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Sunday, April 26, 2020

मन की बात मे बोले मोदी जी - मदद करना हमारी संस्कृति, दूसरे देश आज थैंक्यू इंडिया कह रहे हैं

मन की बात मे बोले मोदी जी - मदद करना हमारी संस्कृति, दूसरे देश आज थैंक्यू इंडिया कह रहे हैं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ की। उन्होंने कहा कि आज पूरा देश एक जुट चल रहा है। ताली ओर थाली ने देश को प्रेरित किया है। ऐसा लग रहा है कि महायज्ञ चल रहा हो।
हमारे किसान खेतो में मेहनत कर रहे हैं जैसे कोई भूखा ना रह जाये। कोई मास्क बना रहा है, तो कोई क्वारैंटाइन में रहते हुए स्कूल की पुताई कर रहा है। कोई पेंशन माफ कर रहा है। यह उमड़ता-घुमड़ता भाव ही लड़ाई को पीपल ड्रिवन बना रहा है।
उन्होंने कहा, ‘बहुत ही आदर के साथ 130 देशवासियों की इस भावना को नमन करता हूं। सरकार ने कोविडवॉरियर्स.जीओवी.इन प्लेटफॉर्म भी तैयार किया है। इसमें सरकार ने सभी को एक-दूसरे से जोड़ दिया है। इससे सवा करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। आशा कार्यकर्ता, नर्स सभी जुड़े हैं। ये लोग योजना बनाने में मदद भी कर रहे हैं। हर लड़ाई कुछ न कुछ सिखाकर जाती है। कुछ मार्ग बनाती है, मंजिलों की दिशा भी देती है। भारत में नए बदलाव भी हुए हैं। हर सेक्टर तकनीकी बदलाव की तरफ बढ़ रहा है। देश का हर इनोवेटर नया निर्माण कर रहा है।’ प्रधानमंत्री का यह इस साल का चौथा और मन की बात का कुल 64वां संस्करण है। इससे पहले पीएम मोदी ने 29 मार्च को मन की बात की थी।
मोदी के भाषण की 8 अहम बातें

1. देश एक टीम की तरह काम कर रहा

मोदी ने कहा, ‘जब देश एक टीम बनकर काम करती है, तब हम देखते हैं कि कितना बेहतर हो सकता है। दवाइंया पहुंचाने के लिए लाइफलाइन उड़ान सेवा चल रही है। कई टन दवाएं एक से दूसरे हिस्से में पहुंचाई गई हैं। 60 से ज्यादा ट्रैक पर पार्सल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। डाक सेवा भी मजबूती से काम कर रही है। गरीबों के अकाउंट में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। गरीबों को सिलेंडर और राशन दिया जा रहा है।’

2. पुलिस को लेकर सोच में भी बदलाव आया

उन्होंने कहा, ‘स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारों की कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका है। हाल ही में जो अध्यादेश लाया गया है, स्वास्थ्यकर्मियों ने इसकी प्रशंसा की है। ऐसे स्वास्थ्यकर्मी जो कोरोना से लड़ाई में लगे हुए हैं, उन पर हमला करने वालों को सजा का प्रावधान किया गया है। पहले की बजाय पुलिस को लेकर सोच में भी बदलाव आया है। आज पुलिस जरूरतमंदों को खाना पहुंचा रही हैं। इससे पुलिस का मानवीय पक्ष सामने आया है। इसके चलते लोग पुलिस से जुड़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में बहुत ही सकारात्मक बदलाव आ सकता है। हमें कभी भी इसे नकारात्मक रंग से रंगना नहीं है।’

3. मदद करना हमारी संस्कृति, दूसरे देश आज थैंक्यू इंडिया कह रहे हैं

मोदी ने कहा, ‘ जो मेरा नहीं है, जिस पर मेरा हक नहीं है, उसे छीनकर उपयोग लाता हूं तो यह विकृति है। जब अपनी जरूरत छोड़कर दूसरे का ध्यान रखा जाता है तो इसे संस्कृति कहते हैं। भारत ने अपनी संस्कृति के अनुरूप फैसले लिए हैं। ये ऐसा समय है, जब भारत किसी देश को दवाएं न दे तो बड़ी बात नहीं है। भारत ने अपनी संस्कृति के अनुरूप फैसला लिया। दुनिया से आ रही मांग पर ध्यान दिया। आज दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों से बात होती है तो वे थैंक्यू इंडिया कहते हैं। इससे गर्व और बढ़ जाता है।’

4. इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रयोग जरूर करें

‘आप लोग इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रयोग जरूर कर रहे होंगे। काढ़े आदि के प्रयोग से प्रतिरक्षा बढ़ाई जा सकती है। जब कोई देश हमारे फॉर्मूले को बताता है तो हम हाथों-हाथ ले लेते हैं। कई बार हम अपने पारंपरिक सिद्धांतों को अपनाने की बजाय छोड़ देते हैं। जैसे विश्व ने योग को स्वीकार किया है, वैसे ही आयुर्वेद को भी स्वीकार करेगा। युवा पीढ़ी को इस बारे में भूमिका निभानी होगी।’

5. अपनी आदतों को बदलें; मॉस्क लगाएं, कहीं भी थूकें नहीं

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोविड ने हमारी जीवनशैली में जगह बनाई है। हमारी चेतना और समझ जागृत हुई है। इसमें मास्क पहनना और चेहरा ढंकना है। हमें इसकी आदत नहीं रही, लेकिन हो यही रहा है। अब आप खुद के साथ दूसरों को भी बचाना चाहते हैं तो मास्क जरूर पहनें। गमछा भी बेहतर है। सार्वजनिक स्थानों पर थूक देना गलत आदतों का हिस्सा था। हम हमेशा से इस समस्या को जानते थे, लेकिन यह खत्म नहीं हो रही थी। अब समय है कि थूकने की आदत छोड़ देनी चाहिए। यह बेसिक हाईजीन के साथ कोरोना को फैलने से भी रोकेगी।

6. त्योहार हमें बुरे वक्त से लड़ना सिखाते हैं

उन्होंने कहा, ‘आज अक्षय तृतीया है। यह त्योहार याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी विपत्तियां या कठिनाइयां आएं, इससे लड़ने की हमारे ताकत अक्षय रहेगी। इसी दिन पांडवों को सूर्य से अक्षय पात्र मिला था। आज देश के पास अक्षय अन्य भंडार है। हमें पर्यावरण के बारे में सोचना होगा। अगर हम अक्षय रहना चाहते हैं तो पर्यावरण को अक्षय रखना होगा।’

