में उसने दस लाख रुपए का कर्ज लिया था। पिछले दो साल से वह इस कर्ज के साथ जी रहा है, मजदूरी एवं खेती कर इस कर्ज को पाई-पाई कर चुका रहा है, लेकिन संतुष्ठ है कि उसने अपनी बेटी की जान बचा ली।

किराए तक के पैसे नहीं थे जेब में

टेकराम ने बताया कि दो साल पहले उनकी आर्थिक हालत खराब थी। उनकी जेब में मुलताई आने के लिए किराए तक के पैसे नहीं थे, वह गांव में एक व्यक्ति की मोटरसाईकिल पर बैठकर मुलताई तक आए थे। टेकराम ने बताया कि उसके चार बच्चे है, मयूरी सबसे बड़ी है, मयूरी की दो बहने माधवी, चेतना भी है, वहीं वरूण सबसे छोटा भाई है। मयूरी को बचाने के लिए टेकराम ने सभी का भविष्य दांव पर लगा दिया है, लेकिन मयूरी की जान बचने से टेकराम बहुत खुश है।

Monday, June 1, 2020

सत्यकथा : बरसात की वह अंधेरी रात मुझे आज भी याद है....कैसे भुल सकता हूँ उस रात को : मो.रफिक अंसारी

सत्यकथा : बरसात की वह अंधेरी रात मुझे आज भी याद है....कैसे भुल सकता हूँ उस रात को : मो.रफिक अंसारी
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🖋️ विष्णु शर्मा की कलम से... 8305895567

रेल्वे सुरक्षा बल देश के सर्वोत्तम सुरक्षा बलों में से एक है। यह एक ऐसा सुरक्षा बल है जो देश मे रेल्वे यात्रियों की सुरक्षा, भारतीय रेल्वे की सम्पत्तियों मे रेल्वे सुविधाओं के इस्तेमाल की निगरानी रखता है। रेल्वे सुरक्षा बल (RPF) एक सुरक्षा बल है,

जिसे रेल्वे सुरक्षा बल अधिनियम 1957 द्वारा स्थापित किया गया है, इसमे खोज, गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की शक्ति है। आर पी एफ केन्द्र सरकार के तहत आती है, रेल मंत्रालय के तहत काम करती है। इसका हेड क्वाटर नई दिल्ली मे है। सेवा और निष्ठा मुख्य उद्देश्य है।

मो. रफिक अंसारी रेल्वे सुरक्षा बल नागदा मे निरीक्षक प्रभारी के पद कर कार्यरत है

मो.रफिक का जन्म 05 जुलाई 1966 को एक अत्यंत गरिब परिवार मे हुवा। आठ भाई बहनों मे रफिक सातवें थे। रफीक का पूरा बचपन रतलाम की एक छोटी सी मुस्लिम बस्ती मोमिन पूरा में बीता । रफीक के हंसमुख व व्यवहार कुशल होने की वजह से भाई बहनों के चहेते और माँ के दुलारे थे। पिता द्वारा परिवार मे अनुशासन, कायदे कानून के साथ पारिवारिक नियमों का पालन करवाया जाता ।
मो.रफिक अंसारी के माता पिता के साथ आठ भाई बहन
मो.रफिक अंसारी के माता पिता के साथ आठ भाई बहन
मोमिन पुरा पूर्ण रूप से मुस्लिम मोहल्ला था जहाँ युवा केरम और शतरंज का खेल खेला करते । घर मे पिता के सख्त आदेश थे कि रात में 9:00 बजे के पहले घर आना आवश्यक है मोहल्ले में पढ़े लिखे लोगों की संख्या ना के बराबर थी। पिता को यह डर था कि बच्चे किसी गलत सोहबत मे ना पड़ जाये इसलिए घर मे नीयम और कायदे कानुन का सख्ती से पालन करवाया जाता। पिता ने मुसिबते देखी थी वह अपने बच्चों पर नही आनें देना चाहते थे। पिता जानते थे की शिक्षा से ही परिवार की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है। पिता ने सभी भाईयों को अच्छी से अच्छी तालीम दे कर काबिल बनाया।
पिता हाजी मो. जुनैद रेल्वे रतलाम मंडल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। तन्ख्वाह इतनी नहीं थी की परिवार की सभी जरूरते पुरी कर सके । रेल्वे की नौकरी के अलावा पिता जुनैद दर्जी का काम भी करते।

  करे भी क्यो ना......परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ भी तो इन्हीं के कंधो पर था  

