Aug 21, 2016, toc news
नई दिल्ली। एनएसजी मेंबरशिप पर भारत को एक बड़ी उपलब्धी मिली है। पिछले कई वर्षों से भारत न्युक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी की मेंबरशिप पाने की कोशिश कर था। इस कोशिश के क्रम में भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। रूस ने साफ कर दिया है कि वो भारत को मेंबरशिप दिए जाने के दावे का समर्थन करेगा। रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि हम चीन से यह अवश्य पूछेंगे कि वह भारत की मेंबरशिप का विरोध क्यों कर रहा है?
आपको बता दें कि एनएसजी देशों की अगली मीटिंग 20 से 24 जून तक सिओल में होगी। एक इंटरव्यू के दौरान पुतिन ने भारत के समर्थन की बात कही है। रूस का समर्थन हासिल कर लेना भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। एक लिहाज से देखा जाए तो अब केवल चीन ही ऐसा बड़ा और ताकतवर देश है जो भारत की मेंबरशिप का विरोध कर रहा है।
पुतिन ने कहा कि सिओल में होने वाली मीटिंग में हम भारत की मेंबरशिप का मुद्दा उठाएंगे। इतना ही नहीं हम मीटिंग के दौरान चीन से ये अवश्य जानना चाहेंगे कि वह भारत को इस एलीट ग्रुप का मेंबर बनाए जाने के प्रपोजल का विरोध क्यों कर रहा है? उन्होंने ये भी कहा कि भारत के अतिरिक्त जो दूसरे देश एनएसजी में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं, उनके बारे में भी विचार किया जा सकता है। किसी भी देश को मेंबरशिप दिए जाने का काम इंटरनेशनल लॉ के दायरे में रहकर ही किया जाना चाहिए। रूसी राष्ट्रपति ने भारत की तारीफ करते हुए यह भी कहा कि न्युक्लियर सेफ्टी पर वह एक्टिव रोल प्ले करता है।
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती पर पुतिन ने कहा कि इससे रूस और भारत के रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ सकता क्योंकि दोनों बहुत पुराने और अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें मोदी की विदेश नीति को लेकर कोई दिक्कत नहीं है।
नई दिल्ली। एनएसजी मेंबरशिप पर भारत को एक बड़ी उपलब्धी मिली है। पिछले कई वर्षों से भारत न्युक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी की मेंबरशिप पाने की कोशिश कर था। इस कोशिश के क्रम में भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। रूस ने साफ कर दिया है कि वो भारत को मेंबरशिप दिए जाने के दावे का समर्थन करेगा। रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि हम चीन से यह अवश्य पूछेंगे कि वह भारत की मेंबरशिप का विरोध क्यों कर रहा है?
आपको बता दें कि एनएसजी देशों की अगली मीटिंग 20 से 24 जून तक सिओल में होगी। एक इंटरव्यू के दौरान पुतिन ने भारत के समर्थन की बात कही है। रूस का समर्थन हासिल कर लेना भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। एक लिहाज से देखा जाए तो अब केवल चीन ही ऐसा बड़ा और ताकतवर देश है जो भारत की मेंबरशिप का विरोध कर रहा है।
पुतिन ने कहा कि सिओल में होने वाली मीटिंग में हम भारत की मेंबरशिप का मुद्दा उठाएंगे। इतना ही नहीं हम मीटिंग के दौरान चीन से ये अवश्य जानना चाहेंगे कि वह भारत को इस एलीट ग्रुप का मेंबर बनाए जाने के प्रपोजल का विरोध क्यों कर रहा है? उन्होंने ये भी कहा कि भारत के अतिरिक्त जो दूसरे देश एनएसजी में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं, उनके बारे में भी विचार किया जा सकता है। किसी भी देश को मेंबरशिप दिए जाने का काम इंटरनेशनल लॉ के दायरे में रहकर ही किया जाना चाहिए। रूसी राष्ट्रपति ने भारत की तारीफ करते हुए यह भी कहा कि न्युक्लियर सेफ्टी पर वह एक्टिव रोल प्ले करता है।
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती पर पुतिन ने कहा कि इससे रूस और भारत के रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ सकता क्योंकि दोनों बहुत पुराने और अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें मोदी की विदेश नीति को लेकर कोई दिक्कत नहीं है।
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