यशवंत ने जिनकी मदद की है उन्हें तो साथ देना ही चाहिए
Written by प्रदीप महाजन
यशवंत की गिरफ्तारी पत्रकार बिरादरी के लिए एक सबक है कि कहीं न कहीं इस पत्रकारिता जगत के शोषण को कहना गलत है और सहना सही है। अगर कोई पत्रकार शोषित हो रहा है तो सही है, अगर मीडिया मालिक वेतन नहीं दे रहे तो और भी सही है। इन्हीं पत्रकारों के शोषण और हक की लड़ाई के लिए यशवंत ने भड़ास4मीडिया के लिए अपने जीवन का कीमती समय समर्पित किया और उन्होंने बड़े मीडिया घरानों से लड़ाई लड़ी।
परन्तु ना जानने वाले छोटे पत्रकार, ट्रेनी और संस्थानों के उन पत्रकारों के लिए लड़ाई की और उनका हक दिलाया। आज क्यों नहीं पुलिस गिरफ्तार करती उन मीडिया मालिकों को जिन्होंने स्ट्रिंगरों का लहू पीया है। पत्रकारों को वेतन की जगह उन्हें नौकरी से निकालने का डर दिखाया जाता है। क्या सरकार, प्रशासन या किसी अन्य बड़े पत्रकार ने सोचा है कि पत्रकारों का और उनसे जुड़े परिवारों का पेट कैसे भरता है और ये अगर सोचा तो यशवंत ने और आज उनके साथ हिजड़ों ने (पत्रकारों की एक बिरादरी होती है) झूठे मुक़दमे में फ़साने का चक्रव्यूह बनाया, इसमें फंसाने की कोशिश की। वो देर सबेर बाहर निकल ही आएंगे, पर आपके सहयोग से उन्हें और साहस मिलेगा। अगर तुम्हारे भाई यशवंत ने कहीं ना कहीं तुम्हारी मदद की है तो इस पत्रकार बिरादरी को भी उनका साथ देना चाहिए। बस मैं ये ही कहता हूं कि -
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
लेखक प्रदीप महाजन अखिल भारतीय पत्रकार मोर्चा के अध्यक्ष हैं. इनसे संपर्क -09810310927 के जरिए किया जा सकता है.
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