7. रमजान घर पर मनाएं, फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाएं रखें

मोदी ने कहा, ‘रमजान चल रहा है। इस बार इसे सद्भाव, संयम का पर्व बनाएं। मुझे विश्वास है कि स्थानीय प्रशासन की अपील का पालन करते हुए फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखेंगे। आज कोरोना ने त्योहार मनाने का ढंग बदल दिया है। लोग अब त्योहारों को घर में रहकर, सादगी से मना रहे हैं। इस बार ईसाई दोस्तों ने ईस्टर भी घर पर मनाया।’

8. दो गज दूरी बनाए रखें, अतिआत्मविश्वास में न आएं

मोदी ने कहा, ‘मेरा आपसे आग्रह है कि अतिआत्मविश्वास न पालें कि शहर, गली में कोरोना पहुंचा नहीं है, इसलिए वह नहीं पहुंचेगा। लेकिन दुनिया का अनुभव कुछ और कह रहा है। इसे समझना होगा। नजर हटी, दुर्घटना घटी। हल्के में लेकर छोड़ी गई आग, कर्ज और बीमारी मौके पड़ते ही दोबारा उभर जाती है। इसलिए कोई लापरवाही न करें। फिर कहूंगा- दो गज दूरी बनाए रखें। अगली बार जब मन की बात में मिलूं तो दुनिया से अच्छी खबरें आएं।’

Monday, April 20, 2020

महाराष्ट्र के पालघर में उन्मादी भीड द्वारा 2 संतों की बर्बरता से हत्या ! जाने आखिर क्या हुआ

महाराष्ट्र के पालघर में उन्मादी भीड द्वारा 2 संतों की बर्बरता से हत्या ! जाने आखिर क्या हुआ

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मुम्बई के पास पालघर के कासा थाना क्षेत्र में 100 से ज्यादा लोगों ने दो हिन्दू संतो और उनके ड्राइवर की मॉब लिंचिंग करके हत्या कर दी...
गुरुवार रात जब यह घटना हुई तब पुलिस भी वहाँ मौजूद थी पर भीड़ को रोक नहीं पाई....तीनों मृतक की पहचान उत्तरी मुंबई के कांधीवली निवासी कल्पवृक्षागिरि महाराज, सुशीलगिरि महाराज और उनके कार चालक निलेश तेलगाड़े के रूप में हुई है... ये तीनों अपनी गाड़ी से किसी की अंत्येष्टि में शामिल होने सूरत, गुजरात जा रहे थे....कहा जा रहा है चोरी के संशय में तीनों को पिट पिट कर मार डाला गया..!
महाराष्ट्र के पालघर के दहाणु तालुका के एक आदिवासी बहुल गडचिनचले गाँव में सैकड़ों लोगों की भीड़ द्वारा जूना अखाड़ें के दो संतों और उनके ड्राइवर की पुलिस के सामने ही बड़ी बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। घटना गुरुवार (अप्रैल 16, 2020) के देर रात की है। घटना की जानकारी होते ही संत समाज में गहरा आक्रोश व्याप्त है कि कैसे महाराष्ट्र पुलिस के सामने दो महात्माओं और उनके ड्राइवर की इस तरह से हत्या कर दी जाती है और पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है।

जूना अखाड़ा के 2 महंत कल्पवृक्ष गिरी महाराज (70 वर्ष), महंत सुशील गिरी महाराज (35 वर्ष) अपने ड्राइवर निलेश तेलगडे (30 वर्ष) के साथ मुंबई से गुजरात अपने गुरु भाई को समाधि देने के लिए जा रहे थे। दरअसल, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा 13 मंडी मिर्जापुर परिवार के एक महंत राम गिरी जी गुजरात के वेरावल सोमनाथ के पास ब्रह्मलीन हो गए थे। दोनों संत महाराष्ट्र के कांदिवली ईस्ट के रहने वाले थे और मुंबई से गुजरात अपने गुरु की अंत्‍येष्टि में शामिल होने जा रहे थे।
गुरु के देहावसान के बाद अचानक से मिर्जापुर परिवार के कुछ सन्तों को वहाँ बुलाया गया था ताकि महात्मा जी की समाधि लगाई जा सके। जिनमें से उसी परंपरा के दो संत महंत कल्पवृक्ष गिरी जी महाराज और दूसरे महंत सुशील गिरी जी महाराष्ट्र से गुजरात के वेरावल के लिए रवाना हुए रास्ते में उन्हें महाराष्ट के पालघर जिले में स्थित दहाणु तहसील के गडचिनचले गाँव में पालघर थाने के पुलिसकर्मियों ने पुलिस चौकी के पास रोका।
ड्राइवर के साथ दोनों संतों को भी गाड़ी से बाहर निकलने के लिए कहा गया और उन लोगों को पुलिस वालों ने, सड़क के बीच में ही बैठा दिया, कहा जा रहा है वहाँ गाँव के करीब 200 के आस पास लोग अचानक ही इकट्ठे हो गए। यह गाँव और इलाका आदिवासी बहुल है।
यह भी कहा जा रहा है कि जूना अखाड़े के उन दोनों सन्तों और ड्राइवर को, पुलिस वालों ने डर के कारण एक तरह से उन आदिवासियों के हवाले कर दिया और इस भीड़ ने, पुलिस वालों के सामने ही डंडे और पत्थरों से मार-मार कर दोनों सन्तों और ड्राइवर की बेरहमी से हत्या कर दी। अभी तक जो वीडियो फुटेज उपलब्ध हैं उसमें आप पुलिस वालों की मौजूदगी देख सकते हैं। मॉब लिंचिंग होता देख पुलिस खुद ही चिहुँक रही है। ऐसे में महाराष्ट्र पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
महाराष्ट्र के पालघर में उन्मादी भीड द्वारा 2 संतों की बर्बरता से हत्या ! जाने आखिर क्या हुआ