घर और बच्चों की जिम्मेदारी माँ फकरु निशा पर थी। माँ अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के सपने संजोये घर के सारे काम-काज निपटाने के बाद बचे हुवे समय में पगड़ी बुनाई का काम करती, रफिक भी माँ का हाथ बटाते। एक पगड़ी बुनाई पर दो से ढाई रुपय मिल जाया करते थे।
आरक्षक गणपत मीणा घायल युवक को पीठ पर लाद कर लाते हुवे
आरक्षक गणपत मीणा घायल युवक को पीठ पर लाद कर लाते हुये
माता पिता दीन रात मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी तालीम देना चाहते थे। समय बीतता रहा धीरे-धीरे बच्चे बड़े होते गये। माता पिता की मेहनत रंग लाने लगी। परिवार समृद्धि की ओर बढ़ रहा था। और दुखों के बादल छंटने लगे थे।
आरक्षक गणपत मीणा घायल युवक को पीठ पर लाद कर लाते हुवे
आरक्षक गणपत मीणा घायल युवक को पीठ पर लाद कर लाते हुये
दो भाईयो को रेलवे में नौकरी मिल गई, बड़े भाई रेलवे में लोको पायलट के पद पर तो दूसरे विदेश में नौकरी करने चले गये, तीसरे रेल्वे मे लॉबी सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत है। तीन बड़ी बहनें है। सातवें मो. रफीक अंसारी रेल्वे सुरक्षा बल में निरीक्षक प्रभारी के पद पर नागदा में पदस्थ हैं आठवें मेडिकल स्टोर का संचालन करते हैं बहनों की शादी हो गई सभी अपने-अपने घरों में खुशहाल जीवन बिता रही हैं।

शिक्षा रह गई अधूरी -

मो.रफिक की प्रारम्भिक शिक्षा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भाग क्रमांक 01 माणक चौक रतलाम से हुई । हायर सेकेंडरी स्कूल परीक्षा 1984 मे उतीर्ण करने के उपरांत आगे की पढ़ाई के लिये शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रतलाम से बीएससी प्रथम वर्ष मे दाखिला लिया। रफिक ने बचपन से ही पुलिस विभाग में भर्ती होने का मन बना लिया था। पुलिस जवानों को घर के सामने से आता जाता देख रफिक उनमें अपने आप को देखते। मन मे आशा की किरण फुट चूकी थी।

रफिक बताते है कि-

मैं दोस्तों के साथ इंदौर घूमने गया था । मैने वहाँ देखा की पुलिस की भर्ती चल रही है,पहले ओपन भर्ती हुवा करती थी...। जानकारी निकाली तो पता चला कि मै भी भर्ती का लाभ ले सकता हूं। फिर क्या था मन की इच्छा शक्ति ने कहाँ एक बार आजमा कर देखो........। और मेरे कदम उस ओर चल दिये जहाँ से मेरा भविष्य बदलने वाला था।
गणपत मीणा घायल माधव वर्मन के साथ इलाज के वक्त
गणपत मीणा घायल माधव वर्मन के साथ इलाज के वक्त
मैने चयन प्रक्रिया मे हिस्सा लिया , मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया। मै आर पी एफ की उस चयन प्रक्रिया मे चुन लिया गया। मेरे खुशी का ठिकाना न रहा। कयों कि मै प्रथम बार के प्रयास मे ही चयनित हुवा था।
1986 मे ट्रेनिंग पुरी करने के बाद मै आर पी एफ से जुड़ चुका था। ट्रेनिंग पुरी करने बाद मुझे रतलाम में आरक्षक के पद पर नियुक्त कर दिया गया।

घर मे बजी शहनाई -

आर पी एफ में नौकरी मिलने के दो वर्ष के भीतर 01 जुन 1988 में परिवार वालों ने मिल कर मेरा निकाह रतलाम के ही शिक्षक परिवार की बेटी शहनाज बी से कर मेरे कन्धों पर जिम्मेदारी का बोझ डाल दिया।

मो. रफिक बताते है.

की मेरा सबसे खास मित्र बाबूलाल डांगर है।जो जाट परिवार से है। मेरी मित्रता आरपीएफ ट्रेनिंग के दौरान उससे हुई। बाबू और मैं आरपीएफ ट्रेनिंग के दौरान साथ ही थे हमने एक साथ ट्रेनिग पुरी की है। ट्रेनिंग के दौरान हम दोनो एक दूसरे के सुख-दुख के साथी थे। उस समय बाबू से हुई दोस्ती , आज तक हम मित्र है एक दूसरे के परिवारों के हर कार्यक्रमों मे साथ खड़े दिखते है। ट्रेनिंग समाप्त होने के उपरांत बाबूलाल डागर और मुझे प्रमोशन के साथ रतलाम पदस्थ कर दिया गया। बाबू अभी मंदसौर टीआई है। रफीक अपने मित्र के बारे में बताते हुए खुशी जाहिर करते है और कहते है मेरा बस एक ही मित्र है।

