Tuesday, June 28, 2016

*आइसना* की जिला नीमच कार्यकारिणी घोषित

*सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक ओमप्रकाश सखलेचा,कैलाश चावला और जिला महामंत्री महेंद्र भटनागर ने आइसना के सदस्यों को दी बधाई*
Toc News

नीमच। आल इंडिया स्माल न्यूज़ पेपर असोसिएशन *आइसना* की जिला नीमच कार्यकारिणी बनने पर सांसद सुधीर गुप्ता जावद विधायक ओमप्रकाश जी सखलेचा मनासा विधायक कैलाश चावला और जिला महामन्त्री महेंद्र जी भटनागर ने सभी नवागत पदाधिकारियो को बधाई दी।इस अवसर पर आइसना के पदाधिकारियो ने विधायक और जिला महामंत्री का पुष्पहार से स्वागत किया।
इस अवसर पर आइसना प्रदेश महासचिव विनय डेविड, प्रदेश मीडिया प्रभारी सतीश सिंह के साथ नीमच के पत्रकारो में अविनाश जाजपुरा, हरिमोहन योगी, अभय भारद्वाज, एस.एस.यादव, प्रदीप सगर, मिश्रीलाल पाटीदार, गोपाल यादव ,नरेंद्र गहलोत सहित कई साथी सर्किट हॉउस नीमच पर उपस्थित रहे।
*विशेष*-आइसना पदाधिकारियो से चर्चा के दौरान विधायक ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा की यदि नीमच के सभी पत्रकार एक जुट हो जाये तो में पत्रकार भवन एवं पत्रकार आवासीय कॉलोनी के लिए शीघ्रता से पहल कर सभी पत्रकार साथियो के लिए सुविधा के लिए पुरे प्रयास करूँगा।
सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा बहुत ही अच्छा प्रयास है पत्रकारिता को एक मुकाम मिलना ही चाहिए।

पत्रकार संगठन आइसना का जंतर मंतर पर विशाल धरना प्रदर्शन

आइसना का जंतर मंतर पर विशाल धरना प्रदर्शन
अख़बार मालिकों का


श्री राजनाथ सिंह ने संग़ठन के पदाधिकारिओ की बैठक तुरंत सूचना  प्रसारण राज्य मंत्री श्री राजवर्धन सिंह राठौर से सुनिश्चित करवाई ।

दिल्ली, जन्तर  मंतर धरना स्थल , नई  दिल्ली पर करीब 1000 से  ज्यादा अख़बार प्रकाशक ,संपादक, पत्रकार ,एवं हॉकर्स ने  धरना दिया । धरने का कारण DAVP की नई  विज्ञापन पॉलिसी  को वापिस लेना था । यदि यह पॉलिसी लागू  होगी तो लघु एवं मध्यम  समाचार पत्र बंद हो जायेगे ।
इसी विषय पर पत्रकारों के संग़ठन आल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज़पेपर एसोसिएशन के  कार्यकारी सदस्यों  श्री शिव शंकर त्रिपाठी, दीपक गोठी , महेश शर्मा कंचन गुप्ता व् आरती त्रिपाठी ने गृह मंत्री श्री राज नाथ सिंह जी से  मुलाकात की और पॉलिसी  लागू  होने से  अखबारों पर आने वाले संकट की चर्चा की ।
श्री राजनाथ सिंह ने संग़ठन के पदाधिकारिओ की बैठक तुरंत सूचना  प्रसारण राज्य मंत्री श्री राजवर्धन सिंह राठौर से सुनिश्चित करवाई ।
श्री राठौर से  ज्ञापन की प्रतिलिपि को ध्यान से  पढ़ा  और अगले 10 या 15 दिनों मे  पुनः बैठक के  निर्देश अपने सहकर्मी को दिये और आश्वासन दिया की कोई भी ऐसी पॉलिसी  नहीं लायी  जायेगी जिससे किसी एक व्यक्ति भी नुकसान हो ।
श्री राठौर से  बैठक के  बाद धरना समाप्त हो गया ।

मोदी जी जरा प्रदेश के कुबेरपतियों पर भी दें ध्यान

भोपाल // अवधेश पुरोहित @ toc news
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सत्ता पर काबिज होने के बाद राज्य में जिस तरह से भाजपाई नेताओं का स्तर और उनकी सम्पत्ति में जिस प्रकार से इजाफा हुआ है उससे तो यही लगता है कि शिवराज सरकार की सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदेश के हितग्राहियों को नहीं बल्कि सत्ता से जुड़े इन कुबुरों ने भरपूर लाभ उठाया यही वजह है कि तत्कालीन भारतीय जनशक्ति की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री उमा भारती ने यह सब देखकर उनका यह कथन था कि शिवराज सरकार के पूर्व जिन लोगों की हैसियत टूटी साइकिल खरीदने की नहीं थी आज वह इस सरकार के चलते आलीशान भवनों और लग्जरी गाडिय़ों में फर्राटे भरते नजर आ रहे हैं, हालांकि इस तरह का कथन उमा भारती का २००८ के दौरान हुआ करता था, लेकिन आज मध्यप्रदेश के भाजपा के सत्ता और संगठन से जुड़े नेताओं की यदि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो कि अपनी मन की बात में देश के लोगों को ३० सितम्बर तक अपनी अघोषित आय का खुलासा करने की बात कहते हुए इसके बाद कड़ी कार्यवाही करने की जो चेतावनी दे रहे हैं कुछ भाजपा व अन्य पार्टी के जुड़े नेताओं का इस संबंध में यह कहना है कि यदि सच में हमारे प्रधानमंत्री ने अघोषित आय का खुलासा करने का बीड़ा उठा रखा है तो पहले अपना घर ही साफ कर लें तो बेहतर होगा, क्योंकि इस प्रदेश में शिवराज सरकार के बाद जिस तरह से राज्य में सक्रिय मंत्रियों, अधिकारियों, सत्ता के दलालों और ठेकेदारों का रैकेट के चलते सरकारी योजनाओं में घोटाले और फर्जीवाड़ा करके उनकी राशि अपनी तिजोरियों में भरने का जो दौर चला उसका जीता जागता उदाहरण राज्य के सत्ता और संगठन से जुड़े लोग भी हैं, ऐसा नहीं है कि आजके इन कुबेरपतियों की कुंडली लोगों के पास न हो, इन कुबेरपतियों की स्थिति से भलीभांति उनके पड़ोसी और मित्र भी हैं जो उनकी कल की हैसियत और वर्तमान स्थिति का ठीक से ब्यौरा दे सकते हैं, सवाल यह उठता है कि राज्य में जब शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान विभिन्न वर्गों के कल्याण के लिये तमाम योजनायें चलाई गई उन सबका लाभ जिनके लिये यह योजना चलाई गई उन वर्गों में दिखाई नहीं दे रहा हां, यह जरूर है कि भाजपा के सत्ता और संगठन से जुड़े नेताओं और राज्य में सक्रिय रैकेट के संरक्षण में जो गोरखधंधा इस राज्य में चल रहा है उसके चलते ही जो लोग कुबेरपति बन गये हैं उनकी तो मोदी जांच करवालें और यह भी देख लें कि प्रदेश की सत्ता से जुड़े लोगों के परिजनों की जिनकी हालत कल तक काफी दयनीय थी आज उनपर कुबेर इस तरह से मेहरबान है कि वह दिन-दूनी रात चौगुने फलते-फूलते नजर आ रहे हैं कुल मिलाकर मोदी के इस तरह के  बयान को लेकर राज्य की आम जनता के साथ-साथ कई नेता भी दबी जुबान से इस तरह की चर्चा करते नजर आ रहे हैं यदि सही में मोदी देश से काला धन समाप्त करने की दिशा में सार्थक पहल चलाने का बीड़ा उठा रखा है तो उन्हें सबसे पहले अपने भाजपा के उन नेताओं का शिवराज सरकार के पूर्व और वर्तमान स्थिति का लेखा जोखा लेकर उनसे यही पूछ लेना चाहिए कि आखिर इस सरकार के चलते उन पर कुबेर किस तरह से मेहरबान हुए हैं, राज्य में जहां भाजपा के सत्ता और संगठन से जुड़े लोगों पर तो कुबेर मेहरबान हुए हैं तो वहीं इन सबके संरक्षण में राज्य में पटवारी से लेकर मंत्रालय में बैठे अधिकारियों की भी सम्पत्ति की भी लगभग यही स्थिति है और इसका जीता जागता उदाहरण है राज्य में चल रही जांच एजेंसियों की छापे की कार्यवाही जिसके चलते जहां छापेमारी की कार्यवाही की जाती है वही करोड़पति नजर आता है। इससे यह साफ जाहिर है कि राज्य में भ्रष्टाचार की गंगोत्री ऊपर से नीचे तक और नीचे से ऊपर तक बह रही है और इसमें हर कोई डुबकी लगाकर अपनी बेनामी सम्पत्ति को दिन-दूनी रात चौगुनी करने में लगा हुआ है इसकी भी जांच होना जरूरी है ताकि राष्ट्र से कालेधन हटाने का जो बीड़ा मोदी ने ले रखा है वह पूरा हो सके। 

Sunday, June 26, 2016

आज 26 जून को इंदौर में आइसना का सम्भागीय सम्मेलन हुआ

ALL INDIA SMALL NEWS PAPERS ASSOCIATION
Toc News
इंदौर। संभागीय पत्रकार सम्मेलन आज जाल सभागृह इंदौर मे आईसना के प्रदेश अध्यक्ष मा. श्री अवधेश जी भार्गव की अध्यक्षता में आईसना इंदौर संभाग का अधिवेशन (पत्रकार समागम) इंदौर में आयोजित किया गया है । इस पत्रकार सम्मेलन में  श्री विनय डेविड प्रांतीय महासंचिव मीडिया प्रभारी श्री सतीश सिंह श्री नंदकिशोर चौहान प्रांतीय सलाहकार डॉ महेश गुप्ता संभागीय संलाहकार श्री जितेन्द्र माहेश्वरी संभागीय अध्यक्ष इंदौर श्री लक्ष्मीनारायण पटेरिया संभागीय संचिव श्री मनोहरसिह मेहता जिला अध्यक्ष श्री राजेश पोरवाल जिला संचिव और सभी जिलो से उपस्थित हुए उक्त कार्यक्रम मे क्षेत्रीय पत्रकारों पर हो रहे हमलों , खतरे में पढ़ती पत्रकारिता एवं आज के जमाने में पत्रकारिता केसे करना चाहिए इन विषयों पर चर्चा की और अधिमान्यता सभी पत्रकारो को दिलाने की बात की कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नीमच रतलाम उज्जैन खंडवा खरगोन देवास झाबुआ धार एवं इंदौर सहित अन्य क्षेत्रीय पत्रकार पहुंचे है । वही नीमच जिले से आईसना के कोषाअध्यक्ष नरेन्द्र गहलोत इस कार्यक्रम मे उपस्थित हुए।
नीमच जिले के पत्रकारो की समस्याऔ और हितो मे चर्चा की ।

मप्र में घोटालों की सरकार, पत्रकार भी शामिल, केसे रुकेंगे घोटाले

Toc news
व्यापम घोटाला, वेबसाईट विज्ञापन घोटाला, जमीन घोटाला, उत्खनन घोटाला, और अब फ्री में लुटा दी बैश कीमती जमीन
सब्र करो कुछ दिनों में पत्रकारों और सरकार से जुड़ा एक और बड़ा घोटाला उजागर होने वाला है

शिवराज चौहान ने 300 पत्रकारों को तोहफ़े में दी 60 रुपये / वर्गफ़ुट ज़मीन, देखें उपकृत पत्रकारों की लिस्ट

पहली समिति :
(1) अभिव्यक्ति गृह निर्माण सहकारी समिति (मार्च 2012)
Lalit Shastri

Rajesh Chaturvedi

Umesh Trivedi

Abhilash Khandekar

Arun Patel

Rishi Pandey

Raghvendra Singh

Amita Kumar

Arun Dixit

Deshdeep Saxena

Rajesh Sirothiya

Renu Pathak

Rajendra Dhanotiya

Prakash Pillai

Dinesh Gupta

KS Sawhney

Brijesh Rajput

Rashid Kidwai

Ranjan Srivastav

Anil Dube

Sunil Shukla

Deepak Tiwari

Sureh Niyaji

Prakash Tiwari

Rakesh Agnihotri

Bhagwan Upadhyay

Vedvrat Giri

Rajesh Dube

Prakash Bhatnagar

Manoj Kumar Sharma

Anurag Upadhyay

Shivanurag Pateria

Rajesh Pandey

SP Tripathi

“Sanjeev Sreevastava

Vikas Tiwari

Satish Eliya

Ashish Dube

Girish Sharma

Rajendra Sharma

Dipesh Avasthi

Dinesh Nigam Tyangi

Nirmal Singh Bas

Kumar Shakti Shekhar

Prabhu Mishra

Mrigendra Singh

Rajkumar Keshwani

“Shamsur Rahman

Sunil Gupta

Anil Sharma

Dhananjaypratap Singh

Ravinder Kelasiya

Sudhir Nigam

Aadesh Pratap Bhadauriya

Narpat Singh Bhadauriya

Ramkrishna Yaduvanshi

Dharmendra Pegwar

Chandrabhan Saxena

Santosh Chaudhury

Brijesh Choukse

Umesh Nigam

Shashi Shekhar

Ravi Khare

Jagdish Dwivedi

Ragini Trivedi

Prabhu Pateria

Anoop Dutta

Manish Dixit

Rakesh Dixit

Ajay Bokil

Sanjay Kaushik

Dipiti Chaurasiya

Ambrish Mishra

Rani Sharma

Vinita Srivastav

Ajit Singh

Nitin Tripathi

Muktesh Rawat

Sunil Sharma

Hemendra Sharma

Avadhesh Bajaj

Sanjeev Jain

Bhupendra Nigam

Praveen Sharma

Rajiv Soni

Faisal Mohammad Ali

Jaydeep Singh

Ajay Tripathi

Sikandar Ahmed

Milind Ghitvai

Manoj Purohit

Yogesh Saxena

Nasser Kamal

Shiv Kumar Sharma

Rajesh Upadhyay

Amit Kumar Jain

Mukta Pathak

Sushil Nahar

Shravan Garg

Suchandna Gupta
Vijay Das
Vishwas Tiwari
Surendra Tiwari
Astha Ahuja (Gulati)
Suchandna Gupta
Vijay Das
Vishwas Tiwari
Surendra Tiwari
Astha Ahuja (Gulati)

Apoorv Tiwari

Rajendra Tiwari

Anil Khanna

Kailash Gaud

Praveen Kumar Tiwari

Semuvel Mathai

Neeraj Kushwaha

Rajeev Nema

Ritesh Kondle

Archana Gupta

Sanjeev Gautam

Arti Sharma

Anad Prakash Shukla

Govind Shankar Shrivastava

Ramesh Sharma

Rajkumar Kala

Virendra Sinha

Omprakash Mehta

Aatmdeep

Jamaluddin Ahmed

Premnarayan Premi

Pankaj Pathak

Alok Kumar Rai

Prem Pagare

Sunil Gautam

Majid Hussain

Pushpendra Shastri

Shweta Pandya (Sinha)

