अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल । यूँ तो प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सरकार बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर ही सत्त पर काबिज हुई थी लेकिन आज भाजपा शासनकाल के १२ वर्ष गुजर जाने के बाद भी बिजली की समस्या आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है, ना तो उसमें सुधार हुआ है और ना ही लोगों को सरकारी दावे के बावजूद २४ घंटे बिजली मिल पा रही है,
हाँ यह जरूर है कि बिजली की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार द्वारा इस दौरान करोड़ों रुपये खर्च विभिन्न बिजली सुधार योजनाओं के नाम पर खर्च किये लेकिन इसके बावजूद भी बिजली समस्या से प्रदेश की जनता को न तो निजात मिल पाई और हाँ यह जरूर है कि इस दौरान बिजली विभाग में भ्रष्टाचार पनपता जा रहा है स्थिति यह है कि विद्युत विभाग में अब उच्च अधिकारियों से लेकर लाइनमैन तक लक्ष्मी दर्शन के फेर में लग गए हैं बिजली विभाग अपनी अव्यवस्थाओं को छुपाने के लिए लोगों को अनाप-शनाप बिल थमाने में लग गई है और इस समस्या से जहां राज्य का जनमानस तो जूझ ही रहा था, अब राज्य के मंत्री भी इसके चपेट में आ गये, तभी तो राज्य के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्गम राज्यमंत्री संजय पाठक की बिजली बिल के मामले को लेकर इन दिनों सुर्खियों में हैं
अपनी आदत के अनुसार विद्युत विभाग ने उनके कटनी स्थित मकान का बिल दो लाख रुपए का थमा दिया, विद्युत विभाग द्वारा दिये गये दो लाख के बिजली बिल को देखकर संजय पाठक को विद्युत विभाग से यह कहना पड़ा कि उनके घर के बिजली प्वाइंट को देख लें और ठीक से आंकलन करें कि इतना बिजली बिल आने का कारण क्या है। हालांकि मंत्री महोदय ने तो विद्युत विभाग के अधिकारियों से अपने अधिकारियों से अपने घर के लंबे चौड़े बिजली बिल को देखकर यह कह दिया लेकिन सवाल यह उठता है कि आम जन की तो विद्युत विभाग के अधिकारियों की दहशत और अंधेरगर्दी के चलते कहने की हिम्मत नहीं है,
शायद यही वजह है कि विद्युत विभाग में अब अधिकारियों के साथ मारपीट करने जैसी घटनाएं आयेदिन बड़ रही हैं तो वहीं इस समस्या से राज्य के विधायक से लेकर मंत्री तक जूझ रहे हैं और वह आये दिन विभाग के अधिकारियों को जूते मारने से लेकर तरह-तरह की धमकियां देते नजर आ रहे हैं इन सब घटनाओं को देखकर यह साफ दिखाई देता है कि मप्र विद्युत मण्डल में कहीं न कहीं कुछ न कुछ तो है, जिसकी वजह से राज्य का हर शख्स परेशान है और उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। इस सब स्थित को देखकर दिग्विजय ङ्क्षसह के शासनकाल की लोगों को याद आने लगी है,
उस समय भी विद्युत आपूर्ति को लेकर आयेदिन विद्युत विभाग के अधिकारियों और कार्यालयों में हंगामों की खबरें आम थीं तो आज भाजपा शासनकाल के १२ वर्ष बाद भी इस समस्या ने दूसरा रूप ले लिया और जहां एक ओर विद्युत विभाग के चौबीस घंटे विद्युत उपलब्ध कराने के दावे से तो लोगों को मुक्ति नहीं मिल पाई लेकिन अनाप-शनाप बिजली बिल की समस्या से हर कोई जूझ रहा है सवाल यह उठता है कि जब लोगों का बिल उनकी यहां लगे मीटरों की खपत के अनुसार दिया जाता है तो आखिर यह बिल अनाप-शनाप क्यों बन रहे हैं। इस बात को लेकर एक सवाल खड़ा होता है कि या तो यह बिजली विभाग द्वारा लगाये गये मीटर अनाप शनाप रीडिंग करते हैं या घरों में खपत होने वाली बिजली से ज्यादा यह मीटर तेज दौड़ते हैं। हालांकि राज्य में बिजली के मीटरों को लेकर सदन से लेकर सड़क तक कई बार हंगामा खड़ा हो चुका है
