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Thursday, May 14, 2020

20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज, कितनी हक़ीक़त, कितना फ़साना

20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज, कितनी हक़ीक़त, कितना फ़साना 

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  • विजया पाठक
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बार फिर देश के नाम सम्बोधन हुआ !
  • यह संबोधन अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रहा !
20 लाख करोड रुपए के पैकेज की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री ने जो भूमिका बांधी है, उससे यही लगता है कि आर्थिक चुनौतियों और समस्याओं को आप उन्हें चाहे कितना भी बड़ा करके बताएं वे उन्हें उस तरह नहीं देखते हैं l पीएम के देखने के नजरिए में पिछले 6 साल में भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है l
उन्होंने कहा कि 20 लाख करोड रुपए देश की जीडीपी का 10% है! मतलब देश की जीडीपी 2.10 लाख करोड़ है ! नरेंद्र मोदी जी ने इस आर्थिक पैकेज को नाम दिया है आत्मनिर्भर भारत l जिसमें आत्मबल, आत्मविश्वास पर भी जोर दिया ! मोदी जी के संबोधन में लोकल पर जोर दिया गया ! यह पैकेज किसान लघु एवं मध्यम उद्योग में मजदूरों यानि सबके लिए है l अब इस आर्थिक पैकेज की सिलसिलेवार जानकारियां भी दी जा रही है l इस पैकेज में मोदी जी ने चतुरता और चालाकी का परिचय दिया है l
क्योंकि पीएम के मुताबिक इस आर्थिक पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ सभी पर बल दिया है ! इस पैकेज में पहले भी सरकार और आरबीआई ने जो आर्थिक घोषणा की है वह भी शामिल है! मतलब इससे ही आरबीआई ने 8 लाख करोड़ की लिक्विडिटी की घोषणा की हैl साथ ही मोदी सरकार भी 1.70 लाख करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान कर चुकी है! इससे तो यही लगता है कि यह पैकेज लगभग 10 लाख करोड का ही बैठता हैl मोदी सरकार ने एक बार फिर आधी हकीकत आधा फसाना की चाल चल कर लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया!
अब ये 10 लाख करोड़ किन-किन सेक्टरों को मिलेगा कितना मिलेगा समझ से परे है! मोदी जी आप जो सहायता प्रदान कर रहे हैं वह कितने लोगों तक पहुंचेगी और पारदर्शिता क्या रहेगी इस पर भी विचार करने की जरूरत हैl मनेरगा जैसी जनकल्याणकारी योजना में भ्रष्टाचार किसी से छुपा नहीं है l सिर्फ मनेरगा ही नहीं अन्य सभी योजनाओं में भ्रष्टाचार होता है ! हितग्राहीयों तक सरकारी सहायता नहीं पहुंच पाती है l सरकार का दायित्व है कि, जो भी शासकीय सहायता प्रदान की जाती है वह प्रत्येक हितग्राही तक पहुंचनी चाहिए ! सरकारी घोषणा करना आसान है लेकिन उनकी पारदर्शिता से पालन कराना मुश्किल है l
मोदी सरकार में भी वही हो रहा है जो पिछली सरकारों में हुआ है l मोदी जी घोषणाएं करने से पहले उस योजना का बेहतर क्रियान्वयन हो, उसकी खाका तैयार करना चाहिए! एक कमेटी बनाना चाहिएl जो सहायता राशि के संचालन पर निगरानी रखे केंद्र और राज्य सरकारें गरीबों, मजदूरों, किसानों को लॉकडाउन में कितनी सहायता राशि बाँट चुकी है ! क्या वाकई में इन लोगों तक पहुंची है या नहीं पहुंची ! मजदूर आज भी भूखे हैं गरीब आज भी दर बदर की ठोकरें खाने को मजबूर है l फिर लाखों करोड़ों के आर्थिक पैकेज की क्या अहमियत l जब लोगों तक सहायता का पैसा ना पहुंचे तो देश की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने का क्या औचित्य l
इस समय देश बड़े नाजुक दौर से गुजर रहा है l हर एक वर्ग आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा हैl रोजगार छिना है, व्यापार ठप हैं l उद्योग धंधे चौपट हैl ऐसी परिस्थिति में आर्थिक पैकेज निश्चित तौर पर संजीवनी नहीं है l लेकिन यदि इस पैकेज में सुनियोजित उपयोग नहीं हुआ तो स्थिति और बिगड़ेगी देश के हालात और हाल पर मोदी जी ने चिंता जरूर की है lलेकिन इसमें सरकार की नियत और नीति भी स्पष्ट होनी चाहिए l घोषणाओं की वाह वाह समस्या का समाधान नहीं है 20 लाख करोड़ का पैकेट आधी हकीकत है पर इस आधी हकीकत में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए ! भ्रष्टाचार की बिल्कुल भी गुंजाइश नहीं होनी चाहिए l तभी प्रधानमंत्री मोदी और जनता की मनसा पूरी होंगी l

Wednesday, May 13, 2020

औरंगाबाद ट्रेन हादसा, दुर्घटना या साजिश ?

Aurangabad train accident: bodies of laborers being brought to ...
औरंगाबाद ट्रेन हादसा, दुर्घटना या साजिश ?

