तहसील प्रमुख // सत्य प्रकाश शर्मा (खुरई// टाइम्स ऑफ क्राइम)
तहसील प्रमुख से संपर्क:-98268 55356
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खुरई. खुरई शहर में तो आजकल भगवान की ही कृपा पर रह पाना रह गया है, गरीब व्यक्ति को अपना सम्मान बचा पाना मुश्किल हो गया है, कोई गरीब व्यक्ति यदि किसी भी विभाग के प्रभारी अधिकारी के पास पहुंच जाए तो उसके साथ होने वाले व्यवहार से ही वह कांप जाता है, कोई किसी की सुनने वाला या उसके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों तक को देखने वाला नहीं है, तथा स्थानीय लोगों का ही हर विभाग में जमघट लगा हुआ है जो किस आदमी के साथ कैसा व्यवहार किसको करना है, गरीब के विरोधियों तथा उनके दलालों के इशारों पर करना जानते है, व्यर्थ के झूठे दोषारोपण और लगा दिये जाते है, जिससे गरीब को अपना व अपने परिवार के भी भरण पोषण की समस्या पैदा हो जाती है। कुछ गरीब व्यक्तियों को व्यर्थ का ही इतना बड़ा आरोप उल्टा लगा देते हे कि फिर उसके सामने तक की जाने की हिम्मत गरीब नहीं जुटा पाता और सीधा-साधा अपने काम से काम रखने वाले एवं राजनीति से कोई मतलब नहीं रखने वाले व्यक्ति का रहना मुश्किल हो जाता है. अकारण ही अतिक्रमण, धारा 151 जा.फ ौ. की कार्यवाही कर साफ -स्वच्छ छवि को भी खराब करने की धमकी दे दी जाती है, तथा गरीब जो यह जानता है कि इन कार्यालयों में भगवान बैठे है, इन कलयुग के भगवानों से बात करने के बाद तो उसका जीना ही दूभर हो जाता है, इन भगवानों के आस-पास वैध व अवैध तरीके से जितने भी दलाल रूपी कर्मचारी लगे है सभी अपने-अपने हथखंडे बताते है, अकारण का ही स्थानीयता का लाभ लेकर व यह देखकर कि गरीब है, इसका कोई राजनैतिक अस्तित्व नहीं है कर्मचारी अकारण ही कुछ भी कहने में नहीं हिचकते कई गरीब व्यक्ति जो अपने सभी दस्तावेज सही व सच प्रस्तुत करता है, जिन्हें भी फर्जी होने आदि कहकर दलाल रूपी कर्मचारी जांच आदि कराने वाली व्यर्थ की बातों में उलझाने आदि की बातें कहकर, मानसिक संतुलन बिगाड़ उनका अवलोकन कराने प्रभारी अधिकारी से मिलने तक नही दिया जाता, और स्वयं को प्रभारी अधिकारी से ज्यादा जानकार होने का ड्रामा कर श्रीमान् कलेक्टर महोदय जी, केे भी आदेशों की अव्हेलना करने से नहीं हिचकते, क्योंकि इनको दलालों, पत्रकारों, टी.व्ही.चेनल पत्रकारों, तथा खुरापाती अधिवक्ताओं के दबाव में आकर किसी को भी अपमानित, त्रस्कृत, कर मानसिक, आर्थिक, क्षति पहुंचाई जाती है और पूरे क्षेत्र, समाज तथा शहर वासी पागल भी घोषित कर देते है,
ऐंसी खुलेआम नीचता भी देखने को मिल रही है। तहसील प्रांगण खुरई के आस-पास जो अपनी-अपनी दुकानें सजाये बेठे है,जो इस तरह का दावा करते है, जैसे इनके द्वारा ही पूरी तहसील का संचालन किया जाता हो, गरीब को अपना बर्चस्व उसकी छाती पर चढक़र बताया जाता है, किसी भी गरीब को हैरान परेशान देखकर फ्री में ही सलाह देने वालों की तो गंगा बह रही है बुरा समय आने पर गरीब का सहयोग करने वाले तो विरले ही होते है, शहर खुरई मे गरीब कीं साफ -स्वच्छ छवि के लिए किसी भी प्रकार से रखाव करने का खुलेआम ड्रामा चल रहा है तथा यदि किसी गरीब का कोई रिश्तेदार, परिवार जन सहयोग करता है तो उनसे भी झूठा दोषारोपरण कर प्रभारी अधिकारी द्वारा बेइज्जत कर दिया जाता है, जिसको कि स्वयं प्रभारी अधिकारी गरीब पर अपनी शान समझकर बता देते है, कि मैने तेरा कौन रिश्तेदार है का फोन आया था उससे भी कह दिया है कि इसका काम नहीं हो पायेगा, अत: बिना किसी जांच पड़ताल के बिना दस्तावेजों को देखते हुए ब्लैक मेलरों के दबाव में आकर व्यर्थ के झूठे दोषारोपण किये जा रहे हैै तथा गरीब को अपूर्तिनीय क्षति छबि खराब करके तथा किसी झूठे दोष लगाकर जिन्दगी ही गरीब की खराब करने की योजना पर षडय़ंत्र कारियों का ध्यान है, तथा अपने चारों तरफ लगे चापलूसों जिनकों को गरीब नहीं जानता कि कौन कहा का है और किस पद पर है तथा इनका क्या काम इन कार्यालयो में है, गरीब को कार्यालयों में आते-जाते देख गालियां भी दी जातीं हैं तथा इन चापलूसों के द्वारा धमकी दी जा रहीं है कि तुझे सडक़ पर ही निकाल कर रहेंगे। बिना किसी कारण के कार्यालय में जाने पर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से खुले आम न्याय की कुर्सी पर बैठकर कहते है कि यही है वह फोन वाला शर्मा इसका कोई काम नहीं करना तथा कार्यालय से निकाल दो इस प्रकार प्रभारी अधिकारी का कहना कहां तक उचित है व किस कारण कहा तथा गरीब के साथ इस प्रकार का घटिया नीचता की हद पार करते हुए व्यवहार किया जा रहा है, इस प्रकार के अधिकारी से न्याय की कैसे उम्मीद की जा सकती है। जिनके अधीनस्थ कर्मचारी तो गरीब से खुले आम कह रहे है, कि इस कार्यालय में आओगे तो ऐंसा ही होगा, यहां क्यों आते हो तथा इस प्रकार की ओछी हरकत करने वाले प्रभारी अधिकारी तथा अधीनस्थ के क्रिया कलापों की जांच की जाना चाहिए जो कि अपने सिवाय अन्य किसी को आदमी ही नहीं समझ रहे हो। पूरे काम ब्लेकरों के इशारों पर हो रहे है। ऐसे में गरीब को न्याय के लिए भटकने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं रह जाता है तथा कई गरीब जिनके पास सब कुछ दस्तावेज होते हुए भी अपनी वर्षों पुरानी जमीन हासिल नहीं कर पा रहे हें, गरीब को न्याय के लिए ब्लेकरों की शरण में जाने को मजबूर किया जाता है ,
किसी गरीब के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने में दलाल हावी हैं। सबसे बड़ा दलाल सेल्समैन नंदराम सेन है, जिसकी कई बार शिकायतें होने, पेपर प्रकाशन होने के वाद भी उसके खिलाफ जिले का कोई अधिकारी कार्यवाही नहीं करता है और सीना तानकर ऐसे चलता है जैसे वह जीत गया हो और बार-बार सामने आकर खुलेआम धमकी दे रहा है कि हम नंदराम सेन है जिसके पीछे पड़ते है, उसे गांव या शहर में नहीं रहने देता हूं। करोड़ों रूपया कमाता हूं तथा करोंड़ों रूपया अधिकारियों को देता हूूं, इस खुरई में जो में चाहता हूं वहीं होता है, खुलेआम धमकी दे रहा है। तथा अधिकारियों को भ्रमित करने में लगा रहता है, दुगाहा कला का लम्बदार बन गया है, किसी की भी जमीन बिकती है तो ग्रामवासियों से ज्यादा राशि देकर जमीन खरीद रहा है तथा जो ठेका से दे रहा है, उसकी ठेके पर ले रहा है। इस प्रकार उसकी चारों तरफ सांठ गांठ है, और किसी भी गरीब को न्याय प्राप्त करने में बाधाऐं पैदा करता रहता है, करोड़ों रूपया ग्राम पंचायत दुगाहा कलाँ में शासन का गेहूं खरीदी केन्द्र पर हेरा फेरी करके कमा चुका है, तथा दिन भर खुरई तहसीली में दलाली-दलाली का खेल खेल रहा है। ऐंसे भ्रष्टाचारियों की संपत्ति की जांच शीघ्र यदि हो जाये तो शासन को तथा जनता को लाभ ही होगा ।
ऐंसी खुलेआम नीचता भी देखने को मिल रही है। तहसील प्रांगण खुरई के आस-पास जो अपनी-अपनी दुकानें सजाये बेठे है,जो इस तरह का दावा करते है, जैसे इनके द्वारा ही पूरी तहसील का संचालन किया जाता हो, गरीब को अपना बर्चस्व उसकी छाती पर चढक़र बताया जाता है, किसी भी गरीब को हैरान परेशान देखकर फ्री में ही सलाह देने वालों की तो गंगा बह रही है बुरा समय आने पर गरीब का सहयोग करने वाले तो विरले ही होते है, शहर खुरई मे गरीब कीं साफ -स्वच्छ छवि के लिए किसी भी प्रकार से रखाव करने का