स्थानांतरण और पदोन्नति-

मो.रफिक को चार बार पदोन्नति मिली है , दो बार इंदौर से ओर दो बार मेघनगर से ली है। ट्रेनिंग पुरी करने के बाद आरक्षक के पद पर रतलाम मे चार वर्ष रहे,चित्तौड़ मे दो वर्ष,मेघ नगर मे दो वर्ष,इंदौर मे तीन वर्ष,गांधीधाम मे दो फिर दुबारा मेघ नगर मे दो वर्ष,गोधरा मे दो वर्ष,महू मे पाँच वर्ष फिर इंदौर मे दो वर्ष,कलोल के तीन वर्ष के बाद वर्तमान मे नागदा जं. मे दो वर्ष हो चुके है। नागदा मे 15 मार्च 2018 मे पदस्थ हुवे थे। प्रमोसन- कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल से ए एस आई, ए एस आई से सब इंस्पेक्टर ।

  हादसे ने झकझोर दिया था मुझे  

बरसात की वह अंधेरी रात मुझे आज भी याद है मै कैसे भुल सकता हूँ उस रात को.

यह घटना 29 अगस्त 1918 की रात्रि की है। गोवाहाटी ओखा एक्सप्रेस ट्रेन संख्या 15636 नागदा रेल्वे स्टेशन पर रात 10.10 बजे आगमन का समय है किन्तु उस दीन ट्रेन दो घंटे विलंब से आई , दो मिनिट रुकने के बाद अपने गंतव्य की ओर चल दी। सब कूछ सामान्य था किन्तु सात किलोमीटर चलने के बाद रोक दी गई। ट्रेन के गार्ड द्वारा रेल्वे कंट्रोल रूम रतलाम को सूचना दी जाती है......।
तेज मुसलाधार बारिस हो रही थी मैने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और जहाँ ट्रेन को रोका गया था चल दिया। रात का अंधेरा सुनसान सड़क और तेज बारिश मानों किसी अनहोनी की ओर ईशारा कर रही हो
स्लिपर कोच के S-1 में चेन पुलिंग हुई है। ट्रेन 08 मिनिट रुकने के बाद चल देती है। मेरे फोन की घंटी बजती है फोन उठाने पर मुझे रेल्वे कंट्रोल रूम से सूचना प्राप्त होती है की गोवाहाटी ओखा ट्रेन को नागदा और बेडावन्या के बिच चेन पुलिंग कर रोका गया । यह एक असामान्य घटना थी।
सूचना मिलते ही मन मे अजीब सी बैचेनी होने लगी तेज मुसलाधार बारिस हो रही थी मैने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और जहाँ ट्रेन को रोका गया था चल दिया। रात का अंधेरा सुनसान सड़क और तेज बारिश मानों किसी अनहोनी की ओर ईशारा कर रही हो। मन मे कई सवाल लिये बिरिया खेड़ि के पास 100 नम्बर गेट के पास मोटरसाइकिल खड़ी कर दी। क्योंकि आगे मोटरसाइकिल नही जा सकती थीं। और वहाँ से पैदल चलते हुवे लगभग दो किलोमीटर के बाद ए.सी.पी. (अलार्म चेन पुलिंग) वाली जगह पहुचें जहाँ ट्रेन को रोका गया था।
रेल्वे ट्रेक पर मो.रफिक अंसारी समझाते हुये
रेल्वे ट्रेक पर मो.रफिक अंसारी समझाते हुये
उस समय रात के लगभग 01 बजे होंगे। घटना वाली जगह का बड़ी ही बारीकी से मौका मुआयना किया, और देखा वहाँ कोई रास्ता ही नही है जहाँ कोई आ सके । वहाँ की स्थिति देख मन मे आशंका हुई, हो ना हो कूछ तो हुवा है।
मैने तुरंत रेल्वे कंट्रोल रूम रतलाम के माध्यम से आर पी एफ थाना रतलाम और ड्यूटी स्टाफ आर पी एफ द्वारा उक्त एस- 01 कोच को अटैंड करवा कर यात्रा कर रहे यात्रियों से चेन पुलिंग किये जाने के कारणों का पता लगाने को कहाँ ।
रतलाम स्टेशन पर उक्त ट्रेन के एस-1 कोच मे चेन पुलिंग की जानकारी निकाली गई तो सिट नम्बर 23 पर समसुमा नामक व्यक्ति रंगिया से वड़ोदरा की यात्रा कर रहा था। उसने बताया .....एक यात्री दरवाजे पर खड़े हो कर बाहर देख रहा था, तभी अचानक उसका हाथ दरवाजे के हेंडल से फिसला और वह चलती ट्रेन से निचे गिर गया।
मो. रफिक अंसारी
मो. रफिक अंसारी
यात्री युवक को निचे गिरता देख समसुमा ने ट्रेन को रोकने के लिये अलार्म चेन खींच दी।
मुझें आर पी एफ स्टाफ रतलाम के द्वारा यह जानकारी दे दी गई । मेरे पास यात्रा कर रहे यात्री का मोबाईल नम्बर भी आ चुका था । यात्री के ट्रेन से गिरने की दिशा ,स्थान आदी की जानकारी मिल चूकी थी।
समसुमा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सम्भावित दिशा और स्थानों तक लाईन सर्च करवाया गया। नागदा स्टेशन तक इजिनियरिंग विभाग के लाईन मेन से सर्च कराया परंतु कोई भी घायल,जिन्दा या मृत अवस्था मे नही मिला।
ट्रेन के रतलाम स्टेशन ने निकलने के बाद भी मै एस 01 कोच मे यात्रा कर रहे यात्री से सम्पर्क मे था जिसने पुरी जानकारी आर पी एफ स्टाफ रतलाम को दी थी। चार घंटो तक खोजने के बाद भी कोई व्यक्ति नही मिला था । हम लोग वहाँ से लौट आए पर मन मे कई सवाल थे की आखिर गिरने वाला व्यक्ति कहाँ चला गया। अनहोनी तो हुई है।
अपने ऑफिस की कुर्सी पर बैठे बैठे मै सुबह होने का इंतजार कर रहा था। रात का अन्धेरा छटे और सुबह हो जाये। आँखो मे नींद का भारीपन था किन्तु मुझे सुबह होने का इंतजार था मन बैचैन हो रहा था ।
यात्री से नियमित रूप से मोबाइल पर बात कर रहा था,उसने बताया की गिरने वाले यात्री के कुछ सहयात्री भी थे जो की उसी कोच की सीट नम्बर 29,30 ओर 31 पर यात्रा कर रहे है जिससे सम्पर्क कर उन्होने गिरने वाले व्यक्ति का नाम माधव वर्मन उम्र 46 वर्ष निवासी आसाम बताया। अब इस बात से नकारा नही जा सकता था की अनहोनी घटना रात मे घटीत हुई है। मै आराम की मुद्रा मे आँखे बन्द कर घटना के बारे मे सोच ही रहा था कि ऑफिस का दरवाजा खुलने की आवाज कानो मे पड़ी.......।
मो.रफिक द्वारा चलाये गये जन अभियान
मो.रफिक द्वारा चलाये गये जन अभियान

