''अपराध नियंत्रण में पुलिस और प्रेस की भूमिका'' पर आयोजित संगोष्ठी में नही पहुंचे पुलिस के अधिकारी, पत्रकारो के जवाबो से पुलिस का डर उजागर
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नीमच। पत्रकार संघर्ष समिति नीमच द्वारा आयोजित ''अपराध नियंत्रण में पुलिस और प्रेस की भूमिका'' विषय पर आयोजित संघोष्ठि के आयोजन में पुलिस का कोई भी अधिकारी उपस्थित नही हुआ जब की नीमच, मन्दसौर एवं प्रतापगड़ जिलो के पुलिस अधीक्षक को इसमें उपस्थित होना था। यहाँ विदित हो की आयोजन समिति ने आयोजन से पूर्व उक्त तीनो अधिकारियो से समय लेने के बाद आयोजन रखा था ऐसे में पुलिस अधिकारियों का उपस्थित न होने पर आयोजन में कई प्रकार के सवाल उठाए गए। आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद रामावत ने अधिकारियो के उपस्थित न होने पर कहा की यह अधिकारियों का दुर्भाग्य है जो वह इस आयोजन में उपस्थित नही हो सके। पत्रकार वर्मा ने अपराध नियंत्रण में पुलिस की विफलता पर सवाल उठाते हुए कहा की पुलिस अपराध नियंत्रण में विफल रही है और मात्र आंकड़ो में उलझाकर जनता को गुमराह करती रही है। युवा साथी अभय भारद्वाज ने कहा की लगातार हो रहे डोडाचूरा कांड और चोरियों में लम्बे अंतराल के बाद भी एक भी घटना को पुलिस उजागर नही कर पाई है और उनके जहन में यह रहा होगा की अपराध नियंत्रण की इस संघोष्ठि में इन बड़ी मछलियो के कांड से जुड़े सवाल अगर पत्रकारो की तरफ से दागे गए तो यकीनन हम जवाब न दे पाए और हमारी किरकिरी हो जाए अतः इस आयोजन से उन्होंने दुरी बनाए रखने में ही भलाई समझी। अपराध नियंत्रण के सम्बन्ध में आयोजित संघोष्ठि में पुलिस की अनुपस्थिति एक बड़ा विषय है सभी अधिकारियों का एक साथ न पहुंचना पुलिस के विफलता के चलते डर से सीधे तोर पर जुड़ता नजर आ रहा है ऐसे में पुलिस से किस तरह अपेक्षा की जा सकती है ? अनुशासन का दूसरा नाम कहे जाने वाली पुलिस के अधिकारियों का समय देने के बावजूद इस तरह अनुपस्थित रहना उचित है ? प्रशासन और पुलिस के एक बुलावे पर हाजिरी देने वाले और शासन, प्रशासन पुलिस की आवाज और योजनाओं को जनता तक पहुंचाने वाले पत्रकारों को समय देकर आयोजन करवाने वाली पुलिस पत्रकारो के साथ इस तरह का व्यवहार कर पुलिस क्या सिद्ध करना चाहती है ? वहीँ दूसरा सबसे बड़ा कारण है जिला जनसम्पर्क अधिकारी जगदीश मालवीय का उदासीन रवय्या जो एक तरफ शासन,प्रशासन और पुलिस अधिकारियो की आवाज जनता तक पहुंचाने में जिनकी मदद लेते है और सरकार ने जिनको पत्रकारो के अधिकारो की रक्षा के लिए तैनात किया है उस अधिकारी का पत्रकारो के साथ खड़ा न होना उनकी ओछी मानसिकता को दर्शाता है। जिला जनसम्पर्क अधिकारी का और दूसरी और एक साथ सभी अधिकारियों का एक साथ वयस्त होने का हवाला देना भी हजम नही हो रहा है इसका सीधा सीधा एक ही मतलब है तमाम स्तर पर प्रशासनिक अमले का विफल होना और पत्रकारो के सवालो के जवाब इनके पास न होना जिसके चलते इन्होंने इस प्रकार के गैरजिम्मेदाराना कृत्य को अंजाम दिया है। पत्रकार संघोष्ठि का आयोजन नीमच के जमुनिया कला के पास स्थित सज्जन बाग़ रिसोर्ट पर किया गया जिसमे नीमच, मन्दसौर और प्रतापगढ़ के 70-80 की संख्या में पत्रकार साथी उपस्थित रहे संघोष्ठि के पश्चात सहभोज का आयोजन रखा गया जिसमें सभी साथियो ने एक साथ मिलकर सहभोज किया।
