विधानसभा के पावस सत्र का असमय अवसान
कांग्रेस विधायक चौधरी राकेश सिहं चतुर्वेदी और कल्पना परुलेकर की सदस्यता समाप्त
भ्रष्टाचार पर चर्चा से भागी सरकारः अजय सिंह
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भोपाल 18 जुलाई । भाजपा से जुड़े ठेकेदारों दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा पर पड़े आयकर छापे पर चर्चा कराने की विपक्ष की मांग से आजिज आकर आज विधानसभा का पावस सत्र असमय ही समाप्त कर दिया गया। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार पर चर्चा की मांग से घबराकर जिस तरह मुख्यमंत्री ने सत्र समाप्त करवा दिया उससे प्रमाणित हो गया है कि मुख्यमंत्री स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। सभापति की आसंदी पर जाकर हस्तक्षेप करने के आरोप में विधायक चौधरी राकेश सिंह और कल्पना परुलेकर की सदस्यता समाप्त करके भी विधानसभा अध्यक्ष ने सभी को हतप्रभ कर दिया। समाचार लिखे जाने तक कांग्रेस से सभी विधायक विरोध स्वरूप सदन में ही बैठे हुए थे।
मुख्यमंत्री के करीबी ठेकेदार दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा पर पड़े आयकर छापों की घटना कुछ ये मोड़ ले लेगी किसी ने सोचा भी नहीं था। इन व्यापारियों के कारोबार की जांच इस समय केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, आयकर विभाग और कई अन्य विभाग कर रहे हैं। राज्य सरकार के वाणिज्यकर विभाग से इन्होंने करमाफी करवाकर जो अनैतिक लाभ अर्जित किया है उसकी भी जानकारियां उजागर हो गईं हैं। पावस सत्र प्रारंभ होने के समय से ही विपक्ष इस भ्रष्टाचार पर सदन में चर्चा कराने की मांग कर रहा था। विपक्ष के सत्रह विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव लाकर लोकहित के इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की थी। सरकार ने ये कहकर विपक्ष की मांग खारिज कर दी कि चूंकि छापा आयकर विभाग ने डाला है इसलिए इस पर सदन में चर्चा कराने का कोई प्रावधान नहीं है। केन्द्रीय एजेंसी जांच कर रही है और अभी तक उसकी जानकारियां सामने नहीं आईं हैं इसलिए इस मुद्दे पर चर्चा नहीं कराई जा सकती।
आज सुबह जब सदन समवेत हुआ तो एक बार फिर इस स्थगन पर चर्चा कराने की मांग की गई। अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने विचार विमर्श के लिए साढ़े ग्यारह बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। इस दौरान अध्यक्ष श्री रोहाणी के कक्ष की ओर जाने वाले मार्ग पर आम लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई। यहां तक कि पत्रकारों को भी वहां जाने से रोक दिया गया। बाद में जब सदन एक बार फिर समवेत हुआ तो कार्यसूची के मुताबिक ध्यानाकर्षणों के बाद सभापति तालिका की घोषणा की गई। इस दौरान विपक्षी सदस्य आसंदी के सामने एकत्रित होकर भ्रष्टाचार पर चर्चा की मांग करने लगे। शोरशराबे के बीच अध्यक्ष श्री रोहाणी ने सदन की कार्यवाही जारी रखी। शासकीय विधि विषयक कार्यकलापों के बाद वर्ष 2012-2013 के प्रथम अनुपूरक मांगों पर मतदान कराया गया और विधि विषयक कामकाज निपटाए गए । लगभग पंद्रह मिनिट के भीतर दिन भर का कामकाज निपटा लिया गया।
इसके बाद अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा के उस प्रस्ताव को पढ़ा जिसमें कल सदन में हुए हंगामे का नेतृत्व करने वाले चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी और सुश्री कल्पना परुलेकर की सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध किया गया था। आनन फानन में ये प्रस्ताव पारित भी करा लिया गया। बाद में इस हंगामे में शरीक अन्य विधायकों पर कार्रवाई करने संबंधी प्रस्ताव भी पेश हुआ। विपक्ष के सदस्य कुछ समझ पाते इससे पहले आनन फानन में विधानसभा का सत्र अनिश्चित काल तक समाप्त करने की घोषणा भी कर दी गई।
बाद में पत्रकारों से चर्चा में विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने कहा कि संसदीय परंपराओं का स्वास्थ्य ठीक रहे इसके लिए ये कार्रवाई की जाना आवश्यक थी। उन्होंने यह भी कहा कि ये प्रस्ताव सरकार ने रखा था जो ध्वनिमत से पास हो गया। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष की आसंदी तक विधायकों को जाने से रोकने में असफल रहे मार्शलों पर भी कार्रवाई की जाएगी। यह पूछे जाने पर कि सदस्यता समाप्त करने के मुद्दे से आप दुखी हैं तो क्या अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे। श्री रोहाणी ने जवाब दिया कि संबंधित विधायक अपना पक्ष लेकर हाईकोर्ट जा सकते हैं अदालत का जो फैसला होगा हम उसे स्वीकार करेंगे।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश के इतिहास में इस प्रकार की इकतरफा कार्रवाई कभी नहीं हुई , जब विधायकों को नैसर्गिक न्याय के खिलाफ बिना सूचना दिए और बिना उनका पक्ष सुने निष्कासित कर दिया गया हो। उन्होंने कांग्रेस विधायक दल की ओर से इस कार्रवाई की घोर निंदा की और कहा कि इतिहास में ये कदम काले अध्याय के रूप में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता की ओर से विपक्ष की भूमिका निभाते हुए हमने स्थगन के माध्यम से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की थी तो क्या इतना बड़ा अपराध किया था कि सदस्यों को निष्कासित कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकार भ्रष्टाचार पर चर्चा कराने की मांग करने वालों का मुंह बंद करना चाहती है उसे देखने के बाद तो मेरा सीधा आरोप है कि इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान और उनके परिजन भी लिप्त हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस मुद्दे पर चर्चा कराई जाती तो विपक्ष के कुछ सदस्य ही सरकार से सवाल पूछते जिनके जवाब वह दे सकती थी लेकिन अब प्रदेश भर के लोग सरकार से सवाल करेंगे जिसके जवाब देना उसके बस की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष की आसंदी के पास पहुंचने वालों में भाजपा के मंत्री और विधायक भी शामिल थे फिर उनके ऊपर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। ( पीआईसीएमपी )
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