तहसील प्रमुख// राजीव ऋ षि कुमार जैन (गाडरवारा // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से संपर्क:- 9926650850
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गाडरवारा. गाडरवारा विद्युत व्यवस्था को सुदृढ़ एवं सुचारू ढंग से बनाने के लिये तहसील में विद्युत से संबंधित जो योजनाऐं चल रही हैं वो संबंधित ठेकव्दारों की हठधर्मिता एवं मनमर्जी के कारण लापरवाही की भेंट चढ़ गई हैं. वर्तमान में तहसील क्षेत्र में फ ीडर सेपरेशन, राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना, कंजूमर सर्वे, कव्बिलाइजेशन आदि काम विभिन्न कंपनियों के माध्यम से चल रहे हैं परन्तु देखने में आ रहा है कि इन सभी कामों में इतनी अनियमिताऐं हो रही हैं कि उन्हें जमीनी स्तर पर आसानी से भांपा जा सकता है. जहां संबंधित ठेकदारों द्वारा सर्वे के नाम पर लूटमार मचा दी है वहीं इन योजनाओं में खर्च होने वाली राशि से वो अपनी जेबें भरकर लाखों की चपत लगा रहे हैं तथा शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बनकर सारा तमाशा देख रहे हैं जो कि उनकी संदिग्ध भूमिका को उजागर करता है.
फ ीडर सेपरेशन का काम अधर में-
गाडरवारा तहसील के विद्युत उपभोक्ताओं को घरेलू एवं खेतों की सिंचाई हेतु पंपोंकेलिये अलग-अलग बिजली प्रदान कराने के लिये 53.55 करोड़ की योजनाऐं संचालित हो रही हैं. इन योजनाओं का ठेका यूबी इंजीनीयरिंग नई दिल्ली की कंपनी को 1माह की समय सीमा में पूरा करने के लिये दिया गया था परन्तु एक साल निकल जाने के पश्चात संबंधित कंपनी द्वारा अभी आधा काम भी पूरा नहीं किया है जिसकी प्रगति तहसील के अंदर निराशाजनक दिख रही है इसका मुख्य कारण कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस काम के प्रति अपनी रूचि ना दिखाते हुये लापरवाही पूर्वक काम को अंजाम देना है. संबंधित कंपनी के शहर स्थित कार्यालय से जब भी इन योजनाओं की प्रगति संबंधी जानकारी ली जाती है तो टालमटोल जवाब दे दिये जाते हैं.
सर्वे के नाम पर कमा रहे लाखों-
तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों में फीडर सेपरेशन के तहत कंजूमर सर्वे का काम चल रहा है जिसका ठेका यूबी कंपनी द्वारा अपने अधीनस्थ कंपनी प्रोटेशन प्राय. लिमिटेड को दे दिया है इस कंपनी द्वारा अल्प वेतन में कुछ लडक़ों को लगाकर गांवों में सर्वे का काम कराया जा रहा है जो कि मजबूरीवश कम वेतन में दिनभर मेहनत भी कर रहे हैं. कंपनी को प्रति कंजूमर लगभग 20 से 22 रूपये प्राप्त होते हैं परन्तु देखने में आ रहा है कि यादा पैसा कमाने के चक्कर में कंपनी के संबंधित अधिकारी फर्जी सर्वें कराकर अपनी जेबें भरने में लगे हुये हैं जिस घर में एक कंजूमर बनता है वहां फर्जी तरह् से तीन से चार कंजूमर तक बनाये जा रहे हैं कव्बिल की लंबाई भी दोगुनी यादा लिखी जा रही है जिससे यादा मुनाफा हो सके, प्रोटेशन कंपनी के अधिकारी यूबी कंपनी के साथ सांठगांठ कर सर्वे के नाम पर लाखों की चपत लगा रहे हैं ऐसा नहीं है कि इन जिम्मेदार अधिकारियों को इन गलत कामों की जानकारी ना हो परन्तु वो जानबूझकर नजर अंदाज किये हैं.
घटिया सामग्री का उपयोग-
फीडर सेपरेशन योजना के तहत जो भी सामग्री का उपयोग किया जा रहा है वह बिल्कुल घटिया है नये पोलों की जगह पुराने पोलों को लगाया जा रहा है, नये तारों की जगह पुराने तारों का उपयोग किया जा रहा है. किसानों के खेतों में जो पोल लगाये जा रहे हैं उनमें सीमेंट कींट की जगह मिट्टी भरी जा रही है जो कि अल्प समय में ही तिरछे होकर झुक जाते हैं इतनी अनियमिताऐं होने के बावजूद भी यूबी कंपनी संबंधित कंपनी के बिल आंख बंद करके पास कर रही है इन दोनों कंपनियों की सांठगांठ का अंदाजा हम इस बात से भी लगा सकते हैं कि दोनों कंपनियों के कार्यालय शहर में एक ही जगह से संचालित हो रहे हैं.
क्वालिटी जांच करने वाली कंपनी की कार्यप्रणाली भी संदेहप्रद-
तहसील के अंदर फीडर सेपरेशन से संबंधित जितने भी काम चल रहे हैं उनकी क्वालिटी को चैक करने के लिये स्कोरबिल्सन नामक कंपनी का कार्यालय भी शहर में है जिसमें इंजीनियरों के अलावा संबंधित अधिकारी भी कार्यरत हैं परन्तु देखने में आ रहा है कि यह कंपनी भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही ढंग से नहीं कर रही है अगर कामों की जांच बारीकी से हो जाये तो निश्चित ही कई फर्जीवाड़े उजागर हो जावेंगे परन्तु इस कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी अधिकतर समय अपने कार्यालय में ही बैठकर गुजारते हैं और वहीं से सभी प्रकार की कागजी कार्यवाही चलती रहती है जबकि इन्हें फ ील्ड पर जाकर प्रत्येक काम की जांच करना चाहिये परन्तु जब ठंडी हवा में बैठकर ही काम बन रहा है तो गर्म हवा में जाने से या फायदा?
ये सभी तथ्य इस कंपनी की कार्यरत कंपनियों के साथ सांठगांठ उजागर करती है. बहरहाल मामले कुछ भी हों लेकिन सरकार द्वारा करोड़ों की योजनाऐं गरीबों के हितों में संचालित की जा रही हैं परन्तु जमीनी स्तर पर उनकी कैसी लीपापोती की जाती है वह क्षेत्र में चल रहे कार्यो को देखकर सहज ही समझा जा सकता है.
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