भोपाल // अवधेश पुरोहित @ Toc News
इस देश की जनता ने आजादी के पहले जहां लोकशाही और अंग्रेजों के शासनकार के किस्से पढ़े और सुने हैं, तो वहीं आजादी के बाद कई ऐसे राजनेताओं के किस्से भी लोग सुनाते नजर आते हैं, जिनपर सत्ता में काबिज होते हुए सत्ता इतनी हावी हुई कि वह विपक्ष में रहते जिन सिद्धांतों और चाल, चरित्र और दुहाई की देते नजर आते थे लेकिन सत्ता में काबिज होते ही उनके चाल, चरित्र और चेहरे में कितना बदलाव आया, इसके प्रमाण मध्यप्रदेश की राजनीति में भी मिलते हैं, इसी प्रदेश में सत्ता पर काबिज होते ही गंगाराम तिवारी की नर्स के साथ इश्क की घटना भी उजागर हुई थी तो वहीं उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी की प्रेम कहानियों के किस्से आज भी लोगों को याद हैं, इस प्रदेश में कई नेताओं के अपने कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों के किचन मेम्बर होने के बाद बड़े उनके एश्वर्य और रुतबे की भी धाक भी लोगों ने देखी, ऐसा नहीं कि यह सब कांग्रेसी नेताओं के ही किस्से कहानी हो, भाजपा के नेताओं पर भी सत्ता का नशा इन दिनों सर चढ़कर बोलता नजर आ रहा है, यह अलग बात है कि यही भाजपाई नेता विपक्ष में हुआ करते थे तो चाल, चरित्र और चेहरे की बड़ी दुहाई दिया करते थे, लेकिन सत्ता पर आते ही इन पर जो सत्ता का नशा सर चढ़कर बोलने लगा उसके चलते ही राजनीति में जो ऐब एक राजनेता में लगते हैं वह इस प्रदेश में भी दिखाई दे रहे हैं, इस प्रदेश में कई मंत्रियों ने अपनी प्रेमिकाओं को तो पॉश कालोनियों में किराये के बहुमंजिले और सर्वसुविधायुक्त मकान दिला रखे हैं तो कई संगठन से जुड़े नेताओं की रासलीलाओं के किस्से और कहानियां भी लोग चटकारे लेकर सुनाते दिखाई दे रहे हैं तो कई मंत्री रात ढलते ही अपनी प्रेमिकाओं के घरों में पहुंचकर रासलीलाएं करते नजर आते हैं तो कई मंत्री ऐसे हैं जिनकी प्रेमिकाओं को उन्हीं मंत्री की धर्मपत्नी दिल्ली में पार्टी के राजनेताओं से सम्पर्क कराने के लिये अपने साथ ले जाती दिखाई देती हैं। कुल मिलाकर अपने आपको अन्य राजनैतिक पार्टियों की तुलना में अलग होने का दावा करने वाली भाजपा नेताओं का सत्ता में आने के बाद जिस तरह से चाल, चरित्र और चेहरे में परिवर्तन आया है उसे देख और उसके किससे सुनकर लोगों को अचंभा होने लगा है और फिर लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि राजनीति में आकर साठ साल के गंगाराम तिवारी को नर्स के साथ रासलीलाएं रचा सकते हैं तो भाजपा के नेताओं पर सत्ता का जादू सर चढ़कर नहीं बोलेगा? शायद यही वजह है कि कल तक प्रदेश की जनता को इस तरह के व्याख्यान देने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी इस सत्ता के जादू ने लपेटे में ले लिया, तभी तो कल तक गंगा मैया की गोद में अठखेलियां करने वाले शिवराज सिंह चौहान बाढ़ पीडि़तों में दुखदर्द में सहभागी बनने गए एक -दो फुट पानी में भी चार कदम नहीं चल सके और उन्हें वहां तैनात पुलिस कर्मियों ने आलकी न पालकी जय कन्हैया लाल की तर्ज पर गोली में बच्चों की तरह उठाकर जल विहार कराना पड़ा, यह सत्ता का ही जादू है जो अपने आपको किसान पुत्र होने का दावा करने वाले और विपक्ष पर यह आरोप लगाने वाले दरअसल राजनीति में राजा-महाराज इस किसान पुत्र को सत्ता पर काबिज होना खटक रहा है, तभी तो यह राजा-महाराजा इस किसान पुत्र के खिलाफ तरह-तरह के स्वांग और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, यह सत्ता का ही कमाल है कि एक किसान पुत्र को सत्ता का मुखिया होने के नाते एक-डेढ़ फुट पानी पार न कर सका हालांकि इस मुद्दे को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि उन्हें जेड प्लस की सुविधा उलपब्ध है इसलिये यह सब किया तो सवाल यह