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नीमच। पत्रकार संघर्ष समिति नीमच द्वारा आयोजित ''अपराध नियंत्रण में पुलिस और प्रेस की भूमिका'' विषय पर आयोजित संघोष्ठि के आयोजन में पुलिस का कोई भी अधिकारी उपस्थित नही हुआ जब की नीमच, मन्दसौर एवं प्रतापगड़ जिलो के पुलिस अधीक्षक को इसमें उपस्थित होना था। यहाँ विदित हो की आयोजन समिति ने आयोजन से पूर्व उक्त तीनो अधिकारियो से समय लेने के बाद आयोजन रखा था ऐसे में पुलिस अधिकारियों का उपस्थित न होने पर आयोजन में कई प्रकार के सवाल उठाए गए। आयोजन में वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद रामावत ने अधिकारियो के उपस्थित न होने पर कहा की यह अधिकारियों का दुर्भाग्य है जो वह इस आयोजन में उपस्थित नही हो सके। पत्रकार वर्मा ने अपराध नियंत्रण में पुलिस की विफलता पर सवाल उठाते हुए कहा की पुलिस अपराध नियंत्रण में विफल रही है और मात्र आंकड़ो में उलझाकर जनता को गुमराह करती रही है। युवा साथी अभय भारद्वाज ने कहा की लगातार हो रहे डोडाचूरा कांड और चोरियों में लम्बे अंतराल के बाद भी एक भी घटना को पुलिस उजागर नही कर पाई है और उनके जहन में यह रहा होगा की अपराध नियंत्रण की इस संघोष्ठि में इन बड़ी मछलियो के कांड से जुड़े सवाल अगर पत्रकारो की तरफ से दागे गए तो यकीनन हम जवाब न दे पाए और हमारी किरकिरी हो जाए अतः इस आयोजन से उन्होंने दुरी बनाए रखने में ही भलाई समझी। अपराध नियंत्रण के सम्बन्ध में आयोजित संघोष्ठि में पुलिस की अनुपस्थिति एक बड़ा विषय है सभी अधिकारियों का एक साथ न पहुंचना पुलिस के विफलता के चलते डर से सीधे तोर पर जुड़ता नजर आ रहा है ऐसे में पुलिस से किस तरह अपेक्षा की जा सकती है ? अनुशासन का दूसरा नाम कहे जाने वाली पुलिस के अधिकारियों का समय देने के बावजूद इस तरह अनुपस्थित रहना उचित है ? प्रशासन और पुलिस के एक बुलावे पर हाजिरी देने वाले और शासन, प्रशासन पुलिस की आवाज और योजनाओं को जनता तक पहुंचाने वाले पत्रकारों को समय देकर आयोजन करवाने वाली पुलिस पत्रकारो के साथ इस तरह का व्यवहार कर पुलिस क्या सिद्ध करना चाहती है ? वहीँ दूसरा सबसे बड़ा कारण है जिला जनसम्पर्क अधिकारी जगदीश मालवीय का उदासीन रवय्या जो एक तरफ शासन,प्रशासन और पुलिस अधिकारियो की आवाज जनता तक पहुंचाने में जिनकी मदद लेते है और सरकार ने जिनको पत्रकारो के अधिकारो की रक्षा के लिए तैनात किया है उस अधिकारी का पत्रकारो के साथ खड़ा न होना उनकी ओछी मानसिकता को दर्शाता है। जिला जनसम्पर्क अधिकारी का और दूसरी और एक साथ सभी अधिकारियों का एक साथ वयस्त होने का हवाला देना भी हजम नही हो रहा है इसका सीधा सीधा एक ही मतलब है तमाम स्तर पर प्रशासनिक अमले का विफल होना और पत्रकारो के सवालो के जवाब इनके पास न होना जिसके चलते इन्होंने इस प्रकार के गैरजिम्मेदाराना कृत्य को अंजाम दिया है। पत्रकार संघोष्ठि का आयोजन नीमच के जमुनिया कला के पास स्थित सज्जन बाग़ रिसोर्ट पर किया गया जिसमे नीमच, मन्दसौर और प्रतापगढ़ के 70-80 की संख्या में पत्रकार साथी उपस्थित रहे संघोष्ठि के पश्चात सहभोज का आयोजन रखा गया जिसमें सभी साथियो ने एक साथ मिलकर सहभोज किया।
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