भोपाल 12 जनवरी। राजधानी के बरकतउल्लाह विवि परिसर में 3 जनवरी को
छात्राओं से कथित छेड़छाड़ की घटना वास्तव में शिक्षा माफिया के गुर्गों
की करतूत थी। विश्विद्यालय की कुलपति डॉ. निशा दुबे और रजिस्ट्रार संजय
तिवारी शिक्षा माफिया की इन करतूतों पर पर्दा डालने का काम कर रहे हैं।
पिछले कई सालों से शिक्षा मंत्री और सरकार के आला अधिकारी इस मामले पर
खामोश है और पर्दे के पीछे से वह विद्यार्थियों के साथ हो रहे खिलवाड़ को
बढ़ावा दे रहे है। जन न्याय दल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग
की है कि वे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करके दोषी लोगों पर कार्रवाई के
निर्देश देने की पहल करें।
जन न्याय दल के प्रदेश प्रवक्ता आलोक सिंघई ने राजधानी में जारी एक बयान में दावा किया है कि पुलिस ने इस मामले में जिन आरोपियों को पकड़ा है उनके संबंध शिक्षा माफिया से हैं। उन्होंने कहा डिग्रियां बेचने वाले कई कॉलेज पढ़ाई के नाम पर विद्यार्थियों से मोटी धनराशि वसूलते हैं। इन्हीं कालेजों के प्रबंधन ने विद्यार्थियों से फीस के नाम पर ली जाने वाली अवैध राशि वसूलने के लिए अपने कई गुर्गों का एडमीशन विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में करवा रखा है। डिग्रियां बेचने वाले इन सभी संस्थानों को रजिस्ट्रार संजय तिवारी का सीधा संरक्षण प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि कुलपति डॉ. निशा दुबे विश्वविद्यालय की व्यवस्था संभालने के लिए पूरी तरह रजिस्ट्रार संजय तिवारी पर आश्रित हैं। श्री तिवारी जैसा कह देते हैं कुलपति वैसे ही बयान दुहरा देती हैं। तीन जनवरी को घटित इस घटना के बाद से लेकर आज तक कुलपति ने पीड़ित छात्राओं और छात्रों से चर्चा नहीं की है। विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की अनुमति के बगैर उन्होंने एक नई जांच समिति गठित करके शासन की जांच समिति की वैधता पर सवाल खड़े कर दिये हैं।
जन न्याय दल का कहना है कि लोगों का ध्यान शिक्षा माफिया की करतूतों से हटाने के लिए कुलपति ने महिला अध्ययन केन्द्र की विभागाध्यक्ष और निदेशक श्रीमती आशा शुक्ला को नोटिस भिजवा दिया है। इससे लोगों का ध्यान मूल मुद्दे से हट गया है।
जन न्याय दल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि शिक्षा जगत में बलशाली होते जा रहे शिक्षा माफिया पर तत्काल अंकुश लगाया जाए। कुलपति डॉ. निशा दुबे अपना काम संभालने में पूरी तरह अक्षम साबित हुई हैं। इसलिए शासन अपनी शक्तियों का प्रयोग करके कुलपति को पद से बर्खास्त करे। साथ में शिक्षा माफिया को संरक्षण देने वाले रजिस्ट्रार संजय तिवारी को भी तत्काल बर्खास्त किया जाए। उनकी संपत्तियों की जांच कराई जाए और विश्वविद्यालय के भ्रष्ट तंत्र का भांडा फोड़ा जाए।
जन न्याय दल के प्रदेश प्रवक्ता आलोक सिंघई ने राजधानी में जारी एक बयान में दावा किया है कि पुलिस ने इस मामले में जिन आरोपियों को पकड़ा है उनके संबंध शिक्षा माफिया से हैं। उन्होंने कहा डिग्रियां बेचने वाले कई कॉलेज पढ़ाई के नाम पर विद्यार्थियों से मोटी धनराशि वसूलते हैं। इन्हीं कालेजों के प्रबंधन ने विद्यार्थियों से फीस के नाम पर ली जाने वाली अवैध राशि वसूलने के लिए अपने कई गुर्गों का एडमीशन विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में करवा रखा है। डिग्रियां बेचने वाले इन सभी संस्थानों को रजिस्ट्रार संजय तिवारी का सीधा संरक्षण प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि कुलपति डॉ. निशा दुबे विश्वविद्यालय की व्यवस्था संभालने के लिए पूरी तरह रजिस्ट्रार संजय तिवारी पर आश्रित हैं। श्री तिवारी जैसा कह देते हैं कुलपति वैसे ही बयान दुहरा देती हैं। तीन जनवरी को घटित इस घटना के बाद से लेकर आज तक कुलपति ने पीड़ित छात्राओं और छात्रों से चर्चा नहीं की है। विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की अनुमति के बगैर उन्होंने एक नई जांच समिति गठित करके शासन की जांच समिति की वैधता पर सवाल खड़े कर दिये हैं।
जन न्याय दल का कहना है कि लोगों का ध्यान शिक्षा माफिया की करतूतों से हटाने के लिए कुलपति ने महिला अध्ययन केन्द्र की विभागाध्यक्ष और निदेशक श्रीमती आशा शुक्ला को नोटिस भिजवा दिया है। इससे लोगों का ध्यान मूल मुद्दे से हट गया है।
जन न्याय दल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि शिक्षा जगत में बलशाली होते जा रहे शिक्षा माफिया पर तत्काल अंकुश लगाया जाए। कुलपति डॉ. निशा दुबे अपना काम संभालने में पूरी तरह अक्षम साबित हुई हैं। इसलिए शासन अपनी शक्तियों का प्रयोग करके कुलपति को पद से बर्खास्त करे। साथ में शिक्षा माफिया को संरक्षण देने वाले रजिस्ट्रार संजय तिवारी को भी तत्काल बर्खास्त किया जाए। उनकी संपत्तियों की जांच कराई जाए और विश्वविद्यालय के भ्रष्ट तंत्र का भांडा फोड़ा जाए।