अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल। प्रदेश में उद्योग एवं विकास की दुहाई देने की होड़ में लगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शायद राज्य की राजधानी में हुई यूनियन काबाईड की वह भीषणतम दुर्घटना का स्मरण नहीं हो रहा, जिसकी पीढ़ा आज राजधानी के लाखों गैस पीडि़त भाग रहे हैं लेकिन वर्षों पूर्व हुई इस घटना से आज जहां पीडि़त और सत्तापक्ष दोनों परेशान हैं कि आखिर इस समस्या का समाधान आज तक नहीं किया जा सका, यूनियन कार्बाइड के हादसे के शिकार अकेले वह पीडि़त ही नहीं हैं बल्कि राज्य शासन भी है
जिसे उन पीडि़तों को आयेदिन कोई न कोई समस्या से जूझना पड़ता है, लेकिन लगता है कि राज्य के विकास की दौड़ में लगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को न तो यूनियन कार्बाइड की वह घटना याद आ रही है और न ही उन पीडि़तों की जो वर्षों बाद आज भी इस समस्या से जूझ रहे हैं इसके बाद भी वह अमेरिकी कंपनियों से राज्य में उद्योग लगाने के लिए उनकी मान मनौव्वल करने में जुट हुए हैं,
यही नहीं यूनियन कार्बाइड ने एक झटके में लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था लेकिन शिवराज सिंह चौहान तो उस कोकाकोला कम्पनी को राज्य में खोलने का आमंत्रण दे रहे हैं जिसके उत्पाद को लेकर तरह-तरह के खुलासे आयेदिन हो रहे हैं। उक्त कम्पनी के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा इसका खुलासा भी किया गया कि कोकाकोला में लेटरिन साफ करने वाली तेजाब से कई घातक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है और यह लोगों के लिये धीमे जहर का काम करता है।
उस कोकाकोला कम्पनी को प्रदेश में उद्योग लगने के लिये शिवराज सिंह मान मनौव्वल करने लगे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विकास की दौड़ को साकार करने के उद्देश्य से कई बार मुख्यमंत्री और उनके परिजनों के साथ-साथ अधिकारियों की एक टीम लम्बे समय से निवेशकों को मनाने के नाम पर सैर सपाटे करती रही है लेकिन उसके परिणाम इतने वर्षों में क्या सामने आए इस बात का भी खुलासा होना चाहिए और यह भी साफ होना चाहिए कि निवेश के नाम पर किये गये सैर सपाटे के बाद राज्य में कितने विदेशी कंपनियों ने निवेश किया और अभी तक किती कंपनियों से एमओयू हुए और कितनों ने मध्यप्रदेश में निवेश किया। जबकि इन विदेशी निवेशकों द्वारा प्रदेश के तमाम लोगों कोक निवेश के नाम पर झटका भी दिया गया जिसका जीता जागता उदाहरण है
ग्वालियर का एक मामला जिसमें विदेशी निवेशकों द्वारा ग्वालियर के कई व्यापारियों को करोड़ों का चूना लगाया गया और वह आज भी उस समस्या से जूझ रहे हैं। यह उल्लेखनीय है कि जिस अमेरिका की मुख्यमंत्री और उनकी मण्डली निवेश के नाम पर कई बार सैर-सपाटा कर चुकी है उसी अमेरिकी सीनेट की एक महिला अधिकारी द्वारा इस बात का भी खुलासा किया गया था कि भारत में वही विदेशी कंपनियां उद्योग लगा सकती हैं जिनके संबंध राजनेताओं से हों?अमेरिकी सीनेट के महिला के इस तरह के बयान के बाद लोग इस लाख टके के सवाल की खोज में लगे हुए हैं कि क्या सच में कोई भी विदेशी कंपनी भारत में उद्योग तभी लगा सकती है जब यहां के राजनेताओं से उनके संबंध हों तो लोग इस बात की खोज में लगे हुए हैं कि राजनेताओं के संबंध लोगों से कैसे होते हैं इससे तो आमजन भलिभांति परिचित हैं
