मुख्यमंत्री ने कहा: अब सरकार बेचेगी रेत
कांग्रेस का तंज, पहले भी तो सरकार ही बेच रही थी रेत, क्या खेती बन गई लाभ का धंधा-जो अब बनेगी रेत
भोपाल 24 मई। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता श्री के.के. मिश्रा ने आज मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा यह कहे जाने पर कि ‘‘अब सरकार बेचेगी रेत’’ पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी, पहले भी तो सरकार ही बेच रही थी रेत, अन्यथा वे यह भी सार्वजनिक करें कि मुख्यमंत्री के भाई नरेन्द्रसिंह चौहान (मास्साब), उनके पुत्र प्रद्यम्नसिंह चौहान, एस.एस. चौहान, तुलाराम चौहान, बबलू चौहान और ए.पी.एस. चौहान (पटेल) से मुख्यमंत्री जी का क्या, कैसा रिश्ता है और प्रदेश में पिछले 11 वर्षों से माँ नर्मदा से रेत के अवैध उत्खनन के साथ अवैध परिवहन करने वाले ‘‘चौहान ब्रदर्स’’-‘‘चौहान इंडरप्राईज’’ लिखे सैकड़ों ट्रकों-डम्परों, जेसीबी, फोकलेन, हाईवा और बुधनी थाने में जब्त सतह से रेत खीचने वाली पनडुब्बी किसकी हैं? जब 11 वर्षों से माँ नर्मदा से अवैध रूप से उत्खनन की गई रेत का व्यापार उक्त उल्लेखित परिवार ही कर रहे हैं, तो सरकार इनसे अलग कैसे हो सकती है? उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री जी पहले ‘‘खेती’’ को लाभ का धंधा बनाना चाह रहे थे, जो नहीं बन सकी। लिहाजा, अब क्या लाभ का धंधा बनेगी ‘‘रेत।’’
श्री मिश्रा ने कहा है कि आखिरकार क्या कारण है कि रेत का व्यापार और मुख्यमंत्री जी का परिवार एक-दूसरे का पर्याय बना हुआ है। यदि बीते सोमवार को राज्य सरकार द्वारा माँ नर्मदा से होने वाले वैध-अवैध उत्खनन को लेकर लगाया गया प्रतिबंध सरकार की ईमानदारीपूर्ण दृढइच्छाशक्ति का प्रतीक है तो मुख्यमंत्री जी को लाखों टन अवैध रूप से संग्रहित की गई रेत को भी तत्काल राजसात कर उसे उचित मूल्य पर विक्रय कराये जाने की व्यवस्था करना चाहिए, अन्यथा यही माना जायेगा कि इस विषय उनकी बहुप्रचारित राजनैतिक व्यवस्था सिर्फ रेत माफियाओं द्वारा संग्रहित किये गये रेत के अंबारों को कालाबाजारी में तब्दील करने का एक नियोजित सरकारी प्रयास है!
श्री मिश्रा ने इस बात की भी आशंका व्यक्त की है कि अब पत्थरों से रेत निर्माण किये जाने की मुख्यमंत्री जी की घोषणा भी एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। जिसके तहत नदियों को खोखला करने के बाद अब प्राकृतिक संपदाओं के रूप में प्रदत्त पहाड़ों को भी समाप्त कर आर्थिक प्यास बुझायी जायेगी ! यह तथ्य भी आश्चर्यजनक है कि रेत का उत्खनन सिर्फ माँ नर्मदा से ही प्रतिबंधित क्यों किया गया, अन्य नदियों से रेत का अवैध उत्खनन बदस्तूर क्यों जारी है?
कांग्रेस का तंज, पहले भी तो सरकार ही बेच रही थी रेत, क्या खेती बन गई लाभ का धंधा-जो अब बनेगी रेत
भोपाल 24 मई। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता श्री के.के. मिश्रा ने आज मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा यह कहे जाने पर कि ‘‘अब सरकार बेचेगी रेत’’ पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी, पहले भी तो सरकार ही बेच रही थी रेत, अन्यथा वे यह भी सार्वजनिक करें कि मुख्यमंत्री के भाई नरेन्द्रसिंह चौहान (मास्साब), उनके पुत्र प्रद्यम्नसिंह चौहान, एस.एस. चौहान, तुलाराम चौहान, बबलू चौहान और ए.पी.एस. चौहान (पटेल) से मुख्यमंत्री जी का क्या, कैसा रिश्ता है और प्रदेश में पिछले 11 वर्षों से माँ नर्मदा से रेत के अवैध उत्खनन के साथ अवैध परिवहन करने वाले ‘‘चौहान ब्रदर्स’’-‘‘चौहान इंडरप्राईज’’ लिखे सैकड़ों ट्रकों-डम्परों, जेसीबी, फोकलेन, हाईवा और बुधनी थाने में जब्त सतह से रेत खीचने वाली पनडुब्बी किसकी हैं? जब 11 वर्षों से माँ नर्मदा से अवैध रूप से उत्खनन की गई रेत का व्यापार उक्त उल्लेखित परिवार ही कर रहे हैं, तो सरकार इनसे अलग कैसे हो सकती है? उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री जी पहले ‘‘खेती’’ को लाभ का धंधा बनाना चाह रहे थे, जो नहीं बन सकी। लिहाजा, अब क्या लाभ का धंधा बनेगी ‘‘रेत।’’
श्री मिश्रा ने कहा है कि आखिरकार क्या कारण है कि रेत का व्यापार और मुख्यमंत्री जी का परिवार एक-दूसरे का पर्याय बना हुआ है। यदि बीते सोमवार को राज्य सरकार द्वारा माँ नर्मदा से होने वाले वैध-अवैध उत्खनन को लेकर लगाया गया प्रतिबंध सरकार की ईमानदारीपूर्ण दृढइच्छाशक्ति का प्रतीक है तो मुख्यमंत्री जी को लाखों टन अवैध रूप से संग्रहित की गई रेत को भी तत्काल राजसात कर उसे उचित मूल्य पर विक्रय कराये जाने की व्यवस्था करना चाहिए, अन्यथा यही माना जायेगा कि इस विषय उनकी बहुप्रचारित राजनैतिक व्यवस्था सिर्फ रेत माफियाओं द्वारा संग्रहित किये गये रेत के अंबारों को कालाबाजारी में तब्दील करने का एक नियोजित सरकारी प्रयास है!
श्री मिश्रा ने इस बात की भी आशंका व्यक्त की है कि अब पत्थरों से रेत निर्माण किये जाने की मुख्यमंत्री जी की घोषणा भी एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। जिसके तहत नदियों को खोखला करने के बाद अब प्राकृतिक संपदाओं के रूप में प्रदत्त पहाड़ों को भी समाप्त कर आर्थिक प्यास बुझायी जायेगी ! यह तथ्य भी आश्चर्यजनक है कि रेत का उत्खनन सिर्फ माँ नर्मदा से ही प्रतिबंधित क्यों किया गया, अन्य नदियों से रेत का अवैध उत्खनन बदस्तूर क्यों जारी है?