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जबलपुर. सेन्ट्रल जेल में पिछले दो दिनों से चल रहे कैदियों की भूख हड़ताल ने जेल प्रशासन की नींद उड़ा दी है। कैदियों का आरोप है कि उनको जो खाना मिल रहा है वह बेहद घटिया है और उन्हें बाहर से जो खाने का सामान आता था, वह भी नहीं आने दिया जा रहा है।
यही नहीं उनकी रोजमर्रा की जरूरत का सामान जिसमें साबुन, कपड़े, चप्पल जैसी चींजे भी उन तक नहीं पहुंच रही हैं। दो हजार कैदियों में से पहले दो दर्जन से अधिक कैदियों ने भूख हड़ताल की, लेकिन जब दूसरे दिन इनकी संख्या बढ़ने लगी तो जेल प्रशासन के कान खड़े हुए । जेल प्रशासन ने आनन-फानन में कैदियों के एक प्रतिनिधि मंडल को बुलाकर बातचीत कर मामले को शांत करने की कोशिश की । अधिकांश कैदियों को जेल प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि भोजन की व्यवस्था में सुधार किया जाएगा। इसके अलावा कैदियों को जांच के नाम पर परेशान नहीं किया जाएगा। कैदियों का आरोप है कि एक-दो कैदी के पास मोबाइल हो सकता है, लेकिन उसके लिए सभी कैदियों को परेशान किया जा रहा है।
मुलाकात में दिक्कत
जेल प्रशासन की सख्ती के अलावा कैदियों ने मुलाकात की व्यवस्थाओं पर भी रोष प्रगट किया है। उनका आरोप है कि जांच पड़ताल के बाद भी अलग से मुलाकात की कोई व्यवस्था नहीं है। एक कैदी जब तक खिड़की से नहीं हटता है, दूसरे को मुलाकात का मौका नहीं मिलता है। इस चक्कर में कैदियों को अपने परिचितों और परिवार जनों से बातचीत भी ठीक से नहीं हो पाती है।
रोजा अफ्तार का इंतजार
कई कैदियों में इस बात को लेकर असंतोष है कि रोजा अफ्तार का आयोजन हर बार होता है, लेकिन इस बार रोजा अफ्तार की भी इजाजत नहीं दी गई है। कुछ कैदियों को तो सभी प्रकार की सुविधाएं हैं, लेकिन सामान्य कैदियों के लिए तरह-तरह की बंदिशें लगाई गई हैं।
ऊपर से आदेश
इस समय जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल किए जाने तथा कैदियों के पास मोबाइल बैटरी पहुंचाने की कोशिश के बाद से जांच व्यवस्था सख्त की गई है।
दो दिनों से कैदियों की कुछ समस्याएं थी
जेल में भूख हड़ताल जैसी स्थिति तो नहीं थी, लेकिन दो दिनों से कैदियों की कुछ समस्याएं थी । इस मामले में समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया गया है।
अलका सोनकर, जेल अधीक्षक
जबलपुर. सेन्ट्रल जेल में पिछले दो दिनों से चल रहे कैदियों की भूख हड़ताल ने जेल प्रशासन की नींद उड़ा दी है। कैदियों का आरोप है कि उनको जो खाना मिल रहा है वह बेहद घटिया है और उन्हें बाहर से जो खाने का सामान आता था, वह भी नहीं आने दिया जा रहा है।
यही नहीं उनकी रोजमर्रा की जरूरत का सामान जिसमें साबुन, कपड़े, चप्पल जैसी चींजे भी उन तक नहीं पहुंच रही हैं। दो हजार कैदियों में से पहले दो दर्जन से अधिक कैदियों ने भूख हड़ताल की, लेकिन जब दूसरे दिन इनकी संख्या बढ़ने लगी तो जेल प्रशासन के कान खड़े हुए । जेल प्रशासन ने आनन-फानन में कैदियों के एक प्रतिनिधि मंडल को बुलाकर बातचीत कर मामले को शांत करने की कोशिश की । अधिकांश कैदियों को जेल प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि भोजन की व्यवस्था में सुधार किया जाएगा। इसके अलावा कैदियों को जांच के नाम पर परेशान नहीं किया जाएगा। कैदियों का आरोप है कि एक-दो कैदी के पास मोबाइल हो सकता है, लेकिन उसके लिए सभी कैदियों को परेशान किया जा रहा है।
मुलाकात में दिक्कत
जेल प्रशासन की सख्ती के अलावा कैदियों ने मुलाकात की व्यवस्थाओं पर भी रोष प्रगट किया है। उनका आरोप है कि जांच पड़ताल के बाद भी अलग से मुलाकात की कोई व्यवस्था नहीं है। एक कैदी जब तक खिड़की से नहीं हटता है, दूसरे को मुलाकात का मौका नहीं मिलता है। इस चक्कर में कैदियों को अपने परिचितों और परिवार जनों से बातचीत भी ठीक से नहीं हो पाती है।
रोजा अफ्तार का इंतजार
कई कैदियों में इस बात को लेकर असंतोष है कि रोजा अफ्तार का आयोजन हर बार होता है, लेकिन इस बार रोजा अफ्तार की भी इजाजत नहीं दी गई है। कुछ कैदियों को तो सभी प्रकार की सुविधाएं हैं, लेकिन सामान्य कैदियों के लिए तरह-तरह की बंदिशें लगाई गई हैं।
ऊपर से आदेश
इस समय जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल किए जाने तथा कैदियों के पास मोबाइल बैटरी पहुंचाने की कोशिश के बाद से जांच व्यवस्था सख्त की गई है।
दो दिनों से कैदियों की कुछ समस्याएं थी
जेल में भूख हड़ताल जैसी स्थिति तो नहीं थी, लेकिन दो दिनों से कैदियों की कुछ समस्याएं थी । इस मामले में समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया गया है।
अलका सोनकर, जेल अधीक्षक
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