Aug 15, 2016, Toc News
महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में जोगीनगर में रहने वाले सपेरों के यहां एक अजीब प्रथा है। विवाह संस्कार के दौरान वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष को दहेज स्वरूप 21 सांपों का उपहार देना अनिवार्य है। इसके बिना विवाह नहीं होता। अगर वधू पक्ष के यहां 21 सांप नहीं हुए तो वह बस्ती के अन्य सपेरों से उनके पालतू सांप लेता है और उपहार (दहेज) की रस्म पूरी करता है।
सांप के मरने पर होता है भोज
जोगीनगर के हर घर में अत्यंत जहरीला सांप पलते हैं। सांपों का लालन-पालन बेटों की तरह किया जाता है। पाले हुए सांप की किसी कारणवश पिटारे में ही मौत हो जाए तो पालक द्वारा पूरे सम्मान के साथ मृत सांप का अंतिम संस्कार किया जाता है। पालक अपनी मूंछ-दाढ़ी मुंड़वाता है और पूरे कुनबे को भोज कराता है।
हर घर में पलते हैं जहरीले सांप
महासमुंद नगर के उत्तर में 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जोगी नगर। नगर पंचायत तुमगांव की सीमा में आबाद यह बस्ती लगभग ढाई दशक पूर्व अमात्य गौड़ समुदाय में घुमंतू खानाबदोश सपेरों द्वारा बसाई गई है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा है जहरीला सांप पकडऩा और लोगों के बीच उसकी नुमाइश कर अपनी आजीविका चलाना। इस काम में बच्चे भी पूरी निर्भीकता से बड़ों का साथ देते हैं। इसलिए हर घर में सांप पाला जाना स्वाभाविक है।
खास बात यह है कि किसी भी सांप को सपेरा केवल दो माह तक ही अपने पास रखता है, फिर उसे कहीं दूर उचित जगह पर खुला छोड़ दिया जाता है।
जड़ी-बूटियों के जानकर हैं सपेरे
दिव्य औषधीय जड़ी-बूटी के जानकर जनजातीय सपेरे समय-समय पर सांप-बिच्छू से पीडि़त लोगों को लाभप्रद उपचार सुविधा भी उपलब्ध कराते रहते हैं। बहरहाल, सपेरों के सामने अपने पुश्तैनी कार्य को जारी रखने में अब दिक्कतें पेश आने लगी हैं। वन विभाग सांप पालने पर आपत्ति के साथ लगातार दबाव बना रहा है कि सांप को पकड़कर रखना बंद करें।
महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में जोगीनगर में रहने वाले सपेरों के यहां एक अजीब प्रथा है। विवाह संस्कार के दौरान वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष को दहेज स्वरूप 21 सांपों का उपहार देना अनिवार्य है। इसके बिना विवाह नहीं होता। अगर वधू पक्ष के यहां 21 सांप नहीं हुए तो वह बस्ती के अन्य सपेरों से उनके पालतू सांप लेता है और उपहार (दहेज) की रस्म पूरी करता है।
सांप के मरने पर होता है भोज
जोगीनगर के हर घर में अत्यंत जहरीला सांप पलते हैं। सांपों का लालन-पालन बेटों की तरह किया जाता है। पाले हुए सांप की किसी कारणवश पिटारे में ही मौत हो जाए तो पालक द्वारा पूरे सम्मान के साथ मृत सांप का अंतिम संस्कार किया जाता है। पालक अपनी मूंछ-दाढ़ी मुंड़वाता है और पूरे कुनबे को भोज कराता है।
हर घर में पलते हैं जहरीले सांप
महासमुंद नगर के उत्तर में 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जोगी नगर। नगर पंचायत तुमगांव की सीमा में आबाद यह बस्ती लगभग ढाई दशक पूर्व अमात्य गौड़ समुदाय में घुमंतू खानाबदोश सपेरों द्वारा बसाई गई है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा है जहरीला सांप पकडऩा और लोगों के बीच उसकी नुमाइश कर अपनी आजीविका चलाना। इस काम में बच्चे भी पूरी निर्भीकता से बड़ों का साथ देते हैं। इसलिए हर घर में सांप पाला जाना स्वाभाविक है।
खास बात यह है कि किसी भी सांप को सपेरा केवल दो माह तक ही अपने पास रखता है, फिर उसे कहीं दूर उचित जगह पर खुला छोड़ दिया जाता है।
जड़ी-बूटियों के जानकर हैं सपेरे
दिव्य औषधीय जड़ी-बूटी के जानकर जनजातीय सपेरे समय-समय पर सांप-बिच्छू से पीडि़त लोगों को लाभप्रद उपचार सुविधा भी उपलब्ध कराते रहते हैं। बहरहाल, सपेरों के सामने अपने पुश्तैनी कार्य को जारी रखने में अब दिक्कतें पेश आने लगी हैं। वन विभाग सांप पालने पर आपत्ति के साथ लगातार दबाव बना रहा है कि सांप को पकड़कर रखना बंद करें।
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