यहां घर में जन्मी पहली बेटी को लोगों की हवस का शिकार होना पड़ता है..!
Toc News @ Mandsour
भारत में आज भी कई राज्यों में जिस्म का सौदा सरेआम होता है। ऐसे ही मध्यप्रदेश के मालवा के नीमच, मन्दसौर और रतलाम जिले में कई गांव ऐसे है, जहां अगर बेटी किसी मर्द के साथ सेक्स करती हैं, तो भी माँ बाप को इससे कोई ऐतराज नहीं होता। बल्कि, बेटी के जिस्म के प्रति जितनी दीवानगी बढ़ती है उतना ही उनकी खुशियों का दायरा भी बढ़ने लगता है।
ये बात भले ही आम लोगों के लिए चौकाने वाली हो, लेकिन मालवा अंचल में 200 वर्षों से बेटी के सेक्स करने की परंपरा चली आ रही है। दरअसल, इन गांवों में रहने वाले बांछड़ा समुदाय के लिए बेटी के जिस्म का सौदा आजीविका का एकमात्र जरिया है।
डेरों में रहने वाले बांछड़ा समुदाय में प्रथा के अनुसार घर में जन्म लेने वाली पहली बेटी को जिस्मफरोशी करनी ही पड़ती है। मालवा में करीब 70 गांवों में जिस्मफरोशी की करीब 250 मंडियां हैं, जहां खुलेआम परिवार के सदस्य ही बेटी के जिस्म का सौदा करते है।
इस समुदाय में बेटी के जिस्म के लिए मां-बाप ग्राहक का इंतज़ार करते है सौदा होने के बाद बेटियां अपने परिजनों सामने खुलेआम सेक्स करती है। आश्चर्य की बात यह है कि परिवार में सामूहिक रूप से ग्राहक का इंतज़ार होता है, जिसको सेक्स के लिए आदमी पहले मिलता है उसकी कीमत परिवार में सबसे ज्यादा होती है।
भारतीय समाज में आज भी बेटी को बोझ समझा जाता हो, लेकिन बांछड़ा समुदाय में बेटी पैदा होने पर जश्न मनाया जाता है । बेटी के जन्म की खूब धूम होती है, क्योंकि ये बेटी बड़ी होकर कमाई का जरिया बनती है। इस समुदाय में यदि कोई लड़का शादी करना चाहे तो उसे दहेज में 15 लाख रुपए देना अनिवार्य है। इस वजह से बांछड़ा समुदाय के अधिकांश लड़के कुंवारे ही रह जाते है।
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भारत में आज भी कई राज्यों में जिस्म का सौदा सरेआम होता है। ऐसे ही मध्यप्रदेश के मालवा के नीमच, मन्दसौर और रतलाम जिले में कई गांव ऐसे है, जहां अगर बेटी किसी मर्द के साथ सेक्स करती हैं, तो भी माँ बाप को इससे कोई ऐतराज नहीं होता। बल्कि, बेटी के जिस्म के प्रति जितनी दीवानगी बढ़ती है उतना ही उनकी खुशियों का दायरा भी बढ़ने लगता है।
ये बात भले ही आम लोगों के लिए चौकाने वाली हो, लेकिन मालवा अंचल में 200 वर्षों से बेटी के सेक्स करने की परंपरा चली आ रही है। दरअसल, इन गांवों में रहने वाले बांछड़ा समुदाय के लिए बेटी के जिस्म का सौदा आजीविका का एकमात्र जरिया है।
डेरों में रहने वाले बांछड़ा समुदाय में प्रथा के अनुसार घर में जन्म लेने वाली पहली बेटी को जिस्मफरोशी करनी ही पड़ती है। मालवा में करीब 70 गांवों में जिस्मफरोशी की करीब 250 मंडियां हैं, जहां खुलेआम परिवार के सदस्य ही बेटी के जिस्म का सौदा करते है।
इस समुदाय में बेटी के जिस्म के लिए मां-बाप ग्राहक का इंतज़ार करते है सौदा होने के बाद बेटियां अपने परिजनों सामने खुलेआम सेक्स करती है। आश्चर्य की बात यह है कि परिवार में सामूहिक रूप से ग्राहक का इंतज़ार होता है, जिसको सेक्स के लिए आदमी पहले मिलता है उसकी कीमत परिवार में सबसे ज्यादा होती है।
भारतीय समाज में आज भी बेटी को बोझ समझा जाता हो, लेकिन बांछड़ा समुदाय में बेटी पैदा होने पर जश्न मनाया जाता है । बेटी के जन्म की खूब धूम होती है, क्योंकि ये बेटी बड़ी होकर कमाई का जरिया बनती है। इस समुदाय में यदि कोई लड़का शादी करना चाहे तो उसे दहेज में 15 लाख रुपए देना अनिवार्य है। इस वजह से बांछड़ा समुदाय के अधिकांश लड़के कुंवारे ही रह जाते है।
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