सत्यकथा : बरसात की वह अंधेरी रात मुझे आज भी याद है....कैसे भुल सकता हूँ उस रात को : मो.रफिक अंसारी |
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रेल्वे सुरक्षा बल देश के सर्वोत्तम सुरक्षा बलों में से एक है। यह एक ऐसा सुरक्षा बल है जो देश मे रेल्वे यात्रियों की सुरक्षा, भारतीय रेल्वे की सम्पत्तियों मे रेल्वे सुविधाओं के इस्तेमाल की निगरानी रखता है। रेल्वे सुरक्षा बल (RPF) एक सुरक्षा बल है,
जिसे रेल्वे सुरक्षा बल अधिनियम 1957 द्वारा स्थापित किया गया है, इसमे खोज, गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की शक्ति है। आर पी एफ केन्द्र सरकार के तहत आती है, रेल मंत्रालय के तहत काम करती है। इसका हेड क्वाटर नई दिल्ली मे है। सेवा और निष्ठा मुख्य उद्देश्य है।
मो. रफिक अंसारी रेल्वे सुरक्षा बल नागदा मे निरीक्षक प्रभारी के पद कर कार्यरत है
मो.रफिक का जन्म 05 जुलाई 1966 को एक अत्यंत गरिब परिवार मे हुवा। आठ भाई बहनों मे रफिक सातवें थे। रफीक का पूरा बचपन रतलाम की एक छोटी सी मुस्लिम बस्ती मोमिन पूरा में बीता । रफीक के हंसमुख व व्यवहार कुशल होने की वजह से भाई बहनों के चहेते और माँ के दुलारे थे। पिता द्वारा परिवार मे अनुशासन, कायदे कानून के साथ पारिवारिक नियमों का पालन करवाया जाता ।
मोमिन पुरा पूर्ण रूप से मुस्लिम मोहल्ला था जहाँ युवा केरम और शतरंज का खेल खेला करते । घर मे पिता के सख्त आदेश थे कि रात में 9:00 बजे के पहले घर आना आवश्यक है मोहल्ले में पढ़े लिखे लोगों की संख्या ना के बराबर थी। पिता को यह डर था कि बच्चे किसी गलत सोहबत मे ना पड़ जाये इसलिए घर मे नीयम और कायदे कानुन का सख्ती से पालन करवाया जाता। पिता ने मुसिबते देखी थी वह अपने बच्चों पर नही आनें देना चाहते थे। पिता जानते थे की शिक्षा से ही परिवार की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है। पिता ने सभी भाईयों को अच्छी से अच्छी तालीम दे कर काबिल बनाया।
पिता हाजी मो. जुनैद रेल्वे रतलाम मंडल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। तन्ख्वाह इतनी नहीं थी की परिवार की सभी जरूरते पुरी कर सके । रेल्वे की नौकरी के अलावा पिता जुनैद दर्जी का काम भी करते।
करे भी क्यो ना......परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ भी तो इन्हीं के कंधो पर था
घर और बच्चों की जिम्मेदारी माँ फकरु निशा पर थी। माँ अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के सपने संजोये घर के सारे काम-काज निपटाने के बाद बचे हुवे समय में पगड़ी बुनाई का काम करती, रफिक भी माँ का हाथ बटाते। एक पगड़ी बुनाई पर दो से ढाई रुपय मिल जाया करते थे।
माता पिता दीन रात मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी तालीम देना चाहते थे। समय बीतता रहा धीरे-धीरे बच्चे बड़े होते गये। माता पिता की मेहनत रंग लाने लगी। परिवार समृद्धि की ओर बढ़ रहा था। और दुखों के बादल छंटने लगे थे।
दो भाईयो को रेलवे में नौकरी मिल गई, बड़े भाई रेलवे में लोको पायलट के पद पर तो दूसरे विदेश में नौकरी करने चले गये, तीसरे रेल्वे मे लॉबी सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत है। तीन बड़ी बहनें है। सातवें मो. रफीक अंसारी रेल्वे सुरक्षा बल में निरीक्षक प्रभारी के पद पर नागदा में पदस्थ हैं आठवें मेडिकल स्टोर का संचालन करते हैं बहनों की शादी हो गई सभी अपने-अपने घरों में खुशहाल जीवन बिता रही हैं।
