क्रास एफआईआर दर्ज करने से किया इनकार
यशवंत की गिरफ्तारी ने कई सवाल खड़े किए हैं. लेकिन सबसे ज्यादा थूथू पुलिस की भूमिका पर हो रही है. पहला सवाल यह है कि क्या यशवंत कोई आतंकवादी थे, जो गिरफ्तारी के लिए दो दर्जन पुलिसवाले बिना किसी आरोप बताए गिरफ्तार कर लिया. दूसरा सवाल गिरफ्तारी के बाद यशवंत सिंह को किसी से नहीं मिलने देने का है. ऐसा बर्ताव केवल आतंकवादियों के साथ होता है. तीसरा सवाल यह है कि जो पत्रकार आज यशवंत से मिलने की कोशिश कर रहे थे. उनमें दहशत पैदा करने के लिए उनके गाडि़यों के नम्बर और उनके निवास स्थान के बारे में संदिग्ध तरीके से पूछताछ की जा रही थी. जिसका मकसद यशवंत को किसी भी तरीके की कानूनी और मनोवैज्ञानिक मदद पहुंचाने से रोकना था.
चौथा सवाल यह है कि बार-बार कहने के बाद भी थाना सेक्टर 49 में मौजूद दरोगा गिरीश कुमार जयंत क्रास एफआईआर दर्ज करने को तैयार नहीं हुआ. यहां तक कि यशवंत के बिना पर लिखे गए जवाबी शिकायती पत्र को भी लेने से यह कहकर मना कर दिया गया कि ऊपर से ऐसी किसी भी बात के लिए मनाही है. यशवंत सिंह की शिकायती पत्र की थाने में मौके पर ली गई फोटो भी इस खबर के साथ नीचे दी जा रही है. पांचवां सवाल यह है कि आखिर बार-बार मांगने के बाद भी यशवंत सिंह के वकील को थाने से एफआईआर की कॉपी नहीं दी गई, जो आखिरी समय में सूरजपुर कोर्ट में मुहैया कराई गई.
पत्रकारों के हवाले से आ रही खबरों में यह भी सामने आ रहा है कि विनोद कापड़ी ने इस कार्रवाई का तानाबाना एक सप्ताह पहले ही बुन लिया था. जिसमें पुलिस कप्तान ने खुलकर सहयोग दिया. और यह खबर फैलाई कि यशवंत पर कार्रवाई का आदेश मुख्यमंत्री कार्यालय से आया है. यशवंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद देश भर से तमाम पत्रकार अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. और आर्थिक मदद देने के लिए बैंक एकाउंट नम्बर पूछ रहे हैं. लेकिन संपादक यशवंत ने किसी भी मदद को अभी स्वीकार करने से मना कर दिया है. यशवंत सिंह का कहना है कि अभी वो अखिलेश सरकार की इस मामले में भूमिका देखना चाह रहे हैं. यशवंत सिंह का यह भी कहना है कि वो अपनी पूरी सफाई भड़ास के जरिए ही जमानत मिलने के बाद देंगे.
यशवंत की गिरफ्तारी ने कई सवाल खड़े किए हैं. लेकिन सबसे ज्यादा थूथू पुलिस की भूमिका पर हो रही है. पहला सवाल यह है कि क्या यशवंत कोई आतंकवादी थे, जो गिरफ्तारी के लिए दो दर्जन पुलिसवाले बिना किसी आरोप बताए गिरफ्तार कर लिया. दूसरा सवाल गिरफ्तारी के बाद यशवंत सिंह को किसी से नहीं मिलने देने का है. ऐसा बर्ताव केवल आतंकवादियों के साथ होता है. तीसरा सवाल यह है कि जो पत्रकार आज यशवंत से मिलने की कोशिश कर रहे थे. उनमें दहशत पैदा करने के लिए उनके गाडि़यों के नम्बर और उनके निवास स्थान के बारे में संदिग्ध तरीके से पूछताछ की जा रही थी. जिसका मकसद यशवंत को किसी भी तरीके की कानूनी और मनोवैज्ञानिक मदद पहुंचाने से रोकना था.
चौथा सवाल यह है कि बार-बार कहने के बाद भी थाना सेक्टर 49 में मौजूद दरोगा गिरीश कुमार जयंत क्रास एफआईआर दर्ज करने को तैयार नहीं हुआ. यहां तक कि यशवंत के बिना पर लिखे गए जवाबी शिकायती पत्र को भी लेने से यह कहकर मना कर दिया गया कि ऊपर से ऐसी किसी भी बात के लिए मनाही है. यशवंत सिंह की शिकायती पत्र की थाने में मौके पर ली गई फोटो भी इस खबर के साथ नीचे दी जा रही है. पांचवां सवाल यह है कि आखिर बार-बार मांगने के बाद भी यशवंत सिंह के वकील को थाने से एफआईआर की कॉपी नहीं दी गई, जो आखिरी समय में सूरजपुर कोर्ट में मुहैया कराई गई.
पत्रकारों के हवाले से आ रही खबरों में यह भी सामने आ रहा है कि विनोद कापड़ी ने इस कार्रवाई का तानाबाना एक सप्ताह पहले ही बुन लिया था. जिसमें पुलिस कप्तान ने खुलकर सहयोग दिया. और यह खबर फैलाई कि यशवंत पर कार्रवाई का आदेश मुख्यमंत्री कार्यालय से आया है. यशवंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद देश भर से तमाम पत्रकार अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. और आर्थिक मदद देने के लिए बैंक एकाउंट नम्बर पूछ रहे हैं. लेकिन संपादक यशवंत ने किसी भी मदद को अभी स्वीकार करने से मना कर दिया है. यशवंत सिंह का कहना है कि अभी वो अखिलेश सरकार की इस मामले में भूमिका देखना चाह रहे हैं. यशवंत सिंह का यह भी कहना है कि वो अपनी पूरी सफाई भड़ास के जरिए ही जमानत मिलने के बाद देंगे.
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