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Wednesday, March 1, 2023

नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न

 


नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न


  • आज नर्मदा तट बरमान घाट पर हुआ आईसना संगठन का मिलन सम्मान समारोह
  • अपने सामाजिक क्षेत्र में लगातर कार्यरत व्यक्तियों का हुआ सम्मान,,
  • प्रदेश अध्यक्ष विनय डेविड जी की अध्यक्षता में कार्यक्रम संपन्न हुआ

नशामुक्ति अभियान चलाने वाले आदरणीय बुद्धिप्रकाश जी विश्वकर्मा, फुटपाथी व्यापारियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले आदरणीय अनिल गुप्ता जी, नर्मदा परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को हमेशा यथासम्मान देने वाले आदरणीय असित तिवारी जी, कई वर्षो से लगातर समस्त जिले में पत्रकारिता रूपी फोटोग्राफी करने वाले संजय राय जी, आदिवासी हितों पर काम करने वाले आदरणीय सुरेश ठाकुर जी,और दिव्यांग पत्रकार भाई धर्मेन्द्र लोधी को उनके सामाजिक क्षेत्र में लगातर किए जा रहे जनहितेशी कार्यों के लिए सम्मानित किया गया ।

नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न हुआ कार्यक्रम के कवरेज के लिए सभी पत्रकार साथियों ने स्थान दिया, उसके लिए सभी का धन्यवाद आप सभी का स्नेह प्यार और आशीर्वाद बना रहे


नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न




नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न

नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न

नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न


नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न


नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना
का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न


नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न

नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न

नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न

नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न

नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न

नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न



नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न



नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न


नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न


नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न


नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न


नरसिंहपुर में बरमान घाट पर ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन आइसना का सम्मेलन एवं सम्मान समारोह संपन्न


Friday, February 24, 2023

'LG वीके सक्सेना का कोई भी सीधा आदेश न मानें', दिल्ली की AAP सरकार ने सभी अधिकारियों को दिया निर्देश

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LG वीके सक्सेना का कोई भी सीधा आदेश न मानें', दिल्ली की AAP सरकार ने सभी अधिकारियों को दिया निर्देश


]अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे दिल्ली (Delhi) के उपराज्यपाल के सीधे आदेशों का अनुपालन करना बंद करें। सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों के सचिवों को इस संबंध में लिखा है और निर्देश दिया है कि कार्य आवंटन नियम (TBR) का पूरी तरह से पालन किया जाए

LG जारी कर रहे सचिवों को आदेश, ये संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन

नई दिल्ली, दिल्ली-एनसीआर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एलजी द्वारा सचिवों को सीधे आदेश जारी करना संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। 

राजधानी में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच तनातनी कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब सरकार के सभी मंत्रियों ने अपने विभाग सचिवों को पत्र लिखकर ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (टीबीआर) का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। सचिवों को निर्देशित किया गया है कि एलजी से प्राप्त किसी भी सीधे आदेश की सूचना प्रभारी मंत्री को दें। 

एलजी कर रहे संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एलजी द्वारा सचिवों को सीधे आदेश जारी करना संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और संविधान के उल्लंघन में आदेशों के कार्यान्वयन को सरकार द्वारा गंभीरता से देखा जाएगा। 

एलजी कर रहे निर्वाचित सरकार को दरकिनार 

टीबीआर और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के नियम 49 और 50 का उल्लंघन करते हुए एलजी निर्वाचित सरकार को दरकिनार करते हुए विभाग सचिवों को आदेश जारी कर रहे हैं। एलजी के ऐसे अवैध सीधे आदेशों को लागू करना टीबीआर के नियम 57 का उल्लंघन माना जाएगा।

कांग्रेस मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा पर ऐसी कार्यवाही निन्दनीय, भूपेश बघेल के कारण छत्तीसगढ़ में हो रहा मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी


कांग्रेस मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा पर ऐसी कार्यवाही निन्दनीय, भूपेश बघेल के कारण छत्तीसगढ़ में हो रहा मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी

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  • छत्तीसगढ़ में आपातकाल की स्थिति, पूरे प्रदेश में रासुका लगाना, पत्रकार को जेल भेजना, पुलिस से धमकाना भी मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी
  • भूपेश के राज में डेमोक्रेसी नहीं हिटलरशाही है
  • अधिवेशन में भूपेश के भ्रष्‍टाचार पर भी हो मंथन

विजया पाठक

कांग्रेस के प्रवक्‍ता पवन खेड़ा के साथ कुछ दिन पहले दिल्‍ली एयरपोर्ट पर जो हुआ वो भारत के लोकतंत्र में झटका सा था। पहली बार विपक्षी दल के किसी मुख्य प्रवक्ता को आनन फानन में असम पुलिस द्वारा एयरपोर्ट पर कार्यवाही की गई। वैसे जैसा पवन खेड़ा के साथ जो आज सुलूक हुआ है, वैसा व्यवहार छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के लिए आम बात है। पवन खेडा़ के साथ हुए व्‍यवहार को लेकर कांग्रेस भले ही हल्‍ला मचा रही हो लेकिन उन्‍हें छत्‍तीसगढ़ में तो यह आम बात है। 

वहां तो आये दिन गैर कानूनी कार्यवाहियां हो रही हैं। कांग्रेस को छत्‍तीसगढ़ की तरफ ध्‍यान देना चाहिए। प्रदेश के मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने तो प्रदेश में लोकतंत्र का मजाक बनाकर रख दिया है। इसका एक उदाहरण तो मैं ही हूं जब मेरे भोपाल आवास में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने पुलिस भेजकर मुझे डराना चाहा था। छत्तीसगढ़ सरकार की ज्यादतियां उन सभी के लिए बड़ी आम सी बात है, जो छत्तीसगढ़ के भय-भ्रष्टाचार-दमन के खिलाफ लिखते या आवाज उठाते हैं। चाहे रायपुर के पत्रकार सुनील नामदेव या बस्तर के पत्रकार सिर्फ एक उदाहरण भर हैं, जिसने ने भूपेश बघेल और इनके भ्रष्ट चांडाल चौकड़ी के खिलाफ आवाज उठाई, उस पर अवैधानिक पुलिसिया कार्यवाही की गई।

        जब इससे भी बात नहीं बनी तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूरे प्रदेश में ही रासुका यानी घोषित आपातकाल लगा दिया। मैं कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के की बात से पूरा इत्तेफाक रखती हूं कि आज के समय लोकतंत्र सुरक्षित नहीं है, पर इसमें दायित्व कांग्रेस पार्टी का भी है, क्योंकि लोकतंत्र को सबसे ज्यादा असुरक्षित करने का काम आपके छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया है। छत्तीसगढ़ में सरकार नहीं सिंडीकेट का राज है। भले ही सिंडिकेट के कुछ लोग अभी जेल में हैं पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री दागियों और भ्रष्टाचार से ओत-प्रोत अधिकारियों को अपनी कोटरी में रखा है। जिस अडानी को कांग्रेस पानी पी-पीकर कोसते हैं उसके लिए हसदेव के जंगल साफ करवाने का काम भूपेश बघेल ने ही दिए थे। राहुल गांधी के अनुसार आदिवासी ही क्षेत्र का मूल नागरिक हैं। ऐसे में जिस प्रदेश की कुल आबादी में 35% आबादी आदिवासियों की हो वहां, अपनी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की स्थिति आपने खराब कर रखी है। आज छत्तीसगढ़ की साख दांव पर लग चुकी है। हर 08-10 दिनों में कोई बड़ी गिरफ्तारी के साथ मनी ट्रेल पकड़ा जाता है। कुल मिलाकर सारी बातों का लब्बोलुबाब यह है कि जिस इंसान ने घर में आग लगाई हो वो क्या दुनिया को रोशन करेगा।

कहीं भूपेश बघेल पर भारी न पड़ जाये सौम्‍या चौरसिया?