स्थानीय सूत्रों के अनुसार

कुछ लोकल मीडिया रिपोर्टों और स्थानीय सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि संतों की इस यात्रा के दौरान आदिवासी बहुल इस गाँव में पुलिस ने गाड़ी को रोका और साधुओं को सड़क पर बैठा कर पूछताछ करने लगी और इसी दौरान गाँव में संदिग्ध हालत में यह अफवाह उड़ा दी गई कि ये सब बच्चा चोर हैं l बस इतनी सी बात थी कि गाँव वाले इन संतों पर लाठी डंडे, भाले, फरसे लेकर टूट पड़े।
जब ‘धर्म विशेष’ बहुल आदिवासियों ने इन साधुओं को मारना शुरू किया तो महाराष्ट्र पुलिस वहाँ से भाग खड़ी हुई और साधुओं को मरता हुआ छोड़ दिया। बाद में खाना पूर्ति के लिए इन मरणासन्न साधुओं को अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्हें डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया। ये भी कहा जा रहा है की इस घटना को लूटपाट के उद्देश्य से भी अंजाम दिया गया। एक वीडियो फुटेज में भी भीड़ संतों की गाड़ी में चढ़ी और कुछ तलाशती नजर आ रही है।

पुलिस और ग्रामीणों की भूमिका संदिग्ध

जैसा कि आप वीडियो में भी देख सकते हैं कि जब भीड़ द्वारा उन्हें बेरहमी से पीटा जा रहा है तो न सिर्फ पुलिस वहाँ मौजूद है बल्कि एक वीडियो में तो खुद ही पुलिस संत कल्पवृक्ष गिरी महराज को पुलिस चौकी से बाहर लाते और फिर भीड़ के सामने यूँ ही असहाय हालत में छोड़ती नजर आ रही है। भीड़ को पीटते देख भी पुलिस की कोई कार्रवाई नजर नहीं आ रही है। अलबत्ता पुलिस वाला खुद ही बचता नजर आ रहा है। नहीं तो पुलिस की मौजूदगी में कम से कम संतों की इस तरह से बर्बर हत्या नहीं हुई होती।

महाराष्ट्र में संतों के हत्यारों को गिरफतार करने की अखाडा परिषद की मांग

महाराष्ट्र के पालघर जिले में जूना अखाडे के दो साधुओं की निर्मम हत्या किए जाने की अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने रविवार को कडे शब्दों में निंदा की और चेतावनी दी कि अगर हत्यारों की शीघ्र गिरफतारी नहीं की गयी तो महाराष्ट्र सरकार के विरूद्ध आंदोलन किया जाएगा । प्रयागराज में प्रवास कर रहे अखाडा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक गांव में ब्रहमलीन संत को समाधि देने जाते साधु —संतों पर पुलिस की मौजूदगी में एक धर्म विशेष के लोगों ने हमला कर दो साधुओं की कथित हत्या कर दी थी । उन्होंने बताया कि पालघर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से फोन पर बात कर अखाडा परिषद ने अपना विरोध जता दिया है और आरोपियों की गिरफतारी की मांग की है ।
महंत गिरी ने कहा कि लॉकडाउन के बाद अखाडा परिषद हरिद्वार में बैठक कर आंदोलन की रणनीति बनाएगी । उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को चेताया कि यदि सरकार ने हत्यारों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की तो सभी अखाडे बैठक कर महाराष्ट्र सरकार के विरूद्ध आंदालन का शंखनाद करेंगे। उन्होंने भक्तों से लॉकडाउन में बह्रमलीन हुए किसी साधु को समाधि देने जाते समय सीमित संख्या में ही जाने की अपील की है ।

Sunday, April 19, 2020

लॉकडाउन के दौरान लेन्सेक्स उद्योग एवं ग्रेसिम केमिकल डिवीजन के संचालन के विरूद्ध राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में याचिका दर्ज

लॉकडाउन के दौरान लेन्सेक्स उद्योग एवं ग्रेसिम केमिकल डिवीजन के संचालन के विरूद्ध राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में याचिका दर्ज

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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567
नागदा. औद्योगिक शहर नागदा के लेन्सेक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं ग्रेसिम केमिकल डिवीजन द्वारा नागदा जिला उज्जैन, मध्यप्रदेश में अपनी प्रोडक्शन इकाइयों का संचालन COVID-19 के अंतर्गत उज्जैन जिले में लागू संपूर्ण लॉकडॉउन के दौरान भी किया जा रहा हैं ।
जिसके दौरान सैकड़ों की संख्या में मजदूरों की जान को जोख़िम में डालकर प्रतिदिन कार्य पर बुलवाया जा रहा हैं । जबकि नियमानुसार समस्त मजदूरों को वेतन के साथ अवकाश दिया जाने का प्रावधान हैं । उक्त मामले को लेकर असंगठित मजदूर कांग्रेस के प्रदेश संयोजक अभिषेक चौरसिया ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की नई दिल्ली बेंच में शिकायत याचिका प्रस्तुत की हैं ।
इस मामले में एसडीएम नागदा आर.पी. वर्मा, तहसीलदार विनोद शर्मा, लेक्सेस उद्योग के यूनिट हेड संजय सिंह, ग्रेसिम केमिकल डिवीजन के यूनिट हेड प्रेम तिवारी एवं महाप्रबंधक आरसी जांगिड़ को पार्टी बनाया हैं । उक्त मामले में आयोग द्वारा केस दर्ज कर केस डेयरी क्रमांक 4214/आईएन/2020 प्रदान किया हैं ।
चौरसिया ने बताया कि इस मामले में नागदा के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) श्री आरपी वर्मा एवं तहसीलदार श्री विनोद शर्मा की संलिप्तता होने की वजह से किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही संबंधित उद्योगों के विरूद्ध आज दिनांक तक नहीं की गई है । नागदा शहर को सैनिटाइज करने के नाम पर इन ओद्यौगिक इकाइयों का संचालन करवाया जा रहा हैं जबकि वस्तुस्थिति यह हैं कि शहर को सैनिटाइज करने की जगह इन उद्योगों द्वारा अपनी इकाई का संचालन कर इनके मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट का उत्पादन भी किया जा रहा हैं । जो कि जनहित में न्यायोचित नहीं हैं ।
चौरसिया ने सवाल उठाया है कि मजदूरों को नौकरी से हटाने की धमकी देकर काम पर बुलवाया जा रहा हैं। जिसके संबंध में पूर्व में लेक्सेस उद्योग के अधिकारी और मजदूरों के मध्य बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी वायरल हुई थी लेकिन उस पर भी आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई । जबकि आज इस महामारी के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सभी नागरिकों को अपने अपने घरों में रहना अनिवार्य हैं । अगर समय रहते इन उद्योगों का उत्पादन कार्य नहीं रुकवाया गया तो नागदा शहर और आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण फैलने की पूर्ण आशंका बनी हुईं हैं और भविष्य में किसी भी अनहोनी की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होगी ।
GRASIM YACHIKA ANI NEWS INDIA 022
लेन्सेक्स उद्योग एवं ग्रेसिम केमिकल डिवीजन के संचालन के विरूद्ध राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में याचिका दर्ज
चौरसिया ने यह भी कहा कि नागदा के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) श्री आरपी वर्मा द्वारा आज देश में इस महामारी को देखते हुए नागदा में इमरजेंसी की स्थिति में भी अपना मोबाइल फोन तक नहीं उठाते हैं। ऐसी स्थिति में आम नागरिक अपनी समस्या लेकर किसके समक्ष जाएं ।
कल दिनांक 15/04/2020 को मेरे द्वारा फोन करने एक इमरजेंसी के लिए मदद हेतु एसडीएम नागदा को कॉल किया गया लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाया । फिर उसके पश्चात बीएमओ नागदा श्री कमल सोलंकी और प्रभारी जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ महावीर खंडेलवाल की सहायता से मेरे द्वारा स्थानीय हार्ट के मरीज को तत्काल उज्जैन रेफर करवाया गया।
चौरसिया ने मांग की है कि उद्योग सिर्फ सैनिटाइजर बनाए इसपर किसी भी आम नागरिक को आपत्ति नहीं हैं लेकिन शहर को सैनेटाइज करने के नाम पर उद्योग का 50 प्रतिशत संचालन ही शुरू कर लाखों आम नागरिकों की जान जोखिम में डालना कहा तक उचित होगा । अतः इन उद्योगों में कार्यरत मजदूरों को वेतन के साथ अवकाश तब तक दिया जाना सुनिश्चित करवाया जाए जबतक लॉकडाउन जारी रहेगा ।