शिक्षा रह गई अधूरी -
मो.रफिक की प्रारम्भिक शिक्षा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भाग क्रमांक 01 माणक चौक रतलाम से हुई । हायर सेकेंडरी स्कूल परीक्षा 1984 मे उतीर्ण करने के उपरांत आगे की पढ़ाई के लिये शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रतलाम से बीएससी प्रथम वर्ष मे दाखिला लिया। रफिक ने बचपन से ही पुलिस विभाग में भर्ती होने का मन बना लिया था। पुलिस जवानों को घर के सामने से आता जाता देख रफिक उनमें अपने आप को देखते। मन मे आशा की किरण फुट चूकी थी।
रफिक बताते है कि-
मैं दोस्तों के साथ इंदौर घूमने गया था । मैने वहाँ देखा की पुलिस की भर्ती चल रही है,पहले ओपन भर्ती हुवा करती थी...। जानकारी निकाली तो पता चला कि मै भी भर्ती का लाभ ले सकता हूं। फिर क्या था मन की इच्छा शक्ति ने कहाँ एक बार आजमा कर देखो........। और मेरे कदम उस ओर चल दिये जहाँ से मेरा भविष्य बदलने वाला था।
मैने चयन प्रक्रिया मे हिस्सा लिया , मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया। मै आर पी एफ की उस चयन प्रक्रिया मे चुन लिया गया। मेरे खुशी का ठिकाना न रहा। कयों कि मै प्रथम बार के प्रयास मे ही चयनित हुवा था।
1986 मे ट्रेनिंग पुरी करने के बाद मै आर पी एफ से जुड़ चुका था। ट्रेनिंग पुरी करने बाद मुझे रतलाम में आरक्षक के पद पर नियुक्त कर दिया गया।
घर मे बजी शहनाई -
आर पी एफ में नौकरी मिलने के दो वर्ष के भीतर 01 जुन 1988 में परिवार वालों ने मिल कर मेरा निकाह रतलाम के ही शिक्षक परिवार की बेटी शहनाज बी से कर मेरे कन्धों पर जिम्मेदारी का बोझ डाल दिया।
मो. रफिक बताते है.
की मेरा सबसे खास मित्र बाबूलाल डांगर है।जो जाट परिवार से है। मेरी मित्रता आरपीएफ ट्रेनिंग के दौरान उससे हुई। बाबू और मैं आरपीएफ ट्रेनिंग के दौरान साथ ही थे हमने एक साथ ट्रेनिग पुरी की है। ट्रेनिंग के दौरान हम दोनो एक दूसरे के सुख-दुख के साथी थे। उस समय बाबू से हुई दोस्ती , आज तक हम मित्र है एक दूसरे के परिवारों के हर कार्यक्रमों मे साथ खड़े दिखते है। ट्रेनिंग समाप्त होने के उपरांत बाबूलाल डागर और मुझे प्रमोशन के साथ रतलाम पदस्थ कर दिया गया। बाबू अभी मंदसौर टीआई है। रफीक अपने मित्र के बारे में बताते हुए खुशी जाहिर करते है और कहते है मेरा बस एक ही मित्र है।
स्थानांतरण और पदोन्नति-
मो.रफिक को चार बार पदोन्नति मिली है , दो बार इंदौर से ओर दो बार मेघनगर से ली है। ट्रेनिंग पुरी करने के बाद आरक्षक के पद पर रतलाम मे चार वर्ष रहे,चित्तौड़ मे दो वर्ष,मेघ नगर मे दो वर्ष,इंदौर मे तीन वर्ष,गांधीधाम मे दो फिर दुबारा मेघ नगर मे दो वर्ष,गोधरा मे दो वर्ष,महू मे पाँच वर्ष फिर इंदौर मे दो वर्ष,कलोल के तीन वर्ष के बाद वर्तमान मे नागदा जं. मे दो वर्ष हो चुके है। नागदा मे 15 मार्च 2018 मे पदस्थ हुवे थे। प्रमोसन- कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल से ए एस आई, ए एस आई से सब इंस्पेक्टर ।
हादसे ने झकझोर दिया था मुझे
बरसात की वह अंधेरी रात मुझे आज भी याद है मै कैसे भुल सकता हूँ उस रात को.