आरक्षक गणपत राम मीणा का ऑफिस मे आना हुवा .............सर सुबह हो गई है।

जैसे गणपत ने मुझे नींद से जगाया हो। सुबह हो चूकी थी अन्धेरा छट चुका था । मैने गणपत को साथ मे लिया और पैदल ही चल दिये, रात को जहाँ ट्रेन को रोका गया था। क्यो कि अब मामला यात्री की सुरक्षा से संबंधीत था अत: मामले की गंभीरता को देखते हुवे मैने मन ही मन फैसला लिया की मै ही जाऊँगा। मै और गणपत लाईनों की दोनो ओर देखते हुवे चले जा रहे थे घटना के बारे से सोचते हुवे गिरने वाले व्यक्ति की तलाश मे लगभग सात किलोमीटर पैदल चलने के बाद रेल्वे लाईन की बाई तरफ रेल लाईन से करीब 50 मिटर की दुरी पर खेत की सीमा पर झाडियों मे एक व्यक्ति अर्ध मूर्च्छा अवस्था मे पड़ा दिखाई दिया।पास जा कर देखा तो सिर फटा हुवा था जख्मी अवस्था मे किचड़ और खुन मे सना पूरा शरीर।
पूछने पर उसने अपना नाम माधव वर्मन बताया। ट्रेन से गिरे घायल व्यक्ति की पुष्टि हो चूकी थी । घायल व्यक्ति को आरक्षक गणपत राम मीणा ने अपनी पीठ पर लाद कर बिरिया खेड़ि गावँ के सरकारी स्कूल पर ले जा कर हेंडपम्प के पानी से युवक के शरीर पर लगे कीचड़ ओर चेहरे को धोकर साफ किया। घायल युवक को स्कूल मे ही रख 108 अम्बुलेंस को बुलाया कर सिविल अस्पताल नागदा मे भर्ती कराया गया। तथा घायल युवक के पास एक हेड कॉन्स्टेबल को तैनात किया गया।
रेल्वे सुरक्षा बल नागदा के निरीक्षक प्रभारी मो.रफिक अंसारी के नेतृत्व में नागदा रेलवे स्टेशन और रेल गाड़ियों में जांच अभियान चलाए गए, जहर खुरानी जैसी वारदातों की रोकथाम के लिये अभियान चलाया, जानमाल को लेकर, यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कई जागरूकता अभियान यात्रियों के हितों को ध्यान में रखते हुवे चलाये है।
कोरोड 19 के कारण लॉक डाऊन लगने पर मो. रफीक अंसारी ने मानवता को देखते हुवे हर संभव प्रयास किये हैं रेलवे ट्रैक पर पैदल चलने वालों को समझाते नजर आए। नंगे पांव जा रहे युवक की परेशानी को समझते हुवे युवक को जूते पनाना, मंदसौर जिले से पैदल जोधपुर जा रहे युवक को रोक कर भोजन करवाना, डॉक्टर द्वारा जांच करवा कर दवाईया दिलवाना,संकट में फंसे राहगीरों को मदद करते रहे हैं ट्रेनों में आने जाने वाले मुसाफिरों को पानी भोजन और अन्य सुविधाओं के लिए लगातार प्रयासरत है.
कोशिश रहती है कि हर यात्री को पानी और भोजन उपलब्ध हो सके। नागदा आरपीएफ के प्रभारी मोहम्मद रफीक अंसारी कोरोंना योद्धाओं में शुमार है जिसने मानवता की मिसाल पेश की है। रेल्वे सुरक्षा बल में होने के कारण अती व्यस्थता होने के बावजूद भी मो.रफिक अंसारी समाज से जुड़े है आवश्यकता अनुशार सामाजिक लोंगो की मदद भी करते है जिससे समाज मे प्रतिष्ठा बनी हुई है।

