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Monday, February 18, 2019

आखिरकार आरबीआई को देने पड़े 28,000 करोड़ रुपये, लंबे समय से दबाव बना रही थी मोदी सरकार

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TOC NEWS @ www.tocnews.org

भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को अंतरिम लाभांश के रूप में केंद्र सरकार को 28,000 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है। यह फैसला आरबीआई की केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक में लिया गया।

आरबीआई द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि सीमित ऑडिट और वर्तमान आर्थिक पूंजी की समीक्षा के बाद निदेशक मंडल ने 31 दिसंबर, 2018 को समाप्त छमाही अवधि के अंतरिम अधिशेष के रूप में केंद्र सरकार को 280 अरब रुपये हस्तांतरित करने का फैसला किया है।

बता दें कि यह लगातार दूसरा साल है, जब आरबीआई ने अंतरिम अधिशेष के रूप में सरकार को बड़ी रकम हस्तांतरित किया। बता दें कि पिछले लंबे समय से सरकार द्वारा आरबीआई पर अंतरिम लाभांश हस्तांतरित करने का दबाव बनाए जाने की खबरें आ रही थीं। खबरों के अनुसार, वित्त मंत्रालय आरबीआई से अंतरिम लाभांश के रूप में 28,000 करोड़ रुपये की मांग कर रहा था। इसी मुद्दे को लेकर बजट के बाद आरबीआई निदेशक मंडल की अध्यक्षता करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले चार साल में सरकार की ओर से किए गए सुधारों और नीतिगत उपायों और उसके प्रभावों को रेखांकित किया।

इससे पहले आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा था कि इस मुद्दे पर फैसला अभी तक लिया नहीं गया है और एक समिति इस मामले को देख रही है। उन्होंने कहा, " फैसला हो जाता है, तो इसकी जानकारी दे दी जाएगी। मैं इस मामले पर पहले से अनुमान नहीं लगा सकता. समिति की बैठक में अंतरिम लाभांश पर फैसला होगा।" आरबीआई इस वित्त वर्ष में अब तक सरकार को 40,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दे चुकी है। अब और 28,000 करोड़ रुपये अंतरिम लाभांश के रूप में देने के बाद चालू वित्त वर्ष में सरकार को आरबीआई से कुल 68,000 करोड़ रुपये मिल जाएंगे।

Sunday, February 17, 2019

UPI के जरिये धोखाधड़ी को लेकर आरबीआई ने बैंकों को जारी किया अलर्ट

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TOC NEWS @ www.tocnews.org
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को एक नए तरह की बैंक धोखाधड़ी के बारे में चेतावनी दी है, जिसमें यूपीआई के जरिये ग्राहकों के बैंक खातों से पैसे उड़ाए जा सकते हैं। जालसाज बेहद आसान तरीके फर्जीवाड़े को अंजाम दे सकते हैं।
इस तरीके में जालसाज पीडि़त को एक ऐप एनीडेस्क डाउनलोड करने के लिए भेजता है। इसके बाद हैकर्स पीडि़त के मोबाइल पर आए नौ डिजिट कोड के जरिये उसके फोन को रिमोट पर ले लेता है। आरबीआई ने अडवाइजरी में कहा, जैसे ही जालसाज इस ऐप कोड को अपने मोबाइल फोन में डालता है, वह पीडि़त से कुछ परमिशन मांगता है, जैसा कि अन्य ऐप को डाउनलोड करने के बाद होता है।
इससे जालसाज की पीडि़त के मोबाइल फोन तक पहुंच बन जाती है और वह गलत तरीके से ट्रांजैक्शंस को अंजाम देता है। आरबीआई के मुताबिक, फर्जीवाड़े के इस तरीके का इस्तेमाल यूपीआई या वॉलेट जैसे पेमेंट से संबंधित किसी भी मोबाइल बैंकिंग ऐप के जरिये ट्रांजैक्शंस के लिए किया जा सकता है।
मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने तमाम कॉमर्शल बैंकों को अडवाइजरी भेजी है, क्योंकि इससे खुदरा ग्राहकों के खातों में जमा हजारों करोड़ रुपये की रकम को खतरा पैदा हो गया है।

Thursday, February 7, 2019

अब चिटफंड में नहीं फंसेगा आपका पैसा, मोदी सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला

अब चिटफंड में नहीं फंसेगा आपका पैसा, मोदी सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला के लिए इमेज परिणाम
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और केंद्र सरकार के बीच शारदा चिट फंड घोटाले पर छिड़े सियासी संग्राम के बीच मोदी कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया. इस फैसले के लागू होने के बाद अब चिटफंड स्कीम में अगर आप पैसा लगाते हैं, तो वो डूबेगा नहीं. 
चिट फंड (पोंजी) स्कीम पर लगाम लगाने के मकसद से कैबिनेट ने अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स पर प्रतिबंध बिल, 2018 में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत सभी गैर पंजीकृत डिपॉजिट स्कीम अवैध मानी जाएगी. इसका संचालन करने वाले की संपत्ति जब्त करने के कड़े प्रावधान किए गए हैं.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए ये बातें कही. उन्होंने कहा, 'इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जो भी डिपॉजिट स्कीम रेगुलेटेड नहीं है, वो अवैध है.' केंद्रीय मंत्री ने बताया, 'अब कोई भी चिट फंड स्कीम नहीं चला सकेगा. ऐसा करने वाले की संपत्ति बेच कर लोगों का पैसा वापस दिया जाएगा.'
'मनी कंट्रोल' खबर के मुताबिक, रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'इस बिल के तहत अगर कोई व्यक्ति ऐसी स्कीम का विज्ञापन जारी करता है, लोगों को आकर्षित करने के लिए किसी बड़ी हस्ती को ब्रांड एम्बेसेडर बनाता है तब भी कार्रवाई होगी.'
उल्लेखनीय है कि साल 2015 से 2018 तक सीबीआई ने चिंट फंड के मामले में कुल 166 केस दर्ज किए हैं. इसमें सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल और ओडिशा में सामने आए हैं.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'पश्चिम बंगाल का जो मामला इन दिनों चर्चा में है वह मामला बीजेपी के सरकार में आने से पहले का है. इस तरह की डिपॉजिट स्कीम का सबसे ज्यादा प्रभाव चार राज्यों के छोटे पूंजी निवेशकों पर पड़ा, जिसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम प्रमुख हैं. यहां चिटफंड स्कीम शुरू करने वाली कंपनियों का ऑनलाइन डेटा बेस बनाया जाएगा, ताकि चीजें रिकॉर्ड में आए.'
वर्तमान में 9 रेगुलेटर विभिन्न डिपॉजिट स्कीम की निगरानी और करते हैं. जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी), कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय और राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें शामिल हैं. सभी डिपॉजिट टेकिंग स्कीम्स को संबंधित रेगुलेटर के पास रजिस्टर किया जाता है. अगर कोई डिपॉजिट टेकिंग स्कीम बिल में लिस्टेड रेगुलेटरों के पास रजिस्टर नहीं की गई है तो उसे अनरेगुलेटेड माना जाता है.

Friday, February 1, 2019

8 लाख कमाने वाले को चुकाना होगा कितना इनकम टैक्स ?

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वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में मोदी सरकार का अंतरिम बजट पेश कर दिया है. सरकार ने इस बजट में कई बड़े तोहफे दिए हैं जिनमें से एक 5 लाख तक सालाना कमाई वाले लोगों को इनकम टैक्स में मिली छूट भी है. हालांकि 5 लाख से अधिक आय वाले लोगों के लिए अब भी पहले से लागू टैक्स व्यवस्था कायम है. बीते दिनों संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के गरीब जिनकी आय सालाना 8 लाख रुपए से ज़्यादा न हो, को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण दिया गया है.
10 फ़ीसदी आरक्षण लागू होने के दौरान ही लगातार 8 लाख रुपये आमदनी यानी करीब 66 हज़ार रुपए महीना वाले गरीब को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे थे. सवाल किया जा रहा था कि अगर आयकर की छूट सिर्फ ढाई लाख तक है तो 8 लाख कमाने वाले को गरीब कैसे कहा जा सकता है. आइए जानते हैं कि सामान्य वर्ग के आरक्षण का लाभ लेने के योग्य लोगों को नई टैक्स छूट सीमा के मुताबिक कितना इनकम टैक्स चुकाना होगा ?

कितना टैक्स चुकाएंगे ?

