गाडरवारा। इस्लाम धर्म के 5 स्तंभो में से एक स्तंभ हज भी है। मुस्लिम समुदाय मक्का मदीना तीर्थस्थल को बहुत ही पाक और पवित्र मानता है और इसे हज यात्रा कहते है। विवेकानंद वार्ड निवासी सलामत कुरैशी, मुस्तफी कुरैशी बुधवार को गरीब रथ से 45 दिनों की हजयात्रा सफर के लिए रवाना हुए।
मुस्लिम समुदाय सहित अन्य वर्गो के लोगों ने हज यात्रियों का गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हुए मक्का मदीना यात्रा की बधाईयां दी। मगरिब की नमाज के उपरांत मस्जिद से हज यात्रियों का इस्तकबाल जलसा वाहनो के काफिले के साथ निकाला गया। शिवालय चौक पर फारूख खान एवं गरीब नमाज चौकी चादर कमेटी के शेख रहीम गुड्डू, हमीद मिस्त्री द्वारा पुष्प माला पहनाकर इंत्र लगाकर स्वागत किया गया।
इसी तरह श्याम टाकीज के सामने मुस्लिम त्यौहार कमेटी के मुजीब खान, अनीश, इमरान, राज ताज ने भी हजयात्रियों को मुबारकबाद दी। शक्ति चौक पर म.प्र. मुस्लिम विकास परिषद एवं नौजवान कमेटी द्वारा हजयात्रियों का अभूतपूर्व स्वागत किया गया। मुस्लिम जमात द्वारा अल मदीना, चल मदीना, आज नहीं तो कल मदीना के नारों के साथ मदीने वाले से मेरा सलाम कहना नारे गुंजायमान हुए।
विकास परिषद के अब्दुल फिरोज खान, सलमान शेख, आमिर खान, मोहसिन, लकी अली, अफजल खान, जावेद, सोहिल, शेख इकबाल, अहफाज खान आदि ने हजयात्रियों का इस्तकबाल किया। यह जलुस हाजी शेख रसूल, हाजी नायाब अली की उपस्थिति में निकाला गया। जामा मस्जिद में अध्यक्ष मेहमूद पहलवान, आशिक अली सहित कमेटी के सदस्यों ने अपनी मुबारकबाद दी। साम्प्रदायिक सद्भावना का प्रतीक जबरन देवी दरबार महावीर भवन के सामने रमा महाराज द्वारा स्वागत किया गया।
नगर में जगह जगह स्वागत के उपरांत हजयात्रियों का काफिला जब स्टेशन पहुंचा वहां पर समाजसेवी रविशेखर जायसवाल, सर्वेशर पांडे मोनू, राजीव शर्मा, मदनी काफिले के आरिफ खान, महबूब अत्तारी, चंदू खान, अरबाब अली, शेख नसीर, साकिर कुरैशी, शनाबाज राईन, मुईन खान सहित अनेको लोगों ने पुष्प मालाओं से इस्तकबाल करते हुए हजयात्रियों से कहा कि वतन की खुशहाली के लिए हजयात्रा के दौरान दुआंए खैर करे। जामा मस्जिद के पेश इमाम हाफिज जुबेर आलम एवं मुईन अहमद ने प्लेटफार्म पर सलातोसलाम पढक़र दुआंए मांगी।
हजयात्री मक्का मदीने की 45 दिन की यात्रा में अलसफा अलमारवाह पहाडिय़ों के पीछे चलते है। आबे जमजम के कुंए का पानी पीते है। हुजूरे पाक के रोजे का दीदार, अराफात के मैदान में जाते है। शैतान को पत्थर मारने की रस्म अदा करते है। इसके साथ ही और भी जगह इबादत करने पहुंचते है। बकराईद के बाद ही हजयात्रियों की वापिसी होती है। नगर से इसी महिने में और भी हजयात्री हज यात्रा के लिए रवाना होगे।