कि नेता भले ही जनता अपने आपको जनता का सेवक होने का ढिंढोरा पीटें लेकिन पहले वह अपना हित देखता है और इसी तरह के जनता के सेवक के ढिंढोरे के बाद यूनियन कार्बाइड भी एक जीता-जागता उदाहरण है कि राजनेताओं के संबंध होने के नाते उसी यूनियन कार्बाइड के दुष्परिणाम आज भी राजधानी के लोग भुगत रहे हैं, तो यही नहीं जिस यूनियन कार्बाइड के हादसे का दर्द लोग आज भी झेल रहे हैं उसी यूनियन कार्बाइड से राज्य के राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियों ने कितना चंदा कब-कब लिया इस बात का भी खुलासा हो सकता है और इस विदेशी कंपनी यूनियन कार्बाइड से राज्य के कितने नेताओं का संबंध रहा और इसके क्या परिणाम हुए इससे भी लोग परिचित हैं
लेकिन मजे की बात यह है कि इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदेशी कंपनियों को मध्यप्रदेश में स्थापित करने की पहल करने में लगे हुए हैं पता नहीं उनकी इस पहल के क्या परिणाम होंगे यह तो भविष्य बताएगा लेकिन यह जरूर है कि यदि भगवान न करे कि किसी भी विदेशी कम्पनी से यूनियन कर्बाइड जैसी घटना घटित हुई तो जिस तरह से आज भी भोपाल के गैस पीडि़त लोग न्याय के लिये अमेरिका और भारतीय न्यायालयों तक में गुहार लगा रहे हैं इसके बाद भी उन्हें आज तक न्याय नहीं मिल रहा है, इस तरह का इतिहास इस प्रदेश् में दोहराया जाए, विकास की इस होड़ में मुख्यमंत्री को इसका भी ध्यान रखना चाहिए।
भोपाल। प्रदेश में उद्योग एवं विकास की दुहाई देने की होड़ में लगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शायद राज्य की राजधानी में हुई यूनियन काबाईड की वह भीषणतम दुर्घटना का स्मरण नहीं हो रहा, जिसकी पीढ़ा आज राजधानी के लाखों गैस पीडि़त भाग रहे हैं लेकिन वर्षों पूर्व हुई इस घटना से आज जहां पीडि़त और सत्तापक्ष दोनों परेशान हैं कि आखिर इस समस्या का समाधान आज तक नहीं किया जा सका, यूनियन कार्बाइड के हादसे के शिकार अकेले वह पीडि़त ही नहीं हैं बल्कि राज्य शासन भी है
जिसे उन पीडि़तों को आयेदिन कोई न कोई समस्या से जूझना पड़ता है, लेकिन लगता है कि राज्य के विकास की दौड़ में लगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को न तो यूनियन कार्बाइड की वह घटना याद आ रही है और न ही उन पीडि़तों की जो वर्षों बाद आज भी इस समस्या से जूझ रहे हैं इसके बाद भी वह अमेरिकी कंपनियों से राज्य में उद्योग लगाने के लिए उनकी मान मनौव्वल करने में जुट हुए हैं,
यही नहीं यूनियन कार्बाइड ने एक झटके में लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था लेकिन शिवराज सिंह चौहान तो उस कोकाकोला कम्पनी को राज्य में खोलने का आमंत्रण दे रहे हैं जिसके उत्पाद को लेकर तरह-तरह के खुलासे आयेदिन हो रहे हैं। उक्त कम्पनी के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा इसका खुलासा भी किया गया कि कोकाकोला में लेटरिन साफ करने वाली तेजाब से कई घातक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है और यह लोगों के लिये धीमे जहर का काम करता है।
