Thursday, June 25, 2020

चलती का नाम गाड़ी कहलाने वाली बसों के थमे पहिये, मुलताई क्षेत्र में बसों से जुड़े लगभग डेढ़ हजार लोग प्रभावित

चलती का नाम गाड़ी कहलाने वाली बसों के थमे पहिये, मुलताई क्षेत्र में बसों से जुड़े लगभग डेढ़ हजार लोग प्रभावित

TOC NEWS @ www.tocnews.org
ब्यूरो चीफ मुलताई, जिला बैतूल 
मुलताई। जिन्दगी को रफ्तार देने वाली एवं चलती का नाम गाड़ी कहलाने वाली बसों के पहिये विगत तीन माह से ज्यादा समय से थमें हुए हैं। लोगों को कम पैसे एवं आसानी से गंतव्य तक पहुंचाने वाली बसों के पहिये थमने से पूरा मुलताई क्षेत्र जहां प्रभावित हुआ है वहीं इससे जुड़े अन्य व्यवसाय एवं लगभग डेढ़ हजार कर्मचारी एवं एजेन्ट भी रोजी रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद अभी तक बसें कब चल पाएगी यह तय नही हो पा रहा है। 
मुलताई क्षेत्र में लगभग 80 से अधिक बसें संचालित की जा रही है जिससे ड्रायवर, कंडक्टर एवं क्लीनर सहित बस ऐजेंटो की आजिविका जुड़ी हुई है। फिलहाल 3 माह से अधिक समय से बस व्यवसाय से जुड़े लोग खाली बैठे हैं तो कुछ लोग छिट-पुट अन्य व्यवसाय करके परिवार का पेट भरने को मजबूर हैं। इधर बस संचालकों को भी लगातार तीन माह से बसें बंद रहने से विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यदि बसें प्रारंभ भी होती है.
तो इसे लाईन पर आने के लिए अभी लंबा समय लगेगा साथ ही इससे जुड़ें लोगों को फिर से एकजुट करना होगा क्योंकि बस चालक, कंडक्टर एवं क्लीनर सहित बस ऐजेन्ट ही इस व्यवसाय की धुरी हैं जिससे पूरा व्यवसाय संचालित होता है तथा सभी की रोजी-रोटी चलती है लेकिन वर्तमान में शासन एवं बस संचालकों के बीच टैक्स को लेकर चल रहे विवाद के कारण जहां लोगों को सीधे सरल आवागमन का लाभ नही मिल रहा है वहीं इस व्यवसाय से जुड़े लोगो के सामने कठिन परिस्थितियां उत्पन्न हो रही है। 

सरकार सुनने को तैयार नहीं, कैसे चलेगी बसें

मुलताई में बस संचालन से वर्षों से जुड़े हाजी शमीम खान ने बताया कि सरकार द्वारा लाक डाऊन कराने से बस व्यवसाय ठप्प पड़ गया लेकिन इसके बावजूद उक्त तीन माह का सरकार टैक्स मांग रही है जो देना संभव नही है। उन्होने बताया कि बसें नही चलने से लोग परेशान हैं लेकिन सरकार अड़ी हुई है, आखिर जब व्यवसाय ही बंद हैं तो कैसे टैक्स देगें। उन्होने कहा कि जहां सात प्रदेशों की सरकारों ने टैक्स माफ कर दिया है वहीं मध्यप्रदेश सरकार का रवैया समझ से परे हैं जिससे चलते फिलहाल बसें चालू करना संभव नही हैं। उन्होने कहा कि बसें बंद होने से कितने परिवार प्रभावित हुए हैं क्या इसका अंदाजा सरकार को नहीं है इसलिए लाक डाऊन के दौरान बंद बसों का टैक्स भी नही वसूला जाना चाहिए यही मांग बस संचालकों की है लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं एैसी स्थिति में कैसे बसें चलेंगी। 

बसस्टेंड के अन्य व्यवसाय भी प्रभावित

बसों के पहिये थमने से सिर्फ बसों से जुड़े ही लोग प्रभावित नही हुए वरन दूसरे व्यवसाय भी पूरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। बसों के कारण बसस्टेंड पर होटलें, पानठेले, फल एवं अन्य व्यवसाय भी चलते थे लेकिन फिलहाल बसें बंद हैं तो बाहर से लोग ही बसस्टेंड नही पहुंच रहे हैं जिससे बसस्टेंड पर स्थित दुकानों के व्यवसाय पूरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। होटल व्यवसाय से जुड़े प्रकाश सुहाने ने बताया कि बसस्टेंड पर उन्होने दुकान तो खोल ली है लेकिन ग्राहक नदारद हैं इसलिए होटल खोलने के बावजूद वे खाली बैठे हैं लेकिन क्या करें रोजी रोटी भी चलाना है। 

बसें चालू नही होने से ग्रामीणों को भारी परेशानी 

बसें बंद होने से इसका सीधा असर ग्रामीणों को पड़ा है, सस्ते सुलभ किराए में वे नगर में आ जाते थे तथा व्यवसाय भी कर लेते थे लेकिन अब उन्हे नीजि साधनों से आना पड़ रहा है अथवा भारी किराया देना पड़ रहा है। सब्जी व्यवसाय सहित एैसे कितने ही चिल्लर व्यवसाय थे जिससे ग्रामीणों की रोजी-रोटी चलती थी लेकिन अब सिर्फ विशेष जरूरतों के लिए ही शहर आना होता है। बड़ी संख्या में लोगों ने बसों के अभाव में अपना धंधा ही बंद कर दिया है। 

नगर का व्यवसाय भी ठप्प

बसों के माध्यम से बड़ी संख्या में ग्रामीण अंचलों से लोग नगर में पहुंचते थे जिनके भरोसे नगर का व्यवसाय संचालित होता था लेकिन बसें बंद होने से ग्रामीण नीजि साधनों से ही उतनी संख्या में नही पहुंच पा रहे हैं। एैसी स्थिति में नगर का भी व्यवसाय प्रभावित हो गया है। फिलहाल सिर्फ सक्षम लोग ही अपने वाहनों से मुलताई पहुंच रहे हैं एवं आमजन बसों के नही होने से नगर नही आ रहा है जिससे तीन माह व्यवसाय प्रभावित होने के बावजूद अभी भी व्यवसाय गति नही पकड़ रहा है। 

सब व्यवसाय चालू सिर्फ बसें ही बंद 

परिवहन हर व्यवसाय एवं आवश्यकताओं की धुरी होने के बावजूद जहां लाक डाऊन के बाद सभी व्यवसाय चालू हो चुके हैं वहीं सिर्फ बसें ही बंद है। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इसके बावजूद सरकार बस संचालकों की बातें सुनने एवं मानने को तैयार नही है जिसके कारण लाक डाऊन खुलने के बावजूद भी इस व्यवसाय से जुड़े लोग मारे-मारे फिर रहे हैं। बस संचालकों की माने तो यदि बसें प्रारंभ भी होती है तो अभी तीन माह व्यवसाय को लाईन पर लाने के लिए लगेगें।

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