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Thursday, September 26, 2019

पत्रकारों के साथ बड़ोदरा आरपीएफ की बदमीजाजी पत्रकारों ने किया विरोध, आइसना के प्रदेश अध्यक्ष विनय डेविड लेटे रेल की पटरी पर

पत्रकारों के साथ बड़ोदरा आरपीएफ की बदमीजाजी पत्रकारों ने किया विरोध

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  • पत्रकारों के साथ बड़ोदरा आरपीएफ
  • प्रदेशाध्यक्ष विनय डेविड पत्रकारों के साथ बैठे पटरियों पर
बड़ोदरा. नेशनल मिडिया कांन्फ्रेंस माऊंट आबू से वापस आ रहे भोपाल के पत्रकारों के दल के साथ गुजरात के बड़ोदरा रेल्वे स्टेशन पर आर.पी.एफ.आरक्षक बाबूलाल व्दारा जबरदस्ती गाड़ी क्रमांक 11463 सोमनाथ एक्सप्रेस से उतारकर आर.पी.एफ.थाने मे ले जाकर अभ्रद व्यवहार किए जाने से रूष्ठ पत्रकारों द्वारा बड़ोदरा स्टेशन के आउटर पर हंगामा किया गया ।
जिससे सोमनाथ एक्सप्रेस करीब एक घंटा खड़ी रही । गार्ड द्वारा समझाईश के पश्चात भी पत्रकार अपने साथी दैनिक प्रदेश बाद संपादक सत्यनारायण राजपूत निवासी जबलपुर को बगैर शर्त छोड़ने की मांग पर अड़े रहे । ततपश्चात वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप पश्चात पत्रकार साथी को तत्काल छोड़ कर गाड़ी आगे गंतव्य को रवाना की गई ।
मालूम हो कि वड़ोदरा जंक्शन पर पत्रकार साथी छूट गया था और गाड़ी आगे रवाना हो गई थी। जिससे नाराज आर.पी.एफ. आरक्षक बाबूलाल द्वारा पत्रकार सत्यनारायण को गाडी से उतार कर जबरजस्ती आर.पी.एफ. ने बिना जानकारी दिए परिवार को थाने ले जाकर अभ्रदता की गई, और ट्रेन आगे रवाना करवा दी। गाड़ी में पत्रकार राजपूत की पत्नी और बैठे पत्रकारों को जानकारी आऊटर पर मालूम होने पर गाड़ी की चैन पुलिंग की गई । 
जबकि नियमानुसार गाडी मे ही संबंधित टीसी चालानी कार्यवाही कर सकता था। परन्तु बड़ोदरा आर.पी.एफ. द्वारा तानाशाही तरिके से जबरदस्ती की जाने से हजारों यात्रियों को ट्रेन लेट होने का खामियाजा भुगतना पड़ा। पत्रकारों के दल मे आईसना के प्रदेशाध्यक्ष विनय डेविड सहित महासचिव प्रशात बैश, प्रदेश सचिव राजेश रजक शामिल रहे । 

Wednesday, September 18, 2019

स्वामी चिन्मयानंद का लड़की के साथ अय्याशी, मस्ती करते विडियो वॉयरल, देखें इनकी काली करतूत


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#स्वामी #चिन्मयानंद का लड़की के साथ #अय्याशी#मस्ती करते विडियो #वॉयरल यौन शोषण का आरोप में घिरे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद का एक और वीडियो अय्याशी करने का वायरल हो रहा है कुछ झलकियां आप भी देखें बीजेपी नेता स्‍वामी चिन्‍मयानंद की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।
सोशल मीडिया में एक व‍िड‍ियो वायरल हो गया है जिसमें लड़की के साथ दारू, शराब, सिगरेट का सेवन हो रहा है, लड़की भी बड़े मजे से स्वामी के साथ रगरेलिया मना रही है, यह हालत समाज को शर्मशार करने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे, यह सामज के लिए कितना उचित है .....

Tuesday, September 17, 2019

राजीव कुमार को ढूंढते पश्चिम बंगाल सचिवालय पहुंची सीबीआई

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राजीव कुमार को ढूंढते पश्चिम बंगाल सचिवालय पहुंची सीबीआई
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कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार का अब तक कोई सुराग नहीं मिल सका है। उनकी तलाश में राज्य सचिवालय नवान्न पहुंची सीबीआई ने शारदा चिटफंड घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए तीन दिनों में दूसरा समन जारी करते हुए उनको सोमवार दो बजे तक एजेंसी के दफ्तर में पेश होने को कहा था। लेकिन वह इस तय समय सीमा में नहीं पहुंचे।
सीबीआई के दो अधिकारी सुबह करीब 10 बजकर 40 मिनट पर राज्य सचिवालय पहुंचे और उन्होंने मुख्य सचिव मलय डे और गृह सचिव अल्पन बंदोपाध्याय के लिए पत्र दिए। राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पत्रों में सीबीआई ने जानना चाहा है कि राजीव कुमार कहां हैं? साथ ही यह भी जानना चाहा है कि उन्हें किस आधार पर महीने भर लंबा अवकाश दिया गया है? एजेंसी ने यह भी जानना चाहा है कि कुमार ड्यूटी पर कब लौटने वाले हैं।

इन पत्रों के साथ कलकत्ता हाई कोर्ट का वह आदेश भी जोड़ा गया था जो कुमार को गिरफ्तारी से दिए गए संरक्षण को वापस लेने से जुड़ा है। शुक्रवार को सीबीआई ने कुमार को ताजा नोटिस दिया जिसमें उनसे अगले ही दिन एजेंसी के सामने पेश होने को कहा गया। कुमार वर्तमान में आपराधिक जांच विभाग में पुलिस महानिदेशक हैं। सचिवालय के सूत्रों ने कहा कि पत्रों में सीबीआई ने कुमार से कहा है कि वह सोमवार को दो बजे तक एजेंसी के अधिकारियों के समक्ष पेश हो जाएं।