Friday, April 17, 2020

तबलीगी जमात के चीफ मौलाना साद के खिलाफ ईडी ने दर्ज किया मनी लांड्रिंग का केस, जल्द हो सकती है गिरफ़्तारी

Two relatives of Tablighi Jamaat Chief Maulana Saad tested ...
Tablighi Jamaat Chief Maulana Saad
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नई दिल्ली: निजामुद्दीन के तबलीगी जमात के मरकज मामले में क्राइम ब्रांच की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. क्राइम ब्रांच को अभी तक अपनी जांच में पता चला है कि मरकज को साल 2005 के बाद हवाला के जरिए सऊदी अरब और बाकी देशों से मरकज में आने वाले जमातियों के खाने पीने के नाम पर नकद पैसा आता था.
इसी बात को पुख्ता करने के लिए क्राइम ब्रांच ने मरकज को 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस जारी कर मरकज के बैंक अकाउंट और बैंक स्टेटमेंट मुहैय्या कराने के साथ साथ वहां पर काम करने वाले कर्मचारी, मरकज के खर्चो समेत काफी जानकारी मांगी है. क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो मरकज में ज्यादातर फंडिंग हवाला के जरिए हो रही थी.
बुधवार को भी क्राइम ब्रांच (Crime Branch) की टीम एक बार फिर मरकज के अंदर गई और फिर पूरे मरकज की तलाशी ली गई. क्राइम ब्रांच की टीम करीब तीन घंटे तक वहां पर रही. आसपास के लोगों से बात की गई. इसके अलावा क्योंकि आज एमसीडी को मरकज का कूड़ा और जमातियों का बेकार समान अपने साथ ले जाकर जलाना था.
मौलाना साद की मरकज का अमीर बनने की कहानी!
निज़ामुद्दीन के तबलीगी जमात के मरकज के मुखिया को अमीर बोला जाता है. मोहम्मद साद (Saad) तब्लीगी के संस्थापक इलियास कंधावली का पोता है जिसकी पैदाइश 1965 में यूपी के शामली में हुई. नवंबर 2015 से तबलीगी के सबसे ऊंचे ओहदे अमीर भी वही है. तबलीगी की सबसे बड़ी एडवायजरी काउंसिल को शूरा कहते हैं. साद तबलीगी का अमीर बनने से पहले 1995 से 2015 तक शूरा का सदस्य रहा. 
शाद के दादा मौलाना इलियास कंधावली पहले अमीर थे. बाद में इलियास के बेटे मौलाना मोहम्मद युसूफ कंधावली और मौलाना इनाम उल हसन अमीर बने. 1995 से पहले जुबैर के पिता अमीर थे लेकिन 1995 में उनकी मौत के बाद उनके बेटे जुबैर को अमीर बनना था. लेकिन मौलाना साद ने मेवात से अपने लोगों को बुलाकर जुबैर और उसके समर्थकों के साथ हिंसा की और ऐलान कर दिया कि मरकज में अब कोई अमीर नहीं होगा, बल्कि मरकज को एक कमेटी चलाएगी जिसमें जुबैर और मौलाना साद के अलावा कई और भी रहेंगे. लेकिन 2014 में जुबैर की मौत के बाद मौलाना साद अपने आप को मरकज का अमीर घोषित कर देता है, जिसका विरोध करने वाले लोगों की दिन four जून 2016 को बुरी तरह पिटाई की जाती है. इसके बाद मौलाना साद के हाथ में मरकज की पूरी बागडोर आ जाती है.
मौलाना साद के रसूख का आलम ये है कि इलाके की पुलिस भी बिना इजाजत मरकज में नहीं जा सकती. इलाके के डीसीपी भी मौलाना साद से मिलने के लिए 2 घंटे तक इंतजार करते थे. पहले मरकज में धर्म प्रचार के लिए जमाती अपने पैसों को खर्च करते थे लेकिन 2005 के बाद मौलाना साद ने सऊदी अरब समेत अन्य देशों के दौलत मंद तबलीगी जमात के लोगों को धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए नकद पैसा देने को कहा तो उन देशों से ज्यादातर पैसा हवाला के ज़रिए मरकज़ को मिलता था.