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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567
16 लोग रेल पटरी पे कट के मर गए। कोई कहता है सो रहे थे। कोई कहता है चल रहे थे।
सूत्रो से मिली जानकारी के आधार पर - पहले मैं आपको बता दू कि रेलवे ट्रैक को मैने बहुत नजदीकी से देखा है। 9 साल तक ट्रैक पर चला हूँ। कभी पैदल तो कभी ट्रॉली से। गर्मी, बरसात,सर्दी, दिन और रात। मैं खुद ट्रैक इंजीनियर था। अपनी आंखो के सामने कई लोगो को रन ओवर होते हुए देखा हूँ। अपने स्टाफ को कटते हुए देखा हूँ। खुद भी कई बार रेल की पटरी पर घंटो बैठकर मैने थकान मिटाई है।
किंतु जब से ये औरंगाबाद की दर्दनाक घटना सुना हूँ, कई सारे सवालो का मैं जवाब नहीं ढूंढ पा रहा।
माना कि वो अभागे मजदूर सुबह के लगभग चार बजे रेल लाईन पर पैदल चल रहे थे।
बकौल ट्रेन ड्राईवर उसने कई बार हॉर्न बजाया। पर उनको सुनाई नहीं दिया। बहुत बढ़िया।
किंतु 4 बजे अंधेरा होता है भाई। हॉर्न नहीं भी सुने...पर ट्रेन के इंजिन की हेडलाइट इतनी तेज होती है कि सीधे ट्रैक पे 10 किमी दूर से दिख जाए। और जहाँ तक मेरी जानकारी है, उस जगह ट्रैक एकदम सीधा था। ना कोई कर्व और ना कोई ढलान।
तो फिर क्या 16 के 16 मजदूरो को हॉर्न के साथ साथ इंजिन की हेडलाइट भी नहीं दिखायी दी ?
ये कैसा मजाक है !?
दूसरी संभावना कि मजदूर थक कर ट्रैक पर ही सो गए थे।
50 MM मोटे पत्थरों पर कुछ देर के लिए बैठ कर सुस्ताया तो जरूर जा सकता है। पर उनके ऊपर सोया नहीं जा सकता। वो भी इतनी गहरी नींद में।
आपको बता दूँ कि जब पटरी पर ट्रेन 100 किमी की स्पीड में दौड़ती है तो ट्रेन के चलने से पटरी में इतनी जोर से वाइब्रेसन (कंपन) होते हैं कि 5-6 किमी दूर तक रेल पटरी कंपकंपाती है। चिर्र चिर्र की आवाज आती है अलग से।
तो यदि मान भी लू कि 16 मजदूर थक हार के रेल पटरी पे ही सो गए, तो क्या इनमें से एक को भी ये तेज कंपन और चिर्र चिर्र की कर्कश आवाज उठा ना सकी ??
ये कैसा मजाक है ??
दुर्घटना स्थल से खींचे गए फोटो बता रहे हैं कि ट्रैक के किनारे एकदम समतल जमीन थी। तो उस समतल जमीन को छोड़कर भला ट्रैक के पत्थरों पे कोई क्यू सोएगा ??
ये कैसा मजाक है ??
कुछ मजदूर जो ट्रैक पर नहीं सोकर, जमीन पर सो रहे थे.... वो बता रहे हैं कि ट्रेन के हॉर्न से उनकी आंख खुल गयी और उन्होने उन 16 मजदूरो को उठने के लिए आवाज दी।
ये कैसा मजाक है कि हॉर्न की आवाज से इन तीन चार मजदूरो की तो आंख खुल गयी। पर उन 16 में किसी एक की भी नींद नहीं टूटी। ना हॉर्न से, ना लाइट से, ना पटरी के तीव्र कंपन से और ना पटरियों की कर्कश चिर्र चिर्र से !!
फोटुओं में ट्रैक के बीचो बीच मजदूरो की रोटियाँ पड़ी हुई दिखायी दे रही हैं !
गजब भाई गजब !!
ट्रेन की 100 किमी की तूफानी स्पीड। वो स्पीड जिसमें पत्थर भी उछल के कई मीटर दूर जाके गिरे। पर रोटियाँ सलीके से ट्रैक के बीचो बीच रखी हुई हैं। ना तूफानी हवा में उड़ी, ना बिखरी। एक ही जगह रखी हुई हैं !!
ये कैसा मजाक है ?!
कही ये कोई साजिश तो नहीं ?
कहीं ये नफरत की राजनीति तो नहीं ?
मेरा शक है क्योकि महाराष्ट्र आज साजिशों का गढ़ बना हुआ है। पालघर से लेकर जमातियो को छुपाने तक की साजिश का गढ़, अर्नब जैसे राष्ट्रीय पत्रकार के ऊपर हमले की साजिश का गढ़, आर्थर_रोड़ जैसी बेहद संवेदनशील जेल में कोरोना फैलाने की साजिश का गढ़। ऊपर से ये भी पता चला है कि अर्नब को जो पोलिसकंर्मी 12 घंटे पूछताछ कर रहे थे, उनमे से एक को कोरोना है।