अधिकारी पत्र देने रविवार को सचिवालय गए थे। लेकिन रविवार अवकाश होने के कारण उनसे कामकाजी दिवस को आने को कहा गया था। उन्होंने ऐसे ही दो पत्र राज्य के डीजीपी वीरेंद्र कुमार को भी सौंपे हैं। कुमार सीधे डीजीपी को रिपोर्ट करते हैं। उन्होंने सीबीआई के अधिकारियों को एक ई-मेल भेजी थी और उनके समक्ष पेश होने के लिए एक महीने का वक्त मांगा था। इसमें कुमार ने कहा था कि वह व्यक्तिगत कारणों से 25 सितंबर तक अवकाश पर हैं।

Sunday, September 15, 2019

चिन्मयानंद कांड : पीड़िता ने एसआईटी को सौंपे 43 वीडियो, स्वामी को बताया ‘ब्लैकमेलर’

चिन्मयानंद कांड : पीड़िता ने एसआईटी को सौंपे 43 वीडियो, स्वामी को बताया ‘ब्लैकमेलर’

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यौन उत्पीड़न मामले में फंसे बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पीड़िता और उसके परिवार ने एसआईटी को चिन्मयानंद के खिलाफ एक-दो नहीं, बल्कि 43 वीडियो सौंप दिए हैं और स्वामी को 'ब्लैकमेलर' कहा है।
सूत्रों के मुताबिक, पीड़िता ने कहा, “चिन्मयानंद ने ही नहाते समय का मेरा (पीड़िता) वीडियो अपने विश्वासपात्र से तैयार करवाया था। वीडियो हाथ लगते ही चिन्मयानंद ने मुझे ब्लैकमेल कर हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया।”
चिन्मयानंद 43 VIDEO के लिए इमेज परिणाम
चिन्मयानंद कांड : पीड़िता ने एसआईटी को सौंपे 43 वीडियो, स्वामी को बताया ‘ब्लैकमेलर’
सूत्रों ने बताया कि फिलहाल एसआईटी ने पीड़ित पक्ष की तरफ से मुहैया कराए गए वीडियो और बाकी अन्य तमाम सीलबंद चीजों को फॉरेंसिक टीम के हवाले कर दिया है, ताकि 23 सितंबर को जब एसआईटी मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट के साथ हाईकोर्ट की निगरानी पीठ के सामने पेश हो, तब वहां वह सब कुछ साफ-साफ बता सके।
इस बीच, पीड़िता और उसके परिवार ने शनिवार को मीडिया से कहा है कि स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ जो सबूत पीड़ित पक्ष ने इकट्ठे किए थे, उनमें से काफी हद तक हटा-मिटा दिए गए हैं। अभी तक हालांकि पीड़िता एसआईटी जांच पर भरोसा जता रही थी।
यह खबर पीड़िता और उसके परिवार को कहां से मिली? इस सवाल का माकूल जवाब पीड़ित पक्ष के पास नहीं था। उन्होंने बस इतना कहा, “एसआईटी क्या कर रही है, हमें सब मालूम चल रहा है।”भला एसआईटी इतने विवादित जांच की प्रगति रिपोर्ट को हाईकोर्ट की पीठ के सामने ले जाने से पहले ही उसके बारे में पीड़ित पक्ष को क्यों रही है? यह सवाल आसानी से गले नहीं उतर रहा है।
चिन्मयानंद MASAAJ के लिए इमेज परिणाम
चिन्मयानंद कांड : पीड़िता ने एसआईटी को सौंपे 43 वीडियो, स्वामी को बताया ‘ब्लैकमेलर’
सूत्रों के अनुसार, पीड़िता ने खुद के नहाते समय के वीडियो (कथित तौर पर स्वामी द्वारा बनवाया गया) के अलावा और भी तमाम आपत्तिजनक वीडियो जांच एजेंसी को सौंपे हैं।
 हालांकि पीड़िता के इन बयानों की पुष्टि के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह से लेकर राज्य पुलिस प्रवक्ता और एसआईटी का नेतृत्व कर रहे महानिरीक्षक नवीन अरोड़ा तक कोई बात करने को तैयार नहीं है।
पुलिस के इन आला अधिकारियों से यह जानने के लिए भी संपर्क करने की कोशिश की कि क्या लड़की की शिकायत पर (सात दिन बाद भी) एसआईटी ने एफआईआर में दुष्कर्म की धारा जोड़ दी है? लेकिन किसी की भी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। एसआईटी पहले से ही पूरे प्रकरण में मुंह बंद किए हुए है। उसका कहना है, “जांच की निगरानी इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय विशेष पीठ कर रही है।”
गौरतलब है रि मामले का भंडाफोड़ होने के शुरुआती दौर से ही पीड़ित परिवार यूपी पुलिस पर स्वामी चिन्मयानंद की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने का आरोप लगाने लगा रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि इतने हाईप्रोफाइल मामले में नियमानुसार प्रतिदिन पुलिस-ब्रीफिंग की भी मीडिया उम्मीद लगाए बैठी थी, लेकिन पुलिस ने पहले दिन से लेकर शनिवार तक पूरे प्रकरण में एक भी अधिकृत जानकारी मीडिया को नहीं दी है।

समलैंगिक सेक्स रैकेट गैंग का खुलासा, तीन युवक गिरफ्तार, चौंका देने वाला मामला सामने आया

Noida: समलैंगिक सेक्स रैकेट गैंग का खुलासा, तीन युवक गिरफ्तार, चौंका देने वाला मामला सामने आया