Wednesday, May 27, 2020

रतलाम स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल ट्रेन में गुंजी किलकारी, सूरत से प्रतापगढ़ जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन मे बच्चे को दिया जन्म

रतलाम स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल ट्रेन में गुंजी किलकारी, सूरत से प्रतापगढ़ जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन मे बच्चे को दिया जन्म

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रतलाम जं.। पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल के रतलाम जंक्शन रेलवे स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल गाड़ी संख्या 09637 में एक महिला यात्री को प्रसव पीड़ा के उपरांत रेलवे डॉक्टर की टीम द्वारा कोच में ही प्रसव कराया गया।
इसकी जानकारी देते हुए मंडल रेल प्रवक्ता ने बताया कि दिनांक 27.05.2020 को एक महिला यात्री पूजा देवी उम्र 28 वर्ष पति आनंद कुमार के साथ सूरत से प्रतापगढ़ जाने वाली श्रमिक स्पेशल गाड़ी संख्या 09637 में इंजन से चौथे कोच में सपरिवार यात्रा कर रही थीं ।
यात्रा के दौरान महिला यात्री को प्रसव पीड़ा आरंभ हुआ तो एक सहयात्री द्वारा मंडल रेल प्रबंधक के ट्विटर आई डी पर इस संबंध में ट्विट किया गया कि महोदय ट्रेन संख्या 09637 में एक महिला यात्री को प्रसव पीड़ा हो रही है । उक्त ट्विट पर कार्यवाही करते हुए वाणिज्य कंट्रोल एवं ट्विटर सेल द्वारा इसकी सूचना मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रतलाम को दी गई एवं जिला चिकित्सालय को सूचित कर एम्बुलेंस भी मंगा लिया गया था ।
गाड़ी के रतलाम स्टेशन पर आगमन के उपरांत रेलवे चिकित्सक डॉ. अंकिता मेहता एवं उनकी टीम जो गाड़ी आने से पहले ही स्टेशन पहुंच चुकी थी , महिला की पूरी सावधानी के साथ कोच में ही प्रसव कराया । महिला यात्री ने एक स्वस्थ्य पुत्र को जन्म दिया । एहतियात के तौर पर महिला एवं बच्चे को जिला चिकित्सालय में भेज दिया गया है ।
रेलवे द्वारा किए गए इस व्यवस्था पर महिला के पति एवं सहयात्री ने काफी प्रसन्नता व्यक्त की तथा सहयोग के लिए रेलवे तथा उसकी पूरे टीम को धन्यवाद दिया । ट्विटर के माध्यम से इस प्रकार की सहायता अक्सर की जाती रही है तथा पूर्व में भी इस प्रकार के कई आवश्यक सहायता यात्रियों को प्रदान की गई है ।

