प्रधान मंत्री रोजगार योजना को विफल करते बैंक अधिकारी, ऋण दलाल और बैंक अधिकारी कर रहे काली कमाई |
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बैतूल। मप्र राज्य भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रधान मंत्री की रोजगार योजना को सरकारी बैंको के अधिकारी अपनी अवैध उगाही का जरिया बना कर रखे हैं जिससे सरकार की योजनाएं विफल हो रहीं हैं। उद्योग विभाग से बैंक तक फैला भ्रष्टाचार और कागजी कार्यवाहियां में बेरोजगार उलझ कर रह गए हैं। भारत सरकार रोजगार सृजन करना चाहती हैं, मेक इन इडिया अभियान चला रही हैं जिसे बैंक अधिकारी विफल कर रहे हैं।
मध्य प्रदेष राज्य के बैतूल जिले में बैंक अधिकारियों ने बैंक ऋण बाॅटने के लिए दलाल नियुक्त करके रखे हैं तो उद्योग विभाग ने भी दलाल नियुक्त करके रखे हैं। दलालों के माध्यम से ऋण स्वीकृत करवाने का कारोबार चलता हैं। उद्योग विभाग को ऋण प्रकरणों को स्वीकृत करने के ऐवज में पैसा चाहिए तो बैंक अधिकारी को भी ऋण राषि के बदले 10 फीसदी के अतिरिक्त उद्योग की मषीनों में कमीषन चाहिए। उद्योग की मषीन बेचने के लिए फर्जी फर्म बन चुकी हैं जो कागजो पर काम करती हैं, वैसे तो फर्म का कोई अस्तित्व नहीं हैं। मषीन का पैसा तो फर्जी फर्म के खाते में जमा हो जाता हैं जिसे दलाल और बैंक अधिकारी आपस में बाट लेते हैं।
बैतूल में मोटर यान की बाॅडी बनाने के लिए एक बेरोजगार युवक सतीष दवंडे पिता भगवंत राव दवंडे निवासी, ग्राम कोसमी खखरा जामठी पो0 टेमनी, तह0 जिला बैतूल ऋण के लिए उद्योग विभाग में आवेदन करता हैं और वह उद्योग विभाग एवं बैंक के नियुक्त दलालों के चक्रव्यूह में फंस जाता हैं। बैंक से ऋण तो मिलता नही हैं बल्कि बेरोजगार उल्टा बरर्बाद हो जाता हैं। प्रधान मंत्री रोजगार योजना में ऋण देने के लिए बैंक अधिकारी किस कदर बेरोजगार को परेषान करते हैं, इसकी दर्दनाक कहानी सरकारी बैंको की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाती हैं।
बैंक ऑफ इंडिया शाखा बैतूल का ऋण खाता क्र0 958277710000032 को देखने से ही भ्रष्टाचार का पता चलता हैं। बैंक के प्रबंधक ने इस खाते की अधी राषि को पहले तो फिक्स डिपाजिट के नाम पर खाता क्र 958210310000356 बचत खाते में जमा कर दी जिसे ब्लाक करके रखा गया और आधीराषि का डिमांड ड्राप्ट बनाकर बैंक ऋण दलाल की कागजी फर्म के नाम पर बना कर दे दिया। सांई इन्टरप्राईजेस बैतूल फर्म का कोई कारोबार तो था नहीं इसलिए वह किसी प्रकार की उद्योग में प्रयुक्त मषीन की सप्लाई तो कर नहीं सकती थी। बैंक का दलाल राजेष यादव और बैंक मैनेजर पंकज चैकसे ने पैसा हजम कर लिया हैं। स्थानंतरण के पहले बैंक अधिकारी ने बचत खाते की राषि को ऋण खाते में जमा कर दी। इस कार्यवाही में बेरोजगार व्यक्ति के पास केवल 01 लाख रूपए आए हैं और 5 लाख रूपए उद्योग के शैड निर्माण की दूसरी किष्त मिली हैं।
बैंक मैनेजर का स्थनांतकरण हो जाने के बाद दूसरा मैनेजार आ गया हैं जो कि शेष ऋण जारी करने के लिए पहले मषीन देखना चाहता हैं। वैसे तो प्रधान मंत्री रोजगार योजना में संपत्ति बंधक रखने की आवष्यकता नहीं हैं लेकिन बैंक अधिकारी ने संपत्ति बंधक के कागजात तैयार करवा लिए हैं। अब जब ऋण देने का समय आया हैं तब कह रहे हैं कि आपके द्वारा पूर्व में दिए गए ऋण का दुरूपयांेग किया गया हैं इसलिए आगे ऋण जारी नहीं किया जा सकता हैं। आगे कि किष्त चाहिए तो पूर्व मैनेजर से बात करने के लिए कहा जा रहा हैं।
एक बेरोजगार व्यक्ति को बैंक ने कर्जदार बना दिया हैं। बैंक अधिकारी ने 20 लाख ऋण देने के ऐवज में 2 लाख 50 हजार रूपए अवैध वसूल लिए हैं। अब नया बैंक मैनेजर आगे कोई काम नहीं करना चाहता हैं बल्कि बेरोजगार व्यक्ति पर ही अपराध दर्ज करवाने की बात कर रहा हैं। बैंक मैनेजर तो काली कमाई करके निकल गया हैं।
अब सवाल यह हैं कि उद्योग के निर्माण में बेरोजगार युवक अपना सब कुछ लगा चुका हैं। मषीन और विद्युत की अभाव में इकाई चालू नहीं हो पा रहीें हैं। बैतूल जिले में यह कोई अकेला मामला नहीं हैं, जितने बेरोजगार उद्योग विभाग में ऋण राषि के लिए जाते हैं तो प्रकरण को स्वीकृत दलाल करवाते हैं, बैंक से ऋण राषि दलाल ही दिलवाते हैं। बेरोजगारों का रोजगार तो प्रारंभ नहीं हो पाता हैं बल्कि बैंक अधिकारी और दलाल मालामाल हो रहे हैं।