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नोएडा पुलिस ने रविवार को समलैंगिक सेक्स रैकेट का खुलासा किया है. पुलिस ने इस मामले में विशाल और शहजाद नाम के आरोपी सहित तीन युवकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक, इनके पास से हथियार और लूट के सामान बरामद हुए हैं. बताया जा रहा है कि ये लोग ऐप के जरिए समलैंगिक सेक्स रैकेट चलाकर लोगों को अपने झांसे में लेते और फिर उनके साथ लूटपाट को अंजाम देते थे.
नोएडा पुलिस ने 'समलैंगिक सेक्स' रैकेट का खुलासा करते हुए तीन आरोपियों को पकड़ा जिनकी पहचान विशाल और शहजाद के रूप में हुई है. पुलिस ने उनके कब्जे से लोगों से लूटी गई चेन, घड़ी और नगदी के अलावा असलाह भी बरामद किए हैं.
नोएडा: समलैंगिक सेक्स रैकेट गैंग का खुलासा के लिए इमेज परिणाम
Noida: समलैंगिक सेक्स रैकेट गैंग का खुलासा, तीन युवक गिरफ्तार, चौंका देने वाला मामला सामने आया
फिलहाल पुलिस की टीम आरोपियों से पूछताछ में जुटी है. नोएडा पुलिस ने रविवार को 'समलैंगिक सेक्स' रैकेट का खुलासा किया है. पुलिस ने इस मामले में दो युवकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक 4 सितंबर को हुई लूट की जांच के दौरान चौंका देने वाला मामला सामने आया. बताया जा रहा है कि समलैंगिक सेक्स रैकेट चलाकर (GRINDR APP) एप के माध्यम से लोगों को अपने झांसे में फंसाकर उनके साथ लूटपाट करते थे. पुलिस ने 3 समलैंगिक लुटेरों को गिरफ्तार किया है.
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Noida:समलैंगिक सेक्स रैकेट गैंग का खुलासा, तीन युवक गिरफ्तार, चौंका देने वाला मामला सामने आया
समलैंगिक लुटेरों ने बताया कि मोबाइल एप के जरिये समलैंगिक (गे) का सेक्स रैकेट नोएडा में चलाते थे. वहीं समलैंगिकों से संबंध बनाने के लिए उनसे मोटी रकम वसूली जाती था. एसपी सिटी विनीत जायसवाल ने बताया कि एन्जॉय से पहले पीड़ित से रकम न मिलने पर मारपीट कर रुपये लूट लिए जाते थे.
पुलिस के शिकंजे में समलैंगिक सेक्स रैकेट चलाने वाले आरोपी. वहीं समलैंगिक गैंग के सदस्य टॉर्च से करंट लगाते थे नोएडा पुलिस समलैंगिक सेक्स रैकेट चलाने वाले गैंग के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया है पुलिस ने उनके कब्जे से लोगों से लूटी गई चेन घड़ी और नगदी के अलावा असलाह भी बरामद किए हैं. फिलहाल पुलिस की टीम आरोपियों से पूछताछ में जुटी है.

Saturday, September 14, 2019

बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद का नंगे होकर छात्रा से मालिश कराने का वीडियो वॉयरल