Bharat Shastri

Krishnkant Agnihotri

Prawal Saxena

Sanjeev Shrivastava

Anurag Shukala

Gopikrishn Balwani

Sudheer Saxena
Akhilesh Awasthi

Chandrahas Shukla

Chandulal Jain

Sunil Kumar Tiwari

Dinesh Sharma

Uma Bhargav

Shakeel Khan

Devdutt Dubey

KD Sharma

Aparna Rai

Rohit Mehta

Sameer Verma

Sanjay Bhargav

Shanta Pathak

Shriprakash Dixit

Manoj Kumar Mishra

Shariq Noor

Sudha Bhardwaj

Shankarlal Sabu

Anjani Kumar Jha

Shefali

Nukhil Suryavanshi

Tripti Verma

Rajendra Shrivastav

Anil Bihari Shrivastava

Ravi Sawla

Deepak Dwivedi

Shashin Rai

Harsha Makode

Ashok Manvani

Ravi Upadhyaya

Yogendra Kumar Shukla

Varun Kumar Dixit

Hamid Hussain

Mahesh Prasad Dubey

Shobha Sakalle

RC Sahu

Sudhir K Singh

Arun Tiwari

Somdutt Shastri

Pawan Preet Singh Saluja

Ravindra Jain

Sandeep Pouranik

Amrish Hardeniya

Salil Mekad

Vinod Khujneri

Dileep Sharma

Sumit Sharma

Ashish Parashar

Kailash Narayan Sharma

Vinod Tiwari

Shamshul Hassan Arif

Manish Gautam

Atul Purohit

Dinesh Nigam

Karishma Sharma

Sunil Singh

Ramesh Agarwal

Ravi Awasthi

Manishkant Jain

Vijaya Pathak

Nilofar Naz

Ashok Gautam

Ajay Muley

Muslim Salim

Amitabh Pandey

Naveen Joshi

Sanjay Prakash Sharma

Subodh Agnihotri

Sanjay Chaturvedi

Indrajeet Maurya

Mahesh Kumar Sahu

Rakesh Singhai

Mahendra Sharma

Anajana Anil Sadhak

Ashish Kurl

Dilip Malwiya

Ajay Gyanchandani

Rayisa Malik

Yashpal Sharma

Rajkumari Chotrani

Jagdish Gyanchandani

Ravi Dubey

Shridharan Pillai

Dharmendra Singh Thakur

Atul Kumar Pathak

Ashutosh Gupta

Purnendu Shukla

Dinesh Chandra Joshi

Nasreen Hussain

Shahid Hussain

Hitesh Thakkar

Harimohan Modi

Arvind Shile

Kamar Ashfaq

Ashish Sharma

Chandrashekhar Bargal

Tribhuvan Sharma

Koushal Verma

Ganesh Pandey

Shravan Verma

Vikas Sharma

Lilesh Satankar

Manish Sharma

Sarman Nagele

Adheer Saxena

Shishir Upadhyaya

Sitaram Thakur

Bharat Patel

Santosh Sharma

Keshavraj Pandey

Yogesh Joshi

Neelam Kumar Tiwari

Santosh Kumar Singh

Sandeep Khare

Virendra Kumar Vishvakarma

Heeranand Lalwani

Rajesh Bhatiya

Deepa Gyanchandani

Vishvakarma Das

Praveen Dubey

RMP Singh

Mukesh Lalwani

Anupam Shukla

Ajay Verma

Sharad Kumar Deshmukh

Radhavallabh Sharda

Ayush Jain

Heera Lal Vyas

Rajendra Sharma

LN Sheetal

Manish Shrivastava

Sanat Kumar Jain

Shureh Niyaji

Saurabh Jain

Vendict David

Jakir Ali

Rajesh Vishwakarma

Pradeep Gupta Palli

Sunil Tiwari

Sandeep Bhammarkar

Akshat Sharma

Rambhuvan Singh Kushwaha

Suresh Sharma

Suryakant Chaturvedi

Brajesh Dwivedi

Brij Kishore Sharma

Anil Singh Kushwaha

Aasim Ali

Rajendra Prashar

Krishnakumar Jha

Anirudh Tiwari

Ashutosh Verma

Suneet Saxena

Vijay Singh

Dinesh Sharma

Rahul Singh

Manoj Seni

Chandrakant Daud

Astha Lanjewar

Sumeet Maheshwari

Purshotam Sodani

Ravindra Soni

Rupesh Gupta

Rajesh Kumar Singh

Pradeep Manekar

Chandra Prakash Shivhare

Rajeev Mohan Gupta

अधिक जानकारी के लिए भड़ास पर खबर देखें

Saturday, June 25, 2016

आइसना नीमच कार्यकारणी का गठन अध्यक्ष श्री हरिमोहन योगी बने

Toc News

नीमच आज दिनाक 25 जून 2016 को आल इण्डिया न्यूज़ पेपर एसोसेसियन (आइसना) की जिला कार्यकारणी का गठन श्री विनय डेविड (प्रदेश महासचिव)एव श्री सतीश सिंह (प्रदेश मीडिया प्रभारी)की अध्यक्षता में सम्पन्न हुवी।जिसमे सर्वसहमति से निम्नांकित पदों पर पद स्थापना की गई।जिसमे सरंक्षक श्री भगत वर्मा,अध्यक्ष श्री हरिमोहन योगी,उपाध्यक्ष श्री हेमेन्द्र गुप्ता,महासचिव श्री अविनाश जी जाजपुरा,सचिव एव मिडिया प्रभारी श्री गोपाल मेहरा,सचिव श्री दशरथ पाटीदार,सचिव श्री विश्वजीत भट्ट,सचिव श्री सुनील सैनी,संग़ठन मंत्री श्री गोपाल यादव,कोश्याध्यक्ष श्री नरेंद्र गेहलोत,जिलाअध्यक्ष(महिला प्रकोष्ट)सु. श्री प्रियंका वर्मा कार्यकारणी सद्स्यो में श्री अभय जी भारद्वाज,श्री विवेक फतनानी,श्री प्रदीप सगर,जगदीश प्रजापति,सुनील भटट, नंदकिशोर समीर,एस.एस यादव,मिश्रीलाल पाटीदार एव अनको पत्रकार साथी सर्किट हाउस पर उपस्थित थे।

Friday, June 24, 2016

"आइसना" जिला इकाई उज्जैन में श्री दिलीप सिंह चौहान को उज्जैन जिला संयोजक नियुक्त"



Toc news
"आइसना" की उज्जैन जिला एवं तहसील इकाई का गठन शीघ्र किया जाना है. देश में पत्रकारों का सबसे बड़ा एवं लोकप्रिय संगठन "आल इंडिया स्माल न्यूज़ पेपर्स एसोसिएशन" (आइसना) की उज्जैन जिला और तहसील स्तर में इकाइयों का गठन किया जाना है। संगठन के विस्तार हेतु श्री दिलीप सिंह चौहान पत्रकार हिंदी मेल को "आइसना" जिला संयोजक मनोनित किया है..

उज्जैन रेस्ट हाऊस में हुई पत्रकारों की बैठक में आइसना प्रदेश महासचिव विनय जी. डेविड ने मनोनित किया, बैठक में आइसना प्रदेश मिडिया प्रभारी सतीश सिंह, भोपाल संभागीय महासचिव माखन विजयवर्गीय, सुरेश बिरोटीया, दीपक टंडन, प्रेम नारायण भावसार मौजूद रहें और
शुभकामनाएं दी.

जिले के पत्रकार साथी आइसना की सदस्यता प्राप्त करने हेतू आमन्त्रित हैं। सदस्यता हेतू योग्यता प्रमाणपत्र, प्रेस द्वारा जारी परिचय पत्र, दो रंगीन फोटो, सहित संपर्क कर सदस्यता ले सकते है।

जिले में सदस्यता प्राप्त करने हेतु पत्रकार साथी श्री दिलीपसिंह चौहान जी "आइसना" उज्जैन जिला इकाई सम्पर्क कर सकते है -

श्री दिलीप सिंह जी का सम्पर्क न.
9907024315

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23/06/2016
भोपाल.

विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव (आइसना)
+91 9893221036

सतीश सिंह -भोपाल
प्रदेश मीडिया प्रभारी (आइसना)
+919098645009

माखन विजयवर्गीय
9303610003
9926716330
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Wednesday, June 22, 2016

पर्यटन विकास निगम की सम्भागीय उज्जैन बैठक में विधायक परिहार होंगे शामिल

Toc mews
भोपाल. पर्यटन के विकास एवं विस्तार हेतु उज्जैन में दिनांक 23 जून 16  गुरु वार को प्रातः 10.30 बजे बैठक का आयोजन होगा ।
प्रदेश स्तर पर होने वाले "सम्भागीय पर्यटन विमर्श"  कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों में पर्यटन की संभावना को तलाशकर उनका विस्तार किया जायेगा।
इस बैठक में केंद्रीय मंत्री श्री थावरचंद्र गेहलोत मुख्य अतिथि के रूप में एवं सुरेन्द्र पटवा विशिष्ठ अतिथि श्री सत्यनारायण जटिया सांसद राज्यसभा के रूप में व पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष  श्री तपन भौमिक  उपस्तिथ होंगे।

वन विभाग घोटाला: वन समिति अध्यक्ष पति हेमराज पेठारी ने किया बड़ा खुलासा...

https://youtu.be/iWisXX5r82A
वन समिति अध्यक्ष पति हेमराज पेठारी ने किया बड़ा खुलासा...

रेंजर विश्वनाथ शर्मा ने ग्रामीणों से पैसे लेकर वन भूमि मे चलबाई जेसीवी...
पेठारी का कहना है कि श्यामपुर से घोघरा डेम तक पाईप लाईन बिछाई जा रही है जिसमे ग्रामीणों ने वन भूमि के कक्ष क्र.444 जो वन विभाग द्वारा पूर्व मे लाखो रुपये खर्च करके प्लाटेसन लगाया गया था। उसमे ग्रामीणो ने जेसीवी से अवेद उत्खनन कर पाइप गाड़े जा रहे है।
हेमराज पेठारी ने कहा गया कि रेंजर शर्मा को वन विकास निगम अध्यक्ष शर्मा जी का संरक्षण है क्योकि रेंजर भी शर्मा है ओर वन विकास निगम अध्यक्ष भी शर्मा है इसलिए शर्मा बाद चलाया जा रहा है जिससे रेंजर शर्मा इस प्रकार के कामो को अंजाम दे रहे है।

प्रथवी राज सिंह का हिमाचल प्रदेश मे सम्मान

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भोपाल , मध्यप्रदेश फ़ोटो जर्नलिस्ट  वेल फेयर समिति के अध्यक्ष ओर देनिक जागरण के सीनियर फ़ोटो जर्नलिस्ट प्रथवी राज सिंह का कसोट जिला कुल्लू  हिमाचल प्रदेश मे समर फेस्टिवल 2016 मे हिमाचल प्रदेश के पर्यटन मंत्री ठाकुर सिंह बागोरी ने शाल श्रीफल ओर मेमंटो एव  हिमाचल प्रदेश की परम्परागत टोपी पहनाकर सम्मानित किया ईस मोके पर कई गणमानिया नागरिको के साथ पंजाब के लक्की संधू गुप्रित सिह भी उपस्थित थे
प्रथवी राज सिंह को सम्मान मिलने पर मध्यप्रदेश फ़ोटो जर्नलिस्ट  वेल फेयर समिति के सचिव शमीम खान राजीव गुप्ता विवेक पटेरिया अशरफ अली देवेंद्र दुबे निर्मल व्यास अजय सोलंकी शान अबरार खान  भाहादुर एच् सी वर्मा अनिल दिक्षित प्रवीन दिक्षित शिव नारायण मीना  रविंदर सिंह राजविंदर सिंह महेश विश्वकर्मा निलेश सेन अजय शर्मा सुभाष ठाकुर विपिन यादव नवीन वेलवंशी शादाब खान रज़्ज़ाक़ खान अतीक खान तबरेज खान चद्रेश मथुर राजीव सराठे राकेश सेनी दिनेश दवे मुकेश ठाकुर मुकेश लोधी वरुण मालवीय  सरफ़राज़ खान इरफान खान भूपेंद्रर सिंह जसप्रत सिंह सहित सभी फ़ोटो जर्नलिस्टो ने सम्मानित होन पर बधाई दी और अयोजक समिति का अाभार व्यक्त यह जानकारी मध्यप्रदेश फ़ोटो जर्नलिस्ट  वेल फेयर समिति के प्रवक्ता शिव नारायण मीना ने एक प्रेस नोट मे दी
भावदिया
 शिव नारायण मीना
 प्रवक्ता
मध्यप्रदेश फ़ोटो जर्नलिस्ट  वेल फेयर समिति

बिना थाने जाए बनेगा पासपोर्ट, नहीं होगी पुलिस वैरिफिकेशन की जरूरत

Toc News
नई दिल्ली: अगर आप नया पासपोर्ट बनाना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए जरूरी है, क्योंकि सरकार आपके लिए राहत का खबर लेकर आई है। अब पासपोर्ट बनाने के दौरान पुलिस थाने के चक्कर नहीं काटने होंगे, पुलिस सत्यापन के नाम पर हो रही परेशानियों से निजात मिल गया है।

नई पासपोर्ट नीति के तहत पासपोर्ट बनाने के क्रम में आने वाली परेशानियों को दूर करने की दिशा में सरकार अहद कदम उठाने जा रही है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ऐलान किया है कि अब पासपोर्ट बनाने के लिए पुलिस सत्यापन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पुलिस सत्यापन में हो रही देरी के मद्देनजर ये कदम उठाया गया है। हां ये जरूर है कि पासपोर्ट बनने के बाद आपका सत्यापऩ कराया जाएगा और गलत पाए जाने पर पासपोर्ट रद्द कर दिया जाएगा। सरकार के इस फैसले के बाद अगर आपके पास तीन चीजे हैं तो पासपोर्ट कम समय में बन सकता है।

नये नियम के मुताबिक अगर आपके पास > पैन कार्ड > आधार कार्ड > चुनाव पहचान पत्र > ड्राइविंग लाइसेंस

चारो में कोई एक पहचान पत्र है तो आपको पुलिस वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। आपको करना बस ये है कि इनमें से किसी एक पहचान पत्र को राशन कार्ड, बिजली बिल और हाउस रेंट स्लिप में से किसी एक दस्तावेज और जरूरी कागजता के साथ अटैच कर पासपोर्ट सेवा केंद्र में जमा कर दें।
आपका पासपोर्ट बन जाएगा। पुलिस और थाने के आपको चक्कर नहीं काटने होंगे। कई लोग पुलिस सत्यापन के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं और उनका पासपोर्ट लटक जाता है ऐसे हालात में सरकार की ये कोशिश काबिले तारीफ है।

Tuesday, June 21, 2016

निमंत्रण न मिलने से भडके सांसद, मंत्री ने कहा कार्यवाही करेंगे

शहर विधायक को भी आडे हाथों लिया सांसद भूरिया ने
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रतलाम। भाजपा सरकार की दो साल की उपलब्धियां बताने रतलाए आए केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवध्र्दन उस समय असहज हो गए जब सांसद कांतिलाल भूरिया ने उन्हे शासकीय आयोजन में निमंत्रण नहीं दिए जाने पर अपनी नाराजगी जताई। केन्द्रीय मंत्री डॉ.हर्षवध्र्दन ने इस गलती के लिए प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही। सांसद भूरिया ने विधायक चैतन्य काश्यप को भी आडे हाथों लिया।
रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के सांसद कांतिलाल भूरिया आज रतलाम में थे,और केन्द्रीय मंत्री डॉ.हर्षवध्र्दन के आगमन के मौके पर जिला प्रशासन ने कालिका माता परिसर में हितग्राही सम्मेलन आयोजित किया था। सांसद भूरिया ने दोपहर को सर्किट हाउस में बुलाई एक प्रेस वार्ता में प्रशासन और भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया कि वे जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर रहे है। शासकीय आयोजन में सांसद और अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को बुलाया जाना चाहिए था,लेकिन उन्हे कोई निमंत्रण नहीं दिया गया। सांसद श्री भूरिया ने यह भी कहा कि उन्होने स्वयं कलेक्टर को फोन लगाकर आयोजन के बारे में जानकारी ली। सर्किट हाउस में चल रही सांसद की पत्रकार वार्ता के समय केन्द्रीय मंत्री डॉ.हर्षवध्र्दन भी सर्किट हाउस में ही थे। डॉ.हर्षवध्र्दन जैसे ही एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सर्किट हाउस से निकलने लगे,सांसद कांतिलाल भूरिया ने उन्हे रोक लिया और निर्वाचित सांसद को शासकीय आयोजन का निमंत्रण नहीं दिए जाने की शिकायत की। डॉ.हर्षवध्र्दन ने श्री भूरिया से कहा कि उन्हे प्रशासन द्वारा यह जानकारी दी गई थी कि सांसद को कार्यक्रम की पूरी सूचना दे दी गई थी और आमंत्रण भी दिया गया था। डॉ.हर्षवध्र्दन ने श्री भूरिया से कहा कि वे तो कार्यक्रम में श्री भूरिया का इंतजार कर रहे थे। डॉ.हर्षवध्र्दन ने कहा कि जिला प्रशासन ने उन्हे गलत जानकारी दी है,वे जिम्मेदार अधिकारियों के विरुध्द कार्यवाही करने के लिए लिखेंगे। सांसद व मंत्री की बहस के दौरान शहर विधायक चैतन्य काश्यप गाडी में ही मौजूद थे। सांसद भूरिया ने विधायक को भी आडे हाथों लिया। उन्होने कहा कि काश्यप जी इस तरह की राजनीति मत कीजिए।

निमंत्रण न मिलने से भडके सांसद, मंत्री ने कहा कार्यवाही करेंगे

शहर विधायक को भी आडे हाथों लिया सांसद भूरिया ने
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रतलाम। भाजपा सरकार की दो साल की उपलब्धियां बताने रतलाए आए केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवध्र्दन उस समय असहज हो गए जब सांसद कांतिलाल भूरिया ने उन्हे शासकीय आयोजन में निमंत्रण नहीं दिए जाने पर अपनी नाराजगी जताई। केन्द्रीय मंत्री डॉ.हर्षवध्र्दन ने इस गलती के लिए प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही। सांसद भूरिया ने विधायक चैतन्य काश्यप को भी आडे हाथों लिया।
रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के सांसद कांतिलाल भूरिया आज रतलाम में थे,और केन्द्रीय मंत्री डॉ.हर्षवध्र्दन के आगमन के मौके पर जिला प्रशासन ने कालिका माता परिसर में हितग्राही सम्मेलन आयोजित किया था। सांसद भूरिया ने दोपहर को सर्किट हाउस में बुलाई एक प्रेस वार्ता में प्रशासन और भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया कि वे जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर रहे है। शासकीय आयोजन में सांसद और अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को बुलाया जाना चाहिए था,लेकिन उन्हे कोई निमंत्रण नहीं दिया गया। सांसद श्री भूरिया ने यह भी कहा कि उन्होने स्वयं कलेक्टर को फोन लगाकर आयोजन के बारे में जानकारी ली। सर्किट हाउस में चल रही सांसद की पत्रकार वार्ता के समय केन्द्रीय मंत्री डॉ.हर्षवध्र्दन भी सर्किट हाउस में ही थे। डॉ.हर्षवध्र्दन जैसे ही एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सर्किट हाउस से निकलने लगे,सांसद कांतिलाल भूरिया ने उन्हे रोक लिया और निर्वाचित सांसद को शासकीय आयोजन का निमंत्रण नहीं दिए जाने की शिकायत की। डॉ.हर्षवध्र्दन ने श्री भूरिया से कहा कि उन्हे प्रशासन द्वारा यह जानकारी दी गई थी कि सांसद को कार्यक्रम की पूरी सूचना दे दी गई थी और आमंत्रण भी दिया गया था। डॉ.हर्षवध्र्दन ने श्री भूरिया से कहा कि वे तो कार्यक्रम में श्री भूरिया का इंतजार कर रहे थे। डॉ.हर्षवध्र्दन ने कहा कि जिला प्रशासन ने उन्हे गलत जानकारी दी है,वे जिम्मेदार अधिकारियों के विरुध्द कार्यवाही करने के लिए लिखेंगे। सांसद व मंत्री की बहस के दौरान शहर विधायक चैतन्य काश्यप गाडी में ही मौजूद थे। सांसद भूरिया ने विधायक को भी आडे हाथों लिया। उन्होने कहा कि काश्यप जी इस तरह की राजनीति मत कीजिए।

रतलाम मेँ केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन कलेक्टर पर बिफरेे

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रतलाम। केंद्रीय विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन एक सभा के दौरान मंच पर ही कलेक्टर पर बिफर पड़े. वे कार्यक्रम की लेटलतीफी और जिला कलेक्टर के देर से पहुंचने से नाराज थे. केंद्रीय मंत्री इस बात को लेकर खासे नाराज थे कि, उनका कार्यक्रम तय समय पर भी शुरू नहीं हुआ और लोगों को घंटों भीषण गर्मी और उमस में परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने अपने भाषण के शुरुआत में ही जिला प्रशासन को जमकर लताड़ा और समय पर कार्यक्रम शुरू नहीं करने के लिए साफ़ तौर पर अफसरों को जिम्मेदार करार दिया.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की दो साल पूरे होने पर उपलब्धियां गिनाने और हितग्राही सम्मेलन में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन सोमवार को मध्यप्रदेश के रतलाम पहुंचे थे. जब उनके उद्बोधन के समय तक भी कलेक्टर बी चन्द्रशेखर कार्यक्रम में नहीं पहुंचे तो यह बात मंत्री को नागवार गुजरी.