सौम्या चौरसिया के जेल जाते ही छत्तीसगढ़ की फिजा एकदम बदल गई। मुख्यमंत्री की खासमखास सौम्या और उसकी टीम के सूर्यकांत और पार्टी तो जेल में हैं ही उनके बाद अब आईपीएस अफसर, राजनेता अब ईडी के हत्थे चढ़ने वाले हैं। हालात यह है कि सौम्या के पति सौम्‍या को बाहर लाने की रोज भूपेश से गुहार लगाते हैं। कुछ नही हो पा रहा है। समीर विश्‍नोई ईडी की कार्यवाही से अभी जेल में है। समीर विश्‍नोई की पत्नि अपने पति को छुडवाने के लिए प्रतिदिन भूपेश बघेल से मिलने जाती है। लेकिन बताया जाता है कि बघेल ने अब उनसे मिलना ही बंद कर दिया है। भूपेश बघेल अब तो यह भी कहने लगे हैं कि मैंने थोड़ी कहा था कि भ्रष्‍टाचार करो। लेकिन सब जानते हैं कि समीर जैसे भ्रष्‍टाचारियों को शह किसने दी थी। सौम्या ने भी अंदर से धमकी दे दी है कि में बाहर नहीं आयी तो सबको अंदर पहुंचाउगी। ईडी के पास भूपेश बघेल के खास विनोद वर्मा की युगबोध वाली मनी ट्रेल की जानकारी पहुंच गई है। ऐसे में अभी काफी लोगों का अंदर जाना पक्का है। इसके साथ-साथ ऊपर के दिग्गज के 52 करोड़ की ट्रेल की जैकपॉट भाजपा के पास ईडी के माध्यम से लग गई है। मैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन की सफल होने की आशा करती हूं ताकि इन तीन दिनों के चिंतन मनन के बाद कम से कम अपने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के भय-भ्रष्टाचार-दमन का राज नजर आए और कम से कम छत्तीसगढ़ में मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी बंद हो।

क्या छत्तीसगढ़ में बनेगा आदिवासी मुख्यमंत्री?

आज से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन चालू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के आदिवासी कार्ड के जवाब में कांग्रेस कुछ व्यापक फेरबदल कर सकती है, इसकी शुरुआत छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री का तिलकोत्सव से प्रारंभ किया जा सकता है। वैसे भी देश में भूपेश बघेल के नाम पर तानाशाह का टैग लग गया है, जो हालत निर्मित हो रहे है। कभी वो खुद ही ना अंदर चले जाए इस कारण छत्तीसगढ़ में कांग्रेस आलाकमान कैसी आदिवासी को मुख्यमंत्री बना सकती है, जिसमें मोहन मरकाम का नाम काफी आगे चल रहा है।

Thursday, February 23, 2023

पवन खेड़ा को SC से बड़ी राहत : दिल्ली की अदालत को अंतरिम ज़मानत देने का आदेश


पवन खेड़ा को SC से बड़ी राहत : दिल्ली की अदालत को अंतरिम ज़मानत देने का आदेश


सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को गिरफ्तारी से संरक्षण और कई प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने के अनुरोध संबंधी याचिका को 27 फरवरी को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ तथा वाराणसी और असम में प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं.

दिल्ली की अदालत को अंतरिम ज़मानत देने का आदेश

नई दिल्‍ली: कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश आया है. सुप्रीम कोर्ट से पवन खेड़ा को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने कहा है कि दिल्‍ली कोर्ट पवन खेड़ा को मंगलवार तक अंतरिम जमानत दे. साथ ही कोर्ट ने याचिका पर सीमित सुनवाई मंजूर की. सभी एफआईआर के क्लब करने पर नोटिस जारी कर दिया है. खेड़ा के खिलाफ उत्‍तर प्रदेश और असम में एफआईआर दर्ज हैं. पुलिस अब पवन खेड़ा को असम नहीं ले जा पाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को द्वारका कोर्ट से अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने द्वारका कोर्ट को खेड़ा को अंतरिम राहत देने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "दिल्ली की क्षेत्राधिकार वाली कोर्ट अंतरिम जमानत दें. मंगलवार तक अंतरिम जमानत दी जाए.

खेड़ा को संरक्षण के लिए आदेश जारी कर रहे हैं. इस बीच खेड़ा निचली अदालत में जमानत याचिका दाखिल करें. उत्‍तर प्रदेश और असम में दर्ज एफआईआर एक साथ जोड़ने पर सोमवार को सुनवाई करेंगे." सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा, "जो पवन खेड़ा ने कहा वो नहीं कहना चाहिए था, मैं ये मानता हूं. उन्होंने खुद माना कि जुबां फिसल गई थी. उन्होंने माफी भी मांगी थी. उनको रिहा करने के आदेश दिए जाएं.

अदालत उनको संरक्षण दे. देश में किसी भी राजनीतिक बयानबाजी पर ये गंभीर केस नहीं लगाए जा सकते. ये अभिव्‍यक्ति की आजादी का हनन है. गिरफ्तारी में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. खेड़ा ने जो अपराध किया है उसमें 3 और 5 साल की ही अधिकतम सजा है. सीजेआई ने कहा, "हम सभी एफआईआर के एक राज्य में निर्धारित कर देते हैं, ताकि वह राहत के लिए हाईकोर्ट जा सकें. इस स्टेज पर.हम एफआईआर रद्द नहीं कर सकते." इस दौरान प्रधामंत्री पर दिया गया गया बयान सुनाया गया. इस पर सीजेआई ने पूछा कि ये सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का मामला कैसे?

इससे पहले सिंघवी ने सीजेआई को सूचित किया कि खेड़ा दिल्ली हवाईअड्डे से सुबह 11 बजे उड़ान भरने वाले थे, लेकिन उन्हें विमान से उतार दिया गया. प्रधानमंत्री के बारे में उनके द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर असम, लखनऊ और वाराणसी में उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं. खेड़ा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 153बी के तहत मामला दर्ज किया गया है. हालांकि, वह व्यक्तिगत रूप से विवादित बयानों का अनुमोदन नहीं करते हैं. लेकिन वाराणसी, लखनऊ और असम की एफआईआर को एक साथ जोड़ा जाना चाहिए.

Tuesday, February 21, 2023

भविष्य की आहट : सीनाजोरी करने वालों को संरक्षण देने की मची होड़


सीनाजोरी करने वालों को संरक्षण देने की मची होड़

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विनय जी. डेविड  9893221036

भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया

देश में मनमानी करने वालों की संख्या में निरंतर इजाफा होता जा रही है। राजनैतिक दलों से लेकर कथित समाजसेवियों-बुध्दिजीवियों की जामात तक ने वैधानिक कार्यों में भी अवरोध बनकर खडे होने के लिए कमर कस ली है। इजाफा-ए-वोट के नीतिगत सिध्दान्तों का अनुपालन करने वालों की भीड अब निहित स्वार्थों के लिए व्यवस्था के मापदण्डों तोडने के लिए मानवीयता का जामा पहनने लगी है। कानपुर में मां-बेटी के जलकर मरने की घटना को लेकर सर्वत्र हायतोबा मची हुई है। शासन स्तर पर घटना के लिए प्रथम दृष्टया वर्तमान अधिकारियों को दोषी मानकर उनके विरुध्द कार्यवाही भी की गई। कानपुर देहात के रूरा थाना क्षेत्रान्तर्गत आने वाले मडौली गांव में अतिक्रमण हटाने के दौरान दु:खद घटना सामने आई। दीक्षित परिवारों के आपसी विवाद और लाभ लेने की गरज से की गई शिकायतों का सिलसिला शुरू हुआ। 

