आने वाले दिनों में पत्रकारों और न्यू मीडिया पर और हमले बढ़ेंगे.राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पत्रकारों और बुद्धिजीवियों से अपील की गई कि वे यशवंत के मामले पर अपना प्रतिरोध दर्ज करें और 9 जुलाई को जंतर-मंतर पर होने जा रहे प्रदर्शन में प्रमुखता से भागीगदारी करें...पिछले दिनों उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक फर्जी मामले को आधार बनाते हुए पत्रकार और भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत की गिरफ्तारी के विरोध में जनज्वार डाट काम के नेतृत्व में 6 जुलाई को आयोजित पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक बैठक दिल्ली के कनाट प्लेस के इंडियन कॉफी हाउस में संपन्न हुई.
बैठक में सर्वसम्मति से नोएडा पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की गई और कहा गया कि ताकतवर लॉबी के इशारों पर तथ्यहीन मामलों का आधार बनाते हुए यशवंत की गिरफ्तारी पत्रकारों और खासकर न्यू-मीडिया पर खुला हमला है. यशवंत के मामले में लगाए गए अभियोगों से साफ होता है कि कानून का दुरुपयोग करते हुए न्यू-मीडिया की बेबाकी और सच्चाई का गला घोटने का प्रयास किया गया है. यशवंत की पत्रकारिता से खार खाए रसूखदार लोगों ने अपनी नाजायज पहुँच के जरिए पुरानी रंजिश निकाली है. वक्ताओं ने कहा कि पिछले कई उदाहरणों से साफ होता है कि कानून को ताक पर रखकर झूठे मामलों के आधार पर ही पत्रकारों को गिरफ्तार किया जाता रहा है. यशवंत का मामला भी लगभग उन्हीं में से एक है.
बैठक के दौरान सर्वसम्मति से तय हुआ कि नोएडा पुलिस की इस अराजकता के खिलाफ आगामी 9 जुलाई सोमवार को दोपहर 3 बजे संसद मार्ग स्थित जंतर-मंतर पर एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आयोजित कर यशवंत की रिहाई की मांग की जाएगी. इस दौरान भाषाई पत्रकार पर पुलिसिया प्रताड़ना को लेकर मीडिया के एक धडे़ की रहस्यमयी चुप्पी पर चिंता भी प्रकट की गई.
वक्ताओं ने कहा कि यशवंत पत्रकार हैं बावजूद इसके कुछ लोग भेदभाव बरतते हुए खामोश है. जबकि यशवंत पर लगे अभियोगों में कई ऐसे बिन्दु हैं जो शीशे की तरह साफ हैं. यदि यशवंत के मामले पर चुप्पी रखी जाती है तो आने वाले दिनों में पत्रकारों और न्यू मीडिया पर और हमले बढ़ेंगे. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पत्रकारों और बुद्धिजीवियों से अपील की गई कि वे यशवंत के मामले पर अपना प्रतिरोध दर्ज करें और 9 जुलाई को जंतर-मंतर पर होने जा रहे प्रदर्शन में प्रमुखता से भागीगदारी करें.
आगामी 9 जुलाई के प्रदर्शन के मद्देनजर वर्चुअल दुनिया में मुहिम चलाने की रूपरेखा भी तय हुई. अशोक प्रियदर्शी, घनश्याम श्रीवास्तव, आलोक कुमार, इंद्रमोहन सिंह, विनोद विप्लव, सुभाष गौतम, पूनम, अजय प्रकाश, शम्भूनाथ मिश्र, शिवदास, शंकर आनंद, अनुज शुक्ला समेत अन्य पत्रकार-लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता प्रमुखता से उपस्थित थे.
बैठक में सर्वसम्मति से नोएडा पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की गई और कहा गया कि ताकतवर लॉबी के इशारों पर तथ्यहीन मामलों का आधार बनाते हुए यशवंत की गिरफ्तारी पत्रकारों और खासकर न्यू-मीडिया पर खुला हमला है. यशवंत के मामले में लगाए गए अभियोगों से साफ होता है कि कानून का दुरुपयोग करते हुए न्यू-मीडिया की बेबाकी और सच्चाई का गला घोटने का प्रयास किया गया है. यशवंत की पत्रकारिता से खार खाए रसूखदार लोगों ने अपनी नाजायज पहुँच के जरिए पुरानी रंजिश निकाली है. वक्ताओं ने कहा कि पिछले कई उदाहरणों से साफ होता है कि कानून को ताक पर रखकर झूठे मामलों के आधार पर ही पत्रकारों को गिरफ्तार किया जाता रहा है. यशवंत का मामला भी लगभग उन्हीं में से एक है.
बैठक के दौरान सर्वसम्मति से तय हुआ कि नोएडा पुलिस की इस अराजकता के खिलाफ आगामी 9 जुलाई सोमवार को दोपहर 3 बजे संसद मार्ग स्थित जंतर-मंतर पर एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आयोजित कर यशवंत की रिहाई की मांग की जाएगी. इस दौरान भाषाई पत्रकार पर पुलिसिया प्रताड़ना को लेकर मीडिया के एक धडे़ की रहस्यमयी चुप्पी पर चिंता भी प्रकट की गई.
वक्ताओं ने कहा कि यशवंत पत्रकार हैं बावजूद इसके कुछ लोग भेदभाव बरतते हुए खामोश है. जबकि यशवंत पर लगे अभियोगों में कई ऐसे बिन्दु हैं जो शीशे की तरह साफ हैं. यदि यशवंत के मामले पर चुप्पी रखी जाती है तो आने वाले दिनों में पत्रकारों और न्यू मीडिया पर और हमले बढ़ेंगे. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पत्रकारों और बुद्धिजीवियों से अपील की गई कि वे यशवंत के मामले पर अपना प्रतिरोध दर्ज करें और 9 जुलाई को जंतर-मंतर पर होने जा रहे प्रदर्शन में प्रमुखता से भागीगदारी करें.
आगामी 9 जुलाई के प्रदर्शन के मद्देनजर वर्चुअल दुनिया में मुहिम चलाने की रूपरेखा भी तय हुई. अशोक प्रियदर्शी, घनश्याम श्रीवास्तव, आलोक कुमार, इंद्रमोहन सिंह, विनोद विप्लव, सुभाष गौतम, पूनम, अजय प्रकाश, शम्भूनाथ मिश्र, शिवदास, शंकर आनंद, अनुज शुक्ला समेत अन्य पत्रकार-लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता प्रमुखता से उपस्थित थे.
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