उठता है कि जिन-जिन लोगों को जेड प्लस सुविधा मुहैया उपलब्ध कराई गई है क्या वह इतने नाजुक होते हैं कि एक डेढ़ फुट पानी में भी नहीं चल सकते। खैर मामला जो भी हो यह सब सत्ता का जादू का खेल है, ठीक इसी तरह के जादू के किस्से कहानियां राजा-महाराजाओं के जमाने के सुने जाते हैं कि जब राजा-महाराज नशे में हुआ करते थे तो उनके पेंट के बटन उनकी सेवा में लगे कर्मचारी ही लगाया करते थे। ऐसे किस्से कहानियां पहले सुनने को मिलते थे लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साथ घटित इस घटना से यह साबित हो गया है कि जो सत्ता में होता है वह इतना नाजुक हो जाता है कि उसे जरा सी गर्मी तड़पा देती है तो चंद कदम बहते पानी में भी वह नहीं चल सकता है, आखिर क्यों चले राजा तो राजा होता है और फिर उसकी सेवा में लगे आखिर यह कर्मी किस काम आएंगे जिनका वह आधुनिक लोकतंत्र का राजा है। राजा के तो कदम कभी कांटों और पथरीली राहों में चलने से पीड़ा होने लगती है, तभी तो उन्हें आलकी न पालकी जय कन्हैया लाल की मुद्रा में नदी और पथरीली ही नहीं पानी भरी राह पार कराने की सेवकों को जरूरत पड़ती है यह अलग बात है कि जब वह राज्य के मुख्यमंत्री नहीं थे तब वह पांव-पांव वाले भैया के नाम जाने जाते थे आज वह सत्ता में हैं तो गगन बिहारी बन गए और इसके चलते स्थिति यह है कि अब वह अपने गांव से चंद कदम दूर ही पांव- पांव नहीं बल्कि उडऩखटोले से जाते हैं, हैं ना यह सत्ता का कमाल किसी ने सही कहा है कि सत्ता सिर चढ़कर बोलती है फिर चाहे वह सत्ताधीश अपने आपको जनता का सेवक होने का लाख ढिंढोरा पीटे मगर सत्ता तो सत्ता है और जब सत्ता पर बैठते हैं, एक मुगलकालीन भिश्ती शासक ने चमड़े के सिक्के चलवा सकता है तो फिर इस आधुनिक लोकतंत्र के राजा क्या-क्या नहीं कर सकते उनके किस्से कहानियंा अक्सर दिखाई और सुनाई पड़ते हैं।
इस देश की जनता ने आजादी के पहले जहां लोकशाही और अंग्रेजों के शासनकार के किस्से पढ़े और सुने हैं, तो वहीं आजादी के बाद कई ऐसे राजनेताओं के किस्से भी लोग सुनाते नजर आते हैं, जिनपर सत्ता में काबिज होते हुए सत्ता इतनी हावी हुई कि वह विपक्ष में रहते जिन सिद्धांतों और चाल, चरित्र और दुहाई की देते नजर आते थे लेकिन सत्ता में काबिज होते ही उनके चाल, चरित्र और चेहरे में कितना बदलाव आया, इसके प्रमाण मध्यप्रदेश की राजनीति में भी मिलते हैं, इसी प्रदेश में सत्ता पर काबिज होते ही गंगाराम तिवारी की नर्स के साथ इश्क की घटना भी उजागर हुई थी तो वहीं उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी की प्रेम कहानियों के किस्से आज भी लोगों को याद हैं, इस प्रदेश में कई नेताओं के अपने कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों के किचन मेम्बर होने के बाद बड़े उनके एश्वर्य और रुतबे की भी धाक भी लोगों ने देखी, ऐसा नहीं कि यह सब कांग्रेसी नेताओं के ही किस्से कहानी हो, भाजपा के नेताओं पर भी सत्ता का नशा इन दिनों सर चढ़कर बोलता नजर आ रहा है, यह अलग बात है कि यही भाजपाई नेता विपक्ष में हुआ करते थे तो चाल, चरित्र और चेहरे की बड़ी दुहाई दिया करते थे, लेकिन सत्ता पर आते ही इन पर जो सत्ता का नशा सर चढ़कर बोलने लगा उसके चलते ही राजनीति में जो ऐब एक राजनेता में लगते हैं वह इस प्रदेश में भी दिखाई दे रहे हैं, इस प्रदेश में कई मंत्रियों ने अपनी प्रेमिकाओं को तो पॉश कालोनियों में किराये के बहुमंजिले और सर्वसुविधायुक्त मकान दिला रखे हैं तो कई संगठन से जुड़े नेताओं की रासलीलाओं के किस्से और कहानियां भी लोग चटकारे लेकर सुनाते दिखाई दे रहे हैं तो कई मंत्री रात ढलते ही अपनी प्रेमिकाओं के घरों में पहुंचकर रासलीलाएं करते नजर आते हैं तो कई मंत्री ऐसे हैं जिनकी प्रेमिकाओं को उन्हीं मंत्री