लम्बे समय से ग्राम सभा की जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के विरुध्द की गई शिकायत पर पहली कार्यवाही 14 जनवरी को हुई जिसमें आंशिक अतिक्रमण हटाया गया था और शेष को स्वत: ही हटा लेने की समझाइश दी गई। आंशिक अतिक्रमण हटने के बाद अतिक्रमणकारियों ने उस जमीन को साम्प्रदायिक रंग देने की गरज से 18 जनवरी को शिव लिंग स्थापना हेतु चबूतरे का निर्माण कर दिया। कुल मिलाकर अतिक्रमणकारी वह शासकीय जमीन किसी भी सूरत में छोडने के लिए तैयार नहीं थे। इस स्थिति की शिकायत 27 जनवरी को की गई। यह पूरा मामला मडौली ग्राम पंचायत के गाटा संख्या 1642 का है। इस गाटा संख्या में 0.657 हेक्टेयर भूमि दर्ज है जिसमेें से लगभग 0.600 हेक्टेयर रकवे पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा था। विगत 27 जनवरी को की गई शिकायत पर प्रशासनिक अमला पुन: अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचा। 

कार्यवाही के दौरान अचानक अतिक्रमण करके बनाई गई झोपडी में से आग की लपटें निकलने लगीं। उपस्थित जन समूह ने आग बुझाने तथा आग में घिर चुकी प्रमिला दीक्षित तथा उनकी पुत्री नेेहा को बचाने का प्रयास किया परन्तु दुर्भाग्य से उन दौनों की मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के कानपुर की इस आग में राजनैतिक दलों ने रोटियां सेंकना शुरू कर दीं। अनेक कथित समाजसेवियों-बुध्दिजीवियों ने अपने वक्तव्य जारी किये। बढते दवाव में वहां के वर्तमान उपजिलाधिकारी, कानूनगो सहित 9 लोगों के विरुध्द प्राथमिकी दर्ज की गई। गिरफ्तारियां की जाने लगीं। पीडित परिवार को सरकारी नौकरी, मुआवजा और सुविधायें देने की मांगें उठने वालों की लाइन लग गई। इस पूरे परिदृश्य में तीन बिन्दु उभरकर सामने आये। 

पहला यह कि जब अतिक्रमण करने की आधारशिला रखी जाती है तब उत्तरदायी अधिकारी कहां होते हैं। पटवारी की नियुक्ति जिस हल्के में होती है वहां पर उसको निवास करना आवश्यक होता है ताकि रोजमर्रा की व्यवस्थाओं, समस्याओं और शिकायतों को स्थल पर ही तत्काल दूर किया जा सके। यदि कानपुर की घटना वाले स्थान पर अतिक्रमण के पहले चरण को ही नस्तनाबूत कर दिया जाता तो वर्तमान कब्जे पर काबिज रहने की स्थिति ही नहीं बनती। मगर तत्कालीन पटवारी सहित अन्य अधिकारियों के इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया। हमेशा ही ऐसा ही होता है कि जब पानी सिर से ऊपर होता है या दूसरों के हित प्रभावित होने लगते हैं तभी शिकायतों का दौर शुरू होता है। ऐसे में अतिक्रमण के पहल चरण के दौरान नियुक्त तत्कालीन अधिकारियों-कर्मचारियों पर भी सेवा में उपेक्षा का मुकदमा दर्ज होना चाहिए था। 

परन्तु किन्हीं खास कारणों से आज तक अतीत के कृत्यों की विस्फोटक स्थिति होते ही वर्तमान को निशाना बनाया जाता है। मडौली जैसे अनगिनत उदाहरण देश के कोने-कोने में मौजूद है। कभी रेलवे ट्रैक पर किये गये अतिक्रमण को हटाने के दौरान बेजा कब्जाधारी लामबंद होकर खडे हो जाते हैं तो कभी वन विभाग की जमीन पर अनाधिकृत ढंग से काबिज लोग हटने को तैयार नहीं होते। कहीं सडकों के फुटपाथ पर गैरकानूनी ढंग से पैर पसारने वाले उसे अपना अधिकार मान लेते हैं तो कहीं सरकारी सम्पत्ति को राजस्व विभाग में हेराफेरी करवाकर मालिकाना हक दिखा दिया जाता है। इतिहास गवाह है कि आज तक सरकारी दस्तावेजों मेें हेराफेरी करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की कारगुजारियों का लम्बे समय बाद पर्दाफास होने पर भी उनके विरुध्द कोई कार्यवाही नहीं हुई है। कुछ मामले अपवाद के रूप में सुुुर्खियां बने परन्तु बाद के परिणामों का खुलासा आमजन के समक्ष नहीं किया गया। 

दूसरा यह कि उच्चाधिकारियों के आदेश पर अतिक्रमणकारियों से जमीन खाली कराने पहुंचे अमले पर दोधारी तलवार से वार करने की अंग्रेजी नीयत आज भी जस की तस लागू है। यदि अमला बिना अतिक्रमण हटाये वापिस पहुंचता तो निश्चय ही आदेश की अवहेलना का पात्र बनकर दण्ड का भागीदार बनता और जब अतिक्रमण हटाया गया तो अचानक लगी आग के लिए दोषी ठहरा दिया गया। चोरी करने वालों की सीना जोरी करने का दुस्साहस सामने आया। आंशिक अतिक्रमण हटा तो शिव लिंग की स्थापना हेतु चबूतरे का निर्माण कर लिया गया। ताकि साम्प्रदायिकता की आड में कब्जा बना रहे। देश के प्रत्येक छोर पर साम्प्रदायिकता की आड में अतिक्रमण करने वालों की लम्बी सूची मिल जायेगी परन्तु इस ओर से शासन-प्रशासन जानबूझकर अपनी आंखें बंद किये रहता है। कबाडी की दुकानों के नाम पर कचरा एकत्रित करके महानगरों तक के मुख्य मार्गों पर कब्जाधारियों को खुलेआम देखा जा सकता है। 

तीसरा यह कि सीना जोरी करने वालों को राजनैतिक दलों के अलावा कथित समाजसेवियों-बुध्दिजीवियों को खुला समर्थन मिलने से अतिक्रमणकारियों के हौसले निरंतर बुलंद होते जा रहे हैं। मानवीयता की आड में असंवैधानिक कृत्यों को अधिकार बताने वाले जहां स्वयं के नेतृत्व को स्थापित करने में लगे हैं वहीं दलगत नेता अपने आकाओं के इशारों पर इजाफा-ए-वोट का लक्ष्य साधने में जुटे हैं। ऐसे लोग कभी साम्प्रदायिकता के आधार पर वैमनुष्यता फैलाकर, फूट डालो-राज करो के सिध्दान्त की परिणति करते हैं तो कभी जातिगत मुद्दों पर हुंकार भरने लगते हैं। कुल मिलाकर वर्तमान में सीनाजोरी करने वालों को संरक्षण देने की होड मची है। किसी राज्य में चुनावी परिणाम आने वाले हैं तो किसी में निर्वाचन की आचार संहिता लगने वाली है। ऐसे में भावनात्मक बयार मेें वोट हथियाने के हथकण्डे नित नये रूप ले रहे हैं जो कि राष्ट्र हित में कदापि सुखद नहीं कहा जा सकता। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भर गया है भ्रष्टाचार का घड़ा, ईडी की चंगुल में आए आरपी सिंह, विनोद तिवारी, रामगोपाल अग्रवाल, विधायक देवेंद्र यादव और सन्नी अग्रवाल


ईडी की चंगुल में आए आरपी सिंह, विनोद तिवारी, रामगोपाल अग्रवाल, विधायक देवेंद्र यादव और सन्नी अग्रवाल


  • भूपेश के भय-भ्रष्टाचार-दमन के चक्र के कारण पूरी कांग्रेस पार्टी को होना पड़ा शर्मिंदा
  • ईडी के दायरे में राज्‍य के आला पुलिस अफसर!