Sunday, May 3, 2020

दुनिया के सबसे जहरीले साँप में से एक रसेल वाइपर साँप का रेस्क्यू, वीडियो

दुनिया के सबसे जहरीले साँप में से एक रसेल वाइपर साँप का रेस्क्यू, वीडियो

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जिला ब्यूरो चीफ रायगढ़  // उत्सव वैश्य : 9827482822 
रायगढ़. रायगढ़ में किया गया दुनिया के सबसे जहरीले साँप में से एक रसेल वाइपर साँप का रेस्क्यू
आज सुबह 10 बजे छोटे अतरमुड़ा क्षेत्र में टीवी टावर के पास अफरा तफरी मच गई कुछ लोगो ने बताया कि वहाँ पर दुनिया के सबसे जहरीले सांपो में से एक रसेल वाइपर सांप दिखाई दिया। जिसकी सूचना आस पास के दुकानदारों ने रेस्क्यू ऑपरेशन टीम को दिया ।
सूचना मिलते ही सांप रेस्क्यू करने रायगढ़ की सर्पमित्र रेस्क्यू ऑपरेशन टीम के दो लोग जयनारायण खर्रा व सूरज साहू मौके पर पहुँच गए। और उन्होंने 10-- 15 मिनट में रसेल वाइपर साँप का रेस्क्यू ऑपरेशन कर के बचा लिया गया । रेस्क्यू टीम के सदस्य श्री जयनारायण खर्रा जी ने बताया कि इस साँप को किसी घनघोर जंगल मे ले जाकर छोर दिया जाएगा ।


इस साँप के अंदर हिमोटोक्सिक जहर पाया जाता है जो किसी भी इंसान और जानवरों के लिए बहुत ही खतरनाक है इससे बचने के लिए अगर तुरंत डॉक्टर से चेक अप करा लिया जाए तो जान बच सकती है अन्यथा जान बचने में बहुत मुश्किल हो सकती है ।
श्री जय नारायण खर्रा ने ANI News India को बताया कि उनकी टीम "सर्पमित्र" ने लॉकडाउन के दौरान उनकी टीम ने लगभग 250 साँपो का सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया जिनमे मुख्यतः अहिराज, नाग, करैत, रसेल वाइपर , धमना , अजगर, सेंड बोआ, इत्यादि साँपो का रेस्क्यू किया गया ।

Wednesday, April 8, 2020

अनिश्चित काल के लिये नागदा में लगा कर्फ्यू सभी सीमाएं हुई सील, घर से निकलने पर लगी पाबंदी

अनिश्चित काल के लिये नागदा में लगा कर्फ्यू सभी सीमाएं हुई सील, घर से निकलने पर लगी पाबंदी

TOC NEWS @ www.tocnews.org
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567
नागदा जं.। पहला कोरोना पॉजिटिव केस मिला नागदा में लगा कर्फ्यू, सभी सीमाएं हुई सील। अनिश्चित काल के लिये लगाया कर्फ्यू । परिस्थितियो को देख कर दी जायेगी कर्फ्यू मे ढील।
औद्योगिक शहर नागदा मे कोरोना से संक्रमित व्यक्ति मिलते ही पूरे शहर मे हडकंप मच गया। युवक को 4 अप्रैल को सांस लेने में तकलीफ होने पर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया था तथा 6- 7 अप्रैल की दरमियानी रात को उक्त युवक की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिससे प्रशासन ने तत्काल कदम उठाते हुए नागदा में पुर्ण रुप से कर्फ्यू का ऐलान कर दिया.

पुलिस एव प्रशासनिक अमले ने बाजार पहुंच सभी दुकानें बंद करा दी। केवल मेडिकल की दुकाने ही खुले रहेंगे। उक्त युवक 2 अप्रैल को इंदौर के चंदन नगर से ट्रक में सवार होकर नागदा पहुंचा था,पॉजिटिव युवक के परिवार के 9 सदस्य को भी आइसोलेट किया गया है।
नागदा शहर के नई दिल्ली क्षेत्र मे कोरोना का पोजिटिव मिलने की जानकारी सामने आते ही संबंधीत क्षेत्र को चिन्हित कर सी एस पी मनोज रत्नाकर एव नागदा थाना प्रभारी श्याम चन्द्र शर्मा द्वारा सर्वे कर पूरे क्षेत्र को कंटेनमेंट ऐरिया घोषित कर दिया गया है। जो भी यहा प्रभावित इलाके है उन्हे चिन्हित किया गया है। वही इस क्षेत्र से कोई भी व्यक्ति अन्दर से बाहर या बाहर से अन्दर नही जा सकता है पुरे क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है। इसी के साथ अनावश्यक किसी भी चिज की तकलिफ ना हो प्रशासन उसकी सम्पुर्ण व्यवस्था भी केरेगा।

Thursday, April 2, 2020

लो इनको मिल गया कोरोना भगाने का टोटका, घर-घर हो रहा टोना टोटका, उपाय का वीडियो वायरल

लो इनको मिल गया कोरोना भगाने का टोटका, घर-घर हो रहा टोना टोटका, उपाय का वीडियो वायरल 