Thursday, May 7, 2020

विशाखापट्टनम केमिकल प्लांट में ज़हरीली गैस लीक, 11 की मौत, 300 की हालत गंभीर

I thought I'll die': Vizag gas leak survivor recalls the horror ...
विशाखापट्टनम केमिकल प्लांट में ज़हरीली गैस लीक, 11 की मौत, 300 की हालत गंभीर
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आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक मल्टीनेशनल कंपनी के केमिकल प्लांट में जहरीली गैस लीक होने की वजह से एक बच्चे समेत 11 लोगों की जान चली गई. करीब 300 लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है.
स्थानीय प्रशासन और नेवी ने फैक्ट्री के पास के गांवों को खाली करा लिया है. इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 300 से अधिक लोगों की हालत गंभीर है.
बताया जा रहा है कि आरआर वेंकटपुरम में स्थित विशाखा एलजी पॉलिमर कंपनी से सुबह 2.30 बजे खतरनाक जहरीली गैस का रिसाव हुआ है. इस जहरीली गैस के कारण फैक्ट्री के तीन किलोमीटर के इलाके प्रभावित हैं. फिलहाल, पांच गांव खाली करा लिए गए. सीएम जगन मोहन रेड्डी खुद विशाखापट्टनम पहुंच गए हैं.

मृतकों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा
सीएम जगन मोहन रेड्डी ने किंग जॉर्ज हॉस्पिटल में एडमिट पीड़ितों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने मुआवजे का ऐलान किया. हादसे के कारण जान गंवाने पर लोगों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. इसके साथ ही पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये और डिस्चार्ज किए जा चुके लोगों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि मिलेगी. साथ ही पूरे मामले की 5 सदस्यीय कमेटी जांच करेगी.

Tuesday, May 5, 2020

कब तक बढ़ता रहेगा लॉक डाउन, देश की चुनौती से कैसे निपटेंगे मोदी जी

कब तक बढ़ता रहेगा लॉक डाउन, देश की चुनौती से कैसे निपटेंगे मोदी जी

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  • विजया पाठक

भारत में तीसरी बार लॉकडाउन बढ़ गया है l अब लोकडाउन  को 17 मई तक बढ़ा दिया गया हैं l यह भी नहीं कहा जा सकता कि अब आगे लॉकडाउन नहीं बढ़ेगा l

कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति विकराल होती जा रही हैं l लॉकडाउन की तारीखे  बढ़ती जा रही हैं l देश का मध्यम  और निम्न वर्ग दिन पर दिन परेशान होता जा रहा है l रोजी रोटी का संकट पैदा होने लगा है l बेरोजगारी व्यापार मंदी जैसी भयानक स्थितियां निर्मित हो चुकी हैं l वहीं देश की अर्थव्यवस्था भी गड़बड़ा गई है l नाम मात्र की राहत देने के अलावा सरकारों के पास कुछ नहीं है l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के नाम संबोधन और मन की बात में हाथ जोड़कर सहयोग करने के अलावा कुछ नहीं बोल पा रहे हैं l देशवासी भी देश में उत्पन्न विकराल समस्या में सहयोग कर रहे हैं l