टैक्स एक्सपर्ट सौरभ के मुताबिक सामान्य वर्ग के आरक्षण योग्य लोगों को कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा। गौरतलब है कि 5 लाख तक तो वैसे ही टैक्स फ्री कर दिया गया है. इसके आलावा सरकार ने बजट इस में स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी 40 हज़ार से बढ़ाकर 50 हज़ार रुपये कर दिया है.

धारा 80सी के तहत आने वाले निवेश जिनमें प्रोविडेंट फंड और एलआईसी शामिल है के लिए अतिरिक्त डेढ़ लाख रुपये तक की छूट मिलती है. इसके आलावा आप चाहे तो नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश के जरिए भी धारा 80CCD(1b) के तहत 50,000 रुपए की टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं.

इन दोनों के अलावा सेक्‍शन 80डी के तहत 25 हज़ार रुपये तक के मेडिकल ख़र्च पर टैक्‍स छूट और राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम का इस्तेमाल कर भी 25 हज़ार रुपये तक की टैक्स छूट हासिल की जा सकती है.

टैक्स फ्री इनकम =                           5,00,000
स्टैंडर्ड डिडक्शन =                              50,000
80सी निवेश =                                1, 50,000
एनपीएस =                                         50,000
मेडिकल =                                          25,000
राजीव गांधी इक्विटी स्कीम =                 25,000

कुल =                                             8,00,000

इसका सीधा सा मतलब है कि सही इन्वेस्टमेंट से पूरे 8 लाख पर टैक्स छूट हासिल की जा सकती है. इसमें हाउसिंग लोन के लिए मिलने वाली दो लाख रुपए की छूट भी जोड़ ली जाए तो ये इनकम टैक्स छूट 10 लाख तक हो जाती है.

इनकम टैक्स में छूट, स्लैब नहीं बदला
मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में 5 लाख रुपये तक सालाना कमाई करने वाले नौकरीपेशा लोगों को टैक्स से पूरी तरह छूट देने का वादा किया है. हालांकि 5 लाख से ज़्यादा कमाई होने पर इनकम टैक्स के लिए 2.5 लाख वाला पुराना टैक्स स्लैब फॉर्मूला ही लागू रहेगा। सरकार के इस फैसले से पांच लाख से ऊपर आय वालों को 13 हजार रुपये का फायदा होगा. 5 लाख कमाई वाला एक आदमी करीब 12,500 रुपए बचा सकेगा, 4% सेस जोड़ दें तो ये बचत 13000 हो जाती है. बता दें कि 5 से 10 लाख आमदनी वालों के लिए अब भी 20% और 10 लाख से ज्यादा वालों के लिए 30% इनकम टैक्स लागू रहेगा। सरकार के इस ऐलान से 3 करोड़ मिडिल क्लास टैक्स पेयर को फायदा होने का अनुमान है.

2.40 लाख रुपये तक किराया से इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. पहले यह सीमा 1.80 लाख रुपये थी. वित्त वर्ष 2020 के लिए 40 हजार रुपये तक की ब्याज इनकम पर TDS नहीं देना होगा. पहले ब्याज पर इनकम टैक्स छूट की सीमा 10,000 रुपए थी. यह छूट पोस्ट ऑफिस और बैंक में पैसा जमा करने पर पर आपको मिलने वाले कुल ब्याज के लिए है. इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है. वित्त मंत्री ने बैंकों और डाक खाकघर की बचत योजनाओं पर मिलने वाले सालना 40000 रुपये तक के ब्याज को स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) से छूट दे दी है. अभी छूट 10000 रुपये तक के ब्याज पर थी. सरकार ने ग्रैच्युटी की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये करने की घोषणा की है.

Thursday, January 31, 2019

दुनिया का सबसे सस्ता 32 इंच का एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी हुआ लॉन्च, कीमत है मात्र 4,999


भारत इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का काफी बड़ा बाजार है तथा यहां हर महीने कई सारे इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद लॉन्च होते रहे हैं। इन उत्पादों में अगर टीवी की बात करें तो यहां Samsung और Xiaomi जैसी कंपनियों के टीवी काफी ज्यादा मात्रा में ग्राहकों द्वारा पसंद किए जाते हैं। 

यह कम्पनियां नार्मल टीवी के अलावा स्मार्टटीवी भी लॉन्च करती रहती हैं जिनमें ग्राहकों को एंड्राइड ओएस की सुविधा दी जाती है। इसकी मदद से ग्राहक एंड्राइड मोबाइल फोन की तरह ही टीवी में भी यूट्यूब तथा अन्य कंटेंट का लुफ्त उठा पाते हैं। इन कंपनियों के अलावा हाल ही में Samy Informatics कंपनी ने हाल ही में अपने दुनिया के सबसे सस्ते एंड्राइड टीवी को लॉन्च कर दिया है तो आईये जानते हैं इसके बारे में।

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इस टीवी का रेजोल्यूशन 1366x786 पिक्सल्स है तथा इसका आस्पेक्ट रेशियो 16:9 है। इसके साथ ही इस टीवी में 10 वाट के दो स्पीकर, डॉल्बी डिजिटल और 5 बैंड इक्विलाइजर बेहतर साउंड क्वालिटी के लिए दिया गया है। साथ ही इस टीवी में एंड्रॉयड ओएस का सपोर्ट किया गया है जिसकी मदद से इसमें एंड्रॉयड के सभी एप्लिकेशन का यूज कर सकते हैं। इसके अलावा कंपनी का कहना है कि इस टीवी में इस्तेमाल किए गए सभी उपकरण भारत में ही बनाए गए हैं तथा इस वजह से 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार का अवसर भी मिला है। इस कंपनी के निदेशक अविनाश मेहता ने जानकारी देते हुए कहा है कि वह लोगों को कम कीमत में एक बेहतरीन टीवी देना चाहते हैं और इसीलिए उन्होंने इस शानदार टीवी को लॉन्च किया है।

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उन्होंने कहा कि इस टीवी को मेक इन इंडिया तथा स्टार्टअप इंडिया के तहत पेश किया गया है तथा उन्होंने कहा कि वह सभी चाहते हैं कि सभी कंपनियां कम कीमत में अच्छे टीवी ग्राहकों को उपलब्ध कराएं। इस टीवी में 512 एमबी रैम के साथ 4GB की इंटरनल स्टोरेज दी गई है। साथ में यूट्यूब तथा फेसबुक एप्लीकेशन पहले से ही इंस्टॉल है। इस टीवी में कनेक्टिविटी के लिए दो एचडीएमआई पोर्ट तथा दो यूएसबी पोर्ट के साथ-साथ AV आउटपोर्ट तथा वीडियो इनपुट पोर्ट दिया गया है। इस टीवी की कीमत ₹4,999 है लेकिन इसमें जीएसटी इत्यादि को जोड़कर इस टीवी की कीमत ₹8000 के आसपास हो जाएगी।

Friday, January 18, 2019

रोजाना सुबह बासी मुंह गुड़ खाकर गर्म पानी पीने से, खत्म हो जाएंगें ये 3 रोग

रोजाना सुबह बासी मुंह गुड़ खाकर गर्म पानी पीने से, खत्म हो जाएंगें ये 3 रोगTOC NEWS @ www.tocnews.org

गुड़ आपने कभी ना कभी जरुर खाया होगा। गाँव देहात में लोग हमेशा गुड़ का सेवन करते है। जिस कारण से वहां के लोग हमेशा तन्दरुष्ट रहते है। गुड़ खाने के साथ-साथ व्यायाम किया जाए तो आप अपने शरीर को ताकतवर और मजबूत बना सकते है। गुड़ में ऐसे कई तत्व मौजूद होते है जिससे शरीर को काफी लाभ प्राप्त होता है।अगर आप नियमित रूप से गुड़ के साथ गर्म पानी का सेवन रोजाना सुबह खाली पेट करते है तो शरीर से ये 3 रोग जड़ से खत्म हो जाते है।

गुड़ के लाभकारी फायदे कुछ इस प्रकार से है:-

1) अगर आप खाली पेट रोजाना गुड़ और गुनगुने पानी का सेवन करेंगे तो आपका वजन भी कंट्रोल में रहेगा। यह आपके शरीर में जमी चर्बी को गलाने का भी काम करता है। अगर आपका वजन ज्यादा है और आप इसे कम करना चाहते हैं तो रोजाना इसका सेवन शुरू करें।