भोपाल // विजया पाठक

छत्‍तीसगढ़ का कोल परिवहन खनन घोटाला अब काफी चर्चित होने लगा है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में 270 करोड़ की उगाही और इसकी बंदरबांट का लेखाजोखा पेश किया है इसमें 170 करोड़ रूपये सौम्‍या चौरसिया ने अपनी जेब में डाल लिये जबकि सूत्रों का कहना है कि 52 करोड़ रूपये से अधिक रूपये भूपेश बघेल के हाथ में पहुंचाये गए। यही नही 12 करोड़ रूपये से अधिक की रकम छत्‍तीसगड़ के पूर्व और वर्तमान विधायकों के अलावा अन्‍य नेताओं को उपलब्‍ध कराई गई थी। इतने बड़े घोटाले के बावजूद भी मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोपों के दायरे में आए अधिकारियों और कारोबारियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत कोई प्रकरण दर्ज नही किया जबकि ईडी ने आरोपी अधिकारियों और कारोबारियों का पूरा ब्‍यौरा कोर्ट में प्रस्‍तुत किया है। बताते हैं कि ईडी आर्थिक अपराधों की जांच कर रही है वह सिर्फ मनी लांड्रिंग तक सीमित है, जबकि आरोपियों के अपराध आईपीसी की कई धाराओं के दायरे में है।

      आखिर जिसकी आशंका थी वही बात सच साबित हुई। दरअसल सौम्या चौरसिया पर प्रवर्तन निदेशालय ने जो दूसरी चार्टशीट प्रस्तुत की उसमें कांग्रेस में उपरोक्त नेताओं के नाम भी थे। ईडी के सूत्रों के मुताबिक अब उनकी नजर प्रदेश के आईपीएस लॉबी के अलावा उनके पुत्र का भी नाम है! पूछताछ में उनके पुत्र का नाम लिया गया है। ऐसे में कहना अतिश्योक्ति नहीं कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पापों का घड़ा भरता नजर आ रहा है। ईडी द्वारा हाल ही में पेश की गई चार्जशीट में शामिल बघेल और चौरसिया के करीबियों के नाम को देखने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भूपेश बघेल और सौम्या चौरसिया के लिए आने वाले दिनों में समस्या और बढ़ सकती है। एक तरफ प्रदेश में ईडी और आयकर विभाग की टीम सक्रियता के साथ कार्य कर रही है। वहीं, दूसरी इस हफ्ते कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन होना है। 

ऐसे में राष्ट्रीय अधिवेशन से पू्र्व ही राज्य में बड़े उलटफेर की संभावनाएं बन रही हैं। बताया जा रहा है कि बघेल और चौरसिया के जिन करीबियों के नाम ईडी ने चार्जशीट में शामिल किये हैं उनमें कई ऐसे हैं जिनके पास बघेल और चौरसिया के भ्रष्टाचारों का पुलिंदा है। चार्जशीट में ईडी ने स्पष्ट तौर पर इस बात का उल्लेख किया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उपसचिव सौम्या चौरसिया के करीबियों के पास मौजूद दस्तावेज बघेल और चौरसिया के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा आरिफ शेख, अभिषेक माहेश्वरी, आनंद छाबरा, अभिषेक पल्लव, प्रशांत अग्रवाल, भोजराम पटेल और दीपांशु काबरा जैसे पुलिस महकमे के अधिकारियों की भी गिरफतारी की आशंका जताई जा रही है। जिन्‍होंने भूपेश सरकार में जमकर अपने पद का दुरूपयोग किया है और अपने पद के दुरूपयोग करते हुए आमजन के साथ-साथ मीडियाकर्मियों को काफी परेशान किया। इसके अलावा भूपेश के काले कारनामों में साथ दिया।

बघेल के करीबी आरपी सिंह समेत अन्य कांग्रेस नेताओं की सक्रियता संदेह के घेरे में

इस बात से नेता, अफसर और जनता सभी अच्छी तरह से परिचित हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबियों में आरपी सिंह का नाम शीर्ष पर है। आरपी सिंह मुख्यमंत्री बघेल के सभी काले-पीले कारनामों का हिसाब रखते हैं और समय-समय पर बघेल के इशारे पर विपक्षी दलों पर बयानबाजी करते दिखाई देते हैं। कहने को तो आरपी सिंह पार्टी प्रवक्ता हैं, लेकिन जिस हिसाब से उनके ठाठ हैं उसको देखकर साफतौर पर कहा जा सकता है कि एक पार्टी प्रवक्ता इतना धनवान भला कैसे हो सकता है। पार्टी कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर खासी चर्चा है। पार्टी कार्यकर्ताओं में आरपी सिंह द्वारा रायपुर के डीडी नगर इलाके में तैयार करवाई जा रही हवेली की चर्चा भी आम है। हर कोई इस बात को लेकर अचंभित हैं कि कभी रुपये-रुपये के लिए मोहताज आरपी सिंह अचानक अरबपति कैसे बन गया। चर्चा इस बात को लेकर भी है कि कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी और आरपी सिंह के बीच बड़ा आर्थिक लेन-देन हुआ है, जिसके बाद सिंह का बर्ताव ही बदल गया है।

रमन सरकार में अफसर ने लगाया था मानहानि का केस

बताया जाता है कि रमन सरकार के खिलाफ फालतू की बयानबाजी को लेकर आरपी सिंह पर रमन सिंह के प्रमुख सचिव अमन सिंह ने मानहानि का केस भी दर्ज किया था। उस समय आरपी सिंह टीएस सिंहदेव के पास हुआ करते थे। लेकिन बदलते समय के साथ ही आरपी सिंह ने पहले ही भाप लिया था कि आगामी सरकार में बघेल मुख्यमंत्री हो सकते हैं इसलिए उन्होंने तुरंत टीएस सिंह देव का पल्ला छोड़ भूपेश बघेल का पल्ला पकड़ लिया था। इसके बाद जब कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह और टीएस सिंहदेव के बीच संघर्ष छिड़ा तो उसकी नींव रखने वालों में भी आरपी सिंह का नाम बताया जाता है।

ईडी की चार्जशीट में आरपी सिंह पर दर्ज है 50 लाख रूपये

सूत्रों का कहना है कि ईडी द्वारा जारी की गई चार्जशीट में आरपी सिंह के नाम पर 50 लाख रुपये की राशि दर्ज है। यह राशि उन्होंने कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी से कोयला घोटाला करने के लिए ली थी। ईडी ने सौम्या चौरसिया के खिलाफ पेश की गई चार्जशीट में उन पन्नों का हवाला भी दिया है, जिसमें कई कांग्रेसी नेताओं को दी जाने वाली नगद रकम का हिसाब-किताब दर्ज है।

अफसरों की नियुक्तियां भी संदेह के घेरे में

भूपेश बघेल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है। राज्य के भीतर भ्रष्टाचार इस तरह से चरम पर पहुंच चुका है कि अब उसके दायरे में आईएएस अफसर भी आ गये हैं। राज्य के भीतर इन दिनों इस बात को लेकर खासी चर्चा चल रही है कि बघेल सरकार युवाओं को रोजगार देने के बजाय भ्रष्ट अफसरों को रिटायरमेंट के बाद भी नियुक्ति पर रख रही है। ताजा मामला रिटायर्ड निरंजन दास से जुड़ा है। निरंजन दास को बघेल के करीबी अफसरों में गिना जाता है। यही कारण है कि बघेल ने रिटायरमेंट के तुरंत बाद ही निरंजन दास को संविदा नियुक्ति देते हुए उन्हें कई प्रमुख विभागों का दायित्व सौंप दिया है। निरंजन दास को आबकारी विभाग में आबकारी आयुक्त बनाया गया है। जबकि देखा जाये तो निरंजन दास रिटायरमेंट के पहले से ही इस विभाग में डटे हुए थे और उन्होंने रमन सरकार के जाते और बघेल सरकार के आने के बाद भ्रष्टाचार का अंधाधुंध खेल मचाया है जिसकी आंच अब बघेल के मंत्रालय और मुख्यमंत्री निवास तक आने लगी है। निरंजन दास एक मात्र नाम है। राज्य में ऐसे कई भ्रष्ट अफसर हैं जिनका पुनर्वास बघेल सरकार के कार्यकाल में अपनी रोटियां सेंकने के लिए किया गया है।

