भड़ास4मीडिया
के संचालक-संपादक यशवंत सिंह को नोयडा पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया
है। उनकी गिरफ्तारी एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के प्रबंध संपादक की लिखित
शिकायत पर की गई थी। चैनल के प्रबंध संपादक व उनकी पत्नी की शिकायत पर
कोतवाली फेज-2 और सेक्टर-49 थाने में एक साथ दर्ज शिकायत में यशवंत पर
रंगदारी मांगने,भय फैलाने तथा जान से मारने जैसे गंभीर आरोप लगाये गये
हैं।
इस संबंध में रांची से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान के पृष्ठ संख्या-16( देश-विदेश) पर प्रकाशित समाचार को प्रस्तुत किया जा रहा है।
खबर आई है कि
यशवंत सिंह की जमानत की अर्जी गौतमबुद्ध
नगर के सुरजपुर कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी श्री ए बी सिंह
ने खारिज कर दी । यशवंत सिंह को डासना जेल भेज दिया गया । वस्तुत: यह
मुकदमा टीवी एवं प्रिंट मीडिया क्षेत्र में अधिकार जमाये कारपोरेट घरानो और
नई मीडिया यानी वेब मीडिया के बीच टकराव का नतीजा है । हालिया समय मे वेब
मीडिया ने पुरी दुनिया में अपनी
निष्पक्षता और बेबाकी के कारण एक अलग पहचान कायम किया है ।
मीडिया के
सभी रुपों में मात्र वेब न्यूज पोर्टल हीं
हैं जो एक दुसरे की खामियों को भी उजागर करते हैं । किसी भी चैनल पर
दुसरे चैनल की खामिया तो दुर रही , नाम तक नही दिखाया जाता । वही हाल
अखबारों का है। अखबार प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन आफ़ बुक एक्ट १८६७ की धाराओं
का रोज उल्लंघन करते हैं लेकिन उनके उपर कोई कार्रवाई नही होती है ठिक उसी
प्रकार टीवी चैनल ड्रग एंड मैजिक रिमेडी ( ओबजेकशनेबल एडवर्जटाईजमेंट )
एक्ट १९५४ की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करते हुये भ्रामक तथा चमत्कार
दिखाने वाले अंधविश्वास को बढावा देने वाले विग्यापन प्रकाशित करते हैं
परन्तु उनके उपर कोई कार्रवाई नही होती है ।
हालिया
समय में वेब मीडिया ने अपनी निष्पक्षता और तथ्यपूर्ण खबरो के लिये प्रिंट
मीडिया तथा टीवी चैनलो से इतर अपना स्थान बनाया है वही टीवी चैनलों की
विश्वसनियता मे भी गिरावट आई है । टीवी चैनल तथा अखबार सिंडिकेट की तरह काम
करते हैं । कोई भी टीवी चैनल या अखबार दुसरे टीवी चैनल या अखबार की गलती
को नही प्रकाशित करता जबकि वेब मीडिया अपनी आलोचना को भी अपने पोर्टल पर
प्रकाशित करते हैं । दुनिया के अंदर आ रहे बदलाव मे भी वेब पोर्ट्लों का
सबसे बडा योगदान रहा है । चाहे मिस्त्र का सता परिवर्तन हो या अन्ना के
आंदोलन पर सार्थक बहस की शुरुआत । अमेरिका का अक्यूपाई वाल स्ट्रीट आंदोलन
वेब मीडिया की ताकत का सबसे बडा उदाहरण है । जहां टीवी चैनलो ने तथा अखबारो
ने इस आंदोलन को कोई अहमियत नही दी , वहीं वेब मीडिया ने इसे पुरी दुनिया
मे फ़ैलाने का काम किया । वेब मीडिया ने न्यूज चैनलों के पाखंड तथा अखबारो
की कायरता एवं चटुकारिता को भी उजागर करने का कार्य किया है और यही कारण है
कि आज यह टीवी तथा अखबारो का सबसे बडा दुश्मन है । वैसे भी एक सर्वे में
यह बताया गया है कि आनेवाले २०४० तक अखबारों का कोई अस्तित्व नही रहेगा ।
वेब मीडिया ने टीवी तथा प्रिंट मीडिया के पाखंड तथा गलत कार्यो को
प्रकाशित करने का कार्य किया है । इंडिया टीवी पर आने वाले अंधविश्वास को
बढावा देने वाले विग्यापनो की आलोचना हमेशा भडास पर आई है उसी का परिणाम है
की बदले की भावना से प्रेरित होकर यशवंत सिंह के उपर यह झुठा मुकदमा किया
गया है । वेब मीडिया ने भी इसे धर्म युद्ध के रुप मे लडने का निश्चय किया
है । इस धर्म युद्ध में एक तरफ़ सत्य पर कायम वेब मीडिया है तो दुसरी तरफ़
अधर्म की लडाई लडने वाली कौरव सेना के रुप में शोषणकारी टीवी चैनल हैं । हम
इस युद्ध को अंजाम तक पहुंचायेंगे ।
No comments:
Post a Comment