Thursday, April 16, 2020

एएसआई का हाथ काटने वाले निहंग बलविंदर को लेकर हुआ बड़ा ख़ुलासा, इतना खुंखार अब खुली पोल

एएसआई का हाथ काटने वाले निहंग बलविंदर को लेकर हुआ बड़ा ख़ुलासा, इतना खुंखार अब खुली पोल

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देश में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए देशभर में लॉकडाउन है। इसी के चलते पटियाला शहर में नियम तोड़ने वालों पर पुलिस कार्रवाई कर रही थी। पुलिस कार्रवाई से तंग आकर निहंग के लोगों ने पुलिस पर हमला बोल दिया, जिसमें निहंग ने असिस्टेंट सब-इन्स्पेक्टर (ASI) हरजीत सिंह का हाथ काट दिया था।
निहंग बलविंदर सिंह ने एएसआई हरजीत सिंह का हाथ काटा था। खुलेआम इतनी निर्मम घटना को अजाम देने वाला निहंग बलविंदर आखिर कौन है, आइए जानते हैं।
पटियाला में कर्फ़्यू के दौरान पूछताछ में स्वयंभू निहंग बलविंदर सिंह ने हमला कर ASI हरजीत सिंह का हाथ काट दिया था। इसके लिए उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया। मगर क्या आपको पता है बलविंदर की क्रूर’ता का ये कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि उस पर और भी कई मामले दर्ज हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि वह लोगों को डरा—धमकाकर उनसे उनकी जमीन हड़प लेता है। उसकी दहशत इतनी ज्यादा है कि उसके डेरे के आसपास के करीब 12 गांवों के लोग उससे खौफ खाते हैं।
निहंग ने एएसआई का हाथ काट दिया ...
इतना ही नहीं निहंग बलविंदर सिंह पर रेवेन्यू रेकॉर्ड्स में भी अवैध तरीके से जमीन पर कब्जा जमाने के लिए केस दर्ज है।बलविंदर पर ये भी आरोप है कि उसने तालाब की दो एकड़ जमीन को खिचड़ी साहिब गुरुद्वारा बनवाने के नाम पर हड़प लिया था। इसके लिए उसने लोगों को मनगढंत कहानी भी सुनाई थी।
एक स्थानीय कमिशन एजेंट के अनुसार बलविंदर ने उस पर 1.5 एकड़ जमीन उसके नाम करने के लिए धमकी दी थी। इससे परेशान होकर उसने पुलिस कंप्लेन भी दर्ज कराई थी, लेकिन परिवार को धमकाए जाने पर उसने शिकायत वापस ले ली थी। इतना ही नहीं 20 साल पहले बलविंदर सिंह ने एक सिनेमा हॉल में लूट की वारदात को भी अंजाम दिया था। इसके लिए वह संगरूर जिले में अहमदगढ़ से गांव आया था

मुंबई में प्रवासियों को उकसाने वाला विनय दुबे गिरफ्तार, लॉकडाउन में बांद्रा स्टेशन के पास जुटे थे सैकड़ों

कौन है विनय दुबे जिसकी बात सुनकर ...
मुंबई में प्रवासियों को उकसाने वाला विनय दुबे गिरफ्तार, लॉकडाउन में बांद्रा स्टेशन के पास जुटे थे सैकड़ों
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मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर अचानक जुटी हज़ारों की भीड़ यूँ ही नहीं जुटी बल्कि एक अफवाह फैली, लोगों के मोबाइल पर मैसेज आये और लोग स्टेशन के बाहर इकट्ठे हो गए. अब इस मामले में नया मोड़ आया है. मुंबई पुलिस ने उस शख्स को गिरफ्तार कर लिया है जिसने ये अफवाह फैलाई थी और लोगों को स्टेशन के बाहर इकठ्ठा कर लॉकडाउन का उल्लंघन किया था.  
विनय दुबे नाम के शख्स को नवी मुंबई से गिरफ्तार किया गया. खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले विनय दुबे ने सोशल मीडिया पर भी कई भड़काऊ पोस्ट किये थे. उसने एक विडियो अपलोड करते हुए महाराष्ट्र सरकार से मांग की थी कि वह प्रवासी कामगारों के लौटने का इंतजाम करे, जो कोरोनावायरस के कारण जारी लॉकडाउन में फंसे हुए हैं. 
उसने इसके अलावा सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी किया था जिसमे उसने केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर 18 अप्रैल तक ट्रेने शुरू नहीं हुई तो देशव्यापी मजदूर आन्दोलन होगा. माना जा रहा है कि उसने ट्रेलर दिखाने के लिए 14 अप्रैल को ही भीड़ इकट्ठी कर मुंबई से लेकर दिल्ली तक को चौंका दिया.   
मुंबई में प्रवासियों को उकसाने वाला विनय दुबे गिरफ्तार, लॉकडाउन में बांद्रा स्टेशन के पास जुटे थे सैकड़ों


विनय दुबे का सम्बन्ध किसी राजनीतिक पार्टी से या किसी संगठन से सम्बन्ध है या नहीं ये तो जांच के बाद ही सामने आएगा. लेकिन विनय के सनक ने हज़ारों जान को खतरे में डाल दिया. मुंबई कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है. सबसे ज्यादा केस और सबसे ज्यादा मौतें मुंबई में ही हुई है. इसके बावजूद हज़ारों लोगों का सोशल डिस्टेंसिंग की परवाह किये बिना इस तरह से इकट्ठे होना उद्धव सरकार की नाकामी का जीता जागता सबूत है. 
सबसे आश्चर्य की बात है कि उद्धव के मंत्री आदित्य कह रहे हैं कि प्रवासी मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं लेकिन वहां इकात्ट्ठे हुए लोगों के पास सामान तक नहीं था. आदित्य ठाकरे सरकार की नाकामी का ठीकरा केंद्र सारकार पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

भोपाल में हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिमों ने दिया कंधा देकर 'राम नाम सत्य है...' के साथ अंतिम संस्कार कराया, इंसानियत ही यहां काम आई

भोपाल में हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिमों ने दिया कंधा देकर 'राम नाम सत्य है...' के साथ अंतिम संस्कार कराया, इंसानियत ही यहां काम आई