उस कोकाकोला कम्पनी को प्रदेश में उद्योग लगने के लिये शिवराज सिंह मान मनौव्वल करने लगे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विकास की दौड़ को साकार करने के उद्देश्य से कई बार मुख्यमंत्री और उनके परिजनों के साथ-साथ अधिकारियों की एक टीम लम्बे समय से निवेशकों को मनाने के नाम पर सैर सपाटे करती रही है लेकिन उसके परिणाम इतने वर्षों में क्या सामने आए इस बात का भी खुलासा होना चाहिए और यह भी साफ होना चाहिए कि निवेश के नाम पर किये गये सैर सपाटे के बाद राज्य में कितने विदेशी कंपनियों ने निवेश किया और अभी तक किती कंपनियों से एमओयू हुए और कितनों ने मध्यप्रदेश में निवेश किया। जबकि इन विदेशी निवेशकों द्वारा प्रदेश के तमाम लोगों कोक निवेश के नाम पर झटका भी दिया गया जिसका जीता जागता उदाहरण है
ग्वालियर का एक मामला जिसमें विदेशी निवेशकों द्वारा ग्वालियर के कई व्यापारियों को करोड़ों का चूना लगाया गया और वह आज भी उस समस्या से जूझ रहे हैं। यह उल्लेखनीय है कि जिस अमेरिका की मुख्यमंत्री और उनकी मण्डली निवेश के नाम पर कई बार सैर-सपाटा कर चुकी है उसी अमेरिकी सीनेट की एक महिला अधिकारी द्वारा इस बात का भी खुलासा किया गया था कि भारत में वही विदेशी कंपनियां उद्योग लगा सकती हैं जिनके संबंध राजनेताओं से हों?अमेरिकी सीनेट के महिला के इस तरह के बयान के बाद लोग इस लाख टके के सवाल की खोज में लगे हुए हैं कि क्या सच में कोई भी विदेशी कंपनी भारत में उद्योग तभी लगा सकती है जब यहां के राजनेताओं से उनके संबंध हों तो लोग इस बात की खोज में लगे हुए हैं कि राजनेताओं के संबंध लोगों से कैसे होते हैं इससे तो आमजन भलिभांति परिचित हैं
कि नेता भले ही जनता अपने आपको जनता का सेवक होने का ढिंढोरा पीटें लेकिन पहले वह अपना हित देखता है और इसी तरह के जनता के सेवक के ढिंढोरे के बाद यूनियन कार्बाइड भी एक जीता-जागता उदाहरण है कि राजनेताओं के संबंध होने के नाते उसी यूनियन कार्बाइड के दुष्परिणाम आज भी राजधानी के लोग भुगत रहे हैं, तो यही नहीं जिस यूनियन कार्बाइड के हादसे का दर्द लोग आज भी झेल रहे हैं उसी यूनियन कार्बाइड से राज्य के राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियों ने कितना चंदा कब-कब लिया इस बात का भी खुलासा हो सकता है और इस विदेशी कंपनी यूनियन कार्बाइड से राज्य के कितने नेताओं का संबंध रहा और इसके क्या परिणाम हुए इससे भी लोग परिचित हैं
लेकिन मजे की बात यह है कि इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदेशी कंपनियों को मध्यप्रदेश में स्थापित करने की पहल करने में लगे हुए हैं पता नहीं उनकी इस पहल के क्या परिणाम होंगे यह तो भविष्य बताएगा लेकिन यह जरूर है कि यदि भगवान न करे कि किसी भी विदेशी कम्पनी से यूनियन कर्बाइड जैसी घटना घटित हुई तो जिस तरह से आज भी भोपाल के गैस पीडि़त लोग न्याय के लिये अमेरिका और भारतीय न्यायालयों तक में गुहार लगा रहे हैं इसके बाद भी उन्हें आज तक न्याय नहीं मिल रहा है, इस तरह का इतिहास इस प्रदेश् में दोहराया जाए, विकास की इस होड़ में मुख्यमंत्री को इसका भी ध्यान रखना चाहिए।
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