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चिन्मयानंद के नाम के आगे स्वामी लगता है. वह बेहद ताकतवर हैं. केंद्र सरकार में एक जमाने में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं. कई आश्रम, कालेज के अलावा बेशुमार संपत्ति के मालिक हैं. उनके शौक बड़े निराले हैं. वे रोजाना तेल मालिश कराते हैं. वे महिलाओं या लड़कियों से तेल मालिश कराना ज्यादा पसंद करते हैं. बात जब तक सहमति से करने-कराने की होती है, तो कोई बात नहीं. पर अगर जिनसे तेल लगवाया जा रहा है, वह चिन्मयानंद के कालेज की छात्रा हो, साथ ही आरोप लगा रही हो कि चिन्मयानंद उस जैसी बहुत सी लड़कियों का जीवन बर्बाद कर चुके हैं, तो मामला गंभीर हो जाता है.
ऐसा भी नहीं है कि ये आरोप कोई पहली बार लगा हो. आठ साल पहले चिन्मयानंद की एक शिष्या ने बड़े गंभीर आरोप लगाए थे. उसने भी कहा था कि स्वामी जी शराब पीकर महिलाओं से तेल लगवाते हैं. ये मामला सुर्खियों में भी आया लेकिन अपने ताकत के बल पर स्वामी ने सब कुछ दबवा दिया. कहा जाता है कि योगी सरकार में स्वामी चिन्मयानंद की खूब चलती है. यही वजह है कि हाल ही में कानून की छात्रा द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद भी स्वामी चिन्मयानंद का बाल तक बांका नहीं हुआ.
छात्रा ने स्वामी चिन्मयानंद के नंगे होकर तेल मालिश कराने का वीडियो 31 जनवरी 2014 को खुफिया कैमरे लगे चश्मे से रिकार्ड किया.
पर अब लग नहीं रहा कि स्वामी चिन्मयानंद के आगे के दिन आराम से कटेंगे. छात्रा ने अपने आरोपों में अपने पास शोषण-उत्पीड़न के जिन प्रमाणों-सुबूतों के होने की बात कही है, उसका एक हिस्सा लीक हो चुका है. यूं भी कह सकते हैं कि इसे रणनीतिक तौर पर लीक करा दिया गया है. सभी मीडिया हाउसेज के पास स्वामी चिन्मयानंद की वो क्लीपिंग पहुंच चुकी है जिसमें वह नंगे होकर छात्रा से तेल लगवा रहे हैं. आइए जानते हैं इन क्लीपिंग्स में क्या खास बात है और इसे कैसे रिकार्ड किया गया.
इन क्लीपिंग्स को देखने से पता चलता है कि जो क्लिप्स लीक कराए गए हैं, वे सभी एक ही दिन के रिकार्ड किए हुए हैं, 31 जनवरी 2014 को. मतलब पांच साल पहले यह वीडियो रिकार्ड किया गया था.
पैरे के तलवे की मालिश के दौरान स्वामी चिन्मयानंद अपना मोबाइल चेक करते हुए कुछ मैसेज के रिप्लाई भी टाइप करते वीडियो में दिख रहे हैं.
सवाल ये भी उठता है कि अब तक इन वीडियोज को क्यों संभाल कर रखा गया था और जब रिकार्ड किया गया था तभी क्यों नहीं इन वीडियोज के जरिए स्वामी पर आरोप लगाए गए? ऐसे सवाल उठना स्वाभाविक है. जाहिर है, इसका जवाब छात्रा ही दे सकती है. पर आरोप जब भी सप्रमाण लगे तो उसकी जांच होनी ही चाहिए.
मालिश कराने के दौरान स्वामी चिन्मयानंद एक-एक कर कपड़े खिसकाते जाते हैं और आखिर में पूरी तरह नंगे हो जाते हैं.
वीडियो में डेट-टाइम रिकार्ड है. डेट तो 31 जनवरी 2014 है और समय रात के नौ से ग्यारह बजे के बीच का दर्ज है. पर ऐसा लगता है कि खुफिया कैमरे की डिवाइस में समय की सेटिंग सही नहीं है. वक्त सुबह नौ से ग्यारह के बीच का प्रतीत होता है क्योंकि वीडियो में चिड़ियों के बोलने की आवाजें हैं, खिड़की से काफी रोशनी आ रही है. एक वीडियो में लड़की पूछती है कि आपको कुछ देना तो नहीं है. तब स्वामी चिन्मयानंद पूछते हैं कि क्या. तब वह जवाब देती है- जैसे मंजन या कुछ और.
तो ये जो मंजन की बात है, यह सुबह होने का ही सुबूत है.
छात्रा ने चश्मे वाले खुफिया कैमरे से वीडियो शूट किया है. जिस वक्त स्वामी चिन्मयानंद तेल लगवाते हुए पेट के बल लेट जाते हैं उस समय छात्रा काफी सहज होकर चश्मे से रिकार्ड करती है. वह कभी कभी चश्मे को निकाल कर दूर टेबल पर रख देती है ताकि फ्रेम में वह खुद भी आ सके. ज्यादातर वक्त छात्रा चश्मा पहने ही रहती है. यही वजह है कि जब वह वाशरूम जाती है तो आइने में उसका चेहरा उसका चश्मा रिकार्ड करता है. इन तस्वीरों को आप नीचे देख सकते हैं जो वीडियो क्लिप्स में से स्क्रीनशाट लेकर बनाए गए हैं.
मालिश के बाद छात्रा बाथरूम में जाकर हाथ धोती है तो उसकी तस्वीर उसके चश्मे में लगा कैमरा रिकार्ड करता रहता है.
इस तस्वीर में लड़की चश्मा निकाल कर टेबल पर रखे हुए है और स्वामी चिन्मयानंद से वाशरूम जाने क बात कह कर वह अपना चश्मा भी साथ ले जाती है.
चश्मे में लगे खुफिया कैमरे को लड़की दूर टेबल पर रखकर मालिश करती है ताकि फ्रेम में वह खुद भी आ सके.
लड़की स्वामी चिन्मयानंद के अग्र पक्ष का मालिश करने के बाद पीठ मालिश के लिए पेट के बल लेटने को कहती है, और स्वामी चिन्मयानंद फौरन पेट के बल लेटने को तत्पर हो जाते हैं.
लड़की कहती है कि बैठ जाएं, ताकि सिर मालिश कर सकूं. स्वामी जो नंगे ही आसन लगाकर बैठ जाते हैं और लड़की सिर मालिश करती जाती है.
नीचे के वीडियो लड़की ने खुफिया कैमरे लगे चश्मे को आंखों पर पहनकर रिकार्ड किया है. इन तस्वीरों में वो तेल भी दिख रहा है जिससे चिन्मयानंद की मालिश हो रही है. चार पांच वीडियो क्लिप्स में जो कुछ खास बातें हैं उसमें एक ये भी है कि पूरे वीडियो में कोई अश्लील संवाद नहीं है. चिन्मयानंद छात्रा से उसके खो गए महंगे मोबाइल फोन के बारे में पूछ रहे हैं. उसकी परीक्षा को लेकर पूछ रहे हैं. किस विषय का पहला पेपर है, यह पूछने पर लड़की बताती है, क्रिमिनलोजी. मतलब साफ है कि लड़की कानून की पढ़ाई कर रही है. एक दफे चिन्मयानंद पूछते हैं कि तुम ब्रा क्यों नहीं पहनती हो. तो लड़की कहती है कि पहनती हूं. इस पर वह कहते हैं कि लटक जाएगा. तुम्हें अपने शरीर पर ध्यान देना चाहिए. पूरे वीडियो से ऐसा लगता है कि दोनों लोग बिलकुल सहज हैं. एक मालिश करने में, दूसरा मालिश कराने में.
ऐसा लगता है कि वीडियो के जो अंश लीक कराए गए हैं, उसके अलावा भी ढेर सारे वीडियोज हैं. छात्रा ने चिन्मयानंद पर रेप के भी आरोप लगाए हैं. जाहिर है, उसके पास इसके भी प्रमाण वीडियो में मौजूद होंगे. छात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस में दावा भी किया है कि उसके पास पूरे सुबूत हैं और वह वक्त आने पर इसे सामने रख देगी. ऐसे में कहा जा सकता है कि चिनमयानंद की फेवर की केंद्र व राज्य सरकारें होने के बावजूद उनका इस मामले में बच पाना मुश्किल है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा केस को सीधे अपनी निगरानी में लेने से ये चर्चा आम है कि कहीं चिन्मयानंद का हाल आसाराम जैसा वाला न हो जाए कि एक बार अंदर गए तो फिर निकल पाना मुश्किल हो!
खबर सौजन्य- bhadas4media.com

बच्चा हाथ ज़ोड कर पुलिस वालों से गुहार लगाता रहा- मेरे पापा को छोड दो.