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ब्यूरो चीफ मालथौन, जिला सागर
कोरोना भगाने सिल उठाने का घर घर हो रहा टोना टोटका
मालथौन - मध्य प्रदेश के सागर जिले की तहसील मालथौन मुख्यालय एवं क्षेत्र में टोना टोटको की भरमार चल रही है। बतलाया जा रहा है कि इससे कोरोना घरो मे प्रवेश नहीं कर पायेगा।
हमारे रिपोर्टर द्बारा क्षेत्र में भ्रमण के दौरान एक अनोखी जानकारी हासिल की है। घर के दरवाजे के बाहर आटा का चौक लगाकर उस पर मशाला बाँटने बाली पत्थर की सिल रखते हैं। सिल के उपर स्टील की कैन रखकर कैन के चारो ओर नीचे गाय का गोवर गीला कर लगाते हैं।

फिर कैन का हैडिल पकड़कर उठाते है। सिल कैन के साथ उपर हवा में उठ जाती है। बतलाया जा रहा है कि इससे कोरोना वायरस घर के अंदर प्रवेश नहीं कर पायेगा।

Sunday, March 1, 2020

यह है दुनिया का सबसे गंदा आदमी, जो नहीं नहाया 60 सालों से

यह है दुनिया का सबसे गंदा आदमी, जो नहीं नहाया 60 सालों से

दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी हरकतों और करतूतों से फेमस हुए हैं। उनमें से एक इंसान ऐसा भी है जो दुनिया का सबसे गंदा माना जाता है।

इरान के रहने वाले अमु हाजी का कहना है कि वह पिछले 60 सालों से नहीं नहाया है और वह 80 साल के है। वह यह भी कहता है कि उसने 60 साल से अपने शरीर पर पानी की एक बूंद तक नहीं डाली है क्योंकि उसे पानी से डर लगता है। वह यह भी कहता है कि अगर वह नहायेगा तो बीमार पड़ जाएगा। हाजी कभी भी अपने खाने पीने की चीजों को साफ-सुथरा नहीं रखता क्योंकि उसे साफ-सुथरी चीजें पसंद नहीं है। वह पीने के लिए गंदे पानी का प्रयोग करता है और खाने के लिए भी जानवरों का सड़ा गला मांस खाता है।

 
 
Third party image reference

हाजी को जब आराम करने का मन होता है तब वह सिगार पीता है। जिसमें तंबाकू की जगह जानवरों का मल-मूत्र भरा हुआ होता है। हाजी को जमीन में गड्ढा खोदकर सोने में बहुत खुशी मिलती है। इसके अलावा वह ईट के बनाए हुए ढांचो में भी सोता है। उसे बाल रखने से भी परहेज है जब उसके सर के बाल बड़े हो जाते हैं तो वह इन्हें जला देता है और उसे फटे कपड़े पहनना ही पसंद हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार हाजी शुरुआत से ऐसा नहीं था लेकिन उसकी जिंदगी में कुछ ऐसे पल आए हैं जिसके बाद वह ऐसा हो गया।
दोस्तों आपको यह खबर कैसी लगी नीचे कमेंट में जरूर बताएं साथ ही इस खबर को लाइक और शेयर करना ना भूलें

Saturday, February 22, 2020

पुरुष नसबंदी का आदेश पर गरमाई राजनीति, संचालक छवि भारद्वाज राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाया

पुरुष नसबंदी का आदेश पर गरमाई राजनीति, संचालक छवि भारद्वाज राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाया 