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2) अगर आप रोजाना खाली पेट गुड़ खाकर एक ग्लास गर्म पानी पीते है, पेट में गैस, एसिडिटी, पेट दर्द कब्ज इत्यादि समस्याए जड़ से खत्म हो जाती है, साथ ही यह सुबह पेट अच्छे से साफ ना होने की समस्या को भी दूर कर देता है।

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3) इसका सेवन खाली पेट करने से त्वचा और मांसपेशियां मजबूत और ताकतवर होती हैं। यह खून को भी साफ कर देता है। इतना ही नहीं, इसके सेवन से ब्लड सर्कुलेशन भी नार्मल बना रहता है जो दिल की बीमारियों से छुटकारा दिलाता है।

Monday, January 14, 2019

Paytm ग्राहकों को मिलेंगे 10 हजार रुपये! RBI के नए नियम जारी

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फ्रॉड होने पर Paytm ग्राहकों को मिलेंगे 10 हजार रुपये! RBI के नए नियम जारी

अगर आप Paytm, PhonePe या मोबिक्विक जैसे मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए RBI की इन नई गाइडलाइन्स को जानना बहुत जरूरी है. RBI ने लोगों को बैंकिंग फ्रॉड से बचाने के लिए ये नए नियम बनाएं हैं. नए नियमों के तहत यूजर्स को किसी भी फ्रॉड या अनधिकृत लेनदेन से बचाया जा सकेगा. RBI ने कहा है कि मोबाइल वॉलेट यूजर्स को क्रेडिट वे डेबिट कार्ड यूजर्स की तरह की सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी.

सभी मोबाइल वॉलेट कंपनियों को कहा गया है कि हर ट्रांजेक्शन अलर्ट मैसेज के साथ एक कॉन्टेक्ट नंबर भी उपलब्ध कराए जिसपर यूजर्स फ्रॉड केस को रिपोर्ट कर सकें. Paytm, PhonePe, Amazon Pay समेत अन्य कंपनियों यह सुनिश्चिक करें कि हर यूजर एसएमएस अलर्ट के लिए रजिस्टर है जिससे उसे हर ट्रांजेक्शन का एसएमएस, ईएमेल और नोटिफिकेशन भेजी जा सके. सभी मोबाइल वॉलेट कंपनियों को 24/7 कस्टमर केयर हेल्पलाइन सेटअप करनी होगी जिससे यूजर्स किसी भी फ्रॉड या चोरी की रिपोर्ट कर सकें. अगर यूजर किसी फ्रॉड ट्रांजेक्शन के लिए रिपोर्ट नहीं भी करता है तो भी मोबाइल वॉलेट कंपनी को रिफंड देना होगा. अगर किसी फ्रॉड ट्रांजेक्शन की जानकारी 4 से 7 दिन के भीतर कर दी जाती है तो कंपनी द्वारा यूजर को ट्रांजेक्शन वैल्यू या 10,000 रुपये (जो भी कम हो) वापस देनी होगी. RBI ने मोबाइल वॉलेट यूजर्स को क्रेडिट वे डेबिट कार्ड यूजर्स की तरह की सुरक्षा मुहैया कराई जाने की भी बात कही है. अगर किसी यूजर को किसी भी मोबाइल वॉलेट के जरिए किसी भी तरह के फ्रॉड/लापरवाही/कमी का सामना करना पड़ता है तो 3 दिनों के भीतर रिपोर्ट करने पर कंपनी को पूरी राशि वापस करनी होगी. अगर कोई फ्रॉड 7 दिन के बाद रिपोर्ट किया जाता है तो RBI द्वारा निर्धारित की गई मोबाइल वॉलेट कंपनी की पॉलिसी के आधार पर ही रिफंड दिया जाएगा. सभी रिफंड केस कंपनी द्वारा रिपोर्ट किए जाने के 10 दिन के भीतर सुलझाए जाने चाहिए. सभी शिकायतों या विवादों को 90 दिनों के भीतर हल करने करना होगा, भले ही गलती किसकी हो.
अगर शिकायत 90 दिन के अंदर हल नहीं की जाती है तो कंपनी यूजर को पूरा पैसा रिफंड करेगी. जिन यूजर्स का KYC वेरिफिकेशन नहीं हुआ है उनके मोबाइल वॉलेट्स फरवरी 2019 के बाद काम करना बंद कर देंगे. विशेषज्ञों का अनुमान है कि देश में 95 फीसद से अधिक मोबाइल वॉलेट मार्च में इसी के चलते बंद हो सकते हैं.

Saturday, January 5, 2019

पीएनबी घोटाला : ईडी ने चोकसी की थाईलैंड फैक्टरी को कुर्क किया, 1314 करोड़ रुपये है कीमत

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि समूह की थाईलैंड में स्थित 1314 करोड़ रुपये कीमत की एक फैक्टरी को कुर्क कर लिया है। यह कुर्की दो अरब डॉलर के कथित पीएनबी धोखाधड़ी मामले में की गई है। 
एजेंसी ने कहा कि उसने धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत एब्बेक्रेस्ट (थाईलैंड) लिमिटेड के स्वामित्व वाली फैक्टरी की कुर्की के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया है। यह कंपनी गीताजंलि समूह की एक कंपनी है।  
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एब्बेक्रेस्ट लिमिटेड भी गारंत्री पत्रों का लाभार्थी था
ईडी ने बताया कि पीएमएलए के तहत जांच से पता चला कि एब्बेक्रेस्ट (थाईलैंड) लिमिटेड 92.3 करोड़ रुपये तक के उन गारंटी पत्रों (एलओयू) का लाभार्थी था जो पीएनबी की ओर से फर्जी एवं अनधिकृत तरीके से जारी किए गए थे।  प्रवर्तन निदेशालय इस मामले की जांच पीएमएलए के तहत कर रहा है। 
अब तक 4765 करोड़ रुपये की जब्ती
अधिकारियों ने बताया कि ईडी जांचकर्ता विदेश की इस संपत्ति की कुर्की की कानूनी औपचारिकता के लिए बहुत जल्द लेटर्स रोगेटरीज (न्यायिक आग्रह) प्राप्त कर लेंगे। ईडी ने कहा कि इस कुर्की के साथ पीएनबी घोटाले में की गई कुर्की व जब्ती करीब 4,765 करोड़ रुपये तक की हो गई है। आगे की जांच जारी है। 

Thursday, January 3, 2019

नेस्ले ने सुप्रीम कोर्ट में किया स्वीकार, मैगी नूडल्स में सीसा था


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वैश्विक फूड और बेवरेज कंपनी नेस्ले इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में यह स्वीकार कर लिया है कि उसके सबसे लोकप्रिय एफएमसीजी उत्पाद मैगी में लेड की मात्रा थी। मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट इस बात को स्वीकार किया।
कोर्ट में मामले की चल रही सुनवाई के दौरान कंपनी के वकीलों की इस स्वीकारोक्ति से सरकार बनाम नेस्ले की लड़ाई एक बार फिर जोर पकड़ती नजर आएगी। कोर्ट ने मैगी में लेड की मात्रा को लेकर एनसीडीआरसी द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर सुनवाई की।
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य सुरक्षा के मानदंडों को पूरा न कर पाने पर पिछले साल 550 टन मैगी को नष्ट कर दिया गया था। इसके अलावा, सरकार ने मुआवजे के तौर पर 640 करोड़ रुपये की भी मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट के जज ने नेस्ले के वकील से कहा उन्हें लेड की मौजूदगी वाला नूडल क्यों खाना चाहिए? उन्होंने पहले तर्क दिया था कि मैगी में लेड की मात्रा परमीसिबल सीमा के अंदर थी, जबकि अब स्वीकार कर रहे हैं कि मैगी में लेड था।
ये है पूरा मामलासन 2015 में मैगी में लेड की मात्रा 17.2 पीपीएम पाई गई जबकि यह 0.01 से 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मैगी के सैंपल लिए और इसकी जांच कराई तो मैगी में लेड की मात्रा तय सीमा से ज्यादा मिली।
इस मामले के बाद देश के कई राज्यों ने अपने यहां पर मैगी की ब्रिकी रोक दी। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भी मैगी के सभी वर्जंस को असुरक्षित बताते हुए कंपनी को इसके प्रॉडक्‍शन एवं बिक्री पर रोक लगा दी। एफएसएसएआई ने उस समय कहा था कि नेस्‍ले ने अपने उत्‍पाद पर मंजूरी लिए बिना और जोखिम-सुरक्षा आंकलन को मैगी ओट्स मसाला नूडल्‍स मार्केट में उतार दिया था जो कि कानूनी रूप से पूरी तरह अवैध है।
फूड सेफ्टी के नियमों के मुताबिक, अगर प्रोडक्ट में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) का इस्तेमाल किया गया है तो पैकेट पर इसका जिक्र करना अनिवार्य है। एमएसजी से मुंह, सिर या गर्दन में जलन, स्किन एलर्जी, हाथ-पैर में कमजोरी, सिरदर्द और पेट की तकलीफें हो सकती हैं।