रतलाम शहर के कालिका माता मैदान पर हितग्राही सम्मलेन सुबह 11 बजे शुरू होना था, लेकिन प्रशासन की लेटलतीफी के चक्कर में करीब ढाई घंटे देरी से शुरू हुआ. इस दौरान गर्मी और उमस से वहां जनता काफी परेशान दिखी.
इस दौरान मीडिया से चर्चा में डॉ हर्षवर्धन ने बीजेपी सरकार के दो साल की उपलब्धियां भी गिनाईं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोयला घोटाले, टू-जी घोटालों से कांग्रेस ने देश को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया है. जबकि उनकी सरकार ने पारदर्शी तरीके से इन उपक्रमों की नीलामी कर देश का खजाना भरने का काम किया है।

केंद्रीय विज्ञान और प्रोद्यौगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि, केजरीवाल के बयानों को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता है. भाजपा सिर्फ जनता के मुद्दों को गंभीरता से लेती है।

अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे सवाल पूछे जाने पर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि, उनकी सरकार का पहला धर्म राष्ट्र धर्म है. राम मंदिर जैसे मुद्दों पर समय आने पर फैसला लिया जाएगा।

200 वर्षों से बेटी के सेक्स करने की परंपरा

यहां घर में जन्मी पहली बेटी को लोगों की हवस का शिकार होना पड़ता है..!
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भारत में आज भी कई राज्यों में जिस्म का सौदा सरेआम होता है। ऐसे ही मध्यप्रदेश के मालवा के नीमच, मन्दसौर और रतलाम जिले में कई गांव ऐसे है, जहां अगर बेटी किसी मर्द के साथ सेक्स करती हैं, तो भी माँ बाप को इससे कोई ऐतराज नहीं होता। बल्कि, बेटी के जिस्म के प्रति जितनी दीवानगी बढ़ती है उतना ही उनकी खुशियों का दायरा भी बढ़ने लगता है।

ये बात भले ही आम लोगों के लिए चौकाने वाली हो, लेकिन मालवा अंचल में 200 वर्षों से बेटी के सेक्स करने की परंपरा चली आ रही है। दरअसल, इन गांवों में रहने वाले बांछड़ा समुदाय के लिए बेटी के जिस्म का सौदा आजीविका का एकमात्र जरिया है।
डेरों में रहने वाले बांछड़ा समुदाय में प्रथा के अनुसार घर में जन्म लेने वाली पहली बेटी को जिस्मफरोशी करनी ही पड़ती है। मालवा में करीब 70 गांवों में जिस्मफरोशी की करीब 250 मंडियां हैं, जहां खुलेआम परिवार के सदस्य ही बेटी के जिस्म का सौदा करते है।

इस समुदाय में बेटी के जिस्म के लिए मां-बाप ग्राहक का इंतज़ार करते है सौदा होने के बाद बेटियां अपने परिजनों सामने खुलेआम सेक्स करती है। आश्चर्य की बात यह है कि परिवार में सामूहिक रूप से ग्राहक का इंतज़ार होता है, जिसको सेक्स के लिए आदमी पहले मिलता है उसकी कीमत परिवार में सबसे ज्यादा होती है।
भारतीय समाज में आज भी बेटी को बोझ समझा जाता हो, लेकिन बांछड़ा समुदाय में बेटी पैदा होने पर जश्न मनाया जाता है । बेटी के जन्म की खूब धूम होती है, क्योंकि ये बेटी बड़ी होकर कमाई का जरिया बनती है। इस समुदाय में यदि कोई लड़का शादी करना चाहे तो उसे दहेज में 15 लाख रुपए देना अनिवार्य है। इस वजह से बांछड़ा समुदाय के अधिकांश लड़के कुंवारे ही रह जाते है।

*सीईओ को निरीक्षण में मिलीं अनियमितताएं, 6 पंचायत सचिवों पर गिरी निलंबन की गाज*

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*रायसेन।* *इंदिरा आवास, मनरेगा एवं शौचालय निर्माण कार्यों में अनियमितताओं की लंबे समय से मिल रहीं शिकायतों के चलते शुक्रवार को जिला पंचायत सीईओ ने ताबड़तोड़ कार्रवाई को अंजाम दिया। जिले के सिलवानी एवं बाड़ी जनपद की कई ग्राम पंचायतों का दौरा करते हुए सीईओ ने 6 पंचायत सचिवों सहित 1 समन्वयक अधिकारी को निलंबित कर दिया है। वहीं 3 सचिवों सहित 1 खण्ड समन्वयक अधिकारी को शोकाज नोटिस थमाए गए हैं। इसके अलावा एक सहायक यंत्री की वेतन वृद्धि भी रोकी गई है। सीईओ ने निरीक्षण के दौरान लापरवाही बरतने वाले सचिवों एवं अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए कार्यों में सुधार लाने की चेतावनी दी है। निलंबित किए गए पंचायत सचिवों का प्रभार रोजगार सहायकों को सौपा गया है।*

शुक्रवार को जिला पंचायत सीईओ स्वरोचिष सोमवंशी एवं जिला समन्वयक अधिकारी विनोद बघेल ने सिलवानी एवं बाड़ी जनपद पंचायतों का आकस्मिक दौरा किया। सीईओ ने निरीक्षण में पाया कि कई ग्राम पंचायतों में सचिवों द्वारा हितग्राही मूलक योजनाओं के क्रियान्वयन में भारी अनियमितताएं बरतीं गईं हैं। वहीं बाड़ी एवं सिलवानी जनपद में इंदिरा आवास योजना और स्वच्छ भारत मिशन की प्रगति संतोषजनक नहीं पाई गई। सीईओ ने बताया कि अनियमितिता बरतने वाले किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा, कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।

*6 सचिव निलम्बित*

सीईओ श्री सोमवंशी ने सिलवानी जनपद की ग्राम पंचायत पड़रिया कला के सचिव बाबूपुरी गोस्वामी एवं जसवंत सिंह लोधी को गुणवत्ता वहीन शौचालय निर्माण किए जाने एवं इंदिरा आवास योजना में हितग्राहियों को दूसरी किश्त जारी न करवाने के चलते निलंबित कर दिया गया है। वहीं ग्राम पंचायत दिलहारी के सचिव साहब सिंह लोधी एवं कस्बा बम्होरी के सचिव अंकित कुमार को कार्यों में सुधार लाने हेतु समझाईश दी गई। बाड़ी जनपद की ग्राम पंचायत भरतीपुर के सचिव भवानी शंकर शर्मा, ग्राम पंचायत भीमपुर कंजई के सचिव हल्के भैया, चौरा कमरोरा के सचिव नर्मदा प्रसाद उईके एवं ईंटखेड़ी के सचिव देवेन्द्र सिंह को भी मौके पर ही निलंबित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसी जनपद की ग्राम पंचायत धौंखेड़ा के सचिव प्रेमनारायण को भी कार्यों में सुधार हेतु समझाईश दी गई।

*इन पर भी गिरी निलंबन की गाज*

बाड़ी जनपद में इंदिरा आवास योजना के तहत हितग्राहियों को आवास निर्माण हेतु स्वीकृति प्रदान की गई थी। इस हेतु प्रथम किश्त की राशि हितग्राहियों को जारी कर दी गई किन्तु दूसरी किश्त जारी न होने से हितग्राहियों के आवास अब भी अधूरे पड़े हुए हैं। इस पूरे मामले में पंचायत समन्वयक अधिकारी उत्कुल रावत द्वारा बरतीं गईं अनियमितताएं खुलकर सामने आईं। सीईओ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए श्री रावत को निलंबित कर दिया। मनरेगा में सहायक यंत्री एके श्रीवास्तव की भी अनियमितताएं बरतने के चलते एक वेतनवृद्धि रोकी गई है। बाड़ी जनपद के खण्ड समन्वयक अधिकारी श्री जैन को शोकाज नोटिस जारी किया गया है। 

*गुणवत्ताहीन मिले शौचालय*

सिलवानी जपं के कई ग्रामों में शौचालय निर्माण की स्थिति अच्छी नहीं पाई गई। शौचालय तो बने पर गुणवत्ताविहीन। प्रभारी एई एससी काम्बले को कार्य में अनियमितताएं बरतने पर चेतावनी दी गई है। वहीं एपीओ लवकेश जकईवाल को मनरेगा कार्यों में अपेक्षित प्रगति एवं काफी समय से लंबित भुगतानों के चलते चेतावनी दी गई एवं तीन दिवसों में सभी लंबित भुगतानों को क्लीयर करने के निर्देश दिए गए।

*बच्चों के बीच पहुंचकर सिखाया किताबों पर कवर चढ़ाना*

जिला पंचायत सीईओ श्री सोमवंशी ने बाड़ी जनपद के ग्राम ईंटखेड़ी की शासकीय माध्यमिक शाला का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने बच्चों के बीच जमीन पर बैठकर बच्चों से बात की तथा उन्हें मन लगाकर पढऩे के लिए प्रेरित किया। इस दौरान उन्होंने बच्चों को अपनी किताबों पर कवर चढ़ाने की विधि सिखाई।

*जारी रहेगी कार्रवाई*

_"इंदिरा आवास योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन में बाड़ी एवं सिलवानी जनपद में कार्य प्रगति संतोष जनक नहीं है। आज लैगिंग जीपीएस में इंस्पेक्शन कर कार्रवाई की है। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।"_

*स्वरोचिष सोमवंशी, सीईओ जिला पंचायत , रायसेन*

Monday, June 20, 2016

कैसा होगा ‘शिव’ का मंत्रिमण्डल

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भोपाल। सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा हाल ही में जिस तरह से बार-बार संकेत दिए हैं, उससे माना जा रहा है कि इस माह के अंतिम सप्ताह में कभी भी मंत्रिमण्डल का पुर्नगठन हो सकता है जिसको लेकर राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। मंत्रिमण्डल पुर्नगठन में किसका कद बढ़ेगा और किसका कद घटेगा और कौन हटेगा इसको लेकर भी चर्चाएं तेजी हो गई हैं।

आकाओं की परिक्रमा

पुर्नगठन की अटकलों के शुरू होते ही लालबत्ती के दावेदारों ने पार्टी व संघ में मौजूद अपने आकाओं के चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चीन यात्रा पर हैं। वहां से लौटने के बाद ही मंत्रिमण्डल का स्वरूप तय होगा, लिहाजा दावेदार अपनी दावेदारी पुख्ता करने में लगे हंै। मंत्रिमण्डल को लेकर हालांकि पार्टी नेतृत्व एवं प्रदेश के नेताओं के साथ जरूरी कसरत शिवराज सिंह पहले ही कर चुके हैं। फिलहाल मंत्रिमंडल में 12 पद रिक्त हैं यदि कुछ मंत्री हटाए गए तो खाली पदों की संख्या और बढ़ सकती है। सूत्रों पर भरोसा करें तो 10 से 12 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

यह हो सकते हैं बाहर

– बाबूलाल गौर: उम्र 90 की ओर और आसार हैं और अपने बयानों के कारण सरकार को असहज करते रहते हैं।
– सरताज सिंह : भाजपा नेतृत्व द्वारा निर्धारित आयु सीमा पार कर चुके हैं, इसके साथ न पहले वन विभाग में परफारमेंस ठीक रहा और न अब लोनिवि में।
– ज्ञान सिंह : विभाग में पकड़ नहीं। बंगले में लेन देन को लेकर मारपीट की घटनाएं एवं निष्क्रियता बन सकती है कारण। शहडोल लोकसभा उप चुनाव के कारण बचा रह सकता है पद।

इनका बढ़ा रहेगा कद

-राजेंद्र शुक्ला : मुख्यमंत्री के नजदीक और अच्छा परफारमेंस। पर कम हो सकता है एक विभाग।
-गोपाल भार्गव: अच्छे परफारमेंस के कारण। विभागों में फेरदबल संभव।
-रामपाल सिंह : मुख्यमंत्री का खास होने के कारण एक विभाग और मिल सकता है।
-भूपेंद्र सिंह ठाकुर: मुख्यमंत्री के खास, अच्छी परफारमेंस। और बढ़ सकता है दायित्व।
-लाल सिंह आर्य : मुख्यमंत्री प्रमोशन कर केबिनेट मंत्री बना सकते हैं।

इनका भार होगा कम

डा. नरोत्तम मिश्रा: स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा तथा संसदीय कार्य में से दो विभाग वापस लिए जा सकते हैं। इनके पास आयुष, राहत तथा पुनर्वास व भोपाल गैस त्रासदी विभाग भी हैं। मुख्यमंत्री के संकट मोचक की वजह से बने रहेंगे ताकतवर।
-उमाशंकर गुप्ता: तकनीकी एवं उच्च शिक्षा में से एक विभाग वापस लिया जाएगा। गुप्ता के पास कौशल विकास विभाग भी है।
-यशोधरा राजे सिंधिया : वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग वापस लिया जा सकता है। इनके पास खेल एवं युवक कल्याण तथा धार्मिक न्यास व धर्मस्व विभाग भी हैं।
-जयंत मलैया : जल संसाधन विभाग वापस लिया जा सकता है। मलैया के पास वित्त, वाणिज्यिक कर, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग भी हैं।

ये भी कतार में

-ममता मीना (चाचौड़ा), मानवेंद्र सिंह (महाराजपुर), ललिता यादव (छतरपुर), शंकरलाल तिवारी (सतना), रेखा यादव (मलेहरा), संजय पाठक (विजयराघवगढ़), मीना सिंह (मानपुर), ओमप्रकाश धुर्वे (डिंडोरी), नानाभाऊ मोहोड़ (सौंसर), महेंद्र हार्डिया (इंदौर), राजेंद्र पांडेय (जावरा), कैलाश चावला (मनासा) एवं जगदीश देवड़ा (मल्हारगढ़)।
इन्हें मिल सकता है अवसर
-रुस्तम सिंह: रिटायर पुलिस अफसर पूर्व मंत्री रहे हैं। सर्मथकों के विवादों एवं झगड़ों के कारण कुर्सी दूर हो सकती है।
-अर्चना चिटनीस : पहले भी मंत्री रही हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृजमोहन मिश्र की पुत्री हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के साथ मतभेद राह का रोड़ा बन सकता है।
-रंजना बघेल: इससे पहले मंत्री रही हैं। कांग्रेस की आदिवासी नेत्री स्वर्गीय जमुना देवी के गढ़ में भाजपा को जीत दिलाई है। मंत्रिमंडल में पहले से और आदिवासी मंत्री होने के कारण नाम कट सकता है।
-चौधरी चंद्रभान सिंह: मंत्री रहे हैं र्और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के छिंदवाड़ा से विधायक हैं। अवसर मिल सकता है। छिंदवाड़ा से कोई मंत्री भी नहीं हैं।
-जयभान सिंह पवैया : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुखर विरोधी। हिंदू नेता की छवि की वजह से संघ की पसंद। यशोधराराजे सिंधिया से मतभेद रुकावट की वजह।
विश्वास सारंग: भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग के पुत्र। बाबूलाल गौर हटे तो उनकी जगह भोपाल से सबसे ज्यादा संभावना। कई नेता रोकने के लिए भी सक्रिय। सुरेंद्रनाथ सिंह मुख्यमंत्री की पसंद।
-केदारनाथ शुक्ल : पार्टी के वरिष्ठ नेता। सीधी में अजय सिंह राहुल को चुनौती देने के लिए अवसर मिलने के आसार।
-संजय शर्मा: नरसिंहपुर जिले से दूसरी बार विधायक। युवा एवं सक्रिय विधायक। मंत्री बनाकर प्रह्लाद पटेल एवं उनके भाई के कद को घटाने की कोशिश हो सकती है।
-निर्मला भूरिया: आदिवासी नेता स्वगीर्य दिलीप सिंह भूरिया की बेटी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया को रोकने दिया जा सकता है मौका।
-ओमप्रकाश सखलेचा: पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरेंद्र कुमार सखलेचा के पुत्र। सक्रिय विधायक। अन्य बड़े नेताओं के पुत्रों की तरह इन्हें भी अवसर संभव।
-केडी देशमुख : भाजपा के वरिष्ठ नेता। विधानसभा अध्यक्ष पद के भी दावेदार थे। जिले से मंत्री गौरीशंकर बिसेन की वजह से कट सकता है पत्ता।
-नीना वर्मा: भाजपा के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा की पत्नी एवं धार से लगातार दूसरी बार विधायक। विक्रम वर्मा कर रहे हैं मंत्री बनवाने के प्रयास।

जानें, स्कूटर चलाने वाला राम कृष्ण यादव कैसे बना बाबा रामदेव

Jun 20, 2016, 19:04 IST
नई दिल्ली। योग का नाम लिया जाए तो योग गुरु बाबा रामदेव का नाम सबके जेहन में आता है लेकिन कभी बाबा रामदेव के बारे में जानने की कोशिश नहीं की गई। बाबा रामदेव कहां से आए और उनका असली नाम क्‍या है।

आइये आज आपको बाबा रामदेव की सच्चाई से रुबरु कराते हैं।

राम कृष्ण यादव को योग ने बनाया बाबा रामदेव

पूरी दुनिया को योग का पाठ पढ़ाने वाले बाबा रामदेव का असली नाम राम कृष्ण यादव है। करीब 50 साल के बाबा का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ में हुआ था। इसी योग ने राम कृष्‍ण यादव को बाबा रामदेव बनाया।

बचपन से थी देशभक्ति की ललक

ऐसी खबरें मिली हैं कि बचपन में ही शहीद भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल की तस्वीरें देखकर रामदेव क्रांतिकारी बनने की सोचा करते थे। किसे पता था कि ये एक दिन देश में योग की क्रांति लाएंगे?