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बच्चा हाथ ज़ोड कर पुलिस वालों से गुहार लगाता रहा- मेरे पापा को छोड दो. लेकिन ख़ाकी वर्दी वालों ने मासूम की एक नहीं सुनी. उसके पिता को लात-घूंसों से पीटते रहे. दिन दहाड़े चौराहे पर. @Uppolice की बहादुरी की चर्चा देश भर में हो रही है

Monday, September 9, 2019

देश के लिए खुशखबरी: चांद की सतह से टकराने के बावजूद नहीं टूटा विक्रम लैंडर, संपर्क की कोशिशें जारी

Chandrayaan 2

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रमा की सतह पर उतरे विक्रम लैंडर (Vikram lander ) की स्थिति का पता पहले ही लगा लिया था. अब जानकारी सामने आ रही है कि चांद की सतह से टकराने के बाद भी विक्रम लैंडर सुरक्षित है.
खबरों के मुताबिक विक्रम लैंडर कहीं से टूटा फूटा नहीं है. वहीं लैंडर के साथ संचार को फिर से स्थापित करने का हर संभव प्रयास अभी भी वैज्ञानिकों द्वारा लगातार किया जा रहा है. बता दें कि चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के भारत के साहसिक कदम को शनिवार तड़के उस वक्त झटका लगा जब चंद्रयान-2 (Chandrayaan2) के लैंडर ‘विक्रम’ से चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया था.
बता दें कि इसरो प्रमुख के. सीवन ने रविवार को इसकी घोषणा की थी कि, चंद्रमा का चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ने विक्रम की थर्मल तस्वीरें ली हैं. सीवन के मुताबिक हालांकि अभी विक्रम के साथ फिर से सम्पर्क नहीं हो सका है. इस सम्बंध में इसरो का प्रयास जारी है. इस सम्बंध में अधिक जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि लैंडर चांद की सतह से तेजी से टकराया है और इस कारण वह पलट गया है. अब उसकी स्थिति ऊपर की ओर बताई जा रही है.
गौरलतब है कि इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था और चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर उसका संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया था. चंद्रमा पर खोज के लिए देश के दूसरे मिशन का सबसे जटिल चरण माने जाने के दौरान लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बिलकुल करीब था, जब इससे संपर्क टूट गया.
चंद्रयान-2 के लैंडर का वजन 1,471 किग्रा है. लैंडर को पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए और एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के करीब 14 दिनों के बराबर) काम करने के लिए डिजाइन किया गया था.

गृहमंत्री अमित शाह बोले- सिर्फ असम ही नहीं देशभर से निकाल बाहर करेंगे अवैध घुसपैठिए

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गृहमंत्री अमित शाह बोले- सिर्फ असम ही नहीं देशभर से निकाल बाहर करेंगे अवैध घुसपैठिए
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केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि केन्द्र की मंशा सिर्फ असम से ही नहीं बल्कि पूरे देश से सभी घुसपैठिये को बाहर निकालने की है। 
पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) की चौथी बैठक को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने इस क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से अलग-थलग कर दिया था।
शाह बोले- देशभर से निकालेंगे घुसपैठिए
उन्होंने कहा, ''हमारी मंशा न केवल असम से बल्कि पूरे देश से घुसपैठियों को बाहर करने की है। शाह ने आरोप लगाया, ''कांग्रेस की सरकारों ने पूर्वोत्तर में संघर्ष का बीज बोया था। पार्टी ने पूर्वोत्तर की ओर ध्यान नहीं दिया और उसके कारण उग्रवाद पनपा। यह पार्टी (कांग्रेस) हमेशा फूट डालो और शासन करो की नीति में विश्वास करती है।
पूर्वोत्तर में नागरिकता विधेयक को लेकर शंकाएं हैं- शाह से बोले मेघालय के सीएम  
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सोमवार को कहा कि पूर्वोत्तर में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर शंकाएं हैं और उनसे आग्रह किया कि विधेयक दोबारा लाने से पहले क्षेत्र के सभी राज्यों को विश्वास में लें।
पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) के चौथे सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगमा ने पूछा कि क्या विधेयक को दोबारा लाने से पहले केन्द्र राज्यों के साथ चर्चा को दरकिनार करेगा। संगमा ने पूछा, '' विधेयक के बाद क्या होगा? क्या बांग्लादेश से लोग आते रहेंगे? क्या लगातार प्रवाह के लिए कोई समय सीमा है? पूर्वोत्तर में हमें बहुत सी शंकाएं हैं?
उन्होंने अनुरोध किया कि केन्द्र सभी हितधारकों को बुलाकर इस पर चर्चा करे और मामले पर सर्वसम्मति पर पहुंचे। संगमा ने केन्द्रीय गृह मंत्री से कहा, '' हम छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। तो क्या विधेयक स्थानीय कानूनों की अनदेखी करेगा? कृपया हमें बुलाएं और पूर्वोत्तर के लोगों के हितों को देखें। हमारी शंकाएं दूर करें। मुझे विश्वास है कि आप (शाह) हमारी शंकाओं को दूर करेंगे।
नागरिकता विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आये वहां के अल्पसंख्यक (हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी) शरणार्थियों को सात साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। मौजूदा प्रावधानों के तहत यह समय सीमा 12 साल है। यह विधेयक आठ जनवरी को लोकसभा में पारित हुआ था। हालांकि यह राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया है।

