CJI Dipak Misra , Supreme Court Big Judgement // फोटो ani news india |
मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज करने आदेश को चुनौती देने वाली याचिका कांग्रेस नेता व वरिष्ठ वकील कपिल सिबल ने मंगलवार को नाटकीय ढंग से वापस ले ली जिसे संविधान पीठ ने वापस लिया मान कर खारिज कर दिया।
नई दिल्लीः राज्यसभा के सभापति द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका कांग्रेस सांसदों ने वापिस ले ली। सांसदों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सवाल किया, मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की पीठ गठित करने का आदेश किसने दिया और रातों-रात पीठ कैसे गठित हो गई।
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सिबल ने बहस के शुरू में ही सीजेआई द्वारा इस मामले को संविधान पीठ को सौपने के आदेश की प्रति मांगी. संविधान पीठ ने कहा हम महसूस कर रहे हैं कि आप का इरादा कुछ और है, आप राज्यसभा सभापति के आदेश पर बात ही नहीं कर रहे हैं जबकि आपने कहा था पांच मिनट के लिय केस का परिचय देंगे।
महाभियोग का उद्देश्य चीफ जस्टिस व दूसरे जजों को डराना था: जेटली
इस बीच अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि उन्हे याचिका की विचारणीयता पर शक है।क्योंकि इसे सिर्फ कांग्रेस पार्टी के दो सांसदओं ने चुनौती दी है जबकि महाभियोग प्रस्ताव सात दलों के 64 सांसदों ने दिया था। इसका मतलब यह है कि छह दल के 62 सांसदओं ने सभापति का प्रस्ताव नोटिस खारिज करने का फैसला स्वीकार कर लिया है. ऎसे में दो सांसदओं की याचिका पर विचार नहीं किए जा सकता। यह याचिका सिबल और प्रताप सिंह बाजवा ने दायर की थी।
वापस ली याचिका, सिब्बल ने उठाए सवाल
सिब्बल ने कहा कि मामला प्रशासनिक आदेश के जरिए पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, प्रधान न्यायाधीश इस संबंध में आदेश नहीं दे सकते हैं। न्यायमूर्ति ए.के. सिकरी , न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे , न्यायमूर्ति एन.वी. रमण , न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल पांच सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल थे।
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सोमवार को न्यायमूर्ति चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति कौल की पीठ ने शुरू में सिब्बल से कहा कि इस याचिका का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश के समक्ष करें लेकिन बाद में सिब्बल और प्रशांत भूषण से कहा था कि वे मंगलवार को आए। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस याचिका को उन न्यायाधीशों के सामने सूचीबद्ध नहीं किया गया जो वरिष्ठता क्रम में दूसरे से पांचवें स्थान पर हैं। ये न्यायाधीश ( न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर , न्यायमूर्ति रंजन गोगोई , न्यायमूर्ति मदन.बी. लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ) वहीं हैं जिन्होंने 12 जनवरी को विवादित संयुक्त प्रेस कांफ्रेस करके प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर कई आरोप लगाए थे।