      खैर भूपेश बघेल इसे बदले की कार्यवाही बोले पर 500 करोड़ के ऊपर की जब्ती और कार्टेल का जवाब किसी के पास नहीं है। शायद इसी के मद्देनजर उन्होंने प्रदेश में घोषित आपातकाल भी लगा कर रखा है ताकि मेरे जैसे लोगों को चुप कर सकें। अब इनके कदाचार के कारण ही कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन भूपेश के कारण शर्म में बदल जाएगा।

Friday, February 3, 2023

ईधन में मिलावट रोकने दो पेट्रोल पम्पों की जांच पेट्रोल और डीजल के लिये गये सेम्पल


ईधन में मिलावट रोकने दो पेट्रोल पम्पों की जांच पेट्रोल और डीजल के लिये गये सेम्पल



जबलपुर, संभागायुक्त बी.चन्द्रशेखर के निर्देशानुसार ईधन में मिलावट की रोकथाम के उद्देश्य से आज खाद्य विभाग के अधिकारियों द्वारा हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कम्पनी के सेल्स ऑफीसर के साथ दो पेट्रोल एवं डीजल पम्प की आकस्मिक जांच की गई।
      

जिला आपूर्ति नियंत्रक कमलेश तांडेकर के अनुसार जांच के दौरान मेसर्स शंकरा एनर्जी पेट्रोल एवं डीजल पम्प एम.आर-4 रोड, जबलपुर से पेट्रोल पॉवर का 1 सेम्पल, सादा डीजल का 1 सेम्पल,  सादा पेट्रोल के 2 सेम्पल, इस प्रकार कुल 4 सेम्पल लिए गये।

इसी अनुक्रम में मेसर्स सुमेरू ऑटो सर्विस पेट्रोल एवं डीजल पम्प, नागपुर रोड  सगड़ा, जबलपुर की भी जांच कर पेट्रोल पॉवर का 1 सेम्पल, सादा डीजल का 3 सेम्पल, सादा पेट्रोल के 2 सेम्पल, इस प्रकार कुल 6 सेम्पल एकत्र किये गये।       

दोनों पेट्रोल पम्पों से लिए गए डीजल एवं पेट्रोल के सेम्पल की जांच हेतु हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कंपनी के सेल्स ऑफिसर वीरेन्द्र रैकवार को सौंपे गये। पेट्रोल पम्पों से लिए गये सेम्पलों की परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने पर अग्रिम कार्यवाही की जायेगी। इसी प्रकार जिले के समस्त पेट्रोल पम्पों की जांच की कार्यवाही सतत जारी रहेगी।

Friday, January 20, 2023

ICC के साथ ₹20 करोड़ का ऑनलाइन फ्रॉड, मच गया हड़कंप, पड़ताल शुरू


 ICC के साथ ₹20 करोड़ का ऑनलाइन फ्रॉड, मच गया हड़कंप, पड़ताल शुरू

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विनय जी. डेविड  9893221036

नई दिल्‍ली. ऑनलाइन धोखाधड़ी (Online Fraud) की खबरें आए दिन आती रहती है. अकसर आम लोग साइबर अपराधियों के झांसे में आकर अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई गवां देते हैं. ऑनलाइन से कब और कैसे, कोई ठगा जाए, कहा नहीं जा सकता. अब तो बड़ी-बड़ी संस्‍थाएं भी साइबर फ्रॉड का शिकार हो रही हैं.

ऑनलाइन ठगों ने अब क्रिकेट की वैश्विक संस्था, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC Online Fraud) को ही निशाना बना लिया है. अब इतनी बड़ी संस्‍था के साथ ठग ठगी भी मामूली करने से रहे. स्‍कैमर्स ने पूरे 20 करोड़ का चूना आईसीसी को लगाया है.

हालांकि, आईसीसी ने अभी तक उसके साथ हुई धोखाधड़ी पर कुछ भी नहीं कहा है. लेकिन, क्रिकेट जगत की जानकारियां देने वाली वेबसाइट क्रिकबज की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आईसीसी ने पूरी घटना की जांच शुरू कर दी है. फिशिंग (Phishing) की इस घटना से आईसीसी में हड़कंप मचा हुआ है और हर कोई सकते में हैं.

फ्रॉडस्टर ने अमेरिका में ICC के एक सलाहकार के नाम से फर्जी ईमेल आईडी बनाई. इस ईमेल आईडी से ICC के मुख्य वित्त अधिकारी यानि CFO को 20 करोड़ रुपये से ज्यादा के बिल भेजकर उन्हें भुगतान करने को कहा. CFO दफ्तर झांसे में आ गया और बिल का भुगतान कर दिया. हालांकि, सवाल ये उठ रहा है कि आखिर सीएफओ ऑफिस में किसी ने बैंक अकाउंट नंबर पर ध्‍यान क्‍यों नहीं दिया. हालांकि, ICC इस बारे में फिलहाल कुछ भी नहीं बोल रही है लेकिन उसने खुद अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है और साथ ही अमेरिका में कानूनी एजेंसियों के पास भी शिकायत दी है

वहीं वरिष्ठ पत्रकार के श्रीनिवास राव ने भी ट्विटर के जरिए इस फ्रॉड की जानकारी दी. अपने ट्विटर हैंडल पर उन्‍होंने लिखा, “आईसीसी के साथ एक जामताड़ा हो गया है.” उन्‍होंने आगे लिखा है कि जो लोग जामताड़ा के बारे में नहीं जानते उन्‍हें बता दूं कि “जामताड़ा” नेटफ्लिक्स पर एक शानदार सीरीज है जो “फ़िशिंग” खतरे के बारे में बताती है.

श्रीनिवास राव ने लिखा है कि आईसीसी के साथ ऑनलाइन फ्रॉड पहली बार नहीं हुआ है. धोखाधड़ी की यह तीसरी या चौ‍थी घटना है. अब कहा जा रहा है कि एफबीआई हालिया घटना की जांच कर रही है.

Tuesday, October 18, 2022

कलमकारों की निष्पक्षता व स्वतंत्रता पर आंच नहीं आने दूंगी – आरती त्रिपाठी


कलमकारों की निष्पक्षता व स्वतंत्रता पर आंच नहीं आने दूंगी – आरती त्रिपाठी

नई दिल्ली। पिछले दिनों प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शाखा गुजरानवाला टाउन के सभागार में एक भव्य समारोह का आयोजन हुआ।

उसी अवसर पर दिल्ली के कई पत्रकार संगठन जिसमें आइसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवशंकर त्रिपाठी, आई.एफ.डब्लू.जे., इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के महासचिव परमानंद पांडे, भारतीय मीडिया कल्याण संघ के अध्यक्ष राजीव निशाना, डीडी न्यूज़ के संपादक मनीष बाजपेयी, भारतीय महिला प्रेस कॉर्प्स नई दिल्ली की अध्यक्ष शोभना जैन, निस्कोर्ट मीडिया गाजियाबाद की प्रधानाचार्या प्रो. रितु दुबे तिवारी, डीयू पत्रकारिता विद्यालय के निदेशक प्रो. जे पी दुबे सहित कार्यक्रम के आयोजक एवं ब्रह्माकुमारी संस्था के दिल्ली और यूपी, रूस व अन्य देश में सेवाकेन्द्रों की निर्देशिका राजयोगिनी बीके चक्रधारी आदि भव्य कार्यक्रम के प्रतिभागी बने।

कार्यक्रम में आइसना की राष्ट्रीय महासचिव आरती त्रिपाठी ने अपनी मंचीय भाषण में कहा कि यह विश्वविद्यालय संगठन विश्व का आडंबर रहित संगठन है इसके संस्थापक ब्रम्हा बाबा ने शिव बाबा की प्रेरणा से भारत देश के सभी प्रदेशों व उनके अधिकांश जनपदों मे 75000 से अधिक विश्वविद्यालय की शाखाएं स्थापित की हैं और लगभग 140 देशों में शाखाएं सेवारत हैं। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य विश्व को एकजुट करके पुनः रामराज्य स्थापित करना है। करोड़ों की संख्या मे भाई व बहनें इस पुण्य कार्य को सफल बनाने मे निरंतर सेवारत हैं।

