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नई दिल्ली। 2 जून को एनडीटीवी की एंकर निधि राजदान ने भाजपा के सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले प्रवक्ता संबित पात्रा को लाइव शो से भगा दिया था इसके बाद 11 जून को उन्होंने एनडीटीवी से बदला लेने के लिए एनडीटीवी को घेरने की कोशिश में गलत खबर रिट्वीट कर दिया था जिसके बाद वो खुद फंस गए। पात्रा ने टाइम्स ऑफ इस्लामाबाद की एक खबर को रिट्वीट करते हुए एनडीटीवी पर निशाना साधने की कोशिश की थी, जिस पर एनडीटीवी ने उनसे स्पष्टीकरण की मांग कर दी।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि संबित पात्रा किस तरह से आज भाजपा के सबसे तेजतर्रार प्रवक्ता बने हैं? दरअसल, इसके लिए उन्होंने दलितों का इस्तेमाल किया है और दलितों को सीढ़ी बनाकर उनके जरिए उन्होंने राजनीति की यह चमक-धमक पाई है। कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज से साल 2002 में एमएस करने के बाद पात्रा ने नई दिल्ली के एक अस्पताल में नौकरी शुरू कर दी। इसके एक साल बाद ही उन्होंने यूपीएससी की मेडिकल परीक्षा पास कर साल 2003 में हिन्दूराव हॉस्पिटल में बतौर डॉक्टर की तैनाती पाई लेकिन बचपन में ही अध्यात्म का पाठ पढ़ने वाले पात्रा ने डॉक्टरी से हटकर राजनीति का ककहरा पढ़ना शुरू कर दिया था।
उन्होंने साल 2006 में स्वराज नाम का एक एनजीओ बनाया, जो छत्तीसगढ़ और ओडिशा में गरीबों और दलितों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर काम करता था। जब पात्रा हिन्दूराव अस्पताल में शिफ्ट पूरी कर बाहर आते थे, तब भी कुछ अन्य डॉक्टरों के साथ मिलकर बगल की मलिन बस्ती में जाकर दलितों के बीच फ्री हेल्थ कैम्प चलाया करते थे और उन्हें मुफ्त दवाएं भी देते थे। इसके बाद वो दलितों को अन्य सामाजिक उत्सवों में शामिल करने की योजना पर भी काम करने लगे।
चूंकि पात्रा को राजनीति में आना था, इसलिए वो दलितों के साथ यह कार्य सेवाभाव से कम साधन के रूप में ज्यादा करते थे। वो दलितों की सेवा को राजनीति का प्रवेश द्वार मानते थे। इसी क्रम में पात्रा अपने एनजीओ के कार्यों में भाजपा के नेताओं को बुलाने लगे थे। धीरे-धीरे वो भाजपा के नेताओं से अपनी नजदीकियां बढ़ाने लगे। साल 2011 में उन्होंने हिन्दूराव हॉस्पिटल की सर्विस से इस्तीफा दे दिया और सालभर बाद यानी साल 2012 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर कश्मीरी गेट से दिल्ली नगर निगम का चुनाव लड़ा लेकिन, वो चुनाव हार गए।
हालांकि, तब तक पार्टी उनकी खूबियों को समझ चुकी थी। उन्हें पार्टी ने दिल्ली प्रदेश का प्रवक्ता बना दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव में पात्रा सभी टीवी चैनलों पर भाजपा की बुलंद आवाज बनकर उभरे। इसके बाद वो राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिए गए। बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मैंने भी सोचा था कि राजनीति में आने के लिए आपके पास या तो खूब पैसा होना चाहिए या फिर ताकत, लेकिन मेरे पास दोनों में से कुछ भी नहीं है।”