Sunday, August 25, 2019

आतंकियों को धूल चटाने वाले कमांडो को पुलिस ने भेजा जेल, गृह मंत्रालय पहुंचा मामला

आतंकियों को धूल चटाने वाले कमांडो को पुलिस ने भेजा जेल, गृह मंत्रालय पहुंचा मामला के लिए इमेज परिणाम
आतंकियों को धूल चटाने वाले कमांडो को पुलिस ने भेजा जेल, गृह मंत्रालय पहुंचा मामला
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बारामूला में तैनात सीआरपीएफ कमांडो सतेंद्र चौधरी को तीन मुकदमे लगाकर जेल भेजने का मामला सीआरपीएफ मुख्यालय और गृह मंत्रालय तक पहुंच गया है। गृह मंत्रालय ने कमांडो की पत्नी और बेटे को दिल्ली बुलाया है। उधर, फौजी के परिजनों ने मुख्यमंत्री से पुलिस ज्यादती की शिकायत की है। उप्र महिला आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है। रालोद नेताओं ने भी घटना पर आक्रोश जताया है।
मेडिकल थाना क्षेत्र के शास्त्रीनगर के-ब्लॉक निवासी सतेंद्र चौधरी सीआरपीएफ में हेड कांस्टेबल हैं। वर्तमान में वह जम्मू कश्मीर के बारामूला में तैनात हैं। फिलहाल 15 दिन की छुट्टी पर घर आए हुए हैं। बुधवार रात बाइक तेज चलाने को लेकर डिलीवरी ब्वॉय विवेक त्रिपाठी से उनका विवाद हुआ। इसके बाद सीआरपीएफ कमांडो को लूट, पुलिस से मारपीट करने और लाइसेंसी पिस्टल का दुरुपयोग करने के तीन मुकदमे दर्ज कर जेल भेज दिया गया।
कमांडो की पत्नी मंजू सांगवान ने शुक्रवार को प्रकरण की जानकारी सीआरपीएफ कमांडेंट को दी। कमांडेंट ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों को अवगत कराया। कमांडेंट ने पुन: कमांडो की पत्नी को फोन कर बताया कि उन्हें एवं बेटे देवांशु को गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने दिल्ली बुलाया है। संभवत: सोमवार को कमांडो की पत्नी और बेटा दिल्ली जाकर अधिकारियों से मिल सकते हैं। मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मामले में उन्हें पूरी मदद का आश्वासन दिया है। ऐसे में मेरठ पुलिस पर कार्रवाई की आशंका है।
आतंकियों को धूल चटाने वाले कमांडो को पुलिस ने भेजा जेल, गृह मंत्रालय पहुंचा मामला के लिए इमेज परिणाम
आतंकियों को धूल चटाने वाले कमांडो को पुलिस ने भेजा जेल, गृह मंत्रालय पहुंचा मामला
दरोगा ने महिलाओं को पीटा, वीडियो वायरल
बुधवार रात फौजी के घर हुए बवाल की वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गई है। एक वीडियो में दरोगा महिलाओं को चांटा मारते हुए दिख रहा है। महिला की पिटाई के बाद वहां मौजूद लोगों का आक्रोश भड़का और उन्होंने हंगामा कर दिया। इसके बाद दोनों तरफ से हाथापाई भी हुई। हालांकि इस पर पुलिस का कहना है कि बचाव में ऐसा किया गया होगा।
रालोद नेता फौजी के घर पहुंचे, जताया आक्रोश
राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता डॉ. राजकुमार सांगवान शुक्रवार को शास्त्रीनगर में सीआरपीएफ जवान के परिजनों से मिले। उन्होंने पुलिस ज्यादती पर आक्रोश जताया। डॉ. सांगवान ने कहा कि यह मामूली विवाद था, जिसे पुलिस मौके पर ही शांत कर सकती थी। लेकिन डिलीवरी ब्वॉय और दरोगा की दोस्ती में इस मामले को ऐसे तूल दिया गया, जैसे फौजी केवल मोबाइल लूटने बारामूला से मेरठ आया हो। यह मामला देश की सुरक्षा में तैनात फौजी से जुड़ा हुआ है। ऐसे में पुलिस को फौजी पर लगे आरोपों की जांच करानी चाहिए थी। फौजी के परिजनों ने रालोद नेताओं को शरीर की चोटें दिखाई। रालोद नेताओं ने इस मामले में एडीजी से मिलने की बात कही है।
महिला आयोग ने लिया संज्ञान
उप्र महिला आयोग की सदस्य राखी त्यागी ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है। शुक्रवार को फौजी की पत्नी ने आयोग सदस्य को प्रकरण से अवगत कराया। आयोग सदस्य ने कहा कि मेरठ पुलिस को चिट्ठी लिखकर निष्पक्ष जांच के लिए कह रही हैं।
सीओ की जांच में पुलिस को क्लीन चिट
एसएसपी अजय साहनी ने शुक्रवार को सिविल लाइन सीओ हरिमोहन सिंह और मेडिकल थाने के सब इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह को बुलाकर प्रकरण में बातचीत की। एसएसपी ने बताया कि सीओ की जांच रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल पुलिस की कार्रवाई एकदम सही है। मेडिकल जांच में फौजी नशे में पाया गया था। फौजी ने पुलिस से मारपीट की और पिस्टल तानी। इसलिए फौजी पर सही कार्रवाई की गई है।
जिससे हुआ विवाद, वही करेगा जांच
जोमेटो डिलीवरी ब्वॉय विवेक त्रिपाठी की ओर से कराए गए लूट-धमकाने के मुकदमे की जांच शास्त्रीनगर के-ब्लॉक चौकी प्रभारी जितेंद्र सिंह को दी गई है। ये वही सब इंस्पेक्टर है, जिसका फौजी से विवाद हुआ था। उधर, सब इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह की ओर से सीआरपीएफ कमांडो पर दर्ज कराए गए सरकारी कार्य में बाधा के मुकदमे की जांच दरोगा मुनेंद्र कुमार को दी गई है।
सीआरपीएफ जवान से अभद्रता करने वाले पुलिसकर्मी निलंबित
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में सीआरपीएफ जवान से अभद्रता करने वाले पुलिसकर्मियों पर आखिरकार गाज गिर ही गई। संबंधित अधिकारियों ने आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। सहारनपुर के एसएसपी दिनेश कुमार पी के अनुसार सीआरपीएफ के जवान और एक महिला को देवबंद में तैनात पुलिसकर्मी पुलिस चौकी पर ले आया गया था। जहां पुलिसकर्मियों ने सीआरपीएफ के जवान से कथित तौर पर अभद्रता की। उन्होंने बताया कि चारों सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है। चारों आरोपियों पर विभागीय जांच भी चलेगी।