भारत देश में विशेष रूप से हम सब पर मानसिक तनाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, इस तनाव को कम व दूर आप सभी पत्रकारों की निष्पक्ष, स्वतंत्र, निर्भीक कलम कर सकती है। आप अपनी कलम की शक्ति को पहचानें, आपकी कलम से ही सरकारें बनती व बिगड़ती हैं। यह वही कलम है जिसने महान भारत देश को अंग्रेज़ों से आज़ाद कराने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, कुर्बानी दी व जेल गये और प्रताड़ना सही है और जीवनदान देकर देश को आज़ाद कराने मे अहम भूमिका निभाई है। इस कुर्बानी को नकारा नही जा सकता है।

आज निरंकुश शासन व प्रशासन को भी इस कलम के द्वारा ठीक किया जा सकता है। उस समय देश साधनविहीन था। आज़ादी के दिवाने पत्रकार आज़ादी के लिए रातभर जागकर, हाथ से कलम चलाकर समाचारपत्र तैयार करते थे व सुबह हाथ से लिखे समाचारपत्र को झोले में भरकर जन-जन तक पहुंचाने के लिए गांव-गांव पैदल चलकर आज़ादी की ज्योत जलाते थे और संघर्ष के लिए लोगों को प्रेरित करते थे।

दैहिक, दैविक, भौतिक तापा रामराज्य काहू नहीं व्यापा। रामराज्य में सभी सम्पन्न थे व कोई दुःखी नही था। इस समय भी सभी भारतवासी रामराज्य की तरह खुशहाली चाहते हैं, यह तभी संभव होगा जब आपकी लेखनी स्वतंत्र, निष्पक्ष व निडर होगी और इसके लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का देश में गठन किया गया। यदि कोई आपकी लेखनी में बाधक बनता है तो मैं आरती त्रिपाठी सदस्य प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से आपको विश्वास दिलाती हूँ कि आपकी निष्पक्षता व स्वतंत्रता पर कहीं आंच नहीं आने दूंगी बशर्ते आप निर्भीक होकर पी.सी.आई. को अवगत करायेंगे।

मैं कार्यक्रम के आयोजक सुशांत भाई व चन्द्रकला बहन व अन्य सभी भाई बहनों का आभार प्रकट करती हूँ कि इस भव्य कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकार जगत शिरोमणियों के बीच मुझे सम्मानित करते हुए विचार प्रकट करने का अवसर प्रदान किया।


इस कार्यक्रम में पूर्व सम्मानित बु़द्धजीवी वक्ताओं ने कार्यक्रम के विषय व शीर्षक पर विस्तृत रूप से अपने विचार प्रकट किये।

Monday, September 19, 2022

मध्य प्रदेश खेल विभाग केंद्र मंत्री श्री अर्जुन मुंडा के भी पत्र को नहीं देता तवज्जो, 2 वर्ष में भी नहीं कर पाये कार्रवाई

नेशनल कोच रिचपाल सलारिया, छात्रों के साथ दबाव बनाकर अनैतिक फोटोग्राफर वीडियो बनाए गए


जबलपुर . मध्य प्रदेश खेल विभाग केंद्र मंत्री श्री अर्जुन मुंडा के भी पत्र को नहीं देता तवज्जो, नेशनल कोच रिचपाल सलारिया के मामले में अर्जुन मुंडा के पत्र पर 2 वर्ष में भी नहीं कर पाया कार्रवाई, जांच करना तो दूर अन्य सुविधाएं अलग से उपलब्ध कराई

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को प्रेषित केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा एवं अध्यक्ष आर्चरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के द्वारा लिखे गए पत्र ( 11 जुलाई 2020 ) एवं मध्य प्रदेश अध्यक्ष तीरंदाजी संघ एवं श्री गिरजाशंकर शर्मा द्वारा प्रस्तुत किए गए पत्र ( 08 अगस्त 2020 ) पर क्या क्या कार्रवाई की गई.

शिवराज सिंह चौहान जी को प्रेषित केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा एवं अध्यक्ष आर्चरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के द्वारा लिखे गए पत्र



नेशनल कोच रिचपाल सलारिया जबलपुर के मामले में खेल विभाग में अनेकों शिकायत होने के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई करने से बच रहा है।

तीरंदाजी में विजेता छात्राओं के साथ इन प्रशिक्षकों के द्वारा विभाग टूर्नामेंट में अवसर प्रदान करने के नाम पर में शारीरिक शोषण किया जा रहा हैं, कुछ छात्रों के साथ दबाव बनाकर अनैतिक फोटोग्राफर वीडियो बनाए गए हैं। जिसकी शिकायत संबंधित आप सभी अधिकारियों को पूर्व में दी जा चुकी है, इस जानकारी को प्राप्त करने के बाद विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की गई।

नेशनल कोच रिचपाल सलारिया जबलपुर


जबलपुर आर्चरी विभाग पिछले 2 सालों से विवादों में पड़ा है एक कोच के चक्कर में पूरा विभाग बदनाम हो रहा है, जबलपुर में पदस्थ नेशनल कोच रिचपाल सलारिया पर केंद्रीय मिनिस्टर श्री अर्जुन मुंडा तक ने जांच के लिए पत्र जारी किए, परंतु मध्य प्रदेश खेल विभाग ने उनको भी बाबाजी का ठुल्लू दिखा दिया।
इस बात का जवाब नहीं है खेल संचालक एवं विभाग के मंत्री के पास

Tuesday, February 16, 2021

स्वर्ण पदक विजेता से अवैध संबंध पर बबाल : नेशनल तीरंदाजी कोच रिचपाल सिंह छात्रा संग अय्याशी में डूबा, बिखरा परिवार

 
नेशनल तीरंदाजी कोच रिचपाल सिंह की पीड़ित पत्नी मोहिनी सलारिया
 

ANI NEWS INDIA // विनय जी. डेविड 9893221036

भोपाल : तीरंदाजी के राष्ट्रीय कोच रिछपाल सिंह सलारिया को रानीताल स्पोर्ट्स क्लब स्टेडियम में अपनी पत्नी के साथ ना सिर्फ स्वयं मारपीट की बल्कि अपने छात्राओं से भी मारपीट करवाई. इस दौरान मौके पर मौजूद मीडिया से भी कोच और उनके छात्राओं ने अभद्रता करने की कोशिश की, स्पोर्ट्स क्लब में काफी देर तक हुए हाईप्रोफाइल हंगामे के बाद मौके पर पहुंची लार्डगंज थाना पुलिस ने महिला को शिकायत दर्ज करवाने के लिए उसे अपने साथ ले आई.परन्तु प्रकरण दर्ज करने में सेटिंग कर ली. 

पत्नी ने कोच पति पर लगाए संगीन आरोप

कोच पत्नी आज शाम जम्मू से अचानक जबलपुर आई और सीधे वह रानीताल स्पोर्ट्स क्लब में जाकर अपने पति से मिलने पहुंच गई. महिला के पति ने उससे बात करने की वजह मारपीट करना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं मौके पर मौजूद इस खबर को कवर कर ही मीडिया से भी कोच और उसकी छात्राओं ने अभद्रता की. कोच की पत्नी का आरोप है कि उसके पति का आर्चरी की छात्रा के मुस्कान किरार के साथ  नाज़ायज संबंध है. इतना ही नहीं महिला ने यह भी कहा कि उसने दिल्ली में दोनों को रंगे हाथों पकड़ा था.