Saturday, December 22, 2018

सरकार ने 33 वस्तुओं पर घटाई GST की दर, जानें क्या-क्या हुआ सस्ता

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दिल्ली । केंद्र सरकार ने आम जनता को राहत देते हुए रोजमर्रा की 33 वस्तुओं पर से वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दरों को घटा दिया है. जीएसटी काउंसिल (GST Council) की शनिवार को दिल्ली में हुई बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन राहतों का एलान किया.
वित्त मंत्री ने बैठक में हुए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि टेलीविजन स्क्रीन, मॉनीटर, टायर, लिथियम-आयन बैट्री वाले पावर बैंक्स जैसी चीजों पर से सरकार ने टैक्स की दरें घटा दी हैं. इन चीजों पर अब 28 की जगह सिर्फ 18 प्रतिशत GST लगेगा. उन्होंने बताया कि सिनेमा के टिकटों पर भी GST की दरें घटाई गई हैं. 100 रुपए तक वाले सिनेमा के टिकट पर अब जहां 12 प्रतिशत टैक्स लगेगा, वहीं इससे ऊपर की टिकटों के लिए भी लोगों को अब 28 प्रतिशत की जगह 18 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा.
इससे पहले जीएसटी काउंसिल की बैठक में हुए फैसलों के बारे में पुडेचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि रोजमर्रा के कामकाज में इस्तेमाल होने वाली 33 चीजों पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत और 5 प्रतिशत कर दी गई है. नारायणसामी ने कहा कांग्रेस की मांग थी कि लग्जरी उत्पादों को छोड़कर अन्य सभी प्रोडक्ट पर जीएसटी की दर कम करके 18 प्रतिशत और उससे नीचे की जाए. सरकार इससे सहमत भी है. सिर्फ 34 उत्पादों को छोड़कर बाकी सभी को 18 या उससे कम की GST दर में रखा गया है.
आपको बता दें कि अभी तक 39 वस्तुओं पर 28 फीसदी टैक्स लगता था, जिसे अब घटाकर 34 कर दिया गया है, यानि 5 अन्य उत्पादों को 28 फीसद की अधिकतम GST दर से बाहर किया गया है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 1,200 से अधिक वस्तुओं और सेवाओं में से 99 प्रतिशत पर 18 प्रतिशत या उससे कम जीएसटी लगेगा. एक अधिकारी ने कहा था कि वाहन के टायरों पर 28 प्रतिशत जीएसटी से आम आदमी प्रभावित हो रहा है. ऐसे में जीएसटी परिषद का मुख्य ध्यान आम आदमी पर जीएसटी का बोझ कम करने पर रहा.
GST काउंसिल की बैठक की मुख्य बातें
– बैंकों द्वारा प्राथमिक बचत खातों, प्रधानमंत्री जनधन योजना के खातों पर दी जाने वाली सेवाओं को जीएसटी से मुक्त किया गया है.
– जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की नयी प्रणाली एक जनवरी 2019 से लागू होगी.
– जीएसटी काउंसिल ने 23 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कमी की है, इससे राजस्व पर 5,500 करोड़ रुपए का प्रभाव पड़ेगा.
– सिनेमा के 100 रुपए तक के टिकट पर अब 18 प्रतिशत की बजाय 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. वहीं 100 रुपए से ऊपर के टिकट पर 28 प्रतिशत की बजाय 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ेगा.
– वित्त मंत्री ने कहा- 28 प्रतिशत GST स्लैब में अब सिर्फ 28 आइटम बचे हैं, जिनमें सीमेंट और लग्जरी चीजें शामिल हैं.
– रियल एस्टेट में GST की दरें लागू करने को लेकर सरकार की एक कानूनी समिति अध्ययन करेगी, जिस पर जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में विचार किया जाएगा.

Wednesday, December 12, 2018

देश के आम आदमी का काम डालने वाले और नोटबंदी में अहम भूमिका निभाने वाले शक्तिकांत दास बने नए आरबीआई गवर्नर

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वर्तमान में वित्त आयोग के सदस्य शक्तिकांत दास आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव और उर्वरक सचिव रह चुके हैं.
नई दिल्ली: सोमवार को उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में गतिविधियों को सामान्य बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले 1980 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी शक्तिकांत दास को भारतीय रिज़र्व बैंक का गवर्नर चुना है. 61 वर्षीय शक्तिकांत दास का कार्यकाल तीन साल का होगा.
दास वित्त सचिव रहे हैं और वर्तमान में 15वें वित्त आयोग के सदस्य हैं. पटेल के इस्तीफे के बाद कयासों में नए गवर्नर के तौर पर शक्तिकांत दास का नाम सबसे आगे चल रहा था. आरबीआई प्रमुख के पद पर पांच साल के बाद फिर से एक आईएएस अधिकारी (सेवानिवृत्त) नियुक्त किया गया है. इससे पहले रघुराम राजन, तीन साल और उर्जित पटेल दो साल इस पद पर रहे हैं. ये दोनों अर्थशास्त्री हैं.
पहले यह माना जा रहा था कि सरकार रिजर्व बैंक के भीतर से ही किसी को संस्थान का प्रमुख चुनेगी लेकिन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने एक दिन के भीतर ही रिजर्व बैंक के गवर्नर के लिये दास को चुना।
नवंबर 2016 में नोटबंदी के दौरान दास ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी. वित्त सचिव एएन झा ने उनकी नियुक्ति पर कहा कि दास का राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार में व्यापक अनुभव रहा है. 26 फरवरी 1957 को जन्मे शक्तिकांत दास ने इतिहास में एमए किया है और तमिलनाडु काडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह मई 2017 में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग से सेवानिवृत हुये.
नोटबंदी के समय अर्थव्यवस्था में नये नोट पहुंचाने का काम उन्होंने बखूबी निभाया. नवंबर 2016 की रात अचानक 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद करने के बाद आर्थिक तंत्र की 86 प्रतिशत मुद्रा को एक झटके में वापस ले लिया गया. इससे आर्थिक गतिविधियों को संभालने का काम काफी अहम था.
वित्त मंत्रालय से सेवानिवृति के बाद दास को जी-20 में भारत का शेरपा बनाया गया. इसके साथ ही उन्हें 15वें वित्त आयोग का सदस्य भी बनाया गया. उन्होंने भारत के आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव और उर्वरक सचिव के बतौर भी काम किया है. केंद्रीय आर्थिक मामलों के सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, शक्तिकांत दास को भारत के सबसे शक्तिशाली लोगों में से एक माना जाता था.
दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़े दास को केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राजग सरकार बनने के साथ ही वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग का कार्यभार सौंपा गया. इसके बाद उन्हें आर्थिक मामले विभाग में स्थानांतरित किया गया. वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के कामकाज में रिजर्व बैंक और मौद्रिक नीति की देखरेख भी आती है. रिजर्व बैंक गवर्नर का पद ज्यादातर नौकरशाहों के पास ही रहा है.
केंद्र की भाजपा सरकार ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को दूसरा कार्यकाल नहीं दिया. उनके जाने के बाद अर्थशास्त्री उर्जित पटेल को केंद्रीय बैंक का प्रमुख बनाया. लेकिन उर्जित पटेल के इस्तीफा देने के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर का पद एक बार फिर से एक (सेवानिवृत्त) सरकारी अधिकारी के पास चला गया है.