देश विदेश में कमाया नाम

यूं तो बाबा से पहले महर्षि महेश योगी और अयंगर जैसे योग गुरुओं ने दुनिया भर में योग का डंका बजाया है लेकिन योग को देह, स्वास्थ्य और सौंदर्य से जोड़ कर योग गुरु रामदेव ने योग की जो नई पैकेजिंग की है उसने उन्हें देश-विदेश में घर-घर तक पहुंचा दिया है। आज बाबा रामदेव योग के ब्रैंड एंबेसडर बन गए हैं।

बाबा रामदेव के जीवन मे योग का महत्‍व

बाबा ने खेत और खलिहान से लेकर हिमालय के बियाबान तक योग का एक लंबा सफर तय किया है लेकिन उनका योग, हिमालय की गुफाओं और कंदराओं में छिपा नहीं रहा। इसके बिल्कुल उलट टेलीविजन के रुपहले परदे पर उतर कर रामदेव का योग आम आदमी के बेडरुम तक भी जा पहुंचा है। बाबा रामदेव का प्रणायाम, अनुलोम विलोम और कपाल भाति आसन आज घर घर में लोग जानते हैं।

तकरीबन बीस साल पहले शुरु हुआ था सफर

करीब 20 साल पहले योग गुरु ने गुजरात में शिविर लगा कर योग सिखाने की शुरुआत की थी। साल 1995 में ही जब बाबा संन्यासी बने थे तब उनके योग गुरु शंकरदेव महाराज ने हरिद्वार में उन्हें और उनके दो दोस्तों बालकृष्ण और कर्मवीर के साथ मिल कर दिव्य योग ट्रस्ट की स्थापना की थी।

बाबा रामदेव चलाते थे स्‍कूटर

दिव्य योग ट्रस्ट उन दिनों हरियाणा और राजस्थान के शहरों में हर साल करीब पचास योग कैंप लगाता था उन दिनों बाबा को अक्सर हरिद्वार की सड़कों पर स्कूटर चलाते देखा जाता था।

साल 2002 से बदला जीवन

साल 2002 में गुरु शंकरदेव की खराब सेहत के चलते बाबा रामदेव दिव्य योग ट्रस्ट का चेहरा बने जबकि उनके दोस्त बालकृष्ण ने ट्रस्ट के फाइनेंस का जिम्मा संभाला और कर्मवीर को ट्रस्ट का प्रशासक बनाया गया था। इसके बाद से ही गुरुकुल के जमाने के ये तीनों दोस्त पतंजलि योगपीठ के आर्थिक साम्राज्य को आगे बढ़ा रहे हैं।

पंतजलि योगपीठ का लहरा रहा परचम

देश ही नहीं विदेश में भी पतंजलि योगपीठ का परचम लहरा रहा है। ब्रिटेन, अमेरिका, नेपाल, कनाडा और मॉरिशस में पतंजलि योगपीठ की दो दो शाखाएं हैं।

ग्राहकों को इस लड़की से ‘सेक्स’ करवाकर डील करता है ये बैंक

Jun 20, 2016, 17:19 IST
दुबई। दुनिया में कई बैंक हैं। सबकी अलग अलग पॉलिसी और स्कीम्स होती हैं। लेकिन एक बैंक ऐसा है जो बिलकुल अगल तरह का ऑफर दे रहा है। गोल्डमन सैक्स के बैंकर ने अपने क्लाइंट की खिदमत में रूसी सेक्स वर्कर को बुक किया था। रूसी सेक्स वर्कर मिशेला इस काम के लिए एक साल में करीब चार करोड़ 91 लाख तीस हजार रुपये तक कमाती हैं।


गोल्डमन सैक्स का बैंकर भी आया था

25 साल की रूसी महिला मिशेला ने यह बात खुद कबूली है। मिशेला ने कहा कि गोल्डमन सैक्स द्वारा उसे दुबई के एक होटल में लाया गया था। उस महिला के साथ गोल्डमन सैक्स का बैंकर और लिबियन इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी के एक अधिकारी का भाई भी था। मिशेल का पता इटली में एक विज्ञापन के जरिए चला था। विज्ञापन में उसने खुद को सेक्सी बताया था। लीबियन अथॉरिटी ने दावा किया कि 2008 में भारी नुकसान के बाद गोल्डमन ने यह सौदा किया था। विज्ञापन में मिशेल ने कहा था कि मैं रोमैटिंक और कामुक डेट्स के लेकर उत्सुक रहती हूं। पूरे जोश के साथ ऐसे पलों को मैं इंजॉय करती हूं।’ मिशेला ने अपनी तस्वीरें भी पेश की थीं।

इस दूसरे मामले में टीचर ने भेजी न्यूड फोटो

एक दूसरे मामले में 28 साल की महिला टीचर को पुलिस ने अरेस्ट किया था। इस टीचर ने स्वीकार किया था कि वह 14 साल के एक स्टूडेंट को अपनी न्यूड तस्वीर स्नैपचैट के जरिए भेजती थी। मेडसस नाम की यह टीचर बच्चों को इंग्लिश पढ़ाती थी। हालांकि वह लड़का महिला टीचर द्वारा भेजी गई न्यूड तस्वीर को डिलीट करने में सक्षम था लेकिन उसके एक दोस्त ने स्क्रीनशॉट ले लिया 

पत्नी दहेज नहीं लाई तो पति ने मुंह में ठूंसा लॉकेट, फिर पिला दिया पानी

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इंदौर। आए दिन पत्नी को पीटने वाले पति ने रात को पत्नी के मुंह में एक लॉकेट ठूंसा और फिर पानी पिला दिया। महिला के गले में लॉकेट अटक गया। वह सीधे मायके गई और परिवार वालों के साथ एमवायएच आई। डॉक्टर ने एक्सरे में लॉकेट गले में फंसा देख पुलिस को सूचना दी। उसका इलाज किया, लेकिन लॉकेट अभी निकला नहीं है। पुलिस ने दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कर पति को पकड़ लिया है।

भंवरकुआं पुलिस ने 19 वर्षीय लक्ष्मी मंसौरे की रिपोर्ट पर पति सुनील मंसौरे निवासी भोलाराम उस्ताद मार्ग के खिलाफ केस दर्ज किया है। लक्ष्मी ने पुलिस को बताया कि दोनों की शादी पांच फरवरी को हुई थी। कुछ दिन बाद से ही सुनील मारपीट करने लगा था। वह दहेज में दो लाख रुपए की मांग करता था। पत्नी का कहना था कि उसके माता-पिता भी मजदूरी करते हैं फिर वह कैसे दो लाख रुपए देंगे। शुक्रवार को भी उसने पीटा और फिर गले में पहना लॉकेट तोड़कर उसके मुंह में ठूंसा और ऊपर से पानी पिला दिया। काफी देर बाद वह पति के चंगुल से छुटकर सीधे लसूड़िया में रहने वाले मां-बाप के पास पहुंची। वे उसे अस्पताल लेकर आए। डॉक्टर ने देखा तो लॉकेट गले में अटका था। बाद में उसे काफी पानी पिलाया तो लॉकेट पेट में पहुंच गया। पत्नी का आरोप है कि पति उसे जान से मारना चाहता था।

शरीर के विभिन्न अंगों पर पाए जाने वाले तिलों का सामान्य फल इस प्रकार है।

✍🏻📋शरीर के विभिन्न अंगों पर पाए जाने वाले तिलों का सामान्य फल इस प्रकार है।⚫

१- ललाट पर तिल – ललाट के मध्य भाग में तिल निर्मल प्रेम की निशानी है। ललाट के दाहिने तरफ का तिल किसी विषय विशेष में निपुणता, किंतु बायीं तरफ का तिल फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है। ललाट या माथे के तिल के संबंध में एक मत यह भी है कि दायीं ओर का तिल धन वृद्धिकारक और बायीं तरफ का तिल घोर निराशापूर्ण जीवन का सूचक होता है।

२-  भौंहों पर तिल – यदि दोनों भौहों पर तिल हो तो जातक अकसर यात्रा करता रहता है। दाहिनी पर तिल सुखमय और बायीं पर तिल दुखमय दांपत्य जीवन का संकेत देता है।

३- आंख की पुतली पर तिल – दायीं पुतली पर तिल हो तो व्यक्ति के विचार उच्च होते हैं। बायीं पुतली पर तिल वालों के विचार कुत्सित होते हैं। पुतली पर तिल वाले लोग सामान्यत: भावुक होते हैं।

४-  पलकों पर तिल – आंख की पलकों पर तिल हो तो जातक संवेदनशील होता है। दायीं पलक पर तिल वाले बायीं वालों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होते हैं।

५-  आंख पर तिल – दायीं आंख पर तिल स्त्री से मेल होने का एवं बायीं आंख पर तिल स्त्री से अनबन होने का आभास देता है।

६-  कान पर तिल – कान पर तिल व्यक्ति के अल्पायु होने का संकेत देता है।

७- नाक पर तिल – नाक पर तिल हो तो व्यक्ति प्रतिभासंपन्न और सुखी होता है। महिलाओं की नाक पर तिल उनके सौभाग्यशाली होने का सूचक है।

८-  होंठ पर तिल – होंठ पर तिल वाले व्यक्ति बहुत प्रेमी हृदय होते हैं। यदि तिल होंठ के नीचे हो तो गरीबी छाई रहती है।

९- मुंह पर तिल – मुखमंडल के आसपास का तिल स्त्री तथा पुरुष दोनों के सुखी संपन्न एवं सज्जन होने के सूचक होते हैं। मुंह पर तिल व्यक्ति को भाग्य का धनी बनाता है। उसका जीवनसाथी सज्जन होता है।

१०-  गाल पर तिल – गाल पर लाल तिल शुभ फल देता है। बाएं गाल पर कृष्ण वर्ण तिल व्यक्ति को निर्धन, किंतु दाएं गाल पर धनी बनाता है।

११-  जबड़े पर तिल – जबड़े पर तिल हो तो स्वास्थ्य की अनुकूलता और प्रतिकूलता निरंतर बनी रहती है।
ठोड़ी पर तिल – जिस स्त्री की ठोड़ी पर तिल होता है, उसमें मिलनसारिता की कमी होती है।

१२-  कंधों पर तिल – दाएं कंधे पर तिल का होना दृढ़ता तथा बाएं कंधे पर तिल का होना तुनकमिजाजी का सूचक होता है।

१३-  दाहिनी भुजा पर तिल – ऐसे तिल वाला जातक प्रतिष्ठित व बुद्धिमान होता है। लोग उसका आदर करते हैं।

१४-  बायीं भुजा पर तिल – बायीं भुजा पर तिल हो तो व्यक्ति झगड़ालू होता है। उसका सर्वत्र निरादर होता है। उसकी बुद्धि कुत्सित होती है।

१५-  कोहनी पर तिल – कोहनी पर तिल का पाया जाना विद्वता का सूचक है।

१६-  हाथों पर तिल – जिसके हाथों पर तिल होते हैं वह चालाक होता है। गुरु क्षेत्र में तिल हो तो सन्मार्गी होता है। दायीं हथेली पर तिल हो तो बलवान और दायीं हथेली के पृष्ठ भाग में हो तो धनवान होता है। बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक खर्चीला तथा बायीं हथेली के पृष्ठ भाग पर तिल हो तो कंजूस होता है।

१७-  अंगूठे पर तिल – अंगूठे पर तिल हो तो व्यक्ति कार्यकुशल, व्यवहार कुशल तथा न्यायप्रिय होता है।

१८-  तर्जनी पर तिल – जिसकी तर्जनी पर तिल हो, वह विद्यावान, गुणवान और धनवान किंतु शत्रुओं से पीड़ित होता है।

१९-  मध्यमा पर तिल – मध्यमा पर तिल उत्तम फलदायी होता है। व्यक्ति सुखी होता है। उसका जीवन शांतिपूर्ण होता है।

२०-  अनामिका पर तिल – जिसकी अनामिका पर तिल हो तो वह ज्ञानी, यशस्वी, धनी और पराक्रमी होता है।
कनिष्ठा पर तिल – कनिष्ठा पर तिल हो तो वह व्यक्ति संपत्तिवान होता है, किंतु उसका जीवन दुखमय होता है।

२१-  जिसकी हथेली में तिल मुठ्ठी में बंद होता है वह बहुत भाग्यशाली होता है लेकिन यह सिर्फ एक भ्रांति है। हथेली में होने वाला हर तिल शुभ नहीं होता कुछ अशुभ फल देने वाले भी होते हैं।

२२-  सूर्य पर्वत मतलब रिंग फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति समाज में कलंकित होता है। किसी की गवाही की जमानत उल्टी अपने पर नुकसान देती है। नौकरी में पद से हटाया जाना और व्यापार में घाटा होता है। मान- सम्मान पर प्रभावित होता है और नेत्र संबंधित रोग तंग करते हैं।

२३- बुध पर्वत यानी लिटिल फिंगर के नीचे के क्षेत्र पर तिल हो तो व्यक्ति को व्यापार में हानि उठानी पड़ती है। ऐसा व्यक्ति हिसाब-किताब व गणित में धोखा खाता है और दिमागी रूप से कमजोर होता है।

२४-  लिटिल फिंगर के नीचे वाला क्षेत्र जो हथेली के अंतिम छोर पर यानी मणिबंध से ऊपर का क्षेत्र जो चंद्र क्षेत्र कहलाता है, इस क्षेत्र पर यदि तिल हो तो ऐसे व्यक्ति के विवाह में देरी होती है। प्रेम में लगातार असफलता मिलती है। माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।

२५-  गले पर तिल – गले पर तिल वाला जातक आरामतलब होता है। गले पर सामने की ओर तिल हो तो जातक के घर मित्रों का जमावड़ा लगा रहता है। मित्र सच्चे होते हैं। गले के पृष्ठ भाग पर तिल होने पर जातक कर्मठ होता है।

२६-  छाती पर तिल – छाती पर दाहिनी ओर तिल का होना शुभ होता है। ऐसी स्त्री पूर्ण अनुरागिनी होती है। पुरुष भाग्यशाली होते हैं। शिथिलता छाई रहती है। छाती पर बायीं ओर तिल रहने से भार्या पक्ष की ओर से असहयोग की संभावना बनी रहती है। छाती के मध्य का तिल सुखी जीवन दर्शाता है। यदि किसी स्त्री के हृदय पर तिल हो तो वह सौभाग्यवती होती है।

२७- कमर पर तिल – यदि किसी व्यक्ति की कमर पर तिल होता है तो उस व्यक्ति की जिंदगी सदा परेशानियों से घिरी रहती है।

२८-  पीठ पर तिल – पीठ पर तिल हो तो जातक भौतिकवादी, महत्वाकांक्षी एवं रोमांटिक हो सकता है। वह भ्रमणशील भी हो सकता है। ऐसे लोग धनोपार्जन भी खूब करते हैं और खर्च भी खुलकर करते हैं। वायु तत्व के होने के कारण ये धन संचय नहीं कर पाते।

२९-  पेट पर तिल – पेट पर तिल हो तो व्यक्ति चटोरा होता है। ऐसा व्यक्ति भोजन का शौकीन व मिष्ठान्न प्रेमी होता है। उसे दूसरों को खिलाने की इच्छा कम रहती है।

३०-  घुटनों पर तिल – दाहिने घुटने पर तिल होने से गृहस्थ जीवन सुखमय और बायें पर होने से दांपत्य जीवन दुखमय होता है।

३१-  पैरों पर तिल – पैरों पर तिल हो तो जीवन में भटकाव रहता है। ऐसा व्यक्ति यात्राओं का शौकीन होता है। दाएं पैर पर तिल हो तो यात्राएं सोद्देश्य और बाएं पर हो तो निरुद्देश्य होती हैं।
समुद्र विज्ञान के अनुसार जिनके पांवों में तिल का चिन्ह होता है उन्हें अपने जीवन में अधिक यात्रा करनी पड़ती है। दाएं पांव की एड़ी अथवा अंगूठे पर तिल होने का एक शुभ फल यह माना जाता है कि व्यक्ति विदेश यात्रा करेगा। लेकिन तिल अगर बायें पांव में हो तो ऐसे व्यक्ति बिना उद्देश्य जहां-तहां भटकते रहते हैं।

🍃जय श्री कृष्ण🍃
📕भागवताचार्य पं सोमनाथ शर्मा📕

प्रधामन्त्री के सपनो कुचल रहे इंजीनियर सरपंच सचिव ?

