लोकायुक्त ने 3 माह में 70 करोड़ रुपए की काली कमाई का किया खुलासा
भोपाल। लोकायुक्त पुलिस के इतिहास में पहली बार तीन माह की समयावधि में
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ की गई छापामार कार्रवाई में 70 करोड़ रुपए की काली
कमाई का खुलासा किया गया है।
पिछले
88 दिन में 17 अधिकारी-कर्मचारियों के यहां छापे और 40
अधिकारी-कर्मचारियों को रिश्वत लेते दबोचा गया है। सबसे बड़ी कार्रवाई
उज्जैन पीएचई में पदस्थ रहे एई आरके द्विवेदी यहां हुई। जिनके पास से 8
करोड़ रुपए से अधिक का काला धन उजागर किया गया है।
छापे के 17 मामले
लोकायुक्त
पुलिस ने एक जनवरी से 28 मार्च की स्थिति में 17 भ्रष्ट शासकीय सेवकों के
खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर उनके पचास से अधिक
ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की है। भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा काली कमाई से
प्रदेश के बाहर भी बड़ी संख्या में अचल संपत्ति खरीदी गई है। इसमें करीब
70 करोड़ की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया गया है। इसके अलावा 40
अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ ट्रेप की कार्रवाई की है। इसमें चार लाख रुपए
से अधिक रिश्वत की राशि बरामद की गई है। विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त
के गठन के बाद तीन माह की समयावधि में लोकायुक्त की यह सबसे बड़ी कार्रवाई
है। हैरत की बात तो यह है कि जबलपुर विकास प्राधिकरण के स्टोर कीपर (मुकेश
दुबे) जैसे छोटे कर्मचारी के पास ढाई करोड़ रुपए की आय से अधिक संपत्ति मिल
रही है, तो पटवारी तीन से पांच करोड़ के आसामी निकले हैं। रिश्वत के
मामलों में राजस्व, स्वास्थ्य, नगर निगम, पीडब्ल्यूड़ी, खनिज, सहकारिता और
नगरीय निकायों के अधिकारी-कर्मचारी पकड़े जा रहे हैं।
तोड़ा सालों का रिकार्ड
लोकायुक्त
पुलिस की महज तीन माह की कार्रवाई ने साल भर में होने वाली कार्रवाइयों का
रिकार्ड तोड़ दिया है। कभी साल में पांच से दस करोड़ की बेनामी संपत्ति का
खुलासा होता था तो अब तीन माह में आंकड़ा 70 करोड़ पार कर गया है। वर्ष
2010 में लोकायुक्त पुलिस ने अनुपातहीन संपत्ति के 25 मामलों में 24 करोड़
31 लाख रुपए का काला धन उजागर किया था तो इस साल ट्रेप के 65 प्रकरणों में
6.85 लाख रुपए जब्त किए थे। वर्ष 2011 में छापे के 37 प्रकरणों में 70
करोड़ 11 लाख रुपए की काली कमाई उजागर की थी तो ट्रेप के 102 मामलों में
11.57 लाख रुपए बरामद किए थे। जबकि इस साल अब तक 17 छापे और 40 ट्रेप के
प्रकरण कायम किए जा चुके हैं।