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भोपाल : पुरुष नसबंदी का टारगेट पूरा करने में सख्ती बरतने का ऑर्डर देने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश की संचालक आईएएस अफसर (IAS) छवि भारद्वाज पर एक्शन हो गया है। उन्हें स्वास्थ्य विभाग से हटा दिया गया है।
शुक्रवार को जारी आदेश के अनुसार छवि भारद्वाज को अब मंत्रालय में OSD बनाया गया है। वो इससे पहले कलेक्टर जबलपुर और भोपाल में नगर निगम कमिश्नर रह चुकी हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश की संचालक आईएएस अफसर छवि भारद्वाज को स्वास्थ्य मंत्रालय से हटा दिया गया है. पुरुष नसबंदी का टार्गेट हासिल करने के लिए सख्त आदेश देने के बाद इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया था और सियायत शुरू हो गयी थी।
चित्र में ये शामिल हो सकता है: पाठ
मीडिया में खबर आने पर इस पर राजनीति तेज हो गयी थी. उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये आदेश वापस ले लिया और मिशन संचालक छवि भारद्वाज को स्वास्थ्य मंत्रालय से हटाकर मंत्रालय में OSD बना दिया गया है।
मंत्री तुलसीराम सिलावट ने दी सफाई : राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट ने जारी सर्कुलर पर कहा था कि किसी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।
प्रदेश में किसी के साथ जोर-जबरदस्ती नहीं होगी। केंद्र सरकार ने सर्कुलर जारी किया है। प्रदेश सरकार पूरे मामले की समीक्षा करने के बाद फैसला लेगी। पुरुष नसबंदी के आदेश को लेकर जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने सफाई दी थी कि ये रूटीन आदेश है। आज देश-विदेश में सभी परिवार को लेकर सजग हैं। सभी जानते हैं कि छोटा परिवार, सुखी परिवार।
अपनी संतान की परवरिश ठीक से कर सकें. कम बच्चे होने पर परिवार उन्हें ज्यादा अच्छी परवरिश दे सकता है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) पर कर्मचारियों के डर पर मंत्री ने कहा था कि उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। वो अपना काम ईमानदारी से करें।
मध्यप्रदेश में पुरुषों की होगी नसबंदी, कमलनाथ ने हेल्थ वर्कर्स को सौंपी जिम्मेदारी, नसबंदी नही की तो जाएगी नौकरी
सरकार ने किया रोल बैक, आदेश वापस लिया :
परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के आदेश पर हाय-तौबा मचने के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने इसे वापस ले लिया है। अब टार्गेट पूरा ना करने पर ना तो किसी की नौकरी जाएगी और न ही सैलरी वापस ली जाएगी।
इससे पहले सरकार ने पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (MPHWs) की सूची तैयार करने का आदेश दिया था, जो साल 2019-20 में एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं करा पाए। सरकार ने ऐसे कार्यकर्ताओं का वेतन रोकने और उन्हें जबरन रिटायरमेंट देने की चेतावनी दी थी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज को हटाया
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज को हटाया
वीआरएस देने की चेतावनी
ये आदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने राज्य के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जारी किया है. आदेश में कहा गया है कि जो नसबंदी का टारगेट पूरा न करने पर हैल्थ वर्कर्स को वीआरएस यानी सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा.
से 10 पुरूषों की नसबंदी कराना जरुरी
मध्यप्रदेश में परिवार नियोजन कार्यक्रम में कर्मचारियों के लिए 5 से 10 पुरूषों की नसबंदी कराना अनिवार्य किया गया है. मध्य प्रदेश हैल्थ मिशन की वेबसाईट पर बताया गया है कि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के उद्देश्य से भारत वह पहला देश था, जिसनें इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में साल 1952 में ही अपना लिया था. इसमें लिखा है कि इस कार्यक्रम में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती है.

Friday, January 24, 2020

यहां कम उम्र की लड़कियों को जबरन बनाया जाता है मां

यहां कम उम्र की लड़कियों को जबरन बनाया जाता है मां

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अफ्रीकी देश नाइजीरिया में बच्चा पैदा करने वाली फैक्ट्रियां चल रही हैं। ‘बेबी फार्मिंग’ नाम का गोरख धंधा यहां जोरों पर है। यहां किसी और की खुशी के नाम पर हो रहे इस धंधे ने भयानक रूप ले लिया है।
कम उम्र की अफ्रीकी और विदेशी लड़कियों को यहां जबरन प्रेग्नेंट कर बच्चे पैदा किए जाते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं यहां की दर्दनाक कहानी। दरअसल, बेऔलाद कपल्स को बच्चा बेचने के लिए शुरु किया गया ये धंधा तेजी से पनप रहा है। इसके लिए बेऔलाद कपल्स मोटी रकम चुकाने तैयार होते हैं।
ऐसे में कुछ महिलाएं और लड़कियां यहां पैसे के लालच में मर्जी से आती हैं, तो वहीं इसी की आड़ में कई लड़कियों को खरीद कर यहां लाया जाता है और फिर उन्हें जबरन मां बनने पर मजबूर किया जाता है। सिर्फ नाइजीरिया ही नहीं इंडोनेशिया समेत कई और देशों में भी बेबी फार्मिंग अस्पतालों और अनाथालायों जैसी जगहों में चोरी-छिपे की जाती है।

यहां कम उम्र की लड़कियों को मां बनने के लिए मजबूर किया जाता है। इनमें से ज्यादातर अनाथ या गरीब होती हैं, इसलिए वो मजबूरी में इसके लिए राजी हो जाती हैं।
नाइजीरिया में चोरी छिपे चल रहा बच्चा पैदा करने का व्यापार बेहद खतरनाक हो चुका है। यहां जन्म देने वाली लड़कियों की उम्र 14 से 17 साल होती है और वो चाहकर भी अबॉर्शन नहीं करा सकती, क्योंकि नाइजीरिया के कानून में इसकी इजाजत नहीं है।
इसी बात का फायदा माफिया यानी ‘बेबी फार्मर्स’ उठाते हैं और बच्चों को तीन से चार लाख रुपए में बेचते हैं। वहीं, बच्चे की ख्वाहिश रखने वाले लोग इसका विरोध नहीं करते, क्योंकि मेडिकल ट्रीटमेंट के बजाय ये तरीका ज्यादा सस्ता होता है।

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जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

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‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

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