Tuesday, December 11, 2018

उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद शक्तिकांत दास बने आरबीआई के नए गवर्नर

उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद शक्तिकांत दास बने आरबीआई के नए गवर्नर के लिए इमेज परिणाम
शक्तिकांत दास बने आरबीआई के नए गवर्नर
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उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को उसका नया गवर्नर मिल गया है। वित्त आयोग के सदस्य शक्तिकांत दास को आरबीआई का 25वां गवर्नर बनाया गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद पर उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। शक्तिकांत दास इससे पहले आर्थिक मामलों के सचिव के पद पर भी अपने सेवाएं दे चुके हैं। पिछले
नई दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से मास्टर्स डिग्री लेने वाले शक्तिकांत दास भारत सरकार के वित्त मंत्रालय और डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर के जॉइंट सेक्रटरी, तमिलनाड़ु सरकार के स्पेशल कमिश्नर और रेवेन्यू कमिश्नर, इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के सेक्रटरी के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है।
बता दें कि बीते साल हुए नोटबंदी के फैसले लेने में भी शक्तिकांत दास की महत्वपूर्ण भूमिका थी। सरकार की तरफ से लिए गए इस फैसले का ड्राफ्ट बनाने वालों में दास भी शामिल थे।
उर्जित ने एक दिन पहले ही छोड़ा पद
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता सहित कई मुद्दों पर केंद्र सरकार के साथ मतभेद के बाद रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर उर्जित पटेल ने सोमवार शाम अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। हालांकि, उन्होंने इसके पीछे व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया।

Thursday, December 6, 2018

रिजेक्ट हो जाता है आपका लोन, ऐसे सुधार सकते हैं अपना Credit Score

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Credit Score
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अशोक कुमार मुन्ना (टैक्स एक्सपर्ट ) नई दिल्ली
लोन लेने के इच्छुक लोगों के लिए ‘क्रेडिट स्कोर’ कोई अनजाना शब्द नहीं है. उन्‍हें इस बात की चिंता बनी रहती है कि कहीं खराब क्रेडिट स्कोर की वजह से उनका एप्लिकेशन रिजेक्ट न हो जाए. क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (सिबिल), जिसे आम बोलचाल में क्रेडिट ब्यूरो भी कहा जाता है,
लोगों और संस्थाओं के कर्ज व क्रेडिट कार्ड के भुगतान से संबंधित आंकड़ों का संग्रह करती है. ये आंकड़े इसे बैंक और अन्य ऋणदाता मासिक आधार पर उपलब्ध कराते हैं. कंपनी इन्हीं आंकड़ों के आधार पर इनकी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (सीआईआर) और क्रेडिट स्कोर तय करती है.
क्या है क्रेडिट स्कोर का उपयोग
बैंकों और अन्य ऋणदाताओं की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर सिविल लोगों की क्रेडिटवर्दिनेस (ऋणपात्रता) से संबंधित क्रेडिट स्कोर तय किया जाता है. इस स्कोर के आधार पर बैंक और अन्य लेंडर (ऋणदाता) लोगों के लोन एप्लिकेशंस (ऋण आवेदनों) का मूल्यांकन करते हैं. दरअसल, किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर उसके कर्जदाता के लिए पहले प्रभाव के रूप में काम करता है. किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर जितना अधिक होता है, उसके कर्ज स्वीकृत होने की संभावनाएं उतनी ही अधिक होती हैं.
किन बातों से प्रभावित होता है क्रेडिट स्कोर
किसी व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर को कई बातें प्रभावित करती हैं. आपके क्रेडिट कार्ड के मौजूदा बैलेंस में लगातार बढ़ोत्‍तरी का आपके क्रेडिट स्कोर पर निगेटिव इम्पैक्ट (नकारात्मक प्रभाव) पड़ता है. इसके अतिरिक्त यदि आप अपनी ईएमआई देने में बार-बार चूक जा रहे हैं और कर्ज की अदायगी में आपसे लगातार देरी हो रही है, तो भी आपके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ेगा. यही नहीं, अगर आपने कम अवधि में ही कई कर्ज ले लिए हैं तो इस बात का भी गलत असर आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ सकता है, क्योंकि इससे यह पता चलता है कि आपके ऊपर मौजूदा कर्ज का भार बढ़ गया है.
कैसे सुधारें क्रेडिट स्कोर
भले ही आपका क्रेडिट स्कोर तय करना सिबिल के हाथ में हो, लेकिन इसे सुधारना आपके हाथ में है. इसके लिए जरूरी हैं कुछ बातें. यदि आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अपने ड्यू बैलेंस को हमेशा कम रखें. इसके अलावा आप अपने कर्जों की सभी किस्तों की समय से अदायगी करते रहें. यदि आपने कई कर्ज ले रखे हैं तो यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इसमें सुरक्षित (सिक्योर्ड) और असुरक्षित (अनसिक्योर्ड) कर्जों का अनुपात ठीक रहे.
आपके लोन पोर्टफोलियो में असुरक्षित कर्ज अधिक न हों, तो बेहतर होगा. इसके अतिरिक्त, कर्ज के लिए अधिक आवेदन नहीं करना एक अच्छी रणनीति हो सकती है. साथ ही यह भी याद रखें कि आपके साथ विभिन्न कर्जों में जो सहआवेदनकर्ता हैं, उनके द्वारा भुगतान में कोई गलती नहीं होनी चाहिए, इसलिए उनके खातों के ऊपर भी एक नजर रखना जरूरी है.
मुझे आशा है कि आपको मेरा आर्टिकल पसंद आता होगा,अगर आप को कोई भी उलझन हुई हो तो,आप हमें फॉलो & कमेंट करे

Wednesday, December 5, 2018

पैसे जमा करने एवं निकालने के नियमो में SBI ने कर दिए हैं बदलाव, जान लीजिए नहीं तो हो सकती है दिक्कत

भारतीय स्टेट बैंक पैसे जमा करने एवं निकालने के लिए इमेज परिणाम
भारतीय स्टेट बैंक ने हाल ही में कैश निकालने एवं जमा करने से संबंधित नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। अगर आप स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहक हैं तो आपके लिए ये नियम जानना बेहद जरूरी है।
हम आपके लिए जो बदले हुए नियम है उससे संबंधित जानकारी लेकर आएं हैं। तो अगर आपके पास भी एसबीआई का अकाउंट है तो यह नियम जरूर पढ़ें और अपने आप को अपडेट कर लें।
1. एक दिन में ATM से पैसा निकालने का नियम
SBI ने ATM से रोजाना पैसे निकालने की सीमा (लिमिट) को 40,000 रुपये से घटाकर 20,000 रुपये कर दिया है। ATM से पैसे निकालने की नई लिमिट 31 अक्टूबर को लागू हुई थी। हालांकि प्लेटिनम कार्ड वाले ग्राहक एक दिन में एक लाख रुपये तक का कैश निकाल सकते है।
2. किसी भी ब्रांच में कर सकते हैं पैसे जमा
SBI ग्राहक अब देश की किसी भी ब्रांच में जाकर अपने सेविंग अकाउंट में जितना चाहे पैसा जमा कर सकते हैं। अभी तक यह लिमिट 30,000 रुपये प्रतिदिन की थी। इसके अलावा करंट अकाउंट खाता धारक वाले ग्राहक प्रति दिन 2 लाख रुपये तक अपने करंट अकाउंट में जमा कर सकेंगे।
3. कैश जमा नहीं कर सकता कोई दूसरा
एसबीआई ने फैसला लिया है कि किसी के खाते में कोई दूसरा शख्स पैसे नहीं जमा करा पाएगा। यानी अगर व्यक्ति 'A' का एसबीआई में बैंक खाता है तो केवल वही कैश काउंटर पर जाकर पैसे जमा करा पाएगा। यहां तक कि कोई पिता भी अपने बेटे के SBI खाते में पैसे नहीं जमा करा पाएगा।
4. करें अनलिमिटेड फ्री ट्रांज़ैक्शन
अब आप एसबीआई खाते में एक न्‍यूनतम बैलेंस हर महीने बरकरार रखकर ATM से अनलिमिटेड फ्री ट्रांजैक्‍शन कर सकते हैं।

Tuesday, December 4, 2018

नरसिंहपुर जिले में 32 उपार्जन केन्द्रों पर धान की खरीदी धान की खरीदी 15 नवम्बर से 15 जनवरी तक