खुलेआम ड्रामा चल रहा है तथा यदि किसी गरीब का कोई रिश्तेदार, परिवार जन सहयोग करता है तो उनसे भी झूठा दोषारोपरण कर प्रभारी अधिकारी द्वारा बेइज्जत कर दिया जाता है, जिसको कि स्वयं प्रभारी अधिकारी गरीब पर अपनी शान समझकर बता देते है, कि मैने तेरा कौन रिश्तेदार है का फोन आया था उससे भी कह दिया है कि इसका काम नहीं हो पायेगा, अत: बिना किसी जांच पड़ताल के बिना दस्तावेजों को देखते हुए ब्लैक मेलरों के दबाव में आकर व्यर्थ के झूठे दोषारोपण किये जा रहे हैै तथा गरीब को अपूर्तिनीय क्षति छबि खराब करके तथा किसी झूठे दोष लगाकर जिन्दगी ही गरीब की खराब करने की योजना पर षडय़ंत्र कारियों का ध्यान है, तथा अपने चारों तरफ लगे चापलूसों जिनकों को गरीब नहीं जानता कि कौन कहा का है और किस पद पर है तथा इनका क्या काम इन कार्यालयो में है, गरीब को कार्यालयों में आते-जाते देख गालियां भी दी जातीं हैं तथा इन चापलूसों के द्वारा धमकी दी जा रहीं है कि तुझे सडक़ पर ही निकाल कर रहेंगे। बिना किसी कारण के कार्यालय में जाने पर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से खुले आम न्याय की कुर्सी पर बैठकर कहते है कि यही है वह फोन वाला शर्मा इसका कोई काम नहीं करना तथा कार्यालय से निकाल दो इस प्रकार प्रभारी अधिकारी का कहना कहां तक उचित है व किस कारण कहा तथा गरीब के साथ इस प्रकार का घटिया नीचता की हद पार करते हुए व्यवहार किया जा रहा है, इस प्रकार के अधिकारी से न्याय की कैसे उम्मीद की जा सकती है। जिनके अधीनस्थ कर्मचारी तो गरीब से खुले आम कह रहे है, कि इस कार्यालय में आओगे तो ऐंसा ही होगा, यहां क्यों आते हो तथा इस प्रकार की ओछी हरकत करने वाले प्रभारी अधिकारी तथा अधीनस्थ के क्रिया कलापों की जांच की जाना चाहिए जो कि अपने सिवाय अन्य किसी को आदमी ही नहीं समझ रहे हो। पूरे काम ब्लेकरों के इशारों पर हो रहे है। ऐसे में गरीब को न्याय के लिए भटकने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं रह जाता है तथा कई गरीब जिनके पास सब कुछ दस्तावेज होते हुए भी अपनी वर्षों पुरानी जमीन हासिल नहीं कर पा रहे हें, गरीब को न्याय के लिए ब्लेकरों की शरण में जाने को मजबूर किया जाता है ,
किसी गरीब के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने में दलाल हावी हैं। सबसे बड़ा दलाल सेल्समैन नंदराम सेन है, जिसकी कई बार शिकायतें होने, पेपर प्रकाशन होने के वाद भी उसके खिलाफ जिले का कोई अधिकारी कार्यवाही नहीं करता है और सीना तानकर ऐसे चलता है जैसे वह जीत गया हो और बार-बार सामने आकर खुलेआम धमकी दे रहा है कि हम नंदराम सेन है जिसके पीछे पड़ते है, उसे गांव या शहर में नहीं रहने देता हूं। करोड़ों रूपया कमाता हूं तथा करोंड़ों रूपया अधिकारियों को देता हूूं, इस खुरई में जो में चाहता हूं वहीं होता है, खुलेआम धमकी दे रहा है। तथा अधिकारियों को भ्रमित करने में लगा रहता है, दुगाहा कला का लम्बदार बन गया है, किसी की भी जमीन बिकती है तो ग्रामवासियों से ज्यादा राशि देकर जमीन खरीद रहा है तथा जो ठेका से दे रहा है, उसकी ठेके पर ले रहा है। इस प्रकार उसकी चारों तरफ सांठ गांठ है, और किसी भी गरीब को न्याय प्राप्त करने में बाधाऐं पैदा करता रहता है, करोड़ों रूपया ग्राम पंचायत दुगाहा कलाँ में शासन का गेहूं खरीदी केन्द्र पर हेरा फेरी करके कमा चुका है, तथा दिन भर खुरई तहसीली में दलाली-दलाली का खेल खेल रहा है। ऐंसे भ्रष्टाचारियों की संपत्ति की जांच शीघ्र यदि हो जाये तो शासन को तथा जनता को लाभ ही होगा ।
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