लेकिन यह सहयोग कब तक, देशवासी मजबूर हो चुके हैं l उन्हें सरकारी सहायता की बहुत आवश्यकता है वर्तमान समय में ऐसा कोई सा सेंटर नहीं है जो लॉकडाउन से प्रभावित ना हो रहा हो l आवश्यकता सामानों की आवा जाई ना होने से मुनाफाखोरी चरम पर पहुंचने लगी है l लोगों के पास जरूरी सामान तक खरीदने के पैसे नहीं है l इस समय देश बहुत बड़ी चुनौती से जूझ रहा है इस विशाल चुनौती से निपटने में आम लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आस लगाए बैठे है l मोदी के सामने यह गंभीर चुनौती है कि वह इस चुनौती से कैसे निकल सकते हैं l दिनों दिन चुनौतियां गंभीर होती जा रही हैं और आम जनों के सब्र का बांध टूटने लगा है l
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि लॉकडाउन का दूसरा या तीसरा चरण विनाशकारी होगा l उनकी यह बात सत्य भी हो रही है रघुराम राजन ने कहा कि कोविड-19 स्थिति में लोगों को सशक्त बनाने के लिए विकेंद्रीकरण भी  महत्वपूर्ण है l लॉकडाउन हटाने में हमें समझदारी से काम लेना होगा नापतोल कर कदम उठाने होंगे क्योंकि भारत के लोगों को लंबे समय तक खाना खिलाने की क्षमता नहीं है l
उन्होंने आगे कहा कि कोरोना वायरस से प्रभावित जरूरतमंदों की मदद के लिए करीब 65000 करोड़ की आवश्यकता होगी राजन का मानना है कि हम ऐसा कर भी सकते हैं l क्योंकि भारत की जीडीपी कई लाख करोड़ की है मतलब साफ है कि पूर्व गवर्नर भी मानते हैं कि गरीबों को आर्थिक सहायता की जरूरत है अब मोदी जी को चाहिए कि वह अन्य खर्चों की परवाह किए बगैर प्राथमिकता में प्रभावित देशवासियों की मदद करें l यह सरकार का  पहला कर्तव्य है कि वह जरूरतमंदों की मदद करने की पहल करें l
 वर्तमान में भारत की जनसंख्या लगभग 137 करोड है इसमें से लगभग 103 करोड काम करने की उम्र में है 15 साल से ऊपर,  किसी भी प्रकार के सशुल्क काम औपचारिक या अनौपचारिक वेतन,  दैनिक वेतन या किसी भी प्रकार के स्वरोजगार को शामिल करने के लिए हमें रोजगार की व्यापक परिभाषा लेनी चाहिए l इस परिभाषा का उपयोग करते हुए फरवरी 2020 में प्री कोरोना  वायरस महामारी और लॉकडाउन में लगभग 40.4 करोड़ भारतीयों को नियोजित किया गया था जैसा कि महीने के लिए CMIE रिपोर्ट के अनुसार उस समय 3.4 करोड़ बेरोजगार थे l पिछले सप्ताह के आंकड़ों से इनकी तुलना करें CMIE का अनुमान है कि तालाबंदी शुरू होने के 1 सप्ताह के भीतर काम करने वाली आबादी का केवल 27.7% (103 करोड़) कार्यरत था l यह 28.5 करोड़ तक काम  करता है l इसलिए 2 सप्ताह  के भीतर लाभ में कार्यरत लोगों की संख्या 40.4 करोड़ से घटकर 28.5 करोड़ हो गई है जो 11.9 करोड़ है l
लगभग ऐसा ही हाल अन्य सेंटर्स  का है l इस दुर्लभ समय में केंद्र सरकार के साथ साथ  राज्य सरकारें भी कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे लोगों की आर्थिक सहायता मिल सके l हम समझ सकते हैं कि यह समस्या फिलहाल खत्म में होने वाली नहीं है l आगे कब तक लॉकडाउन रहेगा l समय रहते सरकारों को इस पर गहन चिंतन करना चाहिए  जो स्थितियां सामान्य दिख रही हैं उन्हें अराजकता में बदलने में देर नहीं लगेगी l मोदी जी देश आपके साथ है तो आप का भी फर्ज बनता है कि आप देशवासियों की समस्याओं और आवश्यकताओं को समझे l