( संजय भरद्वाज द्वारा )
Toc News
छिंदवाड़ा ।। एक ओर देश के प्रधानमन्त्री देश में स्वच्छ भारत अभियान चला रहे है और करोड़ो रूपये हर जिले को लगातार भेज रहे है ताकि गांव गांव में शौचालय बनाये जाये और भारत के हर नागरिको स्वच्छता के दायरे में लाया जा सके ।
    किन्तु ये दुर्भाग्य है कि उन्ही की पार्टी की सरकार म0प्र0 में होने के बाद भी स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत शौचालय निर्माण में हो रहे भृष्टाचार को क्यों नही रोक पा रहे है ? क्या भष्टाचारियो को इनका --------है ?
  वही दूसरी ओर फर्जी ओ डी एफ को बढ़ावा दिया जा रहा है कभी सुबह 5 से 7 बजे के बीच उन गांव का दौरा कर देख ले ? जिन्हें ओ डी एफ घोषित किया है ? सच सामने होगा ? क्या ऐसा कर पायेगे ?
 क्या प्रधानमन्त्री के उस नारे को सच कर पायेगे ? जिसमे उन्होंने कहा था ? ना खाऊँगा ना खाने दूँगा ?
      क्या जिला भाजपा कोई जाँच दल बना कर स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत शौचालय निर्माण की जाँच की कराएगी ?
      क्या जिला प्रशासन इस दिशा में कभी कोई ठोस कार्यवाही कर पायेगा ? या हमेशा की तरह लीपापोती में लगा रहेगा ? और भृष्टाचरियो को खुला आशिर्वाद देते रहेगा ?

शादी का झांसा देकर करता रहा यौन शोषण

Toc News
बिरसिंहपुर पाली उमरिया। जिले के बिरसिंहपुर पाली थाना अंतर्गत एक गांव में 16 वर्षीय नाबालिग युवती को शादी का झांसा देकर उसके साथ कई दिनों तक दैहिक शोषण किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। पीडि़त युवती के पिता की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी युवक राजेन्द्र बैगा पिता मैकू बैगा निवासी रोझिल थाना चंदिया को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी को गिरफ्तार करने में एसआईटी का उल्लेखनीय योगदान रहा।

बहलाकर ले गया अपने साथ
इस बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार चंदिया थाना अंतर्गत ग्राम रोझिन निवासी राजेन्द्र बैगा पाली ने एक नाबालिग युवती को बरगलाकर अपने साथ ले गया था। आरोपी उस लड़की को लेकर कई शहरों में घूमता रहा और इस दौरान कई बार उसका दैहिक शोषण किया। जब आरोपी का मन भर गया तो वह उससे शादी करने से मुकर गया।

पिता ने की थी शिकायत
पीडि़त लड़की के पिता ने पुलिस थाने में राजेन्द्र बैगा के खिलाफ नामजद शिकायत की थी। जिस पर पुलिस ने उसके विरुद्घ धारा 376, 506 के तहत मामला पंजीबद्घ कर मामले की विवेचना शुरू की। गत दिवस एसआईटी टीम ने आरोपी को पकड़कर उसे चंगुल से लड़की को मुक्त कराया।

Sunday, June 19, 2016

स्माल एवं मध्यम समाचार पत्रों को खत्म करने की साजि

नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नई विज्ञापन नीति जारी की है। इस विज्ञापन नीति के लागू हो जाने के बाद देश के 80 से 90 फ़ीसदी लघु एवं मध्यम श्रेणी के भाषाई समाचार पत्र विज्ञापन के अभाव में बंद हो जाएंगे। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जो नई अंकीय व्यवस्था लागू की है। उसके बाद लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को केंद्र एवं राज्य सरकारों के विज्ञापन मिलना संभव ही नहीं होगा। डीएवीपी ने जो नई नीति जारी की है उसमें अंकों के आधार पर समाचार पत्रों को विज्ञापन सूची में वरीयता क्रम में विज्ञापन देने के लिए चयन करने की बात कही गई है। सूचना प्रसारण मंत्रालय के डीएव्हीपी द्वारा दिनांक 15 जून को जो पत्र जारी किया गया है उसमें एबीसी और आरएनआई का प्रमाण पत्र 25 हजार प्रसार संख्या से अधिक वाले समाचार पत्रों के लिए अनिवार्य किया गया है । इसके लिए 25 अंक रखे गए हैं । इसी तरह कर्मचारियों की पीएफ अंशदान पर 20 अंक रखे गए हैं । समाचार पत्र की पृ… संख्या के आधार पर 20 अंक निर्धारित किए गए हैं। समाचार पत्र द्वारा जिन 3 एजेंसियों के लिए 15 अंक निर्धारित किए गए हैं। स्वयं की प्रिंटिंग प्रेस होने पर 10 अंक और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की प्रसार संख्या के आधार पर फीस जमा करने पर 10 अंक दिए गए हैं । इस तरह 100 अंक का वर्गीकरण किया गया है, जो वर्तमान में 90 फीसदी लघु एवं मध्यम समाचार पत्र पूरा नहीं कर सकते हैं।

इस नई विज्ञापन नीति के लागू होने के बाद बड़े राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक समाचार पत्रों को ही अब केंद्र एवं राज्य सरकारों के विज्ञापन जारी हो सकेंगे। लघु एवं मध्यम श्रेणी के समाचार पत्र डीएवीपी की विज्ञापन सूची से या तो बाहर हो जाएंगे या उन्हें साल में 15 अगस्त 26 जनवरी के ही विज्ञापन मिल पाएंगे। सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा विज्ञापन नीति 2016 के अनुसार 25 हजार से ऊपर प्रसार संख्या वाले समाचार पत्रों को 30 जून तक नई विज्ञापन नीति के अनुरूप ऑनलाइन जानकारी भरने को कहा गया है। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि जिन समाचार पत्रों को 45 अंक से कम प्राप्त होंगे, उन समाचार पत्रों को विज्ञापन सूची से पृथक किया जा सकता है। नई विज्ञापन नीति में डीएवीपी देश के 90 फीसदी भाषाई समाचार पत्र डीएवीपी की विज्ञापन सूची से बाहर हो जाएंगे।

     

-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात

केंद्र एवं राज्य सरकारें विज्ञापन के बल पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को पूरी तरह नियंत्रित कर पाने में सफल हुई हैं। अब यही प्रयोग प्रिंट मीडिया पर लागू किया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जो नई विज्ञापन नीति जारी की गई है। उसके लागू होने के बाद देशभर के राष्ट्रीय स्तर के करीब एक दर्जन समाचार-पत्र तथा प्रादेशिक स्तर के लगभग 100 समाचार पत्र ही अब केंद्र सरकार के विज्ञापनों पर प्राथमिकता से हक अधिकार रख पाएंगे। डीएवीपी व्यवसायिक दृष्टि को अपनाते हुए केवल उन्हीं समाचार पत्रों को विज्ञापन जारी करेगी जिनकी पृ‰ संख्या काफी ज्यादा है और काफी बड़े समाचार पत्र हैं। उन्हें ही विज्ञापन जारी करेगी। सरकार की इस नीति से भाषाई अखबार जो बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रदेशों से भाषा के आधार पर कई दशकों से प्रसारित हो रहे हैं और उनका जनमानस में बहुत बड़ा असर है। अब इनको विज्ञापन मिलना संभव नहीं होगा ।



-डीएवीपी को आधार मानती है देश की सभी राज्य सरकारें

डीएवीपी के रेट को आधार मानकर राज्यों में उन्हीं समाचार पत्रों को विज्ञापन प्राथमिकता से जारी करते हैं जो डीएवीपी की सूची में दर्ज है । उनके रेट डीएवीपी ने मान्य किए हैं। नई नीति में देश के 90 फीसदी लघु एवं मध्यम श्रेणी के समाचार पत्र अब सूची से बाहर हो जाएंगे। इस स्थिति में उन्हें राज्य सरकारों के विज्ञापन भी नहीं मिल पाएंगे ।



-सुनियोजित षड्यंत्र

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा 2016 में जारी की गई है। नीति में षडय़ंत्र की बू आ रही है। समाचार पत्र संचालकों के अनुसार इसमें मात्र तीन समाचार एजेंसी को मान्यता दी है। जबकि पिछले 10 वर्षों में भाषाई एजेंसियां बड़े पैमाने पर काम कर रही हैं। उनकी सेवाएं हजारों समाचार पत्र ले रहे हैं। उन्हें नई नीति में अनदेखा किया गया है।

6000 से 75000 की प्रसार संख्या वाले समाचार पत्रों के लिए अभी तक सीए (चार्टर्ड एकाउन्टेंट) का प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य था। नई नीति में 25000 से 75000 तक के समाचार पत्रों को एबीसी अथवा आरएनआई से प्रसार संख्या प्रमाणित कराने की अनिवार्यता रखी गई है। मात्र 15 दिनों के अंदर यह प्रमाण पत्र प्राप्त कर पाना किसी भी समाचार पत्र के लिए संभव नहीं है । एबीसी और आरएनआई के लिए भी हजारों समाचार पत्रों की प्रसार संख्या का ऑडिट कर पाना संभव भी नहीं है। नई व्यवस्था में जान-बूझकर इस तरीके के प्रावधान रखे गए हैं जो लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों द्वारा न तो पूरे किए जा सकते हैं ना ही उन पर लागू होते हैं । ऐसी स्थिति में नए नियमों में 25000 से 75000 संख्या वाले समाचार पत्रों को 25 से 30 अंक मिलना भी संभव नहीं होगा। डीएवीपी ने न्यूनतम 45 अंक अनिवार्य किया है। लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों द्वारा इस नीति का व्यापक विरोध किया जा रहा है। समाचार एजेंसी को कई प्रादेशिक संगठनों एवं समाचार पत्र संचालकों द्वारा बताया गया है कि यह नीति स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति पर अभी तक का सबसे बड़ा आघात माना जा सकता है। कई समाचार पत्र मालिकों ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि बड़े-बड़े कारपोरेट घरानों का यह एक बहुत बड़ा षडयंत्र है। जिस तरह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर विज्ञापन देकर सरकारों ने अपना नियंत्रण कर लिया है। उसी तरह अब प्रिंट मीडिया को नियंत्रित करने भाषाई अखबारों को समाप्त करने का षड्यंत्र रचा गया है । जिसका भारी विरोध समाचार पत्र संचालक कर रहे हैं । इस नीति के लागू होने से देश के लगभग 1 लाख पत्रकारों के बेरोजगार होने की संभावना बन गई है।

संगोष्ठी में नही पहुंचे पुलिस के अधिकारी, पत्रकारो के जवाबो से पुलिस का डर उजागर

''अपराध नियंत्रण में पुलिस और प्रेस की भूमिका'' पर आयोजित संगोष्ठी में नही पहुंचे पुलिस के अधिकारी, पत्रकारो के जवाबो से पुलिस का डर उजागर
Toc news
नीमच। पत्रकार संघर्ष समिति नीमच द्वारा आयोजित ''अपराध नियंत्रण में पुलिस और प्रेस की भूमिका'' विषय पर आयोजित संघोष्ठि के आयोजन में पुलिस का कोई भी अधिकारी उपस्थित नही हुआ जब की नीमच, मन्दसौर एवं  प्रतापगड़ जिलो के पुलिस अधीक्षक को इसमें उपस्थित होना था। यहाँ विदित हो की आयोजन समिति ने  आयोजन से पूर्व उक्त तीनो अधिकारियो से समय लेने के बाद आयोजन रखा था ऐसे में पुलिस अधिकारियों का उपस्थित न होने पर आयोजन में कई प्रकार के सवाल उठाए गए। आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद रामावत ने अधिकारियो के उपस्थित न होने पर कहा की यह अधिकारियों  का दुर्भाग्य है जो वह इस आयोजन में उपस्थित नही हो सके। पत्रकार वर्मा ने अपराध नियंत्रण में पुलिस की विफलता पर सवाल उठाते हुए कहा की पुलिस अपराध नियंत्रण में विफल रही है और मात्र आंकड़ो में उलझाकर जनता को गुमराह करती रही है। युवा साथी अभय भारद्वाज ने कहा की लगातार हो रहे डोडाचूरा कांड और चोरियों में लम्बे अंतराल के बाद भी एक भी घटना को पुलिस उजागर नही कर पाई है और उनके जहन में यह रहा होगा की अपराध नियंत्रण की इस संघोष्ठि में इन बड़ी मछलियो के कांड से जुड़े सवाल अगर पत्रकारो की तरफ से दागे गए तो यकीनन हम जवाब न दे पाए और हमारी किरकिरी हो जाए अतः इस आयोजन से उन्होंने दुरी बनाए रखने में ही भलाई समझी। अपराध नियंत्रण के सम्बन्ध में आयोजित संघोष्ठि में पुलिस की अनुपस्थिति एक बड़ा विषय है सभी अधिकारियों का एक साथ न पहुंचना पुलिस के विफलता के चलते डर से सीधे तोर पर जुड़ता नजर आ रहा है ऐसे में पुलिस से किस तरह अपेक्षा की जा सकती है ? अनुशासन का दूसरा नाम कहे जाने वाली पुलिस के अधिकारियों का समय देने के बावजूद इस तरह अनुपस्थित रहना उचित है ? प्रशासन और पुलिस के एक बुलावे पर हाजिरी देने वाले और शासन, प्रशासन पुलिस की आवाज और योजनाओं को जनता तक पहुंचाने वाले पत्रकारों को समय देकर आयोजन करवाने वाली पुलिस पत्रकारो के साथ इस तरह का व्यवहार कर पुलिस क्या सिद्ध करना चाहती है ? वहीँ दूसरा सबसे बड़ा कारण है जिला जनसम्पर्क अधिकारी जगदीश मालवीय का उदासीन रवय्या जो एक तरफ शासन,प्रशासन और पुलिस अधिकारियो की आवाज  जनता तक पहुंचाने में जिनकी मदद लेते है और सरकार ने जिनको पत्रकारो के अधिकारो की रक्षा के लिए तैनात किया है उस अधिकारी का पत्रकारो के साथ खड़ा न होना उनकी ओछी मानसिकता को दर्शाता है। जिला जनसम्पर्क अधिकारी का और दूसरी और एक साथ सभी अधिकारियों का एक साथ वयस्त होने का हवाला देना भी हजम नही हो रहा है इसका सीधा सीधा एक ही मतलब है तमाम स्तर पर प्रशासनिक अमले का विफल होना और पत्रकारो के सवालो के जवाब इनके पास न होना जिसके चलते इन्होंने इस प्रकार के गैरजिम्मेदाराना कृत्य को अंजाम दिया है। पत्रकार संघोष्ठि का आयोजन नीमच के जमुनिया कला के पास स्थित सज्जन बाग़ रिसोर्ट पर किया गया जिसमे नीमच, मन्दसौर और प्रतापगढ़ के 70-80 की संख्या में पत्रकार साथी उपस्थित रहे संघोष्ठि के पश्चात सहभोज का आयोजन रखा गया जिसमें सभी साथियो ने एक साथ मिलकर सहभोज किया।

लाखों दिलों पर छुरी चलाने वाली बॉलीवुड एक्‍ट्रेस ममता कुलकर्णी ड्रग्‍स माफिया

Present by - toc news
मुंबई। एक जमाने में अपनी अदाओं से लाखों दिलों पर छुरी चलाने वाली बॉलीवुड एक्‍ट्रेस ममता कुलकर्णी का ड्रग्‍स, दुबई और डॉन (3D) कनेक्‍शन मामले में पुलिस ने एक सनसनीखेज दावा किया है। पुलिस को ड्रग्स रैकेट मामले में ममता कुलकर्णी के खिलाफ सबूत मिले हैं और अब पुलिस ने इन्हें आरोपी बनाया है।  ममता कुलकर्णी का खुलासा: ड्रग्‍स स्‍मगलर विकी मेरा पति नहीं लिव इन पार्टनर है
 
