कब तक बढ़ता रहेगा लॉक डाउन, देश की चुनौती से कैसे निपटेंगे मोदी जी |
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- विजया पाठक
भारत में तीसरी बार लॉकडाउन बढ़ गया है l अब लोकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दिया गया हैं l यह भी नहीं कहा जा सकता कि अब आगे लॉकडाउन नहीं बढ़ेगा l
कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति विकराल होती जा रही हैं l लॉकडाउन की तारीखे बढ़ती जा रही हैं l देश का मध्यम और निम्न वर्ग दिन पर दिन परेशान होता जा रहा है l रोजी रोटी का संकट पैदा होने लगा है l बेरोजगारी व्यापार मंदी जैसी भयानक स्थितियां निर्मित हो चुकी हैं l वहीं देश की अर्थव्यवस्था भी गड़बड़ा गई है l नाम मात्र की राहत देने के अलावा सरकारों के पास कुछ नहीं है l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के नाम संबोधन और मन की बात में हाथ जोड़कर सहयोग करने के अलावा कुछ नहीं बोल पा रहे हैं l देशवासी भी देश में उत्पन्न विकराल समस्या में सहयोग कर रहे हैं l
लेकिन यह सहयोग कब तक, देशवासी मजबूर हो चुके हैं l उन्हें सरकारी सहायता की बहुत आवश्यकता है वर्तमान समय में ऐसा कोई सा सेंटर नहीं है जो लॉकडाउन से प्रभावित ना हो रहा हो l आवश्यकता सामानों की आवा जाई ना होने से मुनाफाखोरी चरम पर पहुंचने लगी है l लोगों के पास जरूरी सामान तक खरीदने के पैसे नहीं है l इस समय देश बहुत बड़ी चुनौती से जूझ रहा है इस विशाल चुनौती से निपटने में आम लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आस लगाए बैठे है l मोदी के सामने यह गंभीर चुनौती है कि वह इस चुनौती से कैसे निकल सकते हैं l दिनों दिन चुनौतियां गंभीर होती जा रही हैं और आम जनों के सब्र का बांध टूटने लगा है l
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि लॉकडाउन का दूसरा या तीसरा चरण विनाशकारी होगा l उनकी यह बात सत्य भी हो रही है रघुराम राजन ने कहा कि कोविड-19 स्थिति में लोगों को सशक्त बनाने के लिए विकेंद्रीकरण भी महत्वपूर्ण है l लॉकडाउन हटाने में हमें समझदारी से काम लेना होगा नापतोल कर कदम उठाने होंगे क्योंकि भारत के लोगों को लंबे समय तक खाना खिलाने की क्षमता नहीं है l
उन्होंने आगे कहा कि कोरोना वायरस से प्रभावित जरूरतमंदों की मदद के लिए करीब 65000 करोड़ की आवश्यकता होगी राजन का मानना है कि हम ऐसा कर भी सकते हैं l क्योंकि भारत की जीडीपी कई लाख करोड़ की है मतलब साफ है कि पूर्व गवर्नर भी मानते हैं कि गरीबों को आर्थिक सहायता की जरूरत है अब मोदी जी को चाहिए कि वह अन्य खर्चों की परवाह किए बगैर प्राथमिकता में प्रभावित देशवासियों की मदद करें l यह सरकार का पहला कर्तव्य है कि वह जरूरतमंदों की मदद करने की पहल करें l
वर्तमान में भारत की जनसंख्या लगभग 137 करोड है इसमें से लगभग 103 करोड काम करने की उम्र में है 15 साल से ऊपर, किसी भी प्रकार के सशुल्क काम औपचारिक या अनौपचारिक वेतन, दैनिक वेतन या किसी भी प्रकार के स्वरोजगार को शामिल करने के लिए हमें रोजगार की व्यापक परिभाषा लेनी चाहिए l इस परिभाषा का उपयोग करते हुए फरवरी 2020 में प्री कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन में लगभग 40.4 करोड़ भारतीयों को नियोजित किया गया था जैसा कि महीने के लिए CMIE रिपोर्ट के अनुसार उस समय 3.4 करोड़ बेरोजगार थे l पिछले सप्ताह के आंकड़ों से इनकी तुलना करें CMIE का अनुमान है कि तालाबंदी शुरू होने के 1 सप्ताह के भीतर काम करने वाली आबादी का केवल 27.7% (103 करोड़) कार्यरत था l यह 28.5 करोड़ तक काम करता है l इसलिए 2 सप्ताह के भीतर लाभ में कार्यरत लोगों की संख्या 40.4 करोड़ से घटकर 28.5 करोड़ हो गई है जो 11.9 करोड़ है l
लगभग ऐसा ही हाल अन्य सेंटर्स का है l इस दुर्लभ समय में केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकारें भी कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे लोगों की आर्थिक सहायता मिल सके l हम समझ सकते हैं कि यह समस्या फिलहाल खत्म में होने वाली नहीं है l आगे कब तक लॉकडाउन रहेगा l समय रहते सरकारों को इस पर गहन चिंतन करना चाहिए जो स्थितियां सामान्य दिख रही हैं उन्हें अराजकता में बदलने में देर नहीं लगेगी l मोदी जी देश आपके साथ है तो आप का भी फर्ज बनता है कि आप देशवासियों की समस्याओं और आवश्यकताओं को समझे l
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