Sunday, May 3, 2020

अत्यावश्यक सामग्री के परिवहन हेतु पश्चिम रेलवे की 7 पार्सल स्पेशल ट्रेनें 3 मई, 2020 को देश के विभिन्न हिस्सों के लिए रवाना

रेलवे ने पार्सल ट्रेनों को 25 अप्रैल ...
अत्यावश्यक सामग्री के परिवहन हेतु पश्चिम रेलवे की 7 पार्सल स्पेशल ट्रेनें 3 मई, 2020 को देश के विभिन्न हिस्सों के लिए रवाना
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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567

पश्चिम रेलवे राष्ट्र और लोगों के प्रति अपनी सम्पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ, बड़े पैमाने पर यह सुनिश्चित कर रही है कि कोरोना महामारी के इस कठिन समय के दौरान, देश भर में आवश्यक वस्तुऍं अनवरत उपलब्ध कराई जाती रहें।

यह सम्मान की बात है कि पश्चिम रेलवे न केवल आवश्यक वस्तुओं, बल्कि सबसे ज़रूरी दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के ज़रिये भी राष्ट्र को अपनी सेवाऍं निरंतर प्रदान कर रही है। पश्चिम रेलवे ने देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन अवधि के दौरान अनेक पार्सल विशेष ट्रेनों का परिचालन लगातार जारी रखा है। इन्हीं ट्रेनों में से सात पार्सल स्पेशल ट्रेनें, जिनमें दूध की एक विशेष रेक शामिल है, 3 मई, 2020 को देश के विभिन्न स्टेशनों के लिए पश्चिम रेलवे के निर्धारित स्टेशनों से रवाना हुईं।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री रविन्द्र भाकर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 23 मार्च से 3 मई, 2020 तक की अवधि में अपनी विभिन्न पार्सल विशेष गाड़ियों के माध्यम से पश्चिम रेलवे द्वारा 24000 टन से अधिक वजन वाली वस्तुओं का परिवहन किया गया है, जिनमें कृषि उपज, दवाइयाॅं, मछली, दूध और मेडिकल सामग्री मुख्य रूप से शामिल हैं। इस परिवहन के माध्यम से होने वाली कुल कमाई, लगभग 7.27 करोड़ रुपये रही है। इस अवधि के दौरान पश्चिम रेलवे द्वारा 20 मिल्क स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं, जिनमें 14400 टन से अधिक का भार था और वैगनों के 100% उपयोग से लगभग 2.48 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।
इसी तरह, 124 कोविड -19 विशेष पार्सल ट्रेनें भी आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए चलाई गईं, जिनके लिए अर्जित राजस्व 4 करोड़ रुपये से ऊपर रहा। इनके अलावा, लगभग 78 लाख रु. की आय के लिए 100% उपयोग के साथ 4 इंडेंटेड रेक भी चलाए गए। श्री भाकर ने बताया कि 7 पार्सल विशेष ट्रेनें 3 मई, 2020 को देश के विभिन्न हिस्सों के लिए पश्चिम रेलवे से रवाना हुईं, जिनमें 6 ट्रेनें मुंबई सेंट्रल - फिरोजपुर, ओखा - बांद्रा टर्मिनस, राजकोट - कोयम्बटूर, ओखा - गुवाहाटी, दादर - भुज और बांद्रा टर्मिनस - ओखा पार्सल विशेष ट्रेनें शामिल हैं, जबकि एक दूध विशेष रेक पालनपुर से हिंद टर्मिनल के लिए रवाना हुई।
उन्होंने बताया कि 22 मार्च से 2 मई, 2020 तक लॉकडाउन की अवधि के दौरान, पश्चिम रेलवे द्वारा मालगाड़ियों के कुल 2847 रेकों का इस्तेमाल 6.21 मिलियन टन आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए किया गया है। 5876 मालगाड़ियों को अन्य रेलवे के साथ जोड़ा गया है, जिनमें 2966 ट्रेनें और 2910 ट्रेनें अलग-अलग इंटरचेंज पॉइंट पर ली गई हैं। पार्सल वैन / रेलवे मिल्क टैंकर (आरएमटी) के 150 मिलेनियम पार्सल रेक देश के विभिन्न भागों में दूध पाउडर, तरल दूध और अन्य सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं जैसी आवश्यक सामग्री की मांग के अनुसार आपूर्ति करने के लिए भेजे गए हैं।
मार्च, 2020 में पश्चिम रेलवे पर अनुमानित घाटा 207.11 करोड़ रुपये रहा है, अप्रैल 2020 में यह 449.52 करोड़ रुपये और मई, 2020 के 2 दिनों में 29.98 करोड़ रुपये रहा है। इस प्रकार कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण पश्चिम रेलवे (उपनगरीय + गैर-उपनगरीय सहित) का कुल नुकसान 686.61 करोड़ रुपये रहा है। इसके बावजूद, अब तक टिकटों के निरस्तीकरण के फलस्वरूप, पश्चिम रेलवे ने 236.02 करोड़ रुपये की राशि रिफंड के रूप में वापस करना सुनिश्चित किया है। यह भी उल्लेखनीय है कि इस रिफंड राशि में, मुंबई डिवीजन ने अकेले 114.11 करोड़ रुपये का रिफंड सुनिश्चित किया है। अब तक, 36.22 लाख यात्रियों ने पूरी पश्चिम रेलवे पर अपने टिकट रद्द कर दिए हैं और तदनुसार उनकी किराया वापसी राशि प्राप्त की है।