रिचपाल कोच का एक दिव्यांग बेटा, बेटी माँ मोहिनी सलारिया के साथ

रिचपाल कोच का एक दिव्यांग बेटा, बेटी भी स्कूल नहीं जाती, बच्चों की नहीं करता देख-रेख

तीरंदाजी कोच रिछपाल की पत्नी ने बताया कि उसका एक दिव्यांग बेटा है, जो कि हमेशा बीमार रहता है. लेकिन उनके पति ना ही कभी अपने बेटे पर ध्यान देते हैं और बेटी भी स्कूल भी नहीं जाती है,  बच्चों की नहीं करता देख-रेख ही नहीं करता, महिला का यह भी आरोप था कि उसका पति जबरन उसे तलाक देना चाहता है, जबकि जम्मू कोर्ट में केस चल रहा है. कोर्ट ने ही जो खर्चा राशि तय की है वह भी समय से नहीं देता।

mohini salariya Richpal Singh (Twitter @RichpalSingh01 ) with family
https://twitter.com/richpalsingh01


हंगामे की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस, रिचपाल पर एफ आई आर दर्ज 

रानीताल स्पोर्ट्स क्लब में हुए इस हाईप्रोफाइल हंगामे में जमकर विवाद हुआ. इधर विवाद की सूचना मिलते ही लार्डगंज थाना पुलिस मौके पर पहुंची और महिला की शिकायत दर्ज कराने को लेकर थाने ले गई. इस पूरी घटना को अंजाम देने के बाद कोच मौके से फरार हो गए और रिचपाल पर एफ आई आर दर्ज कर ली है परन्तु एक माह बीत जाने के बाद भी कोच को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी, फरार कोच जबलपुर में ही मस्ती मार रहा है, रानीताल स्टेडियम में इसका आजा जाना चालू है।

नेशनल तीरंदाजी कोच रिचपाल सिंह और मुस्कान किरार भारतीय तीरंदाज

संचालनालय खेल भोपाल के आला अधिकारियों भी मोन, पीड़ित पत्नी से नहीं मिलना चाहते संचालक पवन जैन 

मोहनी की जहां तक बात है वह संचालनालय खेल भोपाल के आला अधिकारियों से करीब ढाई साल से अपने पति के कृत्यों के साथ स्वयं का परिवार टूटने से बचाने की गुहार लगा रही है लेकिन उसे आश्वासन मिलने के अलावा कुछ भी नसीब नहीं हुआ। अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते प्रशिक्षक का दुस्साहस इस कदर बढ़ गया कि उसने पत्नी से छुटकारा पाने के लिए जम्मू की अदालत में वाद भी दायर कर दिया। इतना ही नहीं उसने खेल अधिकारियों को झूठे शपथ-पत्र से भ्रमित कर मामले को रफा-दफा करने की भी नापाक कोशिश की। संचालनालय खेल भोपाल के आला अधिकारियों भी मोन है पीड़ित पत्नी से नहीं मिलना चाहते संचालक पवन जैन, विभाग में चल रही ऐय्याशी पर इनको कुछ सुनना पसंद नहीं। 

मुस्कान किरार खिलाड़ी और प्रशिक्षक रिचपाल सिंह पर अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए शिविर से बाहर किया था, तीन दिन गायब था ये जोड़ा
 

मुस्कान किरार खिलाड़ी और प्रशिक्षक  रिचपाल सिंह पर अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए शिविर से बाहर किया था, तीन दिन गायब था ये जोड़ा 

पिछले साल प्रशिक्षक और उसकी शिष्या को भारतीय खेल प्राधिकरण के रोहतक (हरियाणा) केन्द्र में लगे जूनियर नेशनल कैम्प से एक साथ 21 से 24 जुलाई, 2019 तक गायब रहने की भी खूब चर्चा रही। तब साई ने इस वाकये के सिलसिले में शिविर से सम्बन्धित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद फैसला किया गया कि खिलाड़ी और प्रशिक्षक पर अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए शिविर से बाहर कर दिया जाए। साई ने तीरंदाज और प्रशिक्षक को भेजे गए पत्र में लिखा था कि नेशनल कैम्प में अनुशासन का ध्यान रखना सबसे अहम है और सक्षम अधिकारियों ने इसे गम्भीरता से देखा जिससे अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत आपका नाम मौजूदा नेशनल कैम्प से तुरंत प्रभाव से हटाया जाता है। एक साल पूर्व के इस मामले से खेल विभाग के साथ ही जबलपुर का हर सदस्य वाकिफ है लेकिन मोहनी सलारिया की मदद करने की बजाय उसे फुटबाल बना दिया गया। इसे दुर्भाग्य कहें या कुछ और जिस प्रशिक्षक का मध्य प्रदेश तीरंदाजी एकेडमी से चार साल का अनुबंध 28 फरवरी, 2020 को ही समाप्त हो चुका है, उसका नाम विभाग द्वारा द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए नामांकित किया गया है।

Archer Muskan Kirar
 

कौन है मुस्कान किरार मुस्कान किरार 

मुस्कान किरार एक भारतीय तीरंदाज है।  28 अगस्त 2018 को इंडोनेशिया में हुए महिलाओं के तीरंदाजी कंपाउंट इवेंट में सिल्वर मेडल लाने वाली भारतीय टीम का वो हिस्सा रहीं। मुस्कान मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने हाल ही में बैंकाक में हुए महिला कंपाउंड - तीरंदाजी एशिया कप में स्वर्ण पदक भी जीता। 

Archer Muskan Kirar
 
भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए चैम्पियनशिप के कम्पाउण्ड स्पर्धा के फाइनल मुकाबले में मुस्कान किरार ने 139 अंक प्राप्त किए और मलेशिया की खिलाड़ी को हराकर स्वर्ण पदक अर्जित किया। मुस्कान किरार 2016 से मध्यप्रदेश में तीरंदाजी का प्रशिक्षण ले रही हैं तथा रिछपाल सिंह सलारिया उनके कोच हैं।

Tuesday, December 1, 2020

सरकार और किसानों के बीच नहीं बनी सहमति, 3 दिसंबर को फिर होगी बातचीत, जारी रहेगा प्रदर्शन

सरकार और किसानों के बीच नहीं बनी सहमति, 3 दिसंबर को फिर होगी बातचीत, जारी रहेगा प्रदर्शन

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केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में जमे किसानों और सरकार के तीन मंत्रियों के बीच करीब साढ़े तीन घंटे तक बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया।

मंगलवार को विज्ञानभवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित तीन मंत्रियों और किसान संगठनों के 30 से अधिक प्रतिनिधियों में मंथन के बाद केवल इतना तय हो पया है कि 3 दिसंबर को दोनों पक्षों में फिर बातचीत होगी। किसान नेताओं ने यह भी साफ कर दिया है कि धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। सरकार ने किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की है। 

सूत्रों ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों के साथ सरकार की तरफ से रखे गए इस प्रस्ताव का जवाब किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से नहीं आया है। लेकिन वे सभी किसान प्रतिनिधि नए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर एकमत हैं। किसान प्रतिनिधियों की राय में ये कानून कृषक समुदाय के हित के खिलाफ हैं।

किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक अच्छी रही और हमने फैसला लिया है कि फिर से 3 दिसंबर को बातचीत होगी। उन्होंने कहा, ''हम चाहते थे कि एक छोटा सा समूह बनाया जाए, लेकिन किसान नेता चाहते हैं कि सभी से बातचीत हो। हमें इससे कोई समस्या नहीं है।'' बीकेयू (एकता उगराहां) अध्यक्ष जोगिंद्र सिंह उगराहां ने कहा कि सरकार की प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ बातचीत बेनतीजा रही है।

केंद्रीय मंत्रियों और 30 से अधिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक के बीच सरकार ने विश्वास जताया कि वह आंदोलनकारी किसानों द्वारा उठाये गये मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के बाद किसी समाधान पर पहुंचेगी। विज्ञान भवन में बैठक के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेल और वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश, जो पंजाब के एक सांसद भी हैं, भी मौजूद थे।

बैठक से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने केंद्र के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर लंबी चर्चा की। शुक्रवार को हुई हिंसा की घटना के बाद किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है और अधिकतम पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा सिंघू और टिकरी सीमाओं पर शांतिपूर्ण धरना जारी रहा। सोमवार को गाजीपुर की सीमा पर प्रदर्शनकारियों का हुजूम जुट गया था।