 कलेक्टर अभय वर्मा डीएम _ ANI NEWS INDIA

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जिला ब्यूरो चीफजिला नरसिंहपुर // अरुण श्रीवास्तव : 91316 56179
नरसिंहपुर, 04 दिसम्बर 2018. राज्य शासन के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के निर्देशानुसार नरसिंहपुर जिले में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी सहकारी समितियों द्वारा पंजीकृत किसानों से 15 नवम्बर 2018 से 15 जनवरी 2019 तक की जायेगी। खरीफ विपणन वर्ष 2018- 19 में कलेक्टर अभय वर्मा ने जिले में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिए 32 उपार्जन केन्द्र निर्धारित किये हैं। 
समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी उपार्जन केन्द्र वृहताकार सहकारी संस्था करेली के लिए कृषि उपज मंडी करेली में, सेवा सहकारी समिति सहावन के लिए समिति परिसर इमलिया- पिपरिया में, सेवा सहकारी संस्था आड़ेगांव के लिए समिति परिसर आड़ेगांव में, सेवा सहकारी संस्था तूमड़ा के लिए समिति परिसर तूमड़ा में, सेवा सहकारी समिति सहावन के लिए समिति परिसर सहावन में, सेवा सहकारी संस्था तूमड़ा के लिए बहुउद्देशीय केन्द्र रम्पुरा में, सेवा सहकारी समिति सडूमर के लिए मंडी परिसर गाडरवारा में, सेवा सहकारी समिति खेरूआ के लिए समिति परिसर अमाड़ा में, सेवा सहकारी संस्था चीचली के लिए समिति परिसर चीचली में, 
सेवा सहकारी समिति खेरूआ के लिए समिति परिसर खेरूआ में, सेवा सहकारी संस्था कौंड़िया के लिए समिति परिसर कौंड़िया में, सेवा सहकारी संस्था कौंड़िया के लिए मंडी परिसर गाडरवारा में, सेवा सहकारी समिति सहावन के लिए समिति परिसर बाबईकलां में, सेवा सहकारी संस्था पचामा के लिए समिति परिसर बसुरिया में, अजा सेवा सहकारी संस्था गोटीटोरिया के लिए समिति परिसर चारगांव में, सेवा सहकारी संस्था बनवारी के लिए आयरा वेयर हाऊस सांईखेड़ा रोड में, सेवा सहकारी संस्था पचामा के लिए समिति परिसर मारेगांव में, सेवा सहकारी संस्था सासबहू के लिए आयरा वेयर हाऊस सांईखेड़ा रोड में, 
सेवा सहकारी समिति खेरूआ के लिए समिति परिसर रहमा में, सेवा सहकारी संस्था सिहोरा के लिए उप मंडी सिहोरा में, सेवा सहकारी संस्था आड़ेगांव के लिए समिति परिसर खुर्सीपार में, सेवा सहकारी संस्था पचामा के लिए समिति परिसर पचामा में, सेवा सहकारी समिति पीपरपानी के लिए मां गुर्जर वेयर हाऊस जमाड़ा में, सेवा सहकारी समिति मड़गुला के लिए मंडी परिसर गाडरवारा में, अजा सेवा सहकारी संस्था गोटीटोरिया के लिए समिति स्तर सीरेगांव में, वृहता सेवा सहकारी संस्था गोटेगांव के लिए जैन वेयर हाऊस श्रीनगर में, 
सहकारी विपणन समिति गोटेगांव- करकबेल के लिए उप मंडी करकबेल में, सेवा सहकारी समिति रांकई के लिए समिति स्तर डोभी में, वृहता सेवा सहकारी संस्था चांवरपाठा के लिए समिति परिसर तेंदूखेड़ा में, सेवा सहकारी संस्था सुआतला के लिए समिति परिसर सुआतला में, वृहताकार सेवा सहकारी संस्था नरसिंहपुर के लिए अंश वेयर हाऊस तिंदनी में और वृहता सेवा सहकारी संस्था डांगीढाना के लिए समिति परिसर डांगीढाना में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जायेगी।
शासन द्वारा धान का समर्थन मूल्य 1750 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। जिले में कृषि विभाग एवं भू- अभिलेख द्वारा धान की उत्पादकता 38.5 क्विंटल प्रति हेक्टर निर्धारित की गई है। प्रत्येक बोरे पर खरीदी संस्था के नाम (केन्द्र, कोड एवं वर्ष) के साथ किसान का नाम व किसान कोड भी खरीदी समिति द्वारा अनिवार्यत: लिखा जायेगा। किसानों से उपार्जन का कार्य सप्ताह में 5 दिवस सोमवार से शुक्रवार तक किया जायेगा और शनिवार एवं रविवार को उक्त 5 दिवस में शेष रहे स्टाक का परिवहन, भंडारण एवं अस्वीकार होने पर वापसी का निराकरण किया जायेगा। किसानों से कहा गया है कि वे अपनी उपज सूखी, साफ एवं छन्ना लगी हुई लायें। एफएक्यू गुणवत्ता की उपज क्रय की जायेगी। किसानों से अनुरोध किया गया है कि उन्हें एसएमएस से प्राप्त तिथि को गुणवत्तायुक्त उपज की खरीदी की मात्रा के अनुसार संबंधित तिथि को दोपहर 12 बजे तक टोकन अवश्य प्राप्त कर लें।

Sunday, December 2, 2018

मात्र 700 रुपए में अपने पुराने TV को बनाएं स्मार्ट TV….नया स्मार्ट TV खरीदने की जरूरत नहीं

मात्र 700 रुपए में अपने पुराने TV को बनाएं स्मार्ट TV….नया स्मार्ट TV खरीदने की जरूरत नहीं के लिए इमेज परिणाम
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भारत में स्मार्ट टीवी की डिमांड में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। इसकी एक वजह टेक्नोलॉजी अपडेट है। इसकी वजह से मार्केट में हर एक साल नए टीवी की डिमांड आ जाती है। हालांकि सभी के लिए हर साल टीवा बदलना संभव नहीं होता है।
ऐसे में हम एक ऐसी डिवाइस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप बिना टीवी बदले अपने नृृृ्ॉर्मल टीवी को स्मार्ट बना सकते हैं साथ ही इसे अपने मोबाइल से कनेक्ट कर सकेंगे। इस तरहअपनी टीवी पर फेसबुक और यू-ट्यूब, नेटफ्लिक्स,अमेजन प्राइस जैसी ऐप का इस्तेमाल कर सकेंगे। पोर्टेबल मीडिया प्लेयर के जरिए आपका नॉर्मल टीवी स्मार्ट टीवी में बदला जा सकता है। मार्केट में काफी ऐसे डिवाइस हैं जो इस काम के लिए फिट बैठते हैं। ऐसी ही एक डिवाइस है Google’s Chromecast जो कि ईबे और अमेजन इंडिया पर उपलब्ध है। इसकी कीमत 700 रुपये है।
1. इसे आपको महज अपने टीवी के HDMI पोर्ट में लगाना है। 2. इसके बाद आप टीवी के रिमोट से HDMI सोर्स को स्विच करें। 3. फिर जो भी निर्देश दिए जाएं उन्हें फॉलो करते हुए आपके घर मे जो भी वाइ-फाइ नेटवर्क हो उससे टीवी को कनेक्ट करें।
4. इसके बाद आपको अपने फोन पर Chromecast app को डाउनलोड करना है या फिर फोन/पीसी/लैपटॉप को वाइ-फाइ से कनेक्ट करना है। 5. इसके बाद एप को ओपन करें और निर्देश को फॉलो करते हुए डिवाइस को अडेप्टर से लिंक करें। लिंक करने के बाद आप मजा लीजिए अपने ब्रैंड न्यू स्मार्ट टीवी का।
वैसे तो Chromecast टीवी को स्मार्ट बनाने का एक बेहतर तरीका है लेकिन इसके साथ मेमोरी बढ़ाने या डाटा स्टोर करने का स्लॉट नहीं दिया होता। इसके लिए एक और तरीका हम आपके लिए लाएं हैं। आप set-top box media player को खरीद सकते हैं। इसके लिए आपके पास HDMI पोर्ट वाला टीवी और इंटरनेट कनेक्शन होना चाहिए। 
आपको बता दें कि ऐसे सेट-टॉप बॉक्स मेमोरी कार्ड स्लॉट, फ्लैश ड्राइव आदि को सपोर्ट करते हैं। इस बॉक्स को केवल आपको इंटरनेट कनेक्शन से कनेक्ट करना है और आपका टीवी बन जाएगा एक स्मार्ट टीवी।

कोर्ट ने अंबानी को दिया अब तक का सबसे बड़ा झटका, 2 दिन में चुकानी होगी इतनी बड़ी कीमत

