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ग़ौरतलब है कि मीडियादरबार,कॉम के संपादक धीरज भारद्वाज ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, टैम और एनबीएसए को नोटिस भिजवाया था। भारद्वाज का दावा है कि 'थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा' नामक विज्ञापन से घरों में अंधविश्वास फैल रहा है। आईबीएफ ने अपने पत्र में कहा है कि चैनलों को निर्मल बाबा के प्रवचनों और कार्यक्रमों के प्रसारण से बचना चाहिए क्योंकि वे अंधविश्वास फैलाते हैं। आईबीएफ के निदेशक नरेश चहल के मुताबिक यह उनकी संस्था का सामाजिक दायित्व है कि ऐसे अंधविश्वास को रोका जाए।
हालांकि पिछले साल आईबीएफ के गठन के वक्त कहा गया था कि ये संस्था मुख्य तौर पर मनोरंजन चैनलों पर निगरानी रखेगी, लेकिन कई न्यूज़ ब्रॉडकास्टर भी इसके सदस्य हैं। जब नरेश चहल से पूछा गया कि आईबीएफ का ये सुझाव सिर्फ मनोरंजन चैनलों पर लागू होगा या दूसरों पर भी, तो उनका जवाब था कि इसे सभी सदस्यों को भेजा गया है। ग़ौरतलब है कि आईबीएफ और एनबीएसए दिशा निर्देश या सुझाव तो जारी कर सकती है, लेकिन उनपर अमल करना पूरी तौर पर चैनलों के विवेक पर है।
हालांकि किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि आईबीएफ इतनी देर से क्यों जागी, लेकिन देर से ही सही, स्वयंभू और कागजी शेरों की तरह बने इन मीडिया रेग्यूलेटरों की आंखें तो खुलने लगी हैं। देखने वाली बात यह भी है कि इस पत्र का असर कितना होगा क्योंकि अगर कोई चैनल इस सुझाव को नहीं मानता है तो आईबीएफ कोई कार्रवाई भी नहीं कर सकता है। उधर टैम ने भी अबतक ये स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि उसने किस दबाव या लालच में 'थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा' नामक विज्ञापन को कार्यक्रमों की सूची में डाल दिया। बहरहाल, ऐसा माना जा रहा है कि आईबीएफ के इस पत्र के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और एनबीएसए पर भी दबाव बनेगा जो हाईकोर्ट के नोटिस के बावजूद चुप्पी मार कर बैठे हैं।
हालांकि पिछले साल आईबीएफ के गठन के वक्त कहा गया था कि ये संस्था मुख्य तौर पर मनोरंजन चैनलों पर निगरानी रखेगी, लेकिन कई न्यूज़ ब्रॉडकास्टर भी इसके सदस्य हैं। जब नरेश चहल से पूछा गया कि आईबीएफ का ये सुझाव सिर्फ मनोरंजन चैनलों पर लागू होगा या दूसरों पर भी, तो उनका जवाब था कि इसे सभी सदस्यों को भेजा गया है। ग़ौरतलब है कि आईबीएफ और एनबीएसए दिशा निर्देश या सुझाव तो जारी कर सकती है, लेकिन उनपर अमल करना पूरी तौर पर चैनलों के विवेक पर है।
हालांकि किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि आईबीएफ इतनी देर से क्यों जागी, लेकिन देर से ही सही, स्वयंभू और कागजी शेरों की तरह बने इन मीडिया रेग्यूलेटरों की आंखें तो खुलने लगी हैं। देखने वाली बात यह भी है कि इस पत्र का असर कितना होगा क्योंकि अगर कोई चैनल इस सुझाव को नहीं मानता है तो आईबीएफ कोई कार्रवाई भी नहीं कर सकता है। उधर टैम ने भी अबतक ये स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि उसने किस दबाव या लालच में 'थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा' नामक विज्ञापन को कार्यक्रमों की सूची में डाल दिया। बहरहाल, ऐसा माना जा रहा है कि आईबीएफ के इस पत्र के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और एनबीएसए पर भी दबाव बनेगा जो हाईकोर्ट के नोटिस के बावजूद चुप्पी मार कर बैठे हैं।
उधर पहले ही ऐसी खबरें आ रही है कि निर्मल बाबा ने अपने जून महीने के सभी समागम निरस्त कर दिये हैं। साफ है, इन व्यावहारिक उपायों से अब निर्मल बाबा की ठगी का चमत्कारिक कारोबार अब खात्मे की ओर है।
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