विपक्षी दलों ने भी अपना दबाव बढ़ा दिया है और केंद्र सरकार से किसानों के ''लोकतांत्रिक संघर्ष का सम्मान करने और नये कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए कहा है।'' किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी जिससे किसान बड़े निगमित घरानों (कॉरपोरेट्स) की 'दया के मोहताज' हो जाएंगे। सरकार निरंतर यह कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और कृषि में नई प्रौद्योगिकियों का समावेश बढ़ेगा।

Saturday, November 28, 2020

प्रधान मंत्री रोजगार योजना को विफल करते बैंक अधिकारी, ऋण दलाल और बैंक अधिकारी कर रहे काली कमाई


प्रधान मंत्री रोजगार योजना को विफल करते बैंक अधिकारी, ऋण दलाल और बैंक अधिकारी कर रहे काली कमाई

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बैतूल। मप्र राज्य भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रधान मंत्री की रोजगार योजना को सरकारी बैंको के अधिकारी अपनी अवैध उगाही का जरिया बना कर रखे हैं जिससे सरकार की योजनाएं विफल हो रहीं हैं। उद्योग विभाग से बैंक तक फैला भ्रष्टाचार और कागजी कार्यवाहियां में बेरोजगार उलझ कर रह गए हैं। भारत सरकार रोजगार सृजन करना चाहती हैं, मेक इन इडिया अभियान चला रही हैं जिसे बैंक अधिकारी विफल कर रहे हैं।

मध्य प्रदेष राज्य के बैतूल जिले में बैंक अधिकारियों ने बैंक ऋण बाॅटने के लिए दलाल नियुक्त करके रखे हैं तो उद्योग विभाग ने भी दलाल नियुक्त करके रखे हैं। दलालों के माध्यम से ऋण स्वीकृत करवाने का कारोबार चलता हैं। उद्योग विभाग को ऋण प्रकरणों को स्वीकृत करने के ऐवज में पैसा चाहिए तो बैंक अधिकारी को भी ऋण राषि के बदले 10 फीसदी के अतिरिक्त उद्योग की मषीनों में कमीषन चाहिए। उद्योग की मषीन बेचने के लिए फर्जी फर्म बन चुकी हैं जो कागजो पर काम करती हैं, वैसे तो फर्म का कोई अस्तित्व नहीं हैं। मषीन का पैसा तो फर्जी फर्म के खाते में जमा हो जाता हैं जिसे दलाल और बैंक अधिकारी आपस में बाट लेते हैं।
 
बैतूल में मोटर यान की बाॅडी बनाने के लिए एक बेरोजगार युवक सतीष दवंडे पिता भगवंत राव दवंडे निवासी, ग्राम कोसमी खखरा जामठी पो0 टेमनी, तह0 जिला बैतूल ऋण के लिए उद्योग विभाग में आवेदन करता हैं और वह उद्योग विभाग एवं बैंक के नियुक्त दलालों के चक्रव्यूह में फंस जाता हैं। बैंक से ऋण तो मिलता नही हैं बल्कि बेरोजगार उल्टा बरर्बाद हो जाता हैं। प्रधान मंत्री रोजगार योजना में ऋण देने के लिए बैंक अधिकारी किस कदर बेरोजगार को परेषान करते हैं, इसकी दर्दनाक कहानी सरकारी बैंको की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाती हैं।
 
बैंक ऑफ इंडिया शाखा बैतूल का ऋण खाता क्र0 958277710000032 को देखने से ही भ्रष्टाचार का पता चलता हैं। बैंक के प्रबंधक ने इस खाते की अधी राषि को पहले तो फिक्स डिपाजिट के नाम पर खाता क्र 958210310000356 बचत खाते में जमा कर दी जिसे ब्लाक करके रखा गया और आधीराषि का डिमांड ड्राप्ट बनाकर बैंक ऋण दलाल की कागजी फर्म के नाम पर बना कर दे दिया। सांई इन्टरप्राईजेस बैतूल फर्म का कोई कारोबार तो था नहीं इसलिए वह किसी प्रकार की उद्योग में प्रयुक्त मषीन की सप्लाई तो कर नहीं सकती थी। बैंक का दलाल राजेष यादव और बैंक मैनेजर पंकज चैकसे ने पैसा हजम कर लिया हैं। स्थानंतरण के पहले बैंक अधिकारी ने बचत खाते की राषि को ऋण खाते में जमा कर दी। इस कार्यवाही में बेरोजगार व्यक्ति के पास केवल 01 लाख रूपए आए हैं और 5 लाख रूपए उद्योग के शैड निर्माण की दूसरी किष्त मिली हैं।
 
बैंक मैनेजर का स्थनांतकरण हो जाने के बाद दूसरा मैनेजार आ गया हैं जो कि शेष ऋण जारी करने के लिए पहले मषीन देखना चाहता हैं। वैसे तो प्रधान मंत्री रोजगार योजना में संपत्ति बंधक रखने की आवष्यकता नहीं हैं लेकिन बैंक अधिकारी ने संपत्ति बंधक के कागजात तैयार करवा लिए हैं। अब जब ऋण देने का समय आया हैं तब कह रहे हैं कि आपके द्वारा पूर्व में दिए गए ऋण का दुरूपयांेग किया गया हैं इसलिए आगे ऋण जारी नहीं किया जा सकता हैं। आगे कि किष्त चाहिए तो पूर्व मैनेजर से बात करने के लिए कहा जा रहा हैं।
 
एक बेरोजगार व्यक्ति को बैंक ने कर्जदार बना दिया हैं। बैंक अधिकारी ने 20 लाख ऋण देने के ऐवज में 2 लाख 50 हजार रूपए अवैध वसूल लिए हैं। अब नया बैंक मैनेजर आगे कोई काम नहीं करना चाहता हैं बल्कि बेरोजगार व्यक्ति पर ही अपराध दर्ज करवाने की बात कर रहा हैं। बैंक मैनेजर तो काली कमाई करके निकल गया हैं।
 
अब सवाल यह हैं कि उद्योग के निर्माण में बेरोजगार युवक अपना सब कुछ लगा चुका हैं। मषीन और विद्युत की अभाव में इकाई चालू नहीं हो पा रहीें हैं। बैतूल जिले में यह कोई अकेला मामला नहीं हैं, जितने बेरोजगार उद्योग विभाग में ऋण राषि के लिए जाते हैं तो प्रकरण को स्वीकृत दलाल करवाते हैं, बैंक से ऋण राषि दलाल ही दिलवाते हैं। बेरोजगारों का रोजगार तो प्रारंभ नहीं हो पाता हैं बल्कि बैंक अधिकारी और दलाल मालामाल हो रहे हैं।

Monday, November 23, 2020

यौन शोषण के आरोप में जेल में बंद आसाराम ने मांगी जमानत, बोला- 80 साल का वृद्ध हूं, कोर्ट ने याचिका पर किया यह निर्णय

यौन शोषण के आरोप में जेल में बंद आसाराम ने मांगी जमानत, बोला- 80 साल का वृद्ध हूं, कोर्ट ने याचिका पर किया यह निर्णय 

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यौन शोषण के आरोप में जेल में बंद आसाराम बापू की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए जोधपुर कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है।

जनवरी के तीसरे हफ्ते में आसाराम की अर्जी पर सुनवाई होगी। कोर्ट में सुनवाई के लिए आसाराम ने अपनी उम्र की दलील दी।

जस्टिस संदीप मेहता और रामेश्वरलाल व्यास की पीठ ने आसाराम की याचिका स्वीकार कर ली है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आसाराम ने कहा कि वह 80 साल के वृद्ध हैं और 2013 से जेल में है। आसाराम ने अदालत से कहा कि उसकी अपील पर जल्द सुनवाई की जाए। आसाराम के आवेदन को वरिष्ठ अधिवक्ता जगमाल चौधरी और प्रदीप चौधरी ने प्रस्तुत किया।

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