पुलिस ने दावा किया है कि महाराष्ट्र के सोलापुर के जिस फार्मा कंपनी से 2 हजार करोड़ की ड्रग्स जब्त की गई थी उस कंपनी में ममता कुलकर्णी को डायरेक्टर बनाने की कोशिश चल रही थी। खबर यह भी है कि ममता कुलकर्णी और उनके पति कम लिव इन पार्टनर विक्की गोस्वामी को ड्रग्स तस्करी मामले में पूछताछ के लिए अफ्रीकी देश केन्या में हिरासत में लिया है।
कसम खाकर कह रहा हूं ममता कुलकर्णी मेरी पत्‍नी नहीं है: विकी गोस्‍वामी
यह गिरफ्तारी पिछले रविवार को यूनाइटेड स्टेट ड्रग इनफोर्समेंट एजेंसी (डीईए) और मोम्बासा पुलिस विभाग ने की है। गिरफ्तार हुए लोगों में सबसे बड़ा नाम बकताश अकाशा का है, जो केन्या का सबसे बदनाम ड्रग माफिया है। इसके अलावा मारे जा चुके ड्रग तस्कर इब्राहिम अकाशा का बेटा भी गिरफ्तार किया गया है।
खुलासा: पति के साथ मिलकर ड्रग्स बेचने का धंधा करती हैं अभिनेत्री ममता कुलकर्णी!
ममता कुलकर्णी के पति विकी को बकताश अकाशा का अहम सहयोगी बताया जा रहा है।अमेरिकी एजेंसियों की जांच में सामने आया कि Avon life sciences कंपनी के बड़े अधिकारी ममता को इस फर्म में डायरेक्टर बनाने वाले थे, साथ ही ममता कुलकर्णी के रोल के बारे में भी कई सबूत यूएस एजेंसियों ने ठाणे पुलिस को सौंपे हैं। इन्हीं सबूतों के आधार पर अब पुलिस ने ममता को इस मामले में आरोपी बनाया है।
आपको बताते चलें कि आज ठाणे पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सिंह ने बताया कि 12 अप्रैल 2016 को 2 हजार करोड़ की ड्रग्स जब्त की गई थी। अब तक 10 आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। ममता कुलकर्णी हमारे केस में आरोपी है।

कोर्ट के सामने दो आरोपियों ने बयान दिया है कि केन्या में हुई मीटिंग में ममता भी थी। मीटिंग काफी देर तक चली थी। ड्रग्स को कैसे हिंदुस्तान से लाया जाए, बाजारों में कैसे बेचा जाए जैसे कई बातों पर चर्चा हुई। कंपनी के 2 करोड़ में से 11 लाख शेयर ममता के नाम पर ट्रांसफर करने पर सहमति बनी थी, इससे वो डायरेक्टर बन जाती।

जेल में हड़कंप, 2 हजार कैदी हैं बंद

Toc news
जबलपुर. सेन्ट्रल जेल में पिछले दो दिनों से चल रहे कैदियों की भूख हड़ताल ने जेल प्रशासन की नींद उड़ा दी है। कैदियों का आरोप है कि उनको जो खाना मिल रहा है वह बेहद घटिया है और उन्हें बाहर से जो खाने का  सामान आता था, वह भी नहीं आने दिया जा रहा है।

यही नहीं उनकी रोजमर्रा की जरूरत का सामान जिसमें साबुन, कपड़े, चप्पल जैसी चींजे भी उन तक नहीं पहुंच रही हैं। दो हजार कैदियों में से पहले दो दर्जन से अधिक कैदियों ने भूख हड़ताल की, लेकिन जब दूसरे दिन इनकी संख्या बढ़ने लगी तो जेल प्रशासन के कान खड़े हुए । जेल प्रशासन ने आनन-फानन में कैदियों के एक प्रतिनिधि मंडल को बुलाकर बातचीत कर मामले को शांत करने की कोशिश की । अधिकांश कैदियों को  जेल प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि भोजन की व्यवस्था में सुधार किया जाएगा। इसके अलावा कैदियों को जांच के नाम पर परेशान नहीं किया जाएगा। कैदियों का आरोप है कि एक-दो  कैदी के पास मोबाइल हो सकता है, लेकिन उसके लिए सभी कैदियों को परेशान किया जा रहा है।

मुलाकात में दिक्कत
जेल प्रशासन की सख्ती के अलावा कैदियों ने मुलाकात की व्यवस्थाओं पर भी रोष प्रगट किया है। उनका आरोप है कि जांच पड़ताल  के बाद भी अलग से मुलाकात की कोई व्यवस्था नहीं है। एक कैदी जब तक खिड़की से नहीं हटता है, दूसरे को मुलाकात का मौका नहीं मिलता है। इस चक्कर में कैदियों को अपने परिचितों और परिवार जनों से बातचीत भी ठीक से नहीं हो पाती है।

रोजा अफ्तार का इंतजार
कई कैदियों में इस बात को लेकर असंतोष है कि  रोजा अफ्तार का आयोजन हर बार होता है, लेकिन इस बार रोजा अफ्तार की भी इजाजत नहीं दी गई है। कुछ कैदियों को तो सभी प्रकार की सुविधाएं हैं, लेकिन सामान्य कैदियों के लिए तरह-तरह की बंदिशें लगाई गई हैं।

ऊपर से आदेश
इस समय जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल किए जाने तथा कैदियों के पास मोबाइल बैटरी पहुंचाने की  कोशिश के बाद से जांच व्यवस्था सख्त की गई है।

दो दिनों से कैदियों की कुछ समस्याएं थी
जेल में भूख हड़ताल जैसी स्थिति तो नहीं थी, लेकिन दो दिनों से कैदियों की कुछ समस्याएं थी । इस मामले में समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया गया है।
अलका सोनकर, जेल अधीक्षक

Saturday, June 18, 2016

विकास के दूत है हमारे कलेक्टर स्वतंत्र कुमार

Present by - toc News
*💥 विकास के दूत है हमारे कलेक्टर... अभी जिले को है इनकी बहुत जरूरत...!*
 *💥 जो काम सालों से नही हुए... वो काम कलेक्टर साहब ने चन्द महीनों में ही पुरे कर दिए...!*
 *💥 इन नेताओं के चक्कर में ये कलेक्टर चले गए... तो समझो मन्दसौर जिले के विकास कार्य... 20 साल पीछे गए...?*
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*मन्दसौर। ( उमेश नेक्स, क्रांतिकारी रिपोर्टर )
कहते है लोकतन्त्र में लोगों का ख्याल रख कर हर काम किया जाता है... लेकिन ऐसा हमारे मन्दसौर जिले में तो नजर नही आता है... यहाँ निजी दुश्मनी निकालने के चक्कर में आम जनता का नुकसान कर दिया जाता है...! हमारे जिले के विकासवादी सोच के धनी... अति संवेदनशील कलेक्टर स्वतंत्र कुमार साहब जब से मन्दसौर जिले में आये है... तब से इस जिले के विकास की रफ़्तार मोदी जी की बुलेट ट्रेन से भी तेज हो गयी है... जो काम वर्षो से अधूरे पड़े थे वे काम आज न सिर्फ पुरे हुए बल्कि मन्दसौर की पहचान बन गए है...*
        बावजूद इसके कुछ नेता अपनी चलाने के चक्कर में जिले की जनता का नुकसान करने पर आतुर है... कलेक्टर साहब का ट्रांसफर करवाने के चक्कर में है...! मुझे तो यह समझ में नही आता है कि जितने भी विकास जिले में हो रहे है... वे शिवराज सरकार की सोच और मद्दत से ही हो रहे है... या फिर भाजपा नेता यह मानते है कि कलेक्टर साहब बिहार के नितीश कुमार या पश्चिम बंगाल की ममता बेनर्जी से फंड ला कर जिले में विकास कर रहे है...! जो भाजपा के कुछ लोग इतने विकास के बाद भी कलेक्टर का सम्मान करने की बजाये उनके पीछे पड़े हुए है...?
         जिले के इतने विकास का फायदा... आज और कल शिवराज सरकार और भाजपा को ही मिलेगा... तो फिर क्यों भाजपा के लोग ही कलेक्टर साहब को घेर रहे है... खुद ने तेरह सालों की भाजपा सरकार में तेरह काम ठीक से नही किये... और आज जब कलेक्टर साहब ने एक दो साल में 13 साल से विकास की आस में बेठे लोगों की आस को पूरा किया तो आप उन्ही के पीछे पड़ गए हो... कलेक्टर साहब तो कही भी जायेंगे... कलेक्टर बन कर ही रहेंगे... अपनी विकासवादी सोच को ही आगे बढ़ाएंगे... उनको यहाँ से जाने में कोई नुकसान नही है... इनके जाने से तो... इस जिले और इसके लोगो का ही नुकसान है... जो कतई उचित नही है... जनता सब देख रही है...!
        मै उमको कलेक्टर का नही... बल्कि विकास का विरोधी मानता हु... और उनसे सिर्फ इतना ही कहना चाहता हु... कि कलेक्टर साहब विपक्ष के नेता नही बल्कि आप ही की शिवराज सरकार का हिस्सा है... उनसे फायदा जनता के साथ आपका भी है... फिर भी आपको कोई गलतफैमी हो तो... आप किसी सर्वे कम्पनी से एक बार सर्वे करवा कर... मन्दसौर जिले के किसी भी बड़े लोकप्रिय नेता से कलेक्टर साहब की तुलना करवा लीजिये... और आम जनता की राय पूछ लीजिये... आपको पता चल जायेगा कि जनता की आम राय में कलेक्टर साहब किसी भी नेता के मुकाबले आज भी सबसे आगे है...! लेकिन वे नेता नही बल्कि सच्चे सेवक है... और जनता उनकी जी तोड़ मेहनत वाली सेवा देख रही है...          
         कुछ लोग मेरे लिखने पर सोच रहे होंगे कि इस क्रांतिकारी रिपोर्टर को क्या हो गया... ये कलेक्टर स्वतंत्र कुमार के इतने गुणगान क्यों गा रहा...? तो मै उन्हें इतना ही कहना चाहता हु... कि अगर आज इस जिले से ये कलेक्टर साहब चले जाते है तो... उनको इससे कोई नुकसान नही होगा... वो तो जहाँ भी जायेंगे कलेक्टर ही बन कर बैठेंगे... किन्तु इनके जाने से इस जिले का बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है... फिर से इस जिले का विकास 20 साल पीछे जाने वाला है...! जितनी भी योजनाओं पर कलेक्टर साहब काम कर रहे है... वो फिर से धरि की धरि रह जाना है... कोई जनता की भलाई में इतना ध्यान नही देगा... कोई भोपाल से लेकर दिल्ली तक जिले के विकास में इतना प्रयास नही करेगा... और फिर से मेरा मन्दसौर विकास की आस में सालों तक युही बेठा रहेगा...! इस लिए क्रांतिकारी रिपोर्टर ये सब लिख रहा है... और जिसे जिले का हर आदमी 100% सही समझता है...  इस लिए कलेक्टर साहब के विरोधी यह समझ ले... कि वे कलेक्टर का विरोध नही कर रहे है... बल्कि जिले के विकास का विरोध कर रहे है... शिवराज सरकार के विकासवादी सोच का विरोध कर रहे है... जनता के भले का विरोध कर रहे है... और जो वे कर रहे है... वो गलत है... जिसे वे जनता की भलाई के लिए समझ ले... क्रांतिकारी रिपोर्टर का जिले की जनता की और उनसे यही छोटा सा निवेदन है...    
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*आप भी ऐसी खबर दे सकते है और ले सकते है... व्हाट्स एप्प न. 9893221036 को अपने ग्रुप में एड करके या उक्त नम्बर पर खबर दे कर....*
       

Thursday, June 16, 2016

""तीन हज़ार की रिश्वत लेते लोकायुक्त की टीम ने अतिरिक्त तहसीलदार के बाबू अशोक गोहिया रंगे हाथों पकड़ा।""

Toc news

होशंगाबाद जिले की तहसील कार्यालय में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी को दोपहर लगभग 1:15 बजे गुरुवार को तहसील कार्यालय में अचानक लोकायुक्त की आठ सदस्य टीम ने छापामार कार्यवाही कर अतिरिक्त तहसीलदार के बाबू अशोक गोहिया निवासी रामनगर कालोनी को तीन हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। लोकायुक्त की यह कार्यवाही कासखेड़ा निवासी नितेन्द्र चौरे की शिकायत पर की गई। लोकायुक्त टीआई अमरीश बोहरे ने बताया कि शिकायतकर्ता नितेन्द्र चौरे से नामांतरण मामले में पांच हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी। मामला चार हजार में तय हुआ था। जिसमें शिकायतकर्ता ने एक हजार रुपये एडवांस दिये थे।और तीन हजार रुपये गुरूवार को तय किया गया था। बाबू को तीन हजार रुपये देते समय लोकायुक्त टीम में रंगे हाथों पकड़ा है। रिश्वत की राशि लेने के बाद कैमिकल से हाथ धुलाएं जिसमें हाथ में लगा कैमिकल में हाथ गुलाबी होना शुरु हो गए।  मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। अतिरिक्त तहसीलदार के बाबू अशोक गोहिया को जमानत रिहा किया गया।

दारू पीने वालों के मजेदार झटके.... चुटकुले हंसी मजाक

🍺🍻🍺...दारू पीने वालों के मजेदार झटके.....

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1.एक शराबी दारू पी पी कर मर गया
लेकिन उसकी दारू के प्रति श्रद्धा तो देखो :~
वो मर के भी यह कह गया ...
शराब तो ठीक थी !.!
पर मेरा लिवर ही कमज़ोर निकला.

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2.एक शराबी साधू से टकरा गया तो साधू बोला :- "अर मूर्ख, मैं तुझे श्राप देता हूं."
शराबी -: "बाबाजी रुको, मुझे गिलास ले आने दो।"

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3.उपदेशक :- "अगर गधे को शराब और पानी दोनों पीने को दिये जाये तो गधा क्या पियेगा."
शराबी :- "जाहिर है पानी पियेगा."
उपदेशक -: "क्यों ?"
शराबी :- "क्योंकि वो गधा है।"

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4.शराबी को शुद्ध दारू पीता देख अमेरिकन बोला :- "पानी तो मिला लो।"
शराबी :- "हम इंडियन हैं इतना पानी तो दारू देख के ही मुंह में आ जाता है।"

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5.पुलिस (शराबी से) :- "रात के 1 बजे तुम कहां जा रहे हो ?"
शराबी (पुलिस से) :- "मैं शराब पीने के दुष्परिणाम पर भाषण सुनने जा रहा हूं।"
पुलिस (शराबी से) :- "इतनी रात मैं तुम्हे कौन भाषण देगा ?"
शराबी :- "मेरी बीवी।"

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6.एक शराबी एयरपोर्ट के बाहर खड़ा था।
एक वर्दीधारी युवक उधर से गुजरा। शराबी ने उससे कहा :- "एक टैक्सी ले आओ।"
युवक :- "मैं पायलट हूं, टैक्सी ड्राइवर नही।"
शराबी :- "नाराज क्यों होते हो भाई ? तो एक हवाई जहाज ले आओ।"

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7.शराबी :- "गरम क्या है ?"
वेटर :- चाउमीन.
शराबी :- और गरम ?
वेटर :- सूप.
शराबी :- और गरम ?
वेटर :- उबलता पानी.
शराबी :- और गरम ?
वेटर :- आग का गोला है साले.
शराबी :- लेकर आओ, बीड़ी जलानी है.

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8.पंजाबी शादी की पार्टी में डीजे ने पूछा :- कब तक बजाना है ?
मेजबान :- 8-10 पैग तक बजा लो, उसके बाद तो ये सब जनरेटर की आवाज पर भी नाच लेंगें।

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9.शराबी दरवाजे पे दस्तक देता है ? उसकी बीवी दरवाजा खोलती है।
शराबी :-कौन हैं आप?
बीवी :- मुझे भूल गए।
शराबी :- नशा हर गम को भुला देता है बहन.

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10. पियक्कड़ों ने दारू पीके एक टैक्सी रोकी और कहा :- चल।
टैक्सी चालक ने गाड़ी शूरू की
और फिर बंद कर दी.
बोला :- ये लो साब हम पहुँच गए
पहले ने उसे पैसे दे दिए.
दूसरे ने बोला :- धन्यवाद.
तीसरे ने एक थप्पड़ दिया और बोला :- आराम से चलाया कर ...
मरवा देता आज.

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11.एक शराबी लेट कर गाने गा रहा था.
2-3 गाने गा कर वो उलटा लेटकर गाने लगा...
दूसरा शराबी :- यार उलटा लेट कर गाने क्यूं गाने लगा।
शराबी :- Pehle साइड A थी अब B बी साइड है।

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12.एक शराबी आंखें दान करने गया, काउंटर क्लर्क ने कहा :- कुछ कहना चाहते हो ?
शराबी :- जिसे लगाओ उसे बता देना कि दो घूंट बाद खुलती है।

😄 😀 😃 😉 😆 😅 😂

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डियर' पर भड़कने वाली स्मृति ईरानी ने खुद को बताया 'आंटी नेशनल'

Toc news

मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी के साथ अपने 'ट्विटर वार' को अब फेसबुक पर ले आई हैं. 'डियर विवाद' पर स्मृति ने अपने फेसबुक पेज पर लंबा जवाब दिया है. दिलचस्प बात यह है अपने जवाब में अंत में उन्होंने खुद को 'आंटी नेशनल' बताया है.

बता दें कि बीते दिनों एक अंग्रेजी अखबार में स्मृति ईरानी को 'आंटी नेशनल' से संबोधित किया गया था. ईरानी ने फेसबुक पर लिखा है कि उनकी परवरिश मध्यम वर्गीय परिवार में हुई है. उन्होंने लिखा है, 'बड़ी होती लड़कियों को सिखाया जाता था कि लड़के अगर छेड़ते भी हैं तो उनका जवाब मत दो क्योंकि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा. उन्होंने लड़कियों से कहा कि सिर झुकाने की जगह ऊपर देख कर बोलना शुरू करो.'

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लेकिन वह तब भी कुछ विद्रोही होती थीं, जो सवाल करती थीं कि क्यों नहीं बोलें, क्यों मुंह बंद रखें. बता दें है कि ट्व‍िटर पर अशोक चौधरी के स्मृति को 'डियर' कहकर संबोधि‍त किया था, जिस पर वह भड़क गईं. स्मृति इरानी ने अपनी पोस्ट में उस मानसिकता का जिक्र किया है, जिसमें औरत की मेहनत के बाद भी लोग उस पर आरोप लगाते हैं.