यह घटना 29 अगस्त 1918 की रात्रि की है। गोवाहाटी ओखा एक्सप्रेस ट्रेन संख्या 15636 नागदा रेल्वे स्टेशन पर रात 10.10 बजे आगमन का समय है किन्तु उस दीन ट्रेन दो घंटे विलंब से आई , दो मिनिट रुकने के बाद अपने गंतव्य की ओर चल दी। सब कूछ सामान्य था किन्तु सात किलोमीटर चलने के बाद रोक दी गई। ट्रेन के गार्ड द्वारा रेल्वे कंट्रोल रूम रतलाम को सूचना दी जाती है......।
तेज मुसलाधार बारिस हो रही थी मैने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और जहाँ ट्रेन को रोका गया था चल दिया। रात का अंधेरा सुनसान सड़क और तेज बारिश मानों किसी अनहोनी की ओर ईशारा कर रही हो
स्लिपर कोच के S-1 में चेन पुलिंग हुई है। ट्रेन 08 मिनिट रुकने के बाद चल देती है। मेरे फोन की घंटी बजती है फोन उठाने पर मुझे रेल्वे कंट्रोल रूम से सूचना प्राप्त होती है की गोवाहाटी ओखा ट्रेन को नागदा और बेडावन्या के बिच चेन पुलिंग कर रोका गया । यह एक असामान्य घटना थी।
सूचना मिलते ही मन मे अजीब सी बैचेनी होने लगी तेज मुसलाधार बारिस हो रही थी मैने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और जहाँ ट्रेन को रोका गया था चल दिया। रात का अंधेरा सुनसान सड़क और तेज बारिश मानों किसी अनहोनी की ओर ईशारा कर रही हो। मन मे कई सवाल लिये बिरिया खेड़ि के पास 100 नम्बर गेट के पास मोटरसाइकिल खड़ी कर दी। क्योंकि आगे मोटरसाइकिल नही जा सकती थीं। और वहाँ से पैदल चलते हुवे लगभग दो किलोमीटर के बाद ए.सी.पी. (अलार्म चेन पुलिंग) वाली जगह पहुचें जहाँ ट्रेन को रोका गया था।
उस समय रात के लगभग 01 बजे होंगे। घटना वाली जगह का बड़ी ही बारीकी से मौका मुआयना किया, और देखा वहाँ कोई रास्ता ही नही है जहाँ कोई आ सके । वहाँ की स्थिति देख मन मे आशंका हुई, हो ना हो कूछ तो हुवा है।
मैने तुरंत रेल्वे कंट्रोल रूम रतलाम के माध्यम से आर पी एफ थाना रतलाम और ड्यूटी स्टाफ आर पी एफ द्वारा उक्त एस- 01 कोच को अटैंड करवा कर यात्रा कर रहे यात्रियों से चेन पुलिंग किये जाने के कारणों का पता लगाने को कहाँ ।
रतलाम स्टेशन पर उक्त ट्रेन के एस-1 कोच मे चेन पुलिंग की जानकारी निकाली गई तो सिट नम्बर 23 पर समसुमा नामक व्यक्ति रंगिया से वड़ोदरा की यात्रा कर रहा था। उसने बताया .....एक यात्री दरवाजे पर खड़े हो कर बाहर देख रहा था, तभी अचानक उसका हाथ दरवाजे के हेंडल से फिसला और वह चलती ट्रेन से निचे गिर गया।
यात्री युवक को निचे गिरता देख समसुमा ने ट्रेन को रोकने के लिये अलार्म चेन खींच दी।
मुझें आर पी एफ स्टाफ रतलाम के द्वारा यह जानकारी दे दी गई । मेरे पास यात्रा कर रहे यात्री का मोबाईल नम्बर भी आ चुका था । यात्री के ट्रेन से गिरने की दिशा ,स्थान आदी की जानकारी मिल चूकी थी।
मुझें आर पी एफ स्टाफ रतलाम के द्वारा यह जानकारी दे दी गई । मेरे पास यात्रा कर रहे यात्री का मोबाईल नम्बर भी आ चुका था । यात्री के ट्रेन से गिरने की दिशा ,स्थान आदी की जानकारी मिल चूकी थी।
समसुमा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सम्भावित दिशा और स्थानों तक लाईन सर्च करवाया गया। नागदा स्टेशन तक इजिनियरिंग विभाग के लाईन मेन से सर्च कराया परंतु कोई भी घायल,जिन्दा या मृत अवस्था मे नही मिला।
ट्रेन के रतलाम स्टेशन ने निकलने के बाद भी मै एस 01 कोच मे यात्रा कर रहे यात्री से सम्पर्क मे था जिसने पुरी जानकारी आर पी एफ स्टाफ रतलाम को दी थी। चार घंटो तक खोजने के बाद भी कोई व्यक्ति नही मिला था । हम लोग वहाँ से लौट आए पर मन मे कई सवाल थे की आखिर गिरने वाला व्यक्ति कहाँ चला गया। अनहोनी तो हुई है।