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नई दिल्ली । अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन (आरकॉम) को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट के आदेशानुसार रिलायंस कम्युनिकेशंस को दो दिन के भीतर 1,400 करोड़ रुपए की कॉरपोरेट गारंटी जमा करानी होगी।
ये रकम जमा कराने के बाद ही अनिल अंबानी को रिलायंस कम्युनिकेशंस को स्पेक्ट्रम बिक्री के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिलेगा और फिर आरकॉम अपने हिस्‍से का स्‍पेक्‍ट्रम जियो इंफोकॉम को बेच सकेगी। बता दें कि अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है।
अनिल अंबानी को ये एनओसी इसलिए चाहिए क्योंकि ऑरकॉम अपना स्‍पेक्‍ट्रम रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड को बेचना चाहती है। कंपनी को इसके लिए सरकार से एनओसी लेना था, जिसके एवज में केंद्र ने आरकॉम से गारंटी देने को कहा था। लेकिन केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ कंपनी ट्रिब्‍यूनल में चली गई थी, जहां उसके हक में फैसला आया था।
कंपनी के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरकॉम या जियो से बैंक गारंटी के तौर पर तकरीबन 2,900 करोड़ रुपए की मांग की थी। केंद्र सरकार आरकॉम पर स्पेक्ट्रम फीस बकाया होने की वजह से बैंक गारंटी चाहता था। आरकॉम ने प्रस्ताव दिया था कि मुंबई की 1,400 करोड़ रुपए मूल्य वाली जमीन गारंटी के तौर पर रख ली जाए। लेकिन, केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग ने इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया।
गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही आरकॉम ने दिवालियापन की प्रक्रिया से बचने और बैंकों का कर्ज चुकाने की योजना के तहत दिसंबर 2017 में मुकेश अंबानी की स्‍वामित्‍व वाली रिलायंस जियो के साथ 25,000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था।

Thursday, November 29, 2018

फर्जी कंपनी में हो रहे 300 करोड़ की टैक्स चोरी का स्टेट जीएसटी टीम ने किया खुलासा

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कानपुर। यूपी के कानपुर में मंगलवार को स्टेट जीएसटी की टीम ने सिविल लाइन स्थित केन चैंबर में बने एक ऑफिस में छापेमारी कर तीन सौ करोड़ से ऊपर की टैक्स चोरी पकड़ी। यहां स्थित लक्ष्मी ऑयल कंपनी के नाम से बने दफ्तर में तीन अलग-अलग फर्म थीं।
यहां सिर्फ कागजों पर व्यापारिक लेन-देन एक तीनों फर्म एक दूसरे से कर रही थी। मंगलवार को जब स्टेट जीएसटी की टीम ने छापेमारी की तो इन तीनों कंपनियों की बड़ी चोरी के सामने आई।
मामला कानपुर के सिविल लाइन स्थित लक्ष्मी ऑयल कंपनी का है। जहां बीते काफी दिनों से कर चोरी की शिकायत स्टेट जीएसटी की टीम को मिली थी। जब स्टेट जीएसटी की टीम ने इस कंपनी की रेकी करना शुरू किया तो जो खुलासे हुए वह बेहद चौंकाने वाले थे। दरअसल इस कंपनी ने तीन फर्म बनाकर आपस में ही लेन देन कागजों पर शुरू कर दिया। जो ई-वे बिल इन कंपनियों ने जनरेट किए थे, उनमे जो वाहन संख्या दर्ज थी। वह ट्रकों की जगह बाईक, स्कूटी व ट्रैक्टर्स के थे।
स्टेट जीएसटी की टीम को जैसे ही इस बात की पुख्ता जानकारी हुई कि कंपनी फर्जी काम कर रही है। इसके बाद तत्काल जीएसटी की टीम ने छापेमारी कर इस कार्रवाई को अंजाम दिया। जिसमें अब तक तीन सौ करोड़ से ऊपर की टैक्स चोरी का मामला सामने आ चुका है और बाकी कि जानकारी के लिए स्टेट जीएसटी की टीम अभी भी लगातार जांच में जुटी है।
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Friday, November 2, 2018