लेकिन इसके बाद भी न तो विद्युत विभाग अपनी अव्यवस्थाओं में सुधार करने के लिये तैयार है और न ही बिजली, पानी और सड़क की समस्या से मुक्ति दिलाने के वादे के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा के सत्ताधीश इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं मगर यह जरूर है कि भाजपा के विधायक से लेकर मंत्री तक विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली से परेशान हैं और कई भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि विद्युत विभाग के अधिकारियों और लाईनमैनों के साथ पिटाई करने जैसी धमकियां देने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है,
जब हर कोई विद्युत विभाग की अव्यवस्थाओं से पीडि़त और पीडि़त लोगों की समस्या विद्युत विभाग के अधिकारियों द्वारा दूर नहीं की जाती है तो हर पीडि़त जन अपने जनप्रतिनिधि के पास गुहार लगाता है और वह नाराज होकर जनता के सामने अपनी बहादुरी दिखाने में पीछे नहीं रहते और उसी जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए वह विद्युत विभाग के अधिकारियों के अनाप-शनाप शब्दों का उपयोग करने के साथ-साथ धमकियां देने और जूतों से पिटाई करने जैसी बात कह जाते हैं। जहाँ तक विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली का सवाल है तो राज्य की प्रशासनिक सेवाओं की तरह इस विभाग का भी वही ढर्रा है और उसमें सुधार आने का नाम नहीं ले रहा है,
यदि यही स्थिति रही तो प्रदेश की जनता और उनके जनप्रतिनिधियों का आक्रोश एक दिन क्या रंग लाएगा यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन यह जरूर है कि प्रदेश की भाजपा सरकार में भी पूर्व कांग्रेसी शासनकाल की तरह बिजली विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में असंतोष पनप रहा है, यदि समय रहते इसमें सुधार नहीं किया गया तो भविष्य में इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं, जिसको लेकर राज्य की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है क्योंकि विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली से आम जनता से लेकर मंत्री तक और भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधियों तक सभी परेशान हैं।
भोपाल । यूँ तो प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सरकार बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर ही सत्त पर काबिज हुई थी लेकिन आज भाजपा शासनकाल के १२ वर्ष गुजर जाने के बाद भी बिजली की समस्या आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है, ना तो उसमें सुधार हुआ है और ना ही लोगों को सरकारी दावे के बावजूद २४ घंटे बिजली मिल पा रही है,
हाँ यह जरूर है कि बिजली की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार द्वारा इस दौरान करोड़ों रुपये खर्च विभिन्न बिजली सुधार योजनाओं के नाम पर खर्च किये लेकिन इसके बावजूद भी बिजली समस्या से प्रदेश की जनता को न तो निजात मिल पाई और हाँ यह जरूर है कि इस दौरान बिजली विभाग में भ्रष्टाचार पनपता जा रहा है स्थिति यह है कि विद्युत विभाग में अब उच्च अधिकारियों से लेकर लाइनमैन तक लक्ष्मी दर्शन के फेर में लग गए हैं बिजली विभाग अपनी अव्यवस्थाओं को छुपाने के लिए लोगों को अनाप-शनाप बिल थमाने में लग गई है और इस समस्या से जहां राज्य का जनमानस तो जूझ ही रहा था, अब राज्य के मंत्री भी इसके चपेट में आ गये, तभी तो राज्य के सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्गम राज्यमंत्री संजय पाठक की बिजली बिल के मामले को लेकर इन दिनों सुर्खियों में हैं
अपनी आदत के अनुसार विद्युत विभाग ने उनके कटनी स्थित मकान का बिल दो लाख रुपए का थमा दिया, विद्युत विभाग द्वारा दिये गये दो लाख के बिजली बिल को देखकर संजय पाठक को विद्युत विभाग से यह कहना पड़ा कि उनके घर के बिजली प्वाइंट को देख लें और ठीक से आंकलन करें कि इतना बिजली बिल आने का कारण क्या है। हालांकि मंत्री महोदय ने तो विद्युत विभाग के अधिकारियों से अपने अधिकारियों से अपने घर के लंबे चौड़े बिजली बिल को देखकर यह कह दिया लेकिन सवाल यह उठता है कि आम जन की तो विद्युत विभाग के अधिकारियों की दहशत और अंधेरगर्दी के चलते कहने की हिम्मत नहीं है,