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  • भोपाल में हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिमों ने दिया कंधा
  • पूर्व सीएम कमलनाथ ने तस्वीर देख की तारीफ
  • इंदौर में भी कुछ दिन पहले मुस्लिम समाज के लोगों ने किया था ऐसा
  • लॉकडाउन की वजह से रिश्तेदार नहीं आए, तो कोरोना के डर से हिंदू पड़ोसी नहीं निकले
भोपाल के मोहन नामदेव गोलगप्पे का ठेला लगाते हैं. मंगलवार रात पत्नी क्षमा की मौत हो गई. उनके दो बेटे दोस्त आदिल की मदद से मां को घर लाए. आदिल ने मोहल्ले के लोगों को सूचना दी. बस्ती में 500 से अधिक हिंदू परिवार हैं. कोई नहीं आया. अंतिम संस्कार करने में कम से कम चार लोग चाहिए. बेटों के कुछ एक दोस्त आए लेकिन मुसलमानों को लगा कि यह ठीक नहीं है. मुसीबत में साथ देना चाहिए.
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मानवता की शानदार मिशाल पेश की है। हिंदू महिला की मौत के बाद मुस्लिम पड़ोसी उनके शव शवदाह गृह तक लेकर गए। लेकिन समाज के लोग लॉकडाउन के बीच मदद करने नहीं आए। शव यात्रा के दौरान सभी लोग ''राम नाम सत्य'' भी बोलते रहे। विपत्ति के समय में यह मिसाल भोपाल के टीलाजमालपुरा के लोगों ने पेश की है। 
दरअसल, टीला जमलापुरा निवासी मोहन नामदेव इलाके में गोलगप्पे का ठेला लगाते हैं। उनकी 50 वर्षीय पत्नी क्षमा की मौत मंगलवार रात हो गई थी। अर्थी को कंधा देने के लिए चार लोगों की जरूरत थी लेकिन घर में मोहन के सिर्फ दोनों बेटे ही मौजूद थे। दोनों बेटों ने अपने दोस्त आदिल की मदद से मां का शव नगर निगम की गाड़ी से घर लेकर पहुचे।
पड़ोसी को दी सूचना
बुधवार को आदिल ने मोहल्ले के सभी लोगों को इसकी जानकारी दी। मुस्लिम समाज के लोग एकट्ठा हुए. उसके बाद लोग अर्थी सजाने की तैयारी में जुट गए। पास से कोई बांस काट कर ला रहा था तो को फूलों से उसे सजा रहा था। सबने मिलकर इंतजाम किया, अर्थी सजाई और क्षमा के दोनों बेटों के साथ अर्थी को कंधा देकर 'राम नाम सत्य है...' के साथ शमशान ले गए और महिला का अंतिम संस्कार कराया. सियासी नफरतों के दौर में इंसानी कहानियां मौजूद हैं. यह देखिए कि मुसीबत में धर्म काम नहीं आता. इंसान काम आता है. उसके बाद क्षमा के दोनों बेटे और मोहल्ले के मुस्लिम युवक शव को लेकर छोला रोड स्थित शवदाह गृह पहुंचे। जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ।
क्षमा के बेटों के दोस्त ने कहा कि इस बस्ती में करीब 500 से अधिक हिंदू परिवार के लोग रहते हैं। कोरोना के डर इस मुश्किल वक्त में कोई भी व्यक्ति इस परिवार का हाल लेने नहीं आया। लॉकडाउन की वजह से रिश्तेदार भी नहीं पहुंचे। हां, उनके बेटों के कुछ दोस्त जरूर आए थे और सभी हमारे साथ शवदाह गृह तक गए थे।
पूर्व सीएम ने की तारीफ
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने लिखा कि इंदौर के साउथ तोड़ा के बाद भोपाल के टीलाजमालपुरा इलाके से भी सामने आई सांप्रदायिक सद्भाव की तस्वीर। एक हिंदू महिला की अर्थी को मुस्लिम समाज के युवकों ने दिया कांधा। इसी प्रकार का आपसी प्रेम-स्नेह भाईचारा हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति को बताता है।
किसी समाज का कोई अपराधी है तो उसे सजा दीजिए, पूरे समाज को अपराधी मत कहिए. महात्मा गांधी ने कहा था, पापी से नहीं, पाप से घृणा करो. अपराधी से नहीं, अपराध से घृणा करो. अपराध करने वाले को बुरा कहो. एक अपराधी का अपराध सारे समाज का प्रमाण पत्र नहीं है. मनुष्य बनो.
( फोटो क्षमा की शवयात्रा की है )

Wednesday, April 15, 2020

हास्पिटल से कोरोना ड्यूटी कर लौट रही नर्सो के वाहन पुलिस ने किये जप्त, नर्सो ने किया हंगामा, पुलिस व्यवस्था ने शर्मशार किया वीडियो वॉयरल

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सिविल हास्पिटल से ड्यूटी कर के लौट रही नर्सो के वाहन पुलिस ने जप्त किये

#अहमदाबाद ,मेडिकल टीम से ऎसा वर्दी का बेदर्दी व्यवहार प्रशासनिक व्यवस्था को शर्मशार किया, नर्सो के वाहन पुलिस ने जप्त किये, इस संवेदनशील समय में जनता के जीवन बचाने वाले देश की प्रथम मेडिकल टीम से ऎसा वर्दी का बेदर्दी व्यवहार प्रशासनिक व्यवस्था को शर्मशार करता हैl 

कोरोनो वायरस खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा: पीएम, फुल वीडियो सुने क्या क्या है पी एम नरेंद्र मोदी ने


Tuesday, April 14, 2020

मुंबई स्टेशन पर इकट्ठा हो गए घर जाने को हज़ारों प्रवासी मजदूर, पुलिस ने लाठीचार्ज किया