क्या सरकार की नज़र भारतीय रिज़र्व बैंक के रिज़र्व पर है

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Ravish Kumar
भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने 2010 में अर्जेंटीना के वित्त संकट का हवाला क्यों दिया कि केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच जब विवाद हुआ तो केंद्रीय बैंक के गवर्नर से इस्तीफा दे दिया और फिर वहां आर्थिक तबाही मच गई। एक समझदार सरकार अपने तात्कालिक सियासी फायदे के लिए एक ऐसी संस्था को कमतर नहीं करेगी जो देश के दूरगामी हितों की रक्षा करती है। इसका संदर्भ समझने के लिए हमें रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथ के पब्लिक में दिए गए बयानों को देखना होगा। ब्लूमबर्ग वेबसाइट पर इरा दुग्गल ने बताया है कि कम से कम चार मौकों पर रिज़र्व बैंक के शीर्ष अधिकारी पब्लिक को साफ साफ संकेत दे चुके हैं कि रिज़र्व बैंक के रिज़र्व पर नज़र टेढ़ी की जा रही है।
इस साल जब पंजाब नेशनल बैंक का करीब 13000 करोड़ का घोटाला सामने आया तब वित्त मंत्री कहने लगे कि बैंकों के बहीखाते तो आडिटर और रेगुलेटर देखते हैं, फिर कैसे घोटाला हो गया। इसका जवाब दिया उर्जित पटेल ने। मार्च में गुजरात लॉ यूनिवर्सटी के एक कार्यक्रम में कहा कि बैंकों को नियंत्रित करने के हमारे अधिकार बेहद सीमित हैं, हमें और अधिकार चाहिए। हम बैंकों पर निगरानी तो करते हैं लेकिन असली नियंत्रण सरकार का है क्योंकि सरकारी बैंकों में 80 फीसदी हिस्सेदारी होने के कारण उसी का नियंत्रण होता है। उर्जित पटेल ने घोटाले की ज़िम्मेदारी सरकार पर डाल दी। तब उर्जित पटेल का एक बयान मशहूर हुआ था कि वे सिस्टम को साफ करने के लिए नीलकंठ की तरह ज़हर पीने के लिए तैयार हैं और अब वह दिन आ गया है।
मीडिया, विपक्ष और सरकार सबने इस कठोर बयान को नोटिस नहीं किया। छापने की औपचारिकता पूरी की और देश राम मंदिर बनाने की बहसों में मस्त हो गया। अप्रैल में पुणे के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बैंकिंग में डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन के भाषण पर इकोनोमिक टाइम्स की हेडिंग ग़ौर करने लायक थी। अख़बार ने लिखा कि रिजर्व बैंक ने अपना दम दिखाया, उम्मीद है दम बरकार रहेगा। विश्वनाथन ने कहा था कि बैंकों के लोन का सही मूल्यांकन न करना बैंक, सरकार और बक़ायदारों को सूट कर रहा है। बैंक अपना बहीखाता साफ सुथरा कर लेते हैं और बकायेदार डिफॉल्टर का टैग लगने से बच जाते हैं।
इस बीच एक और घटना क्रम को समझिए। 12 फरवरी को रिज़र्व बैंक एक सर्कुलर जारी कर उन बैंकों को अब और बड़े कर्ज़ देने पर रोक लगा देता है जिनका एन पी ए खास सीमा से ज्यादा हो चुका है। सर्कुलर के अनुसार अगर कर्ज़दार लोन चुकाने में एक दिन भी देरी करता है तो उसे एन पी ए घोषित कर दिया जाए। लोन सलटाने के लिए मात्र 180 दिन का समय देकर दिवालिया घोषित करने का काम शुरू हो जाए। इस सर्कुलर को लेकर बिजनेस अख़बारों में सरकार,रिज़र्व बैंक और बड़े बक़ायदारों के बीच खूब ख़बरें छपती हैं। इन ख़बरों से लगता है कि सरकार रिज़र्व बैंक पर दबाव डाल रही है और रिज़र्व बैंक उस दबाव को झटक रहा है।
रिज़र्व बैंक की इस सख़्ती से कई कंपनियां प्रभावित हुईं मगर बिजली उत्पादन से जुड़ी कंपनियां ज़्यादा प्रभावित हो गईं। उन पर करीब एक लाख करोड़ का बकाया था और यह सर्कुलर तलवार की तरह लटक गया। तब बिजली मंत्री आर के सिंह ने पब्लिक में बयान दिया था कि रिज़र्व बैंक का यह कदम ग़ैर व्यावहारिक और वह इसमें बदलाव करे। पावर सेक्टर की कंपनियां कोर्ट चली गईं। रिज़र्व बैंक ने अपने फैसले को नहीं पलटा। सुप्रीम कोर्ट से पावर कंपनियों को राहत तो मिली है तो मगर चंद दिनों की है।
अगस्त महीने में इंडियन एक्सप्रेस में ख़बर छपती है कि रिज़र्व बैंक 12 फरवरी के सर्कुलर के दायरे में NBFC को भी लाने पर विचार कर रहा है। इस वक्त सरकार की 12 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां हैं। इनमें से 16 केंद्र सरकार की हैं। इस वक्त IL&FS का मामला चल रहा है। अभी इस प्वाइंट को यहां रोकते हैं मगर आगे इसका ज़िक्र होगा।
13 अक्तूबर को डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य आई आई टी बांबे में फिर से इस सर्कुलर का बचाव करते हुए कहते हैं कि बैंकों पर अंकुश लगाने से बुरे लोन पर असर पड़ा है और बैंकों की हालत बिगड़ने से बची है. इसलिए इसका जारी रहना बहुत ज़रूरी है।
सरकार, कंपनियां और बैंक इस सर्कुलर के पीछे पड़ गए। इस सर्कुलर से दस बीस बड़े उद्योगपती ही प्रभावित थे क्योंकि दिवालिया होने पर उनकी साख मिट्टी में मिल जाती। इन्हें नया कर्ज़ मिलना बंद हो गया जिसके कारण पुराने कर्ज़ को चुकाने पर 18 फीसदी के करीब ब्याज़ पर लोन लेना पड़ रहा था। सुप्रीम कोर्ट की राहत भी दो महीने की है। वो घड़ी भी करीब आ रही है। अगर कुछ नहीं हुआ तो इन्हें बैंकों को तीन-चार लाख करोड़ चुकाने पड़ेंगे। इनकी मदद तभी हो सकती है जब रिज़र्व बैंक अपना सर्कुलर वापस ले।
आप जानते हैं कि मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की आंकलन समिति बैंकों के एनपीए की पड़ताल कर रही है। इस कमेटी को रघुराम राजन ने 17 पन्नों का नोट भेजा और बताया कि उन्होंने कई कंपनियों की सूची प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय को दी थी। ये वो कंपनियां हैं जो लोन नहीं चुका रही हैं और लोन का हिसाब किताब इधर उधर करने के लिए फर्ज़ीवाड़ा कर रही हैं। इसकी जांच के लिए अलग-अलग एजेंसियों की ज़रूरत है। रिज़र्व बैंक अकेले नहीं कर सकता। दि वायर के धीरज मिश्र की रिपोर्ट है कि रिज़र्व बैंक ने सूचना के अधिकार के तहत इस जानकारी की पुष्टि की है कि राजन ने अपना पत्र 4 फरवरी 2015 को प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया था. इस पत्र में उन बकायदारों की सूची थी, जिनके खिलाफ राजन जांच चाहते थे। प्रधानमंत्री मोदी यही बता दें कि राजन की दी हुई सूची पर क्या कार्रवाई हुई है।
दि वायर पर एम के वेणु ने लिखा है कि पावर कंपनियों को लोन दिलाने के लिए सरकार रिज़र्व बैंक पर दबाव डाल रही है। कुछ कंपनियों का गिरोह रिज़र्व बैंक के झुक जाने का इंतज़ार कर रहा है। Ndtv की वेबसाइट पर मिहिर शर्मा ने लिखा है कि रिजर्व बैंक अपने मुनाफे से हर साल सरकार को 50 से 60 हज़ार करोड़ देती है। उसके पास साढ़े तीन लाख करोड़ से अधिक का रिज़र्व है। सरकार चाहती है कि इस रिज़र्व से पैसा दे ताकि वह चुनावों में जनता के बीच गुलछर्रे उड़ा सके। सरकार ने ऐसा पब्लिक में नहीं कहा है लेकिन यह हुआ तो देश की अर्थव्यस्था के लिए अच्छा नहीं होगा। यह भी संकेत जाएगा कि सरकार का ख़ज़ाना खाली हो चुका है और उसे रिज़र्व बैंक के रिज़र्व से ही उम्मीद है।
अब आप moneycontrol की इस ख़बर पर ग़ौर करें। आज ही छपी है। वित्त मंत्रालय के अधीन आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) को डर है कि अगर गैर वित्तीय बैंकिंग और हाउसिंग फाइनांस कंपनियों को अतिरिक्त पैसा नहीं मिला तो 6 महीने के भीतर ये भी लोन चुकाने की हालत में नहीं रहेंगी। मनीकंट्रोल ने आर्थिक मामलों के विभाग के नोट का भी स्क्रीन शाट लगाया है। DEA ने लिखा है कि वित्तीय स्थिति अभी भी नाज़ुक है। इसका असर गंभीर पड़ने वाला है।
हाल ही में जब IL&FS ने लोन चुकाने की डेडलाइन मिस की थी तो बाज़ार में हड़कंप मच गया था। ये वो संस्थाएं हैं जो बैंकों से लेकर आगे लोन देती हैं। रिज़र्व बैंक पर दबाव इसलिए भी डाला जा रहा है ताकि वह इन संस्थाओं में पैसे डाले और यहां से खास उद्योपतियों को कर्ज़ मिलने लगे। मगर रिज़र्व बैंक ने तो अगस्त में इन संस्थाओं पर भी फरवरी का सर्कुलर लागू करने की बात कही थी, लगता है कि इस मामले में रिज़र्व बैंक ने अपना कदम रोक लिया है। तो ऐसा नहीं है कि दबाव काम नहीं कर रहा है।
NBFC/HFC को दिसंबर तक 2 लाख करोड़ का बकाया चुकाना है। उसके बाद जनवरी मार्च 2019 तक 2.7 लाख करोड़ के कमर्शियल पेपर और नॉन कन्वर्टेबिल डिबेंचर का भी भुगतान करना है। मतलब चुनौतियां रिज़र्व बैंक के रिज़र्व को हड़प लेने से भी नहीं संभलने वाली हैं। इस बात को लेकर रिज़र्व बैंक और वित्त मंत्रालय की बैठक में खूब टकराव हुआ है। मीडिया रिपोर्ट है कि सरकार ने रिज़र्व बैंक के 83 साल के इतिहास में पहली बार सेक्शन 7 का इस्तमाल करते हुए रिज़र्व बैंक को निर्देश दिया है। मगर बयान जारी किया गया है कि वह रिज़र्व बैंक की स्वायत्ता का सम्मान करती है और उसकी स्वायत्ता का बना रहना बहुत ज़रूरी है।
उर्जित पटेल गवर्नर बने रहकर रिज़र्व बैंक की स्वायत्ता दांव पर लगा सकते हैं या इस्तीफा देकर उसकी स्वायत्ता के सवाल को पब्लिक के बीच छोड़ सकते हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली बिना नाम लिए बार बार कह रहे हैं कि जो चुने हुए लोग होते हैं उनकी जवाबदेही होती है, रेगुलेटर की नहीं होती है। इस बात की आलोचना करते हुए फाइनेंशियल एक्सप्रेस के सुनील जैन ने एक संपादकीय लेख लिखा है। उसमें बताया है कि सभी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का मोल यूपीए के दस साल के राज में 6 लाख करोड़ घटा मगर मोदी सरकार के पांच साल से कम समय में ही 11 लाख करोड़ कम हो गया। क्या इस आधार पर जनता उनके भविष्य का फैसला करेगी? कहने का मतलब है कि यह सब चुनावी मुद्दे नहीं होते हैं, इसलिए इनकी जवाबदेही संस्थाओं की स्वायत्ता से ही तय होती है।
हर किसी की यही प्राथमिकता है कि ख़बर किसी तरह मैनेज हो जाए, पूरी तरह मैनेज नहीं हो पाए तो कोई दूसरी ख़बर ऐसी हो जो इस ख़बर से बड़ी हो जाए। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के बैंकों में 20 प्रतिशत खाते ऐसे हैं जिनमें एक पैसा नहीं है। ज़ीरो बैलेंस वाले खातों की संख्या सबसे अधिक भारत में है। दुनिया में सबसे अधिक। 48 प्रतिशत खातों में कोई पैसा नहीं है। निष्क्रिय खाते हैं। इसका कारण है जनधन योजना। सरकार नहीं मानती है। मगर जनता तो जानती है।
नोट- इस लेख के लिए अंग्रेज़ी के कई लेख पढ़े। कई घंटे लगाए। इसलिए कि अलग अलग समय पर छपे किसी एक लेख में पूरी जानकारी नहीं है। हम पाठकों को और खासकर हिन्दी के पाठकों को खबर देखने और समझने का तरीका बदलना होगा। मेहनत करनी होगी। इसलिए आपसे गुज़ारिश है कि इस लेख को हिन्दी की जनता में पहुंचा दें। इस प्रक्रिया में हम सब सीखते हैं।

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