जबरन मुफ्त में हार्डवर्क करवा ‘उदार’ हुई सरकार.. अचानक ट्रेन चली..

जबरन मुफ्त में हार्डवर्क करवा ‘उदार’ हुई सरकार.. अचानक ट्रेन चली..


बसों से भेजे जा रहे मजदूरों के लिए अचानक ट्रेन चली..

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  • संजय कुमार सिंह
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देश भर में चल रहा लॉकडाउन जब तीन मई तक के लिए बढ़ाया गया था तो मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर हजारों प्रवासी मजदूर इकट्ठा हो गए थे। यहां वे अपने घर जाने देने की मांग कर रहे थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उद्धव ठाकरे को फोन कर हालात की जानकारी ली थी। गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री से कहा था कि इससे कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर होगी। प्रशासन को ऐसे हालातों से निपटने के लिए सतर्क रहना होगा। तब सरकार के प्रचारकों ने अपने हिसाब से जो कहा किया और जिसका प्रचार हुआ उसके मुकाबले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधायक बेटे के ट्वीट की चर्चा कम हुई।
आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर कहा था, ‘केंद्र सरकार द्वारा मजदूरों के घर वापस जाने की कोई व्यवस्था नहीं करने के कारण बांद्रा या सूरत में हंगामा हुआ। वे खाना या आश्रय नहीं चाह रहे हैं। वे अपने घर वापस जाना चाह रहे हैं।’ सूरत की खबरों और आदित्य ठाकरे के ट्वीट की चर्चा अखबारों में कम हुई। अफवाह फैलाने के लिए एक पत्रकार को गिरफ्तार भी किया गया जबकि ट्रेन चलाने की योजना थी और अफवाह फैलने या भीड़ जुटने का कारण पत्रकार की खबर के अलावा भी बहुत कुछ था। कार्रवाई सिर्फ अफवाह फैलाने के लिए हुई। भीड़ जुटने, सोशल डिसटेंसिंग का पालन नहीं होने के लिए हुई या नहीं मैं नहीं जानता।
अब दूसरा लॉकआउट कल खत्म होने वाला है। तीसरा शुरू भी होगा। आज अखबारों में खबर है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलीं जबकि अखबारों में खबर थी कि ट्रेन नहीं चलेगी श्रमिकों को बसों से भेजा जाएगा। मैंने कल लिखा भी था कि ट्रेन नहीं चल सकती है तो मजदूरों को विमान से भेजा जाए। हजारों किलोमीटर बस से भेजने का कोई मतलब नहीं है। और वही हुआ ट्रेन चली। गुपचुप तरीके से। इसकी जरूरत क्यों पड़ी? यह स्थिति क्यों बनी? हैदराबाद में फंसे झारखंड के लोगों या कुछ खास मजदूरों के लिए सुविधा पहले क्यों? यह सब किस आधार पर तय किया गया। क्या पहले बता दिया जाता तो लोग पहले राहत नहीं महसूस करते। गोपनीय क्यों रखा गया। सवाल जवाब नहीं देती उसे पता है ऐसे सवाल उसके समर्थक नहीं करते।
लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिए सरकार ने ‘श्रमिक स्‍पेशल’ ट्रेन चलाने की मंजूरी दी। इस विषय पर जारी सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि लॉक डाउन के कारण भिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी मजदूरों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों के लिए यह ट्रेन शुरू की गई और ये ट्रेनें एक स्थान से दूसरे स्थान तक के लिए होंगी और संबंधित राज्य सरकारों के आग्रह पर शुरू की गई हैं। अब सवाल उठता है कि ऐसा पहले क्यों नहीं किया गया? क्या लॉकडाउन से पहले इसपर नहीं सोचा जाना चाहिए था। या उसके बाद भी इतने दिनों तक इस मामले से आंखे मूंदे रहना सरकार की नालायकी नहीं है। वह भी तब जब कुछ राज्यों के फंसे हुए लोगों के जाने की व्यवस्था पहले भी की गई है।
अखबारों ने पहले की खबरें नहीं छापी, लोगों की परेशानी नहीं बताई, सरकार ने ध्यान नहीं दिया और लोग बिलावजह परेशान हुए। मैं पहले भी लिख चुका हूं कि जब 550 लोग संक्रमित थे तो लॉक डाउन कर दिया गया और अब 31,500 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं तो 40 दिन से ज्यादा लोगों को परेशान करके अब घर पहुंचाया जा रहा है। इस दौरान उनके पैसे भी खर्च हो गए होंगे। कुल मिलाकर सरकार ने ज्यादा परेशान करके काम राहत दी और आज के अखबारों में खबर ऐसे छपी है जैसे सरकार ने बहुत उदारता दिखा दी या लॉक डाउन का कोई लाभ हुआ इसलिए इन्हें जाने दिया जा रहा है। इन्हें लॉक डाउन के बाद भी ऐसे ही भेजा जा सकता था और ना ये तब संक्रमित थे ना अब हैं। जो जांच तब हो सकती थी वही अब हुई होगी। या नहीं हुई होगी। जो जांच तब नहीं हुई वह अब भी नहीं हुई होगी।
मैं नहीं जानता सरकार कैसे सोचती और कैसे काम करती है। लेकिन थाली बजाने और दीया जलाने वाली जनता के लिए सरकार सोचे भी क्यों? ऐसा कुछ नहीं है जो सरकार को मार्च में मालूम नहीं था अब मालूम हुआ है। उसे पता ही होगा कि अचानक लॉक डाउन करने से परेशानी होगी, यह भी पता था (नहीं था तो होना चाहिए था) कि लॉक डाउन लंबा चलेगा और उतने समय तक लोगों को जबरन बांध कर नहीं रखा जा सकता है। और लोग घरों पर सुकून से नहीं होंगे तो लॉक डाउन का पालन मुश्किल है। लेकिन सरकार हेडलाइन मैनेजमेंट से काम चला लेती रही और ताली थाली बजाकर जनता ने पूरा सहयोग किया। इसीलिए किट खरीदने में भ्रष्टाचार हुआ (आप लापरवाही कहिए) और इस कारण देरी भी हुई। कुल मिलाकर लॉक डाउन में सरकार जो काम कर लेने चाहिए था उसमें पीएम केयर्स के अलावा कुछ नहीं हुआ और सरकार को यह ढील देनी पड़ी जो असल में लॉक डाउन का सरकारी उल्लंघन है।

Saturday, May 2, 2020

सावधान मीडिया और ग्रुप एडमिन, अखबार की पीडीएफ कॉपी व्हाट्सएप ग्रुप में प्रसारित करना गैरकानूनी, ग्रुप एडमिन होंगे जिम्मेदार

सावधान मीडिया और ग्रुप एडमिन, अखबार की पीडीएफ कॉपी व्हाट्सएप ग्रुप में प्रसारित करना गैरकानूनी, ग्रुप एडमिन होंगे जिम्मेदार

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अख़बार की पीडीएफ कॉपी व्हाट्सएप ग्रुप में भेजना गैर कानूनी,अब केवल व्यक्तिगत (पर्सनल) या ब्रॉडकास्ट ग्रुप में ही भेजी जा सकती है