अपने ऑफिस की कुर्सी पर बैठे बैठे मै सुबह होने का इंतजार कर रहा था। रात का अन्धेरा छटे और सुबह हो जाये। आँखो मे नींद का भारीपन था किन्तु मुझे सुबह होने का इंतजार था मन बैचैन हो रहा था ।
यात्री से नियमित रूप से मोबाइल पर बात कर रहा था,उसने बताया की गिरने वाले यात्री के कुछ सहयात्री भी थे जो की उसी कोच की सीट नम्बर 29,30 ओर 31 पर यात्रा कर रहे है जिससे सम्पर्क कर उन्होने गिरने वाले व्यक्ति का नाम माधव वर्मन उम्र 46 वर्ष निवासी आसाम बताया। अब इस बात से नकारा नही जा सकता था की अनहोनी घटना रात मे घटीत हुई है। मै आराम की मुद्रा मे आँखे बन्द कर घटना के बारे मे सोच ही रहा था कि ऑफिस का दरवाजा खुलने की आवाज कानो मे पड़ी.......।
आरक्षक गणपत राम मीणा का ऑफिस मे आना हुवा .............सर सुबह हो गई है।
जैसे गणपत ने मुझे नींद से जगाया हो। सुबह हो चूकी थी अन्धेरा छट चुका था । मैने गणपत को साथ मे लिया और पैदल ही चल दिये, रात को जहाँ ट्रेन को रोका गया था। क्यो कि अब मामला यात्री की सुरक्षा से संबंधीत था अत: मामले की गंभीरता को देखते हुवे मैने मन ही मन फैसला लिया की मै ही जाऊँगा। मै और गणपत लाईनों की दोनो ओर देखते हुवे चले जा रहे थे घटना के बारे से सोचते हुवे गिरने वाले व्यक्ति की तलाश मे लगभग सात किलोमीटर पैदल चलने के बाद रेल्वे लाईन की बाई तरफ रेल लाईन से करीब 50 मिटर की दुरी पर खेत की सीमा पर झाडियों मे एक व्यक्ति अर्ध मूर्च्छा अवस्था मे पड़ा दिखाई दिया।पास जा कर देखा तो सिर फटा हुवा था जख्मी अवस्था मे किचड़ और खुन मे सना पूरा शरीर।
पूछने पर उसने अपना नाम माधव वर्मन बताया। ट्रेन से गिरे घायल व्यक्ति की पुष्टि हो चूकी थी । घायल व्यक्ति को आरक्षक गणपत राम मीणा ने अपनी पीठ पर लाद कर बिरिया खेड़ि गावँ के सरकारी स्कूल पर ले जा कर हेंडपम्प के पानी से युवक के शरीर पर लगे कीचड़ ओर चेहरे को धोकर साफ किया। घायल युवक को स्कूल मे ही रख 108 अम्बुलेंस को बुलाया कर सिविल अस्पताल नागदा मे भर्ती कराया गया। तथा घायल युवक के पास एक हेड कॉन्स्टेबल को तैनात किया गया।
रेल्वे सुरक्षा बल नागदा के निरीक्षक प्रभारी मो.रफिक अंसारी के नेतृत्व में नागदा रेलवे स्टेशन और रेल गाड़ियों में जांच अभियान चलाए गए, जहर खुरानी जैसी वारदातों की रोकथाम के लिये अभियान चलाया, जानमाल को लेकर, यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कई जागरूकता अभियान यात्रियों के हितों को ध्यान में रखते हुवे चलाये है।
कोरोड 19 के कारण लॉक डाऊन लगने पर मो. रफीक अंसारी ने मानवता को देखते हुवे हर संभव प्रयास किये हैं रेलवे ट्रैक पर पैदल चलने वालों को समझाते नजर आए। नंगे पांव जा रहे युवक की परेशानी को समझते हुवे युवक को जूते पनाना, मंदसौर जिले से पैदल जोधपुर जा रहे युवक को रोक कर भोजन करवाना, डॉक्टर द्वारा जांच करवा कर दवाईया दिलवाना,संकट में फंसे राहगीरों को मदद करते रहे हैं ट्रेनों में आने जाने वाले मुसाफिरों को पानी भोजन और अन्य सुविधाओं के लिए लगातार प्रयासरत है.
कोशिश रहती है कि हर यात्री को पानी और भोजन उपलब्ध हो सके। नागदा आरपीएफ के प्रभारी मोहम्मद रफीक अंसारी कोरोंना योद्धाओं में शुमार है जिसने मानवता की मिसाल पेश की है। रेल्वे सुरक्षा बल में होने के कारण अती व्यस्थता होने के बावजूद भी मो.रफिक अंसारी समाज से जुड़े है आवश्यकता अनुशार सामाजिक लोंगो की मदद भी करते है जिससे समाज मे प्रतिष्ठा बनी हुई है।
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