पार्क में आपत्तिजनक हालत में मिले युवक - युवतियाँ

इंदौर के रीजनल पार्क में पुलिस का छापा ,  आपत्तिजनक हालत में मिले युवक - युवतियाँ, पार्क के सामने पहले भी था अय्याशी का अड्डा 
Present by - toc news
इंदौर के रीजनल पार्क में पुलिस ने आज दिन में क़रीब ४ बजे छापा मारा, जंहा से संदिग्ध अवस्था में युवक - युवतियों को पकड़ा गया ।


पुलिस को देखकर युवक युवतियां इधर - उधर भागने लगे , कई दिनों से पार्क में आने वाले लोगों की शिकायतें मिल रही थी की, रीजनल पार्क में लड़के-लड़कियाँ अश्लील अवस्था में रहते है । जिससे परिवार के लोग पार्क में शर्मिंदगी महसूस करते है। जिसको लेकर आज महिला पुलिस ने छापामार कार्यवाही की और संदिग्ध अवस्था में जोड़ो को पकड़ा ।

पार्क के सामने था अय्याशी का अड्डा :
रीजनल पार्क के सामने अवैध तरीके से चल रहे रेस्टोरेंट-ढाबे कलेक्टर पी. नरहरी के निर्देश के बाद प्रशासन की टीम ने क़रीब एक साल पहलें तोड़ दिए थे । रहवासियों ने यहां लंबे समय से अनैतिक गतिविधियां चलने के बारे में बताया था ।

सूत्रों के अनुसार उस समय राजेंद्र नगर थाने की चोइथराम मंडी बीट व बीट क्रमांक तीन के कुछ पुलिसकर्मीयों पर इसे संरक्षण देने के आरोप भी लगे थे ।
डीआईजी संतोष कुमार सिंह ने सीएसपी अन्नपूर्णा को जांच के आदेश भी दिए थे ।

‌300 से 500 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से दिए जाते थे कमरे : रीजनल पार्क के सामने बने रेस्टोरेंट ओर ढाबों से अधिकारियों ने जो दस्तावेज व रजिस्टर जब्त किए थे उनकी जांच में यहां कमरे 300 से 500 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से दिए जाते थे। जहां अनैतिक गतिविधियां संचालित की जाती थी।
अब एक बार फिर दबे पाव यहाँ वही हालत बनते हुए दिखाई दे रहे हे ।

व्यापमं घोटाला: न्याय के मंदिर में तैनात हैं फर्जीवाड़े के आरोपी, ये रही लिस्ट

Present by - toc news
भोपाल। टायपिंग और स्टेनो परीक्षा 2013 में फर्जीवाड़ा कर पास हुए 6 आरोपी मप्र के विभिन्न जिलों में न्यायालयों में पदस्थ हैं। इतना ही नहीं ऐसे ही 8 आरोपी सीने पर खाकी ताने पुलिस कानून की रक्षा करते भी मिल जाएंगे।

यह खुलासा एसटीएफ की जांच में हुआ है। एसटीएफ ने ऐसे 15 आरोपियों की सूची बनाई है, जिन्होंने टायपिंग और स्टेनो की परीक्षा न सिर्फ पैसे देकर पास की, बल्कि सरकारी नौकरियां भी हासिल कर ली हैं। एसटीएफ अब इन सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाएगी। इसके बाद सभी की गिरफ्तारी होगी। मालूम हो फर्जी जाति प्रमाण-पत्र लगाकर नौकरी पाने का यह मामला व्यापमं के बाद मप्र का दूसरा सबसे बड़ा घोटाला है।


200 से ज्यादा मामले आ सकते हैं सामने

एसटीएफ के अधिकारियों के अनुसार एसटीएफ ने टायपिंग और स्टेनो परीक्षा की 2946 कॉपियां जब्त की थी, इसमें करीब 600 लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं। अब तक की जांच में इन 15 के अलावा एसटीएफ को 250 से 300 लोगों के (जिन्होंने फर्जी तरीके से स्टेनो और टायपिंग पास की) सरकारी नौकरी में काम करने की आशंका है। इन सभी पर 14 अप्रैल 2013 और 21 अप्रैल 2013 को अंग्रेजी शॉर्ट हैंड और हिंदी टायपिंग की परीक्षा में पैसा देकर पास होने का आरोप है।

इस तरह हुआ खुलासा
व्यापमं द्वारा आयोजित एएसआई और कोर्ट में स्टेनोग्राफर की परीक्षा की परीक्षा वर्ष 2013 में हुई थी। इसमें चयनित अभ्यर्थियों की मार्कशीट की सत्यता के लिए डीपीआई को पत्र भेजा गया। डीपीआई यह लिस्ट एसटीएफ को दे दी क्योंकि उसके पास वर्ष 2013 के संदिग्ध अभ्यर्थियों का रिकॉर्ड था। एसटीएफ ने जब लिस्ट की जांच की तो 15 अभ्यर्थियों के नाम सामने आए।

कौन-कहां पदस्थ

1- वीरेश शर्मा--------स्टेनो ग्राफर-----जिला न्यायालय भोपाल

2- सुनिता मैथिल, सहायक ग्रेड 3, आभासी विालय पठानी भोपाल, आदिम जाति कल्याण विभाग

3- शेख इबराना-------स्टेनोग्राफर----जिला न्यायालय भोपाल

4- अभिषेक पिप्पल----एएसआई स्टेनो--एएसपी कार्यालय दतिया

5- पारूल चौहान-----स्टेनो-----सीआईडी ग्वालियर

6- मोहम्मद गुलाम अंसारी----एएसआई स्टेनो---जिला पुलिस बल, रीवा

7- इमाम खान----सहायक ग्रेड 3---डीजे कोर्ट, दमोह

8- अतीकुर्रहमान---एलडीसी---जिला न्यायालय दमोह

9- अनुराधा तिवारी---स्टेनो---5वीं वाहिनी विसबल मुरैना

10- मनीषा गहलोत---क्लर्क--विधि विभाग

11- रवि कटारिया---एएसआई---26वीं वाहिनी विसबल गुना

12- भारती तिवारी---एएसआई---पीएचक्यू भोपाल

13-उत्तम सिंह चौहान---क्लर्क---पीएचक्यू अकाउंट शाखा

14- रमेश कुमार गौतम---ड्राइवर---सिवनी जिला न्यायाधीश का ड्राइवर

15- विनय अहिरवार---एएसआई---रीवा

लोकायुक्त के आरोपी सचदेवा को बिजली कंपनी का नया सीजीएम बनाने की तैयारी

अवधेश पुरोहित @ ttoc news
भोपाल। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भले यह दावा करते हों कि न खाएंगे और न खाने देंगे लेकिन मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के इस मामले में नीति कुछ अलग ही है, यहां खाओ और खाने दो की नीति पर यह शासन चल रहा है। शायद यही वजह है कि इस सरकार के सत्ताधीशों की पहली पसंद भ्रष्ट अधिकारी हैं और ऐसे अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप होने के बावजूद भी उन्हें पदोन्नतियां देना या मलाईदार विभाग पर बैठाने में यह सरकार पीछे नहीं रहती है शायद यही वजह है कि बिजली कंपनी के ग्वालियर रीजन के नए मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) एमके सचदेवा बनने जा रहे हैं।

उनके खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार को लेकर जांच शुरु हो चुकी है। इसी जांच को लेकर पहले भी उसकी नियुक्ति नहीं हो पाई थी, लेकिन अब उनकी नियुक्ति को लेकर स्थिति साफ बताई जा रही है। गौरतलब है कि पूर्व मुख्य महाप्रबंधक कप्तान सिंह के सेवानिवृत्ति होने के बाद वरिष्ठता के क्रम में कंपनी के महाप्रबंधक ए सके त्रिवेदी का नंबर था, पर अब सचदेवा को ग्वालियर रीजन का मुख्य महाप्रंधक बनाया जा रहा है।
सचदेवा की पदोन्नति से रीजन के अधिकारी खुश नहीं थे इसलिए उनके आने से पहले ही उनके विरोध में बगावत के सुर बुलंद हो गए तथा इसी बीच उनके खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत दर्ज हो गई जिसमें उनके कार्यकाल में मुरैना में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोप को सामने लाया गया था।

अधिकारियों में सचदेवा के प्रति विरोध एवं उन पर लोकायुक्त की जांच शुरू होने के डर से एमडी पोरवाल ने उनको ग्वालियर रीजन का मुख्य महाप्रबंधक, नहीं बनाया था तथा इस विरोध को थमने के लिए कंपनी के सबसे वरिष्ठ एवं शांत स्वभाव के महाप्रबंधक एसके उपाध्याय को होशंगाबाद से लाकर ग्वालियर रीजन का मुख्य महाप्रबंधक बना दिया। उपाध्याय के मुख्य महाप्रबंधक बनने के बाद सचदेवा के आने की संभावनाएं लगभग खत्म हो चुकी थीं इसलिए फिर से कंपनी में शांति छा गई और विरोध खत्म हो गया था। कंपनी  प्रबंधन के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी में ईमानदार अधिकारियों की कमी नहीं है उन्हें इस पद पर बैठाया जा सकता है, लेकिन एमडी पोरवाल एसके सचदेवा को ही लाना चाहते हैं। नियमानुसार जिस अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले लोकायुक्त में जांच चल रही हो उसे जिम्मेदार पद पर नहीं बिठाया जा सकता है।

उदाहरण के रूप में डॉ. अयंगर जो प्रदेश के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन हैं तथा उनके खिलाफ लोकायुक्त में जांच चल रही है तथा ईओडब्ल्यू में भी जांच चल रही है उनको प्रशासन में जीआरएमसी के डीन पद पर पदस्थ कर दिया था जिस पर उनके खिलाफ गुरुचरण सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी उन्हें जांच के दौरान डीन जैसे महत्वपूर्ण पद पर नहीं बैठाया जाना था लेकिन क्यों बैठाया गया इस पर उच्च न्यायालय की  ग्वालियर खण्डपीठ ने गत दिवस आखिरी मौका देते हुए १५ दिन के अन्दर जवाब पेश करने का आदेश जारी किया इस मामले को देखते हुए कम्पनी के अधिकारी न्यायालय में भी याचिका लगाने की तैयारी कर चुके हैं इसके बाद भी कम्पनी जिसमें बाद में कम्पनी की फजीहत होना तय माना जा रहा है।  

" न्यायालय की मर्यादा भाग - 2"

चिंतन- गिरीश सक्सेना जिला आगर मालवा
9407428628, 7047008515

" न्यायालय की मर्यादा भाग - 2"

 कल जब मैंने न्यायलय की मर्यादा बनाए रखने के बारे में लिखा तब कई लोगो के मेरे पास विचार आए जिसमे से कई ऐसे थे जिनका कहना था की न्याय व्यवस्था में हमारे लोगो का प्रतिनिधित्व नहीं हे इसलिए हमारे साथ नाइंसाफी ही होती हे ।
     मेरा उनसे कहना हे की कम से कम न्याय व्यवस्था को जात पात की संकीर्ण सोच से दूर रख सिर्फ योग्यता के आधार पर ही खड़ा रहने दीजिए क्योकि यदि इस जात पात की फिलासफी पर चला गया तो फिर एक जात का व्यक्ति कभी नहीं चाहेगा की उसका प्रकरण दूसरी जात के न्यायाधीश के यहाँ चले और फिर संकीर्णता बढेगी तब हर परिवार को अपने अपने निजी न्यायालयों की आवश्यकता होगी । अब आप अपने दिल पर हाथ रख कर सोचिए कि क्या आप हमेशा ही अपने माता पिता के न्याय से संतुष्ट थे नहीं ना तो फिर ये संकीर्णता छोड़ना ही उचित होगा क्योकि इसकी कोई सीमा नहीं होती ।
एक बात और जब न्याय के पद पर बैठने वाले की नियुक्ति सिर्फ उसकी योग्यता के बल पर नहीं बलक़ी इस आधार पर भी होगी की वह अमुक जाती और वर्ग का हे तो स्वभाविक रूप से उसका झुकाव न्याय से अधिक उस वर्ग की तरफ होगा जिससे वह आया हे क्योकि आज वह उस वर्ग का होने के कारण ही इस कुर्सी पर बैठा हे और परिणाम स्वरूप वह न्याय करने से अधिक अपनी जाती और वर्ग का हित साधने का प्रयास करेगा ।
तात्पर्य यह हे की न्याय की कुर्सी पर बैठने वाले की नियुक्ति सिर्फ और सिर्फ योग्यता के आधार पर ही होना चाहिए फिर वह चाहे जिस धर्म वर्ग या जाती से आए ।
ऐसा नहीं होने पर हर न्यायिक निर्णय को शंका की निगाह से देखा जाएगा और उसमे हर वह व्यक्ति जिसके खिलाफ निर्णय आता हे उसे न्याय की दृस्टि से नहीं जात, पात की दृस्टि से देखेगा और ऐसे में भी न्यायालय की मर्यादा को बनाए रखना लगभग असंभव ही होगा ।
और यदि किसी वर्ग को लगता हे की न्याय व्यवस्था में उनकी जाती के लोगो का प्रतिनिधित्व नहीं हे तो मुझे लगता हे उस जाती के लोगो को वह समस्त प्रयास करना चाहिए जिससे उनकी जाती या वर्ग के लोग अपने प्रतिद्वंदियों को पछाड़ते हुए उस मुकाम पर पहूँचे और आत्मविश्वास से लबरेज हो के कह सके हम अपनी योग्यता के दम पर यहाँ आए हे किसी के भरोसे नहीं इसलिए हम यहाँ किसी का अहसान नहीं चुकाएंगे सिर्फ और सिर्फ न्याय करेंगे ।
रही बात कोलेजियम सिस्टम की तो एक शंकालु व्यक्ति हर समय शंका कर सकता हे क्योकि वो सिस्टम में तो होता नहीं हे सिर्फ अपने वर्ग का ही प्रतिनिधित्व चाहता हे तो वह जो सोच रहा हे वह भी सही हो सकता हे और जो सोचना नहीं चाहता वह भी सही हो सकता हे ।
में स्पस्ट कर दू की यहाँ में किसी का पक्ष नहीं ले रहा सिर्फ समानता और योग्यता की बात कर रहा हूँ और मेरे ये विचार सिर्फ न्यायालय के संदर्भ में ही हे और में मानता हूँ की स्वस्थ जड़ से उगा हुआ पौधा ही सभी को स्वस्थ रख सकता हे ।
क्या आप सहमत हे ?
प्रणाम 🙏

" यदि न्यायलयों की मर्यादा भी भंग कर दी गई तो फिर ये देश भी भंग हो जाएगा "

चिंतन- गिरीश सक्सेना जिला आगर मालवा
9407428628, 7047008515

" यदि न्यायलयों की मर्यादा भी भंग कर दी गई तो फिर ये देश भी भंग हो जाएगा "

          भारत एक लोकतान्त्रिक देश हे अर्थात एक ऐसा देश जिसमे वही होता हे जिसे ज्यादातर लोग करना चाहेे, यहाँ वहीँ सत्य हे जिसे ज्यादातर लोग सत्य कहे ।
आपको लग रहा होगा में लोकतंत्र का विरोध कर रहा हूँ पर ऐसा नहीं हे । पर यह भी सत्य हे कि हर व्यवस्था के कुछ नकारात्म पहलू होते हे उसी तरह लोकतंत्र का भी उपरोक्त एक नकारात्मक पहलू हे ।
लोकतंत्र से वहां तो देश मजबूत हो सकता हे जहाँ के देशवासी जिनमे राजनेता भी हे अपने परिवार, समाज से भी ऊपर देश हित को रखते हो पर जब देश हित से ऊपर परिवार और समाज हो जाए तो फिर यही लोकतंत्र देश के लिए नासूर बन सकता हे ।
बड़े दुःख की बात हे कि अभी कुछ वर्षो से हमारे देश में भी कुछ ऐसे घटनाक्रम सामने आ रहे हे जहाँ राजनेताओ और नागरिको ने देश हित की सोच को तिलांजलि देते हुए अपनी  हित साधना को ही सर्वोपरि रखा हे । शायद वे सोच रहे हे कि जब देश के अस्तित्व पर संकट आएगा तभी देशभक्ति कर लेंगे ।
     अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को ही ले लीजिए जिस समय यह प्रदेश अजाक्स और अपाक्स के संघर्ष में उलझा हुआ हे और न्यायालय अपना कार्य कर रहा हे वहां ऐसे जिम्मेदार पद पर बेठे व्यक्ति द्वारा एक वर्ग को खुश करने के लिए ऐसे बयान देना जिससे उस वर्ग विशेष के मन में न्यायालय का सम्मान ही समाप्त हो जाए या दूसरे शब्दों में कहा जाए की एक वर्ग विशेष में इस प्रकार का आक्रोश भरना की यदि तुम्हारे पक्ष में हो तो सब सही और तुम्हारे पक्ष में ना हो तो सब गलत और आप चिंता ना करे में और मेरी सरकार सबसे ऊपर हे कहाँ तक उचित हे ।
     हमारे लोकतंत्र में एक मात्र न्यायालय ही हे जो वास्तविक सत्य और असत्य के मध्य भेद करता हे उसे उससे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि सत्य को कहने वाले कितने हे और असत्य को कहने वाले कितने ।
   जैसा की हम सभी जानते हे की मानव मन लालची होता हे और इसलिए ही उसे कितना भी मिल जाए वह कम लगता हे और इसी कारण वह अधिक और अधिक की चाहत में दोडता रहता हे तथा अपने इसी  स्वार्थ की पूर्ती हेतू हजारो तर्क वितरकों से इस प्रकार लेस रहता हे मानो मुँह में शब्द नहीं मशीनगन लगा राखी हो ।
यही कारण हे की जब तक परिवार में पिता,माता अथवा बुजुर्ग की मर्यादा का बंधन होता हे परिवार संगठित रहता हे और उनकी मर्यादा के भंग होते ही अक्सर परिवार बिखर जाता हे ।
इसी प्रकार हमारे देश के लोकतंत्र में सर्वोच्च न्यायालय या उसके अधीनस्थ न्यायलय माता, पिता और दादा के समान हे । यदि हमने उनकी मर्यादा भंग की तो फिर तय मानिये से स्वार्थी मन इस देश की कीमत पर भी सिर्फ
अपना हित साधेगा ।
इसलिए हमें प्रण लेना होगा की चाहे कुछ भी हो जाए हम न्यायलय की मर्यादा को कभी भंग नहीं होने देगे क्योकि हमारे देश के लिए यही सही हे और इसलिए ही न्यायलय को कानूनों की समीक्षा का भी अधिकार दिया गया हे क्योकि यही एक संस्था हे जो निःस्वार्थ भाव से सत्य को सत्य और गलत को गलत कह सकती हे वरना जनप्रतिनिधियो की मजबूरियो और उनके स्वार्थ से तो हम सब अच्छे से वाकिफ हे ही ।
आप क्या सोचते हे ?
प्रणाम 🙏