अख़बार की पीडीएफ कॉपी व्हाट्सएप ग्रुप में भेजना गैर कानूनी, अब केवल व्यक्तिगत ( पर्सनल ) ही भेजी जा सकती है।
कोरोना लॉक डाउन के चलते देश भर के अखबार मंडी से गुजर रहे है। जिसके चलते इंडियन न्यूज़ पेपर सोसायटी (INS) ने निर्णय लिया कि अब अखबारों यानी समाचार पत्र के ई पेपर से पेज डाउनलोड कर उसकी पीडीएफ फाइल व्हाट्सएप इत्यादि ग्रुप में प्रसारित करना गैर कानूनी है। ईपेपर या उसके अंश की कॉपी करके सोशल मीडिया पर अवैध रूप से प्रसारित करने वाले व्यक्ति के खिलाफ अखबार कड़ी कार्रवाई कर भारी जुर्माने की कार्रवाई कर सकते हैं।
इस तरह से अखबार की पीडीएफ कॉपी अवैध रूप से सर्कुलेट करने वाले उस व्हाट्सएप या टेलीग्राम एडमिन को जिम्मेदार माना जाएगा। ज्यादा पीडीएफ डाउनलोड करने वाले यूजर्स को ब्लॉक किया जाएगा। आईएनएस की सलाह पर समाचार पत्र समूह ऐसी तकनीक का प्रयोग करेंगे जिससे की अखबार की पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर उसे सोशल मीडिया में प्रसारित करने वाले व्यक्ति का पता चल सकेगा। हर सप्ताह में एक निर्धारित संख्या से ज्यादा पीडीएफ डाउनलोड करने वाले यूजर को ब्लॉक किया जाएगा।
वही व्यक्तिगत व्हाट्सएप नंबर पीडीएफ फाईल भेजी जा सकता है। जिसके चलते ब्रॉडकास्ट ग्रुप में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। कानूनी कार्रवाई केवल में शेयरिंग पर की जाएगी। जिसके चलते व्यक्तिगत तौर न्यूज पेपर की पीडीएफ फाइल को भेजने का अधिकार यूजर को है। इस नीति से अखबारों के बिक्री में बढ़ोतरी होने की संभावना है। इस समय छोटे अख़बारों की पीडीएफ फाइल जोरो से शेयर की जा रही है।
जिसके चलते छोटे अखबारों की लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। अब छोटे अखबार पीडीएफ कॉपी के मार्फत तकड़ी लोकप्रियता अर्जित कर सकते है। वही बड़े अखबार वाले व्हाट्सएप ग्रुप में पीडीएफ कॉपी शेयर करने वाले को ढूढने में लग चुकी है।

Wednesday, April 29, 2020

सीएम उद्धव ठाकरे पद की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा, पीएम मोदी से की बात, यह रहा लफड़ा

महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे करेंगे ...
सीएम उद्धव ठाकरे पद की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा, पीएम मोदी से की बात, यह रहा लफड़ा 
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उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। संविधान के तहत उन्हें 28 मई 2020 तक किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी है। कोरोनावायरस महामारी के कारण हालांकि सभी चुनाव स्थगित हैं ऐसे में राज्य मंत्रिमंडल ने 9 अप्रैल को उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में नामित किए जाने की सिफारिश की थी।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी फंसी हुई है। वे अपनी कुर्सी बचाने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का मुंह देख रहे हैं। इसकी वजह यह है कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बावजूद अभी तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।
उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। संविधान के तहत उन्हें 28 मई 2020 तक किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी है। कोरोनावायरस महामारी के कारण हालांकि सभी चुनाव स्थगित हैं ऐसे में राज्य मंत्रिमंडल ने 9 अप्रैल को उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में नामित किए जाने की सिफारिश की थी।
मगर अभी तक राज्यपाल ने इस सिफारिश पर मुहर नहीं लगाई है। स्थिति यह है कि संविधान के मुताबिक उन्हें पद पर बने रहने के लिए अब एक महीने के भीतर ही विधानमंडल का सदस्य बनना होगा। वजह यह है कि इसके साथ ही 6 महीने की समय सीमा समाप्त हो जाएगी। अब तक वह राज्य विधानसभा अथवा परिषद के सदस्य नहीं हैं।
उद्धव की कैबिनेट लगातार कोशिशों में लगी हुई है। मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया कि कोश्यारी से परिषद में राज्यपाल की ओर से मनोनीत किए जाने वाले दो सदस्यों में से एक सदस्य के तौर पर ठाकरे को मनोनीत किए जाने की सिफारिश की जाए। इससे पहले भी इस महीने की शुरुआत में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद राज्यपाल से ऐसा ही निवेदन किया गया था। लेकिन राज्यपाल ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया।

Tuesday, April 28, 2020

पुराने फ्रिज से यूवी चैंबर का निर्माण किया मिली चौबे ने 18 बेड के 9 आइसोलेशन वार्ड बनाए

पुराने फ्रिज से यूवी चैंबर का निर्माण किया मिली चौबे ने 18 बेड के 9 आइसोलेशन वार्ड बनाए

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भोपाल ।  देश के असली कोहिनूर जो विपरीत परिस्थितियों में लोगों का सहारा बन जाते हैं ऐसी एक नायिका है, मिली चौबे जो रायपुर के अंबेडकर हॉस्पिटल में संविदा पद पर बायोमेडिकल इंजीनियर हैं। 
उन्होंने खराब फ्रिज को UV चैंबर में कन्वर्ट किया है उल्लेखनीय है कि मिली चौबे ने 18 बेड के 9 आइसोलेशन वार्ड बनाए और उन्होंने वो सभी उपकरण बनाएं जो कि हॉस्पिटल में खराब उपकरण थे.
लेकिन इतना सराहनीय कार्य करने के बाद भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार का ध्यान इन ऐतिहासिक कार्यों पर  नहीं गया ।
मिली राष्ट्रीय भावनाओं से सेवा दे रही हैं 24 घंटे मरीज और राष्ट्र की सेवा कर रही हैं सही मायनों में यह देश के अनमोल स्तंभ हैं और इनके कार्यों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए।