Saturday, August 24, 2019

अरुण जेटली के निधन से राजनीतिक गलियारों में पसरा मातम, एक नजर उनके सफर पर

Former Finance Minister Arun Jaitley's death tribute

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नई दिल्ली : लंबे समय से बिमार चल रहे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन से राजनीतिक गलियारों में मातम पसर गया है। दिल्ली के एम्स अस्पताल में अरुण जेटली ने शनिवार दोपहर 12 बज कर 7 मिनट पर अंतिम सांस ली और फिर दुनिया छोड़ कर चले गए। 
उनके निधन के बाद देश भर के लोगों को साथ ही तमाम नेता राजनेता अपना-अपना दुख प्रकट कर रहे हैं। उनके निधन की खबर आते ही दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर के शोक व्यक्त किया। सिसोदिया ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ नेता श्री अरुण जेटली जी के निधन की खबर सुन कर गहरा झटका लगा है। मैं उन्हें कई सालों से जानता था। वो हमेशा से ही एक जानकार और ईमानदार व्यक्ति थे। हमें उनकी याद आएगी। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें। 

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली एक नजर उनके सफर पर

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को निधन हो गया।उन्हें शुक्रवार (9 अगस्त) सुबह 11 बजे चेकअप के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था। जेटली लंबे समय से बीमार थे और इसी वजह से उन्होंने मोदी सरकार 2.0 में शामिल होने से मना कर दिया था। केंद्र में जब मंत्रीमंडल की शपथ होनी थी, उसके पहले ही जेटली ने पत्र लिखकर पीएम मोदी से मंत्रीपरिषद में न शामिल करने की अपील की थी।
पैर में था सॉफ्ट टिशू कैंसर
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का इलाज एम्स में एंडोक्रिनोलोजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टरों की निगरानी में चल रहा था। वहीं इससे पहले पिछले साल ही जेटली का किडनी प्रत्यारोपण हुआ था। इसके बाद उन्हें बाएं पैर में सॉफ्ट टिशू कैंसर हो गया था। जेटली इसकी सर्जरी के लिए इसी साल जनवरी में अमेरिका गए। इस दौरान रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