एक सैंकड़ा विधानसभा सीटों के लिए जोड़तोड़ शुरू

अवधेश पुरोहित @ Toc News
 भोपाल। हालांकि अभी राज्य में विधानसभा के चुनाव होने में काफी समय बाकी है, लेकिन आदिवासी बाहुल्य झाबुआ के संसदीय क्षेत्र के इतिहास में पहली बार हुए उपचुनाव में प्रदेश भाजपा को जो करारी हार तो मिली ही है तो वहीं आदिवासियों ने भाजपा नेताओं को आइना दिखाने का काम भी किया था। उसी से सबक लेकर अब बात प्रदेश भाजपा के नेता राज्य की १०० विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं को प्रभावित करने के लिये अभी से गोटियां बैठाना शुरू कर दी है राज्य की इन १०० सीटों पर जहां अनुसूचित जनजाति के मतदताओं के वोट निर्णायक स्थिति में होते हैं तो वहीं इसमें से ४७ विधानसभा क्षेत्र जो कि अजजा के लिये आरक्षित हैं हालांकि उसमें से भाजपा के पास ३२ विधानसभा सीटों पर कब्जा है तो वहीं कांग्रेस के पास १५ सीटों हैं, इनमें से एक सीट भाजपा के बागी कालङ्क्षसह भंवर के पास है हालांकि झाबुआ-रतलाम लोकसभा उपचुनाव में आदिवासी मतदताओं ने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को जीत का सेहरा पहनाया था इसी तरह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित ३४ सीटों में से २७ सीटों पर भाजपा का कब्जा है, मात्र चार सीटें कांग्रेस के कब्जे में हैं और तीन सीटें बसपा के खाते में हैं। इसके अलावा १९-२० सीटें ऐसी हैं जहां पर अजजा के मतदाताओं की निर्णायक भूमिका रहती है। इन्हीं सब गुणाभाग में उलझी भाजपा, कांग्रेस और बसपा के नेता अभी से इन सीटों पर बनाए रखने की तैयारी में लगे हुए हैं। झाबुआ में मिली करारी हार के बाद भाजपा अब ऐसा क ोई मौका नहीं छोडऩा चाहती जिसकी वजह से उसे कुछ परेशानी हो। यूँ तो प्रदेश में जबसे शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता संभाली है तबसे लेकर आज तक कुछ ऐसे योग बने हैं कि चुनाव आयोग एक  उपचुनाव करा पाता है कि उसके समाप्त होते ही दूसरे उपचुनाव की तैयारी का सिलसिला शुरू हो जाता है यानि कुल मिलाकर शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान उपचुनाव कराने का सिलसिला हर दो-चार महीने के बाद चल निकला, यह कब थमेगा इस तरह का दावा कोई कर नहीं सकता।  

शिक्षकों की कमी के चलते प्रारंभ हो रहा नया शिक्षण सत्र

अवधेश पुरोहित @ Present by - Toc News
(हिन्द न्यूज सर्विस)। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी का असर इस वर्ष भी दिखेगा। नया शिक्षा सत्र शुय होने में सिर्फ दो दिन शेष हैं, लेकिन शिक्षकों की व्यवस्था इस साल भी नहीं हो सकी है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी अतिथि शिक्षक की व्यवस्था करने की बात कह रहे हैं, लेकिन हालात यह है कि १६ जून से नया सत्र शुरू हो रहा है और अब तक स्कूलों की सूची भी जिला कार्यालयों में नहीं पहुंच सकी है। प्रदेश में करीब एक लाख २४ हजार सरकारी स्कूल हैं। इनमें करीब पांच लाख ६५  पदस्थ हैं, लेकिन इस वर्ष इनमें से कई के तबादले हो गए, तो कुछ रिटायर होने के कारण पद खाली हुए हैं। शिक्षा विभाग के रिकार्ड अनुसार स्कूलों में ६० हजार के करीब शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जबकि सूत्रों का कहना है कि सिर्फ मिडिल एवं प्राइमरी स्कूलों में ही करीब ७० हजार शिक्षकों की कमी बनी हुई है। सरकारी स्कूलों का स्तर गिरने के कारण छात्र-छात्राओं की संख्या में लागातार गिरावट आ रही है। हालत यह है कि प्रदेश में संचालित करीब ८५ हजार मिडिल एवं प्राइमरी स्कूलों में से करीब १३ हजार स्कूल ऐसे हैं, जिनमें विद्यार्थियों की संख् या २५ से ३० है। शहरी क्षेत्रों में स्थिति और भी खराब है। एजुकेशन पोर्टल पर दर्ज संख्या के अनुसार भोपाल जिले में कुछ स्कूला ऐसे हैं जिनमें बच्चों की संख्या दस से १२ ही है। वहीं ११ कक्षा में भी छात्रों की संख्या ५० फीसदी तक कम है। प्रदेश में दो लाख ५० हजार अध्यापक, ४० हजार संविदा शिक्षक, दो लाख ७५ हजार नियमित सहायक शिक्षक, एक लाख २१ हजार स्कूल तथा शिक्षकों की कमी ६० हजार है। राज्य शिखा केन्द्र के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में ऐसे प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल जिनमें छात्र संख्या क्रमश: २० औरा दस से कम है, उनकेा अन्य स्कूलों में मर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। प्रदेश के टॉप सरकारी स्कूलों में गिने जाने वाले ५० एक्सीलेंस (उत्कृष्ट) एवं ब्लॉक में खोले गए २०१ मॉडल स्कूलों में भी शिक्षक नहीं हैं। इन स्कूलों में विषय विशेषज्ञों की कमी लम्बे समय से बनी हुई है । इन स्कूलों में हर साल अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था की जाती है। हालांकि जैसा सरकार की तरफ से हमेशा अव्यवस्थाओं को लेकर जिस तरह के आश्वासन मिलते हैं वैसा ही कुछ इस मामले में राज्य के उच्च शिक्षा एवं स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी का कहना है कि जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं यहां अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था की जाएगी। वहीं संवदिा शिक्षक भर्ती की  तैयारी भी की जा रही है।  

Wednesday, June 15, 2016

मन्दसौर जिले में घटता राजनीति का स्तर वर्तमान राजनैतिक और प्रशासनिक घटनाक्रम और हालात

Present by - toc news
नरेंद्र धनोतिया की सटीक टिप्पणी।।
मन्दसौर- मन्दसौर जिले का इतिहास गौरवशाली रहा हे,सम्राट यशोधर्मन से लगाकर आज तक मन्दसौर में जितने भी शासक रहे हे, चाहे वो प्रशासनिक क्षेत्र से हो या राजनैतिक रूप से ,कुछ अपवादों को छोड़कर सब ने अपना बेहतर किया और करने का प्रयास किया हे। आजादी के लिए भी मन्दसौर के शूरवीरों ने अंग्रेजों से लोहा लिया हे।आजादी के बाद मन्दसौर जिले की राजनीति में कई ऐसे व्यक्ति आये जिन्होंने प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर अपने अपने क्षेत्र में मन्दसौर जिले का नाम रोशन किया हे।संक्षेप में इस गौरवशाली जिले की भूमिका से अवगत करवाते हुए मै सीधे आपको मन्दसौर जिले के वर्तमान राजनैतिक,प्रशासनिक,सामाजिक और क़ानून व्यवस्था को सामने रखने की कोशिश करता हूँ।
लंबे अरसे से मन्दसौर जिले में मुख्यतः कांग्रेस और भाजपा का सत्ता में अस्तित्व रहा हे,ज्यादातर समय कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही हे,पहले जनसंघ और अब भाजपा ने विपक्ष की भूमिका निभाई और 2003 से लगातार मध्यप्रदेश में भाजपा का शासन रहा हे।भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले मन्दसौर जिले में भी एक सुवासरा विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी सब जगह बीजेपी के विधायक हे,मोदी लहर में सांसद भी कांग्रेस को परास्त कर बीजेपी के बन गए।पंचायत से लगाकर सांसद तक सब जगह बीजेपी ही बीजेपी काबिज हो गई।कांग्रेस लगभग ख़त्म सी हो गई,कहीं दिखती तो सिर्फ कुछेक सक्रिय कांग्रेसियो की वजह से,जिसका फायदा सत्ता में बैठे लोगों को ज्यादा मिला,सरकार की नीतियों का विरोध करना और मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाना कांग्रेस की भूमिका में शामिल होते हुए भी कांग्रेस अपने ही घर को ठीक करने में लगी रही।लेकिन विपक्ष में रहने की लगातार आदत डाल चुके भाजपाईयो ने लगता हे कांग्रेस का ये हक़ भी छिन लिया, प्रशासनिक अव्यवस्था का हवाला देते हुए,प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था पर उंगली उठाते हुए युवा भाजपाईयों ने जिला न्यायिक दंडाधिकारी के पुतले फूंक दिए और सारी न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया।अपराधी अपराधी होता हे चाहे वो कोई भी जाति,धर्म,संप्रदाय या राजनीतिक दल का पदाधिकारी हो। बात सीतामऊ भाजयुमो के मंडल अध्यक्ष और अपराधिक रिकार्डधारी दिनेश धनगर की हे,जिसके ऊपर थाना सीतामऊ में सन् 2008 में अपराध क्रमांक 105/8 धारा 452,506,323 के तहत अपराधिक मामला दर्ज हे,अपराध क्रमांक 223/8 धारा 353,186,294,332 के तहत मामला दर्ज हे।इसी प्रकार 2013 में अपराध क्रमांक 155/13 और 494/13  धारा 341,294,323,435,506,34,427 भादवि,323,294,506 भादवि के अलावा रोजनामचा इस्तगासा में 76/13,1129/13,1196/13 में मामले पंजीबद्ध हे।इस प्रकार आधा दर्जन से भी ज्यादा अपराध दर्ज होने पर पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय जिला मजिस्ट्रेट ने प्रकरण क्रमांक 115/जिला बदर/2013 में पारित आदेश दिनांक 5/7/2014 के अनुसार युवा मोर्चा  नेता दिनेश धनगर को 25000/रूपये का बंध पत्र भरवाकर एक वर्ष तक किसी भी अपराधिक गतिविधि में सम्मिलित नहीं होने पर पाबन्द किया गया। लेकिन दिनेश गायरी ने 17 दिसंबर 2014 को अंग्रेजी शराब दूकान पर तोड़फोड़ और मारपीट की,जिसका थाना सीतामऊ पर अपराध क्रमांक 829/14 धारा 452,427,323,294,506,34 भादवि के तहत अपराधिक मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने आरोपी दिनेश गायरी द्वारा न्यायालय के आदेशो का पालन नहीं करने और लगातार अपराधों में लिप्त रहने के कारण युवा मोर्चा नेता दिनेश गायरी को पुलिस अधीक्षक मनोज शर्मा की रिपोर्ट के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट स्वतंत्र कुमार सिंह ने 10 मई को आरोपी दिनेश गायरी को छः माह के लिए जिला बदर कर दिया।
इसके बाद का जो घटनाक्रम हुआ वो बड़ा चोंकाने वाला हे,जिला दंडाधिकारी ने फैसला सुनाया 10 मई को और युवा मोर्चा ने जिला दंडाधिकारी के पुतले फूंके 20 दिन बाद,आखिर ऐसा क्या हुआ की युवा मोर्चा अपने एक अपराधिक छवि वाले मंडल अध्यक्ष के बचाव में सरेआम न्यायिक प्रक्रिया को बीच सड़कों पर तार तार करने में लग गया। इसके पिछे कौन लोग थे जो अपनी ही सरकार के होते हुए इस प्रकार का दुस्साहस कर बैठे? आजादी के बाद शायद ये पहला मौका हे जब सत्तारूढ़ दल के लोगों ने एक अपराधिक् छवि वाले नेता के लिए सड़कों पर आकर न्यायिक प्रक्रिया की धज्जियाँ उड़ाई हो।
युवा मोर्चा के इस कृत्य के लिए शायद ही कोई बुध्दिजीवी उनका समर्थन करे, क़ानून का मजाक उड़ाने वाले ऐसे कृत्य की जितनी निंदा की जाए कम हे। युवा मोर्चा के इस कृत्य के बाद जिले की राजनीति में भूचाल आ गया हे, सत्ता में बैठे लोग ही एक दूसरे को निपटाने में लगे हे, कभी एकजुट रहनी वाली बीजेपी गुटों में बंट गई हे, अंदर ही अंदर एक दूसरे को फूटी आँख से भी नहीं देखने वाले नेता बाहर मौन हे। बीजेपी की सीतामऊ बैठक में कलेक्टर से लेकर तहसीलदार और पटवारियों का मुद्दा हावी रहा तो, आरोप ये भी लगे की कलेक्टर सिर्फ एक ही विधायक की सुनते हे। बात बढ़ते बढ़ते अब बीजेपी में एक गुट दूसरे को निपटाने के लिए  कांग्रेस की भूमिका में आ गए हे, यानि बीजेपी में ही अब समानांतर विपक्ष तैयार हो गया हे।
इस सम्बन्ध में जिले के कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक मनोज शर्मा का कहना हे की कानून से बढ़कर कोई नहीं हे, सारी प्रक्रिया कानून के दायरे में विधि सम्मत की गई हे।
इनका कहना-
आरोप-पुतला दहन के पिछे आपका हाथ था।
जवाब-युवा मोर्चा अपने निर्णय लेने में सक्षम हे,और भाजपा जिला अध्यक्ष अपने निर्णय लेने में सक्षम हे, जहाँ तक पुतला दहन को मेरे द्वारा हवा देने का मामला हे, ऐसा कोई पंखा हाथ में आ जाये तो बताओ जिससे मैंने हवा दी हो।
सुधीर गुप्ता सांसद मन्दसौर।।
2 पुतला दहन भाजपा ने नहीं किया था युवा मोर्चा ने किया था,युवा मोर्चा ने शैक्षणिक मुद्दों और राजस्व न्यायालय के निर्णयों को लेकर किया था,हमारे संज्ञान में बात आई थी संगठन स्तर और प्रशासनिक स्तर पर बात आगे पहुंचाई हे।
देवीलाल धाकड़ जिला अध्यक्ष भाजपा।।
3 जिले में फैली अराजकता,भ्रष्टाचार,मुआवजा में देरी,पशुपतिनाथ मंदिर के मुद्दे के साथ मंडल अध्यक्ष दिनेश धनगर का मुद्दा भी आ गया था,कार्यकर्ता परेशान था,प्लानिंग पहले से थी।
नानालाल अटोलिया जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा।।
क्या कहते हे कानून के जानकार

निष्कर्ष-पूरे घटनाक्रम और वर्तमान राजनैतिक और प्रशासनिक परिदृश्य को देखते हुए ये बात साफ़ परिलक्षित होती हे की लंबे समय बाद जिले में कोई ऐसा स्वतंत्र कुमार सिंह के रूप में प्रशासनिक आईएएस आया हे जो केवल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने और जिले को एक समृद्ध जिला बनाने की सोच और काबिलियत रखता हे और इस दिशा में कई बड़ी योजनाओं पर काम भी शुरू हो चूका हे,लेकिन स्वार्थगत और अपरिपक्व राजनीति के चलते ये जिला एक बार फिर पिछड़ता हुआ दिख रहा हे, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज में अगर मन्दसौर जिले में इस प्रकार की ओछी और  निम्न स्तर की राजनीति होगी तो विकास कैसे संभव होगा। बेहतर होगा अपना राग छोड़कर सब बढे,सबका विकास हो और ये जिला समृद्ध बने,यहाँ के किसान खुशहाल हो। जहाँ तक राजस्व महकमे में फर्जी रजिस्ट्रियों और जमीन की हेराफेरी के मामले हुए हे तो ऐसे मामलों में पुलिस में अपराधिक मामले कर आरोपियों को गिरफ्तार भी किया हे। फर्जी रजिस्ट्री और जमीन हेराफेरी मामले में कोई भी कर्मचारी या अधिकारी शामिल हो सबके ऊपर सख्त कार्रवाई होना चाहिए।जिले का विकास और अपराधों पर नियंत्रण केवल प्रशासन, जनप्रतिनिधि या पुलिस की ही नहीं, हम सबकी भी जवाबदारी हे।।
नरेंद्र धनोतिया।।

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