शायद यही वजह है कि विद्युत विभाग में अब अधिकारियों के साथ मारपीट करने जैसी घटनाएं आयेदिन बड़ रही हैं तो वहीं इस समस्या से राज्य के विधायक से लेकर मंत्री तक जूझ रहे हैं और वह आये दिन विभाग के अधिकारियों को जूते मारने से लेकर तरह-तरह की धमकियां देते नजर आ रहे हैं इन सब घटनाओं को देखकर यह साफ दिखाई देता है कि मप्र विद्युत मण्डल में कहीं न कहीं कुछ न कुछ तो है, जिसकी वजह से राज्य का हर शख्स परेशान है और उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। इस सब स्थित को देखकर दिग्विजय ङ्क्षसह के शासनकाल की लोगों को याद आने लगी है,
उस समय भी विद्युत आपूर्ति को लेकर आयेदिन विद्युत विभाग के अधिकारियों और कार्यालयों में हंगामों की खबरें आम थीं तो आज भाजपा शासनकाल के १२ वर्ष बाद भी इस समस्या ने दूसरा रूप ले लिया और जहां एक ओर विद्युत विभाग के चौबीस घंटे विद्युत उपलब्ध कराने के दावे से तो लोगों को मुक्ति नहीं मिल पाई लेकिन अनाप-शनाप बिजली बिल की समस्या से हर कोई जूझ रहा है सवाल यह उठता है कि जब लोगों का बिल उनकी यहां लगे मीटरों की खपत के अनुसार दिया जाता है तो आखिर यह बिल अनाप-शनाप क्यों बन रहे हैं। इस बात को लेकर एक सवाल खड़ा होता है कि या तो यह बिजली विभाग द्वारा लगाये गये मीटर अनाप शनाप रीडिंग करते हैं या घरों में खपत होने वाली बिजली से ज्यादा यह मीटर तेज दौड़ते हैं। हालांकि राज्य में बिजली के मीटरों को लेकर सदन से लेकर सड़क तक कई बार हंगामा खड़ा हो चुका है
लेकिन इसके बाद भी न तो विद्युत विभाग अपनी अव्यवस्थाओं में सुधार करने के लिये तैयार है और न ही बिजली, पानी और सड़क की समस्या से मुक्ति दिलाने के वादे के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा के सत्ताधीश इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं मगर यह जरूर है कि भाजपा के विधायक से लेकर मंत्री तक विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली से परेशान हैं और कई भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि विद्युत विभाग के अधिकारियों और लाईनमैनों के साथ पिटाई करने जैसी धमकियां देने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है,
जब हर कोई विद्युत विभाग की अव्यवस्थाओं से पीडि़त और पीडि़त लोगों की समस्या विद्युत विभाग के अधिकारियों द्वारा दूर नहीं की जाती है तो हर पीडि़त जन अपने जनप्रतिनिधि के पास गुहार लगाता है और वह नाराज होकर जनता के सामने अपनी बहादुरी दिखाने में पीछे नहीं रहते और उसी जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए वह विद्युत विभाग के अधिकारियों के अनाप-शनाप शब्दों का उपयोग करने के साथ-साथ धमकियां देने और जूतों से पिटाई करने जैसी बात कह जाते हैं। जहाँ तक विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली का सवाल है तो राज्य की प्रशासनिक सेवाओं की तरह इस विभाग का भी वही ढर्रा है और उसमें सुधार आने का नाम नहीं ले रहा है,
यदि यही स्थिति रही तो प्रदेश की जनता और उनके जनप्रतिनिधियों का आक्रोश एक दिन क्या रंग लाएगा यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन यह जरूर है कि प्रदेश की भाजपा सरकार में भी पूर्व कांग्रेसी शासनकाल की तरह बिजली विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में असंतोष पनप रहा है, यदि समय रहते इसमें सुधार नहीं किया गया तो भविष्य में इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं, जिसको लेकर राज्य की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है क्योंकि विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली से आम जनता से लेकर मंत्री तक और भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधियों तक सभी परेशान हैं।
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