मुंबई स्टेशन पर इकट्ठा हो गए घर जाने को हज़ारों प्रवासी मजदूर, पुलिस ने लाठीचार्ज किया
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मुंबई. लॉकडाउन के दौरान दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर प्रवासी मजदूरों के इकट्ठा होने की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी, अब वैसी ही तस्वीर बांद्रा से भी सामने आ रही है। यहां अपने प्रदेश लौटने के लिए बड़ी सख्या (करीब 3 हजार) में मजदूर बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर इकट्ठा हुए, जिसके बाद भीड़ को हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। स्थानीय नेताओं को भी बुलाना पड़ा। तब कहीं जाकर लोग स्टेशन से हटे।
अमित शाह ने उद्धव ठाकरे से की बात
गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन कर बांद्रा में जमा भीड़ पर चिंता व्यक्त की। गृह मंत्री ने कहा कि इस तरह की घटनाएं कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत को कमजोर करती हैं। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सजग रहना जरूरी है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को अपना पूरा समर्थन दिया।
सोचा लॉकडाउन खत्म, ट्रेन पकड़ घर पहुंच जाएंगे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होने वाला था। लोग इस उम्मीद में रेलवे स्टेशन पहुंच गए कि लॉकडाउन के बाद ट्रेन शुरू हो जाएगी। इसी चक्कर में रेलवे स्टेशन पर करीब 3 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। बाद में पुलिस ने लाठीचार्ज करके भीड़ को हटाया।
राशन नहीं है, घर भेज दो
रेलवे स्टेशन पर जुटे लोगों ने लॉकडाउन का विरोध किया। उन्होंने कहा, उनके पास खाने के लिए राशन नहीं है। जैसे भी करके उन्हें घर भेज दें।
स्टेशन पर जुटे लोग दिहाड़ी करने वाले मजदूर थे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टेशन पर इकट्ठा हुए लोग दिहाड़ी करने वाले मजदूर थे। लॉकडाउन के बाद उनकी कमाई का जरिया बंद हो गया। 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होने वाला था, लेकिन पीएम मोदी के ऐलान के बाद लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है।
केंद्र सरकार ने बात नहीं सुनी: आदित्य ठाकरे
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में 6 लाख लोग शेल्टर्स में रह रहे हैं। केंद्र सरकार के सामने मुद्दा रखा गया था कि इन लोगों को घरों तक पहुंचने की कोशिश की जाए। उनके पास खाना नहीं है और वे घर जाना चाहते हैं। बांद्रा में इकट्ठा हुए लोग अब चले गए हैं लेकिन यह स्थिति इसलिए हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने बात नहीं सुनी।
- आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया, बांद्रा स्टेशन की मौजूदा स्थिति या यहां तक कि सूरत में दंगा भी हो रहा है, यह केंद्र सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों के लिए घर वापस जाने की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं होने का एक परिणाम है। वे भोजन या आश्रय नहीं चाहते, वे घर वापस जाना चाहते हैं।
महाराष्ट्र में कोरोना से 2455 लोग संक्रमित
महाराष्ट्र में कोरोना के 2455 संक्रमित केस आ चुके हैं। वायरस से 160 लोगों की मौत हो चुकी है। मुंबई में सबसे ज्यादा 1540 लोग संक्रमित हैं। इसके बाद नासिक में 33 और नागपुर में 39 लोग कोरोना संक्रमित हैं।

PM मोदी का ऐलान- भारत में 3 मई तक लॉकडाउन, पीएम ने मांगा इन 7 बातों का साथ

PM मोदी का ऐलान- भारत में 3 मई तक लॉकडाउन, पीएम ने मांगा इन 7 बातों का साथ
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पीएम ने कहा कि जिन जगहों पर 20 अप्रैल तक नए हॉटस्पॉट नहीं बनेंगे वहां सशर्त छूट मिलेगी. पीएम ने युवा वैज्ञानिकों से कोरोना वैक्सीन विकसित करने का आग्रह किया है.

नई दिल्ली । देशभर में लॉकडाउन को अब 3 मई 2020 तक बढ़ा दिया गया है। इस बात की घोषणा आज पीएम नरेन्द्र मोदी में अपने देश के नाम संदेश में की। उन्होंने बताया कि देशभर में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 9 हजार के पार जा चुका है। 324 लोग जान गंवा चुके हैं। कई ऐसे राज्य हैं, जहां कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और यही वजह है कि लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। पीएम मोदी ने इस दौरान देश की जनता को 7 सूत्र दिए और उनका पालन करने का आग्रह किया।

सभी तरफ से मिल रहा था ऐसा सुझाव

पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन में कहा कि सभी का यही सुझाव था कि लॉकडाउन को बढ़ाया जाए। कई राज्य तो पहले से ही लॉकडाउन को बढ़ाने का फैसला कर चुके हैं। सारे सुझावों को ध्यान में रखते हुए ये तय किया गया है कि भारत में लॉकडाउन को अब 3 मई तक और बढ़ाना पड़ेगा।

पीएम मोदी ने इन 7 बातों में मांगों आपका साथ

1. बुजुर्गों का विशेष ध्यान करें, जिन्हें पुरानी बीमारी उनकी एक्स्ट्रा केयर करें
2. लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, घर में बने फेस मास्क का हमेशा उपयोग करें
3. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय के निर्देशों का पालन करें
4. कोरोना संक्रमण रोकने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और दूसरों को डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करें
5. जितना हो सके उतने गरीब परिवारों की देखरेख करें
6. अपने व्यवसाय में संवेदना दिखाएं, किसी को नौकरी से ना निकालें
7. कोरोनावॉरियर्स का सम्मान करें

लॉकडाउन के अच्छे से पालन के लिए लोगों को बधाई दी

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि लॉकडाउन के इस समय में देश के लोग जिस तरह नियमों का पालन कर रहे हैं, जितने संयम से अपने घरों में रहकर त्योहार मना रहे हैं, वो बहुत प्रशंसनीय है। उन्‍होंने कहा कि आज पूरे विश्व में कोरोना वैश्विक महामारी की जो स्थिति है, आप उसे भली-भांति जानते हैं। अन्य देशों के मुकाबले, भारत ने कैसे अपने यहां संक्रमण को रोकने के प्रयास किए, आप इसके सहभागी भी रहे हैं और साक्षी भी। उन्‍होंने कहा कि जब हमारे यहां कोरोना के सिर्फ 550 केस थे, तभी भारत ने 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन का एक बड़ा कदम उठा लिया था। भारत ने समस्या बढ़ने का इंतजार नहीं किया, बल्कि जैसे ही समस्या दिखी उसे तेजी से फैसले लेकर उसी समय रोकने का प्रयास किया।

Monday, April 13, 2020

महिला ने 5 बच्चों को गंगा नदी में डुबाकर मार डाला, यह रही बड़ी वजह बेहद परेशान हो गई थी

महिला ने 5 बच्चों को गंगा नदी में डुबाकर मार डाला, यह रही बड़ी वजह बेहद परेशान हो गई थी

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महिला ने 3 बेटियों और 2 बेटों को गंगा में डुबोकर मार डाला। पुलिस अभी गोताखोरों की मदद से बच्चों के शव की खोजबीन कर रही है।

भदोही. उत्तर प्रदेश के भदोही में एक औरत ने अपने पांच बच्चों को नदी में डुबाकर मौत के घाट उतार डाला। रविवार की सुबह आरोपी महिला अपने पांच बच्चों को गंगा में फेंकने के बाद खुद भी कूद गई।
 
लेकिन बच्चों के डूबने के बाद वह तैरकर बाहर निकल आई। आरोपी महिला ने ऐसा कदम क्यों उठाया, इसका पता नहीं चल सका है। हालांकि पुलिस यह मानकर चल रही है कि महिला ने अपने पति के साथ झगड़ा होने के बाद यह कदम उठाया।
 