की धर्मपत्नी दिल्ली में पार्टी के राजनेताओं से सम्पर्क कराने के लिये अपने साथ ले जाती दिखाई देती हैं। कुल मिलाकर अपने आपको अन्य राजनैतिक पार्टियों की तुलना में अलग होने का दावा करने वाली भाजपा नेताओं का सत्ता में आने के बाद जिस तरह से चाल, चरित्र और चेहरे में परिवर्तन आया है उसे देख और उसके किससे सुनकर लोगों को अचंभा होने लगा है और फिर लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि राजनीति में आकर साठ साल के गंगाराम तिवारी को नर्स के साथ रासलीलाएं रचा सकते हैं तो भाजपा के नेताओं पर सत्ता का जादू सर चढ़कर नहीं बोलेगा? शायद यही वजह है कि कल तक प्रदेश की जनता को इस तरह के व्याख्यान देने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी इस सत्ता के जादू ने लपेटे में ले लिया, तभी तो कल तक गंगा मैया की गोद में अठखेलियां करने वाले शिवराज सिंह चौहान बाढ़ पीडि़तों में दुखदर्द में सहभागी बनने गए एक -दो फुट पानी में भी चार कदम नहीं चल सके और उन्हें वहां तैनात पुलिस कर्मियों ने आलकी न पालकी जय कन्हैया लाल की तर्ज पर गोली में बच्चों की तरह उठाकर जल विहार कराना पड़ा, यह सत्ता का ही जादू है जो अपने आपको किसान पुत्र होने का दावा करने वाले और विपक्ष पर यह आरोप लगाने वाले दरअसल राजनीति में राजा-महाराज इस किसान पुत्र को सत्ता पर काबिज होना खटक रहा है, तभी तो यह राजा-महाराजा इस किसान पुत्र के खिलाफ तरह-तरह के स्वांग और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, यह सत्ता का ही कमाल है कि एक किसान पुत्र को सत्ता का मुखिया होने के नाते एक-डेढ़ फुट पानी पार न कर सका हालांकि इस मुद्दे को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि उन्हें जेड प्लस की सुविधा उलपब्ध है इसलिये यह सब किया तो सवाल यह उठता है कि जिन-जिन लोगों को जेड प्लस सुविधा मुहैया उपलब्ध कराई गई है क्या वह इतने नाजुक होते हैं कि एक डेढ़ फुट पानी में भी नहीं चल सकते। खैर मामला जो भी हो यह सब सत्ता का जादू का खेल है, ठीक इसी तरह के जादू के किस्से कहानियां राजा-महाराजाओं के जमाने के सुने जाते हैं कि जब राजा-महाराज नशे में हुआ करते थे तो उनके पेंट के बटन उनकी सेवा में लगे कर्मचारी ही लगाया करते थे। ऐसे किस्से कहानियां पहले सुनने को मिलते थे लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साथ घटित इस घटना से यह साबित हो गया है कि जो सत्ता में होता है वह इतना नाजुक हो जाता है कि उसे जरा सी गर्मी तड़पा देती है तो चंद कदम बहते पानी में भी वह नहीं चल सकता है, आखिर क्यों चले राजा तो राजा होता है और फिर उसकी सेवा में लगे आखिर यह कर्मी किस काम आएंगे जिनका वह आधुनिक लोकतंत्र का राजा है। राजा के तो कदम कभी कांटों और पथरीली राहों में चलने से पीड़ा होने लगती है, तभी तो उन्हें आलकी न पालकी जय कन्हैया लाल की मुद्रा में नदी और पथरीली ही नहीं पानी भरी राह पार कराने की सेवकों को जरूरत पड़ती है यह अलग बात है कि जब वह राज्य के मुख्यमंत्री नहीं थे तब वह पांव-पांव वाले भैया के नाम जाने जाते थे आज वह सत्ता में हैं तो गगन बिहारी बन गए और इसके चलते स्थिति यह है कि अब वह अपने गांव से चंद कदम दूर ही पांव- पांव नहीं बल्कि उडऩखटोले से जाते हैं, हैं ना यह सत्ता का कमाल किसी ने सही कहा है कि सत्ता सिर चढ़कर बोलती है फिर चाहे वह सत्ताधीश अपने आपको जनता का सेवक होने का लाख ढिंढोरा पीटे मगर सत्ता तो सत्ता है और जब सत्ता पर बैठते हैं, एक मुगलकालीन भिश्ती शासक ने चमड़े के सिक्के चलवा सकता है तो फिर इस आधुनिक लोकतंत्र के राजा क्या-क्या नहीं कर सकते उनके किस्से कहानियंा अक्सर दिखाई और सुनाई पड़ते हैं।
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