नई दिल्ली: रायसीना हिल्स के लिए यूपीए उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी का
रास्ता लगभग साफ नजर आ रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए सुबह 11 बजे से
शुरू हुई मतगणना में प्रणब को बीजेपी समर्थित पीए संगमा के मुकाबले जबरदस्त
बढ़त हासिल हुई है।
राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के मतों में से प्रणब को संगमा के मुकाबले तीन लाख 73 हजार 116 मत मूल्य अधिक मिले हैं। अधिकृत सूत्रों ने बताया कि सांसदों के मतों की गणना पूरी होने पर संगमा को मात्र 1,45,848 मत मूल्य मिले। प्रणब ने संगमा से दो लाख 27 हजार 268 मत मूल्यों की बढ़त हासिल की।
इस महीने की 19 तारीख को हुए चुनाव में 776 सासंदों में से 748 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिनमें से प्रणब को 527 और संगमा को 206 सांसदों ने मत दिया। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सहित 15 सांसदों के मत अयोग्य करार दिए गए।
संसद भवन में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच प्रणब और संगमा के आधिकारिक प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मतगणना शुरू हुई। गृहमंत्री पी चिदंबरम और प्रणब के प्रतिनिधि केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल, राजीव शुक्ला, वी नारायणसामी और पवन सिंह घटोवार तथा संगमा के प्रतिनिधि सत्यपाल जैन और बी महताब मौके पर मौजूद हैं।
यूपीए के प्रबंधकों ने कहा कि जैसे ही प्रणब का मत मूल्य आंकड़ा पांच लाख 25 हजार 140 को पार करेगा, वह देश के नए राष्ट्रपति बन जाएंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के चुनावी नतीजों के ऐलान के तुरंत बाद प्रणब के आवास पर जाकर उन्हें बधाई देंगे।
राष्ट्रपति पद के निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों और विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं। इनमें संसद के मनोनीत सदस्यों को मताधिकार नहीं है। मुखर्जी को तृणमूल कांग्रेस सहित यूपीए के सभी दलों का समर्थन प्राप्त है। यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा, बसपा, राजद और लोजपा भी उनके साथ हैं। यही नहीं, विपक्षी गठबंधन एनडीए के जेडीयू और शिवसेना ने भी मुखर्जी को समर्थन देने का फैसला किया था।
वाम मोर्चे में से सीपीएम और फारवर्ड ब्लॉक ने भी प्रणब को समर्थन दिया। संगमा को बीजेपी और अकाली दल के अलावा बीजेडी तथा अन्नाद्रमुक का समर्थन मिला है। भारत के प्रधान न्यायाधीश 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति को पद की शपथ दिलाएंगे।
इस बार का राष्ट्रपति चुनाव अब तक के सभी चुनावों में सबसे चर्चित रहा। पहले प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी पर लंबे समय तक सस्पेंस कायम रहा और जब उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की गई, तो यूपीए की अहम सहयोगी ममता बनर्जी ने उनको समर्थन देने पर चुप्पी साध ली। हालांकि आखिरी वक्त में उन्होंने भी प्रणब को समर्थन देने की घोषणा कर दी।
वहीं एनडीए के उम्मीदवार पीए संगमा ने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए अपनी पार्टी एनसीपी से ही इस्तीफा दे दिया। एनसीपी ने उनसे इस चुनाव में खड़े न होने की अपील की थी, लेकिन संगमा नहीं माने और फिर बीजेपी के समर्थन से उन्होंने चुनाव लड़ा। देश के नए राष्ट्रपति 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।
राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के मतों में से प्रणब को संगमा के मुकाबले तीन लाख 73 हजार 116 मत मूल्य अधिक मिले हैं। अधिकृत सूत्रों ने बताया कि सांसदों के मतों की गणना पूरी होने पर संगमा को मात्र 1,45,848 मत मूल्य मिले। प्रणब ने संगमा से दो लाख 27 हजार 268 मत मूल्यों की बढ़त हासिल की।
इस महीने की 19 तारीख को हुए चुनाव में 776 सासंदों में से 748 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिनमें से प्रणब को 527 और संगमा को 206 सांसदों ने मत दिया। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सहित 15 सांसदों के मत अयोग्य करार दिए गए।
संसद भवन में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच प्रणब और संगमा के आधिकारिक प्रतिनिधियों की मौजूदगी में मतगणना शुरू हुई। गृहमंत्री पी चिदंबरम और प्रणब के प्रतिनिधि केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल, राजीव शुक्ला, वी नारायणसामी और पवन सिंह घटोवार तथा संगमा के प्रतिनिधि सत्यपाल जैन और बी महताब मौके पर मौजूद हैं।
यूपीए के प्रबंधकों ने कहा कि जैसे ही प्रणब का मत मूल्य आंकड़ा पांच लाख 25 हजार 140 को पार करेगा, वह देश के नए राष्ट्रपति बन जाएंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के चुनावी नतीजों के ऐलान के तुरंत बाद प्रणब के आवास पर जाकर उन्हें बधाई देंगे।
राष्ट्रपति पद के निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों और विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं। इनमें संसद के मनोनीत सदस्यों को मताधिकार नहीं है। मुखर्जी को तृणमूल कांग्रेस सहित यूपीए के सभी दलों का समर्थन प्राप्त है। यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा, बसपा, राजद और लोजपा भी उनके साथ हैं। यही नहीं, विपक्षी गठबंधन एनडीए के जेडीयू और शिवसेना ने भी मुखर्जी को समर्थन देने का फैसला किया था।
वाम मोर्चे में से सीपीएम और फारवर्ड ब्लॉक ने भी प्रणब को समर्थन दिया। संगमा को बीजेपी और अकाली दल के अलावा बीजेडी तथा अन्नाद्रमुक का समर्थन मिला है। भारत के प्रधान न्यायाधीश 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति को पद की शपथ दिलाएंगे।
इस बार का राष्ट्रपति चुनाव अब तक के सभी चुनावों में सबसे चर्चित रहा। पहले प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी पर लंबे समय तक सस्पेंस कायम रहा और जब उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की गई, तो यूपीए की अहम सहयोगी ममता बनर्जी ने उनको समर्थन देने पर चुप्पी साध ली। हालांकि आखिरी वक्त में उन्होंने भी प्रणब को समर्थन देने की घोषणा कर दी।
वहीं एनडीए के उम्मीदवार पीए संगमा ने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए अपनी पार्टी एनसीपी से ही इस्तीफा दे दिया। एनसीपी ने उनसे इस चुनाव में खड़े न होने की अपील की थी, लेकिन संगमा नहीं माने और फिर बीजेपी के समर्थन से उन्होंने चुनाव लड़ा। देश के नए राष्ट्रपति 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।
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