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किसी नाबालिग लड़की के पति को अपनी बीवी की कस्टडी लेने का अधिकार है, लेकिन वह अपनी बीवी से उसके 20 साल के होने तक शारीरिक संबंध नहीं बना सकता। जजों के मुताबिक कानून नाबालिग लड़की को 20 साल की होने तक शादी तोड़ने का अधिकार देता है। इसलिए पति नाबालिग बीवी की कस्टडी तो ले सकता है, लेकिन उसके 20 साल की होने तक उसके साथ सेक्स नहीं कर सकता।
दिल्ली हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने यह व्यवस्था दो सदस्यीय बेंच के एक रेफरेंस के जवाब में दी। उसमें पूछा गया था कि क्या यह कहा जा सकता है कि कोई नाबालिग लड़की समझदारी की उम्र में आ गई है और वह अपने माता-पिता की कस्टडी से बाहर निकल सकती है।
जस्टिस ए. के. सीकरी, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस वी के शाली की बेंच ने कहा, 'हमारी यह राय है कि चूंकि शादी अमान्य नहीं है, इसलिए पति नाबालिग लड़की की देखरेख का अधिकार पाने का हकदार है।'
बेंच ने कहा, 'लेकिन पति को शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति देना उचित नहीं हो सकता। पीसीएम (बाल विवाह निरोधक) अधिनियम का मकसद है कि कम उम्र में किसी बच्चे की शादी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वे मनोवैज्ञानिक व शारीरिक तौर पर शादी के योग्य नहीं होते।'
बेंच ने कहा, 'आखिरकार इस तरह की शादी निरस्त करने योग्य है। लड़की के पास 20 साल की उम्र का होने तक अब भी शादी को अमान्य घोषित करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने का विकल्प है।'
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