राजस्थान बॉर्डर पर फसे 600 से अधिक मजदूरों को लाने के लिए बसे रवाना

राजस्थान बॉर्डर पर फसे 600 से अधिक मजदूरों को लाने के लिए बसे रवाना

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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567
कलेक्टर को तत्काल मजदूरों को लाने के दिए थे निर्देश, फसे मजदूरों की भोजन व्यवस्था भी करवाई
उज्जैन । सांसद श्री अनिल फिरोजिया के निज सचिव श्री प्रकाश जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान मध्य्प्रदेश की सीमा पर फसे 600 से अधिक मजदूरों को अपने घर तक पहुचाने के लिए सांसद अनिल फिरोजिया द्वारा किये गए प्रयाश सार्थक हो गए हैं। प्रशासन ने सोमवार देर शाम वहां फसे मजदूरों को निकालने के लिए बसों को भेजने का काम शुरू कर दिया है।
दरसल तीन दिन पहले सांसद अनिल फिरोजिया के सहायक प्रकाश जैन को सूचना मिली थी कि क्षेत्र के 600 से ज्यादा मजदूर राजस्थान मध्य्प्रदेश की सीमा नया गाँव पर फसे हैं। इस मामले में सांसद अनिल फिरोजिया को अवगत करवाने के बाद सांसद फिरोजिया ने मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बातचीत की थी। इसके साथ ही उज्जैन कलेक्टर शशांक मिश्रा को फसे मजदूरों को लाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और सोमवार को नागदा से बसों को पहुचाने का दौर शुरू हो गया है।

सांसद अनिल फिरोजिया ने मुख्यमंत्री से बात कर मामले से करवाया था अवगत
राजस्थान के मजदूरों को यहां से ले जा रहे
राजस्थान के मजदूर जो जिले में फसे थे ऐसे लगभग 50 से अधिक मजदूरों को यहां से दो बसों में भरकर राजस्थान पहुचाया गया है। इसके पहले इन सभी का मेडिकल परीक्षण भी किया गया। ये बस मंगलवार को नया गाव राजस्थान ने यहां के 600 से अधिक मजदूरों को लेकर चलेगी।
सांसद तीन दिन तक रहे संपर्क में
मामले की जानकारी मिलने के बाद सांसद अनिल फिरोजिया ओर उनके सहियोगी तीन दिन तक मजदूरों के संपर्क में रहे। इस दौरान अधिकांश श्रमिकों के भोजन की व्यवस्था भी सांसद ने वहां के स्थानीय प्रशासन व अन्य लोगों से बात कर करवाई थी।
अन्य प्रदेशों में फसे लोगों को लाने के लिए भी प्रयास
सांसद फिरोजिया ने इस मजदूरों के साथ ही अब अन्य प्रदेशों में फसे मजदूरों को भी लाने के लिए भी प्रयाश तेज कर दिए हैं। संभवता इस जल्द ही अन्य प्रदेशों के मजदूर भी जल्द ही अपने घरों तक पहुचेंगे।

Monday, April 27, 2020

कोरोना से संबंधित नकारात्मक शब्दों का प्रयोग बंद हो पंकज मारू, नीति आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय की वीसी में दिया सुझाव

कोरोना से संबंधित नकारात्मक शब्दों का प्रयोग बंद हो पंकज मारू, नीति आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय की वीसी में दिया सुझाव

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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567
बौद्धिक दिव्यांगों के पुनर्वास एवं सशक्तिकरण हेतु कार्यरत लायंस ऑफ नागदा की स्थाई परियोजना स्नेह के संस्थापक एवं केन्द्रीय दिव्यांग जन सलाहकार बोर्ड के सदस्य के अध्यक्ष पंकज मारू ने नीति आयोग एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सुझाव दिया है की कोरोना के कारण लोगों की वर्तमान मनोस्थिति को सकारात्मक करने के लिए महामारी शब्द का प्रयोग प्रतिबंधित करते हुए इसे वैश्विक बीमारी ही कहां जाना चाहिए.
क्योंकि महामारी शब्द सुनते ही व्यक्ति को मृत्यु का भय हो जाता है जबकि वास्तविकता यह है की कोरोना से 90 प्रतिशत से अधिक मरीज ठीक होकर घर लौट रहे हैं । इसी प्रकार क्वॉरेंटाइन सेंटर को भी आनंद घर का नाम दिया जाना चाहिए जिससे व्यक्ति वहां जाते हुए घबराए नहीं । सोशल डिस्टेंसिंग शब्द की जगह भी फिजिकल डिस्टेंसिंग शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए ।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय की सचिव प्रीती सुदान एवं संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के साथ देश की अग्रणी स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रमुखों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोरोना के इस दौर में सुझाव एवं समस्याओं पर चर्चा की गई थी जिसमे मारू ने भी शिरकत की थी। मारू के सुझावों को स्वीकार करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस दिशा में शीघ्र उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया गया है।

Sunday, April 26, 2020

वीडियो : अर्णब गोस्वामी नीच आदमी है पत्रकारिता में कलंक है : पत्रकारिता पुरोधा वेद प्रताप वैदिक का फूटा गुस्सा, प्रेसवार्ता से इस पत्रकार को बाहर निकलवाया

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पत्रकारिता पुरोधा वेद प्रताप वैदिक ने रिपब्लिक टीवी के कथित पत्रकार अर्णब गोस्वामी के लिए क्या कहा!

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आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )

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