बहुत ही दुःखद भदोही जिले में गंगा घाट पर रविवार सुबह एक महिला ने परिवार समेत आत्महत्या की नीयत से पांच बच्चों को लेकर गंगा में छलांग लगा दी। महिला खुद तैरकर बाहर आ गई, लेकिन पांचों बच्चे डूब गए। इनमें तीन बच्चियां और दो बेटे हैं। ग्रामीणों के पूछने पर महिला ने कहा कि मैंने बच्चों को डुबो दिया।
 
 
गोपीगंज थानाक्षेत्र के जहांगीराबाद गांव निवासी मृदुल यादव उर्फ मुन्ना की पत्नी मंजू यादव (36) देर रात अपने पांच बच्चों शिव शंकर (6) केशव प्रसाद (3), आरती (11), सरस्वती (7) और मातेश्वरी (5) को लेकर जहांगीराबाद घाट पहुंची। उसने सभी बच्चों के साथ गंगा में छलांग लगा दी। आगे की जांच पुलिस कर रही है ।
 
पुलिस को आशंका- पति से झगड़े के बाद उठाया कदम
 
वहीं पति का कहना है घर में खाने-पीने की कोई कमी नहीं है, मंजू की दिमागी हालत भी ठीक है। फिर आरोपी महिला ने अपने पांच बच्चों को गंगा में क्यों डुबोकर मार डाला? इस सवाल का जवाब खोजने में पुलिस जुटी हुई है। पुलिस का कहना है पति से झगड़ा होने के बाद मंजू ने यह कदम उठाया है।

Sunday, April 12, 2020

होम क्वारेंटाइन में वृद्ध की मौत, फर्श और घर की दीवारों पर रेंग रहे थे कीड़े, योगी सरकार के खोखले दावों की कहानी

होम क्वारेंटाइन में वृद्ध की मौत, फर्श और घर की दीवारों पर रेंग रहे थे कीड़े, योगी सरकार के खोखले दावों की कहानी

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बाराबंकी जिले में होम क्वारंटाइन किए गए 82 साल के एक वृद्ध की मौत हो गई। शनिवार को उसका मृत शरीर घर में मिला, जिसमें कीड़े पड़ गए थे। जानकारी के मुताबिक, वृद्ध कुछ सप्ताह पहले गुजरात से बाराबंकी आया था। प्रशासन ने एहतियातन उसे 22 मार्च को होम क्वारंटाइन किया था।

बाराबंकी : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आयी है. यहां बढ़नापुर गांव में होम क्वारंटाइन 82 साल के बुजुर्ग की मौत हो गयी. मौत के बाद जब दुर्गंध उठी तो पड़ोसियों को अनहोनी की आशंका हुई. पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो शव की दुर्दशा देख सभी की रूह कांप उठी. बुजुर्ग के शव में कीड़े पड़ गये थे. फर्श, घर की दीवारों पर कीड़े रेंग रहे थे. कोरोना जांच के लिए सैंपल लेकर शव को दफन कराया गया है. गांव को सील कर दिया गया है.

22 मार्च को क्वारेंटाइन किया गया था बुजुर्ग

थाना मोहम्मदपुर खाला इलाके के गांव बढ़नापुर निवासी एक 82 वर्षीय बुजुर्ग गुजरात से अपने गांव आया था. प्रशासन ने 22 मार्च को उसे होम क्वारेंटाइन किया. उसके घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गयी. 4 अप्रैल को घर के बाहर आशा कार्यकत्री ने नोटिस चिपका दिया. नोटिस में लिखा था, कोई भी इस घर के भीतर प्रवेश न करे. यह कोरोना के संदिग्ध का घर है. बुजुर्ग का परिवार गुजरात में था. अकेले होने के कारण खुद ही खाना बनाते थे.

शनिवार को घर से लोगों को महसूस हुई दुर्गंध

शनिवार को उसके घर से लोगों को दुर्गंध महसूस हुई. इसकी सूचना प्रशासन को दी गयी. ग्रामीणों के मुताबिक, दुर्गंध इतनी तेज थी, घर के बाहर भी लोगों का खड़ा होना मुश्किल हो रहा था. पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के लोग पहुंचे तो देखा गया कि, बुजुर्ग का अकड़ा मृत शरीर पड़ा था. शव पर कीड़े रेंगते दिखायी दिये. इसके कारण अंदेशा जताया गया कि बुजुर्ग की मौत कई दिनों पहले हो चुकी थी. प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम कराये शव को दफन करा दिया है.

काम में उलझा था, नहीं दे पाया ध्यान : प्रधान

गांव की आशा बहू ने कहा- 22 मार्च को क्वारेंटाइन किये जाने के वक्त वह बुजुर्ग के घर आयी थी. उसके बाद 4 अप्रैल को नोटिस चिपकाने आयी थी. इस दौरान उन्हें किसी अनहोनी की भनक भी नहीं लगी. महिला ग्राम प्रधान के पति महेंद्र वर्मा ने कहा, मृतक अपने पौत्र के साथ गुजरात से गांव आया था, क्योंकि इसके प्रपौत्र का मुंडन था. पौत्र बाराबंकी शहर में रहता है. एक अप्रैल को बुजुर्ग राशन भी लेकर गये थे.
4 अप्रैल को बेलहरा के डॉक्टर बृजेश के यहां से अपनी दवा भी लेकर आये थे, क्योंकि वह अस्थमा का मरीज था. अब इनकी मृत्यु कब हुई? यह बता पाना संभव नहीं है. अपनी लापरवाही मानते हुए महेन्द्र वर्मा कहते है कि वह पिछले कई दिनों से दूसरे कामों में उलझे हुए थे इसी कारण मृतक की ओर ध्यान नहीं दे पाये.

सीएमओ का जवाब

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रमेश चंद्रा ने कहा, आशा बहू जाती रही होगी और बाहर से हालचाल जानकर वापस हो जाती होगी. कीड़े पड़ने के लक्षणों के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. उसको कोरोना के कहीं लक्षण नहीं थे, फिर भी हमने उसका सैंपल लेकर भेज दिया है. जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाना संभव होगा.
जब सीएमओ से यह पूछा गया कि अगर उसे इस दौरान मेडिकल टीम देखती तो उसकी ऐसी भयावह मृत्यु न होती तो इस पर उन्होंने बात काटते हुए कहा कि होम क्वारेंटाइन का अर्थ यह नहीं होता कि हम उसे रोज देखें. बल्कि संस्थागत क्वारेंटाइन में मरीज हर समय डॉक्टरों की देखरेख में रहता है. होम क्वारेंटाइन में हमें सिर्फ इतना देखना होता है कि वह 14 दिनों तक किसी से मिले न और वह घर बाहर निकले न बस.

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