फादर्स डे पर विशेष : बेटी की जान बचाने बाप ने लिया दस लाख का कर्ज, दो साल से कर रहा बेटी की देखभाल |
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ब्यूरो चीफ मुलताई, जिला बैतूल // राकेश अग्रवाल : 7509020406
मुलतार्ई। आज के समय में जहां कुछ लोग बेटियों को बोझ समझते है और गर्भ में ही उनकी हत्या कर दी जाती है, मुलताई ब्लाक के ग्राम सेमझिरा निवासी टेकराम के लिए उसकी बेटियां ही उसकी दुनिया है।
टेकराम के बुलंद हौसलों की बदौलत ही आर्थिक परिस्थति खराब होने पर भी दस लाख का कर्ज लेकर बेटी की जान बचा ली। टेकराम की बेटी मयूरी के शरीर का एक हिस्सा वैसे आज भी लकवाग्रस्त है, लेकिन मयूरी जीवित है, उसके पिता के लिए यही बहुत है।
दो साल पहले मुलताई के फव्वारा चौक पर कक्षा 12 वीं की छात्रा मयूरी फरकाड़े को एक मानसिक विक्षप्त युवक ने सिर पर लकड़ी मारकर घायल कर दिया था। इस छात्रा को गंभीर हालत में नागपुर में भर्ती करवाया लगभग चार महीने तक उपचार करवाया गया था। छात्रा के उपचार के लिए उसके पिता टेकराम ने दस लाख का कर्ज लिया और बेटी की जान बचाई, पिछले दो सालों से पिता अपनी बेटी की देखभाल कर रहा है और मजदूरी करके कर्ज भी चुका रहा है, लेकिन उसे इस बात की खुशी हैे कि उसकी बेटी की जान तो बच गई।
टेकराम ने बताया कि उस समय लोगों ने भी उसकी मदद की। जिसके चलते उसे जनसहयोग से साढ़े तीन लाख रुपए मिले, दो लाख रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष से मिले, वहीं डेढ़ लाख रुपए विधि लोक सेवा आयोग से मिले थे। मयूरी के उपचार में कुल 17 लाख रुपए का खर्च आया था। ऐसे में उसने दस लाख रुपए का कर्ज लिया था। पिछले दो साल से वह इस कर्ज के साथ जी रहा है, मजदूरी एवं खेती कर इस कर्ज को पाई-पाई कर चुका रहा है, लेकिन संतुष्ठ है कि उसने अपनी बेटी की जान बचा ली।
किराए तक के पैसे नहीं थे जेब में
टेकराम ने बताया कि दो साल पहले उनकी आर्थिक हालत खराब थी। उनकी जेब में मुलताई आने के लिए किराए तक के पैसे नहीं थे, वह गांव में एक व्यक्ति की मोटरसाईकिल पर बैठकर मुलताई तक आए थे। टेकराम ने बताया कि उसके चार बच्चे है, मयूरी सबसे बड़ी है, मयूरी की दो बहने माधवी, चेतना भी है, वहीं वरूण सबसे छोटा भाई है। मयूरी को बचाने के लिए टेकराम ने सभी का भविष्य दांव पर लगा दिया है, लेकिन मयूरी की जान बचने से टेकराम बहुत खुश है।
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