जीवन परिचय

अरुण जेटली का जन्म 28 दिंसबर 1952 को महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर में हुआ था। अरुण जेटली ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल नई दिल्ली से पूरी की और इसके बाद वह स्नातक करने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स चले गए। अरुण जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता जेटली से शादी कर ली। उनके दो बच्चे है, बेटे का नाम रोहन और बेटी का नाम सोनाली है।
पिता के नक्शेकदम पर चले जेटली
अरुण जेटली के पिता एक वकील थे। जेटली ने भी पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए स्नातक करने के बाद 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई करने के बाद अरुण जेटली ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत करना शुरू कर दिया। इसके बाद जेटली देश  प्रसिद्ध वकीलों की सूची में शामिल में हो गए। जनवरी 1990 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायलय ने वरिष्ठ अधिवक्ता नामित कर दिया। इससे पहले 1989 में वीपी सिंह के प्रधानमंत्रीकाल में अरुण जेटली को अपर सॉलिसिटर जनरल बनाया गया था। इसके बाद अरुण जेटली कई बड़े मुकदमों में पेश हुए।
छात्र जीवन में राजनीति में शामिल हुए 
अरुण जेटली ने बहुत ही कम उम्र में ही राजीति की पाठशाल में दाखिला ले लिया था। 22 साल की उम्र में जब वह स्नातक कर रहे थे, उस दौरान उन्हें 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन का अध्यक्ष चुन लिया गया था। इसके बाद वह विभिन्न युवा मोर्चा के संघठनों से जुड़े रहे। जेटली को बाद में दिल्ली एबीवीपी का अध्यक्ष और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया था। 
कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
जेटली 1991 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बनें और फिर 1999  के आम चुनाव से पहले बीजेपी ने उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बना दिया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। समय बीतता गया और जेटली की पकड़ बीजेपी में मजबूत होती गई। वह लगातार अपने कुशल कार्यशैली की वजह से बीजेपी संघठन में उच्च पदों पर बढ़ते चले गए।
वाजपेयी सरकार में मंत्रीपरिषद में हुए शामिल
अरुण जेटली को पहली बार मंत्रीपरिषद में शामिल होने का मौका अटल बिहारी वाजपेयी के तीसरे शासनकाल में मिला। उन्हें पहली बार एनडीए सरकार में 13 अक्टूबर 1999 को  सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया। इसके साथ ही जेटली को विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की भी जिम्मेदारी सौंपी गई। 
समय गुजरने के साथ ही जेटली राजनीतिक तौर पर मजबूत होते गए।  2000 में उन्हें राज्यमंत्री से पदौन्नति करके कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान उन्हें  कानून, न्याय और कंपनी मामलों के साथ जहाजरानी मंत्रालय का कैबिनेट मंत्री बनाया। जेटली को बाद में , वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का भी मंत्री बनाया गया। सरकार के साथ ही जेटली की पदौन्नति संगठन में भी होती गई। पहले उनहें राष्ट्रीय प्रवक्ता और फिर 2004 में महासचिव बना दिया गया। 
विपक्ष के नेता के रूप में बनाई अलग पहचान
2004 से 2014 तक एनडीए केंद्र की सत्ता से बाहर रही।  2009 में जेटली को राज्यसभा में विपक्ष के नेता बनाया गया और इस दौरान वह बीजेपी का पक्ष राज्यसभा में मजबूती से रखते रहे। हालांकि, राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद पर रहते हुए जेटली ने महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था।
पीएम मोदी के खास मंत्रियों में शुमार
राजनीतिक पंडितों की मानें तो अरुण जेटली ने नरेंद्र मोदी को दिल्ली की सियासत में दाखिल कराने में अहम भूमिका निभाई। गुजरात से लाकर और कैसे दिल्ली में मोदी बीजेपी के पीएम चेहरा बने, उसमे जेटली का अहम रोल रहा। इसका फायदा उन्हें सरकार आने के बाद 2014 में मिला,जब केंद्र में उन्हें वित्त के साथ कॉर्पोरेट मामलों का भी मंत्री बनाया गया। इसके बाद वह कुछ समय के लिए रक्षा मंत्री भी रहे। वन नेशन वन टैक्स यानी जीएसटी को लाने में भी जेटली ने अहम भूमिका निभाई।
संकटमोचक की भूमिका में जेटली
केंद्र की मोदी सरकार के फैसलों पर जब भी सवाल उठे, तो उस वक्त जेटली सबसे पहले आगे आकर बचाव करते थे। वह चाहे 'एक देश एक कर यानी वन नेशन वन टैक्स' (जीएसटी) की बात रही हो या फिर नोटबंदी के बाद सरकार की हो रही आलोचना। जेटली हर मोर्चे पर मोदी सरकार का बचाव करने के लिए आगे खड़े रहे है। वहीं जब कांग्रेस और समूचा विपक्ष राफैल सौदे में भ्रष्टाचार की बात कह रहा था और मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा था, तो उस वक्त भी जेटली थे, जिन्होंने न सिर्फ मुखर होकर सरकार का बचाव किया बल्कि इसके फायदे भी देश को समझाए।

बाबरी विध्वंस मामला: सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत से मांगी पुलिस सुरक्षा

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बाबरी विध्वंस मामला: सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत से मांगी पुलिस सुरक्षा

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बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे एक विशेष न्यायाधीश ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से पुलिस सुरक्षा मुहैया कराए जाने की अपील की। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती आरोपी हैं। 
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन तथा न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा। पीठ ने कहा कि इस मुकदमे की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ने 27 जुलाई को एक नया पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अपने लिये सुरक्षा मुहैया कराए जाने सहित पांच अनुरोध किए हैं जिनके बारे में हमारा सोचना है कि वे तर्कसंगत हैं।
पीठ ने राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी को इन सभी पांच अनुरोधों पर दो सप्ताह के अंदर विचार करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1992 के बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की सुनवाई लखनऊ में कर रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार को दो सप्ताह के अंदर आदेश जारी करने के लिए शुक्रवार को कहा। 
न्यायालय ने 19 जुलाई को विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल इस मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तथा फैसला सुनाए जाने तक बढ़ा दिया था। बहरहाल, राज्य सरकार को इस संबंध में आदेश जारी करना है जो उसने अब तक नहीं किया है। विशेष न्यायाधीश से शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह नौ माह के अंदर इस मुकदमे का फैसला सुनाये। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि 30 सितंबर को सेवानिृत्त हो रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल केवल इसी मामले की सुनवाई करने और फैसला सुनाने के लिए है। सेवा विस्तार के बाद भी वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के प्रशासनिक नियत्रंण में बने रहेंगे।बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती आरोपी हैं। इन तीनों के अलावा, उच्चतम न्यायालय ने पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार तथा साध्वी ऋतंभरा पर भी 19 अप्रैल 2017 को षड्यंत्र के आरोप लगाए थे।
इस मामले में तीन अन्य रसूखदार आरोपियों.. गिरिराज किशोर, विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई और उनके खिलाफ कार्यवाही रोक दी गई। शीर्ष अदालत ने राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, जिनके उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते विवादित ढांचे को गिराया गया था, के बारे में कहा था कि उन्हें इस संवैधानिक पद पर रहने के दौरान मुकदमे से छूट है। 
उच्चतम न्यायालय ने 19 अप्रैल 2017 में मामले की रोजाना सुनवाई कर दो साल में मुकदमे का निपटारा करने के लिये कहा था। मध्यकालीन ढांचे के विध्वंस को अपराध बताते हुए शीर्ष अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र का आरोप बहाल रखने की सीबीआई की अपील स्वीकार कर ली थी। शीर्ष अदालत ने 12 फरवरी 2001 को आडवाणी और अन्य पर आपराधिक साजिश की धारा हटाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को त्रुटिपूर्ण करार दिया था। न्यायालय का 2017 में फैसले आने से पहले 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराने के मामले में दो अलग-अलग मुकदमे लखनऊ और रायबरेली में चल रहे थे। पहले मामले में अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ लखनऊ की अदालत में सुनवाई चल रही थी जबकि रायबरेली में चल रहा मामला आठ अति विशिष्ठ लोगों से जुड़ा था।

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